Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 27
________________ २४ अधिकमास निर्णय. अधिक माहिना कालचूला यानी कालपुरुषकी चोटीसमान है, आदमीके शरीरका माप कियाजाताहै. तब चोटीका माप नहीं किया जाता, इसीतरह अधिक महिना पर्वकृत्यमें नही गिना जाता. शिवाय इसके ज्यादा खुलासा और कोइ क्या देगा ? ३३-सवाल तीसरा. आपलोग अधिकमासकों कालचूला कहतेहो परंच उसको वार्षिक कृत्योमें नहीं लेना एसा मूलपाठ दिखला सकतेहो ? ( जवाब. ) हां दिखला सकताहुं, मगर शर्तयहहै कि पूर्वपक्षमें पाठ जाहिर हुवाहो तो उत्तर पक्षमें पाठ जाहिर करना सवालकर्ता पहले अपने सवालकी पुख्तगीका पाठ जाहिर करे, फिर मुजसेभी पाठ लेवे. एसा होनेसे बाचनेवालोकोंभी ज्ञान हासिल होगा, खरतरगछ अंचलगछवाले पहले आषाडको चातुर्मासिक पर्वकी अपेक्षा गिनतीमें नही लेते, कल्याणिक पर्वकी अपेक्षा एक पौषको गिनतीमें नही लेते यह किस जैनशास्त्र के मूलपाठमें लिखाहै ? जाहिर किजिये फिर मेरी तर्फसेभी मूलपाठ जाहिर होगा. ३४-आगे सवालकर्ता. वयान करतेहै. जैनशास्त्रमुजब पौष आषाडको कालचूला कही है. या लौकिक श्रावण भादवादिकको? (जवाब.) इससाल खरतरमछ अंचलगछवालोंने दो भाद्रपद माहिने माने. यह लौकिकपंचांगकी अपेक्षा माने. यहभी एक सवाल है. मुताबिक जैनशास्त्रके पौष आषाडको कालचूला मानना चाहिये. गअली सालमें दो आषाड जैनपंचांमकी रुहसे आनेवाले है, देखलेना. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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