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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RDHA ENA HRIA 267 S अथ आदित्यहृदयं प्रा० 65605515 Serving Jinshasan 073558 gyanmandii@kobatirth.org For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਵਿਓਵਲੋਂ ਉੱਥੇ ਤੇਰੇ ਨੂੰ ਤੇ (c) For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir C OiciG.Dic अथ आदित्यहृदयप्रारंभः biciodic For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir NIA 111] AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAKS / ].1111 AAAAAAAAAAAAAAAAAARY a] oooooooooooooooose For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *॥श्रीगणेशायनमः॥॥अथआदित्यहृदयप्रारंभः॥॥आच म्यदेशकालौसंकीर्त्यममारोग्यावाप्तयेश्रीसवितृसूर्यनारायण * प्रीत्यर्थद्वादशनमस्काराख्यंकर्मकरिष्ये // // अथध्यानम् // * ॥ध्येयःसदासवितृमंडलमध्यवर्तीनारायणःसरसिजास नसन्निविष्टः // केयूरवान्मकरकुंडलवाकिरीटीहारीहिरण मयवपुर्धतशंखचक्रः // 1 // एकचक्रोरथोयस्यदिव्यःकन कभूषितः॥ समेभवतुसुप्रीत पद्महस्तोदिवाकरः // 2 // मि बायनमः ॥खयेनमः / / सूर्यायनमः।। भानवेनमःखगाय * नमः॥ पूष्णेनमः॥ हिरण्यगर्भायनमः॥ मरीचयेनमःआ। दित्यायनमः॥ सवित्रेनमः॥अर्कायनमः॥ भास्करायनमः / / // 12 // ॥नमःसवित्रेजगदेकचक्षुषेजगत्प्रसूतिस्थितिना शहेतवे // त्रयीमयायत्रिगुणात्मधारिणेविरिचिनारायणशं| करात्मने // 1 // नमोस्तुसूर्यायसहस्ररश्मयेसहस्रशाखा / ******************************** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - / न्वितसंभवात्मने // सहस्रयोगोद्भवभावभाविनेसहस्रम * ख्यायुगधारिणेनमः // 2 // आदित्यस्यनमस्कारंयेकुर्व तिदिनेदिने // जन्मांतरसहस्रेषुदारियंनोपजायते // 3 // in इतिनमस्काराः॥ // शतानीकउवाच // // कथमादि त्यमुद्यतमुपतिष्ठेद्विजोत्तम // एतन्मेब्रूहिवित्रंद्रप्रपद्येशर तव / / 1 // // सुमंतुरुवाच // // इदमेवपुरापृष्टःशंख / चक्रगदाधरः // प्रणम्यशिरसादेवमर्जुनेनमहात्मना // 2 // कुरुक्षेत्रमहाराजनिवृत्तेभारतरणे // कृष्णनाथंसमासाद्य : प्रार्थयित्वाऽब्रवीदिदम् // 3 // / अर्जुनउवाच // ॥ज्ञानं चधर्मशास्त्राणांगुह्याद्गुह्यतरंतथा // मयाकृष्णपरिज्ञातंवा / * ङ्मयंसचराचरम् // 4 // सूर्यस्तुतिमयंन्यासंवक्तुमर्हसिमा धव // भत्त्यापृच्छामिदेवेशकथयस्वप्रसादतः // 5 // सू र्यभक्तिकरिष्यामिकथंसूर्यप्रपूजयेत् // तदहंश्रोतुमिच्छामि * M For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्वत्प्रसादेनयादव॥६॥ ॥श्रीभगवानुवाच // ॥रुद्रादिदैवतैः / * सर्वैःपृष्टेन कथितंमया ॥वक्ष्येऽहंसूर्यविन्यासंशृणुपांडषयत्नतः / अस्माकंयत्त्वयापृष्ठमेकचित्तोभवार्जुन / तदहंसंप्रवक्ष्या *मिआदिमध्यवसानकम् // 8 // // अजुन उवाच // // नारा * यणसुरश्रेष्ठपृच्छामित्वांमहायशः॥ कथमादित्यमुद्यंतमुपति / / * छत्सनातनम् // 9 // // श्रीभगवानुवाच // // साधुपार्थमहा बाहोबुद्धिमानसिपांडव // यन्मांपृच्छस्युपस्थानंतत्पवित्रवि * भावसोः // 10 // सर्वमंगलमांगल्यंसर्वपापप्रणाशनम् / / स विरोगप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् // 11 // अमित्रदमनंपार्थसं|| ग्रामेजयवर्धनम्॥वर्धनंधनपुत्राणामादित्यहृदयंशृणु // 12 // यच्छृत्वासर्वपापेभ्योमुच्यतेनात्रसंशयः॥त्रिषुलोकेषुविख्या * तंनिःश्रेयसकरंपरम्।।१३।। देवदेवंनमस्कृत्यप्रातरुत्थायचार्जु| नाविनान्यनेकरूपाणिनश्यंतिस्मरणादपि॥१४॥ तस्मात्सर्व / / -- For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - hca - *************************** प्रयत्नेनसूर्यमावाहयेत्सदा॥आदित्यहृदयंनित्यंजाप्यंतच्छृणु। पांडव।।१५॥ यजपान्मुच्यतेजंतुर्दारिद्यादाशुदुस्तरात् // लभ तेचमहासिद्धिंकुष्ठव्याधिविनाशिनीम्॥१६॥अस्मिन्मंत्रेऋषि छंदोदेवताशक्तिरेवचा|सर्वमेवमहाबाहोकथयामितवाग्रतः॥ // 17 // मयातेगोपितंन्यासंसर्वशास्त्रप्रबोधितम्।।अथतेकथयि *ष्यामिउत्तमंमंत्रमेवच।१८। ओंअस्यश्रीआदित्यहृदयस्तोत्रमं त्रस्य।श्रीकृष्णऋषिः॥श्रीसूर्यात्मात्रिभुवनेश्वरोदेवता॥अनु / *ष्टुप्छंदःहरितहयरथंदिवाकरंघृणिरितिबीजम्|ऑनमोभगव तेजितवैश्वानरजातवेदसेइतिशत्तिः॥ॐनमोभवतेआदित्या *यनमइतिकीलकम्॥ओंअग्निगर्भदेवताइतिमंत्रः॥नमोभ . गवतेतुभ्यमादित्यायनमोनमः॥श्रीसूर्यनारायणप्रीत्यर्थजपे विनियोगः॥अथन्यासः।।ओहांअंगुष्ठाभ्यांनमःओंहींतर्ज नीभ्यांनमः|ओहूंमध्यमाभ्यांनमः॥ओं,अनामिकाभ्यान ** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****** ************************* माओहौंकनिष्ठिकाभ्यांनमः॥ओन्हःकरतलकरपृष्ठाभ्यांन *मःओन्हांहृदयायनमःओन्हींशिरसेस्वाहा।ओंहूंशिखायै| वषट्।ओंकवचायहुम् ॥ओन्हौंनेत्रत्रयायवौषट् ॥ऑन्हः अस्त्रायफट् // ओन्हांहींहूं,न्हौंन्हः // इतिदिग्बंध // अथ ध्यानम् // भास्वदनाब्यमौलिंस्फुरदधररुचारंजितंचारकेश *भास्वंतंदिव्यतेजःकरकमलयुतंस्वर्णवर्णप्रभाभिः॥ विश्वाका शावकाशग्रहपतिशिखरेभातियश्चोदयाद्रौसर्वानंदप्रदाताह रिहरनमितःपातुमांविश्वचक्षुः।।१।। पूर्वमष्टदलंप प्रणवादिप * तिष्ठितम् // मायाबीजंदलाष्टाग्रेयंत्रमुद्धरयेदिति // 2 // आदि त्यंभास्करमानुरविंसूर्यदिवाकरम् // मार्तडंतपनंचेतिदलेष्व ष्टसुयोजयेत् // 3 // दीप्तासूक्ष्माजयाभद्राविभूतिर्विमलातथा। अमोघाविद्युताचेतिमध्येश्रीःसर्वतोमुखी ॥४॥सर्वज्ञःसर्वगः चैवसर्वकारणदेवता // सर्वेशंसर्वहृदयंनमामिसर्वसाक्षिणम् , ********************** ********** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ० 5 // सर्वात्मासर्वकर्ताचसृष्टिजीवनपालकः॥हितःस्वर्गापव श्रमास्करेशनमोस्तुते // 6 // इतिप्रार्थना // नमोनमस्तेऽस्तु सदाविभावसोसर्वात्मनेसप्तहयायभानवे // अनंतशक्तिर्मणि|| भूषणेनददस्वभुक्तिमममुक्तिमव्ययाम् ॥७॥अर्कतुमूर्तिवि न्यस्यललाटेतुरविन्यसेत्॥विन्यसेन्नेत्रयोःसूर्यकर्णयोश्चदिवा * करम् // 8 // नासिकायांन्यसेद्भानुंमुखेवैभास्करन्यसेत् // प *र्जन्यमोष्ठयोथैवतीक्ष्णंजिवांतरेन्यसेत् // 9 // सुपर्णरेतसंकंठे स्कंधयोस्तिग्मतेजसम् // बावोस्तुपूषणंचैवमित्रंवैपृष्ठतोन्यसे त् // 10 // वरुणंदक्षिणेहस्तेत्वष्टारंवामतःकरे // हस्तावुष्ण करःपातुहृदयंपातुभानुमान् // 11 // उदरेतुयमविद्यादादित्यं नाभिमंडल।कट्यांतुविन्यसेद्धंसंरुद्रमूर्वोस्तुविन्यसेत् // 12 // जान्वोःसुगोपतिन्यस्यसवितारंतुजंघयोः॥ पादयोश्वविवस्वं * तंगुल्फयोश्चदिवाकरम् // 13 // बाह्यतस्तुतमोध्वंसंभगमभ्यं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - तरंन्यसेत् // सर्वोगेषुसहस्रांशुदिग्विदिक्षुभगंन्यसेत् // 14 // // इतिदिग्बंधः // // एषआदित्यविन्यासोदेवानामपिदु र्लभः // इमभक्त्यान्यसेत्पार्थसयातिपरमांगतिम् // 15 // * कामक्रोधकृतात्पापान्मुच्यतेनात्रसंशयः // सर्पादपिभयं नवसग्रामपथिष्वपि / / 16 // रिपुसंघट्टकालेषुतथाचोरस मागमे // त्रिसंध्यंजपतोन्यासंमहापातकनाशनम् / / 17 // * विस्फोटकसमुत्पन्नतीव्रज्वरसमुद्भवम् // शिरोरोगंनेत्ररोगं सर्वव्याधिविनाशनम् // 18 // कुष्ठव्याधिस्तथादगुरोगाश्च विविधाश्चये // जपमानस्यनश्यतिशृणुभक्त्यातदर्जुन // // 19 // आदित्योमंत्रसंयुक्तआदित्योभुवनेश्वरः // आदि त्यान्नापरोदेवोह्यादित्य परमेश्वरः // 20 // आदित्यमर्चये * ब्रह्माशिवआदित्यमर्चयत् // यदादित्यमयंतेजोममतेजस्त दर्जुन // 21 // आदित्यंमंत्रसंयुक्तमादित्यंभुवनेश्वरम् // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir hey 4 * आदित्यंयेप्रपश्यंतिमांपश्यतिनसंशयः // 22 // त्रिसंध्यम येत्सूर्यस्मरेद्भक्त्यातुयोनरः // नसपश्यतिदारियंजन्मज न्मनिचार्जुन // 23 // एतत्तेकथितंपार्थआदित्यहृदयंमया।। शृण्वन्मुक्त्वाचपापेभ्यःसूर्यलोकेमहीयते // 24 // ओंन : मोभगवतेतुभ्यमादित्यायनमोनमः // आदित्यःसवितासू यःखगःपूषागभस्तिमान् // 25 // सुवर्णःस्फटिकोभानुः स्फुरितोविश्वतापनः / / रविविश्वोमहातेजाःसुवर्णःसुप्रबोध *कः // 26 // हिरण्यगर्भत्रिशिरास्तपनोभास्करोरविः // मार्तडोगोपतिःश्रीमान्कृतज्ञश्चप्रतापवान् // 27 // तमिस्र * *हाभगोहंसोनासत्यश्चतमोजुदः // शुद्धोविरोचन केशीसह स्रांशुर्महाप्रभुः // 28 // विवस्वान्पूषणोमृत्युमिहिरोजामद म्यजित् // धर्मरश्मि पतंगश्वशरण्योमित्रहातपः // 29 // दुर्विज्ञेयगतिःशूरस्तेजोराशिमहायशाः // शंभुश्चित्रांगदः 4 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौम्योहव्यकव्यप्रदायकः // 30 // अंशुमानुत्तमोदेवऋग्य जुःसामएवच // हरिदश्वस्तमोदारः सप्तसप्तिमरीचिमान / // 31 // अग्निगर्भोऽदितेःपुत्रःशंभुस्तिमिरनाशनः // पूषा विश्वंभरोमित्रःसुवर्णःसुप्रतापवान् // 32 // आतपीमंडली भास्वान्तपनःसर्वतापनः // कृतविश्वोमहातेजाःसर्वरत्नम, योद्भवः // 33 // अक्षरश्चाक्षरश्चैवप्रभाकरविभाकरौ // चंद्र चंद्रांगदःसौम्योहव्यकव्यप्रदायकः // 34 // अंगारकोंग दोऽगस्तीरक्तांगश्चांगवर्द्धनः // बुद्धोबुद्धासनोबुद्धिर्बुद्धा त्माबुद्धिवर्द्धनः // 35 // बृहद्भानुहद्भासोबृहद्धामाबृहस्प। * तिः // शुक्लस्त्वंशुक्लरेतास्त्वंशुक्लांगःशुलभूषणः / / 36 // शनिमान्शनिरूपस्त्वंशनैर्गच्छसिसर्वदा // अनादिरादिरा *दित्यस्तेजोराशिर्महातपाः // 37 // अनादिरादिरूपस्त्व में मादित्योदिक्पतिर्यमः // भानुमान्भानुरूपस्त्वस्वर्भानुर्भानु - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ० ovie m दीप्तिमान् // 38 // धूमकेतुर्महाकेतुःसर्वकेतुरनुत्तमम् / / तिमिरावरणःशंभुःस्रष्टामार्तडएवच // 39 // नमःपूर्वाय गिरयेपश्चिमायनमोनमः // नमोत्तरायगिरयेदक्षिणायन मोनमः // 40 // नमोनमःसहस्रांशोह्यादित्यायनमोनमः।। नमःपद्मप्रबोधायनमस्तेद्वादशात्मने // 41 // नमोविश्वप्र बोधायनमोभ्राजिष्णुजिष्णवे / ज्योतिषेचनमस्तुभ्यंज्ञाना कायनमोनमः // 42 // प्रदीप्तायप्रगल्भाययुगांतायनमो नमः // नमस्तेहोतृपतयेपृथिवीपतयेनमः // 43 // नमों * कारवषट्कारसर्वयज्ञनमोस्तुते // ऋग्वेदादियजुर्वेदसामवे *दनमोस्तुते // 44 // नमोहाटकवर्णायभास्करायनमोन मः॥ जयायजयभद्रायहरिदश्वायतेनमः // 45 // दिव्या . * यदिव्यरूपायग्रहाणांपतयेनमः // नमस्तेशुचयेनित्यंनमः / कुरुकुलात्मने // 46 // नमस्त्रैलोक्यनाथायभूतानांपतयेन 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मः॥ नमःकैवल्यनाथायनमस्तेदिव्यचक्षुषे // 47 // त्वं ज्योतिस्त्वंद्युतिर्ब्रह्मात्वं विष्णुस्त्वंप्रजापतिः // त्वमेवरुद्रोरुद्रा *त्मावायुरग्निस्त्वमेवच // 48 // योजनानांसहस्रद्वेदेशतेदे*चयोजने // एकेननिमिषाःनक्रममाणनमोस्तुते // 49 // नवयोजनलक्षाणिसहस्रदिशतानिच // यावद्धटीप्रमाणेन * क्रममाणनमोस्तुते // 50 // अग्रतस्तुनमस्तुभ्यंपृष्ठतश्वसदा नमः // पार्वतश्चनमस्तुभ्यंनमस्तेचास्तुसर्वदा / / 51 / / न मासुरारिहंत्रेचसोमसूर्याग्निचक्षुषे // नमोदिव्यायव्योमाय * सर्वतंत्रमयायच // 52 // नमोवेदांतवेद्यायसर्वकर्मादिसा / क्षिणे // नमोहरितवर्णायसुवर्णायनमोनमः // 53 // अरु णोमाघमासेतुसूर्योवैफाल्गुनेतथा // चैत्रमासेतुवेदांगोभानु वैशाखतापनः // 54 // ज्येष्ठमासेतपेदित्यआषाढतपतेर विः॥ गभस्तिःश्रावणेमासेयमोभाद्रपदेतथा // 55 // इषे / - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / सुवर्णरेताश्रकार्तिकेचदिवाकरः // मार्गशीतपेन्मित्रःपौषे / विष्णुःसनातनः // 56 // पुरुषस्त्वधिकमासेमासाधिक्ये तुकल्पयेत् // इत्येतेद्वादशादित्या काश्यपेया:प्रकीर्तिताः Vilm 57 // उग्ररूपमहात्मानस्तपतेविष्णुरूपिणः॥ धर्मार्थका ममोक्षाणांप्रस्फुटाहेतवोनृप // 58 // सर्वपापहरंचैवमादि त्यसंप्रपूजयेत् // एकधादशधाचैवशतधाचसहस्रधा / / 59 // तपंतेविश्वरूपेणसृजतिसंहरंतिच // एषविष्णुःशिवःथैवब्रह्मा चैवप्रजापतिः // 60 // महेंद्रश्चैवकालश्चयमोवरुणएवच // नक्षत्रग्रहताराणामधिपोविश्वतापनः // 61 // वायुरनिर्धना / ध्यक्षोभूतकर्तास्वयंप्रभुः / एषदेवोहिदेवानांसर्वमाप्यायते जगत् // 62 // एषकाहिभूतानांसंहर्तारक्षकस्तथा // एष. लोकानुलोकश्चसप्तद्वीपाथसागराः / / 63 // एषपातालसप्त 6 स्थौदैत्यदानवराक्षसाः // एषधाताविधातावबीजक्षेत्रंप्रजा For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir **** पतिः // 64 // एषएवप्रजानित्यंसंवर्द्धयतिरश्मिभिः॥ एष यज्ञःस्वधास्वाहा हीःश्रीश्चपुरुषोत्तमः // 65 // एषभूता त्मकोदेवःसूक्ष्मोव्यक्तःसनातनः॥ ईश्वर सर्वभूतानांपरमेष्ठी प्रजातिः // 66 // कालात्मासर्वभूतात्मावेदात्माविश्वतोमु खः // जन्ममृत्युजराव्याधिसंसारभयनाशनः // 67 // दा रिद्यव्यसनध्वंसीश्रीमान्देवोदिवाकरः // विकर्तनोविवस्वां श्रमार्तडोभास्करोरविः // 68 // लोकप्रकाशकःश्रीमाँल्लोक चक्षुर्घहेश्वरः // लोकुसाक्षीत्रिलोकेशःकर्ताहर्तातमिस्रहा // 69 // तपनस्तापनश्चैवशुचिःसप्ताश्ववाहनः // गभस्ति हस्तोब्रह्मण्यःसर्वदेवनमस्कृतः॥ 70 // आयुरारोग्यमैश्वर्य नरानार्यश्चमंदिरे // यस्यप्रसादात्संतुष्टिरादित्यहृदयंजपेत् / // 71 // इत्येतैर्नामभिःपार्थआदित्यंस्तौतिनित्यशः // प्रा तरुत्थायकौंतेयतस्यरोगभयंनहि // 72 // पातकान्मुच्य : ************* For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir he ******************************** तेपार्थव्याधिभ्यश्चनसंशयः // एकसंध्यंदिसंध्यवासर्वपापैः। प्रमुच्यते // 73 // त्रिसंध्यंजपमानस्तुजपेच्चपरमपदम् // यद हात्कुरुतेपापंतदन्हात्पतिमुच्यते // 74 // यद्राव्यात्कुरुतेपा पंतद्राश्यात्पतिमुच्यते॥ दद्रुस्फोटककुष्ठानिमंडलानिविधूचि का // 75 // सर्वव्याधिमहारोगभूतबाधास्तथैवच // डा किनीशाकिनीचैवमहारोगभयंकुतः // 76 // येचान्येदुष्टरो गाश्चज्वरातिसारकादयः // जपमानस्यनश्यंतिजीवेचशर दांशतं // 77 // संवत्सरेणमरणंयदायस्यध्रुवंभवेत् // आ * शीर्षांपश्यतिच्छायामहोरात्रंधनंजय // 78 // यस्त्विदंपठ तमत्त्याभानुवारेमहात्मनः // प्रातःस्नानेकृतेपार्थएकाग्रकृत मानसः // 79 // सुवर्णचक्षुर्भवतिनचांधस्तुप्रजायते // पु त्रवान्धनसंपन्नोजायतेचारुजःसुखी // 8 // सर्वसिद्धिम वामोतिसर्वत्र विजयीभवेत् // आदित्यहृदयंपुण्यंसर्वनामवि **************************** **tt For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूषितम् // 81 // श्रुत्वाचनिखिलंपार्थसर्वपापैःप्रमुच्यते // अतःपरतरंनास्तिसिद्धिकामस्यपांडव // 82 // एतजपस्व कौंतेययेनश्रेयोझवाप्यसि // आदित्यहृदयंनित्यंयःपठेत्सु समाहितः // 83 // भ्रूणहामुच्यतेपापात्कृतनोब्रह्मघातकः॥ *गोनःसुरापोदुभोंगीदुष्पतिग्रहकारकः // 84 // पातकानिचस *णिदहत्येवनसंशयः // यइदंशृणुयानित्यंजपेदापिसमाहि तः॥८५॥ सर्वपापविशुद्धात्मासूर्यलोकेमहीयते // अपुत्रोल * भतेपुत्रान्निर्धनोधनमाप्नुयात् // 86 // कुरोगीमुच्यतेरोगाद क्यायःपठतेसदा // यस्त्वादित्यदिनेपार्थनाभिमात्रजलेस्थि तः॥८॥ उदयाचलमारूढंभास्करप्रणतःस्थितः॥ जपतेमा नवोभत्त्याशृणुयाद्वापिभक्तितः॥८॥सयातिपरमंस्थानंय त्रदेवोदिवाकरः।। अमित्रदमनंपार्थयदाकर्तुसमारभेत्।।८९॥ तदाप्रतिकृतिकृत्वाशत्रोश्चरणपांसुभिः॥ आक्रम्यवामपादेन ******************************* - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदित्यहृदयंजपेत् // 90 // एतन्मंत्रंसमाहूयसर्वसिद्धिकरंपर / म्॥ऑन्हीहिमालीदंस्वाहा // ओहीनिलीढंस्वाहा / / ओही मालीढंस्वाहा // // इतिमंत्रः॥॥ त्रिमिश्चरोगीभवतिज्वरीम वतिपंचभिः ॥जपैस्तुसप्तभिःपार्थराक्षसींतनुमाविशेत् // 9 // राक्षसेनाभिभूतस्यविकारान् शृणुपांडव // गीयतेनृत्यतेनग्न * आस्फोटयतिधावति ॥९२।।शिवारुतंचकुरुतेहसतेकंदतेपुनः एवंसंपीडयतेपार्थयद्यपिस्यान्महेश्वरः // 93 // किंपुनर्मानु *षःकश्चिच्छौचाचारविवर्जितः॥ पीडितस्यनसंदेहोज्वरोभव *तिदारुणः // 94 // यदाचानुग्रहंतस्यकर्तुमिच्छेच्छुभंकरम् // *तदासलिलमादायजपेन्मंत्रमिमंबुधः // 95 // नमोभगवते तुभ्यमादित्यायनमोनमः॥ जयायजयभद्रायहरिदश्वायतेन *मः॥९६|स्नापयेत्तेनमंत्रणशुभंभवतिनान्यथा / / अन्यथाचभ . * वेदोषोनश्यतेनात्रसंशयः॥९७॥ अतस्तेनिखिल प्रोक्तःपूजा ******************************** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ************ ****************** चैवनिबोधमे।।उपलिप्यशुचौंदेशेनियतेवाग्यतःशुचिः॥१८॥ वृत्तवाचतुरस्रवालिप्तभूमौलिखेच्छुचिः ॥त्रिधातत्रलिखेत्पद्म मष्टपत्रसकर्णिकम्।।९९॥अष्टपत्रंलिखेत्पमंलिप्तगोमयमंडले। पूर्वपत्रेलिखेत्सूर्यमाग्नेय्यांतुरविन्यसेत् // 100 // याम्यायांच विवस्वंतंनैर्ऋत्यांतुभगंन्यसेत्॥प्रतीच्यांवारुणंविद्यादायव्यां मित्रमेवच // 101 // आदित्यमुत्तरेपत्रेईशान्यांविष्णुमेवच॥म, *ध्येतुभास्करविंद्यात्क्रमेणैवंसमर्चयेत्॥१०२ / / अतःपरतरंना * स्तिसिद्धिकामस्यपांडव / / महातेजःसमुद्यतंप्रणमेत्सकृतांज लिः॥१०३॥सकेसराणिपद्मानिकरवीराणिचार्जुन॥ तिलतंडु लसंयुक्तंकुशगंधोदकेनच // 104 // रक्तचंदनमिश्राणिकृत्वावै ताम्रभाजने।।धृत्वाशिरसितत्पात्रंजानुभ्यांधरणीस्पृशेत् 105 मंत्रपूतंगुडाकेशचाय॑दद्याद्गभस्तये // सायुधंसरथंचैवसूर्य - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ० मावाहयाम्यहम् // 106 // // स्वागतोभव॥सुप्रतिष्ठोभव।स। निधोभव // सन्निहितोभव // संमुखोभव॥ ॥इतिपंचमुद्राः।। स्फुटयित्वाऽर्हयेत्सूर्यभुक्तिमुक्तिलभेन्नरः // 107 // ॥ओश्रीं विद्यांकिलिकिलिकटकेष्टसर्वार्थसाधनायस्वाहा // ओश्रीं हीहहंसःसूर्यायनमःस्वाहा // श्रीं हांहींहूंछैन्होंन्हः सूर्यमूर्तयेस्वाहा // ओश्रींहीखंखःलोकायसर्वमूर्तयेस्वाहा। ओंडूंमार्तडायस्वाहा ।।नमोस्तुसूर्यायसहस्रभानवेनमोऽस्तुवै श्वानरजातवेदसे // त्वमेवचार्यप्रतिगृह्नदेवदेवाधिदेवायन मोनमस्ते // 108 // नमोभगवतेतुभ्यं नमस्तेजातवेदसे // * दत्तमय॑मयाभानोत्वंग्रहाणनमोस्तुते // 109 // एहिसूर्यस हस्रांशोतेजोराशेजगत्पते // अनुकंपयमांदेवगृहाणाय॑नमो स्तुते // 110 // नमोभगवतेतुभ्यंनमस्तेजातवेदसे // ममेद * मर्यगृह्णत्वंदेवदेवनमोस्तुते // 111 // सर्वदेवायदेवायआ|| For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****** トキメキ本来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来味 धिव्याधिविनाशिने // इदंगृहाणमेदेवसर्वव्याधिविनश्यतु॥ Film११२॥नमःसूर्यायशांतायसर्वरोगविनाशिने // ममेप्सितं : फलंदत्वाप्रसीदपरमेश्वर // 113 // ओनमोभगवतेसूर्यायस्वा / हा // ओशिवायस्वाहा // सर्वात्मनेसूर्यायनमःस्वाहा // ऑअक्षय्यतेजसेनमःस्वाहा ॥सर्वसंकष्टदारिद्यंशत्रुनाशयना / शय // सर्वलोकेऽविश्वात्मासर्वात्मासर्वदर्शकः // 114 // न * मोमगवतेसूर्यकुष्ठरोगान्विखंडय // आयुरारोग्यमैश्वर्यदेहिदे / वनमोस्तुते // 115 // नमोभगवतेतुभ्यमादित्यायनमोन *मः॥ओंअक्षय्यतेजसेनमः॥ ॥ओंसूर्यायनमः॥ विश्व मूर्तयेनमः॥ ॥आदित्यंचशिवविद्याच्छिवमादित्यरूपिण* म् // उभयोरंतरंनास्तिआदित्यस्यशिवस्यच // 116 // एत दिच्छाम्यहंश्रोतुंपुरुषोवैदिवाकरः / / उदयेब्रह्मणोरूपंमध्या में न्हेतुमहेश्वरः॥११७॥ अस्तमानेस्वयंविष्णुत्रिमूर्तिश्चदिवा ************************ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ० ह० करः // नमोभगवतेतुभ्यंविष्णवेप्रभाविष्णवे // 118 // ममेद मर्थ्यप्रतिगृह्णदेवदेवाधिदेवायनमोनमस्ते ।।११९||श्रीसूर्याय सांगायसपरिवारायश्रीसूर्यनारायणायेदमय॑म् // हिमनाय तमोघ्नायरक्षोनायचतेनमः // कृतननायसत्यायतस्मैसूर्यात्म नेनमः // 120 // जयोजयश्चविजयोजितप्राणोजितश्रमः मनोजवोजितक्रोधोवाजिनःसप्तकीर्तिताः // 121 // हरित हयरथंदिवाकरंकनकमयांबुजरेणुपिंजरम् // प्रतिदिनमुदयं : नवनवंशरणमुपैमिहिरण्यरेतसम् / / 122 / / नुतंव्याला प्रबा धंतेनव्याधिभ्योभयंभवेत् // ननागेभ्योभयंचैवनचभूतभयं कचित् / / 123 // अग्निशत्रुभयनास्तिपार्थिवेभ्यस्तथैव च।।दुर्ग तितरतेघोरांप्रजांचलभतपशून् / सिद्धिकामोलभेतसिद्धिंक न्याकामस्तुकन्यकाम्॥एतत्पठेत्सकौंतेयभक्तियुक्तेनचेतसा // 125 // अश्वमेधसहस्रस्यवाजपयशतस्यच॥कन्याकोकोटि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -- हस्रस्यदत्तस्यफलमाप्नुयात् ॥१२६॥इदमादित्यहृदयंयोऽधीते / * सततंनरः॥सर्वपापविशुद्धात्मासूर्यलोकेमहीयते॥१२७॥ ना स्त्यादित्यसमोदेवोनास्त्यादित्यसमागतिः। प्रत्यक्षोभगवा विष्णर्येन विश्वप्रतिष्ठितम् / / 128 // नवतिर्योजनंलक्षसहस्रा / णिशतानिच // यावद्धटीप्रमाणेनतावचरतिभास्करः॥१२९॥ गवांशतसहस्रस्यसम्यद्गत्तस्ययत्फलम् // तत्फलं लभतेवि द्वानशांतात्मास्तौतियोरविं // 130 // योऽधीतेसूर्यहृदयंस कलंसफलंलभेत् // अष्टानांब्राह्मणानांचलेखयित्वासमर्पयेत् / // 131 // ब्रह्मलोकेऋषीणांचजायतेमानुषोपिवा // जाति स्मरत्वमाप्नोतिशुद्धात्मानात्रसंशयः // 132 // अजायलो कत्रयपावनायनमोमहाकारुणिकोत्तमाय // 133 // विव * स्वतेज्ञानभृतांतरात्मनेजगत्प्रदीप्तायजगद्धितैषिणे // स्वयं भुवेदीप्तसहस्रचक्षुषेसुरोंत्तमायामिततेजसेनमः // 134 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह सुररेनेक परिसेवितायहिरण्यगर्भायहिरण्मयाय // महात्म नेमोक्षपदायनित्यंनमोऽस्तुतेवासरकारणाय // 135 // आ दित्यश्वार्चितोदेवआदित्यःपरमपदम् // आदित्योमातृको ॐ भूत्वाआदित्योवाङ्मयंजगत् // 136 // आदित्यंपश्यतेभ त्यामांपश्यतिध्रुवंनरः॥नादित्यंपश्यतेभक्त्यानसपश्यतिमां नरः१३७॥ त्रिगुणंचत्रितत्वंचत्रयोदेवास्त्रयोऽमयःात्रयाणां चत्रिमूर्तिस्त्वंतुरीयस्त्वंनमोऽस्तुते // 138 // नमःसवित्रेजग / / * देकचक्षुषेजगत्प्रसूतिस्थितिनाशहेतवे ॥त्रयीमयायत्रिगुणा *त्मधारिणेविरिचिनारायणशंकरात्मने // 139 // यस्योदयेनेह जगत्प्रवुद्धयतेप्रवर्ततेचाखिलकर्मसिद्धये // ब्रहेंद्रनारायणरु - द्रवंदितःसनःसदायच्छतुमंगलंरविः॥१४०॥नमोऽस्तुसूर्याय सहस्ररश्मयेसहस्रशाखान्वितसंभवात्मने // सहस्रयोगोद्भव / 11 भावभागिनेसहस्रसंख्यायुगधारिणेनमः // 141 // यन्म 亲李米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米米 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डलंदीप्तिकरंविशालंरत्नप्रभंतीव्रमनादिरूपम् // दारिद्यदुः। खक्षयकारणंचपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 142 // यन्मंडलं|| * देवगणैःसुपूजितंविप्रैःस्तुतंभावनमुक्तिकोविदम् // तदेव | * देवंप्रणमामिसूर्यपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 143 // यन्म *डलंज्ञानघनत्वगम्यंत्रैलोक्यपूज्यंत्रिगुणात्मरूपम् // समस्त तेजोमयदिव्यरूपंपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 144 // यन्म *||डलंगूढमतिप्रबोधंधर्मस्यवृद्धिंकुरुतेजनानाम् // तत्सर्वपाप *क्षयकारणंचपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 145 // यन्मंडलं. *व्याधिविनाशदक्षयदृग्यजुःसामसुसंप्रगीतम् // प्रकाशितं * *येनचभूर्भुवःस्वःपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 146 // यन मंडलंवेदविदोवदंतिगायंतियच्चारणसिद्धसंघाः // यद्योगि नोयोगजुषांचसंघाःपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 147 // * यन्मंडलंसर्वजनेषुपूजितंज्योतिश्चकुर्यादिहमर्त्यलोके // य For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह **************************** कालकालादिमनादिरूपंपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम्॥१४॥ * यन्मंडलंविष्णुचतुर्मुखाख्यंयदक्षरंपापहरंजनानाम् // यत् कालकल्पक्षयकारणंचपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 149 // * यन्मंडलंविश्वसृजंप्रसिद्धमुत्पत्तिरक्षाप्रलयप्रगल्भं // यस्मि जगत्संहरतखिलंचपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // १५०॥य न्मंडलंसर्वगतस्यविष्णोरात्मापरंधामविशुद्धतत्वम् // सूक्ष्मां तरैयोगपथानुगम्यंपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 151 // यन्मं| * डलंब्रह्मविदोवदंतिगायंतियच्चारणसिद्धसंघाः // यन्मंडलं| वेदविदःस्मरतिपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 152 // यन्मंड लंवेदविदोपगीतंयद्योगिनांयोगपथानुगम्यम् // तत्सर्ववेदं प्रणमामिसूर्यपुनातुमांतत्सवितुर्वरेण्यम् // 153 // मंगला टमिदंपुण्यंय पठेत्सततंनरः // सर्वपापविशुद्धात्मासूर्यलोके 12 * महीयते॥१५४॥ध्येयःसदासवितृमंडलमध्यवर्तीनारायणः *** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****************************** *सरसिजासनसन्निविष्टः।। केयूरखान्मकरकुंडलवानकिरीटीहा *रीहिरण्मयवपुर्धतशंखचक्रः // 155 // सशंखचक्ररविमंडले| स्थितंकुशेशयाक्रांतमनंतमच्युतम् // भजामिबुद्धयातपनीय मूर्तिसुरोत्तमंचित्रविभूषणोज्ज्वलम् // 156 // एवंब्रह्मादयो देवाऋषयश्चतपोधनाः // कीर्तयंतिसुरश्रेष्ठंदेवनारायणंवि के भुम् // 157 // वेदवेदांगशारीरंदिव्यदीप्तिकरंपरम् / / रक्षो रक्तवर्णचसृष्टिसंहारकारकम् // 158 // एकचक्रोरथोयस्य * दिव्याकनकभूषितः / / समेभवतुसुप्रीतःपद्महस्तोदिवाकरः। // 159 // आदित्यःप्रथमंनामद्वितीयंतुदिवाकरः॥ तृतीयंभा * स्करःप्रोक्तंचतुर्थतुप्रभाकरः // 160 // पंचमंतुसहस्रांशुःषष्ठं * चैवत्रिलोचनः // सप्तमंहरिदश्वश्चअष्टमंचविभावसुः॥१६१॥ नवमंदिनकृत्प्रोक्तंदशमंद्वादशात्मकम् // एकादशंत्रयीमूर्ति दशंसूर्यएवच // 162 / द्वादशादित्यनामानिप्रातःकाले For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पठेन्नरः॥ दुःस्वननाशनंचैवसर्वदुःखंचनश्यति॥१६३॥ दद्रु कुष्ठहरचैवदारिद्यहरतध्रुवम् // सर्वतीर्थप्रदंचैवसर्वकामप्रवर्ध नम् // 164 // यःपठेत्प्रातरुत्थायभक्त्यानित्यमिदंनरः॥ सौ *ख्यमायुस्तथारोग्यंलभतेमोक्षमेवच // 165 // अग्निमीळेन मस्तुभ्यामिषेत्योर्जेवरूपिणे // अग्नआयाहिवीतस्त्वंनमस्ते ज्योतिषांपते // 166 // शन्नोदेविनमस्तुभ्यंजगचक्षुर्नमो *स्तुते // पंचमायोपवेदायनमस्तुभ्यंनमोनमः // 167 // पद्मा * सन पद्मकरःपद्मगर्भसमद्युतिः // सप्ताश्वरथसंयुक्तोद्विभुजः * स्यात्सदारविः।।१६८॥आदित्यस्यनमस्कारंयेकुर्वतिदिनदि ने // जन्मांतरसहस्रेषुदारियनोपजायते // 169 / / उदयगिरि *मुपेतंभास्करपद्महस्तनिखिलभुवननेत्ररत्नरत्नोपमेयम् // ति * मिरकरिमृगेंदबोधकंपद्मिनीनांसुखकरमभिवंदेसुंदरंविश्ववंद्य *म॥१७०॥ ॥इतिश्रीभ.पु०श्रीकृष्णार्जु०सं०आ•स्तो०सं०॥ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 米米米米米米米米米米米米乘半米米米米米米米米米 // श्रीगणेशायनमः // // अथनवग्रहस्तोत्रप्रारंभः॥ // *जपाकुसुमसंकाशंकाश्यपेयंमहद्युतिम् // तमोरिसर्वपापघ्नंप्र णतोऽस्मिदिवाकरम् // 1 // दधिशंखतुषाराभक्षीरोदार्णव संभवम् // नमामिशशिनंसोमंशंभोर्मुकुटभूषणम् // 2 // धरणीगर्भसंभूतंविद्युत्कांतिसमप्रभम् // कुमारंशक्तिहस्तंतं मंगलंप्रणमाम्यहम् // 3 // प्रियंगुकलिकाश्यामरूपेणाप्रति मंबुधम् / / सौम्यंसौम्यगुणोपेतंतंबु,प्रणमाम्यहम् // 4 // देवानांचऋषीणांचगुरुंकांचनसंनिभम् / / बुद्धिभूतंत्रिलोके : शंतनमामिबृहस्पतिम् // 5 // हिमकुंदमृणाला दैत्यानां * परमंगुरुम् / / सर्वशास्त्रप्रवक्तारंभार्गवंप्रणमाम्यहम् // 6 // नीलांजनसमामासंरविपुत्रंयमाग्रजम् // छायामार्तडसंभूतं / तनमामिशनैश्चरम् // 7 // अर्धकायंमहावीर्यचंदादित्य विमर्दनम् / / सिंहिकागर्भसंभूतंतंराहुँप्रणमाम्यहं // 8 // प ****************************** For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ******************************** लाशपुष्पसंकाशंतारकाग्रहमस्तकम् // रौद्रौद्रात्मकंघोरंत स्तो० केतुंप्रणमाम्यहम् // 9 // इतिव्यासमुखोद्गीतंय पठेत्सुस माहितः॥ दिवावायदिवारात्रोविनशांतिर्भविष्यति // 10 // नरनारीनृपाणांचभवेदुःस्वप्ननाशनम् // ऐश्वर्यमतुलंतेषा। मारोग्यंपुष्टिवर्द्धनम् // 11 // ग्रहनक्षत्रजाःपीडास्तस्करा |निसमुद्भवाः॥ ताःसर्वाःप्रशमंयांतिव्यासोब्रूतेनसंशयः // * // 12 // ॥इतिश्रीव्यासविरचितंआदित्यादिनवग्रहस्तो संपूर्णम् // श्रीआदित्यादिनवग्रहार्पणमस्तु // शुभंभवतु // - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह पुस्तक मुंबईमें पंडित श्रीधरशिवलालजीके ज्ञानसागर छापखानेके मालिकने अपने "ज्ञानसागर" छापखानेमें छापकर प्रसिद्धकिया. शके 1816 आश्विन शुद्ध 6 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इति आदित्यहृदयंसमाप्त 必来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来込 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 310128 het For Private and Personal Use Only