Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 20
________________ mmmmmmmmmmmmmmmmmaa अधिकमास निर्णयः २३-आजकल जो अधिक महिनेकी चर्चा चलरहीहै उसीपर कायम रहकर लेख लिखना और किसीपर अंगतटीका नहीं करना यह इन्साफकी बातहै. अगर कोइ एसा लिखेकि अमुक जैनमुनि ठीक नही, अमुक जैनमुनि आचार पालनेमे शिथिल है. इन्साफ कहताहै चर्चाके काममे एसी अंगतटीका क्यौलाना? सवालकाने जो जो सवाल पुछेहो उनका माकुल जवाब देना इन्साफकी बात है. अगर कहाजाय सभा होगी उसवस्त जवाब देयगे तो यह एक तरहकी कमजोरीहै. जवाब देनेमें देरी क्यों करना? तुर्त जवाबदेकर फिर दुसरी बात करना. जिससे सवालका एसा न कहसके मेरे सवालका जवाब नहीं मिला, और बाचनेवालोकोभी फायदा पहुचे. २४-अगरकोइ जैनमुनि दुसरे जैनमुनिकों एसा कहेकि आपलोग क्रियामें शिथिल आचारवालेहै तो जवाबमें मालुमहो. उत्सर्ग मार्गपर चलनेवालोको अपवाद मार्गका ( यानी) शिथिल मार्गका सहारा क्यों लेना चाहिये, जैन शाखोमें उत्सर्गमार्गको कठिन मार्ग कहा. और अपवादमार्गको शिथिलमार्ग कहा. उत्सर्गमार्गमें जैनमुनिको विहार वगेरा कार्यमे सहायता नहीं लेना चाहिये. अगर कोइ जैनमुनि या जैन साधवीके विहारकेवख्त श्रावक श्राविका नोकर चाकर साथ चले उन नोकरचाकरोके लिये बेलगाडीसाथ रहे. जैन मुनि या जैन साधवी जानतेहोवे कि ये लोग हमारे विहारके सबव साथ चलेहै. और एसीसहायता लेवेतो इस बातको उत्सर्गमार्गमे समजना या किसमे? अगर कहाजाय द्रव्यक्षेत्र कालभाव देखकर ऐसी सहायता लेनी पडतीहै तो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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