Book Title: Aadhunik Hindi Jain Sahitya
Author(s): Saroj K Vora
Publisher: Bharatiya Kala Prakashan

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Page 9
________________ आशीर्वचन "आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य" शीर्षक शोधप्रबन्ध को प्रकाशित होते देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। श्रीमती सरोज के वोरा ने बड़े परिश्रम से एक शोध-प्रबन्ध मेरे निर्देशन में पूर्ण किया था। श्रीमती सरोज के वोरा एक विधा-व्यसिनी शोध-छात्रा रही है। जैन धर्म-दर्शन और साहित्य में उनकी गहरी अभिरुचि रही है। शोध-प्रबन्ध में उनकी इस अभिरुचि का प्रतिबिम्बन हुआ है। जैन साहित्य सम्बन्धी सम्भवतः यह प्रथम अध्ययन है। जिसमें साहित्य की समस्त विधाओं का एकत्र आकलन किया गया है। आधुनिक के साथ-साथ प्राचीन एवं मध्यकालीन जैन-साहित्य का भी पृष्ठभूमि और परंपरा के साथ-साथ प्राचीन एवं मध्यकालीन जैन-साहित्य का भी पृष्ठभूमि और परंपरा के अंतर्गत यत्किचित आधिकारिक उल्लेख हुआ है। लेखिका ने अपने अध्ययन को अधिक प्रमाणित बनाने के लिए जैन धर्म और दर्शन के मूलतत्त्वों, नियमों आदि का प्रथम अध्ययन किया । प्रस्तुत ग्रन्थ में भावि शोध के लिए पर्याप्त सामग्री निहित है। अनेक ऐसे ग्रन्थों का प्रथम बार किसी शोध प्रबन्ध में उल्लेख और अध्ययन हुआ है जो किसी पुस्तकालय की एकान्त शोभावृद्धि करते रहे, किसी अध्येता के स्पर्श से नितान्त दूर अथवा किसी पुस्तक विक्रेता की दुकान के एक कोने में धूल-धूसरित रहें। श्रीमती डॉ. सरोज के वोरा का यह शोध-प्रबन्ध तो लेखकीय दीक्षा का प्रथम चरण है। विश्वास है उनकी लोखनी से और भी गम्भीर चिंतन परक तथा रचनात्मक ग्रंथों का प्रणयन होगा। मैं इस ग्रंथ का स्वागत करता हूँ। आशा है इस ग्रन्थ से पाठकों को लाभ पहुँचेगा। दयाशंकर शुक्ल 7-12-98 'नैमिष' 14 ए, पुनीत नगर, न्यू सभा रोड बड़ौदा-2

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