Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ अधिकमास-निर्णय. viawwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww जवाब नहीं लिखा, सिर्फ! विज्ञापन नंबर पहलेमें इतना लिखाकि वतमानपयुपणकी चचा संबंधी सुरतसे अमरेलीसे कपडवंजसे जो जो लेख छपकर आयेहै, तथा पुनेसे न्यायरत्नी शांतिविजयजी तफसे जैनपत्र तारिख (२६) अगष्टकालेख वा पऍषणपर्वनिर्णय नामक पुस्तक दुसरे भाद्रपदमें पयूषणपर्व करनेका ठहरानेकेलिये छपाहै, वे सब शास्त्रकारोके अभिप्रायसे विरुद्ध और जिनाज्ञा बहारहै. (जवाब ) जैसे मेने पूर्वपक्ष लिखकर उत्तरपक्षमे जवाब दियाथा खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजीने मेरेलेखपर इसतरह जवाब क्यों नहीं दिया ? मेरेलेखमें कौनसीबात शास्त्रविरुद्ध और जिनाजाबाहिरथी दाखले दलिलोसें बतलाया क्यौंनही,? जैनशास्त्रोके पाठसे माकुलजवावदेनाथा. विनाजवावदिये शास्त्रविरुद्ध कहना मुनासिब नही. १०-आगे खरतरगछके मुनिश्रीयुत मणिसागरजी अपने विज्ञापन नंबर पहलेमें लिखतेहै, वर्तमानिक विवाद कुसंपका मुख्य कारण विनय विजयजीकृत सुबोधिका वृत्तिके खंडनमंडनकों प्रतिवर्स प्रायः सवजगह पर्युषणके व्याख्यानमें तफ गछके मुनि बाचतेहै, उसीको समजना चाहिये. ( जवाब.) क्या! खरतरगछके मुनि प्रतिवर्स पर्युषणके दिनोमें तिर्थकर महावीर स्वामीके छह कल्याणिक नही बाचतेहै ? अगर वांचतेहै तो क्या! यहबात वर्तमान विवादका कारण नही समजना? खरतरगछके आचार्य श्रीयुत लक्ष्मीवल्लभजीकृत कल्पद्रुमकलिका टीका और उपाध्याय श्रीयुत समयसुंदरजीकृत कल्पलता टीका देखो, उनमे छह कल्याणि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38