Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 11
________________ आयारांग सूत्र २, 3, ४ अध्ययनों डी विषयानुष्ठभशष्ठा अनु. विषय पाना नं. (द्वितीय अध्ययन-भ्रथम श) १ प्रथभाध्ययन D साथ द्वितीय अध्ययनछा सम्मन्धथन, द्वितिय अध्ययन छहों देशों डे विषयों छा संक्षिप्त वर्शन। २८ २ द्वितीय अध्ययन प्रथम सूचठा अवता और प्रथम सूत्र। उ० २ / 36 40 3 शम्घाहिलाभगुरा ही भूलस्थान अर्थात् भोहनीयाहिडे आश्रय है, उन शाहि-छाभगुणों से युत प्राशी परितापयुज्त जना रहता है, और उसछी उस परिस्थितिमें से भावना रहती है उसठा वार्शन। ४ द्वितीय सूत्रधा अवतराग और द्वितीय सूत्र। ५ शाठिाभगुराभोहित प्राशी वृद्धावस्थामें भूढताछो प्राप्त रता है-सहा वर्शन । ६ तृतीय सूत्रमा अवतरा और तृतीय सूत्र । ७ वृद्धावस्था में उस मनुष्य ही हशा होती है-उसका वर्शन। ८ यतुर्थ सूत्रधा सतरा और यतुर्थ सूत्र । ८ भनुष्य ही वृद्धावस्थामें हुईशा होती है उसे विचार र संयभपालन में मुहूर्तभात्र भी प्रभान रे । १० प्रश्चभ सूत्रछा सवतरराश और प्रश्वभ सूत्र । ११ प्रभाही पु३षोंछे डार्य डा वर्शन । १२ छठे सूत्रछा अवतरश और छठा सूत्र। १३ भाता पिता या पुत्र छोछ भी छहलोठ-सम्मन्धी और परलोसम्मन्धी दुःों से जथाने में समर्थ नहीं है। १४ सप्तभ सूया अवता और सलभ सूत्र । १५ असंयत पु३ष उपभोगडे लिये धनसंग्रह रता है और उपभोग सभय उसे जासस्वासाहि रोग हो जाते हैं, उस सभय सछे माता पिता और पुत्र छोछली रक्षठ नहीं होते हैं। 6 a un ६७ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨

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