________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / सुवर्णरेताश्रकार्तिकेचदिवाकरः // मार्गशीतपेन्मित्रःपौषे / विष्णुःसनातनः // 56 // पुरुषस्त्वधिकमासेमासाधिक्ये तुकल्पयेत् // इत्येतेद्वादशादित्या काश्यपेया:प्रकीर्तिताः Vilm 57 // उग्ररूपमहात्मानस्तपतेविष्णुरूपिणः॥ धर्मार्थका ममोक्षाणांप्रस्फुटाहेतवोनृप // 58 // सर्वपापहरंचैवमादि त्यसंप्रपूजयेत् // एकधादशधाचैवशतधाचसहस्रधा / / 59 // तपंतेविश्वरूपेणसृजतिसंहरंतिच // एषविष्णुःशिवःथैवब्रह्मा चैवप्रजापतिः // 60 // महेंद्रश्चैवकालश्चयमोवरुणएवच // नक्षत्रग्रहताराणामधिपोविश्वतापनः // 61 // वायुरनिर्धना / ध्यक्षोभूतकर्तास्वयंप्रभुः / एषदेवोहिदेवानांसर्वमाप्यायते जगत् // 62 // एषकाहिभूतानांसंहर्तारक्षकस्तथा // एष. लोकानुलोकश्चसप्तद्वीपाथसागराः / / 63 // एषपातालसप्त 6 स्थौदैत्यदानवराक्षसाः // एषधाताविधातावबीजक्षेत्रंप्रजा For Private and Personal Use Only