Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra
Author(s): Rajulbai Sadhvi, Shobhachad Bharilla
Publisher: Prem Jinagam Samiti Mumbai

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Page 431
________________ ४१६ નવમું સ્થાન एवामेव महापउमे वि अरहा समणाणं निग्गंथाणं सेज्जायरपिंडे इवा, रायपिडेइ वा पडिसेहिस्सइ, से जहा णामए अज्जो! मम नव गणा, एगारस गणधरा. एवामेव महपउमस्स वि अरिहओ नव गणा, एगारस गणधरा भविस्संति. से जहा णामए अज्जो! अहं तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता जाव-पव्वइए, दुवालस संवच्छराइं तेरस पक्खा छउमत्थपरियागं पाउणित्ता, तेरसहिं पक्खेहि उणगाइं तीसं वासाई केवलिपरियागं पाउणित्ता, बायालीसं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, बावत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता, सिज्झिस्सं-जाव-सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सं. एवामेव महापउमे वि अरहा तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता-जाव पवहिइ. दुवालस संवच्छराई-जाव-बावत्तरिवासाइंसव्वाउयं पाल इत्ता सिज्झिहिइ-जावसव्वदुक्खाणमंतं काहिइ गाहा - जं सीलसमायारी, अरहा तित्थंकरो महावीरौ। तस्सीलसमायारो, होइ उ अरहा महापउमे ।।१।। ६९४ नव नक्खत्ता चंदस्स पच्छंभागा पण्णत्ता तं जहागाहा-अभिई सवणो धणिट्ठा, रेवइ अस्सिणि मग्गसिर पूसो। हत्थो चित्ता य तहा, पच्छंभागा नव हवंति ॥१॥ ६९५ आण-पाणय-आरणच्चुएसु कप्पेसु विमा णाइं नव जोयणसयाइं उद्धं उच्चत्तेणं . पण्णत्ते. ની નક્ષત્ર ચંદ્રની પાછળ ગતિ કરે છે, भ१ मलित, २ श्रq, 3 घाना, ४ २वती, ५२मश्विनी, ६ भृगशिश, ७ ५०५, ८ ७२त, ८ (या. આણત પ્રાકૃત આરણ અને અચુત ४६५म विभान नसे। योभन या छे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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