Book Title: Adhar Abhishek Vidhi
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 15
________________ नं. १ जिन मुद्रा नं.२ परमेष्ठि मुद्रा नं.३ गरुड मुद्रा नं. ४ मुक्ताशुक्ति मुद्रा ॥१३॥ KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX १. चत्तारि अंगुलाई, पुरओ उणाई जत्थ पच्छिमओ । पायाणं उस्सग्गो, एसा पुण होइ जिणमुद्दा ॥ २. उत्तानहस्तद्वयेन वेणीबन्धं विधायाङ्गुष्ठाभ्यां कनिष्ठे, तर्जनीभ्यां मध्यमे संगृह्य अनामिके समी कुर्यादिति परमेष्ठिमुद्रा ।। .., ३. आत्मनोऽभिमुख-दक्षिणहस्तकनिष्ठिकया वामकनिष्ठिको संगृह्याधःपरावत्तितहस्ताभ्यां गरुडमुद्रा ।। ४. मुत्तासुत्तिमुद्दा-जत्थ समा दोवि गब्भिया हत्था । ते पुण निलाडदेसे, लग्गा अन्ने अलग्गत्ति ।। ।।१३।। For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org

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