________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -- हस्रस्यदत्तस्यफलमाप्नुयात् ॥१२६॥इदमादित्यहृदयंयोऽधीते / * सततंनरः॥सर्वपापविशुद्धात्मासूर्यलोकेमहीयते॥१२७॥ ना स्त्यादित्यसमोदेवोनास्त्यादित्यसमागतिः। प्रत्यक्षोभगवा विष्णर्येन विश्वप्रतिष्ठितम् / / 128 // नवतिर्योजनंलक्षसहस्रा / णिशतानिच // यावद्धटीप्रमाणेनतावचरतिभास्करः॥१२९॥ गवांशतसहस्रस्यसम्यद्गत्तस्ययत्फलम् // तत्फलं लभतेवि द्वानशांतात्मास्तौतियोरविं // 130 // योऽधीतेसूर्यहृदयंस कलंसफलंलभेत् // अष्टानांब्राह्मणानांचलेखयित्वासमर्पयेत् / // 131 // ब्रह्मलोकेऋषीणांचजायतेमानुषोपिवा // जाति स्मरत्वमाप्नोतिशुद्धात्मानात्रसंशयः // 132 // अजायलो कत्रयपावनायनमोमहाकारुणिकोत्तमाय // 133 // विव * स्वतेज्ञानभृतांतरात्मनेजगत्प्रदीप्तायजगद्धितैषिणे // स्वयं भुवेदीप्तसहस्रचक्षुषेसुरोंत्तमायामिततेजसेनमः // 134 // For Private and Personal Use Only