________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्वत्प्रसादेनयादव॥६॥ ॥श्रीभगवानुवाच // ॥रुद्रादिदैवतैः / * सर्वैःपृष्टेन कथितंमया ॥वक्ष्येऽहंसूर्यविन्यासंशृणुपांडषयत्नतः / अस्माकंयत्त्वयापृष्ठमेकचित्तोभवार्जुन / तदहंसंप्रवक्ष्या *मिआदिमध्यवसानकम् // 8 // // अजुन उवाच // // नारा * यणसुरश्रेष्ठपृच्छामित्वांमहायशः॥ कथमादित्यमुद्यंतमुपति / / * छत्सनातनम् // 9 // // श्रीभगवानुवाच // // साधुपार्थमहा बाहोबुद्धिमानसिपांडव // यन्मांपृच्छस्युपस्थानंतत्पवित्रवि * भावसोः // 10 // सर्वमंगलमांगल्यंसर्वपापप्रणाशनम् / / स विरोगप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् // 11 // अमित्रदमनंपार्थसं|| ग्रामेजयवर्धनम्॥वर्धनंधनपुत्राणामादित्यहृदयंशृणु // 12 // यच्छृत्वासर्वपापेभ्योमुच्यतेनात्रसंशयः॥त्रिषुलोकेषुविख्या * तंनिःश्रेयसकरंपरम्।।१३।। देवदेवंनमस्कृत्यप्रातरुत्थायचार्जु| नाविनान्यनेकरूपाणिनश्यंतिस्मरणादपि॥१४॥ तस्मात्सर्व / / -- For Private and Personal Use Only