Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ १८ अधिकमास निर्णय. फिर सोचिये! विहारमें सहायता लेना पड़ा या नहीं? २५-जैन शाखोमें जैन मुनिको और जैन साधवीको नवकल्पी विहार करना कहा. ( यानी) एक गांवमें एक महिनेसे ज्यादा ठहरना नही कहा. चौमासेके दिनोमें चार महिना बेशक ! ठहरना कहा, अगर कोई जैन मुनि या जैन साधवी विद्या पढनेके लिये किसी गांव नगरमे या किसी जैन पाठशालामे दो दो चारचार वर्सतक ठहरे तो यहबात मुताबिक जैन शावके उत्सर्ग मार्गमें समजना या किसमे ? तीर्थकर गणधरोका साफ फरमानहै कि विद्याभी पढते रहना और विहारभी करते रहना, विद्या पढनेके लिये चारित्रमे शिथिलता क्यों करना, जैनागम उत्तराध्ययनसूत्रमें बयान है कि हरेक जैन मुनिको या जैन साधवीकों दिवसके तिसरे प्रहरमें भिक्षाको जाना, अगर कोइ जैन मुनि या जैनसाधवी सवेरे सात बजे चाह दुध वगेरा खानपानके लिये भिक्षाको जावे तो यह बात उत्सर्ग मार्गमें समजना या किसमें ? जैनमुनिको दिनमें एक दफे आहार करना कहा है.. - २६-जैनशास्त्र उत्तराध्ययनमें लिखाहै, जैनमुनिकों या जैनसाधवीको धूप ठंड वगेरापारसह सहन करना. अगर कोई जैनमुनि-या जैनसाधवी विहारकेवख्त रास्तेमेकंतानके मोजे पहनेतो यहबात उत्सर्ग मार्गमें समजना या किसमे? चाहेकोई जैन मुनि जैनसाधवी श्रावक या श्राविका कोइहो उपवास व्रत करे तो पहले रोज एकासना करे, और पारनेकेरौजभी एकासना करे. अगर कोई एसा बरताव न करे तो इस बातको उत्सर्ग मार्गमे समजना या किसमे ? जैनमुनिको दिनमें नींद लेना नही कहा. ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38