Book Title: Adhik Mas Nirnay
Author(s): Shantivijay
Publisher: Shivdanji Premaji Gotiwale

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Page 15
________________ १२ अधिकमास निर्णय. ~ ~ -------------------------- १६-आगे खरतरगछके मुनि श्रीयुत माणसागरजी अपने विज्ञापन नंबर दुसरेमे बयान करतेहै. हम शास्त्रप्रमाण मुजव आषाड चौमासीसे (५०) मे दिन अर्थात् सरलदिन गणनासे प्रथम भाद्रपदमें पर्युषण करना बतलाते है. ( जवाब ) में बाद संवत्सरीके (७०) दिन वाकीरखना समवायांगसूत्रके पाठसे बतलाताहुँ. इसको रद करनेका कोइ पाठ आपके पास मौजूदहो तो पेंशकरे, और इसवातका साफतौरसे जवाब देवकि समवायांगसूत्रके पाठको सचा माननाया-गलत? आपने इससाल अन्य मतके ज्योतिषपर चलकर दो भादवमाहिने माने और प्रथम भाद्रपद माहिनेमें संवत्सरी किइ. और पीछे (१००) दिन बाकी रखे, यह बात समवायांगसूत्रके पाठसे विरुद्धहै. आपलोग (५०) दिनकी गिनतीके वख्त जैनशास्त्रपर जातेहो, और अधिकमासकी गिनतीके वख्त अन्य मतके ज्योतिषपर जातेहो. इसका क्या सबबहै. अगर जैनशाखपर जाना मंजूरहै तो वर्षारुतुमें अधिकमाहिना आता नही. अधिकमाहिने जबजब आतेहै, तब मुताविक जैनज्योतिषके पौष और आषाड आतेहै. चौमासी कृत्यमें आपलोगभी अधिकमाहना गिनतीमें नहीं लेते, तीर्थकर पार्श्वनाथमहाराजका जन्म कल्याणक पौषवदी दशमीका एक पौषमें करते हो. उसवख्त आपकी सरल दिन गणना कहां चली जातीहै. अधिकमहिना गिनतीमें लेनेका पक्ष करतेहो. और चौमासी कृत्यमें आषाड और कल्याणिक कृत्यमें एक पौष छोडते जातेहो. यह क्या बात हुइ ? परउपदेशमें दुशल बनना, इससे उसपर अमल करना अछाहै. ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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