Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 34
________________ जाहिरखबर. जाहिरखबर. [खरतरगछसमीक्षाग्रंथ.] मजकुर ग्रंथ मेरी तर्फसे बनरहाहै, इसमे छह कल्याणिकके लिये माकुल जवाब दर्जहै, जैनशास्त्रोमें हरेक तीर्थंकरोंके पांच कल्याणिक होते है, नवांगसूत्रवृत्तिकार श्रीमान् अभयदेवसूरिजीने पंचाशकसूत्रकी टीकामें तीर्थकर महावीरस्वामीके पांचकल्याणिक फरमाये है. जिससाल अधिकमहिना आवे तो उसको चातुर्मासिक, वार्षिक और कल्याणिकपर्वकी अपेक्षा गिनतीमें नही लेना. यह बात जैनशास्त्रके पाठसे साबीत करदिइहै. सामायिक लेतेवख्त इापथिका पाठ पहिले और , करेमिभंतेका पाठ पीछे बोलना, मुताबिक जैनशास्त्रोंकें फरमानसे सिद्ध करदियाहै, जैनमुनिकों व्याख्यानके वख्त या . तमामदिन मुखपर मुखवस्त्रिका बांधना किसी जैनशास्त्र में नहीं लिखा. इस बातकोभी इसमें तेहरीर किइहै. दादाजीकेसामने नैवेद्य चढाया हूवा, गुरुद्रव्य होगया. और गुरुद्रव्य नहीं खाना चाहिये, इसकाभी खुलासा इसमें दियाहै. खरतरगछके श्रीजिनप्रभसूरिजीने अपने बनायेहुवे ग्रंथमे तपगछके बारेमे जो कुछ लिखाहै, उसका जवाब इसमें दर्ज कियाहै, किताव रत्नसागर मोहनगुणमालामें खरतरगछके उपाध्याय श्रीमोहनलालजीने जो तपगछ खरतरगछके बारेमें लिखाण कियाहै उसका जवाबभी इसमें सामीलहै, किताब स्याद्वादनुभवरत्नाकरमे खरतगछके मुनि श्रीयुत चिदानंदजीने गछादिव्यवस्था निर्णयमें जो कुछ लिखाहै, उसका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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