Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 30
________________ अधिकमास निर्णय. २७ बारांही महिनोमें एकदिन और एकसोएकीस भाग मिलाते जाओ. इसतरह बारां महिनेमें जो कुछ भाग बढता रहे, उस सबको मिलानेसे एक अभिवर्द्धित संवत्सर होगा, तीनसोत्र्यासी दिन और एकसो चोविसये चौमालीस भागका एक अभिवर्द्धित संवत्सर हुवा. देखिये! गाणत करके दिखला दियाहै. जादा खुलासा इसका ज्योतिषकरंडक और लोकप्रकाश ग्रंथमें मौजूदहै. लोकप्रकाश ग्रंथका सबुतदेताहूं. गौर किजिये. एकोनत्रिंशदित्येवं दिनान्यंशारदर्मिताः मासोधिकोयंस्यात्रिंशत् सूर्यमासव्यतिक्रमे. माइना.) तीसमूर्यमास बतीत होनेसे एक चांद्रमास बढताहै. सूर्यमास और चांद्रमासके अंतरसे एक अधिकमास होताहै. और जिसवर्समें वो आवे उसवर्सको आभवर्द्धित संवत्सर कहा जाता है. ३८-सवाल छठा, जैनागमोमे जीवाजीवादिनवतत्व षडद्रव्य (१४) राजलोक वगेराका स्वरुपकी तरह (१३) महिनोका अभिवर्द्धित संवत्सरकाभी स्वरुप बतलाया है. उसको नहीं माननेवालोको क्या कहना चाहिये? (जवाब.) खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजी अपने विज्ञापन नंबर दुसरेमे लिखतेहै, दो आषाड होवे तब दोनों मान्य मगर चौमासी दुसरे आषाडमें करना. इसपर सवाल पैदा होताहैकि जब चौमासा दुसरे आषाडमे बेठाना मंजुर हुवा तो चातुर्मासिक पर्वकृत्यमें पहला आषाड क्यौं छोडा? और फिर दोनों आषाड मान्य कहां हुवे ? मान्य तो जब होते अगर पहले आषाडमें चौमासा बेठाना मंजुर होता, ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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