Book Title: Adhar Abhishek Vidhi
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 3
________________ RRI XKEKXXXXXXXXXXXXXXXX ॥ अढार अभिषेक विधि ॥ ..एक नवी कुडीमा पवित्र जल नाखवु'. तेमा वास, चंदन, पुष्प विगेरे थोडां नाखी जे जे प्रकारनु स्नात्र करवानु होय ते स्नात्रचूर्ण नाखी तेना चार कलशो भरवा. पछी जिनमुद्राथी देवसन्मुख उभा रहीने दरेक स्नात्र माटे नीचे आपेला काव्यो तेमज गीत, गान, पंचशब्द वाजिंत्रो साथे मंत्रथी अभिमंत्रित करायेला स्नात्रजलथी अढार स्नात्रो करवा ते आ प्रमाणे पहेलु (हिरण्योदक) स्नात्र सुवर्णना चूर्णथी (सोनाना परख मिश्रित न्हवणथी) चार कलशो भरी 'नमोऽहत्' कही नीचेनो श्लोक बोलवोपवित्रतीर्थनीरेण, गन्धपुष्पादिसंयुतैः। पतज्जलं बिम्बोपरि, हिरण्यं मन्त्रपूतनम् ॥१॥ सुवर्णद्रव्यसम्पूर्णं, चूर्णं कुर्यात्सुनिर्मलम् । ततः प्रक्षालनं चाभिः, पुष्पचन्दनसंयुतैः ॥ २ ॥ "ॐ हाँ ही परम अर्हते गन्धपुष्पाक्षतधूपसम्पूर्णैः स्वर्णेन स्नापयामीति स्वाहा" ए मंत्रोचारपूर्वक स्नात्र करी विने तिलक, पुष्प, वास, धूप विगेरेथी पूजन करवु. ॥ इति प्रथमस्नात्रम् ॥ ए रीते दरेक स्नात्र वखते करता रहे। XXXXXXXXXXXXXXXXXX For Personal Private Use Only

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