Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 35
________________ ३२ जाहिरखबर. जवाबभी इसमे रोशनहै, किताब महाजन वंशमुक्तावलीमें ग्रंथकर्ताने जो कुछ मजमून गछके संबंधों पेंशकियाहै, उसका जवावभी इसमे तेहरीरहै, किताब प्रश्नोत्तर मंजरीमें और प्रश्नोत्तर विचारमें खरतरगछके पंन्यास श्रीकेशरमुनिजीगणीने तपगछखरतरगछके बारेमें जो कुछ लेख लिखा है उसका जवाबभी इसमें मौजूदहै. जिसको पढकर जिज्ञासु लोग खुश होंगे, इतना लेख हाल तयारहै, खरतरगछके मुनि श्रीयुतमणिसागरजीका बनायाहुवा, बृहत्पयूषणनिर्णयग्रंथ जब मुजकों मीलेगा, उसको देखकर उसका जवाबभी इसमें जोड दियाजायगा, इस किताबमें कोइ अपशब्द नही लिखाहै. जैनशास्त्रोके पाठ और दाखले दलिलोसे जवाव लिखागयाहै. जो • कोइ जैन श्वेतांबरश्रावक इसग्रंथको अपनेखर्चसे छपवाना चाहेतो उनका नाम प्रकाशक तरीके लिखा जायगा अगर 'कोइकहे ग्रंथका मेटर हमको भेजो देखकर लिखेगे. तो जवाबमें मालुम हो मेटर किसीको भेजा नही जायगा. जिसकी मरजी हो रुबरु आनकर देखजावे. और खर्चा पेंशकरे. उनका नाम प्रकाशकतरीके लिखा जायगा. बकल्म-जैनश्वेतांवर धर्मोपदेष्टा विद्यासागर न्यायरत्न मुनिशांतिविजयजी ( मुकाम पुना. मुल्क दखन.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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