Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 16
________________ अधिकमास निर्णय. १३ १७-फिर खरतर गडके मुनि श्रीयुत माणसागरजी अपने विज्ञापन नंवर दुसरेमे तेहरीर करतेहै. दुसरे भाद्रपदमें (८०) दिन होनेसे शास्त्रविरुद्धहै. ___ (जवाव,) पहले भाद्रपदमे पर्युषण करनेसे बादसंवत्सरीके (१००) दिन रह जायगें यह शास्त्रविरुद्धहै, क्योंकि समवायांगसूत्रके मूलपाठमे बादसंवत्सरीके (७०) दिन बाकी रखना कहां. इसकेलिये आपकेपास क्या जवाब है ? दरअसल! वार्षिक कृत्यमें अधिक महिना गिनतीमें नहीं लेनेसे दोनोतर्फ शास्त्र विरुद्ध नही होता. तपगछवालोने वार्षिकपत्र कृत्यमें पहले अधिक महिना गिनतीमें नही लिया. आपलोगोनें संवत्सरीकेबाद एक महिना गिनतीमें नही लिया, यही बात समजनेकी है, इतनेपरभी आपको अधिक महिना गिनतीमें लेनेका पक्षहै तो बतलाइये! आपने अपनाचौमासा एक महिने पहले क्यों नहीं खतम किया? क्योकि (७०) दिनकी सरलगणना तो एक महिने पहले हो जातीथी. देखिये! इसबात तर्फ आपने खयाल नहीं किया. दुसरी बात यहथीकि नवपदजीका तपभी एक माहने पहले करलेना था. कहिये! इसका आपक्या जवाब देतेहै ? १८-आगे खरतरगछके मुनि श्रीयुत माणसागरजी अपने विज्ञापन नंबर दुसरेमे इसदलिलकों पेंश करतेहै, हमारी तर्फसे लघुपर्युषण निर्णय प्रगटहो चुकाहै. उसमे दो आषाड होवे तब दोनों मान्य, मगर चौमासी दुसरे आषाडमें करना. ( जवाव )-चौमासी दुसरे आघाडमे करना कहतेहो तो दोनों आपाड मान्य कहां हुवे? अगर दोनों मान्य होते तो चौमासा पहले आषाडमें बेठाते, इधरउदरसे तपगछवालोकी ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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