________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पठेन्नरः॥ दुःस्वननाशनंचैवसर्वदुःखंचनश्यति॥१६३॥ दद्रु कुष्ठहरचैवदारिद्यहरतध्रुवम् // सर्वतीर्थप्रदंचैवसर्वकामप्रवर्ध नम् // 164 // यःपठेत्प्रातरुत्थायभक्त्यानित्यमिदंनरः॥ सौ *ख्यमायुस्तथारोग्यंलभतेमोक्षमेवच // 165 // अग्निमीळेन मस्तुभ्यामिषेत्योर्जेवरूपिणे // अग्नआयाहिवीतस्त्वंनमस्ते ज्योतिषांपते // 166 // शन्नोदेविनमस्तुभ्यंजगचक्षुर्नमो *स्तुते // पंचमायोपवेदायनमस्तुभ्यंनमोनमः // 167 // पद्मा * सन पद्मकरःपद्मगर्भसमद्युतिः // सप्ताश्वरथसंयुक्तोद्विभुजः * स्यात्सदारविः।।१६८॥आदित्यस्यनमस्कारंयेकुर्वतिदिनदि ने // जन्मांतरसहस्रेषुदारियनोपजायते // 169 / / उदयगिरि *मुपेतंभास्करपद्महस्तनिखिलभुवननेत्ररत्नरत्नोपमेयम् // ति * मिरकरिमृगेंदबोधकंपद्मिनीनांसुखकरमभिवंदेसुंदरंविश्ववंद्य *म॥१७०॥ ॥इतिश्रीभ.पु०श्रीकृष्णार्जु०सं०आ•स्तो०सं०॥ For Private and Personal Use Only