Book Title: Agam 39 Chhed  06 Maha Nishith Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशिथ श्रुतस्कंध सूत्र ॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा। ॥श्री. मागम-गु-भं०४५।।। Il Sri Agama Guna Manjusa il (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ અને મને એ KhoĀRĀhhhh_સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ 蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋的蛋蛋, આલાપકો શ્રદ્ધેય નથી, છતાં ય વૃદ્ધવાદના અનુસાર એમાં શંકા કરવી નહિ. વળી આ અધ્યયનની મૂળવાતનું સમર્થન સ્થાનાંગસૂત્ર વગેરેમાં મળતું નથી. આગમ ૩૫ મહાનિશીથ શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર * અધ્યયન ઉદ્દેશક ઉપલબ્ધ મૂલપાઠ ૧૬(?) ૪૫૦૪ (૧) અધ્યયન: શલ્યોદ્ધરણ આમાં અરિહંતોને નમસ્કાર કરીને શાસ્ત્રોનું પ્રયોજન બતાવીને આવશ્યક નિયુક્તિની ઉષ્કૃત ગાથાઓ અને દશવૈકાલિકની ઉદ્ધૃત ગાથાઓનું વિવરણ કરીને અંતે પોતાનો અપરાધ છુપાવનાર દુર્ગતિ પામે છે એમ જણાવ્યું છે. (૨) અધ્યયન : કર્મવિપાકવિવરણ શ્લોક પ્રમાણ આના પ્રથમ ઉદ્દેશકમાં જીવોનાં દુ:ખોનું વર્ણન છે. દ્વિતીય ચૂલિકા : આમાં વિધિપૂર્વક ધર્માચરણની પ્રશંસા અને ચૈત્યવંદન સંબંધી પ્રાયશ્ચિત્ત, સ્વાધ્યાયમાં બાધા ઉપજાવવા માટેનું પ્રાયશ્ચિત્ત, પ્રાયશ્ચિત્તના સૂત્રોના વિચ્છેદની ચર્ચા, (ઉદ્દેશકો ૨ -૫ લુપ્ત લાગે છે.) છઠા ઉદ્દેશમાં શારીરિક તથા અન્ય દુઃ ખોનું વર્ણન કરીને આશ્રવન્દ્વાઠારના નિરોધથી જલ વગેરેમાં રક્ષા કરનારા વિદ્યામંત્રોની ચર્ચા, સુષદ્ધની કથા અને રાજકુળની બાલિકાની જ દુઃખોનો અંત થાય છે એમ જણાવ્યું છે. કથા પણ ત્તિખેમિ પદથી આ આગમની સમાપ્તિ કરી છે. સાતમાં ઉદ્દેશમાં સ્ત્રી-વર્ણન સંબંધી ગૌતમ સ્વામી અને ભગવાન મહાવીરનો સંવાદ, પરિગ્રહના દોષ, શ્રમણધર્મ, શ્રાવકધર્મ વગેરે વર્ણન છે. (૩) અધ્યયન : આ અધ્યયનના ઉદ્દેશક ૧ અને ૨ આપવામાં આવ્યા નથી. પણ લખ્યું છે કે “તે બે નો સમાવેશ સામાન્ય વાચનમાં છે. એ બધું યોગ્ય વ્યક્તિ માટે છે, અયોગ્ય માટે નહિ.’’ વળી આગળ જણાવ્યું છે કે. ‘‘આ બધું વિચ્છેદ પામ્યું હતું. વજસ્વામીએ ઉદ્ધાર કરીને મૂળ સૂત્રોમાં લખ્યું. આચાર્ય હરિભદ્રે ખંડિત હસ્તપ્રતના આધારે ઉદ્ધાર કર્યો છે. ત્રુટિ જણાય તો દોષ આપતા નહિ.’’ વગેરે વગેરે. (૫) અદ્યયન : નવનીતસાર આ અધ્યયનમાં ગચ્છમાં કેવી રીતે રહેવું એની ચર્ચા કરી તીર્થયાત્રાથી સાધુઓનો અસંયમ, ૧૦ આશ્ચર્યો વગેરેનું વર્ણન છે. (૪) અધ્યયન : આમાં કુસંગના દષ્ટાંત રૂપે સુમતિની કથા આપીને સારરૂપે જણાવ્યું છે કે કુશીલ સંસર્ગથી અનંત સંસારભ્રમણ અને કુશીલ સંસર્ગ ત્યાગવાથી સિદ્ધિ મળે છે. અંતે પૂજ્ય આચાર્ય હરિભદ્રસૂરિજીનો મત છે કે ચોથા અધ્યયનના કેટલાક (૬) અધ્યયન : ગીતાર્થવિહાર આ અધ્યયનમાં દસ પૂર્વી નંદિષણનું વેશ્યાગૃહમાં જવું, પ્રાયશ્ચિત્ત વિધિ, મેઘમાલાનું દષ્ટાંત, રજા આર્યકાનું દૃષ્ટાંત, અ-ગીતાર્થ વિષયમાં લક્ષણાર્થીનું દૃષ્ટાંત વગેરે વર્ણન છે. 五五五五五五五五五五 શ્રો બાળમનુષ્યમંનુંધા - ૪૮ 55555555555A GLOR Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XO.2055555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) प्र. अ. [१] 历历历五五五五五五五五五五五五开OTOS प्र सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। श्रीमहानिशीथसूत्रम् ॐ नमो तित्थस्स, ॐ नमो अरहंताणं । सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं- इह खलु छ उमत्थसंजमकि रियाए वट्टमाणे जे णं के ई साहू वा साहुणी वा से णं इमेणं परमतत्तसारसब्भुलयत्थपसाहगसुमहत्थातिसयपवरवरमहानिसीहसुयखंधसुयाणुसारेणं तिविहंतिविहेणं सव्वभावतरंतरेहिं णं णीसल्ले भवित्ताणं आयहियट्ठाए अच्चंतघोरवीरुग्गकट्ठतवसंजमाणुट्ठाणेसुसव्वपमायालंबणविप्पमुक्के अणुसमयमहण्णिसमणालसत्ताए सययं अणिव्विण्णे अणूण(णण्ण)परमसद्धासंवेगवेरग्गमग्गगए णिणियाणे अणिमूहियबलविरियपुरिसकारपरक्कामे अगिलाणीए वोसट्ठचत्तदेहे सुणिच्छिए एगग्गचित्ते अभिक्खरं अभिरमिज्जा॥१॥णो णं रागदोसमोहविसय ॥ कसायनाणालंबणाणेगप्प- मायइड्डिरससायागार- वरोद्दऽदृज्झाणविगहा- मिच्छत्ताविर-इदुट्ठजोग अणाययणसेवणा कुसीलादिसं सग्गीपेसुण्णऽब्भक्खाणकलहजात्तादिमयमच्छ- रामरिसममीकार- अहंकारादिअणेगभेयभिण्णतामसभावकलुसिएणं हियएणं हिंसालियचोरिक्कमेहुणपरिग्गहारंभसंकप्पादिगोयरअज्झवसिए घोरपयंडमहारोद्दघणचिक्कणपावकम्ममललेवखवलिए असंवुडासवदारे ।।२।। एक्कखणलवमुहुत्तणिमिसणिमिसद्धब्भहतरतरमवि ससल्ले विरत्तेज्जा तंजहा- ||३|| 'उवसंते सव्वभावेणं, विरत्ते य जया भवे । सव्वत्थ विसए आया. रोगतरंमोहवज्जिरे ।।१।। तया संवेगमावण्णे पारलोइयवत्तणिं । एगग्गेणेसती संमं, हा मओ कत्थ गच्छिहं ?||२| को धम्मो को वओ णियमो, को तवो मेऽणुचिठ्ठिओ। किं सीलं धारियं होज्ज, को पुण दाणो पयच्छिओ ?||३|| जस्साणुभावओऽण्णत्थ, हीणमज्झुत्तमे कुले। सग्गे वा मणुयलोए वा, सोक्खं रिद्धिं लभेज्जऽहं ॥४॥ अहवा किंच विसाएणं ?, सव्वं जाणामि अत्तियं । दुच्चरियं जारिसो वाऽहं, जे मे दोसा य जे गुणा ।।५।। घोरंधयारपायाले, गमिस्सेऽहमणुत्तरे। जत्थ दुक्खसहस्साइं, ऽणुभविस्सं चिरं बहु ।।६।। एवं सव्वं वियाणंते, धम्माधम्मं सुहासु (हंदु) हं । अत्थेगे गोयमा! पाणी, जे मोहाऽऽयहियं न चिठ्ठए ॥७॥ जे याऽवाऽऽयहियं कुज्जा, कत्थई पारलोइंयं । मायाडंभेण तस्सावी, सयमवी (म्पी) तं न भावए ।।८|| आयाममेव अत्ताणं, निउणं जाणे जहठ्ठियं । आया चेव दुप्पत्तिज्जे, धम्ममविय अत्तसक्खियं ॥९|| जं जस्साणुमयं हिऍ सो तं ठावेइ सुंदरपएसु। सदली नियतणए तारिस कूरेवि मन्नइ विसिढे ॥१०॥ अत्तत्तीयाऽसमिच्चा सयलपा (यज) णिणो कप्पयंतऽप्पऽणप्पं, दुर्व्ह वइकायचेट्ठ मणसि य खलु संसंजुयं ते चरते । निद्दोसं तं च सिढे ववगयकलुसे पक्खवायं विमुच्चा, विक्खंतच्चंतपावं कलुसियहिययं दोसजालेहिं णटुं वइकायचे मणसि य खलु संसंजुयं ते चरंते । निद्दोसं तं च सिठे ववगयकलुसे पक्खवायं विमुच्चा, विक्खंतच्चंतपावं कलुसियहिययं दोसजालेहिंणठं ॥१॥ परमत्थं तत्तसिद्धं, सब्भूयत्थपसाहगं। तब्भणियाणुट्ठाणेणं, ते आया रंजए सकं ||२|| तेसुत्तमं भवे धम्म, उत्तमा तवसंपया। उत्तमं सीलचारित्तं, उत्तमा य गती भवे ।।३।। अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे एरिसमवि काडि गए। ससल्ले चरती धम्म, आयहियं नावबुज्झई ॥४॥ ससल्लो जइवि कट्ठग्गं, घोरं विरं तवं चरे । दिव्वं वाससहस्संपि, ततोऽवी तं तस्स निप्फलं ।।५|| सल्लंपि भन्नई पावं, जं नालोइयनिदियं । न गरहियं न पच्छित्तं, कयं जं जहयं भाणियं ।।६।। मायाडंभमकत्तव्वं, महापच्छन्नपावया। अयज्जमणायारं च, सल्लं कम्मठ्ठसंगहो ॥७॥ असंजमं अहम्मं च, निसीलऽव्वतताविय। सकलुसत्तमसुद्धी य, सुकयनासो तहेवय ||८|| दुग्गइगमणऽणुत्तारं, दुक्खे सारीरमाणसे । अव्वाच्छिन्ने य संसारे, विग्गोवणया महंतिया ॥९॥ केसिं विरूवरूवत्तं, दारिद्दय (६) दोहग्गया। हाहाभूयसवेयणया, परिभूयं च जीवियं ॥२०॥ निग्घिण नित्तिहस कूरत्तं, निद्दय निक्किवयाविय। निल्लज्जत्त गूढहियत्तं, वकं विवरीयचित्तया ॥१॥ रागो दोसोय मोहो य, मिच्छत्तं घणचिक्कणं । संमग्गणासो तहय, एगेऽजस्सित्तमेवय ॥२॥ आणाभंगमबोही य, ससल्लत्ता य भवे भवे । एमादी पावसल्लस्स, नामे एगठ्ठिया बहू॥३|| जेणं सल्लियहिययस्स, एगस्सी बहु भवंतरे। सव्वंगोवंगसंधीओ, पसल्लंति पुणो पुणो॥४॥ से दुविहे समक्खाए, सल्ले सुहुमे य बायरे । एक्कक्के (सौन्य :- मातुश्री परवा भेधD Gधामा छेडा परिवार साय (७२७) प्रेराथी लाशकुमार (राया)) sxexos5555555555555555FFFFFFFFF[ श्री आगमगुणमंजूषा-१३६२ 0555555555FFFFFFFFFFFFFFFFFFOTOR 乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听乐听听听听听听听听乐乐乐乐乐贝贝听听听听乐听听听听听听听听听乐O 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听心 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO55555555555555554 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) प्र.अ. [२] 5555555558XON 2SC历历乐乐乐乐%%%$$$$$乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐 तिविहे णेए, घोरूग्गुग्गतरे तहा ।।५।। घोरं चउव्विहा माया, घोरूगं माणसंजुया । माया लोभो य कोहो य, घोरूग्गुग्गयरं मुणे ॥६॥ सुहुमबायरभेएणं, सप्पभेयपिमं मुणी। अइरा समुद्धरे खिप्पं, ससल्लो णो वसे खणं ||७|| खुड्डलगित्ति अहिपोए, सिद्धत्थयतुल्ले सिही। संपलग्गे खयं णेइ, णवि पुढे विजोडई ||८|| एवं तणुतणुयरं, पावसल्लमणुद्धियं । भवभवंतरकोडीओ, बहुसंतावपदं भवे ॥९॥ भयवं ! सुदुद्धरे एस, पावसाले दुहप्पए । उद्धरिऽपि ण याणंती, बहवे जहमुद्धरिज्जइ ॥३०|| गायम ! निम्मूलमुद्धरणं, निययमेतस्सभासियं। सुदुद्धरस्साविसल्लस्स, सव्वंगोवंगभेदिणो॥१॥ सम्मदंसणं पढ़मं, सम्मं नाणं बिइज्जियं। तइयं च सम्मचारित्तं, एगभूयमिमं तिगं ॥२॥ खेत्तीभूतेवि जे जित्ते (जीए), जे गूढेऽदसणं गए। जे अत्थीसुंठिए केई, जेऽत्थिमज्झ (ब्भं) तरं गए।॥३सव्वंगोवंगसंखुत्ते, जे सब्भंतरबाहिरे। सल्लंति जेण सल्लंती, ते निम्मूले समुद्धरे ॥४॥ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणतो किया। पासंतो पंगुलो दड्डो, धावमाणो य अंधओ।।५।। संजोगसिद्धी अउ गोयमा ! फलं, नहु एगचक्केण रहो पयाइ। अंधोय पंगू य वणे समिचचा, ते संपउत्ता नगरं पविठ्ठा ॥६|| नाणं पयासयं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिण्हंपि समाओगे गोयम ! मोक्खो न अण्णहा ||७|| ता णीसल्ले भवित्ताणं, सव्वसल्लविवज्जिए। जे धम्ममणुचेटेज्जा, सव्वभूयऽप्पकंपिवा ॥८॥ तस्स तज्जम (तं स) फलं होज्जा, जम्मजमंतरेसुवि विउला सय (म्प) रिद्धी य, लभेज्जा सासयं सुहं ।।९।। सल्लमुद्धरिउकामेणं, सुपसत्थे सोहणे दिणे। तिहिकरणमुहुत्ते नक्खत्ते, जोगे लग्गे ससीबले ॥४०|| कायव्वायंबिलक्खमणं, दस दिणे पंचमंगलं । परिजवियव्वऽठसयं (यहा), तदुवरिं अठ्ठमं करे॥१|| अठ्ठमभत्तेण पारित्ता, काऊणायंबिलं तओ। चेझ्य साहू य वंदित्ता, करिज्ज खंतमरिसियं ।।२।। जे केइ दुट्ठ संलत्ते, जस्सुवरिं दुट्ठ चिंतियं । जस्स य दुट्ठ कयं जेणं, पडिदुर्व्ह वा कयं भवे ||३|| तस्स सव्वस्स तिविहेणं, वायां मणसा य कम्मणा । णीसल्लं सव्वभावेणं, दाउं मिच्छामिदुक्कडं ||४|| पुणोवि वीरागाणं, पडिमाओ चेइयालए। पत्तेयं संथुणे वंदे, एगग्गो भत्तिनिब्भरो॥५|| वंदित्तु चेइए सम्मं, छठ्ठभत्तेण परिजवे । इमं सुयदेवयं विज, लक्खहा चेइयालए ॥६॥ उवसंतो सव्वभावेणं, एगचित्तो सुनिच्छिओ । आउत्तो अव्ववक्खित्तो, रागरइअरइवज्जिओ ॥४७।। अउम्णअम्ओ क्उठ्अबउद्धईण्अम् अउम्णअमओ प्अय्आण्उस्आईण्अम् अउम्ण्अम्ओ स्अम्भइण्णसउईण्अम् अउम्ण्अम्ओ ईआसवलद्धईण्अम् अउम्णम्ओ सव्वउसहिलद्धईण्अम् अउम्ण्अम्ओ अक्खईण्अम्अह्आणस्अलद्धईण्अम् अउम्ण्अम्ओ भगवओ अरहओ महइमहावीरवद्धमाणस्स धम्मतित्थंकरस्स अउम्णम्ओ भगवओ अउड्ण्आ णस्स अउम्णम्ओभवगओमणपज्जवण्आणस्स अउम्णम्ओ अअआउअम् अआउअम् णम्ओ आऊअभिवत्तीलक्खणं सम्मंइंसणं अउअम्णम्ओ अट्ठआरस्असईलअम्गसहस्साहिछियस्स ईस्अम्ग ण्इण्णइय्आण ईसल्ल सयसल्लगत्तण सव्वदुक्खणिम्महणपरमनिव्वुईकारस्सणं पवयणस्स परमपवित्तुत्तमस्सेति ॥४|| एसा विज्जा सिद्धतिएहिं अक्खरेहिं लिखिया, एसा य सिद्धतिया लिवी अमुणियसमयसब्भावाणं सुधरेहिं ण पण्णवेयव्वा तहय कुसीलाणं च ॥५॥ इमाए पवरविज्जाए, सव्वहा उ अत्ताणगं । अहिमंतेऊण सोविज्जा, खंतो दंतो जिइंदिओ।॥४८॥णवरं सुहासुहं सम्मं, सुविणगं समवधारए। जं तत्थ सुविणगं (गे) पासे, तारिसगं तं तहा भवे ॥९॥ जइ णं सुंदरगं पासे, सुमिणगं तो इमं महा। परमत्थतत्तसारत्थं, सल्लुद्धरणं मुणेतुणं ॥५०॥ देज्जा आलोयणं सुद्धं, अठ्ठमयठाणविरहिओ। रं (भ) जंतो धम्मतित्थयरे, सिद्धे लोगग्गसंठिए॥१|| आलोएत्ताण णीसल्लं, सामण्णेण पुणोविय । वंदित्ता चेइए साहू, विहिपुव्वेण खमावए ||२|| खामित्ता पावसल्लस्स, निम्मूलुद्धरणं पुणो ।करेज्जा विहिपुव्वेण, रंजंतो ससुरासुरं जगं ||३|| एवं होऊण निस्सल्लो, सव्वभावेण पुणरवि । विहिपुव्वं चेइए वंदे, खामे साहम्मिए तहा ॥४|| नवरं जेण समं वुच्छो, जेहिं सद्धिं पविहरिओ। खरफुरूसं चोइओजेहिं, सयं वा जो य चोइओ॥५॥ जोऽविय कज्जमपज्जे वा, भणिओखरफरूसनिट्ठरं । पडिभणियं जेणवी किंचि, सोजइ जीवइ जइमओ॥६॥ खमियव्वो सच्च (व्व) भावेण, जीवंतो जत्थ चिठ्ठई। तत्य गंतूण विणएण, मओऽवी साहुसक्खियं ॥७॥ एवं खामणमरिसामणं काउं, तिहुयणस्सविभावओ।सुद्धो मरवइकाएहिं, एयं घोसिज्ज निच्छओ|८|| खमावेमि अहं सव्वे, सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ ण केणई ॥९|| खमामहंपि सव्वेसिं, सव्वभावेण सव्वहा । भवे भवेसुवि जंतूणं, वाया मणसा य कम्मुणा ॥६०|| एवं वंदिज्जा चेइय, साहू सक्खं विही यऽओ। गुरूस्सावि विही पुव्वं, खामणमरिसामणं करे॥१॥ खमावेत्तुं गुरूं I N ENENENENENENENEEEEEEEEEEE45444444 05明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CC IAMEdu Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Pror55555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) प्र.अ. [३] COC玩乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐 明明明明明明明明玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐SO सम्म, नाणमहिमं ससत्तिओ । काऊणं वंदिऊणं च, विहिपुव्वेण पुणोऽविय ।।२।। परमत्थतत्तसारत्थं, सल्लुद्धरणमिमं मुणे । मुणेत्ता तहमालोए (जह आलोयंतो चेव), उप्पए केवलं नाणं ॥३।। दिन्नेरिसभावत्थेहिं, नीसल्ला आलोयणा । जेणालोयमाणेण चेव, उप्पन्नं तत्व केवलं ॥४|| केसिचि साहेमो नामे, महासत्ताण गोयमा ! जेहिं भावेणालोययंतेहिं, केवलनाण समुप्पाइयं ।।५।। हाहा दुहु कडे साहू, हा दुट्ठ विचितिरे । हा दुट्ठ भाणिरे साहू हा दुट्ठ मणुमते ||६|| संवेगालोयगे तहय, भावालोयणकेवली। पयखेवकेवली चेव, मुहरंतगकेवली तहा ।।७। पच्छित्तकेवली सम्म, महावेरग्गकेवली । आलोयणाकेवली तय, हाऽहं पावित्ति केवली ।।८।। उम्मुत्तुम्मग्गपन्नवए, हाहा अणयारकेवली । सावजं न करेमित्ति, अक्खंडियसीलकेवली।।९|| तवसंजमवयसंरक्खे, निंदणे गरिहणे तहा । सव्वतो सीलसंरक्खे, कोहीपच्छित्तएऽविय॥७०॥ निप्परिकम्मे अकंडूयणे, अणिमिसच्छी य केवली। एगपासित्त दो पहरे, तह मूणव्वयकेवली॥१॥ न सक्को काउ सामन्नं, अणसणे ठामि केवली । नवकारकेवली तहय, तिव्वालोयणकेवली।।२।। निस्सल्लकेवली तहय, सल्लुद्धरणकेवली। धन्नोमित्ति संपुन्ने, सताहंपी किन्न केवली ॥३|| ससल्लोऽहं न पारेमि, चलककृपयकेवली । पक्खसुद्धाभिहाणे य, चाउम्मासी य केवली ॥४|| संवच्छरमहपच्छित्ते, हा चलं जीवियं तहा। अणिच्चे खणविद्धंसी, मणुयत्ते केवली तहा॥५|| आलोयनिंदवंदियए, घोरपच्छित्तदुक्करे। लक्खोवस्गपच्छित्ते, समहियासणकेवली॥६।। हत्थोसरणनिवासे य, अद्धकवलासिकेवली। एगसित्थपच्छित्ते, दसवासे केवली तहा॥७॥ पच्छित्तावढवगे चेव, पच्छितद्धयकेवली। पच्चित्तपरिसमत्ती य, अठ्ठसंउक्कोसकेवली |८|| न सुद्धीविन पच्छित्ता, ता वरं खिप्पकेवली। एगं काऊण पच्छित्तं, बीयं न भवे (जहेव) केवली ॥९॥ तं चायरामि पच्छित्तं, जेणागच्छइ केवली । तं चायरामि जेण तवं, सफलं होइ केवली ।।८०॥ किं पच्छित्तं चरंतोऽहं चिट्ठ रो तव केवली । जिणाणमाणं ण लंघेऽहं, पाणपरिच्चयणकेवली ||१|| अन्नं होही सरीरं मे, नो बेही चेव केवली । सुलद्धमिणं सरीरेणं, पावणिद्दहण केवली ।।२।। अणाइपावकम्ममलं, निद्धोवेमीह केवली । बीयं तं न समायरिअं. पमाया केवली तहा ॥३॥ देहे खओव (वओ) सरीरं मे, निज्जरा भवओ केवली। सरीरस्स संजमं सारं, निक्कलंकं तु केवली ॥४॥ मणसावि खंडिए सीले, पाणे ण धरामि केवली । एवं वइकायजोगेणं, सीलं रक्खे अहं केवली ॥५।। एवं मया अणादीया, कालाणंते पुणो मुणी । केई आलोयणासिद्धे, पच्छित्ता केई गोयमा !||६|| खंता दंता विमुत्ता य, जिइंदी सच्चभासिणो । छक्कायसमारंभाउ, विरत्ते तिविहेण उ॥७|| तिदंडासवसंवरिया, इत्थिकहासंगवज्जिया । इत्थीसंलावविरया य, अंगोवंगणिरिक्खणा ||८|| निम्ममत्ता सरीरेवि, अप्पडिबद्धा महासया (यसा)। भीया इत्थिगब्भवसहीणं, बहुदुक्खाउ भवाउ तहा ।।९।। ता एरिसेणं भावेण, दायव्वा आलोयणा । पच्छित्तंपिय कायव्वं तहा जहा चेव एहिं कयं ॥९०|| न पुणो तहा आलोएयव्वं, मायाडंभेण केणई । जह आलोएमाणेण, चेव संसारवुड्डी भवे ॥१॥ अणंतेऽणाइकालाउ, अत्तकम्मेहिं दुम्मई । बहुविकप्पकल्लोले, आलोएंतावी अहो गए॥२॥ गोयम ! केसिचिनामाई साहिमोतं निबोधय । जेसालोयणपच्छित्ते, भावसोसिक्ककलुसिए॥३॥ ससल्ले घोरमहं दक्खं,दुरहिआसं सुदूसहं । अणुहवंतेवि चिठ्ठति, पावकम्मे नरामे ॥४॥ गुरूगासंजमे नाम, साहू निद्धधसेतहा। दिठ्ठी वायाकुसीले य, मणुकुसीले तहेव य॥५॥ सुहुमालोयगेतहय, परववएसालोयगेतहा। किं किं चालोयगा तह य, ण किंचालोयगे तहा ॥६।। अकयालोयणे चेव, जणरंजवणे तहा । नाहं काहामि पच्छित्तं, छम्मालोयणमेव य ||७|| मायादंभपवंची य, पुरकडतवचरणकहे । पच्छित्तं नत्थि मे किंचि, न कयालोयणुच्चरे ।।८।। आसण्णालोयणक्खाइ, लहुपच्छित्तजायगे। अम्हाणालोइयणं चेठे, सुहबंधालोयगे तहा ॥९॥ गुरूपच्छित्ताहमसक्के य. गिलाणालंबणं कहे। आरभडालोयेगे साहू, सुण्णासुण्णी तहेव य॥१००॥ निच्छिन्नेवि य पच्छित्ते, न काहं तुठ्ठिजायगे। रंजवणमेत्त लोगाणं, वायापच्छित्ते तहा ॥१॥ पडिवज्जणपच्छित्ते, चिरयालपवेसगे तहा । अणणुठ्ठियपायच्छित्ते, अणुभणियऽण्णहायरे तहा ।।२।। आउट्टीय महापावे, कंदप्पा दप्पेतहा। अजयणासेवणे तहय, सुयासुयपच्छित्तेतहा॥३|| दिट्ठपोत्ययपच्छित्ते, सयंपच्छित्तकप्पगे। एवइयं इत्थ पच्छित्तं, पुव्वालोइयमणुस्सरे॥४॥जाईमयसंकिए चेवं कुलमयसंकिए तहा। जातिकुलोभयमयासंके, सुतलाभेस्सिरियसंकिए तहा।।५।। तवोमए संकिए चेव, पंडिच्चमयसंकिए तहा। सक्कारमयलुद्धे य, गारवसंधूसिए र तहा ॥६॥ अपुज्जो वाविऽहं जमे, एगज्जमेव चिंतगे। पाविठ्ठाणंपि पावतरे, सकलुसचित्तालोगये ॥७|| परकहावगे चेव, अविणयालोयगे साहू, एवमादी दुरप्परो ॥८॥ xerciFFFF#555555555555555555 श्री आगभगुणमजूषा - १३६४ 55555555555555555555555Forse Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HTC明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐听听听听听听听听听听听听听听听听网 FOR95555555555$$भा (१) मानिसीह व्यसुत्त (२) प्र. अ. [४] %%%%%%% %%%%%% %Rh अणंतेऽणाइकालेणं, गोयमा! अत्तक्खिया। अहो अहो जाव सत्तमियं, भावदोसकओगए।।९।। गोयम ! ऽणते चिठ्ठतिजे, अणादिए ससल्लिए। नियभावदोससल्लाणं, भुंजते विरसं फलं ॥११०|| चिठ्ठइस्संति अज्जावि, तेण सल्लेण सल्लिए। अणंतंपि अणागयं कालं, तम्हा सल्लं न धारए ॥१११॥ खणं मुणित्ति बेमि । गोयम ! समणीण णो संखा जाओ निक्कलुसनीसल्लविसुद्धसुद्धनिम्मलवयणमाणसाओ अज्झप्पविसोहीए आलोइत्ताण सुपरिफुडं नीसंकं निखिलं निरवयवं नियदुच्चरयिमाइयं सव्वंपि भावसल्लं अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तमणुचरित्ताणं निद्धोयपावकम्ममललेवकलंकाओ उप्पन्नदिव्ववरकेवलणाणाओ महाणुभागाओ महायसाओ सहासत्तसंपन्नाओ सुगहियनामधेयाओ अणंतुत्तमसोक्खमोक्खं पत्ताओ॥६|| कासिचि गोयमा ! नामे, पुन्नभागाण साहिमो। जासिमालोयमाणीणं, उप्पण्णं समणीण केवलं ।।११२।। हाहाहा पावकम्माह, पावा पावमती अहं । पाविठ्ठाणंपि पावयरा, हाहाहा दुठ्ठि चितिमो ।।३।। हाहाहा इत्थिभावं मे, ताविह जमे उवठ्ठियं । तहावी णं घोरवीरूग्गं, कठ्ठ तवसंजमं धरं ।।४।। अणंतपावरासीओ, संमिलियाओ जया भवे । तइया इत्थित्तणं लब्भे, सुद्धं पावाण कम्मणा ।।५।। एगत्थपिंडीभूताणं, समुदये तणुतं तह । करेमि जह न पुणो, इत्थीऽहं होमि केवली ॥६॥ दिठ्ठीएविन खंडामि, सीलं हं समणिकेवली । हाहा मणेण मे किंपि, अट्टदुहट्टं विचितियं ।।७।। तमालोइत्ता लहुँ सुद्धिं, गिण्हेऽहं समणिकेवली । दट्ठण मज्झ लावण्णं, रूवं कंतिदित्तिं सिरिं॥८॥मा णरपयंगाहमा जंतु, खयमणसणसमणी य केवली । वातं मोत्तूण नो अन्नो, निमा (च्छि) यं मह तणु च्छिवे ।।९।। छक्कायसमारंभं, न करेऽहं समणिकेवली । पोग्गलकक्खोरूगुज्झंतं, णाहिजहणंतरे तहा ॥१२०|| जणणीएवि ण दंसेमि, सुसंगुत्तंगोवंगा समणी य केवली । बहुभवंतरकोडीओ, घोरं गब्भपरंपरं ।।१।। परियट्टतीए सुलद्धं मे, णाणं चारित्तसंजुयं । माणुसजम्मं ससंमत्तं, पावकम्मक्खयंकरं ॥२।। ता सव्वं भावसल्लं, आलोएमि खणे खणे । पायच्छित्तमणुठ्ठामि, बीयं तं न समारभं ॥३|| जेणागच्छइ पच्छित्तं, वाया मणसा य कम्मुणा। पुढविदगागणिवाऊहरियकायं तहेव य ॥४|| बीयकायसमारंभं, बितियचउपंचिंदियाण य । मुसाणंपि न भासेमि, ससरक्खंपि अदिन्नयं ।।५।। न गिण्हं सुमणंतेवि, ण पत्थं मणसावि मेहुणं । परिग्गहं न काहामि, मूलुत्तरगुणखलणं तहा ॥६।। मयभयकसायदंडेसुं, गुत्तीसमितिदिएसु य । तह अठ्ठारससीलंगसस्साहिठ्ठियतणू ।।७।। सज्झायज्झाणजोगेसुं, अभिरमं समणिकेवली । तेलोक्करक्खणक्खंभधम्मतित्थंकरेण जं ॥८|| तमहं लिंग धरेमाणा, जइवि हु जंते निवीलिउँ । मज्झोमज्झीय दो खंडा, फालिज्जामि तहेव य॥९॥ अह पक्खिप्पामि दित्तग्गिं, अहवा छिज्जे जई सिरं। तोऽवीऽहं नियमवयभंगं, सीलचारित्तखंडणं ॥१३०|| मणसावी एक्कजम्मकए, ण कुणं समणिकेवली। खरूट्टसाणजाईसुं, सरागा हिडिया अहं॥१॥ विकम्मंपिसमायरियं, अणंते भवभवंतरे। तमेव खरकम्ममहं, पव्वज्जापठ्ठिया कुणं॥२॥ घोरंधयारपायाला जा (जे) णंणोणीहरं पुणो। वेदिय हे माणुसं जम्म, तं च बहुदुक्खभायणं ॥३॥ अणिच्वं खणविद्धंसी, बहुदंड दोससंकर। तत्थावि इत्थी संजाया, सयलतेलोक्कनिदिया ||४|| तहावि पावियं (उ) धम्म, णिव्विग्घमणंतराइयं । ताहं तं न विराहामि, पावदोसेण केणई॥५॥ सिगंरागसविगारं, साहिलासं न चिठ्ठिमो। पसंताएवि दिठ्ठीए, मोत्तुं धम्मोवएसगं॥६॥ अन्नं पुसिन निज्झायं, णालवं समणिकेवली। तं तारिसं महापावं, काउं अक्कहणीययं ॥७॥ तं सल्लमवि उप्पन्नं, जहदत्तालोयणसमणिकेवली। एमादिअणंतसमणीओ, दाउंसुद्धालोयणं निसल्ला ||८| केवलं पप्प सिद्धाओ, अणादिकालेण गोयमा !। खंता दंता विमुत्ताओ, जिइंदिआउ सच्चभाणिरीओ॥९॥ छक्कायसमारंभा, विरया तिविहेण उ। तिदंडासवसंवुत्ता, पुरिसकहासंगवज्जिया॥१४०|| पुरिससंलावविरयाओ, पुरिसंगोवंगनिरिक्खणा । निम्ममत्ताउ ससरीरे, अप्पडिबद्धाउ महायसा ||१|| भीया थीगब्भवसहीणं, बहुदुक्खाउ भवसंसरणओ तहा। ता एरिसेणं भावेणं, दायव्वा आलोयणा ॥२॥ पायच्छित्तंपि कायव्वं, तह जह एयाहिं समणीहिं कयं । ण उणं तह आलोएयव्वं, मायादंभेण केणई ||३|| जह आलोयमाणीणं, पावकम्मवुड्डी भवे । अणताणाइकालेणं, मायादभछम्मदोसेणं है ||४|| कवडालोयणं काउं, समणीओ ससल्लाओ। असभओगपरंपरेणं, छठ्ठियं पुढविंगया।।५|| कासिचि गोयमा ! नामे, साहिमोतं निबोदय। जाउ आलोयमाणीओ, भावदोसेण सुहृतरगं पावकम्ममलखवलियं ॥६।। तह संजमसीलंगाणं, णीसल्लत्तं पसंसियं । तं परमभावविसोहीए, विणा खणद्धंपि नो भवे ||७|| तो गोयमा ! केसिमित्थीणं, चित्तविसोही सुनिम्मला । भवंतरेवि नो होही, जेण नीसल्लया भवे ||८|| छट्ठट्ठमदसमदवालसेहिं सक्खंति केवि समणीओ। तहवि य सरागभावं xexot455555555555555555555 श्री आगमगणमंजषा rsonal use t5555555555555555555555555500R 乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听。 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C手纸纸明明明明明明明明明明明明明明明 兵兵兵场 乐乐乐乐明乐乐乐乐乐 乐乐明明听听听听听听听听听听听 KarkO4555555555555559 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) प्र. अ. [५] $$$$ $为$520 Pणालोयंती ण छटुंति ॥९|| बहुविहविकप्पकल्लोलमालाउक्कलिगाहिणं । वियरंतं तेण लक्खेज्ना, दुरवागहमण (भव) सागरं ।।१५०|| ते कमालोयणं देंतु, जासि चित्तंपि नो वसे ?। सल्लज्जा ताणमुद्धरए, स वंदणीओ खणे खणे ।।१।। असिणेहपीइपुव्वेण, धम्मज्झाणुल्लसावियं । सीलंगगुणठ्ठाणेसु, उत्तमेसुं धरेइ जो ॥२॥ इत्थीबहुबंधणा विमुक्कं, गिहकलत्तादिचारगा। सुविसुद्धसुनिम्मलं चित्तं, णीसल्लं सो महायसो ॥३॥ दठ्ठव्वो वंदणीओ य, देविंदाणं स उत्तमो । दीण (कय) त्थी सव्वपरिभूय, विरइठ्ठाणे जो उत्तमे धरे ॥४|| णालोएमि अहं समणी, दे कहं किचिं साहुणी । बहुदोसं न कहं समणी, जं दिठ्ठ समणीहिं तं कहे ||५|| असावज्जकहा समणी बहुआलंबणा कहा। पमायखामगा समणी, पाविठ्ठा बलमोडीकहा ||६|| लोगविरूद्धकहा तह य, परववएसलोयणी। सुयपच्छित्ता तह य, जायादीमयसंकिया ॥७॥ मूसागारभीरूया चेव, गारवतियदूसिया तहा । एवमादिअणेगभावदोसवसगा पावसल्लेहिं पूरिया ॥८॥ अणंता अणंतेण कालसमएण, गोयमा ! अइक्कतेणं । अणंताओ समणीओ, बहुदुक्खावसहं गया॥९॥ गोयमा ! अणंताओ चिठ्ठति, जाऽणादी सल्लसल्लिया। भावदोसेक्कसल्लेहिं (भुंजमाणीओ कडुविरसं) घोरूग्गुग्गतरं फलं ॥१६०॥ चिठ्ठइस्संति अज्जावि, तेहिं सल्लेहिं सल्लिया । अणंतंपि अणागयं कालं, तम्हा सल्लं सुहुममवि, समणी णो धारेज्जा खणंति ॥१॥ धगधगधगस्स पज्जलिए, जालामालाउले दढं । हुयवहेवि महाभीसे, सरीरं इज्झए सुहं ॥२॥ पयलंतंगाररासीए, एगसि झंप पुणे जले । थल्लितो सरितो सरियं, जं मरिजिउंपि सुक्करं ।।३।। खंडियस्स सहत्थेहिं, एक्केक्कमंगावयवं । जं होमिज्जइ अग्गीए, अणुदियहंपि सुक्करं ।।४।। खरफरूसतिक्खकरवत्तदंतेहि फालाविउं। लोणूससज्जियाखारं, जं घत्ता ससरीरं अच्चंतसुक्करं । जीवंतो सयमवी सक्कं, सल्लं उत्तारिऊण ण ||५|| जवखारहलिहादिहि, जं आलिपे नियं तणुं । मयंपि सुकरं छिदेऊण, सहत्थेणं जो घेत्ते सीसं नियं ।।६।। एयंपि सुक्करमलीहं, दुक्करं तवसंजमं । नीसल्लं जेण तं भणियं, सल्लो य नियदुक्खिओ॥७॥ मायादंभेण पच्छन्नो, तं पायडिउंण सक्कए। राया दुच्चरियं पुच्छे, अह साहइ देहसव्वस्सं ।।८।। सव्वस्संपि पएज्जा उ, नो नियदुच्चरिं कहे । राया दुच्चरियं पुच्छे, साह पुहईपि देमि ते।।९।। पुहइं रज्जं तणं मन्ने, नो नियदुच्चरियं कहे। राया जीयं निकिंतामि, अह नियदुच्चरिं कह ॥१७०॥ पाणेहिपि खयं जंतो, नियदुच्चरियं कहेइ नो । सव्वस्सहरणं च रज्जं च, पाणेवी परिच्चएसु णं ॥१॥ मयावि जंति पायाले, नियदुच्चरियं कहंति नो । जे पावाहम्मबुद्धिया, काउरिसा एगजंमिणो। ते गोवंति सदुच्चरियं, नो सप्पुरिसा महामती ॥२॥ सप्पुरिसा तेण वुच्चंति.जेदाणवईह दुज्जणे । सप्पुरिसाणं चरित्ते भणिया, जे निस्सल्ला तवे रया|३|| आया अणिच्छमाणोऽवी, पावसल्लेहिंगोयमा!। णिमिसद्धाणंतगुणिएहिं, पूरिज्जे नियदुक्खिया ||४|| ताइंच झाणसज्झायघोरतवसंजमेण य। निर्देभेण अमाएणं, तक्खणं जो समुद्धरे॥५|| आलोएत्ताण णीसल्लं, निदिउंगरहिउंदढं। तह - चरई पायच्छित्तं, जह सल्लाणमंतं करे।।६।। अन्नजम्मपहुत्ताणं, खेत्तीभूयाणवी दढं । णिमिसद्धखणमुहुत्तेणं, आजम्मेणेव निच्छिओ॥७॥ सो सुहडो सो य पुरिसो, सो तवस्सी सपंडिओ। खंतो दंतो विमुत्तोय, सहलं तस्सेव जीवियं ॥८॥ सूरो य सो सलाहोय, दळुव्वोय खणे खणे । जो सुद्धालोयणं देतो, नियदुच्चरयिं कहे फुडे ।।९।। अत्थेगे गेयमा ! पाणी, जे सल्लं अद्धउद्धियं । माया लज्जा भया मोहा, मुसकरा हियए धरे ॥१८०॥ तं तस्स गुरूतरं दुक्खं, हीणसत्तस्स संजणे । से चित्ते अन्नाणदोसाओ, णोद्धरं दुक्खिज्जिहं किल ॥१|| एगधारो दुधारोवा, लोहसल्लो अणुद्धिओ। सल्लेग त्थाम जमेगं, अहवा मंसीभवेइ सो॥२॥ पावसल्लो पुणासंखे, तिक्खधारो सुदारूणो। बहुभवंतर सव्वंगे, भिदे कुलिसो गिरी जहा॥३॥ अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे भवसयसाहस्सिए। सज्झायज्झाणजोगेण, घोरतवसंजमेण य॥३।। सल्लाई उद्धरेऊणं, विरया ता दुक्खकेसओ। पमाया बिउणतिउणेहिं, पूरिज्जती पुणोविय ||४|| जम्मंतरेसु बहुएसु, तवसा निद्दड्डकम्मुणो। सल्लुद्धरणस्स सामत्थं, भवंती कहविजं पुणो॥५॥ तं सामग्गिं लभित्ताणं, जे पमायवसं गए। ते मुसिए सव्वभावेणं, कल्लाणाणं भवे भवे ।६।। अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे पमायवसं गए। चरंतेवी तवं घोरं, सल्लं गोवेति सव्वहा ॥७॥ णेयं तत्थ वियाणंति, जहा किमम्हेहिं गोवियं ?। जं पंचलोगपालऽप्पा, पंचेदियाणं च न गोवियं ॥८॥ म पंचमहालोगपालेहिं, अप्पा पंचेंदिएहिं य । एक्कारसेहिं एतेहिं, जं दिळू ससुरासुरे जगे।।९।। ता गोयम ! भावदोसेणं, आया वंचिज्जइ परं । जेणं चउगइसंसारे, हिंडइ सोक्खेहिं वंचिओ ॥१९०|| एवं नाऊण कायव्वं, निच्छियहिययधीरिया । महउत्तिमसत्तकुंतेणं, भिदेयव्वा मायारक्खसी ॥१|| बहवे अज्जवभावेण, निम्महिऊण Or0555555555555555FFFFFFFFF | श्री आगमगुणभंजूषा- १३६६ FFFFFFFFFFFFOOR GC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明 1556 OR Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) प्र. अ. / द्वि. अ. उ. १ अणेगहा । विरयातीअंकुसेण पुणो, माणगइंदं वसीकरे ॥ २॥ मद्दवमुसलेण ता चूरे, वीसयरि (स) यं जाव दूरओ। दट्टुणं कोहको (लो) हाही (ई) मयरे निदे संघडे ||३|| कोहो य माणो य अणिग्गहीया, माया य लोभो य पवडुमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया, पोयंति सल्ले सुदुरूद्धरे बहुं ||४|| उवसमेण हणे कोहं, माणं वया जिणे । मायं चज्जवभावेणं लोभं संतुठ्ठिओ जिणे ||५|| एवं निज्जियकसाए जे, सत्तभयठ्ठाणविरहीए। अठ्ठमयविप्पमुक्के य, देज्जा सुद्धालोयणं ॥ ६ ॥ सुपरिफुडं जहावत्तं सव्वं नियदुक्कियं कहे । णीसंके य असंखुद्धे, निब्भीए गुरूसंतियं ||७|| भूतोवुद्धडगे बाले, जह पलवे उज्जुए दूरं । अवि उप्पन्नं तहा सव्वं, आलोयव्वं जहठ्ठियं ||८|| जं पायाले पविसित्ता, अंतरजलमंतरेस वा कयमह रातोंऽधकारे वा, जणणीएवि समं भवे ||९|| तं जहवत्तं कहेयव्वं, सव्वमण्णंपि णिक्खिलं । नियदुक्कियसक्कियमादी, आलोयंतेहिं गुरूयणे ॥ २००॥ गुरूवि तित्थयरभणियं, जं पच्छित्तं तहिं कहे। नीसल्लीभवति तं काउं, जइ परिहरइ असंजमं || १ || असंजमं भन्नईपावं, तं पावणे हा मुणे । हिंसा असच्चं चोरिक्कं, मेहुणं तह परिग्गहं ॥२॥ सद्दाईदियकसाए य, मणवइतणदंडे तहा । एते पावे अछड्डुंतो, णीसल्लो णो य णं 'भवे ॥३॥ हिंसा पुढवादिछब्भेया, अहवा णवदसचोद्दसहा उ अहवा अणेगहा णेया, कायभेदंतरेहिं णं ||४|| हिओवदेसं पमोत्तूण, सव्वुत्तमपारमत्थियं । तत्तधम्मस्स सव्वसल्लं मुसावायं अणेगहा || ५ || उग्गमउप्पायणेसणया, बायालीसाए तह य । पंचेहिं दोसेहिं दूसियं, जं भंडोवगरणपाणमाहारं, नवकोडीहिं असुद्धं, परिभुंजं भवे तेणो ||६|| दिव्वं कामरईसुहं, तिविहंतिविहेण अहव उरालं । मणसा अज्झवसंतो, अबंभयारी मुणेयव्वो ॥७|| नवबंभचेरगुत्ती विराहए जो य साहु समणी वा । दिठ्ठिमहवा सरागं, पउंजमाणो अइयरे बंभं ॥८॥ गणणा (प) वमाणअइरित्तं, धम्मोवगरणं तहा। सकसायकूरभावेणं. जा वाणी कलुसिया भवे ||९|| सावज्जवइदोसेसुं जा पुठ्ठा तं मुसा मुणे । ससरक्खमवि अदिण्णं, जं गिण्हे तं चोरिक्कयं ॥ २९०॥ मेहुणं करकम्मेणं, सद्दादीण वियारणे । परिग्गहं जहिं मुच्छा, लोहो कखा ममत्तयं ॥१॥ अणूणोयरियमाकंठ, भुंजे राईभोयणं । सद्दस्सणिठ्ठ इयरस्स, रूवरसगंधफरिसस्स वा ||२|| ण रागं ण प्पदोसं वा, गच्छेज्ना उखणं मुणी । कसायस्स व चक्कस्स, मणसि विज्झावणं करे ||३|| दुठ्ठे मणोवईकायादंडे णो णं पउंजए। अफासुपाणपरिभोगं, बीयकायसंघट्टणं ॥४॥ अछडेंतो इमे पावे, णो णं णीसल्लो भवे । एएसं महंतपावाणं, देहत्थं जाव कत्थई ||५|| एक्कंपि चिठ्ठए सुहुमं, णीसल्लो ताव णो भवे । तम्हा आलोयणं दाउं, पायच्छित्तं करेऊणं। एयं निक्कवडनिद्दभं, नीसल्लं काउं तवं ॥६॥ जत्थ जत्थोवज्जेज्जा, देवेसु माणुसेसु वा । तत्थुत्तमा जाई. उत्तमा सिद्धिसंपया । लभेज्जा उत्तमं रूवं, सोहग्गं जइ णं नो सिज्झिज्जा तब्भवे ॥ २१७|| ति बेमि । ★★★ महानिसीहसुयक्खंधस्स पढमं अज्झयणं सल्लुद्धरणं नाम ॥ १ ॥ ★★★ एयस्स य कुलिहियदोसो न दायव्वो सुयहरेहिं, किंतु जो चेव एयस्स पुव्वायरिसो आसि तत्थेव कत्थई सिलोगो कत्थई सिलोगद्धं कत्थई पयक्खरं कत्थई अक्खरपंतिया कत्थई पत्तगपुठ्ठिया कत्थई तिन्नि पत्तगाणि एवमाइ बहुगंथं परिगलियंति ||७|| निम्मूलुद्धियसल्लेणं, सव्वभावेण गोयमा !! झाणे पविसेत्तु सम्मेयं, पच्चक्खं पासियव्वयं ॥१॥ जे सण्णी जेवी यासन्नी, भव्वाभव्वा उ सुत्थी तिरियमुढाहं, इहमिहाडेति दसदिसिं ॥२॥ असन्नी दुविहे ए, वियलिंदि एगिदिए । वियले किमिकुंथुमच्छादी, पुढवादी एगिदिए ॥ ३ ॥ पसुपक्खीमिगा सणी, नेरइया मणुया नरा । भव्वाभव्वावि अत्थेसुं, नीरए उभयवज्जिए ||४|| घम्मत्ता जति छायाए वियलिंदी सिसिराऽऽवयं । होही सोक्खं किलऽम्हाणं, ता दुक्खं तत्थवी भवे ।।५।। सुकुमालगं गयतालुं, खणदाहं सिसिरं खणं । न इमं अहियासेउं, सक्कणं एवमादियं ||६|| मेहुणसंकप्परागाओ, मोहा अण्णाणदोसओ | पुढवादी गंदी, पण याणंती दुक्खं सुहं ||७|| परिव्वत्तं चऽणतेवि, काले बेइंदियत्तणं । केई जीवा ण पावेंती, केई पुणोऽणादियाविय ॥ ८॥ सीउण्हवायविज्झडिया, मियपसुपक्खीसिरीसिवा। सुमिणतेवि न लब्भंते, ते णिमिसिद्धब्भंतरं सुहं ||९|| खरफरूसतिक्खकरवत्ताइएहिं, फालिज्जता खणे खणे । निवसते नारया नरए, सं सोक्खं कुओ भवे ? ||१०|| सुरलोए अमरया सरिसा, सव्वेसिं तत्थिमं दुहं । उवइ (ठ्ठि) ए वाहणत्ताए, एगो अण्णो तमारूहे ॥ १ ॥ समतुल्लपाणिपादेणं, हाह मे अत्तवेरिणा । मायादंभेण धिद्धिद्धि, परितप्पेदं आया वंचिओ ||२|| सुहेसी किसिकंमंतं, सेवावाणिज्जसिप्पयं । कुव्वताऽहन्निसं मणुया, धुप्पंते एसिं कओ सुहं ? ||३|| परघरसिरिए दिठ्ठाए, एगे इज्झति बालिसे । अन्ने अपहुप्पमाणीए, अन्ने खीणाइ लच्छिए ॥४॥ पुन्नेहिं वडमाणेहिं, जसकित्ती लच्छी य वहुई। पुन्नेहिं, जसकित्ती लच्छी श्री आगमगुणमंजूषा - १३६७ FRO XGRO TOKO (६) फ्र Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PROI955555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. [७] CO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听FM यखीयई॥५॥ वाससाहस्सियं केई, मन्नते एगदिणं (पुणो)। काल गमेति दुक्खेहि, मुणया पुन्नेहिं उज्झिया ।।६।। संखेवेत्थमिमं भणिय, सव्वेसिं जगजंतुणं । दुक्खं माणुसजाईण, गोयमा ! जंतं निबोधय ।।७।। जमणुसमयमणुभवंताणं, सयहा उव्वेवियाणवि । निम्विन्नाणंपि दुक्खेहिं, वेरग्गं न तहावि भवे ।।८।। दुविहं समासओ मणूएसुल दुक्खं सारीरमाणसं । घोरं पचंडमहरोइं, तिविहं एक्केक्कं भवे॥९|| घोरं जाण मुहुत्तत्तं, घोरपयंडंति समयवीसामं । घोरपयंडमहारोई, अणुसमयमविस्सामगं मुणे॥२०|| घोरं मणुस्सजाईणं, घोरपयंडं मुणे तिरिच्छीसु । घोरपयंडमहारोई, नारयजीवाण गोयमा !||१|| माणसं तिविहं जाणे, जहन्नमज्झुत्तमं दुहं । नत्थि जहन्नं तिरिच्छाणं, दुहमुक्कोसं तु नारयं ।।२।। जं तं जहन्नगं दुक्खं, माणुसं तं दुहा मुणे । सुहुमबायरभेएणं, निविभागे इतरे दुवे ॥३॥ संमुच्छिमेसु मणूएसुं, सुहुमं देवेसु बायरं । चवणकाले महिड्डीणं, आजम्मं आभिओगाणं ॥४॥ सारीरं नत्थि देवाणं, दुक्खेणं माणसेण य । अइबलियं वज्जिम हिययं, सयखंडं जं नवी फुडे ।।५।। णिविभागे य जे भणिए, दोन्नि मज्झुत्तमे दुहे । मणुयाणं ते समक्खाए, गब्भवक्कंतियाण उ॥६|| असंखेयाउमणुयाणं, दुक्खं जाणे विमज्झिमं संखेआउमणउस्साणं तु। दुक्खं चेवुक्कोसगं ।।७।। असोक्खं वेयणा वाही, पीडा दुक्खमणिव्वुई। अणरागमरई केसं, एवमादी एगठ्ठिया बहू |८|| सारीरेयरभेदंति, जंभणियं तं पवक्खई। सारीरं गोयमा! दुक्खं, सुपरिफुडं तमवधारय ॥९॥ वालग्गकोडिलक्खमयं, भागमित्तं छिवे धुवे। अचिरअणण्णपदेससरं, कुंथुमणहवित्तिं खणं॥३०॥ तेणविकरकत्तिसल्लेर्ड, हिययसु (मु) द्धसए तणू। सीयंती अंगमंगाई गुरू, उवेइ सव्वसरीरं सब्भंतरं, कंपे थरथरस्सय॥१॥ कुंथुफरिसियमेत्तस्स, जं सलसलसले तणुं। तमवसं भिन्नसव्वंगे, कलयलडझंतमाणसे ||२|| चिंतंतो हा किं किमेयं, बाहे गुरूपीडाकरं ?। दीहुण्हमुक्कनीसासे, दुक्खं दुक्खेण नित्थरे ||३|| किमयं ? कियचिरं बाहे ?, कियचिरेणेव णिट्ठिही ?। कहं वाऽहं विमुच्चीसं?, इमाउ दुक्खसंकडा॥४॥गच्छं चेहूँ सुवं उठें, धावं णासं पलामि उ। कं डुगयं ? किं व पक्खोडं ?, किंवा पत्थं करेमिऽहं ? ||५|| एवं तिवग्गवावारतिव्वोरूदुक्खंसंकडे। पविठ्ठो बाढं संखेज्जा, आवलियाओ किलिस्सियं ॥६|| मुणेऽहमेस कंडू मे, अण्णहा णो उवस्समे। ता एवज्झवसाएणं, गोयम ! निसुणेसु जं करे॥७|| अह तं कुंथु वावाए, जइ णो अन्नत्थ गयं भवे । कंडूयमाणोऽह भित्तादी, अणुघसमाणो किलिस्सए॥८॥ जइवा वावजतं कुंथु, कंडूयमाणो व इयरहा । तोतं अइरोइज्झाथमि, पविट्ट णिच्छयओ मुणे ॥९॥ अह किलमेतउभयण्णे, रोद्दज्झाणेयरस्स उ। कंडूयमाणस्स उण देह, सुद्धमट्टज्झाणं मुणे ॥४०॥ स मज्झेरोद्दज्झाणट्ठो, उक्कोसं नारगाउयं। दुभगित्थीपंडतेरिच्छी, अट्टज्झाणो समज्जिणे॥१॥ कुंथुपदफरिसजणियाओ, दुक्खाओ उवसमत्थिया। पच्छ हल्लफलीभूते, जमवत्यंतरं वए॥२॥ विवण्णमुहलावण्णे, अइदीणा विमणदुम्मणा । सुणे चुण्णे य मूढे से, मंददरदीहनिस्ससे ॥३।। अविस्सामदुक्खहेऊहिं, असुहं तेरिच्छनारयं । कम्म निबंधइत्ताणं, भमिही भवपरंपरं ॥४॥ एवं खओवसमाओ, तं कुंथुवइयरजं दुहं । कहकहवि बहुकिलेसेणं, जइ खणमेक्कं तु उवसमे।।५।। ता महकिलेसमुत्तिन्नं, सुहियं से अत्ताणयं । मन्नंतो पमुइओ हिट्ठो, सत्यचित्तो विचिट्ठई ॥६॥ चिंतई किल निव्वुओमि अहं, निद्दलियं दुक्खंपि मे। कंडुयणादीहिं सयमेव, न मुने एवं जहा मए ।।७। रोइज्झाणगएणं इहं, अट्टज्झाणे तहेवय। संवग्गइत्ता उतं दुक्खं, अणंताणंतगुणं कडं ।।८|जवाणुसमयमणवरयं, जहाराई तहा दिणं। दुहमेवाणुभवमाणस्स, वीसामो नो वसे (भवे) ज्ज मो॥९॥ खणंपि नरयतिरिएसु, सागरोवमसंखया । रसरस विलिज्जए हिययं, जंवा इच्वंतताणवि॥५०॥ अहवा किं कुंथुजणियाउ, मुक्को सो दुक्खसंकडा । खीणट्ठकम्मस रिसा मो, भवेज्ज जणुमेत्तेणेव उ॥१|| कुंथुमुवलक्खणं इहइं, सव्वं पच्चक्खं दुक्खदं । अणुभवमाणोविजं पाणी, ण याणंती तेण वक्खई ।।२।। अन्नेवि उ गुरुयरे, दुक्खे सव्वेसि संसारिणं । सामन्ने गोयमा ! ताकिं,तस्स ते णोदए गए ?||३|| हण मरहं जम्मजम्मेसुं, वायावि उ केइ भाणिरे। तमवीह जं फलं देज्जा, पावं कम्मं पवुज्जयं ।।४।। तस्सुदया बहुभवग्गहणे, जत्थ जत्थोववज्जइ । तत्थ तत्थ सहम्मतो, मारिज्जतो भमे सया ॥५॥ जे पुण अंगउवंगं वा, आक्खिं कण्णं च णासियं । कडिअट्ठिपट्ठिभंगं वा, कीडपयंगाइपाणिणं ।।६।। कयं वा कारियं वावि कज्जंतं वाऽह अणुमयं । तस्सुदया चक्कनालिवहे , पीलीही सो तिले जहा ॥७|| इक्कं वा णो दुवे तिण्णि, वीसं तीसं न पाविय । संखेज्जे वा भवग्गहणे, लभते दुक्खपरंपरं ॥८॥ असूया मुसाऽनिट्ठवयणं, जं पमायअन्नाणादोसओ। कंदप्पनाहवाएणं, अभिनिवेसेण वा पुरो (णो) |९|| भणियं भणावियं वावि, भन्नमाणं च अणुमयं । कोहा लोहा भया हासा, तस्सुदया एयं भवे ॥६०|| मूगो पूइमुहो HerCH$$555555555555555555555[ श्री आगमगुणमजूषा - १३६८ 555555555555555555555FGIOR GO乐乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听明明军乐乐听听听听听听乐乐乐明明听听听听听听听听听 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. मुक्खो, कल्लविलल्लो भवे भवे । विहलवाणी सुयट्टोवि, सव्वत्थऽभक्खणं लभे ॥ १ ॥ अवितह भणियं नु तं सव्वं, अलियवयणंपि नालियं । जं छज्जसिनियायहियं, निद्दोसं सव्वं तयं ॥२॥ एवं चोरिक्कादिफलं सव्वं, कम्मारंभं किसादियं । लद्धस्सावि भवे हाणी, अन्नजम्मकया इहं ॥ ३ ॥ एवं मेहुणदोसेणं, वेदित्ता थावरत्तणं । केसि मतकालाउ माणुसजोणी समागया ||४|| दुक्खं जरंति आहारं, अहियं सित्यंपि भुंजियं । पीडं करेइ तेसिं तु, तण्हा वाहि (बाहे) खणे खणे ||५|| अद्धाणं मरणं तेसिं, बहुजप्पं कठ्ठासणं । थाणुव्वालं णिविन्नाणं, निद्दाए जंति णो वणिं ॥ ६ ॥ एवं परिग्हारंभदोसेणं नरगाउयं । तेत्तीससागरूक्कोसं, वेइत्ता इहमागया ||७|| छुहाए पीडिज्जंति, तत्तभुत्तुत्तरेऽविय । वरंता हत्तिसंतत्तिं, नो गच्छती पवसे जहा ॥८॥ कोहादीणं तु दोसेणं, घोरमासीविसत्तणं । वेइत्ता नारयं भूओ, रोद्दमिच्छा भवंति ते ॥९॥ दढकूडकवडनियडीए, डंभाओ सुइयं गुरुं । वेइत्ता चित्ततेरित्तं, माणुसजोणिं समागया ॥ ७०॥ केई बहुवाहिरोगाणं, दुक्खसोगाण भायणं । दारिद्दकलहमभिभूया, खिंसणिज्जा भवंतिह ॥१॥ तक्कम्मोदयदोसेणं, निच्चं पज्जलियबोदिणं । ईसाविसायजालाहिं, धगधगधगधगस्स (य) ||२|| जेमंपि गोयमा ! बाले, बहुदुहसंधुक्कियाण य । तेसिं दुच्चरियदोसो, कस्स रूसंतु ते इह ? ॥ ३॥ एवं वयनियमभंगेणं, सीलस्स उ खंडणेण वा । असंजमपवत्तणया, उस्सुत्तमग्गायरणा ॥४॥ णेगेहिं वितहायरणेहिं, पायसेवाह । मणेणं अहवा वायाए, अहवा कारण कत्थई, कयकारगाणुमएहिं वा, पमायासेवणेण य ||५|| तिविहेणमणिदियमगरहियमणालोइयमपडिक्कंतमकयपायच्छित्तमविसुद्धसयदोसउससल्ले आमगब्भेसुं पच्चिय अणंतसो वियलंते, दुतियचउपंचछण्हं मासाणं असंबद्धठ्ठी करसिरचरणछवी ॥ १ ॥ देवि माणुसे जमे, कुठ्ठादीवाहिसंजुए। जीवंते चेव किमिएहिं, खज्जती मच्छियाहि य, अणुदियहं खडखंडेहिं, सडं हडस्स सडे तणु ||६|| एवमादीदुक्खाभिभूयए, पलज्जणिज्जे खिंसणिज्जे, निंदणिज्जे गरहणिज्जे उव्वेयणिज्ने अपरिभोगे, नियसुहिसयणबंधवाणंपि भवतीति दुरप्पणो ||७|| अज्झवसायविसेसं तं, पडुच्चा के तारिसं । अकामनिज्जराए उ, भूयपिसायत्तणं लभते ॥८॥ पुव्वसल्लस्स दोसेणं, बहुभवंतरछाइणो । अज्झवसायविसेसं तं, पडुच्चा केई तारिसं ||९|| दसव दिसासु उद्धुद्धो, निच्चदूरप्पिए दढं । णिरूत्थल्लनिरूस्सासो, निराहारेण पाणए ||८०|| संपिडियंगमंगो य, मोहमदिराए घुम्मरिए। अदिडुग्गमणअत्थमणे, भवे पुढवीए गोलया किमी ||१|| भवकायद्वितीए वेएत्ता, तं तहिं किमियत्तणं । जइ कहवि लहंति मणुयत्तं, तो उ तो हुंति णपुंसगे || २ || अज्झवसायविसेसं तं, पवंहंते अइकूरघोररूद्दं । तारिसेवं महसंधुक्किया, मरितुं जम्म जति वणस्सहं ॥ ३ ॥ वणस्सई गए जीवे, उद्धपाए अहोमुहे । विचिठ्ठति अणतयं कालं, नो लभे बेइंदियत्तणं ||४|| भवकायठ्ठितीए वेपत्ता, तमेगेबितिचउरिंदियत्तणं । तं पुव्वसल्लदोसेणं, तेरिच्छेसूववज्जिउं ||५|| जइ णं भवे महामच्छे, पक्खीवसहसीहादओ । अज्झवसायविसेसंत तं, पडुच्च अच्चंतकूरयरं ||६|| कुणिममाहारत्ताए, पंचेदियवहेण य । अहो अहो पविस्संति, जाव पुढवी उ सत्तमा ॥७॥ तं तारिसं महाघोरं, दुक्खमणुभविउं चिरं । पुणोवि कूरतिरिएसु. उववज्जिय नरयं वए ||८|| एवं नरयतिरिच्छेसुं, परियट्टंतो विचिठ्ठई। वासकोडीएवि नो सक्का कहिउं, जं तं दुक्खं अणुभवमा ||९|| अह खरूट्टबइल्लेसुं भवेज्जा तब्भवंतरे । सगडाइठ्ठा (यह) णभरूव्वहणखुत्तुण्हसीयायवं ||१०|| वहबंधणकणणासाभेदणिल्लंछणं तहा । जमलाराईहिं कुच्चाहि कुच्चिज्जंताण य, जहा राई तहा दियहं, सव्वद्धा उ सुदारूणं ॥ १॥ एवमादीदुक्खसंघट्टं, अणुहवंति चिरेण उ । पाणे य एहिति कहकहवि, अट्टज्झाणदुहट्टिए ||२|| अज्झवसायविसेसं तं, पडुच्चा केइ कहवि लब्भंते माणुसत्तणं । तप्पुव्वसल्लदोसेणं, माणुसत्तेवि आगया || ३ || भवंति जम्मदारिद्दा, वाहीखसपामपरिगया । एवं अदिठ्ठकल्लाणे, सव्वजणस्स सिरिं हाइउं ||४|| संतप्पंते दढं मणसा, अकयभवे णिहणं वए। अज्झवसायविसेसं तं, पडुच्चा केइ तारिसं ॥५॥ पुणोवि पुढविमाईसुं, भमंती ते दुतिचउरोपंचेदिएसु वा । तं तारिसं महादुक्खं, सुरूद्दं घोरदारुणं ||६|| चउगइसंसारकंतारे, अणुभवमाणे सुदूसहं । भवकायद्वितीए हिंडते, सव्वजोणीसु गोयमा ! ||७|| चिट्ठति संसरेमाणा जम्ममरणबहुवाहिवेयणारोगसोगदालिद्दकलहब्भक्खाणसंभवि ( वावि) गब्भव सादिसुक्खसंधुक्किए तप्पुव्वसल्लदोसेणं निव्वाणानंदमहूस वथामजोग्गअठ्ठारससीलंगसहस्साहिठ्ठियस्स सव्वासुहपावकम्मरासिनिद्दहण अहिंसालक्खणसमणधम्मस बोहिं णो पावेंतित्ति ||२|| 'अज्झवसायविसेसं तं, पडु (मु) च्चा केई तारिसं । पोग्गलपरियट्टलक्खेसुं, बोहिं कहकहवि पाव ॥८॥ एवं सुदुल्लहं बोहिं, सव्वदुक्खखयंकरं । LTL LLLLLLL श्री आगमगणमजषा १३६९ OR NORO (८) Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TORS5555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. 5555 55555555SONOR GC8乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 लद्धुणं जे पमाएज्जा, तहुत्तं सो पुणो वए ।।९।। तासुं तासुं च जोणीसुं, पुव्वुत्तेण कमेण उ। पंथेणं तेणई चेव, दुक्खे ते चेव अणुभवे ॥१००|| एवं भवकायद्वितीए, सव्वभावेहि पोग्गले । सव्वे सपज्जए लोए, सव्ववन्नंतरेहिं य ।।१|| गंधत्ताए रसत्ताए,फासत्ताए संठाणत्ताए। परिणामेत्ता सरीरेणं, बोहिं पाविज्ज वा ण वा ॥२॥ एवं वयनियमभंगं, जे कज्जमाणमुवेक्खए। अह सीलं खंडिज्जतं, अहवा संजमविराहणं ||३|| उम्मग्गपवत्तणं वावि, उस्सुत्तायरणंपि वा । सोऽविय अणंतरूत्तेण, कमेणं चउगई भवे (मे) ||४|| रूसउ तुसओ परो मा वा, विसं वा परियत्तओ। भासियव्वा हिया भासा, सपक्खगुणकारिया ।।५।। एवं लद्धामवि बोहिं, जइ णं तो भवइ निम्मला । ता संवुडासवदारे (पगइठिइपएसाणुभावियबंधो) नेहो सो नो य निज्जरे ॥६।। एमादीघोरकम्मठ्ठजालेणं कसियाण भो !| सव्वसिमवि सत्ताणं, कुओ दुक्खविमोयणं ? ||७|| पुव्विं दुक्कयदृच्चिण्णाण दुप्पडिकंताणं निययकम्माणं ण अवेइयाणं मोक्खो घोरतवेण अज्झोसियाण वा ।।३।। अणुसमयं वच्च (बन्ध) ए कम्म, णत्थि अबंधो उ पाणिणो। मोत्तुं सिद्धा यऽजोगी य, सेलेसीसंठिए तहा ।।८।। सुहं सुहन्झवसाएणं, असुहं दुठ्ठज्झवसायओ। तिव्वयरेणं तु तिव्वयरं, मंदं मंदेण संचिणे ।।९।। सव्वेसिं पावयम्माणं एगीभूयाण जेत्तियं रासिं भवे तमसंखगुणं वयतवसंजमचारित्तखंडणविराहणेणं उस्सुत्तम्गपन्नवणपवत्तणआयरणोवेक्खणेण य समज्जिणे ॥४|| 'अपरिमाणगुरूतुंगा, महंती घणनिरंतरा । पावरासी खयं गच्छे, जहा तं सव्वो बाहिं (वा हिय) मायरे॥११०॥ आसवदारे निरूभित्ता, अप्पमादी भवे जया। बंधिमप्पं बहुं वेदे, जइ सम्मत्तं सुनिम्मल ॥१|| आसवदारे निरूंभेत्ता, आणं नो खंडए जया। दंसणनाणचरित्तेसुं, उज्जुत्तो जो दढं भवे ।।२।। तया वेए खणं बंधिं, पोराणं सव्वं खवे । अणुइण्णमवि उईरित्ता, निज्जियघोरपरिसहो ॥३॥ आसवदारे निरूभित्ता, सव्वासायणविरहिओ। सज्झायज्झाणजोगेसुं, धीरवीर तवे रओ||४|| पालिज्जा संजमं कसिणं, वाया मणसा उ कम्मुणा । जया तया ण बंधिज्जा, उक्कोसमणंतं च निज्जरे ।।५।। सव्वावस्सगमुज्जुत्तो, सव्वालंबणविरहिओ। विमुक्को सव्वसंगेहिं, सबज्झभंतरेहिं य॥६॥ गयरागदोसमोहे य, निन्नियाणो भवे जया । नियत्तो विसयतत्तीए, भीए गब्भपरंपरा ||७|| आसवदारे निरूभित्ता, खंतादी यमेवि संठिए । सुक्कज्झाणं समारूहिय, सेलेसिं पडिवज्जए ||८|| तया न बंधए किंचि, चिरबद्धं असेसंपि निद्दहिय झाणजोगअग्गीए भसमीकरे दढं लहुपंचक्खरूग्गिरणमित्तेण कालेण भवोवग्गाहियं ||५|| ‘एवं- 'जीववीरियसामत्था, पारंपरएण गोयमा !। पविमुक्ककम्ममलकवया, समएणं जंति पाणिणो ||९|| सासयसोक्खमणाबाहं, रोगजरमरणविरहियं । अदिट्ठदुक्खदारिदं, निच्चाणंदं सिवालयं ।।१२०।। अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे एयमणुपवेसिय। आसवदारनिरोहादी, इयराहयसोक्खं चरे ॥१॥ ता जाव कसिणठकम्माणि, घोरतवसंजमेण उ । णो णिहड्डे सुहं ताव, नत्थि सिविणेऽवि पाणिणं ।।२।। दुक्खमेवमविस्सामं, सव्वेसिं जगजंतूणं । एक्कसमयं न समभावे, जं सम्म अहियासियंतरे ॥३॥ थेवमवि थेवतरं, थेवयरस्सावि थेवयं । जेणं गोयमा ! ता पेच्छ, कुंथु तस्सेव य ण तणू ||४|| 5- पायतलेसुन तस्सावि, तसिमेगदेसमणु । फरिसंतो कुंथु जेणं, चरई कस्सइ सरीरगे॥५॥ कुंथुणं सयसहस्सेणं, तोलियं णो पलं भवे । एगस्स कित्तिय गत्तं ?, किंवा म तुल्लं भवेज से ?||६|तस्स यपाययलदेसेणं, तस्स फरिसिउ तमक्त्यंतरं। पुव्वुत्तं गोयमा ! गच्छे, पाणी ता णं इमं मुणे ॥७|| भमंतसंचरंतो य, हिंडिणो मइले तणू। न करे कुंथूखयं ताणं, णियवासी य चिरं वसे ॥८॥ अह चिढ़े खणमेगं तु बीयं नो परिवसे खणं । अह बीयंपि विरत्तेज्जा, ता जुज्जउऽयं तु गोयमा ! ॥९॥ रागेणं नो ॐ पओसेणं, मच्छरेणं न केणई। नं यावि पुव्ववेरेणं, खेड्डातो कामकारओ॥१३०|| कुंथू कस्सइ देहिस्स, आरूहेइ खणं तणुं। वियलिंदी भुण पाणे वा, जलंतग्गिं वावी म विसे ॥१॥ न चिंते तं जहा मेस, पुव्ववेरीऽहवा सुही । ता किंची मम (ह) पावं वा, संजणेमि एयस्सऽहं ।।२।। पुव्वकडपावकम्मस्स, विराभे पुंजतो फले । म तिरिउड्डाहदिसाणुदिसं, कुंथू हिंडे वराय से ।।३।। चरते व महावाए, सारीरं दुक्खमाणसं । कुंथूवि दूसहं जत्ते, रोद्दट्टज्झाणवड्डणं (२८०) ||४|| ता सल्लमारभेत्ताण, मणजोगन्नयरेण वा। समयावलियमुहुत्तं वा, सहसा तस्स विवागयं ।।५।। कह सहिहं बहुभवग्गहणे, दुहमणुसमयमहण्णिसं । घोरपयंडं व महारोई ? हाहाऽऽकंदपरायणा ॥६॥ नारयतिरिच्छजोणीसु. अज्झा (त्ता) णासरणोऽविय । एगागी ससरीरेणं. असहाया कडु विरसं घणं ।।७|| असिवणवेयरणीजंते, करवत्ते कूडसामलिं। कुंभीयवायसा सीह, एमादी नारए दुहे ||८|| णत्थंकणवहबंधे य, पल्लुक्कं तविकत्तणं । सगडाकडणभरू व्वहणं, जमला य तण्हा छु हा ।।९।। Proros#####555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३७० 55 555555555555555555$$STOR Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ xox9555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. [१०] C%乐乐乐乐听听听听听听听听听国乐乐听听乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5G खरखुरचमृणसत्थग्गीखोभणंजणमाइए। परयत्ताऽवसणित्तिंसे, दुक्खे तेरिच्छे तहा॥१४०॥ कुंथूपयफरिसजणयंपि, दुक्खं नऽहियासिउंतरे। ता तं महदुक्खसंघटुं, कह नित्थरिहि सुदारूणं ?||१|| नारयतेरिच्छदुक्खाउ, कुंथूजणियाउ अंतरं। मंदरगिरिअणंतगुणियस्स, परमाणुस्सावि नो घडे ।।२।। चिरयाले संमुहं पाणी, कंखंतो आसाए निच्च (च्छि) ओ। भवे दुक्खमईयंपि, सरंतोऽच्वंतक्खिओ ।।३।। बहुदुक्खसंकडठूत्थं, आवयालक्खपरिगए । संसारे परिवसे पाणी, अयंडे महुबिंदु जहा ॥४|| पत्थापत्थं अयाणंते, कज्जाकज्नं हियाहियं । सच्चासच्चमसच्चं च, चरणिज्जाचरणिज्ज तहा।।५।। एवइयं वइयरं सोच्चा, दुक्खस्संतगवेसिणो। इत्थीपरिग्गहारंभे, चेज्जा घोरं तवं चरे ॥६।। बियासणत्था सयिया परंमुही, सुयलंकरिया वा अनलंकिया वा । तिरिक्खमाणोपमया हि दुब्बलं, मणुस्समालेहगयावि करिसई ।।७।। चित्तभित्तिं न निज्झाए, नारिं वा सुयलंकियं । भक्खरंपिव दट्ठणं, दिट्टि पडिसमाहरे ॥८॥ हत्थपायपडिच्छिन्नं, कन्ननासोवियप्पियं । सडमाणी कुठ्ठवाहीए, (तमवित्थीयं दूरयरेणं) बंभयारी विवज्जए।।९।। थेरभज्जा य जा इत्थी, पच्चंगुन्भडजोव्वणा । जुन्नकुमारि पउत्थवइयं , बालविहवं तहेव य॥१५०॥ अंतेउरवासिणी चेव, सपरपासंडसंसियं । दिक्खियं साहुणीं वावि, वेसं तय नपुंसगं ||१|| कण्डिं गोणि खरिं चेव, वडवं अविलं अवि तहा । सिप्पित्थिं पंसुलिं वावि जमरोगमहिलं तहा ॥श चिरसंसठ्ठमविलक्खं, पमादी पावित्थिओ । पगमंती जत्थ रयणीए, अइपइरिक्के दिणस्स वा ॥३|| तं वसहियं संनिवेसं वा, सव्वोवाएहिं सव्वहा । दूरयरं सुदूरदूरेणं, बंभयारी विवज्जए॥४॥ एएसिं सद्धिं संलावं, अद्धाणं वावि गोयमा !। अन्नासु वावि इत्थीसु, खणलंपि विवज्जए ॥१५५।। से भयवं ! किमित्थीयं णो णं णिज्झाएज्जा?, गोयमा ! णो णं णिज्झाएज्जा, से भयवं! किं मुणियत्थं वत्थालंकरियविहूसियं इत्थीयं नोणं निज्झाएज्जा उयाहुणं विणियसणिं?, गोयमा ! उभयहावि णं णो णं णिज्झाएज्जा. से भयवं ! किमित्थीयं नो आलवेज्जा ?, गोयमा ! नो णं आलवेज्जा, से भयवं ! किमित्थीसु सद्धिं खणद्धमवि णो संवसेज्जा ?. गोयमा ! नो णं संवसिज्जा. से भयवं ! किमित्थीसु सद्धिं नो अद्धाणं पडिवज्जेज्जा ?. एगे बंभयारी एगित्थीए सद्धि नो पडिवज्जेज्जा ।।६।। से भयवं ! केणं अद्वेणं एवं वुच्चइ-जहा णं नो इत्थीणं निज्झाएज्जा नोणमालवेज्जा नो णं तीए सद्धिं परिवसेज्जा नो णं अद्धाणं पडिवज्जेज्जा ?, गोयमा ! सव्वप्पयारेहिं णं सव्वित्थीयं अच्वत्थं गउक्कडत्ताए रागेणं संधुक्किज्जमाणी कामग्गीए संपलित्ता सहावओ चेव विसएहिं बाहिज्जइ, तओ सव्वप्पयारेहिं णं बाहिज्जमाणी अणुसमयं सव्वदिसिविदिसासां णं सव्वत्थ विसए पत्थिज्जा, जाव णं सव्वत्थ विसए पत्थिज्जा ताव णं सव्वत्थ पयारेहिणं सव्वहावि पुरिसे संकप्पेज्जा. जाव णं पुरिसे संकप्पेज्जा तावणं सोइंदिओवओगत्ताए चक्खुरिदिओवओगत्ताए रसणिदिओवओगत्ताए घाणिदिओवओगत्ताए फासिदिओवओगत्ताए जत्थ णं केई पुरिसे कंतरूवेइ वा अकंतरूवेइ वा पडुप्पन्नजोव्वणेइ वा अपडुप्पन्नजोव्वणेइ वा दिठ्ठपुव्वेइ वा अदिठ्ठपुव्वेइ वा इड्डिमतेइ वा अणिड्डिमंतेइ वा इड्डिपत्तेइ वा अणिड्डिपत्तेइ वा विसयाउरेइ वा निव्विन्नकामभोगेइ वा उद्धयबोंदीएइ वा अणुद्धयबोंदीएइ वा महासत्तेइ वा हीणसत्तेइ वा महापुरिसेइ वा कापुरिसेइ वा समणेइ वा माहणेइ वा अन्नयरे वा निदियाहमहीणजाइए वा तत्थ णं ईहापोहवीमंसं पउंजित्ताणं संजोगसंपत्तिं परिकप्पेज्जा, जाव णं संजोगसंपत्तिं परिकप्पेज्जा ताव णं से चित्ते संखुद्धे भवेज्जा, जाव णं से चित्ते संखुद्धे भवेज्जा ताव णं से चित्ते विसंवएज्जा, जाव णठ से चित्ते विसंवएज्जा तावणं से देहे सेएणं अद्धासेज्जा, जाव णं से देहे सेएणं अद्धासेज्जा तावणं से दरविदरे इहपरलोगावाए पम्हुसेज्जा, जाव णं से दरविदरे इहपरलोगावाए पम्हुसेज्जा तावणं चेच्चा लज्जं भयं अयसं अकित्तिं मेरं अच्चठ्ठाणाओ णीयठ्ठाणं ठाएज्जा, जाव णं उच्चठ्ठाणाओ नीयठ्ठाणं ठाएज्जा ताव णं वच्चेज्जा असंखेज्जाओ समयावलियाओ, जाव णं निजंति असंखेज्जाओ समयावलियाओ ताव णं जं पढमसमयाओ कम्मठ्ठिइयं तं बियसमयं पडुच्च तइयादियाण समयाणं संखेनं असंखेज्ज अणंतं वा अणुक्कमसो कम्मठिई संचिणिज्जा. जावणं अणुक्कमसो अणंतकम्मठ्ठिइं सचिणइ तावणं असंखेज्जाई अवसप्पिणीकोडिलक्खाइं जावइएणं कालेणं परिवत्तंति तावइयं कालं दोसुं चेव निरयतिरिच्छासु गतीसुं उक्कोसठ्ठिइयं कम्मं आसंकलेज्जा. जावणं उक्कोसठितियं कम्ममासंकलेज्जा तावणं से विवण्णुजुत्तिविवण्णकंतिविचलियलायण्णसिरीयं निन्नछुदित्तितेयं बोंदी भवेज्जा, जावणं चुयकंतिलावण्णसिरीयं णित्तेयं बोंदी भवेज्जा तावणं सेसीइज्जा फरिसिदिए. anduration intorrotioor-2029.9% - -.-.-.-ririnENE LEHEEपीआयमयणमजषा-१३७ELECF 555555555555555555OOK Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. [११] 55555555555552 95555 %%%%%%%%% जाव णं सीएज्जा फरिसिदिए ताव णं सव्वहा विवढेज्जा सव्वत्थ चक्खुरागे. जाव णं सव्वत्थ विवढेज्जा चक्खुरागे ताव णं रागारूणे नयणजुयले भवेज्जा. जाव णं रागारूणे नयणजुयले भवेज्जा तावणं रागंधत्ताए ण गणेज्जा सुमहंतगुरूदोसे वयभंगे न गणेज्जा सुमहंतगुरूदोसे नियमभंगे न गणेज्जा सुमहंतघोरपावकम्मसमायरणं सीलखंडणं न गणेज्जा सुमहंतसव्वगुरूपावकम्मसमायरणं संजमविराहणं न गणेज्जा घोरंधयारपरलोगदुक्खभयं न गणेज्जा आयं न गणेज्जा सकम्मगुणठ्ठाणगं न गणेज्जा ससुरासुरस्साविणं जगस्स अलंघणिज्ज आणं न गणेज्जा अणंतहुत्तो चुलसीइजोणिलक्खपरिवत्तगब्भपरंपरं अलद्धणिमिसद्धसोक्खं चउगइसंसारदुक्खं ॐण पासिज्जा जं पासणिज पासेज्जा जं अपासणिज्ज सव्वजणसमूहमज्झसंनिविदुठ्ठिया णिवन्नचकमियनिरिक्खिज्जमाणी वा दिप्पंतकिरणजालदसदिसी पयासियतवंततेयरासी सूरीएवि तहावि णं पासेज्जा सुन्नधयारे सव्वदिसाभाए, गाव णं रागंधत्ताए ण गणेज्जा सुमहल्लगुरूदोसवयभंगे सीलखंडणे संयमविराहणे परलोगभए आणाभंगाइक्कमे अणंतसंसारभए पासेज्जा अपासणिज्जे सव्वजणपयडदिणयरेवि णं मन्नेज्जा सुन्नधयारे सव्वे दिसाभाए ताव णं भवेज्जा अच्चंतनिन्भठ्ठसोहग्गाइसए. विच्छाए रागारूणपंडुरे दुईसणिज्जे अणिरिक्खणिज्जे वयणकमले भवेज्जा, जावं च णं अच्वंतनिब्भठ्ठ जाव भवेज्जा ताव णं फुरूफुरेज्जा सणियं सणियं पोंडुपुडनियबवच्छोरुहबाहुलडुरकंठपएसे, जाव णं फुसफुरेति पोडपुडनियंबवच्छोरूहबाहुवलयउरकंठप्पएसे ताव णं मोट्टायमाणी अंगपाडियाहिं निरूवलक्खे वा सोवलक्खे वा भंजेज्जा सव्वंगोवंगे, जाव णं मोट्टायमाणी अंगपालियाहिं भंजेज्जा सव्वंगोवंगे ताव णं मयणसरसन्निवाएणं जज्जरियसंभिन्ने (निभे) सव्वे रोमकूवे तणू भवेज्जा, जावणं मयणसरसन्निवाएणं विद्धंसिए बोंदी भवेज्जा तावणं तहा परिणमेज्जातणूजहा णं मणगं पयलंति धातूओ, जाव णं मणगं पयलंति धातूओ ताव णं अच्चत्थं बाहिज्जति पोग्गलनियंबोरूबाहुलइयाओ, जाव णं अच्चत्थं बाहिज्जइ नियंब ताव णं दुक्खेणं धरेज्जा गत्तयष्ठिं, जाव णं दुक्खेणं धरेज्जाई गत्तय,ि तव णं से णोवलक्खेज्जा अत्तीयं सरीरावत्थं, जाव णं णोवलक्खेज्जा अत्तीयं सरीरावत्थं ताव णं दुवालसेहिं समएहिं दरनिच्चिटुं भवे बोंदी, गव णं दुवालसहिं दरनिच्चिठे बोदि भवेज्जा ताव णं पडिखलेज्जा से ऊसासनीसासे, जावणं पडिखलेज्जा उस्सासनीसासे ताव णं मंद मंद ऊससेज्जा मंद मंदं नीससेज्जा, जावणं एयाइं इत्तियाहं भावंतरअवत्थंतराइं विहारेज्जा ताव णं जहा गहग्घत्थे केइ पुरिसेइ वा इथिएइ वा विसंठुलाए पिसायाए भारतीए असंबद्ध संलवियं विसंठुलं तं अच्चंतं उल्लविज्जा एवं सिया णं इत्थीयं, विसमावत्तमोहणमम्मणालावेणं पुरिसे दिठ्ठपुवेइ वा अदिठ्ठपुव्वेइ वा कंतरूवेइ वा अकंतरूवेइ वा गयजोव्वणेइ वर पडुप्पन्नजोव्वणेइ वा महासत्तेइ वा हीणसत्तेइ वा सप्पुरिसेइ वा जावणं अन्नयरे वा केई निदियाहमहीणजाइए वा अज्झत्थेणं ससज्झसेणं आमंतेमाणी उल्लावेज्जा, जाव णं संखेज्जभेदभिन्नेणं सरागेणं सरेणं दिठ्ठीए वा पुरिसे उल्लावेज्जा निज्झाएज्जा ताव णं जं तं असंखेज्जाइं अवसप्पिणीउस्सप्पिणीकोडिलक्खाई दोसुं नरयतिरिच्छासु गतीसु उक्कोसद्वितीयं कम्मं आसंकलियं आसि तं निबंधिज्जा, नो णं बद्धपुटुं करेज्जा, सेऽविणं जंसमयं पुरिसस्सणं सरीरावयवफरिसणाभिमुहे भवेज्जा णो णं फरिसेज्जा तसमय चेव तं कम्मठिई बद्धपुर्व्ह करेज्जा, नोणं बद्धपुठ्ठनिकायंति ॥७|| एयावसरम्मि उगोयमा ! संजोगेणं संजुज्जेज्जा, सेऽविणं संजोए पुरिसायत्ते, पुरिसेऽविणं जेणं ण संजुज्जे से धन्ने जेणं संजुज्जे से अधण्णे ।।८॥ से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा पुरिसेविणं जेणं न संजुज्जे से धन्ने जेणं संजुज्जे सेणं अधन्ने ?, गोयमा ! जेणं से तीए इत्थीए पावाए बद्धपुठ्ठकम्मठ्ठिई चिठ्ठइ सेणं पुरिससंगेणं निकाइज्जइ, तेणं तु बद्धपुठ्ठनिकाइएणं कम्मेणं सा वराई त तारिसं अज्जवसायं पडुच्चा एगिदियत्ताए पुढवादीसुं गया समाणी अणंतकालपरियट्टेणविणं णो पावेज्जा बेइंतियत्ताणं, एवं कहकहवि बहुकेसेण अणंतकालाओ एगिदियत्तणं खविय बेइंदियत्तं तेइंदियत्तं चउरिदियत्तमवि केसेणं वेयइत्ता पंचेंदियत्तणं आगया समाणी दुब्भगित्थियं पंडतेरिच्छं वेयमाणी हाहाभूयकठ्ठसरणा सिविणेवि अदिठ्ठसोक्खा निच्चं संतोवुव्वेविया सुहिसयणबंधवविवज्जिया आजम्मं कुच्छणिज्ज गरहणिज्जं निंदणिज्जं खिसणिज्ज बहुकम्मतेहिं अणेगचाडुसएहि लद्धोदरभरणा सव्वलोगपरिभूया चउगईए संसरेज्जा, अन्नं च णं गोयमा ! जावइयं तीए पावइत्थीए बद्धपुठ्ठनिकाइयं कम्मठ्ठिइयं समज्जियं तावइयं इत्थियं अभिलसिउकामे पुरिसे उक्किट्ठक्किठ्ठयरं अणंतं कम्मठ्ठिई बद्धपुठ्ठनिकाइयं समज्जिणिज्जा. एतेणं अठ्ठणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहा णं पुरिसेऽवि णं जे णं नो संजुज्जे से णं धन्ने णं संजुज्जे से णं xoxo555555555555559 श्री आगमगुणमंजूषा - १३७२5555555555555555555x5XSAKSION 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐玩5CM GO步兵明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5QY Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOTOS乐乐乐乐所折折折乐乐乐乐乐场乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听 明明明明明乐乐 (३५) महानिसीह छेयसुताशन श अधन्ने ॥९॥ भयवं ! (केस णं) पुरिसेस णं पुच्छा जाव णं वयासी ? गोयमा ! छविहे पुरिसे नेये, तंजहा-अहमाहमे अहमे विमज्झिमे उत्तमे उत्तमुत्तमे सव्वुत्तमे ॥१०॥ तत्थ णं जे सव्वुत्तमे पुरिसे से णं पच्चंगुब्भडजोव्वणसव्वुत्तमरूवलावण्णकतिकलियाएवि इत्थीए नियंबारूढो वाससयंपि चेठ्ठिज्जा णो णं मणसावितं इत्थियं अभिलसेज्जा॥११|| जे णं तु से उत्तमुत्तमे से णं जहकहवि तुडितिहाएणं मणसा समयमेक्वं अभिलसे तहावि बीयसमए मणं संनिरूभिय अत्ताणं निदजा गरहेज्जा, न पुणो बीएणं तज्जमे इत्थीयं मणसावि उ अभिलसेज्जा. जेणं से उत्तमे पुरिसे से णं जहकहवि खणं मुहुत्तं वा इत्थियं कामिज्जमाणिं पेक्खिज्जा तओ मणसा अभिलसेज्जा जावणं जामं वा अद्धजामं वा णो णं इत्थीए समं विकम्मं समायरेज्जा ।।१२।। जइणं बंभयारी कयपच्चक्खाणाभिग्गहे, अहाणं नो बंभयारी नो कयपच्चक्खाणाभिग्गहे तो णं नियकलत्ते भयणा, ण उणं तिव्वेसु कामेसुं अभिलासी भविज्जा, तस्स एयस्स णं गोयमा ! अस्थि बंधे, किं तु अणंतसंसारियत्तणं नो निबंधिज्जा ॥१३|| जेणं से विमज्झिमे से णं नियकलत्तेण सद्धिं चिय इमं समायरेज्जा, णो णं परकलत्तेणं, एसे य णं जइ पच्छा उग्गबंभयारी नो भवेज्जा तो णं अज्झवसायविसेसं तं तारिसमंगीकाऊणं अणंतसंसारियत्तणे भयणा, जओणं केई अभिगयजीवाइपयत्थे भव्वसत्ते आगमाणुसारेणं सुसाहूणं धम्मोवळूभदाणाई दाणसीलतवभावणामइए चउव्विहे धम्मखंधे समणु→ज्जा से णं जइकहवि नियमवयभंगं न करेज्जा तओ णं सायपरंपरएणं सुमाणुसत्तदेवत्ताए जाव णं अपरिवडियसम्मत्ते निसग्गेण वा अभिगमेण वा जाव अठ्ठारससीलंगसहस्सधारी भवित्ताणं निरूद्धासवदारे विह्यरयमले पावयं कम्मं खवेत्ताणं सिज्झिज्जा ॥१४॥ जे य णं से अहमे से णं सपरदारासत्तमाणसे अणुसमयं कूरज्झवसायज्झवसियचित्तेहिं सारंभपरिग्गहाइसु अभिरए भवेज्जा. तहा णं जे य से अहमाहमे से णं महापावकम्मे सव्वाओ इत्थीओ वाया मणसा य कंमुणा तिविहंतिविहेणं अणुसमयमभिलसेज्जात हा अच्चंतकूरज्झवसायअज्झवसिएहिं चित्तेहिं सारंभपरिग्गहासत्ते कालं गमेज्जा. एएसिं दोण्हंपिणं गोयमा ! अणंतसंसारियत्तणं णेयं ॥१५|| भयवं! जेणं से अहमे जेऽविणं से अहमाहमे पुरिसे तेसिंच दोण्हपि अणंतसंसारियत्तणं समक्खायं तोणं एगे अहमे एगे अहमाहमे एतेसिं दोण्हपि पुरिसावत्थाणं के पइविसेसे?, गोयमा ! जेणं से अहमपुरिसे से णं जइवि उ सपरदारासत्तमाणसे कूरज्झवसायज्झवसिएहिं चित्तेहिं सारंभपरिग्गहासत्तचित्ते तहावि णं दिक्खियाहिं साहुणीहिं अन्नयरासुं (हिं) च सीलसंरक्खणपोसहोववासनिरयाहिं दुक्खियाहिं गारत्थीहिं वा सद्धिं आवडियपिल्लियामंतिएवि समाणे णो य चियमंसमायरेज्जा. जे य णं से अहमाहमे पुरिसे से णं नियजणणिपभिई जाव णं दिक्खियाहिं साहुणीहिपि समं चियमंसं समायरिज्जा. तेण चेव से महापावकम्मे सव्वाहमाहमे समक्खाए. से णं गोयमा ! पइविसेसे, तहा य जेणं से अहमपुरिसे से णं अणंतेणं कालेणं बोहिं पावेज्जा, जे म य उण से अहमाहमे महापावकारी दिक्खियाहिपि साहुणीहिपि समं चियमंसं समायरिजा से णं अणंतहुत्तोवि अणंतसंसारमाहिडिऊणंपि बोहिं नो पावेज्जा, एस णं है गोयमा ! बितिए पइविसेसे ॥१६॥ तत्थ णं जे से सव्वुत्तमे से णं छउमत्थवीयरागे णेये, जे णं तु से उत्तमुत्तमे से णं अणिड्डिपत्तपभितीए जाव णं उवसमगे वा खवए वातव णं निओयणीए. जे णं च से उत्तमे से णं अप्पमत्तसंजए णेए, एवमेएसिं निरूवणा कुज्जा ||१७|| जे उण मिच्छद्दिट्ठि भावेऊणं उग्गबंभयारी भवेज्जा हिसारंभपरिग्गहाईणं विरए से णं मिच्छद्दिठ्ठी चेव, णोणं सम्मद्दिठ्ठी, तेसिंचे णं अवेइयजीवाइपयत्थसब्भावाणं गोयमा ! नोणं उत्तमत्ते अभिनंदणिजे पसंसणिज्जे वा भवइ, जओ णं अणंतरभविए दिव्वोरालिए विसए पत्थेज्जा, अन्नं च कयादी तिदिवित्थियादओ संचिक्खिया तओ णं बंभव्वयाओ परिभसिज्जा, णियाणकडे वा हवेज्जा ॥१८॥ जे य णं से विमज्झिमे से णं तारिसमज्झवसायमंगीकिच्चाणं विरयाविरए दट्ठव्वे ||१९|| तहा णं जे से अहमे तहा जेणं से अहमाहमे तेसिं तु एगतेणं जहा इत्थीसुं तहाणं नेएजावणं कम्मट्ठिइयं समज्जेज्जा, णवरं पुरिसस्स णं संचिक्खणगेसुं वच्छरूहोवरितलपक्खएसुं लिंगे य अहिययरं रागमुप्पज्जे, एवं एते चेव म छ पुरिसविभागे ॥२०॥ कांसि च इत्थीणं गोयमा ! भव्वत्तं सम्मवदढत्तं च अंगी काऊणं जावणं सव्वुत्तमे पुरिसविभागे तावणं चिंतणिज्जे, नो णं सव्वेसिमित्थीणं ॥२१|| एवं तु गोयमा ! जीए इत्थीए तिकालं पुरिससंजोगसंपत्तीण संजाया अहाणं पुरिससंजोगसंपत्तीएवि साहीणाए जावणं तेरसमे चोद्दसमे पन्नरसमेणं च समए MeroS435555555555555555555[ श्री आगमगुणमंजूषा - १३७३ 55555555555555555555555 NOTION 50明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明 ॐ 555555 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FORO5555555 (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) द्वि. अ. [१३] 1555555555555555OOK Pणं पुरिसेणं सद्धिं ण संजुत्ता णो चियसंममायरियं से णं जहा घणकठ्ठतणदारूसमिद्धे केइ गामेइ वा नगरेइ वा रन्नेइ वा संपलित्ते चंडानिलसंधुक्खिए पयलित्ताण २ म. णिडज्झिय २ चिरेणं उवसमज्जा एवं तु णं गोयमा ! से इतथीकामग्गी संपलित्ता समाणी णिडज्झिय २ समयचउक्केणं उवसमज्जा, एवं इगधीसइमे बावीसइमे जाव म. णं सत्ततीसइमे समए, जहा णं पदीवसिहा वावन्ना पुणरवि सयं वा तहाविहेणं चुन्नजोगेण वा पयलेज्जा एवं सा इत्थी पुरिसदंसणेण वा पुरिसालावगकरिसणेण वा मदेणं कंदप्पेणं कामग्गीए पुणरवि उप्पयलेज्जा।।२२।। एत्थं च गोयमा ! जमित्थीयं भएण वा लज्जाए वा कुलंकुसेण वा जावणं धम्मसद्धाए वा तं वेयणं अहियासेज्जा 卐 नो णं चियमंसं समायरिज्जा से णं धन्न से णं पुन्ना से यणं वंदा से णं पुज्जा से णं दट्ठव्वा से णं सव्वलक्खणा से णं सव्वकल्लाणकारया से णं सव्वुत्तममंगलनिही से णं सुयदेवया से णं सरस्सती से णं अवहुंडी से णं अच्चुया से णं इंदाणी से णं परमपवित्तुत्तमा सिद्धी मुत्ती सासया सिवगइत्ति ॥२३|| जमित्थियं तं वेयणं नो अहियासेज्जा चियमंसं समायरेज्जा से णं अधन्ना से णं अपुण्णा से णं अवंदा से णं अपुज्जा से णं अदठ्ठवा से णं अलक्खणा से णं भग्गलक्खणा से णं सव्वअमंगलअकल्लाणभायणा से णं भठ्ठसीला से णं भठ्ठायारा से णं परिभठ्ठचारित्ता से णं निंदणीया से णं खिंसणिज्जा सेणं कुच्छणिज्जा से णं पावा सेणं पावपावा से णं महापावपावा से णं अपवित्तत्ति, एवं तु गोयमा ! चडुलत्ताए भीरूत्ताए कायरत्ताए लोलत्ताए उम्मायओ वा कंदप्पओ वा दप्पओ वा अणप्पवसओ वा आउट्टियाए वा जमित्थियं संजमाओ परिभस्सियं दूरद्धाणे वा गामे वा नगरे वा रायहाणीए वा वेसग्गहणं अच्छड्डिय पुरिसेण सद्धिं चियमंसमायरेज्जा भुजो २ पुरिसं कामेज्ज वा रमेज्ज वा अहा णं तमेव दोयद्धियं कज्जमिइ पक्खिप्पेत्ताणं तमाइंचेज्जा, तं चेव आइंचमाणी पस्सिया णं उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्पवसओ वा आउट्टियाए वा केइ आयरिएइ वा सामन्नंसंजएइ वा रायसंसिएइ वा वायलद्धिजुत्तेइ वा विन्नाणलद्धिजुत्तेस वा जुगप्पहाणेइ वा पवयणप्पभावगेइ वा तमित्थियं अन्नं वा रमेज्ज वा कामेज्ज वा अभिलसेज्ज वा भंजेज वा परिभुंजेज्ज वा जाव णं चियमंसमायरेज्जा से णं दुरंतपंतलक्खणे अहन्ने अवंदे अदठ्ठव्वे अपत्थिए अपत्थे अपसत्थे अकल्लाणे अमंगल्ले निदणिज्जे गरहणिज्जे खिसणिज्जे कुच्छणिज्जे से णं पावे से णं पावपावे से णं महापावे से णं महापावपावे से णं भठ्ठसीले से णं भठ्ठायारे से णं निब्भठ्ठचारित्ते महापावकम्मकारी, जया णं पायच्छित्तमब्भुठ्ठिज्जा तओ णं मंदतुरंगेणं वइरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं पोरूसेणं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणं तत्तपरिन्नत्तणेणं उत्तमेणं वीरियसामत्थेणं उत्तमेणं संवेगेणं उत्तमाए धम्मसद्धाए उत्तमेणं आउक्खएणं तं पायच्छित्तमणुचरेज्जा, ते णं तु गोयमा ! साहूणं महाणुभागाणं अट्ठारसपरिहारठ्ठाणाइंणव बंभचेरगुत्तीओ वागरिज्जति ॥२४॥ से भयवं! किं पच्छित्तेणं सुज्झेज्ना?, गोयमा ! अत्थेगेजे णं सुज्झेज्जा, अत्थेगे जे णं नो सुज्झेज्जा, भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ-जहा णं गोयमा ! अत्थेगे जे णं सुज्झेज्जा अत्थेगे जे णं नो सुज्झिज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगे नियडीपहाणे सढसीले वंकसमायारे सेणं ससल्ले आलोइत्ताणं ससल्ले चेव पायच्छित्तमणुचेठ्ठिज्जा, सेणं अविसुद्धसकलुसासए णो विसुज्झेज्जा, एतेणं अठ्ठणं एवं वुच्चइ जहाणं गोयमा ! अत्थेगे जेणं नो सुज्झेज्जा अत्थेगे जे णं सुज्झेज्जा ॥२५|| तहा णं गोयमा ! इत्थी य णाम पुरिसाणमहम्माणं सव्वपावकम्माणं वसुहारा तमरयपंकखाणी सोग्गइमग्गस्स णं अग्गला नरयावयारस्सणं समोयरणवत्ती अभुमयं विसकंदलिं अणग्गियं चडुलिं अभोयणं विसूइयं अणामियं वाहिं अचेयणं मुच्छं अणोवसग्गिं मारिं अणियलि गुत्तिं अरज्जुए पासे अहेउए मच्चू, तहा य णं गोयमा ! इत्थिसंभोगे पुरिसाणं मणसावि णं अचिंतिणिज्ज अणज्झवसणिज्जे अपत्थणिज्जे अणीहणिज्जे अवियप्पणिज्ने असंकप्पणिज्ज अणभिलसणिज्जे सअंभरणिज्जे तिविहंतिविहेणंति, जओ णं इत्थीणं नाम पुरिसस्सणं गोयमा ! सव्वप्पगारेहिपि दुस्साहियं विज्जंपिव दोसुप्पायणं संरंभसंजणगंपिवअपठ्ठधम्म खलियचारित्तंपिव अणालोइयं अणिदियं अगरहियं अकयपायच्छित्तज्झवसायं पडुच्च अणंतसंसारपरियट्टणं दुक्खसंदोहं कयपायच्छित्तविसोहियंपिव पुणो असंजमायरणं महंतपावकम्मसंचयं हिंसंपिव सयलतेलोक्कनिदियं अदिठ्ठपरलोगपच्चवायं घोरंधयारणरयवासो इव णिरंतराणेगदुक्खनिहित्ति, 'अंगपच्चंगसंठाणं, चारूललवियपेहियं । इत्थीणं तं न निज्झाए, कामरागविवड्डणं ।।१५६|| तहा य इत्थीओ नाम गोयमा ! HIG明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐CD Hox5555555555555555555555555555555555555555555FOR 55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१३७४5555555555555555 OR Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. [१४] पलयकालरयणीमिव सव्वकालं तमोवलित्ताउ भवंति विज्जु इव खणदिठनट्ठपेम्माओ भवंति सरणागयघायगो इव एक्कजंमियाओ तक्खणपसूयजीवंतसुद्ध नियसिसुभक्खीओ इव एक्कजंमियाओ तक्खणपसूयजीवंतसुद्धनियसिसुभक्खीओ इव महापावकम्माओ भवंति खरपवणुच्चालियलवणोदहीवेलाइव बहुविहविकप्पकल्लोलमालाहिं खर्णपि एगत्थ असंठियमाणसाओ भवंति भयंभुरमणोदहीमिव दुर्वगाहकइतवाओ भवंति पवणो इव चडुलसहावाओ भवंति अग्गी इव सव्वभक्खीओ वाऊ इव सव्वफरिसाओ तक्करो इव परत्थलोलाओ साणो इव दाणमेत्तमित्तिओ मच्छो इव हव्वपरिचत्तनेहाओ एवमाइअणे गदो सलक्खपडि पुण्ण सव्वं यो वंगसब्भं तरबाहिराणं महापावकम्माणं अविणयविसमंजरीणं तत्थुप्पन्नअणत्थगच्छपसूईणं इत्थीणं अणवरयनिज्झरंतदुग्गंधासुइविलीणकुच्छणिज्जनिंदणिज्जखिंसणिज्जसव्वंगोवंगाणं सब्भंतरबाहिराणं परमत्थओ महासत्ताणं निविन्नकामभोगाणं गोयमा ! सव्वृत्तमुत्तमपुरिसाण के नाम सयन्ने सुविन्नायधम्माहम्मे खणमवि अभिलासं गच्छिज्जा ? ||२६|| जासिंचणं अभिलसिउकामे पुरिसे तज्जोणिसंमुच्छिमपंचेंद्रियाणं एक्कपसंगेण चेव णवण्हं सयसहस्साणं णियमा उवद्दवगे भवेज्जा, ते य अच्वंतसुहुमत्ताउ मंसचक्खउणो ण पासिया ||२७|| एएणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा णं गोयमा ! णो इत्थीयं आलवेज्ना नो संलवेज्जा नो इत्थीणं अंगोवंगाई संणिरिक्खेज्ना जाव णं नो इत्थीए सद्धिं एगे बंभयारी अद्धाणं पडिवज्जेज्जा ||२८|| से भयवं ! किमित्थीए संलावुल्लावंगोवंगनिरिक्खणं वज्जेज्जा उयाहु मेहुणं ?, गोयमा ! उभयमवि, से भयवं ! किमित्थिसंजोगसमायरणे मेहुणे परिवज्जिया उयाहुणं बहुविसुं सचित्ताचित्तवत्थुविसएसु मेहुणपरिणामे तिविहंतिविहेणं मणोवइकायजोगेणं सव्वहा सव्वकालं जवज्जीवाएत्ति ?, गोयमा ! सव्वं सव्वहा विवज्जिज्जा ||२९|| से भयवं ! जे णं केई साहू वा साहुणी वा मेहुणमासेविज्जा से णं वंदेज्जा ?, गोयमा ! जे णं केई साहू वा साहुणी वा मेहुणं सयमेव अप्पणा सेवेज्ज वा परेहिं उवहसेत्तुं सेवाविज्ना वा सेविजमाणं समणुज्जाणिज्ज वा दिव्वं वा माणुस वा तिरिक्खजोणियं वा जाव णं करकम्माई सच्चित्ताचित्तवत्थुविसयं वा विविहज्झवसाणं कारिमाकारिमोवगरणेणं मणसा वा वयसा वा कारण वा से णं समणे वा समणी वा दुरंतपंतलक्खणे अदठ्ठव्वे अमग्गसमायारे महापावकम्मे णो णं वंदिना णो णं वंदाविज्जा नो णं वंदिज्जमाणं वा समणुजाणेज्जा तिविहंतिविहेणं जाव णं विसोहिकालंति, से भयवं ! जे वंदेज्जा से किं लभेज्जा ?, गोयमा ! जे तं वंदेज्जा से अठ्ठारसण्हं सीलंगसहस्सधारीणं महाणुभागाणं तित्थयरादीणं महर्ती आसायणं कुज्जा, जेणं तित्थयरादीणं आसायणं कुज्जा से णं अज्झवसायं पडुच्चा जाव णं अनंतसंसारियत्तणं लभेज्जा||३०|| ‘विप्पहिच्चित्थियं सममं, सव्वहा मेहुणंपिय । अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे णो चयइ परिग्गहं ||७|| जावइयं गोयमा ! तस्स, सचित्ताचित्तोभयत्तगं । भूयं वाऽणु जीवस्स, भवेज्जा उ परिग्गहं ॥ ८॥ तावाइएणं तु सो पाणी, ससंगो मोक्खसाहणं । णाणाइतिगं ण आराहे, तम्हा वज्जे परिग्गहं ||९|| अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे पयहित्ता परिग्गहं । आरंभं नो विवज्जेज्जा, तंपीयं भवपरंपरा ॥ १६० ॥ आरंभे पत्थियस्सेगवियलजीवस्स वइयरे। संघट्टणाइयं कम्मं, जं बद्धं गोयमा ! मुणे ॥१६१|| एगे बेईदिए जीवे एगं समयं अणिच्छमाणे बलाभिओगेणं हत्थेण वा पाएण वा अन्नयरेण वा सलागाइउवगरणजाएणं जे केई पाणी अगाढं संघटेज्ज वा संघट्टावेज्ज वा संघट्टिज्जमाणं अगाढं परेहिं समणुजाणेज्जा से णं गोयमा ! जया तं कम्मं उगयं गच्छेज्जा तया णं महया केसेणं छम्मासेणं वेदिज्जा, गाढं दुवालसहि संवच्छरेहिं, तमेव अगाढं परियावेज़्ज़ा वाससहस्सेणं गाढं दसहिं वाससहस्सेहिं, तमेव अगाढं किलामेज्जा वासक्खेणं गाढं दसहिं वासलक्खेहिं, अहा णं उद्दवेज्जा तओ वासकोडी, एवं तिचउपंचिदिए दठ्ठव्वं ॥ ३१ ॥ 'सुहुमस्स पुढविजीवस्स, जत्थेगस्स विराहणं । अप्पारंभं तयं बेति, गोयमा ! सव्वकेवली ||२|| सुमस पुढविजीवस्स, वावत्ती जत्थ संभवे । महारंभं तयं बेति, गोयमा ! सव्वकेवली ||३|| एवं तु संमिलतेहि, कम्मुक्करडेहिं गोयमा !। से सोठ्ठब्भे अनंतेहिं, जे आरंभे पवत् ||४|| आरंभे वट्टमाणस्स, पुद्धपुट्ठनिकाइयं । कम्मं बद्धं भवे तम्हा, तम्हाऽऽरंभं विवज्जए ||५|| पुढवाइअजीवकायंता, सव्वभावेहिं सव्वहा । आरंभा जे नियट्टेज्जा, से अइरा (जम्मजरामरणसव्वदारिद्ददुक्खाण) विमुच्चइ ॥६॥ त्ति, अत्थेगे गोयमा ! पाणी !, जे एयं परिवुज्झिउं । एगंतसुहतल्लिच्छे, ण लभे सम्मग्गवत्तणिं gain Education International 2010_03 www.jainelibrary क Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) द्वि. अ. / तृ. अ. | ॥७॥ जीवे संमग्गमोइन्ने, घोरवीरतवं चरे । अचयंतो इमे पंच, कुज्जा सव्वं निरत्ययं ॥ ८॥ कुसीलोसन्नपासत्थे, सच्छंदे सबले तहा । दिट्ठीएवि इमे पंच, गोयमा ! न निरिक्खए ||९|| सव्वन्नुदेसियं मग्गं, सव्वदुक्खप्पणासगं । सायागारवगुंफाते, अन्नहा भणियमुज्झए || १७०॥ पयमक्खरंपि जो एगं, सव्वन्नूहिं पवेदियं । न रोज्नऽन्नहा भासे, मिच्छद्दिठ्ठी स निच्छियं ॥ १ ॥ एवं नाऊण संसग्गिं, दरिसणालावसंथवं । संवासं च हियाकंखी, सव्वोवाएहिं वज्जए ॥२॥ भयवं ! निब्भठ्ठसीलाणं, दरिसणं तंपि निच्छसि । पच्छित्तं वागरेसीय, इति उभयं न जुज्जए १ || ३ || गोयमा ! भट्ठसीलाणं, दुत्तरे संसारसागरे । धुवं तमणुकंपित्ता, पायच्छित्ते पदरिसिए ॥४॥ भयवं ! किंपायच्छित्तेण, छिदिज्जा नारगाउयं ? | अणुचरिऊण पच्छित्तं, बहवे दुग्गड़ गए ॥ ५ ॥ गोयमा ! जे समज्जेज्जा, अनंतसंसारियत्तणं । पच्छित्तेणं धुवं तंपि, छिदे किं पुणो नरयाउ ? ||६|| पायच्छित्तस्स भुवणेऽत्थ, नासज्झं किंचि विज्जए । बोहिलाभं पमोत्तूणं, हारियं तं न लब्भए || ७|| तं चाउकायपरिभोगे, तेउकायस्स निच्छियं । अबोहिलाभियं कम्मं, वज्जए मेहुणेण य ॥८॥ मेहुणं आउकायं च, तेउकायं तहेव य । तम्महा तओवि जत्तेणं, वज्जेज्जा संजइंदिए ||९|| से भयवं ! गारत्थीणं, सव्वमेवं पवत्तइ । (तो जइ अबोही भवेज्ज) एसु तओ सिक्खागुणाणुव्वयधरणं तु निष्फलं ॥ १८० ॥ गोयमा ! दुविहे पहे अक्खाए, सुसमणे अ सुसावए । महव्वयधरे पढमे, बीएऽणुव्वयधारए || १ || तिविहंतिविहेण समणेहिं, सव्वसावज्जमुज्झियं । जावज्जीवं वयं घोरं, पडिवज्जियं मोक्खसाहणं ||२|| दुविहेगविहं व तिविहं वा, थूलं सावज्जमुज्झियं । उद्दिठ्ठकालियं तु वयं (देसेण) संवसे गारत्थी हि ॥३॥ तहेव तिविहंतिविहेणं, इच्छारंभपरिग्गहं । वोसिरंति अणगारे, जिणलिंग धरेति य ||४|| इयरे (य) अणुज्झित्ता, इच्छारंभपरिग्गहं । सदाराभिरए स गिही, जिणलिंगं तू पूयए (ण धारयंति ) ||५|| ता गोयमेगदेसस्स, पडिक्कंते गारत्थे भवे । तं वयमणुपालयंताणं, नो सि आसायणं भवे || ६ || जे पुण सव्वस्स पडिक्कंते, धारे पंच महव्वए । जिणलिंगं तु समुव्वहइ, तं तिगं नो विवज्जए ||७|| तो भहयासायणं सिं, इत्थिऽग्गी आउसेवणे । अणंतनाणी जिणे जम्हा, एयं मणसावि णऽभिलसे ॥८॥ ता गोयमा ! साहियं एयं, एवं वीमंसिउं दढं । विभावय जई बंधिज्जा, गिहिणो न अबोहिला भयं || ९ || संजए पुण निबंधिज्जा, एयाहिं हेऊहि य । आणाइक्कम वयभंगा, तह उम्मग्गपवत्तणा || १९०|| मेहुणं चाउकायं च, तेउकायं तहेव य । हवइ तम्हा तितयंति, (जत्तेणं) वज्जेज्जा सव्वहा मुणी ||१|| जे चरंते व पच्छित्तं, मणेणं संकिलिस्सए । जह भणियं वाऽह णाणुठ्ठे, निरयं सो तेण वच्चई || २ || भयवं १ मंदसुद्धेहिं, पायच्छित्तं न कीरई । अह काहंति किलिठ्ठमणे, ताऽणुकंपं विरुज्झए ? ||३|| नो रायादीहिं संगामे, गोयमा ! सल्लिए नरे । सल्लुद्धरणे भवे दुक्खं, नाणुकंपा विरुज्झ ॥४॥ एवं संसारसंगामे, अंगोवंगंतबाहिरं । भावसल्लुद्धरिंताणं, अणुकंपा अणोवमा || ५ || भयवं ! सल्लंमि देहत्थे, दुक्खिए होति पाणिणो । समयं निप्फिडे सल्लं, तक्खणा सो सुही भवे || ६ || एवं तित्थयरे सिद्धे, साहू धम्मं विवंचिउं । जं अकज्जं कयं तेणं, निरिरिएणं सुही भवे ||७|| पायच्छित्तेणं के तत्थ, कारिएणं गुणो भवे ? । जेणं कीवस्सवी देसि, दुक्करं दुरणुच्चरं ॥८॥ उद्धरिडं गोयमा ! सल्लं, वणभंगे जाव णो कये । वणपिंडीपट्टबंधं च, ताव णं किं परूज्झए ? ॥९॥ भावसल्लस्स वणपिंडपट्टभूओ इमो भवे । पच्छित्तो दुक्खरोहंपि, पाववणं फिप्पं परोहए || २०० || भयवं ! किमणुविज्जंते, सुव्वंते जाणिए इ वा ? । सोहेइ सव्वपावाई, पच्छित्ते सव्वन्नुदेसिए ?|| १ || सुसाऊ सीयले उदगे, गोयमा ! जाव णो पिए । णरे गिम्हे वियाणंते, ताव तण्हा ण उवसमे ॥२॥ एवं जाणित्तु पच्छित्तं असढभावेण जा चरे । ताउ तस्स तयं पावं, वहुए उ ण हायए ॥ ३॥ भयवं ! किं तं वह्वेज्जा, जं पमादेण कत्थई । आगयं ? पुणो आउत्तस्स, तेत्तियं किं न ठाय ?||४|| गोयमा ! जह पमाएणं, निच्छंतो अहिडंकिए। आउत्तस्स जहा पच्छा विसं, वड्डे तह चेव पावगं ॥ ५॥ भयवं ! जे विदियपरमत्थे, सव्वपच्छित्तजाणगे । ते किं परेसिं साहंति, नियमकज्जयं जहट्टियं ?॥६॥ गोयमा ! मंततंतेहिं, दियहे जो कोडिमुट्ठव्वे । सेवि दट्ठे विणिच्चिट्ठे, धारियल्लेहिं भल्लिए ||७|| एवं सीलुज्जले साहू, पच्छित्तं न दढव्वए । अन्नेसिं निउणं (लद्बठ्ठ) साहे, ससीसं व ण्हावओ जहत्ति ॥२०८ ★★★ ॥ महानिसीयसुयक्खंधस्स कम्मविवागवागरणं नाम बीयमज्झयणं ॥२॥ ★★★ एएसिं तु दोहं अज्झयणाणं विहीपुव्वगेणं सव्वसामन्नं वायणंति ॥ ३१ ॥ 'अओ परं चउक्कन्नं, सुमहत्थाइसयं परं । आणाए सद्दहेयव्वं, सुत्तत्थं जं जहट्ठियं ॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १३७६ (原 [१५] 五五五五五五五 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 蛋蛋蛋乐乐乐国乐场 KSSSSS5555555FFFFFFFF5中5F5F55 G9555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) तृ.अ. [१६] 555555555555555Qog ॥१॥जे उग्घार्ड परूवेज्जा, देज्जा वऽसुजोगस्स उ। वाएज्ज अबंभचारी वा, अविहीएणुद्दिठ्ठपि वा।।२।। उम्मायं वलभेज्जा रोगायकं वपाउणे दीहं । भंसेज्ज संजमाओ मरणंते वा णयावि आराहे ||३|| एत्थं तुजं विहीपुव्वं, पढमज्झयणे परूवियं । बीए चेव विही एवं, वाए सेसाणिमं विहिं॥४॥ बीयज्झयणेऽबिले पंच, नवुद्देसा तहिं भवे। तइए सोलस उद्देसा, अठ्ठ तत्तेव अंबिले॥५॥ जं तइए तं चउत्थेऽवि, पंचमंमि छायंबिले। छठे दो सत्तमे तिन्नि, अठ्ठमे आयंबिले दस ॥६॥ अणिक्खित्तभत्तपाणेण, संघट्टेणं इमं महा। निसीहवरं सुयक्खधं, वोढव्वं च आउत्तगपाणगेणंति ||७|| गंभीरस्स महामइणो उ, संजुयस्स तवोगुणे । सुपरिक्खियस्स कालेणं, सयमज्झेगस्स वायणं ।।८।। खेत्तसोहीए निच्चं तु, उवउत्तो भविया जया । तया वाएज्ज एयं तु, अन्नहा उ छलिज्जइ ।।९।। संगोवंगसुयस्सेयं, णीसंदं तत्तं परं । महानिहिव्व अविहिए, गिण्हतेणं छलिज्जए॥१०॥ अहवा सव्वाई सेयाई, बहुविग्घाई भवंति उ । सेयाणं तु परं सेयं, सुयक्खंधं निविग्धं ।।१।। जे धन्ने पुन्ने महाणुभागे से वाइया, 'से भयवं ! केरिसं तेसिं, कुसीलादीण लक्खणं ?। सम्मं विन्नाय जेणं तु, सव्वहा ते विवज्जए ||२|| गोयमा ! सामन्नओ तेसिं, लक्खणमेयं निबोधय । जं नच्चा तेसिं संसग्गी, सव्वहा परिवज्जए॥३|| कुसीले ताव दुस्सयहा, ओसन्ने दुविहे मुणे । पासत्थे नाणमादीणं, सबले बावीसतीविहे ||४|| तत्थ जे ते उ दुसयहा उ, वोच्छं ते ताव गोयमा !! कुसीले जेसिं संसग्गीदोसेणं भस्सई मुणी खणे ॥१५|| तत्थ कुसीले ताव समासओ दुविहे णेए-परंपरकुसीले यऽपरंपरकुसीले य, तत्थ णं जे ते परंपरकुसीले ते दुविहे णेए-सत्तगुरूपरंपरकुसीले एगदुतिगुरूपरंपरकुसीले य॥१|| जेवि य ते अपरंपरकुसीले तेवि उ दुविहे णेए-आगमओ णोआगमओ य॥२|| तत्थ आगमआ गुरूपरंपरिएणं आवलियाएण केई कुसीले आसी उते चेव कुसीले भवंति ॥३॥ नोआगमओ अणेगविहा, तंजहा-णाणकुसीले चारित्तकुसीले तवकुसीले वीठ्ठकुसीले ॥४॥ तत्थ णं जे से नाणकुसीले सेणं तिविहेणेए-पसत्थापसत्थनाणकुसीले अपसत्थनाणकुसीले सुपसत्थनाणकुसीले॥५॥ तत्थ जे से पसत्थापसत्थनाणकुसीले से दुविहे जेए-आगमओ नोआगमओ य, तत्थ आगमओ विहंगनाणीपन्नवियपसत्यापसत्यपयत्थजालअज्झयणऽज्झावणकुसीले, नोआगमओ अणेगहा पसत्थापसत्थपरपासंडसत्थत्थजालाहिज्जणऽज्झावण-वायणाणुपेहणकुसीले ॥६।। तत्थ जे ते अपसत्थनाणकुसीले ते एगूणतीसइविहे दळुव्वे, तंजहासावज्जवायविज्जमंततंतपउंजणकुसीले १ विज्जमंतप्ताहिज्जणकुसीले २ (विज्जामंततंताहिज्जावणकुसीले) गहरिक्खचारजोइसत्थपउंजणाहिज्जणकुसीले ३ निमित्तलक्खणपउंजणाहिज्जणकुसीले ४ सउणलक्खणपउंजणा-हिज्जणकुसीले ५ हत्थिसिक्खापउंजणाहिज्जणकुसीले ६ धणुव्वेयपउंजणाहिज्जणकुसीले ७ गंधव्ववेयपउंजणाहिज्जणकुसीले ८ पुरिसित्थीलक्खण-पउंजणज्झावणकुसीले ९ कामसत्थपुउंजणाहिज्जरकुसीले १० कुहुगिंदजालसत्थपउंजणाहिज्जणकुसीले का ११ आलेक्खविज्जाहिज्जणकुसीले १२ लेप्पकम्मविज्जाहिज्जणकुसीले १३ वमणविरेयणबहुवल्लींदजालसमुद्धरणकहणकाहणवणस्सइवल्लिमोडणतच्छणाइ बुदोसविज्जगसत्थपउंजणा-हिज्जणज्झावणकुसीले १४ एवं जा (वंज) ण १५ जोगचुन्न १६ वन्नधाउव्वाय १७ रायदंडणीई १८ सत्थव्वऽसणिपव्वअ १९ ऽच्छकंड २० रयणपरिक्खा २१ सरवेहसत्थ २२ अमच्चसिक्खा २३ गूढमततंत २४ कालदेस २५ संधिविग्गहोवएस २६ सत्थ २७ मम्म (ग) २८ जाणववहार २९ निरूवणत्थसत्थपउंजणाहिज्जणअपसत्थनाणकुसीले, एवमेएसिं चेव पावसुयाणं वायणापेहणापरावत्तणाअणुसंधणासवसायन्नणअपसत्थनाणकुसीले ॥७॥ तत्थ जे य ते सुपसत्थनाणपकुसीले तेवि य दुविहे णेए-आगमओ णोआगमओ य, तत्थ आगमओ सुपसत्थं पंचप्पयारं णाणं आसायंते सुपसत्थनाणधरे वा आसायंते सुपसत्थनाणकु सीले ||८|| नोआगमआ य सुपसत्थनाणकु सीले अठ्ठहा जेए, तंजहा-अकालेणं सुपसत्थनाणहिज्जणज्झावणाकुसीले अविणएणं सुपसत्थनाणाहिज्जणज्झावणाकुसीले अबहुमाणेणं सुपसत्थनाणाहिज्जणकुसीले अणोवहाणेणं सुपसत्थनाणाहिज्जणज्झावणकुसीले जस्स य सयासे सुपसत्थं सुत्तत्योभयमहीयं तंनिण्हवणसुपसत्थनाणकुसीले सरवंजणहीणक्खरियच्चक्खरियहिज्जणज्झावणसुपसत्थनाणकुसीले विवरीयसुत्तत्थोभयाहिज्जणज्झावणसुपसत्थणाणकुसीले संदिद्धसुत्तत्योभयाहिज्जणज्झावणसुपसत्थनाणकुसीले ॥९॥ तत्थ एएसिं अठ्ठण्हंपिपयाणं गोयमा ! जे केई अणोवहाणेणं सुपसत्यं नाणमहीयंति 55%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% %%%%%%%%%OST Xero$$$555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १३७७ 5555555555555555555555555IOR Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) तृ. अ. वा अज्झावयंति वा अहीयंतं वा अज्झावयंतं वा समणुजाणंति ते णं महापावकम्मे महतीं सुपसत्थनाणस्सासायणं पकुव्वंति ||१०|| से भयवं ! जइ एवं ता किं पंचमंगलस्स ण उवहाणं कायव्वं ?, गोयमा ! पढमं नाणं तओ दया, दयाए य सव्वजगज्जीवपाणभूयसत्ताणं अत्तसमदरिसित्तं, सव्वजगजीवपाणभूत् अत्तसमदंसणाआ य तेसिं चेव संघट्टणपरियावणलिवणोद्दावणाइदुक्खुप्पायणभयविवज्जणं तओ अणासवो अणासवओ य संवुडासवदारत्तं संवुडासवदारणं च दमोपसमो तआ य समसत्तुमित्तपक्खया समसत्तुमित्तपक्खयाए य अरागदोसत्तं तओ य अकोहया अमाणया अलोभया अकोहमाणमायालोभयाए य अकसायत्तं तओ य सम्मत्तं सम्मत्ताओ य जीवाइपयत्थपरिन्नाणं तओ सव्वत्थ अपडिबद्धत्तं सव्वत्थापडिबद्धत्तेण य अन्नाणमोहमिच्छत्तक्खयं तओ विवेगो विवेगाओ य हेयउवाएयवत्थुवियालणेगंतबद्धलक्खत्तं तओ य अहियपरिच्चाओ हियायरणष य अच्चं तमब्भुज्जमो तओ य परमत्थपवित्तुत्तमखं तादिदसविहअहिंसालक्खणधम्माणुठ्ठाणिक्ककरणकारावणासत्तचित्तया तओ य खंतादिदसविहअहिंसालक्खणधम्माणुट्ठाणिक्ककरणकारावणासत्तचित्तयाए य सव्वृत्तमा खं सव्वुत्तमं मिउत्तं सव्वत्तमं अज्जवभावत्तं सव्वुत्तमं सज्झतरसव्वसंगपरिच्चागं सव्वुत्तमं सबज्झब्भंतरदुवालसविहअच्चंतघोरवीरूग्गकट्टतवचरणाणद्वाणाभिरमणं सव्वुत्तमं सत्तरसविहकसिणसंजमाणुट्ठाणपरि- पालणेक्कबद्धलक्खत्तं सव्वुत्तमं सच्चुग्गिरणं छक्कायहियं अणिगूहियबलवीरियपुरिसक्कारपरक्कमपरितोलणं च सव्वुत्तमसज्झायज्झाणसलिलेण पावकम्ममललेवपक्खालणंति संव्वुत्तमुत्तमं आकिंचणं सव्वुत्तमं परमपवित्तसव्वभावंतरेहिं णं सुविसुद्धसव्वदोसविप्पमुक्कणवगुत्तीसणाअट्ठारसपरिहारठ्ठाणपरिवेढियसुदुद्धरघोरभंभवयधारणंति, तओ एएरं चेव सव्वुत्तमखंतीमद्दवअज्जयमूटरत-यसहजमसच्चसोयआकिंचणसुदुद्धरबंभवयधारणसमुट्ठाणेणं च सव्वसमारंभविवज्जणं, तओ य पुढविदगागणिवाऊवणप्फइबितिचउपंचिदियाणं तहेव अजीवकायसंरंभसमारंभारंभाणं च मणोवइकायतिएणं तिविहंतिविहेण सोइंदियादिसंवरण आहारादिसन्नाविप्पजढत्ताए वोसिरणं, तओ य अ (मलिय) द्वारससीलंगसहस्सधारितं अमलियअठ्ठारससीलंगसहस्सधारणेणं च अखलियअखंडिय अमिलियअविराहियसुट्टुमुग्गुग्गयरविचित्ताभिग्गहनिव्वाहणं, तओ य सुरमणुयतिरिच्छोईरियघोरपरीसहोवसग्गाहियासणं संमकरणेणं, तओ य अहोरायाइपडिमासुं महापयत्तं तओ निप्पडिकम्मसरीरया निप्पडिकम्मसरीरत्ताए य सुक्कज्झाणे निप्पकंपत्तं, तओ य अणाइभवपरंपरसंचियअसेसकम्मठ्ठरासिखयं अनंतनाणदंसणधारित्तं च चउगइभवचारगाओ निप्फेडं सव्वदुक्खविमोक्खं मोक्खगमणं च तत्थ अदिठ्ठजम्मजरामरणाणिट्ठसंपओगिट्ठविओयसंतावुव्वेगअयसऽब्भक्खाणमहवाहिवेयणारोगसोगदारिद्दुदुक्खभयवेमणस्सत्तं, तओ य एगतियं अच्छंतियं सिवमयलमक्खयधुवं परमसासयं निरंतरं सव्वुत्तमसोक्खंति, ता सव्वमेवेयं नाणाओ पवत्तेज्जा, ता गोयमा ! एगंतिय अच्वंतियपरमसास-तधुवनिरंतरसव्वुत्तमसोक्खकंखुणा पढमयरमेव तावायरेणं सामाइयमाइयलोगबिंदुसारपज्जवसाणंदुवालसंगं सुयनाणं कालंबिलादिजहुत्तविहिणोवहाणेणं हिंसादियं च तिविहंतिविण पडिक्कंतेण य सरवंजणमत्ताबिंदुपयक्खराणूणगं पयच्छेदघोसबद्धयाणुपुव्विं पुव्वाणुपुव्विअणाणुपुव्वीए सुविसुद्धं अचोरिक्कायएण एगत्तेण सुविन्नेयं, तं च गोयमा ! अणिहणऽणोरपारसुविच्छिन्नचरमोयहिपिव य सुदुरवगाहं सयलसोक्खपरमहेउभूयं च तस्स य सयलसोक्खहेउभूयाओ न इट्ठदेवयानमोक्कारविरहिए केई पारं गच्छेज्ना, इट्ठदेवयाणं च नमोक्कारं पंचमंगलमेव गोयमा !, णो णमन्नति, ता नियमओ पंचमंगलस्सेव पढमं ताव विणओवहाणं कायव्वंति ॥ ११ ॥ से भयवं । कयराए विहीए पंचमंगलस्स णं विणओवहाणं कायव्वं ?, गोयमा ! इमाए विहीए पंचमंगलस्स णं विणओवहाणं कायव्वं तंजहा- सुपसत्थे चेव सोहणे तिहिकरणमुहुत्तनक्खत्तजोगलग्गससीबले विप्पमुक्कजाया- इमयासंकेण संजायसद्धासंवेगसुतिव्वतरमहंतुल्लसं-तसुहज्झवसायाणुगयभत्तीबहुमाणपव्वं णिणियाणं दुवालसभत्तट्ठिएणं चेइयालए- जंतुविरहिओगासे - भत्तिभरनिब्भरूद्धसियससीसरो मावलीपप्फुल्लणदिट्ठणवणवसंवेगसमुच्छलंतसंजायबहलघणनिरंतरअचिंतपरम- सुहपरिणामविसेसुल्लासियजीववीरियाणुसमयविवहु॑तपमोय-सुद्धसुनिम्मलथिरदढयंतकरणेणं खितिणिहियजाणुणिसिउत्तमंगकरकमलमउलसोहंजलिपुडेणं सिरिउसभाइपवरवरधम्मतित्थयरपडिमाबिंबविणिवेसियणयणमाणसेगग्गतग्गयज्झवसाएणं फ्र YOYO श्री आगमगुणमंजूषा १३७८ [१७] (व) यणसयवत्तपसत्तसोमथिर Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAG9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) तृ.अ. [१८] 55555555555555OXOXY C%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FGO समयण्णुदढचरित्तादिगुणसंपओववेयगुरू-सद्दत्थाणुठ्ठाणकरणेक्कबद्धलक्खत्तऽबाहियगुरूवयणविणिग्गयं विणयादिबहुमाणपरिओसाणुकं पोवलद्धं अणेगसोगसंतावुव्वेगमहावाहिवियणा-घोरदुक्खदारिद्दकिलेसरोगजम्मजरामरणगब्भवासाइदुट्ठसावगावगाहभीमभवोदहितरंडगभूयं इणमो सयलागममज्झवत्तगस्स मिच्छत्तदोसोवहयविसिठ्ठबुद्धीपरिकप्पियकुभणियअघऽमाणअसेसहेउदिट्ठतजुत्तीविद्धंसणिकप्पच्चलपोट्टस्स पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स पंचज्झयणेगचूलापरिक्खित्तस्स पवरपवयणदेवयाहिठ्ठियस्स तिपदपरिच्छिन्नेगालावगसत्तक्खरपरिमाणं अणंतगमपज्जवत्थपसाहगं सव्वमहामंतपवरविज्जाणं परमबीयभूयं नमो अरहताणंति पढमज्झयणं अहिज्जेयव्वं, तद्दियहे य आयंबिलेणं पारेयव्वं, तहेव बीयदिणे अणेगाइसयगुणसंपओववेयं अणंतरभणियत्थपसाहगं अणंतरूत्तेणेव कमेणं दुपयपरिच्छिन्नेगालावगपंचक्खरपरिमाणं नमो सिद्दाणंति बीयज्झयणं अहिजेयव्वं, तद्दियहे य आयंबिलेण पारेयव्वं, एवं अणंतरभणिएणेव कमेणं अणंतरूत्तत्थपसाहगं तिपदपरिच्छिन्नेगालावगं सत्तक्खरपरिमाणं नमो आयरियाणंति तइयमज्झयणं आयंबिलेणं अहिज्जियव्वं, तहा अणंतरूत्तत्थपसाहगं तिपयपरिच्छिन्नेगालावगं सत्तक्खरपरिमाणं नमो उवज्झायाणंति चउत्थमज्झयणं अहिज्जेयव्वं, तद्दियहे य आयंबिलेणं पारेयव्वं, एवं णमो लोए सव्वसाहूणंति पंचममज्झयणं पंचमदिणे आयंबिलेण, तहेव तयत्थाणुगामियं एक्कारसपयपरिच्छिन्नतितयावगतित्तीसक्खरपरिमाणं 'एसो पंचनमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलमितिचूलंति छट्ठसत्तमंट्ठमदिणे तेणेव कमविभागणं आयंबिलेहिं अहिज्जेयव्वं, एवमेयं पंचमंगलमहासुयक्खंधं सरवन्नपयसहियं पयक्खरबिंदुमत्ताविसुद्धं गुरूगुणोववेयगुरूवइ8 कसिणमहिज्जित्ताणं तहा कायव्वं जहा पुव्वाणुपुव्वीए पच्छाणुपुव्वीए अणाणुपुव्वीए जीहग्गे तरेज्जा, तओ तेणेवाणंतरभणियतिहिकरणमुहुत्तनक्खत्तजोगलग्गससीबलजंतुविरहिओगासचेइयालगाइकमेणं अठ्ठमभत्तेणं समणुजाणाविऊणं गोयमा ! महया पबंधेण सुपरिफुडं णिउणं असंदिद्धं सुत्तत्थं अणेगहा सोऊणावधारेयव्वं, एयाए विहीए पंचमंगलस्स णं गोयमा ! विणओवहाणो कायव्वो ॥१२॥ से भयवं ! किमेयस्स अचिंतचिंतामणिकप्पभूयस्सणं पंचमंगलमहासुयक्खंदस्स सुत्तत्थं पन्नत्तं ?, गोयम ! एमाइयं एयस्स अचिंतचिंतामरिकप्पभूयस्स णं पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स णं सुत्तत्थं पण्णत्तं, तंजहाजेणं एस पंचमंगलमहासुयक्खंधे से णं सयलागमंतरोववत्ती तिलतेलकमलमयरंदव्व सव्वलोए पंचत्थिकायमिव जहत्थकिरियाणुराया (गए) सब्भलंगुणकित्तणे जहिच्छियफलपसाहगे चेव, णो णमन्नेत्ति, ते य पंचहा-अरहते सिद्धे आयरिए उवज्झाए साहवो य, तत्थ एएसिंचेव गब्भत्थसब्भावो इमो तंजहा-सनरामरासुरस्सणं सव्वस्सेव जगस्स अट्टमहापाडिहेराइपूयाइसओवलक्खियं अणण्णसरिसमचिंतमाहप्पं केवलाहिट्ठियं पवरूत्तमं अरहंतित्ति अरहंता, असेसकम्मक्खाएणं निद्दड्ढभवंकुरत्ताउ न पुणेह भवंति जंमंति उववज्जति वा अरूहंता वा, णिम्महियनिहयनिहलियविलीयनिट्ठवियउभिभूयसुदुज्जयासेसअट्ठपयारकम्मरिउत्ताओ वा अरिहंतेति वा, एवमेते अणेगहा पन्नविनंति परूविज्जंति आघविज्जति पविजंति दंसिज्जति उवदंसिज्जंति, तहा सिद्धाणि परमाणंदमहसवमहाकल्लाणनिरूवमसोक्खाणि णिप्पकंपसुक्कज्झाणाइअचिंतसत्तिसामत्थओ सजीववीरिएणं जोगनिरोहाइणा महापयत्तेणिति सिद्धा, अठ्ठप्पयारकम्मक्खएण वा सिद्धं सज्जमतेसिति सिद्धा, सियं झायमेसिमिति वा सिद्धा, सिद्धे निट्ठिए पहीणे सयलपओयणवायकयंबमेतेसिमिति सिद्धा, एवमेते इत्थीपुरूसनपुंससलिंगडण्णलिंगगिहिलिंगपत्तेयबुद्धबोहिय जाव णं कम्मक्खयसिद्धाइभेएहि णं अणेगहा पन्नविनंति, तहा अठ्ठारससीलंगसहस्साहिट्ठियतूणं छत्तीसइविहमायारं जहट्ठियमगिलाए अहन्निसाणुसमयं आयरंतित्ति पवत्तयंतित्ति आयरिया, परमप्पणो अहियमायरंतित्ति आयरिया, सव्वसत्तस्स सीसगणाणं वा हियमायरंति आयरिया, पाणपरिच्चाएऽवि उ पुढवादीणं समारंभ नायरंति णारभंति नाणुजाणंति वा आयरिया, सुट्ठमवरद्धेऽविण कस्सई मणसावि पावमायरंतित्ति वा आयरिया, एवमेते णामठवणादीहिं अणेगहा पन्नविज्जति, तहा सुसंवुडासवदारे मणावयकायजोगत्तउवउत्ते विहिणा सरवंजणमत्ताबिंदुपयक्खरविसुद्धदुवालसंगसुयनाणज्झयणज्झावणेणं परमप्पणो अ मोक्खोवयं झायंतित्ति उवज्झाए, थिरपरिचियमणंतगमपज्जवत्थेहिं वा दुवालसंगं सुयनाणं चिंतंति अणुसरंति एगग्गमाणसा झायंतित्ति वा उवज्झाए, एवमेतेहिं (भेएहिं) अणेगहा पन्नविज्जंति, तहा अच्चंतकठ्ठउग्गुग्गयरघोरतवचरणाइं अणेगवयनियमोववासनाणा Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOTOS$$$$$$$$$$$$$$$$$$:$\$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$*$F$HOME (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) तृ. अ. __ [१९] 国历5555555550 भिगगहविसेंससंजमपरिवालणसम्मंपरीसहोवसग्गाहियासणेणं सव्वदुक्खविमोक्खं मोक्खं साहयंतित्ति साहवो, अयमेव इमाए चूलाए भाविज्जइ-एतेसिनमोक्कारो एसो पंचनमोक्कारो, किं करेज्जा ?, सव्वं पावं-नाणावरणीयादिकम्मविसेसं तं पयरि (अपरिसे) सेणं दिसोदिसंणासयइ सव्वपावप्पणासणो, एस चूलाए पढमो उद्देसओ, एसो पंचनमोक्कारो सव्वपावप्पणासणो किंविहो उ?, मंगो-निव्वाणसुहसाहणेक्कखमो सम्मइंसणाइआराहओ अहिंसालक्खणो धम्मो तं मे लाएज्जति मंगलं, ममं भवाउ-संसाराओ गलेज्जा, तारेज्जा वा मंगलं, बद्धपुट्ठनिकाइयट्ठप्पगारकम्मरासि मे गालिज्जा-विलिज्जवेजत्ति वा मंगलं, एएसि मंगलाणं अन्नेसिंच मलाणं सव्वेसिं किं ?, पढम-आदीए अरहताणं थुई चेव हवइ मंगलं, इति एस समासत्थो, वित्थरत्थं तु इमं तंजहा-तेणं कालेणं तेणं समएणं गोयमा ! जे केई पुव्ववावन्नियसद्दत्थे अरहते भगवंते धम्मतित्थगरे भवेज्जा से ण परमपुज्जाणंपि पुज्जयरे भवेज्ज,जओ णं ते सव्वेऽवि एयलक्खणसमन्निए भवेज्जा, तंजहाअचिंतअप्पमेयनिरूवमाणण्णसरिसपवरवरूत्तमगुणोहाहिठ्ठियत्तेणं तिण्हपि लोगाणं संजणियगुरूयमहंतमाणसाणंदे,तहा य जंमंतरसंचियगुरूयपुण्णपन्भारसंविढत्ततित्थयरनाकम्मोदएणं दीहरगिम्हायवसंतावकिलंतसिहिउलाणं व पढमपाउसधाराभस्सवरिसंतघणसंघायमिव परमहिओवएसपयाणाइणा घणरागदोसमोहमिच्छत्ताविरइ-पमायदुट्ठकि ललिठ्ठज्झवसायाइसमज्जियासुहघोरपावकम्मायवसंतावस्स णिण्णासगे भव्वसत्ताणं सव्वन्नू अणेगजम्मंतरसंविढत्तगुरूयपुन्नपब्भाराइसयबलेणं समज्जियाउलबलवी रिएसरियसत्तपरक्क माहिठ्ठियतणू सुकं तदित्तचारूपायंगुठ्ठग्गरूवाइसएणं सयलगहनक्खत्तचंदपंतीणं सूरिए इव पयंडपपयावदसदिसिपयासविप्फुरंतकिरणपब्भारेणं णियतेयसा विच्छायगे सयलाणवि विज्जाहरणरामरीणं सदेवदाणविंदाणं सुरलोगाणं सोहग्गकं तिदित्तिलावन्नरूवसमुदयसिरीए साहावियकम्मकखयजणियदिव्वकयपवरनिरूवमाणन्नसरिसाविसेसाइसयाइसयलक्खणकलाकलावविच्छड्डपरिदंसणेण भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणियाहमिंदसइंदच्छराकिन्नर णरविज्जाहरस्स ससुरासुरस्साविणं जगस्स अहो ३ अज्ज अदिठ्ठपुव्वं दिमम्हेहिं ) इणमो सविसे साउलमहंताचिंतपरमच्छे रयसंदोहं समग्गलमेवेगठ्ठसमुइयं दिलृति तक्खणउप्पन्नघणनिरंतरबहलप्पमोया चिंतयंतो सहरिसपीयाणुरायवसपवियंभंताणुसमयअहिणवाहिणवपरिणामविसेसत्तेणमहमहंतिजंपपरपरोप्पराणं विसायमुवग्गयहहहधीधिरत्थुअधन्नाऽपुन्नावयमिइणिदिर अत्ताणगमणंतरसंखुहियहिययमुच्छिरसुलद्धचेयणसुपुण्णसिढिलियसगत्तआउंचणं पसण्णो उ मे सनिमेसाइसारीरियवावारमुक्ककेवलअणोवल्खक्खल'तमंदमंददीहहुंहुंकारविमिस्समुक्कदीहउण्हबहलनीसासगत्तेणं अइअभिनिविठ्ठबुद्धीसुणिच्छियमणस्स णं जगस्स, किं पुण तं तवमणुचिठूमो जेणेरिसं पवररिद्धिं लभिज्जत्ति, तग्गगयमणस्स णं दंसणं चेव णियणियवच्छत्थलनिहिज्जतंतकरयलुप्पाइयमहंतमाणसचमक्कारे, ता गोयमा ! णं एवमाइअणंतगुणगणाहिछियसरीराणं तेसिं सुगहियनामधेज्जाणं अरहंताणं भगवंताणं धम्मतित्थगराणं संतिए गुणगणो हरयणसंघाए अहन्निसाणुसमयं जीहासहस्सेणंपि वागरंतो सुरवईवि अन्नयरे वा केई चउनाणी महाइसई य छउमत्थे सयंभुरमणोयहिस्स इव वासकोडीहिपिणो पारं गच्छेज्जा, जओणं अपरिमियगुणरयणे गोयमा ! अरहंति भगवंते धम्मत्थिगरे भवंति, ता किमित्थ भन्नउ ?, जत्थ य णं तिलोगनाहाणं जगगुरूणं भुवणेक्कबंधूणं तेलोक्कतग्गुणखंभपवरधम्मतित्थंकराणं केई सुरिंदाइपायंगुठ्ठग्गएगदेसाउ अणेगगुणगणालंकरियाउ भत्तिभरनिब्भरिक्करसियाणं सव्वेसिपि वा सुरीसाणं अणेगभवंतरसंचियअणिठ्ठदुठ्ठठ्ठकम्मरासिजणियदोगच्चदोमणस्सादिसयलदुक्खदारिद्दकिलेसजम्मजरामरणरोगसोगसंतावुव्वेयवाहिवेयणाईण खयठ्ठाए एगगुणस्साणंतभागमेगं भणमाणाणं जमगसमगमेव दिणयरकरे इव अणेगगुणगणोहे जीहग्गे विफुरंति ताइं च न सक्का सिंदावि देवगणा समकालं भणिऊणं, किं पुण अकेवली मंसचक्खुणो?, ता गोयमा ! णं एस इत्थं परमत्थे वियाणेयव्वो, जहा णं चइ तित्थगराणं संतिए गुणगरोहे तित्थयरे चेव वायरंति, ण उण अन्ने, जओ णं सातिसया तेसिंभारती, अहवा गोयमा ! किमित्थ पभूयवागरणेणं ?,' सारत्थं भन्नए ||१३|| तंजहा-नामपि सयलकम्मठ्ठमलकलंकेहिं विप्पमुक्काणं । तियसिंदच्चियचलणाण चिणरिंदाण जो सरइ ।।१६।। तिविहकरणोवउत्तो खणे खणे ) ५ सीलसंजमुज्जुत्तो। अविराहियवयनियमो सोऽवि हु अइरेण सिज्झेज्जा ॥१७॥ जो पुण दुहउव्विग्गो सुहतण्हालू अलिव्व कमलवणे थयथुइमंगलजयसद्दवावडोडा ROSOF 5 555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १३८०555555555555555555$ONOR Hero5555555555555555555555555555555555555555555556IOR Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) तृ. अ. झणझणे किंचि ||१८|| भत्तिभरनिब्भरो जिणवरिंदपायारविंदजुगपुरओ । भुमिनिठ्ठवियसिरो कयंजलीवावडो चरित्तट्ठो ||१९|| एक्कंपि गुणं हियए धरेज्ज संकाइसुद्धसम्मत्तो | अक्खंडियवयनियमो तित्थयरत्ताए सो सिज्झे ||२०|| जेसिं च णं सुगहियनामग्गहणाणं तित्थयराणं गोयमा ! एस जगपायडमहच्छेरयभूए भुवणस्स वियडपायडमहंताइसयपवियंभो, तंजहा- खीणट्टपायकम्मा मुक्का बहुदुक्खगब्भवसहीणं । पुणरविअ पत्तकेवलमणपज्जवणाणचरिततणू ॥ २१ ॥ महजो विविहदुक्खमयरभवसागरस्स उब्विग्गा दट्ठूणऽरहाइसए भवद्दुत्तमणा खणं जंति ॥ २२॥ अहवा चिट्ठउ ताव सेसवागरणं गोयमा ! एवं चेव धम्मतित्थगरेति नाम सन्निहियं पवरक्खरूव्वहणं तेसिमेव सुगहियनामधिज्जाणं भुवणबंधूणं अरहंताणं भगवंताणं जिणवरिंदाणं धम्मतित्थंकराणं छज्जे, ण अन्नेसिं, जओ य णेगजंमंतरपुठ्ठमोहोवसमसंवेग - निव्वेयणुकं पाअत्थित्ता- भिवत्तीसलक्खणपवर- सम्मदंसणुल्लसंत - विरियाणिगू हियउग्गकठ्ठघोर- दुक्करतवनिरंतरज्जियउत्तुंगपुन्नखंध समुदयमहपब्भार- संविदत्तउत्तमपवरपवित्तविस्स- कसिणबंधुणाहसामिसाल- अनंतकालवत्तभवभावणच्छिन्नपाव- बंधणेक्क अबिइज्जतित्थयरनामकम्मनयणमाणसाउलमहंत विम्हयपमोयकारया असेसकसिणपावक- म्ममलकलंकविप्प- मुक्कसमचउरंसपवरपढम- वज्जरिसहनारायसंघयणाहिठ्ठियपरमपवित्तुत्तममुत्तिधरे, ते चेव भगवंते महायसे महासत्ते महाणुभागे परमिठ्ठी सद्धम्मतित्थंकरे भवंति ||१४|| अन्नंच सयलनरामरतियसिंदसुंदरीरूवकंतिलावन्नं । सव्वंपि होज्ज जइ एगरासिण संपिण्डियं कहवि ॥ २३ ॥ तं च जिणचलणंगुठ्ठग्गकोडिदेसेगलक्खभागस्स । संनिज्झमि न सोहइ जह छारउडं कंचणगिरिस्स ||२४|| त्ति, 'अंहवा नाऊण गुणंतराइं अन्नेसिं ऊण सव्वत्थ । तित्थयरगुणाणमणंतभागमलब्धंतमन्नत्य || २५ || जं तिहुयपि तयलं एगी होऊणमुब्भमेगदिसिं । भागे गुणाहिओऽम्हं तित्थयरे परमपुज्ने ||२६|| त्ति, तेच्चिय अच्चे वंदे पूए अरिहे गइमइसमन्ने । जम्हा तम्हा ते चेव भावओ णमह धम्मतित्थयरे ||२७|| लोगेवि गामपुरनगरविसयजणवयसमग्गभरहस्स । जो जित्तियस्स सामी तस्साणत्तिं ते करेति ॥ २८॥ नवरं गामाहिवई सुटु सुतट्ठे 'एक्कगाममज्झाओ । किं देज्ज ? जस्स नियगे तेलोए एत्तियं पुव्वं ॥ २९॥ चक्कहरो सीलाए सुटु सुधेवंपि देइ न हु मन्ने । तेण य कमागयगुरूदरिद्दनामं समासेइ ||३०|| (सयलबंधुवग्गस्सत्ति) सो मंता चक्कहरं चक्कहरो सुखइत्तणं कखे । इंदो तित्थयरे उण जगस्स जहिच्छियसुहफलए ||३१|| तम्हा जं इंदेहीवि कंखिज्जइ एगबद्धलक्खेहिं । अइसाणुरागहियएहिं उत्तमं तं न संदेहो ||३२|| तो सयलदेवदाणवगहरिक्खसुरिंदचंदमादीणं । तित्थयरे पुज्जयरे ते च्चिय पावं पणासंति ॥ ३ ॥ तेसि य तिलोगमहियाण धम्मतित्थंकराण जगगुरूणं । भावच्चणदव्वच्चणभेदेण दुहच्चणंभणियं || ४ || भावच्चण चारित्ताणुठ्ठाणकडुग्गघोरतवचरणं । विरयाविरयसीलपूयासक्कारदाणादी ||५|| ता गोयमा ! णं एसेऽत्थ परमत्थे तंजहा- 'भावच्चणमुग्गविहारया य दव्वच्चणं तु जिणपूया । पढमा जईण दोन्निवि गिही पढमच्चिय पसत्था ॥६॥ एत्थं च गोयमा ! केई अमुणियसमयसब्भावे ओसन्नविहारी णियवासिणो अदिठ्ठपरलोगपच्चवाए सयंमतीइडिढरससायगारवाइमुच्छिए रागदोसमोहाहंकारममीकाराइसुपडिबुद्धो । कसिणसंजमसद्धम्मपरंमुहे निद्दयनित्तिंसनिग्घिणअकलुणनिक्किवे पावायरणेक्क अभिनिविबुद्धि ए अइचंडरोद्दकूरोभिग्गहिए मिच्छद्दिठ्ठिणो कयसव्वसावज्जजोगपच्चक्खाणे विप्पमुक्कोसेससंगारंभपरिग्गहे तिविहंतिविहेणं पडिवन्नसामाइए य दव्वत्ताए, न भावत्ताए, नाममेव मुंडे अणगारे महव्वयधारी समणेऽवि भवित्ताणं एवं मन्त्रमाणे सव्वहा उम्मग्गं पवत्तंति, जहा किल अम्हे अरहंताणं भगवंताणं गंधमल्लपदीवसंमज्जणोवलेवणविचित्तवत्थलधूवाइएहिं पूयासक्कारेहिं अणुदियहमब्भच्चणं पकुव्वाणा तित्थुच्छप्पणं करेमो, तं च णो णं तहत्ति, गोयमा ! तं वायाएव णो णं तहत्ति समणुजाणेज्जा, से भयवं ! केण अठ्ठेणं एवं वुच्चइ-जहा णं तं च णो णं तहत्ति समणुजाणेज्जा ?, गोयमा ! तयत्थाणुसारेणं असंजमबाहुल्लेणं च मूलकम्मासवाओ य अज्झवसायं पडुच्च थूलेयरसुहासुहकम्मपयडीबंधो सव्वसावज्जविरयाणां च वयभंगो वयभंगेणं च आणाइक्कमे आणाइक्कमेणं तु उम्मग्गगामित्तं उम्मग्गगामित्तेणं च सम्मग्गविप्पलोवणं उम्मग्गपवत्तणसम्मग्गविप्पलोवणेणं च जईणं महती आसायणा, तओ अ अनंतसंसाराहिंडणं, एएणं अठ्ठेणं गोयमा ! एवं [२०] or Private & Personal Use Only Education Inter YOYORK 5 श्री मनमा १- 4545454545454545 2010 0 www.jainelibrary LF LELE LELE LA LE LEGYOK Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROR94555555558 (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) तु. अ. [२१] 55555555555555 FORG555555555555555555555555555555555555555555horoly वुच्चइ जहा णं गोयमा ! णो णं तं तहत्ति समणुजाणेज्जा ।।१५।। 'दव्वत्थवाओ भावत्थवं तु दन्वत्थवो बहुगुणो भवउ तम्हा । अबुहबहुजाणबुद्धीयं छक्कायहियं तु गोयमाऽणुढे ॥७।। अकसिणपवत्तगाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो। जे कसिणसंजमविऊ पुप्फादीयं न कप्पए तेसिं तु ॥८॥ किं मन्ने गोयमा ! एस, बत्तीसिदाणुचिठ्ठिए । जम्हा तम्हा उभयपि, अणुढेज्जेत्थं नु बुज्झसी ॥९॥ विणिओगमेवेत्तं तेसिं, भावत्थवासंभवो तहा । भावच्चणा य उत्तमयं (दसन्नभद्देण) उयाहरणं तहेव य॥४०|| चक्कहरभाणुससिदत्तदमगादीहिं विणिपिसे । पुच्छंते गोयमा ! ताव, जं सुरिदेहिं भत्तीओ॥१|| सव्विड्डिए अणण्णसमे, पूयासक्कारे य कए। ता किंतं सव्वसावजं?, तिविहं विरएहिंडणुठ्ठितं ।।२।। उयाहु सव्वथामेसुं, सव्वहा अविरएसुउ?। णणु भयवं! सुरवरिदेहि, सव्वथामेसु सव्वहा ।।३।। अविरएहिं सुभत्तीए, पूयासक्कारे कए। ता जइ एवं तआ बुज्झ, गोयमेमं नीसेसयं, देसविरय अविरयाणं तु, विणिओगमुभयत्थवि ॥४॥ सयमेव सव्वतित्थंकरहिं जं गोयमा ! समायरियं । कसिणट्ठकम्मक्खयकारयं तु भावत्थयमणुढे ||५|| भवती उ गमागम जंतुफरिसणाईपमद्दणं जत्थ । सपरऽहिओवरयाणं ण मणंपि पवत्तए तत्थ ||६|| तासपरऽहिओवरएहिं उवरएहिं सव्वहा णेसियव्व सुविसेसं । जं परमसारभूयं विसेसवंतं च अणुढेयं |७|| ता परमसारभूयं विसेसवं च अणण्णवग्गस्स । एगंतहियं पत्थं सुहावहं पयड परमत्थं ||८|| तंजहा-मेरूत्तुंगे मणिगणमं डिएक्ककं चणमए परमरं मे । नयणमणाणंदयरे पभूयविन्नाणसाइसए ||९|| सुसिलिठ्ठविसिठ्ठसुलठ्ठछंदसुविभत्तसुट्ठसुणिवेसे। बहुसिंघयत्तघंटाधयाउले पवरतोरणसणाहे ॥५०॥ सुविसाल सुविच्छिन्ने पए पए पत्थिय (व्वय) सिरीए । मघमघमघेतडज्झंतअगालकप्पलाचंदणामोए ||१|| बहुविहविचित्तबहुपुप्फमाइपूयारूहे सुपूए य । णच्चपणच्चिरणशदुयसयाउले महुरमुरवसद्दाले ॥२॥ कुटुंतरासयजणसयसमाउले जिणकहाखित्तचित्ते । पकहंतकहगणच्वंतच्छत्त (च्छरा) गंधव्वतूरनिग्घोसे ॥३॥ एमादिगुणोवेए पए पए सव्वमेइणीवट्टे । नियभुयविढत्तपुन्नज्जिएण नायागएण अत्थेण ॥४॥ कंचणमणिसोमाणे थंभसहस्सूसिए सुवण्णतले। जो कारवेज्ज जिणहरे तओवि तवसंजमो अणंतगुणो॥५॥ त्ति, तवसंजमेण बहुभवसमज्जियं पावकम्मललेवं । निद्धोविऊण अइरा अणंतसोक्खं वए सोक्खं ॥६।। काउंपि जिणाययणेहिं मंडियं सव्वमेइणीवढें । दाणाइचउक्केणं सुट्ठवि गच्छेज्ज अच्चुयगं ।।७।। ण परओ गोयम ! गिहित्ति । जइ ता लवसत्तमसुरविमाणवासीवि परिवडंति सुरा । सेसं चितिज्जतं संसारे सासयं कयरं ?||८| कह तं भन्नइ सुक्खं सुचिरेणवि जत्थ दुक्खमल्लियइ । जं च मरणावसाणेसु थेवकालियं तुच्छं तु ?||९|| सव्वेणं चिरकालेण जं सयलनरामराण हवइ सुहं । तं न घडइ सुयमणुभूय मोक्खसुखस्स अणंतभागेवि॥६॥ संसारियसोक्खाणं सुमहंताणंपिगोयमा ! णेगे। मज्झे दुक्खसहस्से घोरपयंडेण पुज्जति॥१॥ताइंच सायवेओयएण ण याणंति मंदबुद्धीए। मणिकणगसेलमयलोढगंगली जह व वणिधूया ॥२॥ मोक्खसुहस्स उधम्मं सदेवमणुयासुरे जगे इत्थं । तो भाणिउंण सक्को नगरगुणे जहेवय पुलिंदो ॥३|| कइ त भन्नइ पुन्ने सुचिरेणवि जस्स दीसए अंतं । जं च विरसावसाणंज संसाराणुबंधिं च ? ||४|| तं सुरविमाणविहवं चितियचवणं च देवलोगाओ। अइसिक्कयचिय हिययं जं नवि सयसिक्करं जाइ ||५|| नरएसु जाइं अइदुस्सहाइं दुक्खाइं परमतिक्खाई । को वन्नेई ताई जीवंतो वासकोडिपि ॥६|| ता गोयम ! दसविहधम्मघोरतवसं जमाणुठ्ठाणस्स। भावत्थवमिति नामं तेणेव लभेज्ज अक्खयं सोक्खं ॥७॥ ति, नारगभवतिरियभवे अमरभवे सुरवइत्तणे वावि। नो तं लब्भइ गोयम ! जत्थ व तत्थ व मणुयजम्मे ।।८।। सुमहच्चंतपहीणे सु संजमावरणनामधे ज्जे सु । ताहे गोयम ! पाणी भावत्थयजोग्गयमुवेइ ।।९।। जम्मंतरसंचियगुरूयपुन्नपन्भारसंविढत्तेणं । माणुसजमेण विणा णो लब्भइ उत्तमं धम्मं ॥७०|| जस्साणुभावओ सुचरियस्स निस्सल्लदंभरहियस्स । लन्भइ अउलमणंतं अक्खयसोक्खं तिलोयग्गे ॥१॥ तं बहुभवसंचियतुंगपावकम्मठ्ठरासिडहणठं । लद्धं माणुसजम्मं विवेगमाईहिं संजुत्तं ॥२॥ जो न कुणइ अत्तहियं सुयाणुसारेण आसवनिरोहं । छत्तिगसीलंगसहस्सधारणेणं तु अपमत्ते॥३|| सो दीहरअव्वोच्छिन्नघोरदुक्खग्गिदावपज्जलिओ। उच्चोव्वेयसंसत्तो अणंतहुत्तो सुबहुकालं ||४|| दुग्गंधामेज्झविलीणखारपित्तोज्झसिंभपडिहत्थे। वसजलुसपूयदुद्दिणचिल्लिचिले रूहिरविक्खल्ले ॥५॥ कढकढकढंतचलचलच-लस्सढलढलढलस्स रज्जंतो। SHOK055555555555555555555555555555555555555555555555503 MOV श्री आगमगुणमंजूषा - १३८२ 5555 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROR55555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) तृ. अ. [२२] 55555555555555sexong Febos 5岁 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听乐乐乐明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐555 संपिडियंगमंगो जोणी जोणी वसे गब्भे । एक्कक्कगब्भवासेसु, जंतियं पुणरवि भमेज्ज ॥६॥ ता संतावुव्वेयगजम्मजरामरणगब्भवासाई । संसारियदुक्खाणं विचित्तरूवाण ५ भीएणं ॥७॥ भावत्थवाणुभावं असेसभवभयखयंकरं नाउं । तत्थेव महता उज्जमेण दढमच्चंतं पयइयव्वं ॥८॥ इय विज्जाहरकिन्नरनरेणं ससुरासुरेणवि जगेण । संथुव्वंते दुविहत्थवेहि ते तिहुयणुक्कोसे ।।९।। गोयमा ! धम्मतित्थंकरे जिणे अरिहंतेत्ति, अह तारिसेवि इड्डीपवित्थरे सयलतियणाउलिए। साहीणे जगबंधू मणसाविजे खणं लुद्धे ।।८०।। तेसिं परमीसरियं रूवसिरीवण्णबलपमाणं च । सामत्थं जसकित्ती सुरलोगचुए जहेह अवयरिए ॥१॥ जह काऊणऽन्नभवे उग्गतवं देवलोगमणुपत्ते । तित्थयरनामकम्मं जह बद्धं एगाइवीसइथामेसु ।।२।। जह सम्मत्तं पत्तं सामन्नाराहणा य अन्नभवे । जह तिसलाओ सिद्धत्थघरिणीचोद्दसमहासुमिणलंभं ।।३।। जह सुरहिगंधपक्खेव गन्भवसहीए असुहमवहरणं । जह सुरनाहो अंगुठ्ठपव्वणसियं महंतभत्तीए ॥४॥ अमयाहारं भत्तीऍ देइ संथुणइ जाव य पसूओ । जह जायकम्मविणिओगकारियाओ दिसिकुमारीओ ॥५।। सव्वं नियकत्तव्वं निव्वतंती जहेव भत्तीए । बत्तीससुरवरिंदा गरूयपमोएण सव्वरिद्धीए ।।६।। रोमंचकंचुपुलइयभत्तिब्भरमाइयस्सगत्ता ते । मन्नते सकयत्थं जम अम्हाण मेरूगिरिसिहरे ।।७।। होही खणमप्फालियसूसरगंभीरदुंदुहिनिघोसं । जयसद्दमुहलमंगलकयंजली जह य खीरसलिलेणं ।।८।। बहुसुरहिगंधवासियकंचणमणितुंग (रयण) कलसेहिं । जम्माहिसेयमहिमं करेति (जह) जिणवरो गिरिं चाले ॥९|| जह इंदं वायरणं भयवं वायरइ अट्ठवरिसोवि । जह गमइ कुमारत्तं (परिणे बोहिति) जह व लोगंतिया देवा ॥९०||जह वयनिक्खमणमहं करेति सव्वे सुरासुरा मुइया । जह अहियासे घोरे परीसहे दिव्वमाणुसतिरिच्छे ।।१।। जह घणघाइचउक्कं (कम्म) इहइ घोरतवझाणजोगअग्गीए। लोगालोगपयासं उप्पाए जह व केवलं नाणं ।।२।। केवलमहिमं पुणरवि काऊणं जह सुरासुराईया । पुच्छंति संसए धम्मणीइतवचरणमाईए ।।३।। जह व कहेइ जिणिठदो सुरकयसीहासणोवविट्ठो य । तं चउविहदेवनिकायनिम्मियं, जह पवरसमवसरणं, तुरियं करंति देवा, जं रिद्धीए जगं तुलइ ||४|| जत्थ समोसरिओ सो भुवणेक्कगुरू महायसो अरहा। अठ्ठमहपाडिहेरयसुचिधियं हवइ य तित्थियं नाम ।।५।। जह निद्दलइ असेस मिच्छंत्तं चिक्कणंपि भव्वाणं । पडिबोहिऊण मग्गे ठवेइ जहणणहरा दिक्खं ।।६।। गिण्हति महामइणो सुत्तं गंथंति जहव य जिणिंदो। भासे कसिणं अत्थं अणंतगमपज्जवेहिं तु ॥७|| जह सिज्झइ जगनाहो महिमं निव्वाणनामियं जय । सव्वेवि सुरवरिंदा असंभवे तह विमोच्चं ति ।।८।। सोगत्ता पगलंतंसुधोयगंडयलसरसइपवाहं । कलुणं विलावसइं हा सामि ! कया अणाहत्ति ।।९।। जह सुरहिगंधगम्भीणमहंतगोसीसचंदणदुमाणं। कछेहिं विहिपुव्वं सक्कारं सुरवरा सव्वे॥१००|| काऊणं सोगत्ता सुन्न दसदिसिपहे पलोयंता । जह खीरसागरे जिणवराणं (अट्ठी) पक्खालिऊणं च ॥१।। सुरलोए नेऊणं आलिपैऊण पवरचंदणरसेणं । मंदारपारियाययसयवत्तसहस्सपत्तेहिं ।।२।। जह अच्चेऊण सुरा नियनियभवणषसु जहवय थुणंति (तं सव्वं महया वित्थरेण अरहंतचरियाभिहाणे)। अंतकडदसाणं तं, मज्झाउ कसिण विन्नेयं ।।३।। एत्थं पुण जं पगयं तं मोत्तु जइ भणेज्ज तावेयं । हवइ असंबद्धरूयं गंथस्स य वित्थरमणंतं ॥४|| एयंपि अपत्थावे सुमहतं कारणं समुवइटुं । जं वागरियं तं जाण भव्वसत्ताणऽणुग्गहठ्ठाए ||५|| जह वा जत्तो जत्तो भक्खिज्जइ मोयगो सुसंकरिओ । तत्तो तत्तोवि जणे अइगुरूयं माणसं पीई ।।६।। एवमिह अपत्थावेवि भत्तिभरनिन्भराण परिओसं । जणयइ गुरूयं जिणगुणगहणेक्करसक्खित्तचित्ताणं ।।७।। एयं तु जं पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स वक्खाणं तं महया पबंधेणं अणंतगमपज्जवेहि सुत्तस्स य पिंहभूयाहिं निज्जुत्तीभासचुण्णीहिं जहेव अर्थतनाणदंसणधरेहिं तित्थरयेहिं वक्खणिय तहेव समासओ वक्खाणिज्जतं आसि, अहऽन्नया कालपरिहाणिदोसेणं ताउ निज्जुत्तीभासचुन्नीओ वोच्छिन्नाओ ।।१६।। इओ य वच्चंतेणं कालसमएणं महिड्डीपत्ते पयाणुसारी वइरसामी नाम दुवालसंगसुयहरे समुप्पन्ने, तेणेयं पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स उद्धारो मूलसुत्तस्स मज्झे लिहिओ, मूलसुत्तं पुण सुत्तत्ताए.गणहरेहिं अत्थत्ताए अरहतेहिं भगवंतेहिं धम्मतित्थगरेहिं तिलोगमहिएहिं वीरजिणिदेहिं पन्नवियंति एस वुड्ढसंपयाओ॥१७॥ एत्थ य जत्थ पयंपएणाणुलग्गं सुत्तालावगं न संपज्जइ तत्थ तत्थ सुयहरेहिं कुलिहियदोसो न दायव्वोत्ति, किं E9%明明明明明乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明用玩乐乐与乐明历乐听听听听听听听听听 SinEducation International 2010_03 0454555555555555555555/ श्री आगमगुणमंजूषा - १३८३1555555555555555555555555555OOK Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) तृ. अ. [२३] तु जो सो यस अचिंतचिंतामणिकप्पभूयस्स महानिसीहसुयक्खंधस्स पुव्वायरिसो आसी तहिं चेव खंडाखंडीएं उद्देहियाइएहिं हेऊहिं बहवे पत्तगा परिसडिया तहावि अच्वंतसुमहत्थाइसयंति इमं महानिसीहसुयक्खंधं कसिणपवयणस्स परमसारभूयं परं तत्तं महत्यंति कलिऊणं पवयणवच्छल्लत्तणेणं बहुभव्वसत्तोवयारियं च काउं तहा य आयहियठ्ठयाए आयरियहरिभद्देणं जं तत्थायरिसे दिठ्ठे तं सव्वं समतीए साहिऊणं लिहियंति, अन्नेहिपि सिद्धसेणदिवाकरवुद्धवाइजक्खसेणदेवगुत्तजसवद्धणखमासमणसीसरविगुत्तणेमिचंदजिणदासगणिखमगसच्चसिरिपमुहेहिं जुगप्पहाणसुयहरेहिं बहु मन्नियमिति ॥ १८ ॥ से भयवं ! एवं जहुत्तविणओ वहाणेणं पंचमंगलमहासुयक्खंधमहिज्जित्ताणं पुव्वाणुपुवीए पच्छाणुपुवीए सरवंजणमत्ताबिंदुपयक्खरविन्द्धं थिरपरिचियं काऊणं महया पबंधेणं सुत्तत्थं च विन्नाय ओ य णं किमहिज्जेज्जा ?, गोयमा ! ईरियावहियं, से भयवं ! केणं अठ्ठेणं एवं वुच्चइ जहा णं पंचमंगलमहासुयक्खंधमहिज्जित्ताणं पुणो ईरियावहियं अहीए ?, गोयमा ! जे एस आया से णं जया गमणागमणाइपरिणामपरिणए अणेगचीवपाणभूयसत्ताणं अणोवउत्तपमत्ते संघट्टणअवदावणकिलामणं काऊणं अणालोइय अपडिक्कं चेव असे सकम्मक्खयठ्ठयाए किंचि चिइवं दणसज्झायज्झाणाइएसु अभिरमेज्जा तया से एगचित्ता समाही भवेज्जा ण वा, जओ णं गमणागमणाइअणेगअन्नवावारपरिणामासत्तचित्तयाए केई पाणी तमेव भावंतरमच्छडिडय अठ्ठदुहट्टज्झवसिए कंचि कालखणं विर (व) तेजा ताहे तं तस्स फलेणं विसंवएज्जा, जया उण कर्हिचि अन्नाणामोहपमायदोसेण सहसा एगिंदियादीणं संघट्टणं परियावणं वा कयं भवेज्जा तया य पच्छा हाहाहा दुटु कयमम्हेहिं घणरागदोसमोहमिच्छत्त अन्नाणंधेहिं अदिठ्ठपरलोगपच्चवाएहिं कूरकम्मनिग्धिणेहिंति परमसंवेगमावन्ने सुपरिफुडं आलोइत्ताणं निंदित्ताणं गरहित्ताणं पायच्छित्तमणुरित्ताणं णीसल्ले अणाउलचित्ते असुहकम्मक्खयठ्ठा किंची आयहियं चिइवंदणाइ अणुठ्ठेज्जा तया तयठ्ठे चेव उवउत्ते से भवेज्जा, जया णं से जयत्थे उत्ते भवेज्जा तया तस्स णं परमेगग्गचित्तसमाही हवेज्जा, तया चेव सव्वजगजीवपाणभूयसत्ताणं जहिठ्फलसंपत्ती भवेज्जा, ता गोयमा ! णं अपडिक्कंताए ईरियावहियाए न कप्पइ चेव काउं किंचि चेइयवंदणसज्झायाइयं फलासायमभिकंखुगाणं, एएणं अठ्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहा णरं गोयमा ! ससुत्तत्थोभयं पंचमंगल थिरपरिचियं काऊणं तओ ईरियावहियं अज्झीए || १९|| से भयवं ! कयराए विहीए तमिरियावहियमहीए ?, गोयमा ! जह णं पंचमंगलमहासुयक्खंधं ||२०|से भयवमिरियावहिवमहिज्जित्ताणं तओ किमहिज्जे ?, गोयमा ! सक्कत्थयाइयं चेइयवंदणविहाणं, णवरं सक्कत्थयं एगेणऽठ्ठमेण बर्त्त, साए आयंबिलेहिं, अरहंतत्थयं एगेण चउत्थेणं पंचहिं आयंबिलेहिं, चउवीसत्थयं एगेणं छठ्ठेणं एगेण चउत्थेणं पणवीसाए आयंबिलेहिं, णाणत्थयं एगेणं चउत्थेणं पंचहिं आयंबिलेहिं, एवं सरवंजणमत्ताबिंदुपयच्छेयपयक्खरविसुद्धं अविच्चामेलियं अहिज्जित्ताणं गोयमा ! तओ कसिणं सुत्तत्थं विन्नेयं, जत्थ य संदेहं भवेज्जा तं पुणो २ वीमंसिय णीसंकमवधारेऊणं णीसंदेहं करिज्जा ॥ २१ ॥ एवं सुत्तत्योभयत्तगं चिइवंदणाइविहाणं अहिज्जेत्ताणं तओ सुपसत्थे सोहणे तिहिकरणमुहुत्तनक्खत्तजोगलग्गससीबले जहासत्तीए जगगुरूणं संपाइयपूओवयारेणं पडिलाहियसाहुवम्गेणं य भत्तिभरनिब्भरेण रोमंचकंचुयपुलइज्जमाणतणू सहरिसाविसिठ्ठवयणारविन्देणं सद्धासंवेगविवेगपरमवेरग्गमूलविणिहयरागदोसमोहमिच्छत्तमलकलंकेणं सुविसुद्धसुनिम्मलविमलसुभसुभयरऽणुसमयसलुल्ल-संतसुपसत्थऽज्झवसायगएणं भुवणगुरूजिणइंदपडिमविणिवेसि यणयणमाणसेणं अणण्णमाणसेणमेगग्गचित्तयाए धन्नोऽहं पुन्नोऽहंति जिणवंदणाइसहलीकयजम्मोत्ति इइ मन्त्रमाणे विरइयकरकमलंजलिणा हरियतणबीयजंतुविरहियभूमीए निहिओभयजाणुणा सुपरिफुडसुविइयणीसंकीकयजहत्यसुत्तत्योभयं पए पर भावेमाणेणं दढचरित्तसमयन्नुअप्पमायाइअणेगगुरसंपओववेएणं गुरुणा सद्धिं साहुसाहुणीसाहम्मिय असेसबंधुपरिक्म्मपरियरिएणं चेव पढमं चेइए वंदियव्वे, तयणंतरं च गुणड्डे य साहुणो तहा साहंमियजणस्स णं जहासत्तीए पाणिवायजाएणं सुहमग्घयमउयचोक्खवत्थपयाणाइणा वा महासंमाणो कायव्वो, एयावसरंमि सुविइयसमयसारेणं गुरूणा पबंधेणं अक्खेवनिक्खेवाइएहिं पबंधेहिं संसारनिव्वेयजणणं सद्धासंवेगुप्पायगं धम्मदेसणं कायव्वं ॥ २२ ॥ तओ परमसद्धासंवेगपरं नाऊणं आजम्मा भिम्हं XOXO श्री आगमगुणमंजूषा - १३८४ फ्र Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OKC安乐听听听听乐明乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明听听乐乐 WORG5$$$$$$$$$$$$ 55555555555OK र च दायव्वं,जहा णं सहलीकयसुलद्धमणुस्सभवा भो भो देवाणुप्पिया ! तए अज्जप्पभिइए जावजीवं तिकालियं अणुदिणं अणुत्तावलेगग्गचित्तेणं चेइए वंदेयव्वे, ॥ इणमेव भो मणुयत्ताउ असुइअसासयखणभुराओ सारंति, तत्थ पुव्वण्हे ताव उदगपाणं न कायव्वं जाव चेइए साहू य ण वंदिए, तहा मज्झण्हे ताव असणाकिरियं न कायव्वं जाव चेइए ण वंदिए, तहा अवरण्हे चेव तहा कायव्वं जहा अवंदिएहिं चेइएहिंणो सज्झायालमइक्कमेज्जा ।।२३।। एवं चाभिग्गहबंधं काऊणं जावजीवाए, ताहे य गोयमा ! इमाए चेव विज्जाए अहिमंतियाउ सत्त गंधमुठ्ठीओ तस्सुत्तमंगे नित्थारगपारगो भवेज्जा सित्तिउच्चारेमाणेणं गुरूणा खेत्तव्वाओ, अउम्णमउ भगवओ अरहओ स्इज्झउ म्ए भगवती महाविज्आ ईए महआईरए जय्अईए वद्धम्आण्ईए जय्ए व्इजयए जय्अंतए अपआइए स्वआहा, उपचारो चउत्थभत्तेणं साहिज्जइ, एयाए विज्जाए सव्वगओ नित्थारगपारगो होइ, उवठ्ठावणाए वा गणिस्स वा अणुन्नाए वा सत्त वारा परिजवेयव्वा नित्थारगपारगो होइ, उत्तमठ्ठपडिवण्णे वा अभिमंतिज्जइ आराहगो भवइ, विग्यविणायगा उवसंमंति, सूरो संगामे पविसंतो अपराजिओ भवइ, कप्पसमत्तीए मंगलवहणी खेमवहणी हवइ ||२४|| तहा साहुसाहुणीसमणोवासगसड्ढिगासेसासन्नासहम्मियजणचउव्विहेणंपि समणसंघेणं नित्थारगपारगो भवेज्जा, धन्नो सपुन्नसलक्खणोऽसि तुमंति उच्चारेमाणेणं गंधमुठ्ठीओ घेत्तव्वाओ, तओ जगगुरूणं जिणिंदाणं पूएगदेसाओ गंधड्ढामिलाण सियमल्लदामंगहायसहत्थेणोभयखंधेसुमारोवयमाणेणंगुरूणाणीसंदेहमेवं भाणियव्वं जहा भो भो जम्मंतरसंचियगुरूयपुन्नपन्भार ! सुलद्धसुविढत्तसुसहलमणुयजम्म ! देवाणुप्पिया ! ठइयं च णरयतिरियगइदारं तुझंति, अबंधगो य अयसऽकित्तीनीयागोत्तकम्मविसेसाणं तुमंति, सवंतरगयस्सावि उ णइदुलहो उज्झ पंचनमोक्कारो, भाविजम्मंतरे पंचनमोक्कारपभाओ य जत्थ जत्थोववज्जिज्जा तत्थ तत्थुत्तमा जाई उत्तमं च कुलरूवारोग्गसंपयंति, एयं ते निच्छइओ भावेज्जा, अन्नंच पंचनमोक्कारपावओ ण भवइ दासत्तं ण दारिद्ददोहग्गहीणजोणियत्तं ण विगलिदियत्तंति, किं बहुएणं ?, गोयमा ! जे केई एयाए विहीए पंचनमोक्कारादिसुयणाणमहिज्जित्ताणं तयत्थाणुसारेणं पयओ सव्वावस्सगाइणिच्चागुंठ्ठणिज्जेसु अठ्ठारससीलंगसहस्सेसु अभिरमेज से णं सरागत्ताए जइ णं ण निव्वुडे तओ गेवेज्जणुत्तरादीसु चिरमभिरमेऊणेह उत्तमकुलप्पसूई उक्किठ्ठलठ्ठसव्वंगसुंदरत्तं सव्वकलापत्तठ्ठजणमणाणं दयारियत्तणं च पाविऊणं सुरिंदोवमाए रिद्धीए एगंतेणं च दयाणुकंपापरे निम्विन्नकामभोगे सद्धम्ममणुढेऊणं विहुयरयमले सिज्झेज्जा 4 ॥२५|| से भयवं! किं जहा पंचमंगलं तहा सामाइयाइयसमेसंपि सुयनाणमहिज्जिणेयव्वं ?, गोयमा ! तहा चेव विणओवहाणेगमहीएयव्वं, णवरं अहिज्जिणिउकामेहि अठ्ठविहं चेव नाणायारं सव्वपयत्तेणं कालादी रक्खिज्जा, अन्नहा महयाऽऽसायणत्ति, अन्नंच-दुवालसंगस्स सुयनाणस्स पढमचरिमजामअहन्निसमज्झयणज्झावणं पंचमंगलस्स सोलसद्धजामियं चं अन्नंच-पंचमंगलं कयसामाइए वा अकयसामाइए वा अहीए सामाइयमाइयं तु सुयं चत्तारंभपरिग्गहे जावज्जीवकयसामाइए + अहिज्जिणइ, ण उण सारंभपरिम्गहे अकयसामाइए, तहापंचमंगलस्स आलावगे २ आयंबिलं तहा सक्कत्थवाइसुवि, दुवालसंगस्सपुण सुयनाणस्स उद्देसगवजझयणेसु ॥ ॥२६।। से भयवं ! सुदुक्कर पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स विणओवहाणं पन्नत्तं, महती य एसा णियंतणा कहं बालेहिं कज्जइ ?, गोयमा ! जे णं केई ण इच्छेज्जा एवं नियंतणं अविणओवहाणेणं चेव पंचमंगलाइसुयनाणं अहिज्जिणे अज्झावेइ वा अज्झावयमाणस्स वा अणुन्नं वा पयाइ सेणं ण भविजा पियधम्मेण हवेज्जा दढधम्मे ण भवेज्जा भत्तीजुए हीलिज्जा सुत्तं हीलेज्जा अत्थं हीलिज्जा सुत्तत्थउभयं हीलज्जि सुत्तत्थोभए जाव णं गुरूं से णं आसाएज्जा अतीताणागयवट्टमाणे तित्थयरे आसाइज्जा आयरियउवज्झायसाहुणो, जेणं आसाइज्जा सुयणाणमरिहंतसिद्धसाहू सेतस्सणं सुदीहयालमणंतसंसारसागरमाहिंडेमाणस्स तासुतासुसंवुडवियसडासु चुलसीइलक्खपरिसंखाणासु सीओसिणमिस्सजोणीसु तिमिसंधयारदुग्गधऽमिज्झविलिरखारमुत्तोज्झसिंभपडि हत्थवसाजलुल (स) पूयदुद्दिणचिलिचिल्लरूहिरचिल्लदुईसणजंबालपंकबीभच्छघोरगब्भवासेसु कढकढकढेतचलचलचलचलस्सटलयलयलस्सरजंतर (जंत) संपिडियंगमंगस्स सुइरं नियंतणा, जे ऊण एवं विहिं फासेज्जा नो णं मणयंपि अइयरेज्जा जहुत्तविहाणेणं चेव पंचमंगलपभिइसुयनाणस्स विणओवहाणं करेज्जा से णं गोयमा ! नो 乐听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听听玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐派 தவம் Horos555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १३८५॥5555555555555555555555 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) तृ.अ. २५] 国勇步步为5555555230 हीलिज्जा सुत्तं णो हीलिज्जा अत्थं णो हीलिज्जा सुत्तत्थोभए से णं नो आसाइज्जा तिकालभावी तित्थकरे णो आसाइज्जा तिलोगसिहरवासी विहयरयमले सिद्धे णो आसाइज्जा आयरियउवज्झायसाहुणो सुट्ठयरं चेव भवेज्जा पियधम्मे दढधम्मे भत्तीजुत्ते एगंतेणं भवेज्जा सुत्तत्थाणुरंजियमाणसे सद्धासंवेगमावन्नो, से एस णं ण लभेज्जा पुणो २ भवचारगे गब्भवासाइयं अणेगहा जंतणंति ॥२७|| णवरं गोयमा ! जे णं बाले जाव अविन्नायपुन्नपावाणं विसेसो ताव णं से पंचमंगलस्सणं गोयमा ! एगतेणं अओगे, ण तस्स पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स एगमवि आलावगं दायव्वं, जओ अणाइभवंतरसमज्जियासुहकम्मरासिदहणकृमिणं लभेत्ताणं न बाले सम्ममाराहेज्जा लहुत्तं च आणेइ, ता तस्स केवलं धम्मकहाए गोयमा ! भत्ती समुप्पाइज्जइ, तओ नाऊणं पियधम्मं दढधम्मं भत्तिजुत्तं ताहे जावइयं पच्चक्खाणं निव्वाहेउंसमत्थो भवइ तावइयं कारवेज्जइ, राइभोयणं च विहतिविहचउब्विहेण वा जहासत्तीए पच्चक्खाविज्जइ॥२८॥ तागोयमा ! णं पणयालाए नमोक्कारसहियाणं चउत्थं चउवीसाए पोरूसीहिं बारसहिं पुरिमड्डेहिं दसहिं अवड्ढेहिं तिहिं निव्वीइएहिं चउहिं एगठ्ठाणगेहिं दोहिं आयंबिलेहिं एगेणं सूद्धच्छायंबिलेणं, अव्वावारत्ताए रोद्दट्टज्झाणविगहाविरहियस्स सज्झाएगग्गचित्तस्स गोयमा ! एगमेवायंबिलं मासखमणं विसेसेज्जा, तओ य जावइयं तवोवहाणगं वीसमंतो करेज्जा तावइयं अणुगणेऊणं जाहे जाणेज्जा जहाणं एत्तियमित्तेणं तवोवहाणेणं पंचमंगलस्स जोगीभूओ ताहे आउत्तो पाढेजा, ण अन्नहत्ति ॥२९|| से भयवं ! पभूयं कालाइक्कम एयं, जइ कयाइ अवंतराले पंचत्तमुवगच्छे तओ नमोक्खारविरहिए कहमुत्तिमळू साहेज्जा?, गेयमा ! जंसमयं चेव सुत्तोवयारनिमित्तेणं असढभावत्ताए जहासत्तीए किंचि तवमारभेज्जा तंसमयमेव तदहीयसुत्तत्थोभयं दठ्ठव्वं, जओ णं सोतं पंचनमोक्कारं सुत्तत्थोभयं ण अविहीण गिण्हे, किंतु तह गेण्हे जहा भवंतरेसुंपि ण विप्पणस्से, एयज्झवसायत्ताए आराहगो भवेज्जा॥३०॥ से भयवं ! जेण पुण अन्नेसिमहीयमाणाणं सुयावरणक्खओवसमेण कण्णहाडित्तणेणं पंचमंगलमहीयं भवेज्जा सेऽविय किं तवोवहाणं करेज्जा ?, गोयमा ! करेज्जा, से भयवं ! केणं अठेणं ?, गोयमा ! सुलभबोहिलाभनिमित्तेणं, एवं चेयाइं अकुव्वमाणे णाणकुसीले जेए३१|| तहा गोयमा ! णं पव्वज्जादिवसप्पभिईए जहुत्तविणओवहाणेणंजे केई साहू वा साहुणी वा अपुव्वनाणगहणं न कुज्जा तस्सासयिं विराहियं सुत्तत्थोभयं, सरमाणे एगग्गचित्ते पढमचरमपोरिसीसु दिया राओ यणाणुगुणेज्जा सेणं गोयमा ! णाणकुसीले णेए, से भयवं! जस्स अइगरूयनाणावरणोदएणं अनिसं पहोसेमाणस्सण संवच्छरेणावि सिलोगद्धमवि थिरपरिचियं (ण) भवेज्जा (से किं कुज्जा ?,) तेणावि जावज्जीवाभिग्गहेणं सज्झायसीलाणं वेयावच्चं तहा अणुदिणं अड्डाइज्जे सहस्से पंचमंगलाणं सुत्तत्योभए सरमाणेगग्गमाणसे पहोसिज्जा, से भयवं ! केणं अणं?, गोयमा! जे भिक्खू जावज्जीवाभिग्गहेणं चाउक्कालियं वायणाइ जहासत्तीए सज्झायं न करेजा से णं णाणकुसीले णेए ॥३२।। अन्नंच जे केइ जावज्जीवाभिग्गहेण अपुव्वं नाणाहिगमं करेज्जा तस्सासत्तीए पुव्वाहियं गुणेज्जा, तस्सावि यासत्तीए पंचमंगलाणं अड्डाइज्ने सहस्से परावत्ते सेवि आराहगे, तं च नारावरणं खवेत्ताणं तित्थयरेइ वा गणहरेइ वा भवेत्ताणं सिज्झेज्जा ॥३३।। से भयवं ! केणं अद्वेणं एवं वुच्चइ जहाणं चाउक्कालियं सज्झायं कायव्वं ?, गोयमा ! 'मणवयणकायगुत्तो नाणावरणं खवेइ अणुसमयं । सज्झाए वटैंतो खणे खणे जाइ वेरग्गं ।।८।। उड्डमहे तिरियमि य जोइसवेमाणिया य सिद्धी य । सव्वो लोगालोगो सज्झायविउस्स पच्चक्खं ॥९|| दुवालसविहंमिवि तवे सब्भि तरबाहिरे कुसलदिठे । णवि अत्थि णविय होही सज्झायसमंतवोकम्मं ।।११०|| एगदुतिमासक्खमणं संवच्छरमविय अणसिओहोज्जा। सज्झायझाणरहिओएगोवासफलंपिण लभेज्जा॥१॥ उग्गमउपायणएसणाहिं म सुद्धं तु निच्च भुंजतो। जइ तिविहेणाउत्तो अणुसमय भवेज्ज सज्झाए।।२।। ता तंगोयम ! एगग्गमाणसत्तंण उवमिउं सक्का। संवच्छरखवणेणविजेण तहिं णिज्जराऽणंता * ॥३॥ पंचसमिओ तिगुत्तो खंतो दंतो य निज्जरापेही । एगग्गमाणसो जो करेज सज्जाय मुणीभत्ते (सुणिभंतो) ||४|| जो वागरे पसत्थं सुयनाणं जो सुणेइ सुहभावो। ठझ्यासवदारत्तं तकालं गोयमा ! दोण्हं ||५|| एगंपि जो दुहत्तं सत्तं पडिबोहिउं ठवइ मग्गे । ससुरासुरंमिवि जगे तेणेह घोसिओ अमाघाओ॥६| धाउपहाणो कंचणभावं न य गच्छई कियाहीणो। एवं सव्वोवि जिणोवएसहीणो न बुज्झेज्जा ||७|| गयरागदोसमोहा धम्मकहं जे करेति समयन्नू। अणुदियहमवीसंता सव्वप्पावाण 明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听圳明明明明明明明明明明明明乐2 xer.055555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३८६ 15555555555555555555555STOR Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IG0555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२तृ.अ. [२६] 555555%%%%%%%% CISC玩玩乐乐中乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明GO मुच्वंति ॥८॥ निसुणंति अभयणिज्ज एगंतं निजरं कहताणं । जइ अन्नहा ण सुत्तं अत्यं वा किंचि वाएज्जा ॥११९।। एएणं अटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जहाणं जावज्जीवं, अभिग्गहेणं चाउक्कालियं सज्झायं कायव्वंति, तहा अगोयमा ! जे भिक्खू विहिए सुपसत्थनाणमहिज्जेऊण नाणमयं करेज्जा सेवि नाणकुसीले, एवमाइनाणकुसीले अणेगहा पन्नविजंति ॥३४॥ से भयवं! कतरे ते दंसणकुसीले?, गोयमा ! ते दंसणकुसीले दुविहे नेए आगमओ णोआगमओ अ, तत्थ आगमओ सम्मइंसणं संकते कंखंते विदुगुच्छते दिट्ठीमोहं गच्छंते अणोववूहए परिवडियधम्मसद्धो सामन्नमुज्झिउकामाणं अथिरीकरणेणं साहम्मियाणं अवच्छल्लत्तणेणं अप्पभावणाए, एतेहिं अहिं थाणंतरेहिं कुसीले णेए ॥३५॥ णोआगमओ य दसणकुसीले अणेगहा, तंजहाचक्खुकुसीले घाणकुसीले सवणकुसीले जिभाकुसीले सरीरकुसीले, तत्थ चक्खुकुसीले तिविहे णेए, तंजहा-पसत्थचक्खुकुसीले पसत्थापसत्थचक्खुकुसीले अपसत्थचक्खुकुसीले, तत्थ जे केइ पसंत्थं उसभादितित्थयरबिंब पुरओ चक्खुगोयरटितठ अं तमेव पासेमाणे अण्णं कपि मणसा पसत्थमज्झवसे से णं पसत्थचक्खकुसीले, तहा पसत्यापसत्थचक्खुकुसीले तित्थयरबिंब हियएणं अच्छीहिं च (पासेमाणे) अन्नं किंपि पीहिज्जा से णं पसत्थापसत्थचक्खुकुसीले तहा पसत्थापसत्थाई दव्वाइं कागबगढंकतित्तिरमयूराइं सुकंतदित्तित्थियं वा दट्ठणं तयहुत्तं चक्खं विसज्जे सेवि पसत्थापसत्थचक्खुकुसीले, तहा अपसत्यचक्खुकुसीले तिसहिं पयारेहिं अपसत्था सरागा चक्खूत्ति, से भयवं ! कयरे ते अपसत्ये तिसठ्ठी चक्खुभेए?, गोयमा ! इमे तंजहा-सदु कक्खडहरवा (क्खा) तारामंदा मदलसा वंका विवंका कुसीला अछिक्खिया काणिक्खिया १० भामिया उब्भामिया चलिया वलिया चलवलिया अडंमिल्ला मिलिमिला माणुसा पसवा पक्खा २० सरीसवा असंता अपसंता अथिरा बहुविगारा साणुरागा रोगोईरणी रोगजन्नाऽऽमयुप्पायणी मयणी ३० मोहणी भउईरणी भयजन्ना भयंकरी हिययभेइणी संसयावहरणी चित्तचमक्कुप्पायणी णिबद्धा अतिबद्धा ४० गया आगया गयागयप्पच्चागया निद्घाडणी अहिलसणी अरइकरा रइकरा दीणा दयावणा सूराधीराहणणी ५० मारणी तावणी संतावणी कुद्धा पकुद्धा घोरो महाघोरा चंडा रूद्दा सुद्दा हाहाभूयसरणा ६० रूक्खा सणिद्धारूक्खसणिद्धत्ति, महिलाणं चलणंगुठ्ठकोडिणऽठकरसुविलिहियं दिन्नालत्तं गायं च णहं मणिकिरणनिबद्धसक्कचावं कुम्मुन्नयं चलणं संमग्गनिमग्गवट्यगूढं जाणुंजंघा पिहुलकडियडभोगाजहणणियंबणाहीथण-गुज्झंतरकठ्ठाभुयलठ्ठीओ- अहरोठ्ठदसणपंतीकन्न नासनयणजुयलभमुहानिलाडसिररूहसीमंतयामोडय- पेढतिलगकुंडलकवोलकज्ज- लतमालकलावहार- कडिसुत्तगणेउराबहुर- क्खगमणिरयणकडगकंकण- मुद्दियाइसुकंतदित्ताभरणदुगुल्लवसणनेवत्था कामग्गिसंधुक्खणी निरयतिरियगइसुं अणंतदुक्खदायगा एस साहिलाससरागदिकृति एस चक्खुकुसीले ॥३६॥ तहा घाणकुसीले जे केई सुरहिगंधेसु संगं गच्छइ दूरहिगंधे दुगुंचे से णं घाणकुसीले, तहा सर्वणकुसीले दुविहे जेए पसत्थे अप्पसत्थे य, तत्थ जे भिक्खू अप्पसत्थाई कामगारसंधुक्खणुद्धीवणुज्जालणसंदीवणाई गंधव्वनट्टधणुव्वेयहत्थिसिक्खाकामरतीसत्थाई सुणेऊणं णालोएज्जा जाव णं णो पायच्छित्तमणुचरेज्जा से णं अपसत्थसवणकुसीले जेए, तहा जे भिक्खू पसत्थाई सिद्ताचरियपुराणधम्मकहाओ य अन्नाइं च धम्मसत्थाई सुणेत्ताणं न किंचि आयहियं अणुढे णाणमयं च करेइ से णं पसत्थसवणकुसीले णेए, तहा जिब्भाकुसीले से णं अणेगहा तंजहा-तित्तकडुयकसायमहुरंबिललवणाई रसाई आसायंते अदिठ्ठासुयाई इहपरलोगोभयविरूद्धाइंसदोसाइं मयारजयारूच्चारणाई अयसऽन्मक्खाणासंताभिओगाई वा भणंते असमयन्नुधम्मदेसणापवत्तणेण य जिब्भाकुसीले जेए, से भयवं! किं भासाएवि भासियाए कुसीलत्तं भवति?, गोयमा ! भवइ, से भयवं ! जइ एवं ताव धम्मदेसणं न कायव्वं ?, गोयमा ! 'सावज्जऽणवज्जाणं वयणाणं जो न जाणइ विसेसं । वुत्तुंपितस्सनखमं किमंग पुण देसणं काउं? ॥१२०॥३७॥ तहा सरीरकुसीले दुविहे णेए चेट्ठाकुसीले विभूसाकुसीले य, तत्थ जे भिक्खू एयं किमिकुलनिलयं सउणसाणाइभत्तं सडणपडणविद्धंसणधम्म असुई असासयं असारं सरीरगं आहारादीहिं णिच्चं चेढेजा णो इणमो भवसयसुलद्धनाणदंसणाइसमन्निएणं सरीरेणं अच्चतघोरवीरूग्गकट्ठधोरतवसंजममणुढेज्जा सेणं चेठाकूसीले, तहा जे रं विभूसाकुसीले सेऽवि अणेगहा, तंजहा- तेल्लाब्भंगण-विमद्दणसंवाहणसिणाणुव्वट्टणपरिहसणतंबोलधूवणवासणदसणूग्घसणसमा (२८३) लहणपुष्फोमालणकेससमारण- सोवाहणदुवियङगइ- भणिरहसिरउवविद्रुट्टि- यसन्निवन्नक्खियविभूEducation International 2010_03 ----- ........... PrNELELENENTLENTINE -200 ruru55555555555555555555555 GO步步听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明听听听听听听听听听听听00元 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YoG555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं ( उसरातृ.अ. तृ.अ. [२७] $ $$$$%% 520 乐乐听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐与乐乐乐 सावत्तिसविगारणीयंसणुत्तरीय-पाउरणदंडगगहणमाई- सरीरविभूसाकुसीले णेए, एते यपवयणउड्डाहपरे दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठव्वे महापावकम्मकारी विभूसाकुसीले भवंति. गए दसणकुसीले ॥३८॥ तहा चारित्तकुसीले अणेगहा मूलगुणउत्तरगुणेसु. तत्थ मूलगुणा पंच महव्वयाणि राइभोयणच्छठ्ठाणि. तेसुंजे पमत्ते भवेज्जा, तत्थ पाणाइवायं पुढवीदगागरिमारूयवणस्सइबितिचउपंचिदियाईणं संघट्टणपरियावणकिलामणोद्दवणे. मुसावायं सुहुमंणयरंच, तत्थ सुहुमे पयलाउल्ला मरूए एवमादी बादरो कन्नालीगादि, अदिन्नादाणं सुहुमं बादरं च, तत्थ सुहुमं तणडगलच्छारमल्लगादीणं गहणे. बायरं हिरण्णसुवण्णादीण मेहुणं दिव्वोरालियं मणोवयकायकरणकारावणाणुमइभेदेण अठ्ठारसहा, तहा करकम्मादी सचित्ताचित्तभेदेणं, णवगुत्तीविराहणेण वा विभुसावत्तिएण वा परिग्गहं सुहुमं बायरं च तत्थई सुहुमं कप्पट्ठगरक्खणममत्तो बादरं हिरण्णमादीण गहणे धारणे वा, राईभोयणं दियागहियं दियाभुत्तं एवमादि, उत्तरगुणा 'पिंडस्स जा विसोही समितीओ भावणा तवो दुविहो । पडिमा अभिग्गहावि य उत्तरगुणमो वियाणाहि ॥१२१|| तत्थ पिंडविसोही-सोलस उग्गमदोसा सोलस उप्पायणाय दोसा उ । दस एसणाय दोसाई संजोयणमाइ पंचेव ||२|| तत्थ उग्गमदोसा-आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाये य । ठवणा पाहुडियाए पाओयर कीय पामिच्चे ||३|| परियट्टिए अभिहडे उब्भिन्ने मालोहडे इय । अच्छिज्ने अणिसट्टे अज्झोयरए य सोलसमे॥४॥ इमे उप्पायणादोसा-धाई दुई निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छाए। कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए ||५|| पुन्विपच्छासंथव विज्जा मंते य चुण्णजोगे य उप्पायणाय दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ॥६।। एसणादोसासंकियमक्खियनिक्खित्तपिहियसाहरियदायगुम्मीसे । अपरिणयलित्तछड्डिय एसणदोसा दस हवंति ॥७॥ तत्थुग्गमदोसे गिहत्थसमुत्थे उप्पायणादोसे साहुसमुत्थे एसणादोसे उभयसमुत्थे, संजोयणा पमाणे इंगाल धूम काणे पंच मंडलीय दोसे भवंति, तत्थ संजोयणा उवगरणभत्तपाणसवभंतरबहिभेएणं, पमाणं 'बत्तीसं किर कवले आहारो कुच्छिपूरओ भणिओ। रागेण सइंगालं दोसेण सधूमगंति नायव्वं ।।८। कारणं 'वेयण वेयावच्चे इरियट्टाए य संजमट्टाए। तह पाणवत्तियाए छठ्ठ पुण धम्मचिंताए ।।९|| नत्थि छुहाइ सरिसिया वियणा अँजिज्ज तप्पसमणट्टा । छाओ वेयावच्चं ण तरइ काउं अओ भुंजे ॥१३०॥ इरियपि न सोहिस्सं पेहाइयं च संजमं काउं । थामे वा परिहायइ गुणणऽणुप्पेहासु य असत्तो ॥१॥ पिंडविसोही गया, इयाणि समितीओ पंच तंजहा-ईरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आदाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्टावणियासमिई, तहा गुत्तीउ तिन्नि मुणगुत्ती वयगुत्ती कायगुत्ती, ता भावणाओ दुवालस तंजहा अणिच्चत्तभावणा असरणभावणा एगत्तभावणा अन्नत्तभावणा असुइभावणा विचित्तसंसारभावणा कम्मासवभावणा संवरभावणा विनिज्जरभावणा लोगवित्थरभावणा धम्मं सुयक्खायं सुपन्नत्तं तित्थयरेहिति तत्तचिंताभावणा बोही सुदुल्लभा जम्मंतरकोडीहिवित्ति भावणा, एवमादियाणंतरेसुंजे पमायं कुज्जा से 4 णं चारित्तकुसीले जेए ||३९|| तहा तवकुसीले दुविहे णेए बज्झतवकुसीले य. तत्थ जे केई विचित्तअणसणऊणोदरियावित्तीसंखेवणरसपरिच्चायकायकिलेससंलीणयत्ति छट्टाणेसु न उज्जमेज्जा से णं बज्झतवकुसीले, तहा जे केई विचित्तपच्छित्तविणयवेयावच्चसज्झायझाणउस्सग्गंमि चेएसुं छठ्ठाणेसुं न उज्जमेज से णं अब्भितरतवकुसीले ॥४०॥ तहा पडिमाओ बारस तंजहा - 'मासाद सत्तंता एगदुगतिगसत्तराइदिण तिन्नि । अहराती एगराती भिकखूपडिमाण बारसगं तह अभिग्गहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ, तत्थ दव्वे कुम्मासाइयं दवं गोहयव्वं, खेत्तओ गामे बाहिं वा गामस्स कालओ पढमपोरिसीमाईसु भावो कोहमाइसंपन्नो जं देहिइ तं गहिस्सामि, एवं उत्तरगुणा संखेवओ समत्ता, समत्तो य संखेवेणं चरित्तायारो, तवयारोऽवि संखेवेणेहतरगओ. तहा वीरियायारो एएसु चेव जा अहाणी, एएसुं पंचसु आयाराइयारेसुंजं आउट्टियाए दप्पओ पमाया कप्पेण वा अजयणाए वा जयणाए वा पडिसेवियं तं तहेवालोइत्ताणं जं मग्गविऊ गुरू उवइसति तं तहा पायच्छित्तं नाणुचरेइ. एवं अठ्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं जं जत्थ पए पमत्ते भवेज्जा से णं तेणं तेणं पमायदोसेणं कुसील ए॥४१|| तहा ओसन्नेसुजाणे, णित्थ लिहिज्जइ, पासत्थे णाणामादीणं सच्छंदे उस्सुत्तमग्गमामी सबले णेत्थं लिहिज्जति, गंथवित्थरभयाओ, भगवया उण एत्थं पत्थावे कुसीलादी GO$$乐明乐明乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听兵历兵听听听听听听听听明乐乐乐明明明明明23 Mer 155555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३८८55555555555555555555555FOR Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ LOK9555555555555555H (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (तृ.अ./ च, अ. (२८] 55555555555FOxorg POR955555555555555555555555555555555555555555555555550xy. महापबंधेणं पन्नविए. एत्थं च जा जा कत्थई अण्णण्णवायणा सा सुमुणियसमयसारेहितो पउंसे (जे) यध्वा, जओ मूलादरिसे चेव बहुगंथं विप्पणटुंतहिं च जत्थ २ संबंधाणुलग्गं संबज्झइ एत्यं लिहियंति, ण उण सकव्वं कयंति ॥४२॥ पंचए सुमहापावे, जे ण वजज गोयमा !! संलावादीहिं कुसीलादी, भमिही सो सुमती जहा ॥१३३|| भवकायठितिए संसारे, घोरदुक्खसमोत्थओ । अलहंतो दसविहे धम्मे, बोहिमहिंसाइलक्खणे ||४|| एवं तु किर दिट्ठतं. संसग्गीगुणढोसओ। रिसिभिल्लासमवासेणं, णिप्फण्णं गोयमा ! सुणे ॥५॥ तम्हा कुसीलसंसग्गी, सव्वोवाएहिं गोयमा !। वज्जियाऽऽयहियाकंखी, अंहजदिटुंतजाणगे॥१३६ ★★★ ॥ महानिसीसुयक्खंधस्स तइयमज्झयणं ॥३॥★★ से णं भयवं ! कहं पुण तेण सुमइरा कुसीलसंसग्गी कायव्वा आसी जाए अ एयारिसे अइदारूणे अवसाणे समक्खाए, जेण भवकायट्ठिईए अणोरपारं भवसायंरं भमिही से वराए दुक्खसंतत्ते अलभंते सव्वण्णुवएसिए अहिंसालकखणे खंतादिदसविहे धम्मे बोहिति ?, गोयमा ! णं इमे तंजहा=अत्थि इहेव भारहे वासे मगहा नाम जणवओ, तत्थ कुसत्थलं नाम पुरं, तंमि य उवलद्धपुन्नपावे सुमुणियजीवाजीवादिपयत्थे सुमइणाइलणामधेज्जे दुवे सहोयरे महड्डीए सडगे अहेसि अहऽन्नया अंतरायकम्मोदएणं वियलियं विहवं तेसिं, र उण सत्तपरक्कमे, एवं तु अचलियसत्तपरक्कमाणं तेसिं अच्वंतं परलोगभीरूणं विरयकूडकवडालियाणं पडिवन्नजहोवइट्ठदाणाइचउक्खंधउवासगधम्माणं अपिसुणामच्छरीणं अमायावीणं, किं बहुणा ?, गोयमा ! ते उवासगा णं आवसहा गुणरयणाणं पभवा खंतीए निवासे सुयणमेत्तीणं, एवं तेसिं बहुवासरवन्नणिज्जगुणरयणंणंपि जाहे असुहकम्मोएणं ण पहुप्पए संपया ताहे ण पहुप्पंति अहियामहयामहिमादओ इट्ठदेवयाणं जहिच्छिए पूयासक्कारे साहम्मियसंमाणो बंधुयणसंववहारे य ॥१॥ अहऽन्नया अचलंतेसु अतिहिसक्कारेसु अपूरिज्जमाणेसु पणइयणमणोरहेसु विहडतेसु य सुहिसयणमित्तबंधवकलत्तपुत्तणत्तुयगणेसु विसायमुवगएहिं गोयमा ! चितियं तेहिं सडगेहिं, तंजहा- 'जा विहवो तो पुरिसस्स होइ आणापडिच्छओ लोओ । गलिउदयं घणं विज्जुलावि दूरं परिच्चयइ ॥१॥ एवं च चितिऊण परोप्परं भणिउमारद्धे, तत्थ पढमो-पुरिसेण माणधणवज्जिएण परिहीणभागधेज्जेणं । ते देसा गंतव्वा जत्थ सवास ण दीसंति ॥२॥ तहा बीओ 'जस्स धणं तस्स जणो जस्सऽत्थो तस्स बंधवा बहवे । धणरहिओ उमणूसो होइ समो दासपेसेहिं॥३॥ अह एवमपरोप्परं संजोज्जेइ, संजोज्जेऊण गोयमा ! कयं देसपरिच्चायनिच्छयं तेहिति जहा वच्चामो देसंतरंति, तत्थ ण कयाई पुज्जति चिरचितिए मणोरहे हवइ पव्वज्जाए सह संजोगो जइ दिव्वो बहु मन्नेज्ना, जाव णं उज्झिऊणं तं कमागय कुसत्थल पडिवन्नं विदेसगमणं ॥२॥ अहऽन्नयाअणुप्पहेणं गच्छमाणेहि दिट्ठा तेहिं पंच साहुणो छठे समणोवासगंति, तओ भणियं णाइलेण-जहा भो भो सुमती ! भद्दमुह ! पेच्छ केरिसो साहुसत्थो?, ता एएणं चेव साहुसत्येणं गच्छामो, जइ पुणोवि नूणं गंतव्वं, तेण भणियं-एवं होउत्ति, तओ संमिलिया तत्थ सत्थे, जावणं पयाणगमेणं वहति तावणं भणिओ सुमती णाइलेणं, जहाणं भद्दमुह ! मए हरिवंसतिलयमरयच्छविणो सुगहियनामधेज्जस्स बावीसइमतित्थगरस्सणं अरिट्ठनेमिनामस्सपायमूले सुहनिसण्णेणं एवमवधारियं आसी, जहा जे एवंविहे अणगाररूवे भवंति ते य कुसीले, जे य कुसीले ते दिठ्ठिएवि निरिक्खिउं न कप्पंति, ता एते साहुणो तारिसे, मणागं न कप्पए एतेसिं समं अम्हाण गमरसंसग्गी, ता वयंतु एते, अम्हे अप्पसत्येण चेव वइस्सामो, न कीरइ तित्थयरवयणस्सातिक्कमो, जओ णं ससुरासुरस्सावि जगस्स अलंघणिज्जा तित्थयरवाणी, अन्नच जाव एतेहिं समं गम्मइ ताव णं चिठ्ठउ ताव दरिसणं, आलावादी णियमा भवंति, ता किमम्हेहिं तित्थयरवाणिं उल्लंघित्ताणं गत्तव्वं ?, एवं तमणुभाविऊणं तं सुमतिं हत्थे गहाय निव्वडिओ नाइलो साहुसत्थाओ ||३|| निविट्ठो य चक्खुविसोहिए फासुगे भूपएसे, तओ भणियं सुमइणा, जहा- 'गुरूणो मायावित्तस्स जेठूभाया तहेव भइणीणं । जत्थुत्तरं न दिज्जइ हा देव ! भणामि किं तत्थ ?॥४॥ आएसेऽवि इमाणं पमाणपुव्वं तहत्ति ना (का) यव्वं । मंगुलममंगुलं वा तत्थ विचारोन कायव्वो ॥५॥ णवरं एत्य य मे अज्ज दायव्वं अज्जमुत्तरमिमस्स । खरफरूसकक्कसाणिठ्ठदुट्ठनिट्ठरसरेहिं तु ॥६॥ अहवा कह उच्छलउ जीहा मे जेट्ठभाउणो पुरओ ?। जस्सुच्छंगे विणियंसणोऽह रमिओऽसुइविलित्तो॥७॥ अहवा कीस ण लज्जइ एस सयं चेव एव पभणंतो ?। जं तु कुसीले एते दिट्ठीएवी ण : O听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听25 Rec $$$55555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १३८९॥55555555555555555555555555GIOR Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COE955555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) च. अ. [२९] 历历五五五五五五五五五五开PACS दव्वे ।।८।। साहुणोत्ति, जाव न एवइयं वायरे ताव णं इंगियागारकुसलेणं मुणियं णाइलेणं, जहा णं अलियकसाइओ एस मणगं सुमती, ता मिकहं पडिभणामित्ति चितिउंसमाढतो जहा- 'कज्जेण विण अकंडे एस पकुविओ हुताव संचिठे। संपइ अणुणिज्जंतोण याणिमो किं च बहु मन्ने ?||९|| ता किं अणुणेमिमिणं उयाहु बोलउ खणद्धतालं वा । जेणुवसमियकसाओ पडिवज्जइ तं तहा सव्वं ॥१०॥ अहवा पत्थावमिणं एयस्सवि संसयं अवहरेमि। एस ण याणइ भद्दो जाव विसेसंणऽपरिकहियं ||१|| ति चिंतेऊणं भणिउमाढतो-नो देमि तुब्भ दोसं ण यावि कालस्स देमि दोसमहं । जं हियबुद्धीऍ सहोयरावि भणिया पकुप्पंति ।।२।। जीवाणं चिय एत्थं दोसं कम्मठ्ठजालकसियाणं । जं चउगइनिप्फिडणं हिओवएसं न बुज्झंति॥३|| घणरागदोसकुग्गहमोहमिच्छत्तखवलियमणाणं । भाइ विसं कालउडं हिओवएसामयप्पइभं ||१४||ति, एवमायन्निऊण तओ भणियं सुमइणा, जहा तुमं चेव सच्चवादी भणसु एयाई, णवरं ण जुत्तमेयं जं साहूणं अवन्नवायं भासिज्जइ, अन्नं तु किं तं न पेच्छसि तुम एएसिं महाणुभागाणं चिट्ठियं ?, छठ्ठठ्ठमदसमदुवालसमासखमणाईहिं आहारग्गहणं गिम्हासु यावणट्ठा वीरासणउक्कडुयासणनाणाभिग्गहधारणेणं च कदठवोऽणुचरणेणं च पसुक्खं मंससोणियंति, महाउवासगो सि तुमं महाभासासमिती विइया तए जेणेरिसगुणोवउत्ताणंपि महाणुभागाणं साहूण कुसीलत्ति नामं संकप्पियंति, तओ भणियं नाइलेणं-जहा मा वच्छ ! तुम एतेणं परिओसमुवयासु, जहा अहयं आसवारेणं परामुसिओज्ज, अकामनिज्जराएवि किंचि कम्मखयं भवइ, किं पुण जं बालतवेणं?, ता एते बालतवस्सिणो दठ्ठव्वे, जओणं किं किंचि उस्सुत्तमग्गयामित्तमेएसिंन पईसे?, अन्नंच-वच्छ सुमइ ! णत्थि ममं इमाणोवरिं कोवि सुहुमोवि मणसावि उपओसो जेणाहमेएसिंदोसगहणं करेमि, किंतु मए भगवओ तित्थयरस्स सगासे एरिसमवधारियं जहा कुसीले अद्दठव्वे,ताहे भणियं सुमइणा, जहा जारिसो तुमं निब्बुद्धीओ तारिसो सोवि तित्थयरो जेण तुज्झमेयं वायरियंति, तओ एवं भणमाणस्स सहत्थेणं झंपियं मुहकुहरं सुमइस्स णइलेणं, भणिओ य जहा भद्दमुह ! मा जगेक्कगुरूणो तित्थयरस्सासायणं कुणसु, मए पुण भणसु जहिच्छियं, नाहं ते किंचि पडिभणामि तओ भणियं सुमइणा, जहा जइ एतेवि साहुणो कुसीला ता एत्थ जगे ण कोई सुसीलो अत्थि, तओ भणियं णाइलेणं जहा भद्दमुह ! सुमइ इत्थं जयालंघणिज्जवक्कस्स भगवओ वयणमायरेयव्वं जं चऽत्थिक्कयाए न विसंवएज्जा, णो णं बालतवस्सीण चेट्टियं, जओ णं जिणइंदवयणेण नियमओ ताव कुसीले इमे दीसंति, पव्वज्जाए पुण गंधपि णो दीसए एसिं, जेणं पिच्छ २ तावेयस्स साहुणो बिइज्जयं मुहणंतगं दीसइ ता एस ताव अहिंगपरिग्गहदोसेणंकुसीलो, ण एयं साहूण भगवयाऽऽइठं जमहियपरिग्गहविधरणं करे, ता वच्छ १ हीणसत्तेहिं नो एसेवं मणसाऽज्झवसे जहा जइ ममेयं मुहणंतगं विप्पणस्सिहिइ ता बीयं कत्थ कहं पावेज्जा?, नो एवं चिंतेइ मूढो जहा अहिगाणुवओ गोवहीधारणेणं मज्झं परिग्गहवयस्स भंग होही, अहवा किं संजमेऽभिरओ एस मुहणंतगाइसंजमोवओगधम्मोवगरणेणवी सीएज्जा ?, नियमओ ण विसाए, णवरमत्ताणयं हीणसत्तो ऽहमिइ पायडे उम्मग्गायरणं च पयंसेइ पवयणं च मइलेइत्ति, एसा उ ण पेच्छसि सामन्नवत्ता, एएणं कल्लं तीए विशियंसणाइ इत्थीए अंगयठिं निज्झाइऊणं जं नालोइयपडिक्वंतं तं किं तए ण विन्नायं ?, एस उण पिच्छेसि परूढविप्फोडगविम्हियाणणो ?, एतेणं संपयं चेव लोयठ्ठाए सहत्थेणमदिन्नछारगहणं कयं, तएवि दिमयंति, एसो उ ण पेच्छसि संघाडिए कल्ले एएणं अणुग्गए सूरिए उठेह वच्चामो उग्गयं सूरियंति तहा विहसियमिणं, एसे उपेच्छसीमेसिं जिसेहो एसो अज्ज रयणीए अणोवउत्तो पसुत्तो विज्जुक्काए फुसिओ, ण एतेणं कप्पगहणं कयं, तहा पभाए हरियतणं वासाकप्पंचलेणं संघट्टियं, तहा बाहिरोदगस्स णं परिभोगं कयं, बीयकायस्सोप्परेणं परिसक्किओ, अविहीए एस खारथंडिलाओ महुरं थंडिलं संकमिओ, तहा पहपडिवन्नेणं साहुणा कमसयाइक्कमे ईरियं पडिक्कमियव्वं, तहा चरेयव्वं तहा चिट्ठयव्वं तहा भासयव्वं तहा सएयव्वं जहा छक्कायमइगयाणं जीवाणं सुहुमबायरपज्जत्तापज्जत्तगमागमसव्वजीवपाणभूयसत्ताणं संघट्टणपरियावणकिलामणोद्दवणं ण भवेज्जा, ता एतेसिं एवइयाणं एयस्स एक्कमविण एत्थं दीसए, जे पुण मुहणंतगं पडिलेहमाणो अज्ज मए एस चोइओ जहा एरिसं पडिलेहणं करेसि जेण वाछक्काय फट्टफडस्स संघट्टेज्जा सरियं च पडिलेहणाए संतियं कारणंति, जस्सेरिसं जयणं एरिसं सोवओगं बहुं काहिसि संजमंण संदेहं जस्सेरिसमाउत्तत्तणं तुज्झंति, एत्थं १ ज तएऽहं विणिवारिओ जहा णं मूगो ठाहि, ण अम्हाणं साहूहिं समं किंचि भणेयव्वं कप्पे, ता किमेयं तं विसुमरियं ?, ता भद्दमुह ! एएण संमं संजमत्थाणंतराणं का Horos5555555555555555; श्री आगमगुणमंजूषा-१३९०555555555555555555555555555GOR SNCF明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听.C照 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO805555555555 (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) च. अ. [३०] एगमवि णो परिरक्खियं, ता किमेस साहू भन्नेज्जा जस्सेरिसं पमत्तत्तणं ?, ण एस साहू जस्सेरिसं णिद्धम्म संपल (व) तं, भद्दमुह ! पेच्छ २ सुणो इव णित्तिंसो छक्कायनिमद्दणो कहाभिरमे एसो ?, अहवा वरं सूणो जस्स सुसुहुममवि नियमवयभंगं णो भवेज्जा, एसो उ नियमभंगं करेमाणो केणं उवमेज्जा ?, ता वच्छ सुमइ भद्दमुह ! ण एरिस, कत्तव्वायरणाओ भवंति साहू, एतेहिं च कत्तव्वेहि तित्थयरवयणं सरेमाणो को एतेसिं वंदणगमवि करेज्जा ?, अन्नंच. एएसिं कयाई अम्हाणंपि चरणकरणेसु सिढिलत्तं भवेज्जा, जेणं पुणो २ आहिँडेमो घोरं भवपरंपरं, तओ भणियं सुमइणा, जहा जइ एए कुसीले जइ वासुसीले तहावि मए एएहिं समं पवज्जा कायव्वा, जं पुण तुमं करे (हे) सि तमेव धम्मं, णवरं को अज्ज तं समायरिउं सक्को?, ता मुयसु कर, मए एतेहिं समं गंतव्वं जाव णं णो दूरं वयंति ते साहुणोत्ति, तओ भणियं णाइलेणं, भद्दमुह ! सुमइ णो कल्लाणं एतेहिं समं गच्छमाणस्स तुब्भंति, अहयंच तुब्भं हियवयणं भणामि, एवं ठिए जं चेव बहुगुणं तमेवाणुसेवय, णशहं तए दुक्खेण धरेमि, अह अन्नया अणेगोवाएहिपि निवारिज्जतो ण ठिओ गओ सो मंदभग्गो सुमती गोयमा ! पव्वइओ य, अह अन्नया वच्चंतेणं मासपंचगेणं आगओ महारोरवो दुवालससंवच्छरिओ दुभिक्खो, तओ ते साहुणो तक्कालदोसेणं अणालोइयपडिक्कंता मरिऊणो-ववन्ना भूयजक्खरक्खसपिसायादीणं वाणमंतरदेवाणं वाहणत्ताए, तओ चविऊणं मिच्छजातीए कुणिमाहारकूरज्झवसायदोसओ सत्तमाए, तओ उव्वट्टिऊणं तइयाए चउवीसिगाए सम्मत्तं पावेहिति, तओ य सम्मत्तलंभभवाओ तइयभवे चउरो सिज्झिहिति, एगोण सिज्झिहिइ जो सो पंचमगो सव्वजेट्ठो, जओ णं सा एगंतमिच्छद्दिट्ठी अभव्यो य, से भयवं ! जेणं से सुमती से भव्वे उयाहु अभव्वे ?, गोयमा ! भव्वे, से भयवं ! जइ णं भव्वे ता णं मए समाणे कहिंसमुप्पन्ने ?, गोयमा ! परमाहम्मियासुरेसुं ।४। से भयवं ! किं भव्वे परमाहम्मियासुरेसु समुप्पज्जइ ?, गोयमा ! जे केई घणरागादेसमोहमिच्छत्तादएणं सुववसि (कहि) यपि परमहिओवएसं अवमन्नेत्ताणं दुवासंगं च सुयनाणमप्पमाणीकरिय अयाणित्ताण य समयसब्भावं अणायारं पसंसियाणं तमेव उच्छप्पेज्जा जहा सुमइणा उच्छप्पियं 'न भवंति एए कुसीले साहुणो, अहा णं एएऽवि कुसीले तो एत्थं जगे न कोई सुसीलो. अत्थि निच्छियं मए एतेहिं, समं पव्वज्जा कायव्वा, तहा जारिसो तं निव्वुद्धीओ तारिसो सोऽवि तित्थयरो' त्ति एवं उच्चारेमाणेणं, से णं गोयमा ! महंतंपि तवमणुढेमाणे परमाहम्मियासुरेसु उववज्जेज्जा, से भयवं ! परमाहम्मियासुरदेवा णं उव्वट्टे समाणे कहिं उववज्जे ?, भगवं ! परमाहम्मियसुरदेवाणं उव्वट्टे समाणे से सुमती कहिं उववजेज्जा ?, गोयमा ! तेणं मंदभागेणं अणायारपसंसुच्छप्पणं करेमाणेणं सम्मग्गपणासणं अभिणंदियं तक्कम्मदोसेणं अणंतसंसारियत्तणमज्जियं, तो केत्तिए उववाए तस्स साहेज्जा ?, जस्स णं अणेगपोग्गलपरियट्टेसुवि णत्थि चउगइसंसाराओ अ. वसाणंति तहावि संखेवओ सुणसु, गोयमा ! इणमेव मज्झंतरं अत्थि पडिसंतावदायगं नाम अद्धतेरसजोयणपमाणं हत्थिकुंभायारं थलं, तस्स य लवणजलोदएणं अद्भुट्ठाजेयणाणि उस्सेहो, तहिं च णं अच्चतघोरतिमिसंधयाराउ घडियालगसंठाणाउ सीयासील गुहाओ, तासुं च णं जुग जुगं अंतरंतरे जलयारिणो मणुया परिवसंति, ते य वजरिसहनारायणसंघयणे महाबलपरक्कमे अद्धतेरसरयणीपमाणेणं संखेज्जवासाऊ महुमज्जमंसप्पिए सहावओ इत्थीलोले परमदुवन्नसुउमालअणिट्ठखररूसि (क्खि) . यतणू मायंगवइकयमुहे सीहघोरदिट्ठी कयंतभीसणे अदावियपट्ठी असणिव्व नहरपहारी दप्पुद्धरे य भवंति, तेसिति जाओ अंतरंडगगोलियाओ ताओ गहाय चमरीणं संतिएहिं सेयपुच्छवाले हिं गुंथिऊणं जे के ई उभयकन्नेसु निधिऊण महाग्घुत्तम- जच्चरयणत्थी सागरम- णुपविसेज्जा से णं जलहत्थिमहिसगाहगमयरमहामच्छतंतुसुंसुमारपभितीहिंदुट्ठसावतेहिं अभेसिए चेव सव्वंपि सागरजलं आहिडिऊण जहिच्छाए जच्चरयणसंगहं करिय अहयसरीरे आगच्छे, ताणंच अंतरंडगोलियाण संधेण तेवराए गोयमा! अणोवमं सुघोरं दारूणं दुक्खं पुव्वज्जियरोद्दकम्मवसगा अणुभवंति, से भयवं ! केणं अद्वेणं !? गोयमा! तेसिं जीवमाणाणं को समज्जे तओ गोलियाओ गहेउ जे?, जया उण ते घेप्पंति तया बुहुविहाइं नियंतणाई महया साहसेणं सन्नध्धकरवालकुंतचक्काइपहरणाडोवेहिं बहु. सूरधीरपुरिसेहिं बुद्धिपुव्वगेणं सजीवियडोलाएघेप्पंति, तेसिंच धिप्पमाणाणं जाई सारीरमाणसाई दुक्काई भवंति ताई सव्वेसुनारयदुक्खेसुजइ पर उवमेज्जा, से ! भयवं को उण ताओ अंतरंडगोलियाउ गेण्हिज्जा ?, गोयमा ! तत्थेव लवणसमुद्दे अस्थि रयणदीवं नाम अंतरदीवं, तस्सेव पडिसंतावदायगाओ थलाओ एगतीसाए ForNEEEEEE444444 444 श्री भागमगाजषा -23929999999 9EOYOY ro95555555555555555555555555555555 555555990 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) च. अ. [३१] जोयणसएहिं तंनिवासिणो मणुया, भयवं ! कयरेणं पओगेणं ?, खेत्तसभावसिद्धेण पुव्वपुरिसे सिद्देणं च विहाणेणं, से भयवं ! कयरे उण से पुव्वपुरिससिद्धे विही तेसिति ?, गोयमा ! तहियं रयणदीवे अत्थि वीसएगूणवीसअट्ठारस. दसट्ठसत्तधणूपमाणाइं घरट्टसठाणाइं वरिट्ठवरसिलासंपुडाइं, ताइं च विघाडेऊणं ते रणदीवनिवासिणो मणुया पुव्वसिद्धखेत्तसहावसिद्धेणं चेव जोगेणं पभूय मच्छिया महूओ अज्झं. तरेउं अच्छंतलेवाडाई काउणं तओ तेसिं पक्कमंसखंडाणि बहूि जच्च महुमज्जभंडगाणि पक्खिवंति, तओ एयाइं करिय सुरुंददीहमहद्दुमंकट्ठेहिं आरुभत्ताणं सुसाउपोराणमज्जम ज्जिगामच्छियामहुयपडिपुन्ने बहुए लाउगे गहा पडिंसंतावदायगथलभागच्छंति, जाव णं तत्थागए समाणे ते गुहावासिणो मणुया पेच्छंति ताव णं तेसिं रणयदीवगणिवासिमणुयाणं वहाय पडिधावंति, तओ ते तेसिं महुपडिपुन्नं लाउगं पयच्छिऊणं अब्भत्थपओगेणं तं कट्ठजाणं जइणयरवेगं दुवं खेविऊणं रयणद्दीवाभिमुहे वच्चति, इयरे य णं तं महुमांसादीयं, पुणो सुठुयरं तेसिं पिट्ठीए (विक्खिरमाणा) धावंति, ताहे गोयमा ! जाव ण अच्चासन्ने भवंति ताव णं सुसाउमहुगंधदव्वसक्कारिय पेराणमज्जलाउगमेगं पमुत्तूण पुणोवि जइणयरवेगेणं रयणदीवहुत्तो वच्चंति, इयरे य तं सुसाउमहुगंधदव्वसक्करियं पोराणमज्जमांसाहयं, पुणो सुदक्खयरे तेसिं पट्ठीए धावंति, पुणोवि तेसिं महुपडिपुन्नलाउगमेगं मुंचति, एवं ते गोयमा ! महुमज्जलोलिए संपलग्गे तावाणयंति जाव णं ते घरट्टसंठाणे वइरसिलासंपुडे, ता जाव णं तावइयं भूभागं संपरायंति तव णं जमेवासन्नं वइरसिलासं पुडं जंभायमाणपुरिसमुहागारं विहाडियं चिट्ठइ तत्थेव जाई महुमज्जपडिपुन्नाई समुद्धसिरयाई सेसलाउगाई ताइं तेसि पिच्छमाणाणं ते तत्थ मोत्तूणं नियनियनिलएसु वच्छंति, इयरे य महुमज्जलोलिएजाव णं तत्थ पविसंति ताव णं गोयमा ! जे ते पुव्वमुक्के पक्कमंसखंडे जे य ते महुमज्जपडिपुन्ने भंडगे जं च महूए चेवालितं सव्वं तं सिलासपुडं पेक्खति ताव णं तेसिं महंतं परिओसं महई तुट्ठी महंतं पमोदं भवइ, एवं तेसिं महुमज्नपक्कमंसं परिभुंजेमाणाणं जाव णं गच्छंति सत्तट्ठ दसपंचेव वा दिणाणि ताव णं ते रयणदीवनिवासी मणुया एगे सन्नद्धसाउहकरग्गा तं वइरसिलं वेढि - ऊणं सत्तट्ठपंतीहिं णं ठंति, अन्ने तं घरट्टसिलासपुडमायलित्तार्ण एगई मेलंति, तंमि अ मेलिज्जमाणे गोयमा ! जई णं कहिंचि तुडितिभागओ तेसिं एक्कस्स दोण्हपि वा णिप्फेडं भवेज्जा तओ तेसिं रयणट्टीवनिवासिमणुयां सविडविपासायमंदिरस्स उप्पायणं, तक्खणा चेव तेसिं हत्या संघारकालं भवेज्जा, एवं तु गोयमा ! तेसिं तेणं वज्जसिलाघरट्टसंपुडेणं गिलियाणंपि तहियं व णं सव्वट्ठिए दलिऊणं ण संपीसिए सुकुमालिया य (ण) ताव णं तेसिं णो पाणाइक्कमं भवेज्जा, ते य अट्टी वइरमिव दुद्दले, तेसिं तु तत्थ य वइरसिलासंफुर्ड कण्हगगोणगेहिं आउत्तमादरेणं अरहट्टघरट्टखरसण्हिगचक्कमिव परिमंडलं भमालियं ताव णं खंडंति जाव णं संवच्छरं, ताहे तं तारिसं अच्वंतघोरदारुणं सारीरमाणसं महादुक्खसन्निवायं समणुभवमाणाणं पाणाइक्कमं भवइ तहावि ते तेसिं अट्ठीउ णो फुडंति, नो दोफले भावति, णो संदलिज्नति णो पघरिसंति, नवरं जाई काइवि संधिसंधाणबंधणाइं ताइं सव्वाइं, विच्छुडेत्ताणवि जज्जरीभवति, तओ णं इयरूबल घरट्टस्सेव परिसवियं चुण्णमित्र किंचि अंगुलाइयं अट्ठिखंडं दवणं ते रयणदीव परिओसमुव्वहंतो सिलासंपुडाई उच्चियाडिऊणं ताओ अंतरंङगोलियाओ गहाय जे तत्थ तुच्छहणे ते अणेगरित्थसंघाएणं विक्किणंति, एतेणं विहाणेणं गोयमा ! ते 'रयणदीवनिवासिणो मणुया ताओ अंतरंडागेलियाओ मेण्हंति, से भयवं ! कहं ते वराए तं तारिसं अच्चंतघोरदारुणसुदुस्सहं दुक्खनियरं विसहमाणे निराहारपाणगे स्वच्छरं जाव पाणे विधारयति ?, गोयमा ! सकयकम्माणुभावाओ, सेसं तु पण्हवागरणवुद्धविवरणादवसेयं । ५ । से भयवं तओऽवि स मए समाणे से सुमती जीवे वायं लभेज्जा १, गोयमा ! तत्थेव पडिसंतावदायगथले, तेणेव कमेणं सत्त भवंतरे, तओवि दुट्ठसाणे तओवि कण्हे तओवि वाणमंतरे, तओवि लिंबताए वणस्सईए, तओवि मणुएसुं इत्थित्ताए, लओवि छट्टीए, तओवि मणुयत्ताए कुट्ठी, तओवि वाणमंतरे तओवि महाकाए जूहाहिवती गए, तओवि मरिऊणं मेहुणासत्ते . अणंतवणप्फतीए, तओवि अनंतकालाओ मणुएस संजाए, तओवि मणुए महानेमित्ती, तओवि सवमाए, तओवि महामच्छे चरिमोयहिंमि, तओ सत्तमाए, तओवि गोणे, तओवि मणुए, तओवि विडवकोइलियं, तओवि जलोयं, तओवि महामच्छे, तओवि तंदुलमच्छे, तओवि सत्तमाए, तओवि रासहे, तओवि साणे, तओवि किमी, तओवि दद्दुरे, तओवि तेउकाए, तओवि कुंथू, तओवि महुयरे, तओवि चडए, तओवि उद्देहियं, तओवि वणप्फईए, तओवि अनंतकालाओ मणुएसु इत्थीरयणं, NRO 5 5 5 5 55555555 6666666 श्री आगमगुणमा १३९२ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ho..955555555555555 (३५) महानिमीह छेयसुत्तं (२) च. अ. [३] $$$$ %% %%%%%% %CO2 CC明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明FSC तओ छट्ठीए, तओ कणेरु, तओ वेसामंडियं नाम पट्टणं तत्थोवज्झायगेहासन्ने लिंब (पत्त) तेण वणस्सई, तओवि मणुएसुं खुज्जित्थी, तओवि मणुयत्ताए पंडगे, तओवि मणुयत्तेणं दुग्गए, तओवि दमए, तओवि पुढवादीसुं भवकायट्ठिईए पत्तेयं, तओ मणुए, तओ बालतवससी, तओ वाणमंतरे, तओवि पुरोहिए, तओवि सत्तमीए, तओ मच्चे, तओ सत्तमाए, तओवि गोणे, तओवि मणुए महासम्मद्दिट्ठी अविरए चक्कहरे, तओ पढमाए, तओवि इब्भे, तओवि समणे अणगारे, तओवि अणुत्तरसुरे, तओवि चक्कहरे महासंघयणे भवित्ताणं निम्विन्नकामभोगे जहोवइ8 संपुन्नं जंगमं काऊण गोयमा ! से णं सुमइजीवे पडिनिव्वुडेज्ना ||६|| तहा य जे भिक्खू वा भिक्खुणी वा परपासंडीणं पसंसं करेजा जे याविणं णिण्हगाणं पसंसं करेजा जेणं निण्हगाणं अणुकूलं भासेज्जा जे णं निण्हगाणं आययणं पवेसेज्जा जे णं निण्हगाणं गंथसत्थपयाक्खरं वा परवेज्जा जे णं निण्हगाणं संतिए कायकिलेसाइए तवेइ वा संजमेइ वा नाणेइ वा विन्नाणेइ वा सुएइ वा पंडिच्चेइ वा अभिमुहमुद्धपरिसामज्झगए सलाहेज्जा सेऽविय णं परमाहम्मिएसु उववज्जेज्जा जहा सुमती।७। से भयवं ! तेणं सुमइजीवेणं तक्कालं समणत्तणं अणुपालियं तहावि एवंविहेहिं नारयतिरियनरामरविचित्तोवाएहिं एवइयं संसाराहिंडणं ?, गोयमा ! णं जं आगमबाहाए लिंगग्गहणं कीरइ तं डंभमेव केवलं सुदीहसंसारहेउभूयं, णो णं तं परियायं लिक्खइ, तेणेव संजमं दुक्करं मन्ने, अन्नंच-समणत्ताए से य पढमें संजमपए जं कुसीलसंसग्गीणिरिहरणं, अहा णं णो णिरिहरे ता संजममेव ण ठाएज्जा, ता तेणं सुमइणा तमेवायरियं तमेव पसंसियं तमेव उस्सप्पियं तमेव सलाहियं तमेवाणुठ्ठियंति, एयं च सुत्तमइक्कमित्ताणं एत्थं पए जहा सुमती तहा अन्नेसिमवि सुंदरविउरदसणसेहरणीलभद्दसभोमेय-खग्गधारितेणगसमणदुइंतदेवरक्खियमुणिणामादीणं को संखाणं करेज्जा ?, ता एयमठू विइत्ताणं कुसीलसंभोगे सव्वहा वज्जणीए।८। से भयवं ! किं ते साहुणो तस्स णं णाइलसड्डगस्स छंदेणं कुसीले उयाहु आगमजुत्तीए ?, गोयमा ! कहं सड्ढगस्स वरायस्सेरिसो सामत्थो ? जेणं तु सच्छंदत्ताए महाणुभावाण सुसाहूणं अवन्नवायं भासे, तेणं सड्ढगेणं हरिवंसतिलयमरगयच्छविणो बावीसइमधम्मतित्थयरअरिठ्ठनेमिनामस्स सयासे वंदणवत्तियाए गएणं आयारंगं अणंतगमएज्जवेहिं पन्नविज्जमाणं समवधारियं, तत्थ य छत्तीसं आयारे पन्नविनंति, तेसिं च णं जे केइ साहू वा साहुणी वा अन्नयरमायारमइक्कमेज्जा से णं गारत्थीहिं उवमेयं, अहऽन्नहा समणढे वाऽऽयरेज्जा वा पण्णविज्जा वा तओ णं अणंतसंसारी भवेज्जा, ता गोयमा ! जे णं तु मुहणंतगं अहिगं परिग्गहियं तस्स ताव पंचममहव्वयस्स भंगो, जेणं तु इत्थीए अंगोवंगाइं णिज्झाइऊण णालोइयं तेणं तु बंभचेरगुत्ती विराहिया, तव्विराहणेणं जहा एगदेसदड्ढो दडो दड्डो भन्नइ तथा चउत्थमहव्वयं भग्गं, जेण य सहत्थेणुप्पाइऊणादिन्ना भूई पडिसाहिया तेणं तु तइयमहव्वयं भग्गं, जेण य अणुग्गओ सूरिओ उग्गओ भणिओ तस्स य बीयवयं भग्गं, जेण उण उफासुगोदगेण अच्छीणि पहोयाणि तहा अविहीए पहथंडिल्लाणं संकमणं कयं बीयकायं च अक्वंतं वासाकप्पस्स अंचलगेणं हरियं संघट्टियं विज्जूए फुसिओ मुहणंतगेणं अजयणाए फडफडस्स वाउकायमुदीरियं तेणं तु पढमवयं भग्गं, तब्भंगे पंचण्हपि महव्वयाणं भंगो कओ, ता गोयमा ! एते कुसीला साहुणो, जओणं उत्तरुगुणाणंपि भंगंण इ8, किं पुण जं मूलगुणाणं, से भयवं ! ता एयणाएणं वियारिऊणं महव्वए घेत्तव्वे ?, गोयमा ! इमे अढे समठे, से भयवं! केणं अ→णं? गोयमा ! सुसमणाइ वा सुसावएइ वा, ण तइयं भेयंतरं, अहवा जहोवइढे सुसमणवमणुपालिया अहा णं जहोवइटुं सुसावगत्तमणुपालिया, णो समणो समणत्तमइयरेज्जा नो सावए सावयत्तमइयरेज्जा, निरइयारं वयं पसंसे, तमेव य समणुढे, णवरं जे समणधम्मे से णं अच्वंतघोरदुच्चरे तेणं असेसकम्मक्खयं, जहन्नेणंपि अट्ठभवब्भंतरे मोक्खो, इयरेणं तु सुद्धेणं देवगई सुमाणुसत्तं वा सायपरंपरेणं मोक्को, नवरं पुणोवि तं संजमाओ, ता जे से समणधम्मे से अवियारे सुवियारे पण (पुण्ण) वियारे तहत्तिमणुपालिया, उवासगाणं पुण सहस्साणि विधाणे जो जं परिवाले तस्साइयारं व ण भवे तमेव गिण्हे ।९। से भयवं ! सो उण णाइलसड्डगो कहिं समुप्पन्नो?, गोयम ! सिद्धीए, से भयवं कहं ? गोयमा ! तेणं महाणुभागेणं तेसिं कुसीलाणं णिउट्टेऊणं तीए चेव बहुसावयतरूसंडसंकुलाए घोरकंताराडईएई सव्वपावकलिमलकलंकविप्पमुक्कं तित्थयरवयणं परमहियं सुदुल्लहं भवसएसुंपित्ति कलिऊणं अच्चंतविसुद्धासएणं फासुयदेसंमि निप्पडिकम्मं निरइयारं पडिवन्नं पायवोवगमणमणसणंति, अह अन्नया तेणेव पएसेणं विहरमाणो समागओ तित्थयरो अरिठ्ठनेमी तस्स अ अणुग्गहठ्ठा एतेतेणेव अचलियसत्तो भव्वसत्तोत्तिकाऊणं, ल Exerco9595555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १३९३155555555555555555FOTOR HOO听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$听听听听听听听听听乐乐20 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयमुत्तं (२) पं. अ. [३३] $ $$ $ $$ $ 2 0 ESC听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 उत्तिमठ्ठपसाहणी कया साइसया देसणा, तमायन्नमाणो सजलजलहरनिनायदेवदुंदुहीनिग्रोसं तित्थयरभारइं सुहज्झवसायपरो आरूढो खवगसेढीए अउव्वकरणेणं, अंतगडकेवली जाओ, एतेणं अणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा ! सिद्धीए, ता गोयमा ! कुसीलसंसग्गीए विप्पहियाए एवसयं अंतरं भवइत्ति ।१०। ★★★ महानिसीहस्स चउत्थमज्झयणं ॥४॥ *** अत्त चतुर्थाध्ययने बहवः सैद्धांतिका: केचिदालापकान्न सम्यक् श्रद्दधत्येव, तैरश्रद्दधानैरस्माकमपि न सम्यक् श्रद्धानं इत्याह हरिभद्रसूरिः, न पुन: सर्वमेवेदं चतुर्थाध्ययनं, अन्यानि वा अध्ययनानि, अस्यैव कतिपयैः परिमितैरालापकैरश्रद्धानमित्यर्थः, यत् स्थानसमवायजीवाभिगमप्रज्ञापनादिषु न कथंचिदिदमाचरूये यथा प्रतिसंतापकस्थलमस्ति, तद्गुहावासिनस्तु मनुजास्तेषु च परमाधार्मिकाणां पुन: पुन: सप्ताष्टवारान् यावदुपपात: तेषां च तैर्दारूणैर्वज्रशिलाघरट्टसंपुटैर्गिलितानां परिपीड्यमानानामपि संवत्सरं यावत्प्राणव्यापत्तिर्न भवतीति, वृद्धवादस्तु पुनर्यथा तावदिदमार्ष सूत्रं, विकृतिर्न तावदत्र प्रविष्टा, प्रभूताश्चात्र श्रुत. स्कंधे अर्थाः, सुष्ठवतिशयेन सातिशयानि गणधरोक्तानि चेह वचनानि, तदेवं स्थिते न किंचिदाशंकनीयं ।११। एवं कुसीलसंसग्गिं, सव्वोवाएहिं पयहिउं । उम्मग्गपट्ठियं गच्छं, जे वासे लिंगनीविणं ॥१॥ से णं निविग्घमकिलिठ्ठ, सामन्नं संजमं तवं । ण लभेज्ना ते सिया भावे, मोक्खे दूरयरं ठिए ।।२।। अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे ते उम्मग्गपट्ठियं । गच्छं संवासइत्ताणं, भमती भवपरंपरं ॥३|| जामद्धजामं दिणपक्खं, मासं संवच्छांपि या। सम्मग्गपछिए गच्छे, संवसमाणस्स गोयमा ! |४|| लीलायऽलसमाणस्स, निरूच्छाहस्स धीमणं । पक्खोवेक्खीय यन्नेए, महाणुभागाण साहुणं ॥५|| उज्जमं सव्वथामेसु, घोरवीरतवाइयं । ईसक्खासंकभयलज्जा, तस्स वीरियं समुच्छले॥६॥ वीरिएणं तु जीवस्स, समुच्छलिएण गोयमा !| जमंतरकए पावै, पाणी हियएण निठ्ठवे ॥७॥ तम्हा निउणं निभालेउं, गच्छं सम्मग्गपठ्ठियं । निवसेज्ज तत्थ आजम्मं, गोयमा ! संजए मुणी ।।८।। से भयवं ! कयरे णं से गच्छे जे णं वासेज्जा ?, एवं तु गच्छस्स पुच्छा जाव णं वयासी ?, गोयमा ! जत्थ णं समसत्तुमित्तपक्खे अच्वंतसुनिम्मलविसुद्धंतकरणे आसायणाभीरू सपरोवयारमब्भुज्जए अच्वंतं छज्जीवनिकायवच्छले सव्वालंबणविप्पमुक्के अच्चतमप्पमादी सविसेसचेतियसमयसब्भावे रोद्दट्टज्झाणविप्पमुक्के सव्वत्थ अणिमूहियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमे एगतेणं संजइकप्पपरिभोगविरए एगंतेणं धम्मंतरायभीरू एगंतेणं त(स) त्तरूई एगंतेणं इत्थिकहाभत्तकहातेणकहारायकहाजणवयकहापरिभठ्ठायारकहा एवं तिन्नितियअट्ठारसबत्तीसविचित्तमप्पमेयसवविगहाविप्पमुक्के एगतेणं जहासत्तीए अठ्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं आराहगे सयलमहन्निसाणुसमयमगिलाए जहोवइट्ठमग्गपरूवए बहुगुणकलिए मग्गठिए अखलियसीलेगमहायसे महासत्ते महाणुभागे नाणदंसरचरणगुणोववेए गणी।। से भयवं ! किमेस वासेज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगे जे णं वासेज्जा अत्थेगे जे णं णो वासेज्जा, से भयवं ! केणं अठ्ठणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा ! अत्थेगे जे णं वासेज्जा अत्थेगे जेणं नो वासेज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगे जेणं आणाए ठिए अत्थेगे जेणं आणाविराहगे, जेणं आणाठिए से णं सम्मईसणनाणचरित्ताराहगे, जेणं सम्मइंसणनाणचरित्ताराहगे से णं गोयमा ! अच्वंतविऊ सुपव (यह) रकडुज्जए मोक्खमग्गे, जे य उण आणाविराहगे से णं अणंताणुबंधी कोहे से णं अणंताणुबंधी माणे से णं अणंताणुबंधी कइयवे से णं अणंताणुबंधी लोभे, जेणं अणंताणुबंधीकोहाइकसायचउक्के से णं घणरागदोसमोहमिच्छत्तपुंजे जेणं घणरागदोसमोहमिच्छत्तपुंजे से णं अणुत्तरघोरसंसारसमुद्दे जे णं अणुत्तरघोरसंसारसमुद्दे से णं पुणा २ जमे पुणो २ जरा पुणो २ मच्चू जे णं पुणो २ जम्मजरामरणे से णं पुणो २ बहुभवंतरपरावत्ते जे णं पुणो २ बहुभवंतरापरावत्ते से णं पुणो २ चुलसीइजोणिलक्खमाहिंडणं जे णं पुणो २ चुलसीइजोणिलक्खमाहिंडणं से णं पुणो २ सुदूसहे घोरतिमिसंधयारे रूहिरच्चिलिच्चिले वसपूयवंतपित्तसिंभचिक्खल्लदुग्गंधासुइवि-लीणजंबालकेयकिदिवसखरंटपडिपुन्ने अणिठ्ठव्वियणिज्जऽइघोरचंडमहारोद्ददुक्खदारूणे गब्भपरंपरापवेसे जे णं पुणो २ दारूणे गब्भपरंपरावेसे से णं दुक्खे से णं केसे से णं रोगायके से णं सोगसंतावुव्वेयगे जे णं दुक्खकेसरोगायंकसोगसंतावुव्वेवगे से णं अणिव्वुत्ती जेणं अणिव्वुत्ती से णं जहट्ठियमणोरहाणं असंपत्ती जेणं जहट्ठियमणोरहाणं असंपत्ती सेणं ताव पंचप्पयारअंतरायकम्मोदए जत्थ पंचप्पयारकम्मोदए एत्थणं सव्वदुक्खाणं er055555555555555555555555555555555555555555555555555IOR Re:55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३९४॥ 5555555555555555$$$$60 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAGR95555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. ३४) 55555555555555550OK 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO 2 अग्गणीभूए पढमे ताव दारिद्दे जे णं दारिद्दे से णं अयसऽब्भक्खाणअकित्तिकलंकरासीणं मेलावगागमे जेणं अयसऽब्भक्खाणअकित्तिकलंकरासीणं मेलावगागमे 卐 सेणं सयलजणलज्जणिज्जे निंदणिज्ने गरहणिज्जे खिंसणिज्जे दुगुंछणिज्जे सव्वपरिभूयजीविये जेणं सव्वपरिभूयजीविए से णं सम्मईसणनाणचरित्ताइगुणेहिं सुदूरयरेणं विप्पमुक्के चेव मणुयजम्मे अन्नहा वा सव्वपरिभूए चेव णं भवेज्जा, जे णं सम्मइंसणनाणचरित्ताइगुणेहिं सुदूरयरेणं विप्पमुक्ने चेव. न भवे से णं अणिरूद्धासवदारए चेव, जे णं अनिरूद्धासवदारते चेव से णं बहलथूलपावकम्माययणे जे णं बहलथूलपावकम्माययणे से णं बंधे स णं बंधी से णं गुत्ती से णं चारगे से णं सव्वमकल्लाणमंगलजाले दुविमोक्खे कक्खडघणबद्धपुठ्ठनिगाइए कम्मगंठी जे णं कक्खडघणबद्धपुट्ठनिगाइयकम्मगंठी से णं एगिदियत्ताए बेदियत्ताए तेइंदियत्ताए चउरिदियत्ताए पंचिदियत्ताए नारयतिरिच्छकुमाणुसेसु अणेगविहं सारीरमाणसं दुक्खमणुभवमाणेणं वेइयव्वे, एएणं अटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जहा अत्थेगे जेणं वासेज्जा अत्थेगे जेणं नो वासेज्जा ।। से भयवं! किं मिच्छत्तेणं उच्छाइए केइ गच्छे भवेच्चा?, गोयमा ! जेणं से आणाविराहगे गच्छे भवेज्जा सेणं निच्छयओ चेव मिच्छत्तेणं उच्छाइए भवेज्जा, से भयवं ! कयरा उण सा आणा जीए ठिए गच्छे आराहगे भवेज्जा ?. गोयमा ! संखाइएहिं थाणंतरेहिं गच्छस्स णं आणा पन्नत्ता जाए ठिए गच्छे आराहगे भवेज्जा ।३। से भयवं ! किं ते सिं संखातीताणं गच्छमेराथाणंतराणं अत्थि केइ अन्नयरे थाणंतरे जे णं उस्सग्गेण वा अववाएण वा कहवि पमायदोसेणं असई अइक्कमज्जा, अइक्वंतेण वा आराहगे भवेज्जा ?, गोयमा ! णिच्छयओ नत्थि, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं निच्छयओ नत्थि ?, गोयमा ! तित्थयरे णं ताव तित्थयरे तित्थे पुण चाउव्वन्ने समणसंघे, सेणं गच्छेसु पइट्ठिए, गच्छेसुविणं सम्मइंसणनाणचरित्ते पइट्ठिए, ते य सम्मदंसणनाणचरित्ते परमपुज्जाणं पुज्जयरे तित्थे पुण चाउव्वन्ने समणसंघे, से णं गच्छेसु पइट्ठिए, गच्छेसुवि णं सम्मइंसणनाणचरित्ते पइट्ठिए, ते य सम्मदंसणनाणचरित्ते परमपुज्जाणं पुज्जयरे परमसरण्णाणं सरण्णयरे परमसेव्वाणं सेव्वयरे, ताई च जत्थ णं गच्छे अन्नयरे ठाणे कत्थइ विराहीज्जति से णं गच्छे सम्मग्गपणासए उम्मग्गदेसए जेणं गच्छे सम्मग्गपणासए उम्मग्गदेसए से णं निच्छयओ चेव आणशविराहगे, एएणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहा णं संखादीयाणं गच्छे मेराठाणंतराणं जे णं गच्छे एगमन्नयरट्ठाणं अइक्कमेज्जा से णं एगतेणं चेव आणाविराहगे।४। से भयवं ! केवइयं कालं जाव गच्छस्स णं मेरा पन्नविया ?, केवइयं कालं जाव णं गच्छस्स मेरा णाइक्कमेयव्वा ?, गोयमा ! जावणं महायसे महासत्ते महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे तावणं गच्छमेरा पन्नविया जावणं महायसे महासत्ते महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे ताव णं गच्छमेरा नाइक्कमायव्वा ।५/ से भयवं ! कयरेहिं णं लिंगेहिं वइक्कमियमेरं आसायणाबहुलं उम्मग्गपट्ठियं गच्छं वियाणेज्जा ?, गोयमा ! जे असंठवियं सच्छंदयारि अमुणियसमयसब्भावं लिंगोवजीवि पीढफलगपडिबद्धं अफासुबाहिरपाणपरिभोइं अमुणियसत्तमंडलीधम्मं सव्वावस्सगकालाइक्कमयारि आवस्सगहाणिकरं ऊणारित्तावस्सगपवत्तं गणणापमाऊणाइत्तरयहरणपत्तदंडगमुहणंतगाइउवगरणधारं गुरूवगणपरिभोइं उत्तरगुणविराहगं गिहत्थछंदाणुवित्ताइसम्माणपवत्तं पुढवीदगागणिवाऊवणप्फईबीयकायतसपाणबितिचउपंचेंदियाणं कारणे वा अकारणे वा असती पमायदोसओ संघट्टणादीसुं अदिट्ठदोसं आरंभपरिग्गहपवित्तं अदिन्नालोयणं विगहासीलं अकालयारि अविहिसंगहियअपरिक्खियपव्वाविओवठ्ठावियअसिक्खविय-दसविहविणयसामायारि लिगिणं इड्डिरससायागारवजायाइमयचउक्कसायममकारअहंकारकलिकलह-झंझाडमररोद्दऽदृज्झाणोवगयं अठावियबहुमयहरं देहित्ति निच्छोडियकरं बहुदिवसकयलोयं विज्जामंततंतजोगजा (गंज) णाहिज्नणिक्कबद्धकक्खं अबूढमूलजोगगणिओगं दुक्कालाइआलंबणमासज्ज अकप्यकीयगाइ-परिभुंजणसीलं किंचि रोगायंकमलांबिय तिगिच्छाहिणंदसील जंकिं चि रोगायं कमासीय दिया तुयट्टणसीलं कु सीलसंभासणाणुवित्तिकरणसीलं अगीयत्थमुहविणिग्गयअणेगदोसपायट्टिवयणाणुट्ठाणसीलं असिधणुखग्गगंडीवकुंतचक्काइपहरणपरिग्गहियाहिंडणसीलं साहुवेसुज्झियअन्नवेसपरिवत्तकयाहिंडणसीलं एवं जावणं अधुढाओ पयकोडीओ तावणं गोयमा ! असंठियं चेव गच्छं वायरेज्जा ।६। तहा अण्णे इमे बहुप्पगारे लिंगे गच्छस्सणं गोयमा ! समासओ पन्नविनंति, 0,$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听 in Education International 2010_03 For Pawate & Personal use only www.jainelibrary.c& Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FORO555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. (३५] 5555555555 xong 2 एते य णं एयारिसेणं गुरूगुणे विन्नेए तंजहा-गुरू ताव सव्वजगजीवपाणभूयसत्ताणमाया भवस, किं पुण गच्छस्स ?, से णं सीसगणाणं एगंतेणं हियं मियं पत्थं इहपरलोगसुहावहं आगमाणुसारेणं हिओवएसं पयाइ, से णं देविंदनरिंदरिद्धीलंभाणंपि पवरूत्तमे गुरूवएसप्पयाणलंभे तं चा (सत्ता) णुकंपाए परमदुक्खिए जम्मजरामरणादीहिं णं इमे भव्वसत्ता कहं णु णाम सिवसुहं पावंतित्तिकाऊणं गुरूवएसं पयाइ, णो णं वसणाहिभूए जहा णं गहरघत्थे उम्मत्ते, अत्थिएइ वा जहा णं मम इमेणं हिओवएसपयाणेणं अमुगठ्ठलाभं भवेज्जा. णो णं गोयमा ! गुरू सीसाणं निस्साए संसारमुत्तरेज्जा, णो णं परक्कएहिं सव्वसुहासुहेहिं कस्सइ संबद्धं अत्थि ७। 'ता गोयम ! एत्थ एवं ठियंमि जइ दढचरित्तगीयत्थो । गुरूगणकलिए य गुरूरा भणेज्ज असई इमं वयणं ।।९।। मिण गोणसंगुलीए गणेहिं वा दंतचक्कलाइं से । तं तहमेव करेज्जा कज्जं तु तमेव जाणंति॥१०|| आगमविऊ कयाई सेयं कायं भणिज्ज आयरिया । तं तह सद्दहियव्वं भवियव्वं कारणेण तहिं॥१|| जो गेण्हइ गुरूवयणं भन्नंतं भावओ पसन्नमणो । ओसहमिव पिज्जतं तं तस्स सुहावह होइ ।।२।। पुन्नेहिं चोइया पुरक्खएहिं सिरिभायणं भवियसत्ता। गुरूमागमेसिभद्दा देवयमिव पज्जुवासंति ॥३॥ बहुसोक्खसयसहस्साण दायगा मोयगा दुहसयाणं । आयरिया फुडमेयं केसि पएसीय ते हेऊ ॥४॥ नरयगइगमणपरिहत्थए कए तह पएसिणा रन्ना। अमरविमाणं पत्तं तं आयरियप्पभावेणं ||५|| धम्ममइएहिं अइसुमहुरेहिं कारणगुणोवणीएहिं। पल्हायंतो हिययं सीसं चोइज्ज आयरिओ॥६।। एत्थं चायरिआणं पणपन्नं होति कोडिलक्खाओ। कोडी सहस्से कोडी सए य तह एत्तिए चेव ॥७॥ एतेहिं मज्झाओ एगे निव्वुडइ गुण (रू) गणाइन्ने । सव्वुत्तमभंगेणं तित्थयरस्सऽणुसरिस गुरू 11८|| सेऽविय गेयम ! देवयवयणा सूरित्थणाइं सेसाइं । तं तह आराहेज्जा जह तित्थयरे चउव्वीसं ।।९।। सव्वमवी एत्थ पए दुवालसंगं सुयं तु भणियव्वं । भवइ तहा अविमिणिमो समाससारं पर भन्ने ॥२०॥ तंजहा-मुणिणो संघं तित्थं गण पवयण मोक्खमग्ग एगट्ठा । दंसणनाणचरित्ते घोरूग्गतवं चेव गच्छणामें य ।।१।। पयलंति जत्थ धगधगधगस्स गुरूणोवि चोइए सीसे । रागद्दोसेणं अह अणुसएण तं गोयम ! ण गच्छं ॥२॥ गच्छं महाणुभागं तत्थ वसंताण निज्जरा विउला । सारणवारणचोयणमादीहिं ण दोसपडिवत्ती।।३।। गुरूणो छंदणुवत्ते सुविणीए जियपरीसहे धीरे। णवि थद्धे णवि लुद्धे णवि गारविए न विगहसीले ||४|| खते दंते मुत्ते गुत्ते वेरग्गमग्गमल्लीणे । दसविहसामायारीआवस्सगसंजमुज्जुत्ते ॥५॥ खरफरूसकक्कसाणिठ्ठदट्ठनिवरगिराइ सयहुत्तं । निब्भच्छणनिद्धाडणमादीहिं न जे पओसंति ॥६॥ जे य ण अकित्तिजणए णाजसजणए णऽकज्जकारी य । न य पवयणुड्डाहकरे कंठगयपाणसेसेवि ||७|| सज्झायझाणनिरए घोरतवच्चरणसोसियसरीरे। गयकोहमाणकइयव दूरूज्झियरागदोसे य ॥८॥ विणओवयारकुसले सोलसविहवयणभासणाकुसले । णिरवज्जवयरभणिरे ण य बहुभणिरे ण पुणऽभणिरे ॥९॥ गुरूणा कज्जमकज्ने खरकक्कसफरूसनिट्ठरमणिहूँ । भणिरे तहत्ति इच्छं भणंति सीसे तयं गच्छं ।।३०|| दूरूज्झिय पत्ताइसु ममत्तं निप्पिहे सरीरेवि। जायामायाहारे बायालीसेसणाकुसले ॥१|तंपि ण रूवरसत्थं भुजंताणं न चेव दप्पत्थं । अक्खोवंगनिमित्तं संजमजोगाण वहणत्थं ॥२॥ वेयण वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए। तह पाणवत्तियाए छठं पुण धम्मचिंताए ||३|| अप्पुव्वनाणगहणे थिरपरिचियधारणेक्कमुज्जुत्ते । सुत्तं अत्थं उभयं जाणंति अणुट्ठयंति सया ।।४।। अट्ठट्ट नाणदंसणचारित्तायार णवचउक्कंमि । अणिमूहियबलवीरिए अगिलाए धणियमाउत्ते॥५॥ गुरूणा खरफरूसाणिट्ठदुट्ठनिद्रगिराए सयहुत्तं । भणिरे णो पडिसूरिति जत्थ सीसे तयं गच्छं ॥६॥ तवसा अचिंतउप्पन्नलद्धिसाइयसयरिद्धिकलिएवि । जत्थ न हीलंति गुरू सीसे तं गोयमा ! गच्छं ॥७॥ तेसट्ठितिसयपावाउयाण विजया विढत्तजसपुंजे । जत्थ न हीलंति गुरूं सीसे तं गोयमा ! गच्छं |८|| जत्थाखलियममिलियं अव्वाइद्धं पयक्खरविसुद्धं । विणओवहाणपुव्वं दुवालसंगपि सुयनाणं ॥९॥ गुरूचलभत्तिभरनिब्भरिक्कपरिओसलद्धमालावे । अज्झीयंति सुसीसा एगग्गमणा स गोयमा ! गच्छं ॥४०॥ सगिलाणसेहबालाउलस्स गच्छस्स दसविहं विहिणा । कीरइ वेयावच्चं गुरूआणत्तीऍ तं गच्छं ।।१।। दसविहसामायारी जत्थ ठिए भव्वसत्तसंघाए। सिज्झंति य बुज्झंति य ण य खंडिज्जइ तयं गच्छं ॥२॥ इचछा मिच्छा तहक्कारो, आवस्सिया य निसीहिया । आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा ।। उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ ।।३।। जत्थ य GO明明听$$$$$$$$$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 xerc5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३९६ 55FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFSOK Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOCO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐纸折纸折3C PROIR95555555555555554 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. [३६] fffff555555ODXONR जिट्ठकणिट्ठा जाणिज्जइ जेट्ठविणयबहुमाणं । दिवसेणवि जो जेठो णो हीलिज्जइ तयं गच्छं ।।४।। जत्थ य अज्जाकप्पं पाणच्चाएवि रोरदुब्भिक्खे । ण य परिभुज्जइ सहसा गोयम ! गच्छं तयं भणियं ।।५।। जत्थ य अजाहिं समं थेरावि ण उल्लवंति गयदसणा । ण य णिज्झायंति त्थीअंगोवंगाइं तं गच्छं ॥६॥ जत्थ य सन्निहिउक्खडआहडमादीण नामगहणेऽवि । पूईकम्मा भीए आउत्ता कप्पतिप्पंमि ||७|| जत्थ य पच्चंगुब्भडदुज्जयजोव्वणमरट्टदप्पेणं । वाहिजतावि मुणी णिक्खंति तिलोत्तमंपितं गच्छं ।।८॥ वायामेत्तेणवि जत्थ भट्ठसीलस्स निग्गहं विहिणा। बहुलद्धिजुयसेहस्सवी कीरइ गुरूणा तयं गच्छं ।।९।। मउए निहुयसहावे हासदवविवज्जिए विगहमुक्के । असमंजसमकरेंते गोयरभूमऽट्ट विहरंति ।।५०|| मुणिणो णाणाभिग्गहदुक्करपच्छित्तमणुचरंताणं । जायइ चित्तचमक्कं देविदाणंपिं तं गच्छं ।।१।। जत्थ य वंदणपडिक्कमणमाइमंडलिविहाणनिउणन्नू। गुरूणो अखलियसीले सययं कहुग्गगतवनिरए॥२॥ जत्थ य उसभादीणं तित्थयराणं सुरिंदमहियाणं । कम्मकृविप्पमुक्काण ॥ आणं न खलिज्जइ स गच्छो ॥३॥ तित्थयरे तित्थयरे तित्थं पुण जाण गोयमा ! संघं । संघे य ठिए गच्छे गच्छठिए नाणदंसणचरित्ते ॥४॥णादसणस्स नाणं दसणनाणे भवंति सव्वत्थ । भयणा चारित्तस्स तु दंसणनाणे धुवं अत्थि ।।५।। नाणी दंसणरहिओ चरित्तरहिओ य भमइ संसारे । जो पुण चरित्तजुत्तो सो सिज्झइ नत्थि संदेहो ॥६॥ नाणं पगासयं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिण्डंपि समाओगे मोक्खो णेक्कस्सवि अभावे ।।७।। तस्सवि य सकंगाइं नाणादितिगस्स खंतिमादीणि । तेसिं चेक्केक्कपयं जत्थाणुढेज्जइ स यच्छो ।।८|| पुढविदगागणिवाऊवणप्फई तह तसाण विविहाणं । मरणंतेऽविण मणसा कीयइ पीडं तयं गच्छं ।।९।। जत्थ य बाहिरपाणस्स बिंदुमेत्तंपि गेम्हमादीसुं । तण्हासोसियपाणे मरणेवि मुणी ण इच्छंति ॥६०॥ जत्थ य सूलविसूइय अन्नयरे वा विचित्तमायंके । उत्पन्ने 5 जलगुज्जालणाई ण करेति मुणी तयं गच्छं ।।१।। जत्थ य तेरसहत्थे अज्जाओ परिहरंति णाणहरे । मणसा सुयदेवयमिव सव्वमवित्थी परिहरंति ॥२॥ इ(र) तिहासखेड्डकंदप्पणाहवादं ण कीरए जत्थ। धावणडेवणलंघण ण मयारजयारउच्चरणं ॥३॥ जत्थित्थीकरफरिसं अंतरिय कारणेवि उप्पन्ने । दिट्ठीविसदित्तग्गीविसंव वजिजइ स गच्छो ॥४॥ जत्थित्थीकरफरिसं लिंगी अरहावि सयमवि करेज्जा । तं निच्छयओ गोयम ! जाणिज्जा मूलगुणबाहा ।।५।। मूलगुणेहि उ खलियं बहुगुणकलियंपि लद्धिसंपन्नं । उत्तमकुलेवि जायं निद्धाडिज्जइ जहिं तयं गच्छं ।।६।। जत्थ हिरण्णसुवण्णे धणधन्ने कंसदूसफलिहाणं । सयणाण आसणाण य न य परिभोगो से तयं गच्छं ।।७। जत्थ हिरण्णसुवण्णं हत्थेण परागयंपि नो छिप्पे । कारणसमप्पियंपि हु खणनिमिसद्धपि तं गच्छं ॥८॥ दुद्धबंभव्वयपालणट्ठ अजाण चवलचित्ताणं । सत्तसहस्सापरिहारठाणवी जत्थत्थि तं गच्छं ।।९।। जत्थुत्तरवडपडिउत्तरेहिं अज्जा उ साहुणा सद्धिं । पलवंति सुकुद्धावी गोयम ! किं तेण गच्छेण ? ॥७०॥ जत्थ य गोयम ! बहुविहविकप्पकल्लोलचंचलमणाणं । अज्जाणमणुठ्ठिज्जइ भणियं तं केरिसं गच्छं ?||१|| जत्थेक्कंगसरीरा साहू सह साहुणीहिं हत्थसया । उडेगच्छेज्जा बहिंगोयम ! गच्छंमि का मेरा ?॥२॥ जत्थ अज्जाहिं समं संलावुल्लावमाइववहारं। मोत्तुं धम्मुवएसंगोयम ! तं केरिसं गच्छं? ॥३|| भयवमणियतविहारं ण ताव साहूणं । कारणनीयावासं जो सेवे तस्स का वत्ता ?||४|| निम्ममनिरहंकारं उज्जुत्ते नाणदंसणचरित्ते। सयलारंभविभक्के अप्पडिबद्धे सदेहेवि ॥५॥ आयारमायरंते एगक्खेत्तेवि गोयमा ! मुणिणो । वाससयंपि वसंते गीयत्थे राहगे भणिए॥६॥जत्थ समुद्देलकाले साहूणं मंडलीऍ अज्जाओ । गोयम ! ठवंति पादे इत्थीरजं न तं गच्छं ॥७॥ जत्थ य हत्थसएवि य रयणीचारं चउण्हमूणाओ। उड़े दसण्हमसइ से (ण) करेंति अज्जा तयं गच्छं ॥८॥ अववाएणवि कारणवसेण अज्जा चउण्हमूणाउ । गाऊयमवि परिसक्कंति जत्थतं केरिसं गच्छं ?।।९।। जत्थ य गोयम ! साहू अज्जाहिं समं पहंमि अबणा । अववाएणवि गच्छेज तत्थ गच्छंमि का मेरा ? ||८०॥ जत्थ य तिसठ्ठिभेयं चक्खूरागग्गिदीरणिं साहू । अज्जाउ निरिक्खेजा तं गोयम ! केरिसं गच्छं ?||१|| जत्थ य अज्जालद्धं पडिग्गहदंडादिविविहमुवमरणं । परिभुजइ साहूहिं तं गोयम ! केरिसं गच्छं ? ||२|| अइदुलहं भेसज्ज बलबुद्धिविवद्धणंपि पुठ्ठिकरं । अज्जालद्धं भुंजइ का मेरा तत्थ गच्छंमि?||३|| सोऊण गइं सुकुमालियाए तह ससगभसगभइणीए। ताव न वीससियव्वं सेयठ्ठी धम्मिओ जाव ।।४|| दढचारित्तं मोत्तुं आयरियं मयहरं च गुणरासिं। अज्जा वट्टावेई तं अणगारं नतं गच्छं ।।५।। 明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明$2O 4 9 5955555श्री आगमगुणमंजूषा-१९155555555555555555555555555oPos Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. घणगणि (च्छि) यहयकुहुकुहुयवेज्जदुग्गेज्झमुढहिययाउ । होज्जा वावारियाओ इत्थीरज्जं न तं गच्छं || ६ || पच्चक्खा सुयदेवी तवलद्धीए सुराहिवणुयावि । जत्थ रिना कज्जाई इत्थीरज्जं न तं गच्छं ||७|| गोयम ! पंचमहव्वय गुत्तीणं तिण्ह पंचसमिईणं । दसविहधम्मस्सिक्कं कहवि खलिज्जइ न तं गच्छं ॥८|| दिणदिक्खियस्स दमगस्स अभिमुहा अज्जचंदणा अज्जा । निच्छइ आसणगहणं सो विणओ सव्वअज्जाणं || ९ || वाससयदिक्खियाए अज्जाए अज्जदिक्खिओ साहू । भत्तिभरनिब्भराए वंदणविणण सो पुज्जो ||१०|| अज्जियलाभे गिद्धा सएण लाभेण जे असंतुठ्ठा । भिक्खायरियाभग्गा अन्नियउत्तं गिराऽऽह्नेति || १ || गयसीसगणं ओमे भिक्खायरिया अपच्चलं थेरं । गणिहिंति ण ते पावे अअज्जियलाभं गवेसंता ||२|| ओमे सीसपवासं अप्पडिबद्धं अजंगमत्तं च । ण गणेज्ज एगेखेत्ते गणषज्ज वासं णिययवासी ॥३॥ आलंबणाण भरिओ लोओ जीवस्स अजउकामस्स १ जं जं पिच्छइ लोए तं तं आलंबणं कुंण ॥ ४ ॥ जत्थ मुणीण कसाए चमढिज्जंतेवि परकसाएहिं । णेच्छेज्न समुट्ठेउं सुणिविठ्ठो पंगुलव्व तयं (गच्छं ) ||५|| धम्मंतरायभीए भीए संसारगब्भवसहीणं । गोदीरिज्ज कसाए मुणी मुणीणं तयं गच्छं ||६|| • सीलतवदाणभावणचडविहधम्मंतरायभवभीए । जत्थ गीयत्थे गोयम ! गच्छं तयं वासे ||७|| जत्थ य कम्मविवागस्स चिठ्ठियं चउगईऍ जीवाणं। णाऊणमवरदेऽवी नो पकुप्पंति तं गच्छं ॥८॥ जत्थ य गोयम ! पंचण्ह कहवि सूणाण एक्कमवि होज्जा । तं गच्छं तिविहेणं वोसिरिय वइज्ज अन्नत्थ ||९|| सूणारंभपवित्तं गच्छं वेसुज्जलं वणवसेना । जं चारित्तगुणेहिं तु उज्जलं तं निवासेज्जा ॥ १०० ॥ तित्थयरसमो सूरी दुज्जयकम्मट्ठमल्लपडिमल्ले । आणं अइक्कमंते ते कापुरिसे न सप्पुरिसे ||१|| भट्ठायारो सूरी भट्ठायाराणुविक्खओ सूरी। उम्मग्गठिओ सूरी तिण्णिवि मग्गं पणासंति ॥२॥ उम्मग्गठिए सूरिमि निच्छयं भव्वसत्तसंघाए । जम्हा तं मग्गमणुसरंति म्हणतं तं ॥ ३॥ एक्कंपि जो दुहत्तं सत्तं परिबोहिउं ठवे मग्गे । ससुरासुरंमिवि जगे तेणेहं घोसियं अमाघायं || ४ || भूए अत्थि भविस्संति केर्स जगवंदणीयकमजुयले । जेसिं परहियकरणेक्कबद्धलक्खाण वोलिही कालं ||५|| भूए अणाइकालेण केई होति गोयमा ! सूरी। नामग्गहणेणवि जेसिं होज्ज नियमेण पच्छित्तं ||६|| एयं गच्छववत्थं दुप्पसहाणं (वं) तरं तु जो खंडे । तं गोयम ! जाण गणिं निच्छयओऽणंतसंसारी ||७|| जं सयलजीवजगमंगलेक्ककल्लाणपरमकल्लाणे । सिद्धिपए वोच्छिण्णे पच्छित्तं होइ तं गणिणो ||८|| तम्हा गणिणो समसत्तुमित्तपक्खेण परहियरएणं । कल्लाणकंखुणा अप्परो य आणा ण लंघेया ||९|| एवं मेरा ण लंघेयव्वत्ति, एवं गच्छववत्थं लंघेत्तु तिगारवेहिं पडिबद्धे । संखाईए गणिणो अज्जवि बोहिं न पावंति ॥ ११०॥ ण लभेर्हिति य अन्न अणंतहुत्तोवि परिभमं तित्थं । चउगइभवसंसारे चिट्ठिज्ज चिरं सुदुक्खत्ते ॥ १ ॥ चोद्दसरज्जूलोगे गोयम ! वालग्गकोडिमेत्तंपि । तं नत्थि पएसं जत्थ अणंतमरणे न संपत्ते ॥२॥ चुलसीइजोणिलक्खे सा जोणी नत्थि गोयमा ! इहइं । जत्थ ण अणंतहुत्तो सव्वे जीवो समुप्पन्ना ||३|| सूईहिं अग्गिवन्नाहिं, संभिन्नस्स निरंतरं । जावइयं गोयमा ! दुक्खं, गब्भे अठ्ठगुणं तयं ॥ ४ ॥ गब्माओ निप्फिडंतस्स, जोणीजंतनिपीलणे । कोडीगुणं तयं दुक्खं, कोडाकोडिगुणंपि वा ॥ ५॥ जायमाणाण जं दुक्खं, मरमाणाण जंतुणं । तेण दुक्खविवागे (निदाणे) णं, जाई न सरंति, अत्तणिं ॥ ६ ॥ नाणाविहासु जोणीसु, परिभमंतेहिं गोयमा !! तेण दुक्खविवागेण, संभरिएण णवि जिव्व ॥ ७ ॥ जम्मजरामरणदोगच्चवाहीओ चिट्टंतु ता । लज्जेज्जा गब्भवासेणं, को ण बुद्धो महामई ? || ८ || बहुरूहिरपूइजंबाले, असुईकलिमलपूरिए । अणिट्टे य दुब्भिगंधे, गब्भे (ता) को धिनं लभे ? || ९ || ता जत्थ दुक्खविक्खिरणं, एगंतसुहपावणं । से आणा नो खंडेज्जा, आणाभंगे कुओ सुहं ? || १२० || से भयवं ! अट्ठण्हं साहूणमसई उस्सम्गेण वा अबवा एण वा उहिं अणगारेहिं समं गमणमागमणं निसेहियं तहा दसण्हं संजईणं हेट्ठा उस्सग्गेणं चउण्हं तु अभावे अववाएणं हत्थसयाउ उद्धं गमणं णाणुण्णायं आणं वा अइक्कमंते साहू वा साहुणीओ वा अनंतसंसारिए समक्खाए ता णं से दुप्पसहे अणगारे असहाए भवेज्जा साविय विण्डुसिरी असहाया चेव भवेज्जा एवं तु ते कहं आराहगे भवेज्जा ?, गोयमा ! णं दुस्समाए परियंते ते चउरो जुगप्पहाणे खाइगसम्मत्तनाणदंसण चरित्तसमन्निए भवेज्जा, तत्थ णं जे से महायसे महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे से णं अच्छंतविसुद्धसम्म सणनाणचरित्तगुणेहिं उववेए सुदिट्ठ सुगइमग्गे आसायणाभीरू अच्चं तपरमसद्धासं वे गवे रग्ग-सम्मग्गट्टिए णिरब्भगयणामलसरयकोमुईसुनिम्माइंदुकरविमलपरपरमजसे वंदाणं परमवंदे पुज्नाणं परमपुज्जे भवेज्जा, तहा साविय सम्मत्तनाणचरित्तपडागा महायसा महासत्ता श्री आगमगुणमंजूषा १९८ [३७] Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOR9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुन (रापं. अ. [३८] $$$$$$$$$$$$$e og OCS$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐安乐明明明明明明明明O महाणुभागा एरिसगुणजुत्ता चेव सुगहियनामधेज्जा विण्हुसिरी अणगारी भवेज्जा, तंपिणं जिणदत्तफग्गुसिरीनाम सावगमिहुणं बहुवासरवन्नणिज्जगुणं चेव भवेज्जा, तहा तेसिं सोलस संवच्छराइं परमं आउं अट्ठय परियाओ आलोइयनीसल्लाणं चपंचनमोक्कारपराणं चउत्थभत्तेणं सोहम्मे कप्पे उववाओ, तयणंतरं च हिट्ठिमगमणं, तहावि ते एयं गच्छववत्थं णो विलंघिसु।८। से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं तहावि एयं गच्छववत्थं णो विलंधिंसु ?. गोयमा ! इओ आसन्नकालेणं चेव महायसे महासत्ते महाणुभागे सेज्जंभवे णामं अणगारे महातवस्सी महामई दुवालसंगसुयधारी भवेज्जा, से णं अपक्खवाएणं अप्पाउक्खे भव्वेसत्तेसु य अतिसएणं विन्नाय एक्कारसण्हं अंगाणं चउदसण्हं पुव्वाणं परमसारणवणीयभूयं सुपउणं सुपद्धरूज्ज (यधरोज्जो) यं सिद्धिमग्गं दसवेयालियं णाम सुयक्खंधं णिऊहेजा, से भयवं ! किं पडुच्च ?, गोयमा ! मणगं पडुच्चा, जहा कहं नाम एयस्सणं मणगस्स पारंपरिएणं थेवकालेणेव महतघोरदुक्खागराओ चउगइसंसारसागराओ निप्फेडो भवतु ?. सेऽविण विणा सव्वन्नुवएसेणं, से य सव्वन्नुवएसे अणोरपारे दुरवगाढे अणंतगमपज्जवेहिं नो सक्का अप्पेणं कालेणं अवगाहिउं, तहाणं गोयमा ! अइसएणं एवं चिंतेज्जा, एवं से णं सेजभवे जहा 'अणंतपारं बहु जाणियव्वं, अप्पो अ कालो बहुले अ विग्घे । जं सारभूतं तं गिण्हियवं, हंसो जहा रवीरमिवंबुमीसं ।। १२१|| तेणं इमस्स भव्वसत्तस्स मणगस्स तत्तपरिन्नाणं भवउत्तिकाउणं जावणं दसवेयालियं सुयक्खंघं णिरू (जू) हेज्जा, तं च वोच्छिन्नेणं तकालदुवालसंगेण गणिपिडगेणं जावणं दूसमाए परियंते दुप्पसहे ताव णं सुत्तत्थेणं वाएज्जा, से अ सयलागमनिस्संदं दसवेयालियसुयक्खंधं सुत्तओ अज्झीहीय गोयमा ! से ण दुप्पसहे अणगारे, तओ तस्स णं दसवेयालियसुत्तस्साणुगयत्थाणुसारेणं तहा चेव पवत्तिज्जा, णो णं सच्छंदयारी भवेज्जा, तत्थ अ दसवेयालियसुयक्खंघे तक्कालमिणमो दुवालसंगे सुयक्खंधे पइट्ठिए भवेज्जा, एएणं अद्वेणं एवं वुच्चइ जहा तहाविणं गोयमा! ते एवं गच्छववत्थं नो विलंघिसु।९। से भयवं! जइणं गणिणोवि अच्चंतविसुद्धपरिणामस्सवि केइ दुस्सीले सच्छंदत्ताएइ वा गारवत्ताएइ वा जायाइमयत्ताएइ वा आणं अइक्कमेज्जा सेणं किमाराहगे भवेज्जा?. गोयमा ! जे णं गुरू समसत्तुमित्तपक्खो गुरूगुणेसुं ठिए सययं सुत्ताणुसारेणं चेव विसुद्धासए विहरेज्जा तस्साणमइक्कतेहिं णवणउएहिं चउहि सएहिं साहणं जहा तहा चेव अणाराहगे भवेज्जा ।१०। से भयव ! कयरेणं ते पंचसए एक्कविवज्जिए साहूणं जेहिं च णं तारिसगुणोववेयस्स महाणुभागस्स गुरूणो आणं अइक्कमिउं णाराहियं ?, गोयमा ! णं इमाए चेव उसभचउवीसिगाए अतीताए तेवीसइमाए चउवीसिगाए जाव णं परिनिव्वुडे चउवीसइमे अरहा ताव णं अइक्कतेणं केवइएणं कालेणं गुणनिप्फन्ने कम्मसेलमुसुमूरणे महायसे महासत्ते महाणुभागे सुगहियनामधेज्ने वइरे णाम गच्छाहिवई भूए, तस्स णं पंचसयं गच्छं निग्गंथीहिं विणा, निग्गंथीहिं समं दो सहस्से य अहेसि, ता गोयमा ! ताओ निग्गंथीओ अच्चंतपरलोगभीरूयाउ सुविसुद्धनिम्मलंतकरणाओ खंताओ दंताओ मुत्ताओ जिइंदियाओ अच्चंतभणिरीओ नियसरीरस्साविय छक्कायवच्छलाओ जहोवइट्ठअच्चंतघोरवीरतवच्चरणसोसियसरीराओ जहा णं तित्थयरेणं पन्नवियं तहा चेव अदीणमणसाओ मायामयहंकारममकारइ(र) तिहासखेड्डकंदप्पणाहवायविप्पमुक्काओ तस्सायरियस्स सयासे सामन्नमणुचरंति, ते य साहुणो सव्वेवि गोयमा ! न तारिसे मणागा, अहऽन्नया गोयमा ! ते साहुणो तं आयरियं भणंति जहा जइणं भयवं तुमं आणवेहि ताणं अम्हेहिं तित्थयत्तं करिय चंदप्पहसामियं वंदिय धम्मचक्कं गंतूणमागच्छामो, ताहे गोयमा ! अदीणमणसा अणुत्तावलगंभीरमहुराए भारतीए भणियं तेणायरिएणं जहा इच्छायारेणं न कप्पइ तित्थयत्तं गंत्तुं सुविहियाणं, ता जाव णं वोलेइ जत्तं ताव णं अहं तुम्हे चंदप्पहं वंदावेहामि, अन्नंच-जत्ताए गएहिं असंजमे पडिज्जइ, एएणं कारणेणं तित्थयत्ता पडिसेहिज्जइ. तओ तेहिं भणियं-जहा भयवं ! केरिसो उण तित्थयत्ताए गच्छमाणाणं ' असंजमो भवइ ?, सो पुण इच्छायारेणं, बिइज्जवारं एरिसं उल्लावेज्जा बहुजणेणं वाउलग्गो भन्निहिसि, ताहे गोयमा ! चितियं तेणं आयरिएणं जहाणं ममं वइक्कमिय निच्छयओ एए गच्छिहिति तेणं तु मए समयं चडु (वठ्ठ) तरेहिं वयंति, अह अन्नया सुबहुं मणसा संघारेऊणं चेव भणियं तेण आयरिएणं.जहा णं तुब्भे किंचिवि सुत्तत्थं वियाणह च्चिय तो जारिसं तित्थयत्ताए गच्छमाणाणं असंजमं भवइ तारिस सयमेव वियाणेह, किं एत्थ बहुपलविएणं?, अन्नंच-विदियं तुम्हेहिपि संसारसहावं 明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听明乐乐听听听听听乐明明明明明听听听听听听听器 ExOO55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १३९९55555 55555555OOK Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Roz959555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. ३९] 面与牙牙牙乐坊乐克20 MFC明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 जीवाइपयत्थतत्तं च, अहऽन्नया बहुउवाएहिणं विणिवारिंतस्सवि तस्सायरियस्स गए चेव ते साहुणो कुद्धेणं कयंतेणं परियरिए तित्थयत्ताए, तेसिं च गच्छमाणाणं कत्थइ अणेसणं कत्थइ हरियकायसंघट्टणं कत्थइ बीयक्कमणं कत्थइ पिवीलियादीणं तसाणं संघट्टणपरितावणोद्दवणाइसंभवं कत्थइ वट्ठपडिक्कमणं कत्थइ ण कीरए चेव चाउक्कालियं सज्झायं कत्थड़ ण संपाडेज्जा मत्तभंडोवयरगस्स विहीए उभयकालं पेहपमज्जणपडिलेहणपक्खोडणं, किं बहुणा ?, गोयमा ! कित्तियं भन्निहिइ? अट्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं सत्तरसविहस्स णं संजमस्स दुवालसविहस्स णं सब्भंतरवाहिरस्स तवस्स जाव णं खंताइअहिंसालक्खणस्सेव य दसविहस्साणगारधम्मस्स जत्थेक्केक्कपयं चेव सुबहुएणंपि कालेणं थिरपरिचिएण दुवालसंगमहासुयक्खंघेणं बहुभंगसयसंघत्तणाए दुक्खं निरइयारं परिवालिऊण जे, एयं च सव्वं जहाभणियं निरइयारमणुट्टेयंति, एव संभरिऊण चितियं तेण गच्छाहिवइणा-जहा णं मे विप्परूक्खेण ते दुट्ठसीसे मज्झं अणाभोगपच्चएणं सुबई असंजमं काहेति तं च सव्वं ममऽच्छंतियं होही. जओ णं हं तेसिं गुरू ताहं तेसिं पट्ठीए गंतूणं पडिजागरामि जेणाहमित्थ पए पायच्छित्तेणं णो संबज्झेज्जेति वियप्पिऊणं गओ सो आयरिओ तेसिं पट्ठीए जावणं दिढे तेणं असमंजसेण गच्छमाणे, ताहे गोयमा ! सुमहुरमंजुलालावेणं भणियं तेणं गच्छाहिवइणा. जहा भो भो उत्तमकुलनिम्मलवंसविभूसणा मुगअमुगाइमहासत्ता साहू पहपडिवन्नाणं पंचमहव्वयाहिट्ठियतणूणं महाभागाणं साहुसाहुणीणं सत्तावीसं सहस्साई थंडिलाणं सव्वदंसीहिं पन्नत्ताई, ते य सुउवउत्तेहिं विसोहिज्जति, ण उणं अन्नोवउत्तेहिं, ता किमेयं सुन्नासुन्नीए अणोवउत्तेहिं गम्मइ, इच्छायारेणं उवओगं देह, अन्नंच-इणमो सुत्तत्थं किं तुम्हाणं विसुमरियं भवेज्जा जं सारं सव्वपरमतत्ताणं जहा 'एगे बेइंदिए पाणी एगं सयमेव हत्थेण वा पाएण वा अन्नयरेण वा सलागाइअहिगरणभूओवगरणजाएणं जे णं केई संघट्टेज्जा वा संघट्टावेज्जा वाएवं संघट्टियं वा परेहिं समणुजाणेज्जा से णं तं कम्मं जया उदिन्नं भवेज्जा तया जहा उच्छुखंडाइं जंते तहा निप्पीलिज्जमाणा छम्मासेणं खवेज्जा, एवं गाढे दुवालसेहिं संवेच्छरेहिं तं कम्मं वेदेज्जा, एवं अगाढपरियावणे वाससहस्सं, गाढपरियावणे दसवाससहस्से एवं अगाढकिलामणे वासलक्खं, गाढकिलामणे दसवासलक्खाइं, उद्दवणे वासकोडी, एवं तेइंदियाइसुंपि णेयं, ता एवं च वियाणमाणा मा तुम्हे मुज्झहत्ति, एवं च गोयमा ! सुत्ताणुसारेणं सारयंतस्सावि तस्सायरियस्स ते महापावकम्मे गमगमहल्लफलेणं हल्लोहलीभूएणं तं आयरियाणं वयणं असेसपावकम्मट्टदुक्खविमोयगं णो बहु मन्नेति, ताहे गोयमा ! मुणियं तेणायरिएणं जहा निच्छयओ उम्मग्गपट्ठिए सव्वपगारेहिं चेव मे पावमई दुट्ठसीसे, ताई किमट्ठमहमिमेसिं पट्ठीए लल्लीवागरणं करेमाणोऽणुगच्छमाणो य सुक्खाए गयजलाए णदीए उवुझं, एए गच्छंतु दसदुवारेहिं, अहयं तु तावायहियमेवाणुचिट्ठेमी, म किं मझं परकएणं सुमहतएणावि पुन्न.पब्भारेणं थेवमवि किंची परित्ताणं भवेज्जा ?, सपरक्कमेणं चेव मे आगमुत्ततवसंजमाणुट्ठाणेणं भवोयही तरेयव्वो, एस उण ॥ तित्थयराएसो जहा. 'अप्पहियं कायव्वं जइ सक्का परहियं च पयरेज्जा । अत्तहियपरहियाणं अत्तहियं चेव कायव्वं ॥१२२।। अन्नंच-जइ एते तवसंजमकिरियं अणुपालिहिति तओ एएसिं चेव सेयं होहिइ, जइ ण करेहिति तओ एएसिं चेव दुग्गइगमणमणुत्तरं हवेज्जा, नवरं तहावि मम गच्छो समप्पिओ गच्छाहिवई अहयं भणामि, अन्नं च-जे तित्थयरेहिं भगवंतेहिं छत्तीस आयरियगुणे समाइढे तेसिं तु अहयं एक्कमविणाइक्कमामि जइवि पाणोवरमं भवेज्जा, जं चागमे इहपरलोगविरुद्धं तं णायरामिण कारयामिण कज्जमाणं समणुजाणामि, ता मेरिसगुणजुत्तस्सावि जइ भणियं ण करेति ताऽहमिमेसिं वेसग्गहणं उद्दालेमि, एवं च समए पन्नत्ती जहाजे केई साहू वा साहुणी वा वायामित्तेणावि असंजममणुचेद्वेज्जा से णं सारेज्जा चोएज्जा पडिचोएज्जा, से णं सारेजते वा चोइज्जते वा पडिचोइज्जते वा जे णं तं वयणमवमन्निय अलसायमाणे वा अभिनिविट्ठेइ वा ण तहत्ति पडिवज्जिय इच्छं पउंजित्ताणं तत्थ णो पडिक्कमेज्जा सेणं तस्सवेसग्गहणं उद्दालेज्जा, एवं तु आगमुत्तणाएणं गोयमा ! जाव तेणायरिएणं एगस्स सेहस्स वेसग्गहणं उद्दालियं तावणं अवसेसे दिसोदिसं पणढे ताहे गोयमा ! सो य आयरिओ सणियं तेसिं पट्टीए जाउमारद्धो णो 4 णं तुरियं २, से भयवं! किमटुं तुरियं २ णो पयाइ ?.गोयमा ! खाराए भूमीए जो महूरसंकमज्जा महुराए खारं किण्हाए पीयं पीयाओ किण्हं जलाओ थलं थलाओ जलं 2 संकमज्जा तेणं विहीए पाए पमज्जिय २ संकमेयव्वं, णो पमज्जेज्जा तओ दुवालससंवच्छरियं पच्छित्तं भवेज्जा, एएणमटेण गोयमा ! सो आयरिओण तुरियं २ गच्छे, Re: 555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -१४००55555555555555555555555555STOR Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO55555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. [४०] 155555555555sxseog 163955555555555555555555555$$$$$$$$$$5555555555OOK अहऽन्नया सुयाउत्तविहीए थंडिलसंक्रमणं करेमाणस्सणं गोयमा! तस्सायरियस्स आगओ बहुवासरखुहापरिगयसरीरो वियडदाढाकरालकयंतभासुरोपलयकालमिव घोररूवो केसरी, मुणियं च ते ण महाणुभागेणं गच्छाहिवइणा जहा-जइ दुयं गच्छेज्जइ ता चुक्किज्जइ इमस्स, णवरं दुयं गच्छमाणाणं असंजमं ता वरं सरीरवोच्छेयं ण असंजमपवत्तणंति चितिऊण विहीए उवट्ठियस्स सेहस्स जमुद्दालियं वेसग्गहणं तं दाऊण ठिओ निप्पडिक्कम्मपायवोवगमणाणसणेणं सेऽवि सेहो तहेव, अहऽन्नया अच्चंतविसुद्धंतकरणे पंचमंगलपरे सुहज्झवसायत्ताए दुण्णिवि गोयमा ! वावाइए तेण सीहेणं अंतगडे केवली जाए अट्ठप्पयारमलकलंकमुक्के सिद्धे य, ते पुण गोयमा ! एकूणपंचसए साहूणं तक्कम्मदोसेणं जं दुक्खमणुभवमाणे चिटुंति जं चाणुभूयं जं चाणुभविहिति अणंतसंसारसागरं परिभमंते तं को अणंतेणंपि कालेणं भणिउं समत्थो ?. एए ते गोयमा ! एगूणे पंचसए साहूणं जेहिं च णं तारिस गुणोववेतस्स णं महाणुभागस्स गुरूणो आणं अइक्कमियं णो आराहियं अणंतसंसारिए जाए।११।से भयवं: किं तित्थयरसंतियं आणं णाइक्कमेज्जा उयाहु आयरियसंतियं ? गोयमा ! चउव्विहा आयरिया भवंति, तंजहा-नामायरिया ठवणायरिया दव्वायरिया भावायरिया, तत्थ णं जे ते भावायरिया ते तित्थयरसमा चेव दट्ठव्वा, तेसिं संतियाणं(ऽऽणा) णइक्कमेजा।१२। से भयवं! कयरेणं ते भावायरिया भन्नति ? गोयमा ! जे अज्जपव्वइएवि आगमविहीए पयं पएणाणुसंचरंति ते भावायरिए, जे उण वाससयदिक्खिएवि हुत्ताणं वायामेत्तेणंपि आगमओ बाहिं करेंति ते णामठवणाहिं णिओइयव्वे, से भयवं! आयरियाणं केवइयं पायच्छित्तं भवेज्जा ?, जमेगस्स साहुणोतं आयरियमयहरपवटिणीए सत्तरसगुणं, अहा णं सीलखलिए भवंति तओ तिलक्खगुणं,' जंन सुकरं, तम्हा सव्वहा सव्वप्पयारेहिणं आयरियमयरपवत्तिणीए अ अत्ताणं पायच्छित्तस संरक्खेयव्वं, अक्खलियसीलेहिं च भवेयव्वं ।१३। से भयवं ! जे णं गुरू सहसाकारेणं अन्नयरहाणे चुक्केज्ज वा खलेज्ज वा से णं आराहगे ण वा १. गोयमा ! गुरूणं गुरूगुणेसु वट्टमाणो अक्खलियसीले अपमादी अणालस्सी सव्वालंबणविप्पमुक्के समसत्तुमेत्तपक्खे सम्मग्गपक्खवाए जाव णं कहाभणिरे सद्धम्मजुत्ते भवेज्जा णो णं उम्मग्गदेसए अहिमाणरए भवेज्जा, सव्वहा सव्वपयारेहिं णं गुरूणा ताव अप्पमत्तेणं भवियव्वं,णो णं पमत्तेणं, जे उण पमादी भवेज्जा से णं दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठव्वे महापावे, जइ णं सबीए हवेज्जा ताणं निययदुच्चरियं जहावत्तं सपरसीसगणाणं पक्खाविय जहा दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठव्वे महापावकम्मकारी सम्मग्गपणासओ अहयंति एवं निदित्ताणं गरहित्ताणं आलोइत्ताणं च जहाभणियं पायच्छित्तमणुचरेज्जा से णं किंचुद्देसेणं आराहगे भवेज्जा, जइ णं नीसल्ले नियडीविप्पमुक्के,न पुणो सम्मग्गाओ परिभंसेज्जा, अहा णं परिभस्से तओ णाराहेइ ।१४। से भयवं ! केरिसगुणजुत्तस्सणं गुरूणो गच्छनिक्खेवं कायव्वं १. गोयमा ! जे णं सुव्वए जे णं सुसीले जेणं दढव्वए जेणं दढचरित्ते जेणं अणिदियंगे जेणं अरहे जेणं गयरागे जेणं गयदोसे जेणं निट्ठियमोहनिच्छत्तमलकलंके जेणं उवसंतेजेणं सुविन्नायजगद्वितीए जेणं सुमहावेरग्गमग्गमल्लीणे जे णं इत्थी कहापडिणीए जे णं भत्तकहापडिणीए जे णं तेणगकहापडिणीए जे णं रायकहापडिणीए जे णं जणवयकहापडिणीए जे णं अच्वंतमणुकंपसीले जेणं परलोगपच्चवायभीरू जे णं कुसीलपडिणीए जे णं विम्नायसमयसब्भावे जे णं गहियसमयपेयाले जे णं अहन्निसाणुसमयं ठिए खंतादिअहिंसालक्खणदसविहे समणधम्मे जेणं उज्जुत्ते अहन्निसाणुसमयं दुवालसविहे तवोकम्मे जे णं सुउवउत्ते सययं पंचसमिईसु जे णं सुगुत्ते सययं तीसु गुत्तीसुं जे णं आराहगे ससत्तीए अट्ठारसण्डं सीलंगसहस्साणं जे णं अविराहगे एगंतेणं ससत्तीए सत्तरसविहस्स णं संजमस्स ज्ने णं उस्सग्गरुई जे णं तत्तरुई जेणं समसत्तुमेत्तपक्खे जे ण सत्तभयद्वाणविप्पमुक्के जेणं अट्ठमयट्ठाणविप्पजढे जेणं नवण्हं बंभचेरगुत्तीणं विराहणाभीरू जे णं बहुसुए जेणं आयरियकुलुपन्ने जे णं अदीणे जेणं अकिविणे जेणं अणालसिए जेणं संजइंवग्गस्स पडिवक्खे जे णं सययं धम्मोवएसदायगे जे णं सययं ओहसामायारीए परूवगे जे णं मेरा वट्ठिए जे णं असामायारीभीरू जेणं आलोयणारिहपायच्छित्तदाणपयच्छणक्खमे जे णं वंदणमंडलिविराहणाजाणगे जे णं पडिक्कमणमंडलिविराहणजाणगे जे णं सज्झायमंडलिविराहणजाणगे जे णं वक्खाणमंडलिविराहण जाणगे जे णं आलोयणामंडलिविराहणजाणगे जे णं उद्देसमंडलिविराहण जाणगे जे णं समुद्देसमंडलिविराहणजाणगे जे णं OTO乐乐明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听QTCN HALFITrtcur ur teur ur rur 855555555555 श्री आगमगणमजूषा - १४०१5555555555555555555555OOK Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FRORG5555555555555555555555555555555555555555555Fort IS Ohhhhhh$$$$$$$$H (३५) महानिसीह छेयसन (२)पं. स. [१] 555555555555555OOR पव्वज्जाविराहणजाणगे जे णं उवट्ठावणाविराहणाजाणगे जे णं उद्देससमुद्देसाणुन्नाविराहणजाणगे जे णं कालक्खेत्तदव्वभावभावंतरंतरवियाणगे जे णं कालखेत्तदव्वभावालंबणविप्पमुक्के जे णं सबालवुड्ढगिलाणसेहसिक्खगसाहम्मिगअज्जावट्टावणकुसले जे णं परूवगे नाणदंसणचारित्ततवोगुणाणं जेणं वरए धरए पभावगे नाणदंसणचरिनतवोगुणाणं जे णं दढसम्मले जे णं सययं अपरिसाई जे णं धीइमं जेणं गंभीरे जे णं सुसोमनेसे जे णं दिणयरमिव अणभिभवणीए तवतेएणं जे णं ससरीरोवरमेऽवि छ कायसमारं भविवजी जे णं तवसीलदाणभावणामयचउविहधम्मरायभीरू जे णं सव्वासायणाभीरू जे णं इड्डिरसपायागारवरोइट्टज्झाणविप्यमुक्के जेणं सव्वावस्सगमुज्जुत्ते जेणं सविसेसलद्धिजुत्ते जेणं आवडियापिल्लियामंतिओवि णायरेज्जा अयज्ज जेणं नो बहुनिद्दो जे णं नो बहुभोई जे णं सव्वावस्सगसज्झायज्झाणपडिमाभिग्गहघोरपरीसहोवसग्गेसु जियपररसमे जे णं सुपत्तसंगहसीले जेणं अपत्तपरिट्ठावणविहिन्नू जे णं अणट्ठ(णुद्ध) यबोंदी जे णं परसमयससमयसम्मवियाणगे जे णं कोहमाणमायालोभममकारादितिहा. सखेड्डकं दप्पणाहवायविप्पमुक्के धम्मकही' संसारवासविसयाभिलासादीणं वेरगुप्पायगे पडिवोहगे भव्वसत्ताणं से णं गच्छनिक्खेवणजोग्गे सेणं गणी से णं गणहरे से णं तित्थे से णं तित्थयरे से णं अरहा से णं केवली से णं जिणे से णं तित्थुब्भासगे से णं वंदे सेणं पुज्जे से णं नमसणिज्जे से णं दट्ठव्वे से णं परमपवित्ते से णं परमकल्लाणे से णं परममंगले से णं सिद्धी से णं मुत्ती से णं सिवे से णं मोक्खे सेणं ताया से णं संमग्गे से णं गती से णं सरन्ने से णं सिद्धे मुत्ते पारगए देवे देवदेवे, एयस्सणं गोयमा ! गणनिक्खेयं कुज्जा एयस्स णं गणनिक्खेवं कारवेज्जा एयस्स णं गणनिक्खेवकरणं समणुजाणेज्जा, अन्नहा णं गोयमा ! आणाभंगे।१५/से भयवं ! केवइयं कालं जाव एस आणा पवेइया ?, गोयमा ! जाव णं महायसे महासत्ते महाणुभागे सिरिप्पभे अणगारे , से भगवं ! केवइएणं कालेणं सिरिप्पभे अणगारे भवेज्जा?, गोयमा ! होही दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठव्वे रोद्दे चंडे पयंडे उग्गपयंडदंडे निम्मेरे निक्किवे निग्धिणे निविसे कूरयरपावमई अणारिए मिच्छद्दिट्ठी कक्की नाम रायाणे, सेणं पावे पाहुडियं भमाडिउकामे सिरिसमणसंघं कयत्थेज्जा, जाव णं कयत्थेइ ताव णं गोयमा ! जे केई तत्थ सीलड्ढे महाणुभागे अचलियसत्ते तवोहणे अणगारे तेसिंच पाडिहेरियं कुज्जा सोहम्मे कुसिलपाणी एरावणगामी सुरवरिदे. एवं च गोयमा ! देविंदवंदिए दिट्टपच्चए ण सिरिसमणसंघे णिट्ठिज्जा ण कुणए पासंडधम्मे, जाव णं गोयमा ! एगे अविइज्जे अहिंसालक्खणखंतादिदसविहे धम्मे एगे अरहा देवाहिदेवे एगे जिणालए एगे वंदे पूए दक्खे सक्कारे सम्माणेमहायसे महासत्ते महाणुभागे दढसीलव्वयनियमधारए तवोहणे साहू, तत्थ णं चंदमिव सोमलेसे सूरिए इव तवतेयरासी पुढवी इव परीसहोवसग्गसहे मेरूमंदरधरे इव निप्पकंपे ठिए अहिंसालक्खणखंतादिदसविहे धम्मे. से णं सुसमणगरपरिखुडे निरन्भगयणामलकोमुईजोगजुत्ते इव गहरिक्खपरियरिए गहवई चंदे अहिययरं विराइज्जा, गोयमा ! से णं सिरिप्पभे अणगारे, तो गोयमा ! एवतियं कालं जाव एसा आणा पवेइया।१६।से भवयं ! उड्ढं पुच्छा, गोयमा ! तओ परेण उड्ढे हायमाणे कालसमए, तत्थ णं जे केई छक्कायसमारंभविवज्जी सेणं धन्नेपुन्ने वंदे पूए नमंसणिज्जे सुजीवियं जीवियं तेसिं|१७|से भयवं ! सामन्ने पुच्छाजावणं वयासी ?, गोयमा ! अत्थेगे जेणं जोगे अत्थेगे जे णं नो जोगे, से भयवं ! केण अद्वेण एवं बुच्चइ जहा णं अत्थेगे जाव जेणं नो जोगे?, गोयमा ! अत्थेगे जेसिंणं सामन्ने पडिकुढे अत्येगे जेसिंच णं सामन्ने नो पडिकुटे, एएणं अट्ठणं एवं वुच्चइ-जहा णं अत्थेगे जेणं जोगे अत्थेगे जेणं नो जोगे, से भयवं ! कयरे ते जेसिंणं सामन्ने पडिकुठे ?, कयरे वा ते जेसिंच णं सामन्ने नो पडिकुट्टे ?,एएणं अट्टेणं एवं वुच्चइ जहाणं अत्थेगे जेणं विरूद्धे अत्थेगे जेणं नो विरूद्धे, जेणं से विरूद्धे सेणं पडिसेहिए, जेणं से णो विरूद्धे सेणं नो पडिसेहिए. से भयवं ! के णं से विरूद्धे के वा णं अविरूद्धे ?, गोयमा ! जे जेसुं देससुं दुगुंछणिज्जे जे जेसुं देसेसुं दुगुंछिए जे जेसुंदेसेसुपडिकुठे सेणं तेसु देसेसुं विरूद्धे, जे य णं जेसुंदेसेसुंणो दुगुंछणिज्जे जे य णं जेसुं देसेसुनो दुगुंछिए जे यणं जेसुं देसेसु णो पडिकुटे से णं तेसु देसेसु नो विरुद्धे, तत्थ गोयमा ! जे णं जेसुं २ देसेसुं विरुद्धे से णं नो पव्वावए जेणं जेसुं २ देसेसुंणो विरद्धे से णं पव्वावए से भयवं! से कत्थ देसे के विरुद्ध के वाणो विरुद्धे ?,गोयमा ! जे णं केई पुरिसेइ वा इथिएइ वा रागेण वा दोसेण वा अणुसएण OO听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐QG Morch #55555555555555555555555 श्री आगमगुणभंजूषा १४०२ 15555555555555555555FFFFFFOTOK Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TIO0555555555555555 (३५) महानिसीह छेयमुत्तं (२) पं. स. २] 55555555555555 OR9555555555555555555555555555555555555555555555Cror वा कोहेण वा लोभेण वा अवराहेण वा समणं वा माहणं वा मायरं वा पियरं वा भायरं वा भइणिं वा भाइणेयं वा सुयं वा सुयसुयं वा धूयं वा णत्तुयं वा सुण्हं वा जामाउयं वा दाइयं वा गोत्तियं वा सजाइयं वा विजाइयं वा सयणं वा असयणं वा संबंधियं वा असंबंधियं वा सणाहं वा असणाहं वा इड्डिमंतं वा अणिड्डिरंत वा सएसियं वा विएसियं वा आरियं वा अणारियं वा हणेज्न वा हणावेज वा उद्दविज्ज वा उद्दवाविज्ज वा सेणं परियाए अ ओग्गे, सेणं पावे से णं निदिए सेणं गरहिए से णं दगुछिए से णं पडिकुटे से णं पडिसेहिए से णं आवई से णं विग्घे से णं अयसे से णं अकित्ती से णं उम्मग्गे से णं अणायारे, एवं रायढे , एवं तेणे, एवं परजुवइपसत्ते, एवं अन्नयरे वा केई वसणाभिभूए , एवं अइसंकिलिडे एवं छुहाणडिए एवं रिणोवदुए अविनायजाइकुलसीलसहावे एवं बहुवाहिवेयणापरिगयसरीरे एवं रसलोलुए एवं बहुनिद्दे एवं इतिहासखेड्डकंदप्पणाहवायवजरिसीलेएवं बहुकोऊहले एवं बहुपेसवग्गे जाव णं मिच्छादिट्ठिपडि णीयकुलुप्पन्नेइ वा सेणं गोयमा ! जे कई आयरिएइ वा मयहरएइ वा गीयत्थेइ वा अगीयत्येइ वा आयरियगुणकलिएइ वा मयहरगुणकलिएइ वा भविस्सायरिएइ वा भविस्समयहरएइ वा लोभेण वा गारवेण वा दोण्हं गाउयसयाणं अब्भंतरं पयावेज्जा सेणं गोयमा ! वइक्कमियमेरे सेणं पवयणवोच्छित्तिकारए से णं तित्थवोच्छित्तिकारए सेणं संघवोच्छित्तिकारए से णं वसणाभिभूए से णं अदिनुपरलोगपच्चवाए से णं अणायारपवित्ते सेणं अकज्जयारी से णं पावे से णं पावपावे से णं महापावपावे से णं गोयमा ! अभिग्गहियचंडरूद्दकूरमिच्छादिट्टी ११८ से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! आयारे मोक्खमग्गे, णो णं अणायारे मोक्खमग्गे, एएणं अट्टेणं एवं वुच्चइ, से भयवं ! कयरे से णं आयारे कयरे वा से णं अणायारे ? गोयमा ! आयारे आणा, अणायारे णं तप्पडिवक्खे, तत्थ जे णं आणापडिवक्खे से णं एगंतेणं सव्वपयारेहि सव्वहा वज्जणिज्जे, जेणं णो आणापडिवक्खे सेणं एगंतेणं सव्वपयारेहिं णं सव्वहा आयरणिज्जो, तहाणं गोयमा ! जं जाणिज्जा जहाणं एस णं सामन्नं विराहेज्जा से णं सव्वहा विवज्जेज्जा।१९ ॥ से भयवं ! कह परिक्खा?, गोयमा ! णं जे केइ पुरिसेइ वा इत्थियाओ वा सामन्नं पडिवज्जिऊकामे कंपेज्जा वा थरहरेज वा निसीएज्ज वा छड्डि वा पकरेज्ज सगणे वा परगणे वा आसाएइ वा साएइ वा तदहुतं गच्छेज्जा वा अवलोइज्ज वा पलोइज्ज वा वेसगहणे ढोइज्जमाणे कोई उप्पाएइ वा असुहे दोन्निमित्तेइ वा भवेजा से णं गीयत्थे गणी अन्नयरेइ वा मयहरासी महया नेउन्नेणं निरूवेजा, जस्स णं एयाइं परं तक्केज्जा से णं णो पवावेज्जा, से णं गुरूपडिणीए भविज्जासे णं निद्धम्मसबले भवेज्जा सव्वहा से णं सव्वपयारेसु णं केवलं एगतेणं अयज्जकरणुज्जए भवेज्जा, से णं जेणं वा तेणं वा सुएण वा विन्नाणेण वा गारविए भवेज्जा, से णं संजईवग्गस्स चउत्थवयखंडणसीले भवेज्ना, से णं बहुरूवे भवेज्जा।२० से भयवं ! कयरे णं से बहुरूवे वुच्चइ ?. जेणं ओसन्नविहारीणं ओसन्ने उज्जुयविहारीणं उज्जुयविहारी निद्धम्मसबलाणं निद्धम्मसबले बहुरूवी रंगगए चारणे इव णडे ‘खणेण राम य खणेण लक्खणे, खणेण दसगीवरावणे खणेणा टप्पयरकन्नदंतुरजराजुत्तगत्तपंडुरक्खे सबहुपवंचभरिए विदूसगे||१२३|| खणेणं तिरियं च जाती, वाणरहणुमंतकेसरी। जहा णं एस गोयमा!, तहा णं से बहुरूपे ॥१२४|| एवं गोयमा ! जे णं असई कयाई केइ चुक्कखलिएणं पव्वावेज्जा से णं दूरद्धाणववहिए करेज्जा, सेणं सन्निहिए णो धरेज्जा, से णं आयरेणं णो आलवेज्जा से णं भंडमत्तोवगरणे नो पडिलेहाविज्जा, से णं तस्स गंथसत्थं नो उद्दिसेज्जा, सेणं तस्स गंथसत्थं नो अणुजाणेज्जा, से णं तस्स सद्धिं गुज्झं रहस्सं वा णो मंतिज्जा, एवं गोयमा ! जे केई एयदोसविप्पमुक्के से णं पव्वावेज्जा, तहाणं गोयमा ! मिच्छदेसुप्पन्नं अणारियंणो पव्वावेज्जा, एवं वेसासुयं नो पव्वावेज्जा, एवं गणियं नो पव्वावेज्जा,एवं चक्खुविगलं, एवं विकप्पियकरचरणं, एवं छिन्नकन्ननासोट्ट. एवं कुट्ठवाहीए गलमाणसडहडंतं एवं पंगुं अयंगमं मूयबहिरं एवं अच्चुक्कडकसायं एवं बहुपासंडसंसट्टे एव घणरागदोसमोहमिच्छत्तमलखवलियं एवं उज्झियउत्तयं एवं पोराणनिक्खुडं एवं जिणालगाइबहूदेवबलीकरणभोइयं चक्कयरं एवं णडणट्टछत्त(मल्ल)चारणं एवं सुयजड्डं चरणकरणजइडं जड्डकायं णो पव्वावेज्जा, एवं तु जाव णं नामहीणं थामहीणं जाइहीणं कुलहीणं बुद्धिहीणं पन्नाहीणं गामउडमयहरं वा गामउडमयहरसुयं वा अन्नयरंवा निदियाहमहीणजाइयं वा अविनायकुलसहावं गोयमा ! सव्वहा णो दिक्खे णो पव्वाविज्जा, एएसिं तु पयाणं अन्नयरपए खलेज्जा जो सहसा देसूणपुवकोडीतवेण गोयमा ! सुज्झेज वा ण वावि।२१। एवं गच्छववत्थं तहत्ति पालेत्तु तं तहेव(ज) जहा (भणियं) रयमलकिलेसमुक्को गोयमा ! मुक्खं गएऽणतं।।१२५||गच्छति गमिस्संति य Text95555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४०३ 555555555555555500R $$$$$$$$$$$$历步步步步步步步55555555555.COM $$$ SWOsc$$ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOTO$$$$$$$$$$$$$$ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ. [४३] NOR95555555555555555555555555555$$$$45555555FOCTOR ससुरासुरजगणमंसिए वीर। भुवणेक्कपायडजसे जहभणियगुणट्टिए गणिणो॥१२६॥ से भयवं! जे णं केई अमुणियसमयसम्भावे होत्था विहीएइ वा अविहीएइ वा कस्सई गच्छायारस्स वा मंडलिधम्मस्स वा छत्तीसइविहस्स णं सप्पभेयनाणदंसणचरित्ततववीरियायारस्स वा मणसा वा वायाए वा काएण वा कहिचि अन्नयरे ठाणे केइ गच्छहिवई आयरिएइ वा अंतोविसुद्धपरिणामेवि होताणं असई चोक्केज्न वा खलेज्ज वा परुवेमाणे वा अणुढेमाणे वा से णं आराहगे उयाहु अणाराहगे ?,' गोयमा ! अणाराहगे, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा ! अणाराहगे ?. गोयमा ! णं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अणप्पवसिए अणाइ. निहणे सब्भूयत्थपसाहणे अणाइसंसिद्धे सेणं देविंदवंदाणं अतुलबलवीरिएसरियसत्तपरक्कममहापुरिसायारकंतिदित्तिलावन्नरूवसोहग्गाइसयकलाकलावच्छिड्डमंडियाणं अणंतनाणीणं सयंसंबुद्धाणं जिणवराणं अणाइसिद्धाणं अणंताणं वट्टमाणसमयसिज्झमाणाणं अन्नेसिंच आसन्नपुरकडाणं अणंताणं सुगहियनामधेज्जाणं महायसाणं महासत्ताणं महाणुभागाणं तिहुयणिक्कतिलयाणं तेलोक्कनाहाणं जगपवराणं जगेक्कबंधूणं जगगुरूणं सव्वन्नूणं सव्वदरिसीण पवरवरधम्मतित्थंकराणं अरहंताणं भगवंताणं भूरभविस्साईयणागयवट्टमाणनिखिलासेसकसिणसगुणसपज्जयसव्ववत्थुविदियसब्भावाणं असहाए पवरे एकमेक्कमग्गे, सेणं सुत्तत्ताए अत्थत्ताए गंथत्ताए, तेसिपि णं जहट्ठिए चेव पन्नवणिज्जे जहट्ठिए चेवाणुट्ठणिज्जे जहट्ठिए चेव भासणिज्जे जहट्ठिए चेव वायणिज्जे जहट्ठिए चेव परूवणिज्जे जहट्टिए चेव वायरणिज्जे जहट्ठिए चेव कहणिज्जे से णं इमे दुवालसंगे गणिपिडगे, तेसिपि णं देविंदवंदवंदाणं णिखिलजगविदियसदव्वसपज्जवगइआगइ(इति)हासबुद्धिजीवाइतत्ते जाणए वत्थुसहावाणं अलंघणिज्जे अणइक्कमणिज्जे अणासायणिज्जे तहा चेव इमे दुवालसंगे सुयनाणे सव्वजगज्जीवपाणभूयसत्ताणं एगंतेणं हिए सुहे खमे नीसेसिए आणुगामिए पारगामिए पसत्थे महत्थे महागुणे महाणुभावे महापुरिसाणुचिन्ने परमरिसिदेसिए दुक्खक्खयाए कम्मक्खयाए मोक्खयाए संसारूत्तारणयाएत्तिकटु उवसंपज्जित्ताणं विहरिंसु, किमुतमन्नेसिति, ता गोयमा ! जे णं केइ अमुणियसमयसब्भावेइ वा विइयसमयसारेइ वा अविहीएइ वा गच्छाहिवई वा आयरिएइ वा अंतोविसुद्धपरिणामेवि होत्था,ई गच्छायारमंडलिधम्मा छत्तीसइविही आयारादिजावणं अन्नयरस्स वा आवस्सगाइकरणिज्जस्सणं पवयणसारस्स असती चुक्केज्ज वाखलेज्ज वा तेणं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अन्नहा पयरेज्जा, जे णं इमे दुवालसंगसुयणाणनिबद्धंतरोवगयं एक्कं पयअक्खरमवि अन्नहा पयरे सेणं उम्मग्गे पयंसेज्ना, जे णं उम्मग्गे पयंसेसे णं अणाराहगे भवेज्जा, ता एएणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा ! एगंतेणं अणाराहगे।२२। से भयवं ! अत्थि केई जणमिणमो परमगुरूणंपी अलंघणिज्जं परमसरण्णं फुडं पयडं पयडपयडं परमकल्लाणं कसिणकम्मट्ठदुक्खनिट्ठवणं पवयणं अइक्कमेज वा पइक्कमेज वा लंघेज वा खंडेज्ज वा विराहेज वा आसाइज वा से मणसा वा वयसा वा कायसा वा जाव णं वयासी ?. गोयमा ! णं अणंतेणं कालेणं परिवट्टमाणेणं संपयं दस अच्छेरगे भविंसु, तत्थ णं असंखेज्जे अभव्वे असंखेज्जे मिच्छादिट्ठी असंखेज्जे सासायणे दव्वलिंगमासीय सच्छंदत्ताए डंभेणं सक्कारिज्जते एच्छेए धम्मिगत्तिकाऊणं बहवे अदिट्ठकल्लाणे जइणं पवयणमब्भुवगम्मति (२८६) तमन्भुवगमिय रसलोलत्ताए विसयलोलत्ताए दुइंतिदियदोसेणं अणुदियहं जहट्ठियं मग्गं निट्ठवंति उम्मग्गं च उस्सप्पयंति, ते य सव्वे तेणं कालेणं इमं परमगुरूणंपि अलंघणिज्ज पवयणं जाव णं आसायंति|२३|से भयवं ! कयरेऽणतेणं कालेणं दस अच्छेरगे भविंसु ? गोयमा ! णं इमे तेणं कालेणं ते अणं दस अच्छेरगे भवंति, तंजहा-तित्थयराणं उवसग्गे गब्भसंकामणे वामतित्थयरे तित्थयरस्सणं देसणाए अभव्वसमुदाएणं परिसाबंधे सविमाणाणं चंदाइच्चाणं तित्थयरसमवसरणे आगमणे वासुदेवाणं संखझुणीए अन्नयरेण वा रायकउहेण परोप्परमेलावगे इहइं तु भारहे खेत्ते हरिवंसकुलुप्पत्तीए चमरूप्पाए एगसमएणं अट्ठसयसिद्धिगमणं असंजयाणं ई. पूयाकारगेत्तिा२४सेभयवं! जेणं केई कहिचि कयाई पमायदोसओ पवयणमासाएज्जा सेणं किं आयरियपयंपावेज्जा?, गोयमा ! जेणं केई कहिंची कयाई पमायदोसओ 1. असई कोहेण वा माणेण वा मायाए वा लोभेण वा रागेण वा दोसेण वा भएण वा हासेण वा मोहेण वा अन्नाणदोसेण वा पवयणस्स णं अन्नयरट्ठाणे वइमित्तेणंपिक अणायारं असमायारिं यरुवेमाणे वा अणुमन्नेमाणे वा पवयणमासाएज्जा से णं बोहिंपी णो पावे, किमंग आयरियपयलंभं ?, से भयवं ! किं अभव्वे मिच्छादिट्ठी 9 आयरिए भवेज्जा ?, गोयमा ! भवेज्जा एत्थं च णं इंगालमद्दगाई नाए, से भयवं! किं मिच्छादिट्ठी निक्खमेज्जा ? गोयमा ! निक्खमेज्जा, से भयवं ! कयरेणं लिंगेणं से ल 55555555 श्री आगमगुणमजूषा - १४०४95455 5555555HOTOR COC明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听历听听听听听听听乐听听听听听听听听 。 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G.95555555555555555 (३५) महानिमीह छेयसुन (२) पं. अ. 55555555555555yeTORY Oणं वियाणेज्जा जहा णं धुवमेस मिच्छादिट्ठी?. गोयमा ! जेणं कयसामाइए सव्वसंगविमुत्ते भवित्ताणं अफासुपाणं परिभुजेज्जा जेणं अणगारधम्म पडिवज्जित्ताणमसई सोईरियं वा तेउकायं सेवेज्ज वा सेवाविज वा सेविजमाणे अन्ने समणुजाणेज्ज वा तहा नवण्हं बंभचेरगुत्तिरं ओ केई साहू वा साहूणी वा एक्का मवि खंडिज्ज वा विराहेज्ज वा खंडिज्जमाणं वा विराहिज्जमाणं वा बंभचेरगुत्ती परेसिं समणुजाणेज्जा वा मणेण वा वायाए वा काएण वा से णं मिच्छादिट्ठी, न केवलं मिच्छादिट्ठी अभिगहियमिच्छादिट्ठी वियाणेज्जा ।२५/ से भयवं ! जेणं केई आयरिएइ वा मयहरएइ वा असई कहिचि कयाई तहाविहं संविहाणगमासज्ज इणमोनिग्गंथं पवयणमन्नहा पन्नवेज्जा से णं किं पावेज्जा ?. गोयमा ! जं सावज्जायरिएणं पावियं, से भयवं ! कयरे णं से सावज्जायरिए ? किं वा तेणं पावियंति ?.गोयमा ! णं इओ य उसभादितित्थकरचउवीसिगाए अणंतेणं कालेणं जा अतीता अन्ना चउवीसिगा तीए जारिसो अहयं तारिसो चेव सत्तरयणी पमाणेणं जगच्छेरयभूओ देविंदविंदवंदिओ पवरवरधम्मसिरिनाम चरमधम्मतित्थंकरो अहेसि, तत्थय तित्थे सत्त अच्छेरगे भूए, अहऽन्नया परिनिव्वुडस्सणं तित्थंकरस्स कालक्कमेणं असंजयाणं सक्कारकारवणे णामऽच्छरगे वहिउमारद्धे, तत्थ णं लोगाणुवत्तीए मिच्छत्तोवयं असंजयपूयाणुरयं बहुजणसमूहतिवियाणिऊण तेणं कालेणं ते णं समएणं अमुणियसमयसब्भावेहिं तिगाखमइरामोहिएहिं णाममेत्तआयरियमयहरेहिं सड्ढाईणं सयासाओ दविणजायं पडिग्गहियरथंभसहस्सूसिए सकसके ममत्तिए चेइयालगे काराविऊणं ते चेव दुरंतपंतलक्खणहमाहमेहिं आसईएहिं ते चेव चेइयालगे नीसीय गोविऊणं चबलवीरियपुरिसक्कारपरक्कमे संते बले संते वीरिए संते पुरिसक्कारपरक्कमे चइऊणं उग्गाभिग्गहे अणिययविहारं णीयावासमासइत्ताणं सिढिलीहोऊणं संजमाइसु ठिए, पच्छा परिचिच्चाणं इहलोगपरलोगावायं अंगीकाऊण सुदीहं संसार तेसुं चेव मढदेवउलेसुं अच्चत्थं गथिरे मुच्छिरे ममीकारहंकारेहिं णं अभिभूए सयमेव विचित्तमल्लदामाईणं देवच्चणं काउमब्भुज्जए,जं पुण समयसारं परं इमं सव्वन्नुवयणं तं दूरसुदूरयरेणं उज्झियंति तंजहा-सव्वे जीवा सव्वे पाणा सव्वे भूया सवे सत्ता ण हंतव्वा ण अज्जावेयव्वा ण परियावेयव्वा ण परिघेत्तव्वा ण विराहेयव्वा ण किलामेयव्वा ण उद्दवेयव्वा, जे कई सुहमा जे केई बायरा जे केई तसा जे केई थावरा जे केई पज्जत्ता जे केई अपज्जत्ता जे केई एगिदिया जे केई बेदिया जे केई तेदिया जे केई चउरिदिया जे केई पंचिदिया तिविहंतिविहेणं मणेणं वायाए काएणं जं पुण गोयमा ! मेहुणं तं एगंतेणं ३ णिच्छयओ ३ बाढंइ तहा आउतेउसमारंभं च सव्वहा सव्वपयारेहिं सयं विवज्जेज्जा मुणीति एस धम्मे धुवे सासए णिइए समिच्च लोगं खेयन्नूहि पवेइएत्ति।२६।से भयवं ! जे णं केई साहू वा साहुणी वा निग्गंथे अणगारे दव्वत्थयं कुज्जा से णं किमालवेज्जा ?, गोयमा ! जे णं केई साहू वा साहुणी वा निग्गंथे अणगारे दव्वत्थयं कुज्जा से णं अजयएइ वा असंजएइ वा देवभोइएइ वा देवच्चगेइ वा जाव णं उम्मग्गपइट्ठिएइ वा दूरुज्झियसीलेइ वा कुसीलेइवा सच्छंदयारिएइ वा आलवेज्जा ।२७। एवं गोयमा ! तेसिं अणायारपवित्ताणं बहूणं आयरियमयहरादीणं एगे मरगयच्छवी कुवलयप्पहाभिहाणे णाम अणगारे महातवस्सी अहेसि, तस्स णं महामहंते जीवाइपयत्थे सुत्तत्थपरिन्नाणे सुमहंतं चेव -संसारसागरे तासुंतासुं जोणीसुं संसरणभयं सव्वहा सव्वपयारेहि णं अच्चंतं आसायणाभीरुयत्तणं, तक्कालं तारिसेऽवी असंजमे अणायारे बहुसाहम्मियपवत्तिए तहावी सो तित्थयराणमाणं णाइक्कमेइ, अहऽन्नया सो अणिगूहियबलवीरियपूरिसक्कारपरक्कमे सुसीसगणपरियरिओ सव्वन्नुप्पणीयागमसुत्तत्योभयाणुसारोणं ववगयरागदोसमोहमिच्छत्तममकाराहंकारो सव्वत्थ अपडिबद्धो किं बहुणा ?, सव्वगुणगणाहिट्ठियसरीरो अणे गगामागरनगरखेडकब्बडमयडबदोणमुहाइसन्निवेसविसेसेसुं अणेगेसुं भव्वसत्ताणं संसारचारगविमोक्खणिं सद्धम्मकहं परिकहेंतो विहरिंसु, एवं च वच्चंति दियहा, अन्नया णं सो महाणुभागो विहरमाणो आगओ गोयमा ! तेसिंणीयविहारीणमावासगे, तेहीं च महातवस्सी काऊण सम्माणिओ किइकम्मासणपयाणाइणा समुचिएणं, एवं च सुहनिसन्नो, चिट्ठित्ताणं धम्मकहाइणाविणोएणं पुणो गंतु पयत्तो, ताहे भणिओ सो महाणुभागो गोयमा ! तेहिं दुरंतपंतलक्खणे हि लिंगोवजीवीहिं भट्ठायारुम्मग्गपवत्तगऽभिग्गहीयमिच्छादिट्ठीहिं, जहा णं भयव ! जइ तुममिहई एक्कं वासारत्तियं चाउम्मासियं पउंजियं तो णमेत्थं एत्तिगे चेइयालगे भवंति णूणं है तुज्झाणत्तीए, ता कीरओ अणुग्गहत्थमम्हाणं इहेव चाउम्मासियं, ताहे भणियं तेणे महाणुभागेणं गोयमा ! जहा भो भो पियंवए ! जइवि जिणालए तहावि सावज्जमिणं : NELENEELucuruchartpur / श्री आगमग - १००५LLLLLLLLLLLLLLE LELE LELLELENELELEMELEGX3 25555555555555555555555555555555555555555555555520 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 MinEducation international 2010-03 EncountAPersonalisa-pnly .. Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR955555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुतं (रा. अ. [१५] Pणाहं वायमित्तेणंऽपेयं आयरिज्जा, एवं च समयसारपरंतत्तं जहट्ठियं अविवरीयं णीसंकं भणमाणेणं तेसिं मिच्छादिट्ठीलिंगीणं साहुवेसधारीण मज्झे गोयमा! आसकलियं तित्थयरणामकम्मगोयं तेणं कुवलयप्पभेणं, एगभवावसेसीकओ भवोयही, तत्थ य दिट्ठो अणुल्लविज्जनामसंघमेलावगो अहेसि, तेसिंच बहुहिं पावमईहिं लिगिणियाहिं परोप्परमेगमयं काऊणं गोयमा ! तालं दाऊणं विप्पलोइयं चेव तं तस्स महाणुभागसुमहतवस्सिणो कुवलयप्पहाभिहाणं कयं च से सावज्जायरियाभिहाणं, सद्दकरणं, गयं च पसिद्धीए, एवं सद्दिज्जमाणोऽवि सो तेणापसत्थसद्दकरणेणं तहावि गोयमा ! ईसिपि ण कुप्पे ।२८। अहऽन्नया तेसिं दुरायाराणं सद्धम्मपरंमुहाणं अगारधम्माणगारधम्मोभयभट्ठाणं लिंगमेत्तनामपव्वइयाणं कालक्कमेणं संज्जाओ परोप्परं आगमवियारो जहा णं सड्ढगाणमसई संजया चेव मढदेउले पडिजागरेति खंडपडिए य समारावयंति, अन्नं च जाव करणेज्जतं पइ समारंभे कज्जमाणे जइस्सावि ण णत्थि दोससंभवं, एवं च केई भणंति-संजमं मोक्खनेयारं, अन्ने भणंति. जहा णं पासायवडिसए पूयासक्कारबलिविहाणाईसुणं तित्थुच्छप्पणा चेव मोक्खगमणं, एवमेसिमविइयपरमत्थाणं पावकम्माणं जं जेण सिटुं सो तं चेवुद्दामुस्सिंखलेणं मुहेणं पलवति, ताहे समुट्ठियं वादसंघटुं, नत्थि य कोई तत्थ आगमकुसलो तेसिं मज्झे जो तत्थ जुत्ताजुत्तं वियारेइ जो य पमाणपुव्वमुवइसइ, तहा एगे भणंति जहा अमुगो अमुग त्थामि चिट्टे, अन्ने भणंति-अमुगो, अन्ने भणंति-किमित्थ बहुणा पलविएणं ?, सव्वेसिमम्हाणं सावज्जायरिओ एत्थ पमाणंति, तेहिं भणियं जहा एवं म होउत्ति हक्कारावेह लहुँ, तओ हक्काराविओ गोयमा ! सो तेहिं सावज्जायरिओ, आगओ दूरदेसाओ अप्पडिबद्धत्ताए विहरमाणो सत्तहिं, मासेहि, जावणं दिट्ठोएगाए । अजाए, सा य तं कटुगतवचरणसोसियसरीरं चम्मट्ठिसेसतणुं अच्वंतं तवसिरीए दिप्पंतं सावज्जायरियं पेच्छिय सुविम्हियं तक्कर- (क्ख)णा वियक्किउं पयत्ता-अहो किं एस महाणुभागे णं सो अरहा किं वा णं धम्मो चेव मुत्तिमंतो?, किं बहुणा ?, तियसिंदवंदाणंपि वंदणिज्जपायजुओ एसत्ति चितिऊणं भत्तिभरनिब्भरा आयाहिणपयाहिणं काऊणं उत्तिमंगेणं संघट्टमाणी झडित्ति णिवडिया चलणेसुंगोयमा ! तस्स णं सावज्जायरियस्स, दिट्ठो य सो तेहिं दुरायारेहिं पणमिज्जमाणो, अन्नया णं सो तेसिं तत्थ जहा जगगुरुहिं उवइ8 तहा चेव गुरुवएसाणुसारेणं आणुपुव्वीए जहाट्ठियं सुतत्थं वागरेइ तेऽवि तहा चेव सद्दहति, अन्नया ताव वागरियं गोयमा ! जाव णं एक्कारसण्डमंगाणं चोद्दसण्हयपुव्वाणं दुवालसंगस्स णं सुयनाणस्स णवणीयसारभूयं सयलपावपरिहारट्ठकम्मनिम्महणं आगयं इणमेव गच्छमेरापन्नवणं महानिसीहसुयक्खंधस्स पंचममज्झयणं, एत्थेव गोयमा ! ताव णं वक्खाणियं जाव णं आगया इमा गाहा 'जत्थित्थीकरफरिसं अंतरिय कारणेवि उप्पन्ने । अरहाउवि करेज्ज सयं तं गच्छं मूलगुणमुक्कं ।।१२७|| तओ गोयमा ! अप्पसंकिएणं चेव चितियं तेणं सावज्जयरिएणं जइ इह एयं जहट्ठियं पन्नवेमि तओ जं मम वंदणगं दाउमाणीए तीए अज्जाए उत्तिमंगेण चलपाग्गे पुढे तं सव्वेहिपि दिट्ठमेएहिति ता जहा मम सावज्जायरियाभिहाणं कयं तहा अन्नमवि किंचि एत्थमुटुंक काहिति जेणं तु सव्वलोए अपुज्जो भविस्सं, ता अहमन्नहा सुत्तत्थं पन्नवेमि ?, ता णं महती आसायणा, तो किं करियवमेत्थंति ?, किं एयं गाहं परुवयामि ? किं वा ण ? अन्नहा वा पन्नवेमि ?, अहवा हाहा ण जुत्तमिणं उभयहावि अच्चंतगरहियं आयहियट्ठीणमेयं, जओ णमेस समयाभिप्पाओ जहा णं-जे भिक्खू दुवालसंगस्सणं सुयनाणस्स असई चुक्कखलियपमाया संकादीसभयत्तेणं पयक्खरमत्ताबिंदुमवि एक्कं परुविज्जा अन्नहा वा पन्नवेज्जा संदिद्धं वा सुत्तत्थं वक्खाणेज्जा अविहीए अओगस्स वा वक्खाणेज्जा से भिक्खू अणंतसंसारी भवेज्जा, ता किं एत्थं ?, जं होही तं च भवउ, जहट्ठियं चेव गुरुवएसाणुसारेणं सुत्तत्थं पवक्खामित्ति चिंतिऊणं गोयमा! ' पवक्खाया णिखिलावयवविसुद्दा सा तेण गाहा, एयावसरंमि चोइओ गोयमा ! सो तेहिं दुरंतपंतलक्खणेहिं जहा जइ एवं ता तुमंपि ताव मूलगुणहीणोजावणं संभरतु तुजं तद्दिवसं तीए अज्जाए तुज्झं वंदणगं दाउकामाए पाए उत्तमंगेणं पुढे, ताहे इहलोगायसभीरु खरसत्थ(मच्छ)रीहूओ गोयमा ! सो सावज्जयरिओ विचितिओ जहाजं मम सावज्जायरियाभिहाणं कयं इमेहिं तहा तं किंपि संपयं काहितिजेणं तु सव्वलोए अपुजो भविस्सं, ता किमित्थं परिहारगं दाहामित्ति चिंतमाणेणं संभरियं तित्थयरवयणं, जहाणं के केई आयरिएइ वा मयहरएइ वा गच्छाहिवई सुयहरे भवेज्जा सेणं जंकिंचि सव्वन्नुणंतनाणीहिं पावाववायट्ठाणं पडिसेहियं तं सव्वसुयाणसारेणं विन्नाय सव्वहा सव्वपयारेहिं णं णो समायरेज्जा णो णं समायरिज्जमाणं समणुजाणेज्जा, से कोहेण वा माणेण वा मायाए वा लोभेण वा भएण वा हासेण वा गारवेण Goo9955555 श्री भागमणमा - Pa555555555555555555555555HOYON CCF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明将 NOTIO5555555555555555555555555555555555555555555555550STORY Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $$$%%%%SIC MOR955555555555555555555555555555555555555555555555550For POR585%%%%%%%%%%% मानकामनाराका 五历历$ $$$R CE वा दप्पेण वा पमाएण वा असती चुक्कखलिएण वा, दिया वाराओवा एमओवा परिसागओवा सुत्ते वा जागरमाणे वा तिविहंतिविहेणं मणेणं वायाएकाएणं एतेसिमेव पयाणं जे केई विराहगे भवेज्जा से णं भिक्खू भुज्जो २ निंदणिजे गरहणिज्ने खिंसणिज्ने दुगुंछणिज्जे सव्वलोगपरिभूए बहुवाहिवेयणापरिगयसरीरे उक्कोसठिईए अणंतसंसारसागरं परिभमेज्जा, तत्थ णं परिभममाणे खणमेक्कंपिन कहिचि कदाइ निव्वुइं संपावेज्जा, तोपमायगोयरगयस्सणं मे पावाहमाहमहीणसत्तकाउरिसस्स इहइं चेव समट्ठिया एमहंती आवई जेण ण सक्को अहमेत्थं जुत्तीखमं किंचि पडिउत्तरं पयाउंजे, तहा परलोगे य अणंतभवपरंपरं भममाणो घोरदारूणाणंतसो य दुक्खस्स भागीभविहामिऽहं मंदभग्गोत्ति चिंतयंतोऽवलक्खिओ सो सावज्जायरिओ गोयमा! तेहिं दुरायारपावकम्मदुठ्ठसोयारेहिं जहा णं अलियखरमच्छरीभूओ एस, तओ संखुद्धमणं खामच्छरीभूयं कलिऊणं च भणियं तेहिं दुठ्ठसोयारेहिं जह जाव णं नो छिन्नमिणमो संसयं ताव णं उठं वक्खाणं अत्थि, ता एत्थं तं परिहारगं वायरेज्जा जं पोढजुत्तीखमं कुग्गहणिम्महणपच्चलंति, तओ तेण चितियं जहा नाहूं अदिन्नेणं परिहारगेण चुक्किमो मेसिं, ता किमित्थ परिहारगं दाहामित्ति चिंतयंतो पुणोवि गोयमा ! भणिओ सो तेहिं दुरायारेहिं जहा किमळं चिंतासागरे णिमज्जिऊणं ठिओ?, सिग्घमेत्थं किंचि परिहारगं वयाहि, णवरं तं परिहारगं भणिज्जा जं जहुत्तत्थीकि (त्थिक्क) याए अव्वभिचारी, ताहे सुइरं परितप्पिऊणं हियएणं भणियं सावज्जयरिएणं जहा एएणं अत्थेणं जगगुरूहिं वागरियं जं अओगस्स सुत्तत्थं न दायव्वं, जआ 'आमे घडे निहत्तं जहा जंलं तं घडं विणासेइ । इय सिद्दतरहस्सं अप्पाहारं विणासेइ ॥१२८|| ताहे पुणोवि तेहिं भणियं जहा किमेयाई अरडबरडाई असंबद्धाइं दुब्भासियाई पलवह ?, जइ परिहारगंण दाउं सक्के ता उप्फिड मुयसु आसणं ऊपर सिग्धं इमाओ ठाणाओं, किं देवस्स रूसेज्जा जत्थ तुमंपि पमाणीकाऊणं सव्वसंघेणं समयसम्भावं वायरेउंजे समाइट्ठो?, तओ पुणोवि सुइरं परितप्पिऊणं गोयमा ! अन्नं परिहारमलभमाणेणं अंगीकाऊणं दीहसंसार भणियं च सावज्जायरिएणं जहा णं उस्सग्गाववायेहिं आगमो ठिओ, तुब्भे ण याणहेय, एगंतो मिच्छत्तं, जिणाणमाणामणेगंतो, एयं च वयणं गोयमा ! गिम्हायवसंताविएहिं सिहिउलेहिं व अहिणवपाउससजलघणोरल्लिमिव सबहुमाणं समाइच्छियं तेहिं दुठ्ठसोयारेहिं, तओ एगवयरदोसेणं गोयमा | निबंधिऊणाणतं संसारियत्तणं अपडिमिऊणं च तस्स पावसमुदायमहाखंधमेलावगस्स मरिऊण उववन्नो वाणमंतरेसु सो सावज्जायरिओ तओ चुओ समाणो उववन्नो पवसियभत्ताराए पडिवासुदेवपुरोहियधूयाए कुच्छिसि, अहऽन्नया वियाणिउं तीए जणणीए पुरोहियभज्जाए जहा णं हा हा हा दिन्नं मसिकुच्चयं सव्वनियकुसलस्स इमीए दुरायाराए मज्झ धूयाए साहियं च पुरोहियस्स, तओ संतप्पिऊण सुइर बहुं च हियएण साहारेउ निव्विसया कया सा तेणं पुरोहिएणं, एमहंता असज्झदुन्निवारअयसभीरूणा, अहऽन्नया थेवकालंतरेणं कहिचि थाममलभमाणी सीउण्हवायविज्झडिया खुरका (हछा) मकंठा दुब्भिक्खदोसेणं पविठ्ठा दासत्ताए रसवाणियगस्स गेहे, तत्थ य बहूणं मज्जपाणगाणं संचियं साहरेइ अणुसमयमुच्छिद्रुगंति, अन्नया अणुदियं साहरमाणीए तमुच्चिठ्ठगं दट्ठणं च बहुमज्जपाणगे मज्जमावियमाणे पोग्गलं च समुद्दिसते तहेव तीए मज्जमंसस्सोवरि दोहलगं समुप्पन्नं जाव णं तं बहुमज्जपाणं नडनट्टछत्तचारणभडोड्डचेडतक्करासरिसजातीसु सुज्झियं खुरसीसपुंछकन्नठ्ठिमयगयं उच्चिटुं वच्छू (उल्लू) रखंडं तं समुद्दिसिउं समारहा, ताहे तेसु चेव उच्चिठ्ठकोडियगेसु जंकिंचि णाहीए मज्झं विवक्कं तमेवासाइउमारद्धा, एवं च कइवयदिणाइक्कमेणं मज्जमंसस्सोवरि दढं गेही संजाया, ताहे तस्सेव रसवाणिज्जगस्सगेहाउ परिमुसिऊणं किंचि कंसदूसदविणजायं अन्नत्थ विक्किणिऊणं मजं समंतं परिभंजस, तावणं विन्नायं तेण रसवाणिज्जगेण, साहियं च नरवइणो, तेणावि वज्झा समाइठ्ठा, तत्थ य राउले एसो गोयमा ! कुलधम्मो जहाणं जा काइ आवन्नसत्ता नारी अवराहदोसेणं सा जाव णं नो पसूया ताव णं नो वावाएयव्वा, तेहिं विणिउत्तगणिगिंतगेहिं सगेहे नेऊण पसूइसमयं जाव णियंतिया रक्खेयव्वा, अहऽन्नया णीया तेहिं हरिएसजाईहिंसगेहिं, कालकमेण पसूया य दारगं तं सावज्जायरियजीवं, तओ पसूयमेत्ता चेव तं बालयं उज्झिऊण पणठ्ठा मरणभयाहितत्था सा गोयमा ! दिसिमेक्कं गंतूणं, वियाणियं च तेहिं पावेहिं जहा पणछा सा पावकम्मा, साहियं च नरवइणो सूणाहिवईहिं जहाणं देव ! पणठ्ठा सा दुरायारा कयलिगब्भोवमं दारगमुज्झिऊणं, रन्नावि पहिभणियं-जहाणं जइ नाम सा गया ता गच्छउतं बालगं पडिबालेज्जासु, सव्वहा तहा कायव्वं जहा तं बालगंण वावज्जे, गिण्हेसु इमे पंचसहस्सा दविणजायस्स, तओ नरवइणो संदेसेणं सुयमिव mero555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १४०७ 5555555555555555555555555556 GO步步步步步步步步步步步步步步勇事历历%$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ISO5555555555555岁男 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) पं. अ./ छ.अ. (४७] 5 555erong HOLIC%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐6C र परिवालिओ सो पंसुलीतणओ, अन्नया कालकमेणं मओ सो पावकम्मो सूणाहिवई, तओ रन्ना समणुजाणिओ तस्सेव बालगस्स घरसारं, कओ पंचण्ह सयाणं अहिवई, तत्थ य सूणाहिवइपए ठिओ समाणो ताई तारिसाई अकरणिज्जाइं समणुठ्ठित्ताणं गओ सो गोयमा ! सत्तमाए पुढवीए अपइठ्ठाणनामे निरयावासे सावज्जायरियजीवो, एवं तं तत्थ तारिसं घोरपचंडरोई सुदारूणं दोक्खं तित्तीसं सागरोवमं जाव कहकहवि किलेसेणं समणुभविऊणं इहागओ समाणो उववन्नो अंतरदीवे एगोरूयजाई, तओवि मरिऊणं उववन्नो तिरियजोणीए महिसत्ताए, तत्थ य जाइं काइंपि णारगदुक्खाइं तेसिं तु सरिसनामाइं अणुभविऊणं छव्वीसं संवच्छराणि तओ गोयमा ! मओ समाणो उववन्नो मणुएसु, तओ गओ वासुदेवत्ताए सो सावज्जायरियजीवो, तत्थवि अहाऊयं परविलिऊणं अणेगसंगामारंभपरिग्गहदोसेण मरिऊण गओ सत्तमाए, तओवि उव्वट्टिऊण सुइरकाला उववन्नो गयकन्नो नाम मणुयजाई, तओवि कुणिमाहारदोसेणं कूरज्झवसायमई गओ मरिऊणं पुणोवि सत्तमाए तहिं चेव अपठ्ठाणे निरयावासे, तओ उव्वट्टिऊणं पुणोवि उववन्नो तिरिएसु महिसत्ताए, तत्थवि णं नरगोवमं दुक्खमणुभवित्ताणं मओ समाणो उववन्नो बालविहवाए पंसुलीमाहणधूयाए कुच्छिसि, अहऽन्नया निउत्तपच्छन्नगब्भसाडणपाडणखारजुण्णजोगदोसेणं अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीरो सिडिहिडंतो कुट्ठवाहीए परिगलमाणो सलसलंतकिमिजालेणं खज्जतो नीहरिओ नरओवमघोरदुक्खनिवासाओ गब्भवासाओ गोयमा ! सो सावज्जयरियजीवो, तओ सव्वलोगेहिं निदिज्जमाणो गरहिज्जमाणो दुगुंछिज्जमाणो खिसिज्जमाणो सव्वलोगपरिभूओ पाणखाणभोगोवभोगपरिवरिवज्जिओ गब्भवासपभितीए चेव विचित्तसारीरमाणसिगघोरदुक्खसंतत्तो सत्त संवच्छरसयाई दो मासे य चउरो दिणे य जाव जीविऊणं मओ समाणो उववन्नो वाणमंतरेसुं, तओ चुओ उववन्नो मणुएसुं पुणोवि सूणाहिवत्ताए तओवि तक्कम्मदोसेणं सत्तमाए तओवि उव्वट्टेऊणं उववन्नो तिरिएसुं चक्कियघरंसि गोणत्ताए, तत्थ य चक्कसगडलंगलायट्टणेणं अहन्निसं जुयारोवणेणं पच्चिऊणं कुहियउव्वियं खंधं संमुच्छिए य किमी ताहे अक्खमीहूयं खंधं जुयधरणस्स विण्णाय पट्टीए वाहिउमारतो तेणं चक्किएणं, अहऽन्नया कालक्कमेणं जहा खंधं तहा पच्चिऊण कुहिया पट्ठी, तत्थावि संमुच्छिए किमी, सडिऊण विगयं च पट्ठिचम्म, ता अकिंचियरं निप्पओयणंति णाऊइ मोक्कलिओ गोयमा ! तेणं चक्किएणं तं सलसलिंतकिमिजालेहिणं खज्जमाणं बइल्लं सावज्जायरियजीवं, तओ मोक्कलिओ समाणो परिसडियपट्ठिचम्मो बहुकायसाणकिमिकुलेहिं सबज्झब्भंतरे विलुप्पमाणो एकूणतीसं संवच्छराइं जाव आउयं परिवालेऊणं मओ समाणो उववण्णो अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीरो मणुएसुं महाधण्णस्स णं इब्भस्स गेहे, तत्थ यवमणविरेयणखारकडुतित्तकसायतिहलागुग्गलकाढगे आवीयमाणस्स निच्चविसोसणाहिंच असज्झाणुवसम्मघोरदारूणदुक्खेहिंपज्जालियस्सेव गोयमा ! गओ निप्फलो तस्स मणुयजम्मो, एवं च गोयमा सावज्जायरियजीवो चोद्दसरज्जुयलोगं जम्ममरणेहिं णं निरंतरं पडियरी (डि) ऊणं सुदीहाणंतकालाओ समुप्पन्नो मणुयत्ताए अवरविदेहे, तत्थ य भागवसेणं लोगाणुवत्तीए गओ तित्थयरस्स वंदणवत्तियाए पडिबद्धोय पव्वइओ, सिद्धो अइह तेवीसमतित्थयरपासणामस्स काले, एयं तं गोयमा ! सावज्जायरिएण पावियं, से भयवं ! किंपच्चइयं तेणाणुभूयं एरिसं दूसहं घोरदारूणं महादुक्खसंनिवायसंघट्टमित्तियकालं ति?, गोयमा ! जं भणियं तक्कालसमयं जहाणं 'उस्सग्गाववाएहिं आगमो ठिओ, एगंतो मिच्छत्तं, जिणाणमाणा अणेगंतोत्ति' एयवयणपच्चइयं, से भयवं! किं उस्सग्गाववाएहिं णं नो ठियं आगमं?, एगंतं च पन्नविज्जइ ?, गोयमा उस्सग्गाववाएहिं चेव पवयणं ठियं, अणेगंतं च पन्नविज्जइ, णो णं एगंतं, णवरं आउक्कायपरिभोगं तेउकायसमारंभं ' मेहुणासेवणं च एते तओ थाणंतरे एगंतेणं ३ निच्छयओ ३ बाढं ३ सव्वहा सव्वपयारेहिं णं आवहियट्ठिणं निसिद्धति, एत्थं च सुत्ताइक्कमे सम्मग्गवियसमारंभं उम्मग्गपंरिसणं तओ य आणाभंगं आणाभंगाओ अणंतसंसारी, से भयवं ! किं तेण सावज्जायरिएणं मेहुणमासेवियं ?, गोयमा सेवियासेवियं, णो सेवियं णो असेवियं, से भयवं केण अटेणं एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जं तीए अजाए तक्कालं उत्तिमंगेणं पाए फरिसिए, फरिसिज्जमाणे य णो तेण आउंटिय संवरिए, एएणं अठेणं एवं गोयमा ! वुच्चइ, से भयवं ! एगभवावसेसीकओ आसी भवोयही ता किमेयमणंतसंसाराहिंडणंति ?, गोयमा ! निययपमायदोसेणं, तम्हा एयं वियाणित्ता भवविरहमिच्छमाणेणं गोयमा ! सुदिठ्ठसमयसारेणं गच्छाहिवइणा सव्वहा सव्वपयारेहिं णं सव्वत्थामेसु अच्चंत अप्पमत्तेणं गवियव्वंति बेमि ॥२९|| ★★★ sxercf5555555555555555555555[ श्री आगमगुणभजूषा - १४०८ 55555555555 5 55555555FOTORY GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明心? Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Merro555555555555555 555555555555555555 FRO555555555555555 (३५) महानिसीह छैयसुतं (२) छ.अ. [४८] $$$$$$$ O DE महानिसीहसुयक्खंधस्स दुवालसंगसुयनाणस्सणवणीयसारनामं पंचमं अज्झयणं॥५॥★★★भयवं! जो रत्तिदियह सिद्धतं पढइ सुणेइ वक्खाणेइ चिंतए सततं सो किं अणायारमायरे ?, 'सिद्धंतगयमेगंपि, अक्खरं जो वियाणई। सो गोयम ! मरणंतेविऽणाचारं नो समायारे ।१। से भयवं ! ता कीस दसपुव्वी णंदिसेणे महायसे पव्वज्ज चिच्चा गणिकाइ गेहं पविट्ठो य वुच्छई ?, गोयमा ! 'तस्स पसिद्धं मे भोगहलं खलियकारणं । भवभयभीओतहावि दुयं, सो पव्वज्जमुवागओ ॥१॥ पायालं अवि अड्डमुहं, सग्गं होज्जा अहोमुहं । ण उणो केवलिपन्नत्तं, वयणं अन्नहा भवे ।।२।। अन्नं सो बहुवाए वा, सुयनिबद्धे वियारिउ । गुरूणो पामूले मोत्तूणं, लिंगं निव्विसओ गओ ।।३।। तमेव वयणं सरमाणो, दंतभग्गो (दत्तभंगो) सकम्मुणा। भोगहलं कम्मं वेदेइ, बद्धपुठ्ठनिकाइयं ॥४|| भयवं! ते केरिसोवाए, सुयनिबद्धे वियारिए । जेणुज्झियसु सामन्नं, अज्जवि पाणे धेरइ सो ?।।५।। एते ते गोयमोवाए, केवलीहिं पवेइए । जहा विसयपराभूओ, सरेज्जा सुत्तमिमं मुणी ॥६|| तंजहातवमुद्ध (मठ्ठ) गुणं घोरं, आढवेज्जा सुदुक्करं । जया विसए उदिति, पडणासण विसं पिबे ॥७॥ उब्बंधिऊणं मरियव्वं, नो चरित्तं विराहए। अह एयाइं न सक्केज्जा, तागुरूणं लिंगं समप्पिया ||८|| विदेसे जत्थ नागच्छे, पउत्ती तत्थ गंतूणं । अणुव्वयं पालेज्जा, णो णं भविया णिद्धंधसे॥९॥ता गोयम ! णंदिसेणेणं, गिरिपडणं जाव पत्थुयं । तावायासे इमा वाणी, पडिओवि णो मरिज्ज तं ॥१०॥ दिसामुहाइं जा जोए, ता पेच्छे चारणं मुणिं । अकाले नत्थि ते मच्चू विसमविसमादितुं गओ॥१॥ ताहेवि अणहियासेहिं, विसएहिं जाव पीडिओ । ताव चिंता समुप्पन्ना, जहा किं जीविएण मे ?||२|कुंदेन्दुनिम्मलयरागं, तित्थं पावमती अहं । उड्डाहितोऽह सुज्झिस्सं, कत्थ गंतुमणारिओ ?||३|| अहवा सलंछणो चंदो, कुंदस्स उण कापहा । कलिकलुसमलकलंके हिं, वज्जियं जिणसासणं ||४|| ता एयं सयलदारिद्ददुहकिलेसक्खयंकरं । पवयणं खिंसावितो, कत्थ गंतूण सुज्झिहं ?||५|| दुग्गटकं गिरि रोढुं, अत्ताणं चुन्निमो धुवं । जाव विसयवसो णाहं, किंचिऽत्थुड्डाहं करं ॥६।। एवं पुणोवि आरोढुं, टंकुच्छिन्नं गिरीयर्ड । संवरे किल निरागारं, गयणे पुणरवि भाणियं ।।७।। अयाले नत्थि ते मच्चू, चरिमं तुब्भं इमं तणुं । ता बद्धपुठं भोगहलं, वेइत्ता संजमं कुरू ।।८।। एवं तुजाव बे वारा, चारणसमणेहिं सेहिओ। ताहे गंतूण सो लिंगं, गुरूपामूले निवेदिउं॥९॥ तं सुत्तत्थं सरेमाणो, दूरं देसंतरं गओ। तत्थाहारनिमित्तेणं, वेसाए घरमागओ ॥२०|| धम्मलाभं जा भणई, अत्थलाभं विभग्गिओ। तेणावि सिद्धिजुत्तेणं, एवं भवउत्ति भाणियं ॥१॥ अद्धतेरसकोडीओ, दविणजायस्स जा तहिं। हिरण्णविळिंदावेडं, मंदिरा पडिगच्छइ ।।२।। उत्तुंगथोरथणवट्टा, गणिगा आलिगिउं दढं भन्ने किं जासिमंदविणं, अविहीए दाउ ? चुल्लगा !||३|| तेणवि भवियव्वयं एयं, कलिऊणेयं पभाणियं । जहा जा ते विही इठ्ठा, तीए दव्वं प (आ) यच्छसु ॥४॥ गहिऊणाभिग्गहं ताहे, पविठ्ठो तीइ मंदिरं । एवं जहा न ताव म अहयं, भोयणपाणविहिं करे ॥५।। दस दस ण बोहिए जाव, दियहे २ अणूणिगे । पइन्ना जा न पुन्नेसा, काइयमोक्खं न ता करे ॥६|| अन्नं च न मे दायव्वा, F- पव्वज्जोवठ्ठियस्सवि । जारिसगं तु गुरूलिंगं, भवे सीसंपि तारिसं ॥७|| अखीणत्थं निहीकाउं, लुंचिओ खोसिओवि सो। तहाऽऽराहिओ गणिगाय, बद्धो जह म पेमपासेहिं ।।८।। आलावाओ पणओ पणयाउ रती रतीइ वीसंभो। वीसंभाओ णेहो पंचविहं वट्टए पेम्मं ।।९।। एवं सो पेम्मपासेहिं, बद्धोऽवि सावगत्तणं । जहोवइठ्ठ में करेमाणो, दस अहिए वा दिणे दिणे ॥३०|| पडिबोहिऊण संविग्गगुरुपामूले पवेसई । संफ्यं बोहिओ सोवि (णी), दुम्मुहेण (ह भणे) जहा तुमं ।।१।। धम्मं लोगस्स साहेसि, अत्तकज्जमि मुज्झसि । णूणं विक्केणयं धम्म, जं सयं णाणुचिठ्ठसि ॥२।। एयं सो वयणं सोच्चा, दुम्मुहस्स सुभासियं । थरथरथरस्स कंपंतो, निदिउंगरहिउं चिरं ||३|| हा हा हा हा अकजं मे, भठ्ठसीलेण किं कयं ?। जेणं तु सुत्तोऽप्पसरे, गुंडिओऽसुइ किमी जहा ||४|| धी धी धी धी अहन्नेणं, पेच्छ जं मेऽणुचिट्ठियं । जच्चकंचणसमऽत्ताणं, असुइसरिसं मए कय ||५|| खणभंगुरस्स देहस्स, जा विवत्तीण मे भवे । ता तित्थयरस्स पामूलं, पायच्छित्तं चरामिऽहं ||६|| एसमागच्छती एत्थं, चिठ्ठताणेव गोयमा !| घोरं चरिऊण पायच्छित्तं, संवेगाऽम्हेहिं भासियं ॥७|| घोरवीरतवं काउं, असुहकम्म खवेत्तु य । सुक्कज्झाणं समारूहिउँ, केवलं पप्प सिज्झिही॥८॥ता गोयमेयणाएणं, बहू उवाए वियारिया। लिंगं गुरूस्स अप्पेठ, नंदिसेणेण जह कयं ॥९॥ उस्सगं ता तुमं बुज्झ, सिद्धतेयं ज़हठ्ठियं । तवंतराउदयं तस्स, महंतं आसि गोयमा !||४०||तहावि जो विसउइन्ने, तवे घोरमहातवं । अगुणं तेणमणुचिन्नं, तावि विसए ण णिज्जए॥१॥ ताहे विसभक्खणं पडणं, अणसणं Mo:09555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १४०९155555555555555 55'EOOR 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听SO 1乐乐乐% 乐乐乐乐 15551 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) छ.अ. ते इच्छियं । एपि चारणसमणेहिं, बे वारा जाव सेहिओ ॥२॥ ताव य गुरूस्स स्यहरणं, अप्पिय तं देसंतरं गओ । एते ते गोयमोवाए, सुयनिबद्धे वियाणए || ३ || जहा = जाव गुरूणो न रयहरणं पव्वज्जा य न अल्लिया । तावाकज्जं न कायव्वं, लिंगमवि जिणदेसियं ॥ ४ ॥ अन्नत्थ ण उज्झियव्वं, गुरूणो मोत्तूण अंजलिं । जइ सो उवसामि सक्को, गुरू ता उवसामई ||५|| अह अन्नो उवसिमउं सक्को, तोऽवी तस्स कहिज्जई । गुरुणावि तयं णऽन्नस्स, गिरा वेयव्वं कयाइऽवी ||६|| जो भवियो वीयपरमठ्ठो, जगठ्ठिइवियाणगो । एयाइं तु पयाइं जो, गोयमा ! णं विडंबए ||७|| मायापवंचडंभेणं, सो भमिही आसडो जहा । भयवं ! न याणिभो कोऽवि, मायासीलो हुआ ? II ८॥ किं वा निमित्तमुवचरिओ, सो भमे बहुदुहट्टिओ। चरिमस्सऽन्नस्स तित्थंमि, गोयमा ! कंचणच्छवी ||९|| आयरिओ आसि भूइक्खो, तस्स सीसो स आसडो । महव्वयाइं घेत्तूणं, अह सुत्तत्थं अहिज्जिया ॥ ५० ॥ ताव कोऊहलं जायं, णो णं विसएहिं पीडिओ | चिंतेइ य जह सिद्धंते, एरिसो दंसिओ विही || १ || तस्स पमाणेणं, गुरूयणं रंजिउं दढं । तवं चठ्ठगुणं काउं, पडणाणसणं विसं ||२|| करेहामि जहाऽहंपि, देवयाए निवारिओ । दीहाऊ णत्थि ते मच्चू, भोगे भुंज जच्छि ||३|| लिंग गुरूस्स अप्पेउं, अन्नं देयंतरं वय । भोगहलं वेइया पच्छा, घोरवीरतवं चर ॥४॥ अहवा हा हा अहं मुढो, आयसल्लेण सल्लिओ । समणाणं रिसंजुत्तं, सयमवी मणसि धारिउं ||५|| पच्छा उ मे पच्छितं, आलोएत्ता लहुं धरे । अहवणं णं आलोउं, मायावी भन्निमो पुणो ||६|| ता दसवासे आयामं, मासक्खमणस्स पारणे । वीसायंबिलमादीहिं, दो दो मासाण पारणा ||७|| पणुवीसं वासे तत्थ, चंदायरेणेस य । छठ्ठठ्ठमदसमाई, अठ्ठ वासे यऽणूणगे ॥ ८ ॥ महघोरेरिसपच्छित्तं, सयमेवेत्थाणुचरं । गुरूपामूलेऽवि एत्थेयं, पायच्छित्तं मे ण अग्गलं ||९|| अहवा तित्थयरेणेस, किमठ्ठे वाइओ विही ? । जेणेयमहीयमाणोऽहं, पायच्छित्तस्स मेलिओ ?||६०|| अहवा-सोच्चिय जाणेज्न सव्वन्नू, पच्छित्तं अणुचराम्यहं । जमित्थं दुठ्ठचिंतिययं, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥१॥ एवं तं कठ्ठे घोरं, पायच्छित्तं सयंमती । काऊपि ससल्लो सो, वाणमंतरियं गओ ॥२॥ हिट्टिमोवरिमगेवेयविमाणे तेण गोयमा !। वयंतो आलोइत्ता, जइ तं पच्छित्तं कुव्विया ॥३॥ • वाणमंतरदेवत्ता, चइऊणं गोयमा ! ऽऽसडो । रासहत्ताएँ तिरिच्छेसुं, नरिंदघरमागओ ॥४॥ निच्वं तत्थ वडवाणं, संघट्टणदोसा तहिं । वसणे वाही समुप्पण्णा, किमी एत्थ संमुच्छिए ||५|| तओ किमिएहिं खज्जतो, वसणदेसंमि गोयमा ! | मुक्काहारो खिइं लेढे, वियणत्तो ताव साहुणो ||६|| अदूरेण पवोलेंते, दगुणं जाई सरेत्तु य । निदिउं गरहिउं आया, अणसणं पडिवज्जिया ||७|| कागसाणेहिं खज्जंतो, सुद्धभावेणं गोयमा ! अरहंताणंति सरमाणो, संमं उज्झिय सं तणूं ॥ ८॥ कालं काऊण देविंदमहाघोससमाणिओ । जाओ तं दिव्वं इडिं, समणुभोत्तुं तओ चुओ ||९|| उववन्नो वेसत्ताए, जा (न) सा नियडी ण पयडिया । तओवि मरिऊणं बहू, अंतर्पते कुलेऽडिओ ||७०|| कालक्कमेणं महुराए, सिवइंदस्स दियायणो । सुओ होऊणं पडिबुद्धो, सामन्नं काउं निव्वुडो ॥ १ ॥ एयं तं गोयमा ! सिहं, नियडीपुंजं तु आसडं । जे सव्वमुभणि, वयणं मणसा विडंबए ॥ २॥ कोऊहलेणं विसयाणं, ण उणं विसएहिं पीडिए । सच्छंदपायच्छित्तेण, भमिओ भवपरंपरं ॥ ३॥ एयं नाऊणमिक्कंपि, सिद्धंतिगमालावगं | जाणमाणो हु उम्मग्गं, कुज्जा जे सेविया ण हि ||४|| जो पुण सव्वसुयन्नाणं, अहं वा वयणंपि वा । णच्चा वएज्न मग्गेणं, तस्स अहो ण बज्झई, एयं नाऊण मणसावि, उम्मग्गं नो पव्वत्त ॥ ५॥ त्ति बेमि, 'भयवं ! अकिच्चं काऊणं, पच्छित्तं जो करेज्ज वा । तस्स लट्ठयरं पुरओ, जं अकिंच्चं न कुव्वई ? ||६|| ताऽजुत्तं गोयमा ! मिणमो, वयणं मणसावि धारिउं। जहा काउमकत्तव्वं, पच्छित्तेणं तु सुज्झिहं ॥७॥ जो एयं वयणं सोच्चा, सद्दहे अणुचरेस वा । भट्ठसीलाणं सव्वेसिं, सत्थवाहो स गोयमा ! ॥८॥ एसो काउंपि पच्छित्तं, पाणसंदेहकारणं । आणाअवराह दीवसिहं, पविसे सलभो जहा ||९|| भयवं ! जो बलं विरियं, पुरिसयारपरक्कमं । णिगूहंतो तवं चरइ, पच्छित्तं तस्स किं भवे ॥८०॥ तस्सेयं होइ पच्छित्तं, असढभावस्स गोयमा !। जो तं थामं वियाणेत्ता, वेरी सन्तिमवेक्खिया ॥१॥ जो बलं वीरियं सत्तं, पुरिसयारं निगूहए । सो सपच्छित्तपच्छित्तो, सढसीलो नराहमो ॥२॥ नीयागोयं दुहं घोरनरए सुक्कोसियठ्ठितिं । वेदेतो तिरिजोणीए, हिंडेज्जा चउगईऍ सो ||३|| से भयवं ! पावयं कम्मं, परं वेइय समुद्धरे । अणणुभूएण णो मोक्खं, पायच्छित्तेण किं तहिं ? ॥४॥ गोयमा ! वासकोडीहिं, जं अणेगाहिं संचियं । तं पच्छित्तरपट्टं, पावं तुहिणं व विलीयइ ||५|| घणघोरंधयारतमतिमिस्सा, जह सूरस्स गोयमा ! | पायच्छित्तरविस्सेयं, पावं कम्मं पणस्सए ||६|| णवरं जइ तं पच्छित्तं, श्री आगमगुणमंजूषा - १४१० Yoon 666666666 [४९ ] 5 5 5 5 5 5 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ. [५० ] भणित समुद्धरे। (बलवीरिय) असढभावो अणिगूहियपुरिसयारपरक्कमे ||७|| अन्नं च काउ पच्छित्तं, सव्वथेवं णमणुच्चरे जो । दरुद्धियसल्लो यऽप्पेसो, दीहं चाउग्गइयं अडे ॥८॥ भयवं ! कस्सालोएज्जा ?, पच्छित्तं को व देज्न वा ? कस्स व पच्छित्तं देज्जा ? आलोयावेज्ज वा कहं १ ||९|| गोयमालोयणं ताव, केवलणं सुवि। जोयणसएहिं गंतूण, सुद्धभावेहिं दिज्जए ||१०|| चउनाणीणं तयाभावे, एवं ओहि मईसुए । जस्स विमलयरे तस्स, तारतम्मेण दिज्जई || १ | उस्सग्गं पन्नविंतस्स, उस्सग्गे पट्ठियस्स य । उस्सग्गरुइणो चेव, सव्वभावंतरेहिं णं ॥ २॥ उवसंतस्स दंतस्स, संजयस्स तवस्सिणो । समितीगुत्तिपहाणस्स, दढचारित्तस्सासढभाविणो ||३|| आलोएज्जा पडिच्छेज्जा, दिज्जा दाविज्ज वा परं । अहन्निसं तदुद्दिनं, पायच्छित्तं अणुच्चरे ||४|| से भयवं ! कित्तियं तस्स, पच्छित्तं हवइ निच्छियं ? | पायच्छित्तस्स ठाणाई, केवइयाई ? कहेहि मे ॥ ५॥ गोयमा ! जं सुसीलाणं, समणाणं दसण्ह उ । खलियागयपच्छित्तं, संजई तं नवगुणं ॥ ६ ॥ एक्का पावइ पच्छित्तं, जइ सुसीला दढव्वया । अह सीलं विराहेज्जा, ता तं हवइ सयगुणं ॥ ७॥ तीए पंचेदिया जीवा, जोणीमज्झे निवासिणो । सामन्नं नव लक्खाई, सव्वे पासंति केवली ॥८॥ केवलनाणस्स ते गम्मा, णोऽकेवली ताई पासती । ओहिनाणी वियाणेए णो पासे मणपज्जवी ||९|| ता पुरिसं संघट्टंती, कोण्हगंमि तिले जहा । सव्वेसु सुसूरावेइ, रंतुं मत्ता महन्नि (न्ति) या ॥ १०० ॥ चकम्मंतीइ गाढाई, काइयं वोसिरंतिया । वावाइज्जा य दो तिन्नि, सेसाई परियावई || १ || पायच्छित्तस् ठाणाई, संखाईयाई गोयमा !! अणालोइयंतो हु एक्कंपि, ससल्लमरणं मरे ||२|| सयसहस्सनारीणं, पोट्टं फालित्तु निग्घिणो । सत्तट्ठमासिए गब्भे, चडफडते णिगिंतई ||३|| जं तस्स जत्तियं यावं तत्तियं तं नवं गुणं । एक्कसि त्थीपसंगेणं, साहू बंधेज्ज मेहुणे ||४|| साहुणीए सहस्सगुणं, मेहुणेक्कसिं सेविए । कोडीगुणं तु बिज्जेणं, तइए बोही पणस्सई ॥५॥ जो साहू इत्थियं दट्टु, विसयट्टो रामेहिई । बोहिलाभा परिब्भट्ठो, कहं वराओ स होहीइ ? ॥६॥ अबोहिलाभियं कम्मं, संजओ अह संजई । मेहुणे सेविए आऊतेउक्काए पबंधई ||७|| जम्हा तीसुवि एएसु, अवरज्झतो हु गोयमा !। उम्मग्गमेव ववहारे, मग्गं निट्ठपइ सव्वहा ||८|| भगवं ! ता नाएणं, जे गारत्थी मउक्कडे । रत्तिंदिया ण छडंति, इत्थीयं तस्स का गई ? ||९|| ते सरीरं सहत्थेणं, छिदिऊणं तिलंतिलं । अग्गीए जइवि होमंति, तोऽवि सुद्धी दीसई ॥११०॥ तारिसोवि णिवित्तिं सो, रट्टारस्स जई करे। सावगधम्मं च पालेइ, गई पावेइ मज्झिमं || १ || भयवं ! सदारसंतोसे, जइ भवे मज्झमं गई । ता सरीरेऽवि होमंतो, कीस सुद्धिं णं पावई ? ||२|| सदारं परदारं वा, इत्थी पुरिसो व गोयमा !! रमंतो बंधए पावं, णो णं भवइ अबंधगो ॥ ३॥ सावगधम्मं जहुत्तं जो, पाले परदारगं चए । जावज्जीवं तिविहेणं, तमणुभावेण सा गई ||४|| णवरं नियमविहूणस्स, परदारगमण (ग) स्स य । अणियत्तस्स भवे बंधं, णिवित्तीए महाफलं ॥५॥ सुथेवाणंपि निवित्तिं, जो मणसावि विराहए। सो मओ दुग्गइं गच्छे, मेघमाला जहऽज्जिया ॥ ६ ॥ मेघमालज्जियं नाहं, जाणिमो भुवणबंधव !| मणसावि अणुनिव्वत्तिं, जा खंडिय दुग्गइं गया ||७|| वासुपुज्जस्स तित्यंमि, भोला कालगच्छवी । मेघमालऽज्जिया आसि, गोयमा ! मणदुब्बला ॥८॥ सा नियमोगासे पक्खं दाउ, काउं भिक्खा य निग्गया । अन्नओ एत्थिणी सारमंदिरोवरि संठिया ||९|| आसन्नमंदिरं अन्नं लंघित्ता गंतुमिच्छगा। मणसाऽभिनंदेवं जा(व), ताव पज्जलिया दुवे ॥ १२० ॥ नियमभंग तयं सुहुमं, तीए तत्थ ण णिदियं । तंनियमभंगदोसेणं, डज्झित्ता पढमियं गया || १ || एवं नाउं सुहुमंपि, नियमं मा विराहिह । जेच्छिया अक्खयं सोक्खं, अणंतं च अणोवमं ॥२॥ तक्संजमे वएसुं च, नियमो दंडनायगो । तमेव खंडमाणस्स, ण वए णो व सजमे ||३|| आजम्मेणं तु जं पावं, बंधेज्जा मच्छबंधगो । वयभंगं काउमणस्स, तं चेवगुणं मुणे ||४|| सयसहस्सं सलद्धीए जोवसामित्तु निक्खेमे । वयं नियमखंडतो, जं सो तं पुन्नमज्जिणे ||५|| पवित्ता य निवित्ता य, गारत्थी संजमे तवे । जमणुट्ठिया तयं लाभं, जाव दिक्खा न गिव्हिया ॥६॥ साहुसाहुणीवग्गेणं, विन्नायव्वमिह गोयमा !। जेसिं मोत्तूण ऊसासं, नीसासं नाणुजाणियं ॥७॥ तमवि जयणाए अणुन्नायं, विजयणाए ण सव्वहा । अजयणाइ ऊससंतस्स, कओ धम्मो ? कओ तवो ? ||८|| भयवं ! जावइयं दिट्ठ, तावइयं कहऽणुपालिया । जे भवे अवीयपरमत्थे, किच्चाकिच्चमयाणगे ? ||९|| एगंतेणं हियं वयणं, गोयम ! दिस्संति केवली । णो बलमोडीइ कारेति, हत्थे घेत्तूण जंतुणो || १३० || तित्थयरभासिए MO श्री आगमगुणमंजूषा १४११ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K666666666666 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ. 新FER वणे, जे तत्ति अणुपालिया । सिंदा देवगणा तस्स, पाए पणमंति हरिसिया ||१|| जे अविइयपरमत्थे, किच्चाकिच्चमजाणगे । अंधोअंधीए तेसिं समं, जलथलं गड्डठिक्करं ||२|| गीयत्थो य विहारो, बीओ गीयत्थमीसओ । समुणुन्नाओ सुसाहूणं, नत्थि तइयं वियप्पणं || ३ || गीयत्थे जे सुसंविग्गे, अणालस्सी दढव्वए । अखलियचारित्ते सययं, रागद्दोसविवज्जए ||४|| निट्टवियट्ठमयट्ठाणे, समियकसाये जिइंदिए । विहरेज्जा तेसिं सद्धिं तु, ते छउमत्थेवि केवली ||५|| सुहुमस्स पुढवीजीवस्स, जत्थेगस्स किलामणा । अप्पारंभं तयं बेति, गोयमा ! सव्वकेवली ||६|| सुहुमस्स पुढवीजीवस्स, वावत्ती जत्थ संभव । महारंभं तयं बिति, गोयमा ! सव्वकेवली ।।७।। पुढवीकाइयं एक्कं, दरमलेंतस्स गोयमा !। अस्सायकम्मबंधो हु, दुव्विमीक्खे ससल्लिए || ८|| एवं च आऊतेऊवाऊ तह वणस्सती । तसा तह, चिक्कणं चिणइ पावगं ॥९॥ तम्हा मेहुणसंकप्पं, पुढवादीण विराहणं । जावज्जीवं दुरंतफलं, तिविहंतिविहेण वज्जए ॥ १४०॥ ता जेऽविदियपरमत्थे, गोयमा ! णो य जे हा ते विवज्जेज्जा, दोग्गईपंथदायगा ॥ १ ॥ गीयत्थस्स उ वयणेणं, विसं हलाहलं पिबे । निव्विकप्पो पभक्खेज्जा, तक्खणा जं समुद्दवे ||२|| परमत्थओ विसं तोसं(नो तं), अमयरसायणं खु तं । णिव्विकप्पं णं संसारे, मओवि सो अमयस्समो ||३|| अगीयत्यस्स वयणेणं, अमयंपि ण घोट्टए । जेण अयरामरे हविया, जह [५१] मरिजिया ||४|| परमत्थओ ण तं अमयं, संविसं तं हलाहल । ण तेण अयरामरो होज्जा, भक्खणा निहणं वए ||५|| अगीयत्यकुसीलेहिं, संगं तिविहेण वज्जए । मोक्खमग्गस्सिमे विग्घे, पहंमी तेणगे जहा ||६|| पज्जलियं हुयवहं दटूटुं, णीसंको तत्थ पविसिउं । अत्ताणंपि डहिज्जासि, नो कुसीले समल्लिए॥७॥ वासलक्खंपि सूलीए संभिन्नो अच्छिया सुहं । अगीयत्थेण समं एक्क, खणद्धपि न संवसे ॥ ८॥ विणावि तंतमंतेहिं, घोरदिट्ठीविसं अहिं । डसंतंपि समल्लीय, णागीयत्थं कुसीलाहमं ||९|| विसं खाजाए हलाहलं, तं किर मारेइ तक्खण । ण करेऽगीयत्थसंसग्गिं, विढवे लक्खंपि जं तहिं || १५० || सीहं वग्धं पिसायं वा, घोररुवयभयंकरं । ओगिलमाणंपि लीएज्जा, ण कुसीलमगीयत्थं तहा ॥ १॥ सत्तजम्मंतरं सत्तु, अवि मन्निज्जा सहोयरं । वयनियमं जो विराहेज्जा, जणयं पिक्खे तयं रिडं ॥ २ ॥ वरं पविट्ठो यासणं, न यावि नियमं सुहुमं विराहियं । वरं हि मच्चू सुविसुद्धकम्मुणो, न यावि नियमं भंतूण जीवियं ॥ ३॥ अगीयत्थत्तदोसेण, गोयमा ! ईसरेण उ । जं पत्तं तं निसामेत्ता, लहु गीयत्थो मुणी भवे ॥ ४॥ से भयवं ! णो वियाणेऽहं, ईसरां कोवि मुणिवरो। किं वा अगीत्थदोसेणं, पत्तं तेण ? कहेहि णो ॥५॥ चउवीसिगाए अन्नाए, एत्थ भरहंमि गोयमा ! पढमे तित्थकरे जइया, विहीपुव्वेण निव्वुडे ॥ ६ ॥ तइया निव्वाणमहिमाए, कंतरुवे सुरासुरे। निवयंते उप्पयंते व, दहुं पच्चंतवासिउ ||७|| अहो अच्छेरयं अज्ज, मच्चलोयंमी पेच्छिमो। ण इंदजाल सुमिणं वावि दिवं कत्थई पुणो ॥ ८॥ एवं वीहापोहाए, पुव्विं जाई सरित्तु सो। मोहं गंतूण खणमेक्कं, मारुयाऽऽसीसिओ पुणो ||९|| थरथरथरस्स कंपंतो, निदिउं गरहिउं चिरं । अत्ताणं गोयमा ! धणियं, सामन्न गहिउमुज्जओ || १६०|| अह पंचमुट्ठियं लोयं, जावाढवइ महायसो । सविणयं देवया तस्स, रयहरणं ताव ढोयई ॥१॥ उग्गं कट्टं तवच्चरणं, तस्स दवण ईसरो । लोओ पूयं करेमाणो, जाव उ गंतूण पुच्छई ||२|| केण तं दिक्खिओ ? कत्थ ?, उप्पन्नो को कुलो तव ? सुत्तत्थं कस्स पामूले, साइसयं हो समज्जियं ? ||३|| सो पच्चएगबुद्धो जा, सव्वं तस्स वियागरे । जाई कुलं दिक्खा सुत्तं, अत्थं जह य समज्जियं ||४|| तं साऊण अहन्नो सो, इमं चिंतेइ गोयमा !। अलिया अणरिओ ए६स, लोगं डंभेण परिमुसे ॥ ५ ॥ ता जारिसमेसं भासेइ, तारिसं सोऽवि जिणवरो। ण किंचित्थ वियारेणं, तुण्डिक्केई चिरंठिए ||६|| अहवा हि णहि सो भगवं ! देवदाणवपणमिओ । मणोगयंपि जं मज्झ, तंपि च्छिन्निज्ज संसयं ||७|| तावेस जो होउ सो होउ, किं वियारेण एत्थ मे ? अभिणंदामीह पव्वज्जं, सव्वदोक्ख (स) विमोक्खणिं ||८|| ता पडिगओ जिनिंदस्स, सयासे जा तं णेक्खई । भुवणेसं जिणवरं ताव, गणहरसामी पओि ॥ ९॥ परिनिव्वयंमि भगवंते, धम्मतित्थंकरे जिणे । जिणाभिहियसुत्तत्थं, गणहरो जा परुवई || १७० || तावमालावगं एयं, वक्खाणंमि समागयं । पुढवीकाइगमेगं जो, वावाए सो असंजओ || १|| ता ईसरो विचिंतेई, सुहुमे पुढविकाइए । सव्वत्थ उद्दविज्जंति, को ताइं रक्खिउं तरे ?||२|| हलुईकरेइ अत्ताणं, एत्थं एस महायसो । असद्धेयं जणे सहलं (यले), किमत्थेयं पवक्खई ? ||३|| अच्छंतकडयडं एयं, वक्खाणं तस्सवी फुंड । कण्ठसोसो परं लाभे, एरिसं कोऽणुचिट्ठए ? ||४|| ता एयं विप्पमोत्तूणं, सामन्नं किंचि मज्झिमं । जं वा तं वा कहे धम्मं, ता लोउडम्हा ण उट्टई ||५|| अहवा हा हा अहं मूढो, पावकम्मी णराहमो । णवरं जइ णाणुचिट्ठामि, श्री आगमगुणमंजूषा १४१२ SOYON Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ. [५२ ] अन्नोऽणुचेट्टती जणो ||६|| जेणेयमणं-तनाणीहिं, सव्वन्नूहिं पवेदियं । जो एहिं अन्नहा वाए, तस्स अट्ठो ण बज्झ (विज्ज) ई ||७|| ताहमेयस्स पच्छित्तं, घोरं मइदुक्करं वरं | लहु सिग्धं सुसिग्घयरं, जाव मच्चू ण मे भवे ॥८॥ आसायणाकयं पावं, आसंजेण विकुव्व(किंत) ती । दिव्वं वाससयं पुन्नं, अह सो पच्छित्तमाचरे ॥९॥ तं तारिसं महाघोरं, पायच्छित्तं सयंमई। काउं पत्तेयबुद्धस्स, सयासे पुणोवि गओ ॥ १८०॥ तत्थावि जा सुणे वक्खा, तावऽहिगारमिमागयं । पुढवादीण समारंभ, साहू तिविहेण वज्जए || १|| दढमूढो हुत्थ जोई ता, ईसरो मुक्खमब्भुओ । चितेतेवं जहित्थ जए, को ण ताइं समारभे ? ॥ २॥ पुढवीए ताव एसेब, समासीणोवि चिट्ठई । अग्गीए द्वयं खायs, (सव्वं बीयसमुब्भवं) ||३|| अन्नंच विणा पाणेणं खणमेक्कं जीवए कहं ? ता किंपितं पचक्खेस, जं पच्चुय-मत्यंतियं ॥४॥ इमस्सेव समागच्छे, ण उणेयं कोइ सद्दहे । ता चिट्ठउ ताव एसेत्थं, वरं सो चेव गणहरो ||५|| अहवा एसो न सो मज्झं, एक्कोवि भणियं करे। अलिया एवंविहं धम्मं, किंचुद्देसेणं तंपिय ||६|| साहिज्जई जो सुवे किंचि, ण त्तणमच्चंतकडयडं । अहवा चिट्टंतु तावेए, अहयं सयमेव वागरं ॥ ७॥ सुहंसुहेणं जं धम्मं, सव्वोवि अणुट्ठए जणो । न कालं कडयडस्सऽज्न, धम्मस्सिति जाव चिंतइ ॥८॥ धडहडितोऽसणी ताव, णिवडिओ तस्सोवरिं । गोयम निहणं गओ ताहे, उववन्नो सत्तामाएँ सो ||९|| सासण ( मण्ण ) - सुयनाणसंसग्गपडिणीयत्ताए ईसरो । तत्थ तं दारुणं दुक्खं, नरए अणुभविडं चिरं ॥ १९०॥ इहागओ समुद्दमि, महामच्छो भवेउणं । पुणोवि सत्तमाए य, तित्तीसं सारो || १ || दुव्विसहं दारुणं दुक्खं, अणुहविऊणिहागओ । तिरियपक्खीसु उववन्नो, कागत्ताएस ईसरो ||२|| तओवि पढमियं गंतुं, उव्वट्टित्ता इहागओ । दुट्ठसाणो भवेत्ताणं, पुणरवि पढमियं गओ || ३ || उव्वट्टित्ता तओ इहई, खरो होउं पुणो मओ । उववन्नो रासहत्ताए, छन्भवगहणे निरंतरं ||४|| ताहे मणुस्सजाईए, सप्पन्न पुणो ओ । उववन्नो वणयरत्ताए, माणुसत्तं समागओ || ५|| तओऽवि मरिउं समुप्पन्नो, मज्जारते स ईसरो । पुणोवि निरए गंतुं, (इह) सीहत्तेणं पुणो मओ ||६|| उववज्जिउं चउत्थीए, सीहत्तेण पुणोऽविह। मरिऊणं चउत्थीए, गंतुं इह समागओ ॥७॥ तओवि नरयं गंतु, चक्कियत्तेण ईसरो । तओवि कुट्ठी होऊणं, बहुदुक्खद्दिओ ओ ॥ ८॥ किमिएहिं खज्जमाणस्स, पन्नासं संवच्छरे । जाऽकामनिज्जरा जाया, तीय देवेसुववज्जिउं ||९|| तओ इह नरीसत्तं, लद्धूणं सत्तमिं गओ । एवं नरगतिरिच्छेसुं, कुच्छियमकुएस ईसरो ॥ २००॥ गोयम ! सुइरं परिब्भमिउं, घोरदुक्खसुदुक्खिओ । संपइ गोसालओ जाओ, एस सच्चेवी - सरज्जिओ ॥ १॥ तम्हा एयं वियाणेत्ता, अचिरा गीयत्थे मुणी । भवेज्जा विदियपरमत्थे, सारासारपरिन्नुए ||२|| सारासारमयाणेत्ता, अगीयत्थत्तदोसओ । वयमेत्तेणावि रज्जाए, पावगं जं समज्जियं ॥ ३ ॥ ते तीए अहन्नाए, जा जा होही नियंतणा । नारयतिरियकुमाणुस्से, तं सोच्चा को धिनं लभे १ ||४|| से भयवं ! का उण सा रज्जिया किं वा तीए अगीयदोसेण वयमेत्तेणंपि पाव्वकम्मं समज्जियं जस्स णं विवागयं सोऊणं णो धिई लभेज्जा ? गोयमा ! णं इहेव भारहे वासे भद्दो नाम आयरिओ अहेसि, तस्स य पंच साहूणं महाणुभागाणं दुवालससए निग्गंथीणं, तत्थ य गच्छे चउत्थरसियं ओसावणं तिदंडोव्वित्तं च कढिउदगं विप्पमोत्तूणं चउत्थं न परिभुज्जइ, अन्नया रज्जानामा अज्जियार पुव्वकयसुहपाव-कम्मोदएणं सरीरंग कुट्ठवाहीए परिसडिऊण किमएहिं समुद्दिसिउमार, अहऽन्नया परिगलंतपूइरुहिरतणू तं रज्जज्जियं पासिया ताओ व संजईओ भांति जहा हला हला दुक्करकारगे ! किमेयंति ?, ताहे गोयमा ! पडिभणियं तीए महापावकम्माए भग्गलक्खणजम्माए रज्जज्जियाए, जहा एएफासुगपाणगेण आविज्नमाणेणं विणद्वं मे सरीरगंति, जावेयं पलवे ताव णं संखुहियं हिययं गोयमा सव्वसंजईसमूहस्स, जहा णं विवच्छामो फासुगपाणगंति, ओएगा तत्थ चितियं संजईए-जहा णं जई संपयं चेव ममेयं सरीरगं एगनिमिसब्भंतरेणेव पडिसडिऊणं खंडखंडेहि परिसडेज्जा तहावि अफासुगोदगं इत्थ जंमे परिभुंजाम, फासुगोदगं न परिहरामि, अन्नंच- किं सच्चमेयं फासुगोदगेणं इमीए सरीरगं विणठ्ठे ?, सव्वहा ण सच्चमेयं, जओ णं पुव्वकयअसुहपावकम्मोदएणं सव्वमेवंविहं वहति सुठुयरं चिंतिउं पयत्ता, जहा णं भो पेच्छ २ अन्नाणदोसोवहयाए दढमूढहिययाए विगतलज्जाए इमीए महापावकम्माए संसारघोरदुक्खदायगं रिसं दुद्रुवयण गिराइयं ?, जं मम कन्नविवरेसुंपि णो पविसेज्जत्ति, जओ भवंतरकएणं असुहपावकम्मोदएणं जंकिंचि दारिद्ददुक्खदोहग्गअयसब्भक्खाणकुडाइवाहिकिलेससन्निवायं देहंमि संभवइ, न अन्नहत्ति, जेणं तु एरिसमागमे पढिज्जइ, तंजहा को देइ फस्स देज्जइ विहियं को हरइ हीरए कस्स ? । सयमप्पणो Education International 2010 03 11144445 श्री आगमगणमंजवा - १४१३ (GEO TOR Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOR9555555555555555555555555555555555555555555555555Song XOXO5555555555555559 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ. [५३] विढत्तं अल्लियइ दुहंपि सुक्खंपि ॥२०५|| चिंतमाणीए चेव उप्पन्नं केवलनाणं, कया य देवेहिं केवलिमहिमा, केवलिणावि णरसुरासुराणं पणासियं संसयतमपडलं अज्जियाणं च, तओ भत्तिभरनिब्भराए पणामपुव्वं पुट्ठो केवली रज्जाए, जहा भयवं ! किमठ्ठमहं एमहंताणं महावाहिवेयणाणं भायणं संवुत्ता ?, ताहे गोयमा ! सजलजलहरसुदुंदुहिनिग्घोसमणोहारिगंभीरसरेणं भणियं केवलिणा-जहा सुणसु दुक्करकारिए ! जं तुज्झ सरीरविहडणकारणंति, तए रत्तपित्तदूसिए अभंतरओ सरीरगे सिणिद्धाहारमाकंठयए कोलियगमीसं परिभुत्तं, अन्नंचएत्थ गच्छे एत्तिए सए साहुसाहुणीणं तहावि जावइएणं अच्छीणि पक्खलिज्जति तावइयंपि बाहिरपाणगं सागारियट्ठाइनिमित्तेणाविणो णं कयाइ परिभुज्जइ, तए पुण गोमुत्तपडिग्गहणगयाए तस्स मच्छियाहिं भिणिहिणितसिंघाणगलालोलियवयणस्स णं सड्ढगसुयस्स बाहिरपाणगं संघट्टिऊण मुहं पक्खालियं, तेण य बाहिरपाणयसंघट्टणविराहणेणं ससुरासुरजगवंदाणंपि अलंघणिज्जा गच्छमेरा अइक्कमिया, तं च ण खमियं तुज्झ पवयणदेवयाए, जहा साहूणं साहुणीणं च पाणोवरमेवि ण छि (क) प्पे हत्थेणावि जं कूवतलायपुक्खरिणिसरियाइमतिगयं उदगंति, केवलं तु जमेव विराहियं ववगयसयलदोसं फासुगं तस्स, परिभोगं पन्नत्तं वीयरागेहि, ता सिक्खवेमि एसा हू दूरायारा जेणऽन्नावि कावि ण एरिसमायारं पवत्तेइत्ति चितिऊणं अमुगं २ चुण्णजोगं समुद्दिसमाणाए पक्खित्तं असणमज्झमि ते देवयाए, तं च ते णोवलक्खिउं सक्कियंति देवयाए चरिय, एएण कारणेणं ते सरीरं विहडियंति, ण उण फासुदगपरिभोगेणंति, ताहे गोयमा ! रज्जाए विभावियं जहा एवमेयं ण अन्नहत्ति, चितिऊण विन्नविओ केवली-जहा भयवं ! जइ अहं जहुत्तं पायच्छित्तं चरामि ता किं पन्नप्पइ मज्झं एयं तणुं?, तओ केवलिणा भणियं-जहा जइ कोइ पायच्छित्तं पयच्छइ ता पन्नप्पइ, रज्जाए भणियं-जहा भयवं ! जहा तुम चिय पायच्छित्तं पयच्छसि, अन्नो को एरिसमहप्पा ?, तओ केवलिणा भणियं-जहा दुक्करकारिए ! पयच्छामि अहं ते पच्छित्तं नवरं पच्छित्तमेव णत्थि जेणं ते सुद्धी भवेज्जा, रज्जाए भणियं भयवं! ' किं कारणंति ?, केवलिणा भणियंजहा जं ते संजइवंदपुरओ गिराइयं जहा मम फासुयपाणगपरिभोगेण सरीरगं विहडियंति, एयं च दुठ्ठपावमहासमुदाएक्कपिंडं तुहक वयणं सोच्चा सखुद्धाओ सव्वाओ चेव इमाओ संजइओ, चितियं च एयाहि-जहा निच्छयओ विमुच्चामो फासुगोदगं, तयज्झवसायस्सालोइयं निदियं गरहियं चेयाहिं, दिन्नं च मए एयाण पायच्छित्तं, एत्थचएण तव्वयणदोसेणं जं ते समज्जियं अच्चंतकठ्ठविरसदारूणं बद्धपुठ्ठनिकाइयं तुंगं पावरासिं तं च तए कुछभगंठरजलोदरवाउगुम्मसासनिरोहहरिसागंडमालाहिं अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीराए दारिद्ददुक्खदोहग्गअयसऽब्भक्खाणसंतावुव्वागसंदीवियपज्जालियाए अणंतेहिं भवग्गहणेहिं सुदीहकालेणं तु अहन्निसाणुभवेयव्वं, एएणं कारणेणं एसेमा गोयम ! सा रज्जज्जिया जाए अगीयत्थत्तदोसेण वायामेत्तेणेव एमहंतं दुक्खदायगपावकम्मं समज्जियंति ।२। 'अगीयत्थत्तदोसेणं, भावसुद्धिं ण पावए। विणा भावविसुद्धीए, सकलुसमणसो मुणी भवे ॥२०६।। अणुथेवकलुसहिययत्तं, अगीयत्थत्तदोसओ। काऊण लक्खणज्जाए, पत्ता दुक्खपरंपरा ॥७॥ तम्हा तं णाउ बुद्धेहिं, सव्वभावेण सव्वहा । गीयत्थेण भवित्ताणं, कायव्वं निक्कलुसं मणं ॥८॥ भयवं! नाहं वियाणामि, लक्खणदेवी हुअज्जिया। जा अकलुसमगीयत्थत्ता, काउ पत्ता दुक्खपरंपरा ।।९।। गोयमा ! पंचसुभरहेसु एरवएसु उस्सप्पिणीओसप्पिणीए एगेगा सव्वकालं चउवीसिया सासयमवोच्छित्तीए 'भूया तह य भविस्सई अणाइनिहणाए सुधुवं एत्थ । जगठिइ एवं गोयम ! एयाए चउवीसिगाए जा गया ॥२१०॥ अतीयकाले असीइमा, तहियं जारिसगे अहयं । सत्तरयणी पमाणेणं, देवदाणवपणमिओ॥१|| तारिसओ चरिमो तित्थयरो, जया तया जंबुदाडिमो । राया भारिया तस्स, सरिया नाम बहुस्सुया ॥२।। अन्नया सह दइएणं, धुयत्थं बहुउवाइए करे । देवाणं कुलदेवीए, चंदाइच्चगहाण य ॥३|| कालक्कमेण अह जाया, धूया कुवलयलोयणा । तीए तेहिं कयं नाम, लक्खणदेवी अहऽन्नया ||४|| जाव सा जोव्वणं पत्ता, ताव मुक्का सयंवरा । वरियं तीये वरं पवरं, णयणाणंदकलालयं ॥५॥ परिणियमेत्तो मओ सोवि भत्ता, 'सा मोहं गया पयलं तं, सुयणेणं परियणेण य । तालियंटवाएणं, दुक्खेणं आसासिया ॥६।। ताहे हा हाऽऽकंदं करेऊणं, हिययं सीसं ' च पिट्टिउं। अत्ताणं चोट्टफेट्टाहिं, घट्टियुं दसदिसासु सा ।।७।। तुण्हिक्का बंधुवग्गस्स, वयणेहि तु ससज्झसं। ठियाऽह कइवयदिणेसुं, अन्नया तित्थंकरो।।८|| बोहितो भव्वकमलवणे, केवलनाणदिवायरो। विहरंतो आगओ तत्थ, उज्जाणंमि समोसढो ।।९।। तस्स वंदणभत्तीए, संतेउरबलवाहणो। सव्विड्ढीए गओ राया, धम्म mo 5555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १४१४5555555555555OOR Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 %%%%%%%%%%%%%%% (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ. [५४] 55555555555%Rog सोऊण पव्वइओ॥२२०|| तहिं संतेउरसुयधूओ, सुहपरिणामो अमुच्छिओ। उग्गं कहूँ तवं घोरं, दुक्करं अणुचिठ्ठई ॥१॥ अन्नया गणिजोगेहिं, सव्वेऽवी ते पवेसिया। असज्झाइल्लियं काउं, लक्खणदेवीण पेसिया ॥२॥ सा एगंतेवि चिठूती, कीडते पक्खिरूल्लए। दह्णेयं विचिंतेइ, सहलमेयाण जीवियं ।।३।। जेणं पेच्छ चिडयस्स, संघटुंती चिडुल्लिया। समं पिययमंगेसुं, निव्वुइं परमं जणे ||४|| अहो तित्थंकरेणऽम्हं, किमटुं चक्खुदरिसणं ? | पुरिसेत्थीरमंताणं, सव्वहा विणिवारियं ॥५।। ता णिदुक्खो सो अन्नेसिं, सुहदुक्खं ण याणई । अग्गी दहणसहाओवि, दिठ्ठीदिट्ठोण णिड्डहे ।।६।। अहवा न हि न हि भगवं ! तं, आणावितं न अन्नहा । जे ण मे दळूण कीडते, पक्खी पक्खुभियं मणं ||७|| जाया पुरिसाहिलासा मे, जाणं सेवामि मेहुणं | जं सुविणेविन कायव्वं, तं मे अज्ज विचितियं ।।८|| तहा य एत्थ जम्मंमि, पुरिसो ताव मणेणवि । णिच्छिओ एत्तियं कालं, सुविणंतेवि कहिचिवि ॥९|| ता हा हा हा दुरायारा, पावसीला अहन्निया । अट्टमट्टाई चिंतंती, तित्थयरमासाइमो।।२३०|| तित्थयरेणावि अच्वंतं, कळं कड़यडं वयं । अइदुद्धरं समादिठ्ठ, उग्गं घोरं सुदुद्धरं ॥१|| ता तिविहेण को सक्को, एयं अणुपालेऊणं ? । वायाकम्मसमायरणेवि, रक्खं + णो तइयं मणं ।।२।। अहवा चिंतिज्जइ दुक्खं, कीरइ पुण सुहेण य। ता जो मणसावि कुसीलो, सकुसीलो सव्वकज्जेसु॥३॥ ताजं एत्थ इमं खलियं, सहसा तुडिवसेण मे। आगयं तस्स पच्छित्तं, आलोइत्ता लहुं चरं ।।४।। सईणं सीलवंतीणं, मज्झे पढमा महाऽऽरिया। धुरंमि दीयए रेहा, एयं सग्गेवि घूसई॥५|तहा य पायधूली मे, सव्वोवी वंदए जणो। जहा किल सुज्झिज्जएमिमीए, इति पसिद्धा अहं जगे॥६।। ता जइ आलोयणं देमि, ता एयं पयडीभवे । मम भायरो पिया माया, जाणित्ता हुंति दुक्खिए ||७|| अहवा कहवि पमाएणं, जं मे मणसा विचितियं । तमालोइयं नच्चा, मज्झ वग्गस्स को दुहे ? ||८|| जावेयं चितिउं गच्छे, तावुठूतीऍ कंटगं । फुडियं ढसत्ति पाययले, ता णिसत्ता पडुल्लिया॥९॥ चितें अहो एत्थ जम्मंमि, मज्झ पायंमि कंटगं । ण कयाइ खुत्तं ता किं, संपयं एत्थ होहिई ? ॥२४०|| अहवा मुणियं तु परमत्थं, जाणगे (मए) अणुमती कया। संघटुंतीए चिडुल्लीए, सील तेण विराहियं ॥१॥ मूयंधकारबहिरंपि, कुठं सिडिविडियं विडं । जाव सीलं न खंडेइ, ता देवेहिं थुव्वई ।।२।। कंटगं चेव पाए मे, खुत्तमागासगामियं । एएणं जं महं चुक्का, तं मे लाभं महंतियं ।।३।। सत्तवि साहाउ पायाले, इत्थी जा मणसावि य । सीलं खंडेई,सा णेइ, कहं जणणीए मे इमं ? ||४|| ताजंण णिवडई वज्ज, पंसुविठ्ठी ममोवरि। संयसक्करं ण फुट्टइ वा, हिययं तं महच्छेरगं ||५|| णवरं जइ मेयमालोयं, ता लोगा एत्थ है चितिही। जहाऽमुगस्स धूयाए, एयं मणसा अज्झवसियं ॥६॥ तं नं तहवि पओगेणं, परववएसेणालोइमो । जहा जइ कोइ एयमज्झवसे, पच्छित्तं तस्स होइ किं ? ||७|| तं चिय सोऊण काहामि, तवेणं तत्थ कारणं । जं पुण भयवयाऽऽइठ्ठ, घोरमच्चंतनिठुरं |८|| तं सव्वं सीलचारित्तं, तारिसं जाव नो कयं । तिविहंतिविहेण णीसल्लं, ताव पावेण खीयए|९|| अह सा परववएसेणं, आलोएत्ता तवं चरे। पायच्छित्तनिमित्तेण, पन्नासं संवच्छरे॥२५०॥ छठ्ठठ्ठमदसमदुवालसेहिं, लयाहिंणेइ दस वरिसे। अकयमकारियसंकप्पिएहिं, परिभूय (भुज्ज) भिक्खलद्धेहिं ।।१|| चणगेहिं दुन्निवि भुज्जिएहिं सोलस मासखमणेहिं । वीसं आयामायंबिलेहिं, आवस्सगं अछड्डेती ॥२॥ चरई य अदीणमणसा, अह सा पच्छित्तनिमित्तं । ताहे य गोयमा ! चिते, जं पच्छित्ते कयं तवं ॥३|| ता किं तमेव ण क (ग) यं मे, जं मणसा अज्झवसियं तया? । इयरहेवि उ पच्छित्तं, इयरहेव उ मे कयं ॥४॥ ता किं तन्न समायरियं, चितेती निहणं गया । उग्गं कटुंतवं घोरं, दुक्करंपि चरित्तु सा ।।५|| सच्छंदपायच्छित्तेणं, सकलुसपरिणामदोसओ। कुत्थियकम्मा समुप्पन्ना, वेसाए परिचेडिया ॥६॥ खंडोट्ठा णाम चडुगारी, मज्झखडहङगवाहिया । विणीया सव्ववेसाणं, थेरीए य चउग्गुणं ॥७॥ लावन्नकंतिकलियावि, बोडा जाया तहावि सा। अन्नया थेरी चितेइ, मझं बोडाए जारिस ||८|| लावन्नं कंती रूवं, नत्थि भुवणेवि तारिसं। ता विरंगामि एईए, कन्ने णक्कं सहोठ्यं ॥९|| एसा उ ण जाव विउप्प (जु) जे, मम धूयं कोवि णेच्छिही। अहवा हा हा ण जुत्तमिणं, धूया तुल्लेसावि मे णवरं ॥२६०|| सुविणीया एसावि, उप्पऽन्नत्थ गच्छिही। ता तह करेमि जह एसा, देसतरं गयावि य॥१॥ण लभेज्जा कत्थई थाम, आगच्छइ पडिल्लिया। देदेमि से वसीकरणं, गुज्झदेसं तु सीडिमो॥२॥ निगडाई च से देमि, भमडउ तेहिं नियंतिया। एवं सा जुन्नवेसाजा, मणसा परितप्पिउंसुवे॥३॥ ता खंडोठ्ठावि सिमिणमि, गुज्झं सीडिज्जंतगं। पिच्छइ नियडे य दिज्जते, कन्ने नासं च वट्टियं ॥४॥ सा सिमिणठं वियारेउं, णट्ठा जह कोइण याणइ । कहकहवि परिभमंती सा, गामपुरनगरपट्टणे ॥५|| छम्मासेणं तु संपत्ता, SOP445555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४१५ 959 4 %9FOR SOF明明乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 O2O乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明 5555 CinEducation International 2010-03 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुंत्तं (२) छ.अ. [५५] सखंडं णाम खेडगं । तत्थ वेसमणसरिंसविहवरंडापुत्तस्स सा जुया ||६|| परिणीया महिला ताहे, मच्छरेण पज्जच्छे (ले) दढं। रोसेण फुरफुरंती सा, जा दियहे केइ चिट्ठइ ||७|| निसाए निब्भरं सइयं, खंडोठ्ठीं ताव पिच्छई । तं दद्धुं धाइया चुल्लिं, दित्तं घेत्तुं समागया ॥ ८॥ तं पक्खिविऊणं गुज्झते, फालिया जाव हियययं । जाव दुक्खसरक्कंता, चलचुलेवींल्ल केरइ सा ॥९॥ ता सा पुणो विचिंतेइ, जावजीवं ण उड्डए । ताव देमी से दाहाई, जेण मे भवसएसुऽवि ॥ २७० ॥ न तरई पिययमं काउं इणमो पडिसंभरंति या । ताहे गोयम ! आणेउं चक्कियसालाउ अयमयं ॥ १ ॥ तावितु फुलिंगमेल्लतं, जोणीए पक्खित्तं फुसं । एवं दुक्खभरक्कता, तत्थ मरिऊण गोयमा ! ||२|| उववन्ना चक्कवट्टिस्स, महिलारयणत्तेण सा । इओ य रंडपुत्तस्स, महिला तं कलेवरं ॥ ३॥ जीवुज्झियंपि रोसेण, छेत्तुं सुसहुमयं सा । साणकागमादीणं, जाव घत्ते दिसोदिसिं ||४|| ताव रंडापुत्तोवि, बाहिरभूमीउ आगओ । सो य दोसगुणे णाउं, बहुं मणसा वियप्पिउं। गंतूण साहुपामूलं, पव्वज्जा काउ निव्वुडो ||५|| अह सो लक्खणदेवीए, जीवो खंडोट्ठीयत्तणा । इत्थीयणं भवित्ताणं, गोयमा ! छट्टियं तओ || ६ || तन्नेरइयं महादुक्खं, अइघोरं दारूणं तहिं । तिकोणे निरयावासे, सुचिरं दुखेण वेइउं ||७|| इहागओ समुप्पन्नो, तिरियजोणीए गोयमा ! । साणत्तेणाह मयकाले, विलग्गो मेहुणे तहिं ॥ ८॥ माहिसिएणं कओ घाओ, विच्चे जोणी समुच्छला । तत्थ किमिएहिं दसवरिसे, खद्धो मरिऊण गोयमा ! ॥ ९॥ उववन्नो वेसत्ताए, तओवि मरिउण गोयमा ! । एगूणं जाव सयवारं, आमगब्भेसु पच्चिओ || २८० || जम्मदरिद्दस्स गेम, माणुसतं समागओ । तत्थ दोमासजायस्स, माया पंचत्तमुवगया ॥ १ ॥ ताहे महया किलेसेणं, थन्नं पाउं घराघरिं । जीवावेऊण जणगेणं, गोउलिस्स समल्लिओ ॥२॥ तहियं नियजणणिच्छीरं, आवियमाणे निबंधिउं । (छावरूए) गोणिओ दुहमाणेणं, जं बद्धं अंतराइयं ॥ ३ ॥ तेणं सो लक्खणज्जाए, कोडाकोडीभवंतरे । जीवो थन्नमलहमाणो (बज्झतो रूज्झतो नियलिज्जतो हम्मंतो दम्मंतो) विच्छोइज्जंतो य हिडिओ ॥४॥ उववन्नो मणुजोणीए, डागिणित्तेण गोयमा ! । तत्थ य साणयपालेहिं, कीलिउं (या) छडिडउं गया ||५|| तओ उव्वट्टिऊणिहइं, तं लब्धुं माणुसत्तणं । जत्थ य सरीरदोसेणं, एमहंतमहिमंडले ||६|| जामद्धजामघडियं वा, णो लब्द्धं वेरत्तियं जहियं | पंचेव उ घरे गामे, नगरपुरपट्टणेवि ||७|| तत्थ य गोयम ! मणुयत्ते, णारयदुक्खाण सरिसए । अणेगे रणरण्णेणं, घोरे दुक्खेऽणुभोत्तुणं ||८|| सो लक्खणदेवीजीवो, सुरोद्दज्झाणदोसओ । मरिऊण सत्तमिं पुढविं, उववन्नो रवडोहणे ||९|| तत्थ य तं तारिसं दुक्खं, तित्तीसं सागरोवमे । अणुभविऊणं उववन्नो, वंझागोणित्तणेण य ||२९०॥ खेत्तखलगाई चमढेंती, भंजंती य चरंति या । सा गोणी बहुजणोहेहिं, मिलिऊणागाहपंकवलए पवेसिया ॥ १॥ तत्थ खुत्ती जलोयाहिं, लूसिज्जंती तहेव य । कागमादीहिं लुप्पंती, कोहाविट्ठा मरेउणं ॥२॥ ताहे विजलधण्णे रण्णे, मरूदेसे दिट्ठीविसो । सप्पो होऊण पंचमगं, पुढविं पुणरवि गओ ॥३॥ एवं सो लक्खणज्जाए, जीवो गोयमा ! चिरं । घणघोरदुक्खसंतत्तो, चउगइसंसारसागरे ||४|| नारयतिरियकुमणुएसुं, आहिंडित्ता पुणोविहं । होही सेणियजीवस्स, तित्थे पउमस्स खुज्जिया ॥ ५॥ तत्थ य दोहग्गखाणी सा, गामे नियजणणीओवि य । गोयम ! दिठ्ठा न कस्सावि, अच्छीय रइदा तहिं भवे ॥६॥ ताह सव्वजणेहिंसा, उव्वियणिज्जत्तिकाउणं । मसिगेरूयविलित्तंगा, खरेरूढा भमाडिउं ||७|| गोयमा ! ओपक्खपक्खेहिं, वाइयखरविरसडिंडिमं । निद्धाडिहिई ण अन्नत्थ, गामे लहिहि पविसिउं ||८|| ताहे कंदफलाहारा, रन्नवासे वसंति या । (दट्ठा) मच्छंदरेण वियणत्ता, णाहीए मज्झदेस ||९|| तओ सव्वं सरीरं से, भरिज्जंसुदराण य । तेहिं तु विलुप्पमाणी सा, दूसहघोरदुहाउरा ||३०० || वियणत्ता पउमतित्थयरं, तप्पएसे समोसढं । पेच्छिही जाव ता तीए, (अन्नेसिमवि बहुवाहिवेयणापरिगयसरीरारं तद्देसविहारिभव्वसत्ताणं नरनारिगणाणं तित्थयरदंसणा चेव) सव्वदुक्खं विणिठ्ठिी || १|| ताहे सो लक्खणज्जाए, तहियं खुज्जियत्ति जिओ । गोयम ! घोरं तवं चरिउं, दुक्खाण अंतं गच्छिही ||२|| एसा सा लक्खणदेवी, जा अगीयत्थदोसओ। गोयम ! अणुकलुसचित्तेणं, पत्ता दुक्खपरंपरं ॥३॥ जहा णं गोयमा ! एसा, लक्खणदेविऽज्जया तहा । सकलुसचित्ते गीयत्थे ऽणते पत्ते दुहावली || ४ || तम्हा एयं वियाणित्ता, सव्वभावेण सव्वहा । गीयत्थेहिं भवेयव्वं, कायव्वं तु (सुविसुद्धसुनिम्मलविमलनीसल्लं) निकलुसं मणंति बेमि || ५ || पणयामरमरूयमउडुग्धठ्ठचलणसयवत्तजयगुरू ! । जगनाह ! धम्मतित्थयर, भूयभविस्सवियाणग ||६|| तवसा निड् ढकम्मंस, वंमहवइरवियारण । चउकसाय (दल) निट्ठवण, सव्वजगजीववच्छल ||७|| घोरंधयारमिच्छत्ततिमिसतमतिमिरणासण । फ्र श्री आगमगुणमंजूषा १४१६ 2010 0 MOO Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 55555555555555555555555555555555HOTorg MOR9555555555555559 (३५) महानिसीह छेयमुन ( छ.अ. [१६] 55555555555555sexo लोगालोगपगासगर, मोहवइरिनिसुंभण ।।८।। दुरूज्झियरागदोसमोहमोस सोमसतसोम सिवकर। अतुलियबलविरियमाहप्पय, तिहुयणिक्कमहायस॥९॥ निरूवमरूव अणन्नसम, सासयसुहमुक्खदायग। सव्वलक्खणसंपुन्न, तिहुयणलच्छिविभूसिया॥३१०|| भयवं! परिवाडीए, सव्वं जंकिंचि कीरए। अथक्के हुंडिदुद्धेणं, कज्जं तं कत्थ लभई ? ||१|| सम्मइंसणमेगंसि. बितिये जम्मे अणुव्वए । ततिए सामाइयं जम्मे, चउत्थे पोसहं करे ।।२।। दुद्धरं पंचमे बंभं. छठे सच्चित्तवज्जणं । एवं सत्तद्वेनवदसमे, जम्मे उद्दिठ्ठमाइयं ।।३|| चिच्चेक्कारसमे जम्मे, समणतुल्लगुणी भवे । एयाए परिवाडीए, संजयं किं न अक्खसि ? |४|| जं पुण सोऊण मइविगलो, बालयणके (उब्वियइ) । केरिसस्स व सद्धं डगइ, जउइसिउं नासे दिसोदिसिं॥५|| तमीरिसं संजमं नाह!, सुदुल्ललिया उसुमालया। सोऊणंपि नेच्छंति, तऽणुठ्ठींसु कहं पुण? |६|| गोयम ! तित्थंकरे मोत्तुं, अन्नो दुल्ललिओ जगे। जइ अस्थि कोइ ता भणउ, अहा णं सुकुमालओ? ||७|| जाणं-गब्भत्थाणंपि देविंदो, अमयमंगुठ्यं कयं । आहारं देइ भत्तीए, संथवं सययं करे।।८।। देवलोगचुए संते, कम्मा से णं जहिं घरे। अभिजाएंति तहिं सययं, हिरण्णवुठ्ठी पवरिस्सई॥९॥ गब्भावन्नाण तद्देसे, ईई रोगा य सत्तुणो। अणुभावेण खयं जंति, जायमित्ताण तक्खणे ।।३२०॥ आगंपियासणा चउरो, देवसंघा महीहरे। अभिसेयं सव्विड्ढीए, काउंसत्थामे गया।|१|| अहो लावन्नं कंती, दित्ती रूवं अणोवमं । जिणाणं जारिसं पायअंगुठ्ठग्गं ण तं इहं ।।२।। सव्वेसु देवलोगेसु, सव्वदेवाण मेलिउं । कोडाकोडिगुणं काउं, जइवि उण्हालिज्जए|३|| अहजे अमरपरिग्गहिया, नाणत्तयसमन्निया।कलाकलावनिलया, जणमणाणंदकारया||४|| सयणबंधवपरियारा, देवदाणवपूइया। पणइयणपूरियासा, भुवणुत्तमसुहालया ।।५|| भोगिस्सरियं रायसिरिं, गोयमा ! तं तवज्जियं । जा दियहा केई भुंजंति, ताव ओहीए जाणिउं ।।६।। खणभंगुरं अहो एयं, लच्छी पावविवड्ढणी। ता जाणंतावि किं अम्हे, चारित्तं नाणुचिठ्ठिमो ? |७|| जावेरिस मणपरिणाम, ताव लोगंतिगा सुरा । मुणिउं भणंति जगज्जीवहिययं तित्थं पवत्तिहा ||८|| ताहे वोसठ्ठचत्तदेहा, विहवं सव्वजगुत्तमं । गोयमा ! तणमिव परिचिच्चा, जं इंदाणवि दुल्लहं ।।९।। नीसंगा उग्गं कट्टे, घोरं अइदुक्करं तवं । भुयणस्सवि उक्क, समुप्पायं चरंति ते ॥३३०|| जे पुण खरहरफुट्टसिरे, एगजम्मसुहेसिणो । तेसिं दुल्ललियाणंपि, सुठुवि नो हियइच्छियं ॥१॥ गोयम ! महुबिंदुस्सेव, जावइयं तावइयं सुहं । मरणंतेवी न संपज्जे, कयरं दुल्ललियत्तणं ? ||२|| अहवा गोयम ! पच्चक्खं, पेच्छय जारिसयं नरा । दुल्ललियं सुहमणुहुंति, जं निसुणिज्जा न कोइवी ॥३॥ केई कारेति मासल्लिं, हालियगोवालत्तणं । दासत्तं तह पेसत्तं, गोडत्तं सिप्पे बहु ।।४।। ओलग्गं किसिवाणिज्ज, पाणच्चायकिलेसियं । दालिद्दऽविहवत्तणं केई, कम्मं ॥ काउण घराघरि ॥५।। अत्ताणं विगोवेर्ड, ढिणिढिणिते अ हिडिउं । नग्गुग्घाडकिलेसेणं, जो समज्जति परिह (हिर) णं ॥६|| जरजुन्नफुट्टसयछिदं, लद्धं कहकहवि ओढणं । जा अज्जा कल्लिं करिमो, फट्टे ता तमवि परिह (पहि) रणं ।।७।। तहावि गोयमा! बुज्झ, फुडवियडपरिफुडं । एतेसिं चेव मज्झाउ, अणंतरं भणियाण कस्सई ||८|लोयं लोयाचारं च, चिच्चा सयणकियं तहा। भोगोवभोगं दाणं च, भोत्तूणं कदसणासणं ॥९|| धाविउंगुप्पिउंसुइरं, खिज्जिऊण अहन्निसं। कागणिं कागणीकाओ, अद्धं पाय विसोवगं ॥३४०|| कत्थइ कहिचि कालेणं, लक्खं कोडिं च मेलिउं । जा एगिच्छा मई पुन्ना, बीया णो संपज्जए॥१॥ एरिसयं दुल्ललियत्तं, सुकुमालत्तं च गोयमा !। धम्मारंभंमि संपडइ, कम्मारंभे न संपडे ॥२॥ जेणं जस्स मुहे कवलं, गंडी अन्नेहिं धज्जए। भूमीए न ह (ठ) वए पायं, इत्थीलक्खेसु कीडए।।३।। तस्सावि णं भवे इच्छा, अन्नं सोऊण सारियं । समुद्धहामि तं देसं, अह सो आणं पडिच्छउ ।।४।। सामभेओवपयाणाई, अह सो सहसा पउंजिउं। तस्स साहसतुलणठ्ठा, गूढचरिएण वच्चइ।।५।। एगागी कप्पडाबीओ, दुग्गारन्नं गिरी सरी। लंघित्ता बहुकालेणं, दुक्खदुक्खं पत्तो तहिं|६|| दुक्खं खुक्खामकंठो सो, जाभमडे घराघरिं । जायंतो च्छिद्दमम्माई, तत्थ जइ कहवि ण णज्जए ।।७।। ता जीवंतो ण चुक्वेज्जा, अह पुन्नेहिं समुद्धरे । तओ णं परिवत्तिय देहं, तारिसो स गिहे विसे ।।८।। को तं सि परियणो सन्ने ?, ताहे सो असणाइसु। नियचरियं पायडेऊण, जुज्झसज्जो भवेउण॥९॥ सव्वबल (जाण) थामेणं, खंडाखंडेण जुज्झिउं। अह तं नरिंदं निज्जिणिइ, अहवा तेण पराजिए।।३५०॥ बहुपहारगलंतरूहिरंगो, गयतुरयाउव्व (ह) अहोमुहो। णिवडइ रणभूमीए, गोयमा ! सो जया तया॥१॥ तं तस्स दुल्ललियत्तं, सुकुमालत्तं कहिं MONOFFFFFFFFFFFFFFF$$$$$$$$$$$$$$$$$$$FFFFFFFFFFFFFQR GROFFFFFFFFFFFF# Fivurnerrier LEEEEEE55 ) श्री आगमगुणमंजूषा- १४१७ O Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 09555555555555明 (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) छ.अ. [५७] TOYO虽听听听听听听乐乐乐历历明明明明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明听听听听听听听听听听纸听听听听听 वए ? । जो केवलं सहत्थेणं, अहोभागं च धोविउं||२|| निच्छंतो पायं ठविउं, भूमीए न कयाइवि । एरिसोऽवी सदुल्ललिओ, एयावत्थमुवागओ।।३।। जइ भन्ने धम्मचिट्ठे ता, पडिभणइ न सक्किमो । तो गोयमा ! अहन्नाणं, पावकम्माण पाणिणं |४|| धम्मट्ठाणंमि मई, न कयावि भविस्सए। एएसिं इमो धम्मो, इक्कजंमीण भासए ॥५|| जहा खंतपियंताणं, सव्वं अम्हाण होहिइ । ता जो जमिच्छे तं तस्स, जइ अणुकूलं पवेयए॥६|| ता वयनियमविहूणावि, मोक्खं इच्छंति पाणिणो । एए एते ण रूसंति, एरिसं चिय कहेयव्वं ।।७।। णवरं ण मोक्खो एयाणं, मुसावायं व आवई । अन्नंच रागं दोसं च मोहं च, भयच्छंदाणुवत्तिणं |८| तित्थंकराणं णो भूयं, णो भवेज्जा उ गोयमा । मुसावायं ण भासते, गोयमा ! तित्थंकरे ।।९।। जेण तु केवलनाणेण, तेसिं पच्चक्खगं जगं । भूयं भव्वं भविस्संच, पुन्नं पावं तहेव य॥३६०|| जंकिंचि तिसुवि लोएसु, तं सव्वं तेसि पायडं । पायालं अवि उड्ढमुहं, सग्गं एजा अहोमुहं ॥१॥ गुणं तित्थयरमुहभणियं, वयणं होज न अन्नहा । नाणं दंसणचारित्तं, तवं घोरं सुदुक्करं ।।२।। सोग्गइमग्गो फुडो एस, परूवंती जहठिअं । अन्नहा न तित्थयरा, वाया मणसा व कम्मुणा ||३|| भणंति जइवि भुवणस्स, पलयं हवइ तक्खणे । जं हियं सव्वजगजीवपाणभूयाण केवलं, तं अणुकंपाए तित्थयरा, धम्मं भासंति अवितहं ॥४|| जेणं तु समणुचिन्नेणं, दोहग्गदुक्खदारिद्दरोगसोगकुगइभयं । ण भविज्जा उ बिइएणं, संतावुव्वेवगे तहा।।५।। भयवं ! णो एरिसं भणिमो, जह छंदं अणुवत्तय। णवरमेयं तु पुच्छामो, जोजंसक्के सतं करे? ||६|| गोयमा ! णेरिसंजुत्तं, खणं मणसा विचितिउं । अह जइ एवं भवे णायं, तावं धारे हअं बलं |७|| घयऊरे खंडरब्बाए, एक्को सक्केइ खाइयं । अन्नो समंसमज्जाई, अन्नो रमिऊण एत्थियं ॥८॥ अन्नो एयंपिनो सक्के, अन्नो जोएइ पक्खयं । अन्नो चडवडमुहे एसु (अन्नो एयंपि) भणिऊण ण सक्कुणोई ।।९।। चोरियं जारियं अन्नो, अन्नो किंचि ण सक्कुणोई । भोत्तुं मोत्तुं सपत्थरिए, सक्के चिठेत्तु मंचगे॥३७०|| मिच्छामि दुक्कडमियं हंत, एरिसं नो भणामऽहं । गोयमा ! अन्नंपिज भणसि, तंपि तुज्झ कहेमऽहं ॥१॥ एत्थ जम्मे नरो कोई, कसिणुग्गं संजमं तवं । जइ णो सक्कइ काउं जे, तहवि सोगइपिवासिओ ।।२।। नियमं पक्खिखी रस्स, एगं वालउप्पाडणं । रयहरणस्सेगियं दसियं, एत्तियंतु प (रि) धारियं ॥३॥ (सकुणोइ) एयंपि न जावजीवं, पालेउं ता इमस्सवी । गोयमा ! तुब्भ बुद्धीए, सिद्धिं खेत्तस्सऽओ परं ||४|| मंडवियाए भवेयव्वं, दुक्करकारि भवेत्तु य । णवरं एयारिसं भवियं, किमळं गोयमा ! पयं ? ||५|| पुणो तं एयं पुच्छंमी, तित्थकरे चउन्नाणी, ससुरासुरजगपूइए। निच्छियंसिज्झियव्वेऽवि, तंमि जम्मे न अन्नए, जम्मे ॥६॥ (तहावि) अणिमूहित्ता बलं विरियं, पुरिसयारपरक्कमं । उग्गं कळं तवं घोरं, दुक्करं अणुचरंति ते॥७॥ ता अन्नेसुवि सत्तेसुं, चउगइसंसार दुक्खभीएसु। (जं जहेव तित्थयरा भणंति) तहेव समणुठेयव्वं, गोयम ! सव्वं जहठ्ठियं ।।८।। जं पुण गोयम ! ते भणियं, परिवाडीए कीरइ । अथक्के इंडिदुद्धेणं, कजं तं कत्थ लब्भए ? ॥९॥ तत्थवि गोयम ! दिठ्ठतं, महासमुइंमि कच्छभो । अन्नेसि मगरमादीण, संघट्टा भीउवट्टओ ॥३८०|| बुडनिब्बुड करेमारो (समलीसल्लोब्भली) पेल्लापेल्लीए कत्थई । (२८९) (उल्लीरिज्जतो) तठ्ठो णासंतो धावतो, पलायंतो दिसोदिसिं॥१|| उच्छल्लं पच्छल्लं, हीलणं बहुविहं तहिं । सहतो थाममलहतो, खणनिमिसंपि कत्थई ॥२|| कहकहवि दुक्खसंतत्तो, सुबहुकालेहिं तं जलं । अवगाहंतो गओ उवरिं, पउमिणीसंडसंघणं ॥३॥ छिड्डं महया किलेसेणं, लर्बु ता तत्थ पेच्छई। गहनक्खत्तपरियरियं, कोमुइचंदं खहेऽमले ॥४|| दिप्पंतकुवलयकल्हारं, कुमुयसयवत्तवणप्फई । कुरूलियंते हंसकारंडे चक्कवाए सुणेइ य॥५॥ जमदिठं सत्तसुवि साहासु (अब्भुअंचंदमंडलं)। तं दटुं विम्हिओखणं, चिंतइ एयं जहा होही ॥६|| एयं तं सग्गं ताऽहं, (बंधवाणं पमोययं) बंधवाणं पयंसिमो। बहुकालेणं गवेसेउं, ते घेत्तूण समागओ||७|| घणघोरंधयाररयणीए, भद्दवकिण्हचउद्दसीहिं तु । ण पेच्छे जाव तं रिद्धिं, बहुकाल निहालिउ ।।८।। पुण कच्छभो नुजह उ, तहावि तं रिद्धि नपेच्छइ । एवं चउगईभवगहणे, दुल्लभे माणुसत्तणे॥९॥ अहिंसालक्खणं धम्मं, लहिऊणं जो पमायई। सो पुण बहुभवलक्खेसु, दुक्खेहि माणुसत्तणं, लटुंपिन लब्भई धम्म, तं रिद्धिं कच्छभो जहा ॥३९०॥ दियहाइं दो व तिन्नि व, अद्धाणं होइ जं तु लग्गे ण । सव्वायरेण तस्सवि, संबलयं लेइ पविसंतो॥१॥ जो पुण दीहपवासो चुलसीईजोणिलक्खनियमेणं । तस्स तवसीलमइयं संबलयं किं न चिंतेह ? ||२|| जह २ पहरे दियहे मासे संवच्छरे य वोलंति । तह २ गोयम ! जाणसु. दुक्खे आसन्नयं मरणं ॥३|| जस्स न नज्जइ कालं न य वेला नेय दियहपरिमाणं । नाएवि नत्थि कोइवि जगंमि अजरामरो एत्थं ॥४|| पावो पमायवसओ जीवो C mero955555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४१८1955 99999999GIOx Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) छ.अ./स.अ संसारकज्जमुज्जुत्तो । दुक्खेहिं न निव्विन्नो सुक्खेहिं न गोयमा ! तिप्पे ॥ ५॥ जीवेण जाणि उ विसज्जियाणि जाईसएस देहाणि । थेवेहिं तओ सयलंपि तिहुयणं होज्ज पडिहत्थं ||६|| नहदंतमुद्धभमुहक्खिकेस जीवेण विप्पमुक्तेसुवि। तेसुवि हविज्ज कुलसेलमेरूगिरिसन्निभे कूडे ||७|| हिमवंतमलयमंदरदीवोदहिधरणिसरिसरासीओ। अहिययरो आहारो जीवेणाहारिओ अनंतहुत्तो ||८|| गुरूदुक्खभरूक्कंतस्स अंसुनिवाएण जं जलं गलियं । तं अगडतलायनईसमुद्दमाईसु णवि होना ||९|| आवीयं थणछीरं सागरसलिलाउ बहुयरं होज्जा । संसारंमि अणंते अबलाजोप्पीऍ एक्काए || ४००|| सत्ताहविवन्नसुकुहियसाणजोणीए मज्झदेसंमि । किमियत्तण केवलण जाणि मुक्काणि देहाणि ||१|| तेसिं सत्तमपुढवीए सिद्धिखेत्तं च याव उक्कुरूडं । चोद्दसरज्जुं लोगं व अणंतभागेणवि भरेज्जा ||२|| पत्ते य कामभोगे कालमणंतं इहं सउवभोगे । अप्पुव्वं चिय मन्नइ जीवो तहवि य विसयसोक्खं ॥ ३॥ जह कच्छुल्लो कच्छ्रं कंडुयमाणो दुहं मुणइ सोक्खं । मोहाउरा मणुस्सा तह कामदुहं सुहं बिति ॥४॥ जाणंति अणुभवंति य जम्मजरामरणसंभवे दुक्खे। न य विसएस विरज्जति (गोयमा !) दुग्गइगमणपत्थिए जीवे ||५|| सव्वगहाणं पभवो महागहो सव्वदोसपायट्टी | कामग्गहो दुरप्पा जेणऽभिभूयं जगं सव्वं । (तस्स वसं जे गया पाणी) ॥६॥ जाणंति जडा भोगिड्डिसंपया सव्वमेव धम्मफलं । तहविं दढमूढहियए पावं काऊण दो गई जंति ||७|| वच्चइ खणेण जीवो पित्तानलधाउसिंभखोभेहिं । उज्जमह मा विसीयह तरतमजोगो इमो दुलहो ||८|| पंचिदियत्तणं माणुसत्तणं आयरिए जणे सुकुलं । साहुसमागमसुणणासद्दहणाऽरोगपव्वज्जा || ९ || सूलअहिविसविसूइयपाणिट्ठासत्थम्गिसंभमेहिं च । देहंतरसंकमणं करेइ जीवो मुहुत्तेण ॥ ४१० ॥ जावाउ सावसेसं जाव थेवोवि अत्थि ववसाओ । ताव करेज्ज अप्पहियं मा तप्पिहहा पुणो पच्छा ॥१॥ सुरधणुविज्जुखणदिठ्ठनठ्ठसंझाणुरागसिमिणसमं । देहं इति तु वियलइ मम्मयभंड व जलभरियं ॥२॥ इय जाव ण चुक्कसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहस्स । उग्गं कठ्ठे घोरं चरसु तवं नत्थि परिवाडी ||३|| गोयमोत्ति ! 'वाससहस्संपि जई काऊण संजमं सुविउलंपि । अंते किलिठ्ठभावो नवि सुज्झइ कंडरीउव्व ||४|| अप्पेणवि कालेणं केइ जहागहियसीलसामन्ना । साहंति निययकज्जं पोंडरियमहारिसिव्व जहा ||५|| ण अ संसारंमि सुहं जाइजरामरणदुक्खगहियस्स । जीवस्स अत्थि जम्हा तम्हा मोक्खो उवाएओ ॥ ४१६ ॥ सव्वपयारेहिं सव्वहा सव्वभावभावंतरेहिं णं गोयमोत्ति बेमि★★★ ॥ महानिसीहसुयक्खंधस्स छट्ठमज्झयणं गीयत्थववहारं नाम समत्तं ॥ ६॥ ★★★ 'भयवं ! ता एयनाएणं, जं भणियं ि मे तुमं (जहा) । परिवाडीए (तच्चं) किं न अक्खसि, पायच्छित्तं तत्थ मज्झवी ||१|| हवइ गोयम ! पच्छित्तं, जइ तुमं तमालंबसि । नवरं धम्मवियारो ते, कओ सुवियारिओ फुडो ||२|| ण होइ तस्स पच्छित्तं, पुणरवि पुच्छेज्ज गोयमा ! । संदेहं जाव देहत्थं, मिच्छत्तं ताव निच्छयं ||३|| मिच्छत्तेणवि अभिभूए, तित्थयरस्स विभासियं । वयणं लंघित्तु विवरीयं, वायत्ताणं पविसंति ॥४॥ (घोरतमतिमिरबहलंघयारं पायालं) णवरं सुवियारिडं काउं, तित्थयरा सयमेव य । भांति तं जहा चेव, गोयमा ! समणुठ्ठए ||५|| अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे पव्वज्जिय जहा तहा। अविहिए तह चरे धम्मं, जह संसारा ण मुच्चए ||६|| से भयवं ! कयरे णं से विहिसीलोगो ?, गोयमा ! इमे णं से विहीसिलोगो, तंजहा चिइवंदंणं पडिकमणं, जीवाइतत्तसब्भावं । समिइंदियदमगुत्ती, कसायनिग्गहणमुवओगं ||७|| नाऊण सो वीसत्थो सामायारिं कियाकलावं च । आलोइय नीसल्लो आगब्भा परमसंविग्गो ||८|| जम्मजरमरणभीओ चउगइसंसारकम्मदहणठ्ठा । पइदियहं हियएणं एय अणवरय झायंतो ॥९॥ जरमरणमयणपउरे रोगकिलेसाइबहुविहतरंगे । कम्मट्ठकसायागाहगहिरभवजलहिमज्झमि ||१०|| भमिहामि भट्ठसम्मत्तनाणचारित्तलद्धवरपोओ । कालं अणोरपारं अंतं दुक्खारमलभंतो ||१|| ता कइया सो दियहो जत्थाहं सत्तुमित्तसमपक्खो । नीसंगो विहरिस्सं सुहझाणनिरंतरों पुर्णोऽभवद्वं ||२|| एवं चिरचितियभिमुहमणोरहरूसंपत्तिहरिसमुल्लसिओ । भत्तिभरनिब्भरोणयरोमंचयकं चुपुलइयंगो ||३|| सीलंगसहस्सठ्ठारसण्ह धरणे समोच्छयक्खंधो । छत्तीसायारुकंठनिट्ठवियासेसमिच्छत्तो ||४|| पडिवज्जे पव्वज्जं विमुक्कमयमाणमच्छरामरिसों । निम्मनिरहंकारो विहिणेवं गोयमा ! विहरे ||५|| विहगडवापडिबद्धो उज्जुत्तो नाणदंसणचरित्ते । नीसंगो घोरपरिसहोवसग्गाई पजिणंतो ||६|| उग्गअभिग्गहपडिमाइ रागदोसेहिं दूरतरमुक्को। रूहट्टज्झाणविवज्जिओ य विगहा अ असत्तो ||७|| जो चंदणेण बाहुं आलिंपइ वासिणा व जो तच्छे । संयुणइ. जो अ निंदइ समभावो हुज्ज दुहंपि ||१८|| एवं अणिगूहियबलविरअपुरिसक्कारपरक्कमो श्री आगमगुणमंजूषा - १४१९ (GK96 LO [ ५८ ] 原 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.95555$ (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) स.अ. [५९] om 0 $$$$2 $步步步步$$$$$$ $$ सममणतणमणिलिठ्ठकंचरो (केक्का) परिचत्तकलत्तपुत्तसुहिसयणमेत्तबंधवधणधन्नसुवन्नहिरण्णमणिरयणसारभंडारो अच्चंतपरमवेरग्गवासणाजणियपवरसुहज्झवसायपरमधम्मसद्धापरो अकि लिट्ठनिक्कलुसअदीणमाणसो पय (वय) नियमनाणचारित्ततवाइसयलभुवणिक्क मंगलअहिंसालक्खणखंताइदसविहृधम्माणुठ्ठाणे क्कं तबद्धलक्खो सव्वावस्सगतक्कालकरणसज्झायज्झाणमाउत्तो संखाईयअणेगक सिणसंजमपएसु अविखलिओ संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मो अणियाणो मायामोसविवज्जिओ साहू वा साहुणी वा एवंगुणकलिओ जइ कहवि पमायदोसेणं असई कहिचि कत्थइ वायाइ वा मणसाइ वा कायेणेइ वा तिकरणविसुद्धीए सव्वभावंतरेहिं चेव संजममायरमाणो असंजमेणं छलेज्जा तस्स णं विसोहिपयं पायच्छित्तमेव, तेणं पायच्छित्तेणं गोयमा ! तस्स विसुद्धिं उवदिसिज्जा, न अन्नहत्ति, तत्थ णं जेसुं जेसुंठाणेसुं जत्थ जत्थ जावइयं पच्छित्तं तमेव निट्टंकियं पच्छित्तं भन्नइ, से भयवं ! केणमटेणं भन्नइ जहा णं तमेव निट्टंकियं भन्नइ ?, गोयमा ! अणंतराणंतरक्कमेणं इणमो पच्छित्तसुत्ता, अणेगे भव्वसत्ता चउगइसंसारचारगाओ बद्धपट्ठनिकाइयदुविमोक्खघोरपारद्धकम्मनियडाई संचुन्निऊण अचिरा विमुच्चिहिति, अन्नंच-इणमो पच्छित्तसुत्तं अणेगगुणगणाइन्नस्स दढव्वयचरित्तस्स एगतेणं जोगस्सेव विवक्खिए पएसे चउकन्नं पन्नवेयव्वं, तहा य जस्स जावइएणं पायच्छित्तेणं परमविसोही भवेज्जा तं तस्स णं अणुयत्तणाविरहिएण धम्मेक्करसिएहिं वयणेहिं जहठ्ठियं अणूणाहियं तावइयं चेव पायच्छित्तं पयच्छेज्जा, एएणं अठेणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा ! तमेव निय़कियं पायच्छित्तं भन्नइ ।१। से भयवं ! कइविहं पायच्छित्तं.समुवइटुं ?, गोयमा ! दसविहं पायच्छित्तं उवठ्ठ, तं च अणेगहा जाव णं पारंचिए।। से भयवं ! केवइयं कालं जाव इमस्स णं पायच्छित्तसुत्तस्साणुठ्ठाणं वहिही ?, गोयमा! जाव णं कक्की णामे रायाणे निहणं गच्छिय, एक्कजिणाययणमंडियं वसुहं सिरिप्पभे अणगारे, भयवं ! उड्ढं पुच्छा, गोयमा ! उड्ढं न केई पुण्णभागे होहि जस्स णं इणमो सुयक्खंध उवइसेज्जा ।३। से भयवं ! केवइयाइं पायच्छित्तस्स णं पयाई ?, गोयमा ! संखाइयाइं पायच्छित्तस्स पयाई, से भयवं ! तेसिंणं संखाइयाणं पायच्छित्तपयाणं किं तं पढमं पायच्छित्तस्स णं पयं ?, गोयमा ! पइदिणकिरियं, से भयवं ! किं तं पइदिणकिरियं ?, गोयमा ! जमणुसमयाहन्निसा पाणोवरमं जावाणद्वेयव्वाणि संखेज्जाणि आवस्सगाणि, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा णं आवस्सगाणि ?, गोयमा ! असेसकसिणट्ठ कम्मक्खयकारिउत्तमसम्मइंसणनाणचारित्तअच्चंतघोरवीरूग्गकट्ठएदुक्करतवसाहणट्ठा सुपरूविज्जति नियनियविभत्तुद्दिट्ठपरिमिएणं कालसमएणं पयंपयेणाहन्निसाणुसमयमाजम्मं अवस्समेव तित्थयराइसुकीरंति अणट्ठिज्जति उवइसिज्जति परूविज्जति पन्नविज्जति सययं, एएणं अतुणं एवं वुच्चइ गोयमा ! जहा णं आवस्सगाई, तेसिं च णं गोयमा ! जे भिक्खू कालाइक्कमेणं ॥ वेलाइक्कमेणं समयाइक्कमेणं अलसायमाणे अणोवउत्तपमत्ते अविहीए अन्नेसिं च असद्धं उप्पायमाणो अन्नयरमावस्सगं पमाइय संतेणं बलवीरिएणं सातलेहडत्ताए आलंबणं वा किंचि घेत्तूणं चिराइयं पउरिय णो णं जहुत्तयालं समणुढेज्जा से णं गोयमा ! महापायच्छित्ती भवेज्जा ।81 से भयवं ! किं तं बिइयं पायच्छित्तस्स णं पयं ?, गोयमा! बीयं तइयं चउत्थं पंचमं जाव णं संखाइयाई पायच्छित्तस्सणं पयाइं तावणं एत्थं चेव पढमपायच्छित्तपए अंतरोवगयाइं समणुविंदा, से भयवं! केणं अट्ठणं एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जओ णं सव्वावस्सगकालाणुपेही भिक्खूणं रोपट्टज्झाणरागदोसकसायगारवममकाराइसुणं अणेगपमायालंबणेसुंच सव्वभावभावंतरंतरेहिं णं अच्वंतविप्पमुक्को भवेज्जा, केवलं तु नाणदंसणचारित्तं तवोकम्मसज्झायज्जाणसद्धम्मावसाणे (स्सगे) सुअच्चंतअणिमूहियबलवीरियपरक्कमे सम्मं अभिरमेज्जा, जाव णं सद्धम्मावस्सगेसुं अभिरमेज्जा ताव णं सुसंवुडासवदारे हवेज्जा, जाव णं हवेज्जा ताव णं सजीववीरिएणं अराइभवगहणसंचियाणिठ्ठदुट्ठकम्मरासीए एगंतणिठ्ठवणेक्कबद्धलक्खो अणुक्कमेण निरूद्धजोगी भवेत्ताणं निद्दड्ढासेसकम्मणो विमुक्कजाइजरामरणचउगइसंसारपासबंधणे य सव्वदुक्खविमोक्खतेलोक्कसिहरनिवासी भवेज्जा, एएणं अछेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहा णं एत्थं चेव पढमपए अवसेसाइं पायच्छित्तपयाई अंतरोवगयाइं समणुविंदा।। से भयवं ! कयरे ते आवस्सगे?,गोयमा ! णं चिइवंदणादओ, से भयवं! कम्हि आवस्सगे असई पमायदोसेणं कालाइक्कमिए वा वेलाइक्कमिए वा समयातिक्कमिए वा अणोवउत्तपमत्तेहिं २ अविहीए वा समणुठिएइ वा णो णं जहुत्तयालं विहीए सम्म अणुठिए वा असंपट्टि (डि) एइ वा वित्थंपडिएइ वा अकएइ वा पमाएइ वा केवइयं पायच्छित्तमुवइसेज्जा ?, : re.c5555555555555555555555| श्री आगमगुणभजूषा - १४२० 5 4 5 55555555555FORON 乐听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 $$$ $$$$$$$ 5X9%步步$$$ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IG:2955555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. [६०] 55555555555555sexOR Mero 15555555555555555%功力hh गोयमा ! जे केई भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरयपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे दिक्खादियाप्पभिईओ अणुदियहं जावज्जीवाभिग्गहेणं सुवीसत्थे भत्तिनिब्भरे 卐 जहुत्तविहीए सुत्तत्थमणुसरमाणो अणण्णमाणसेगग्गचित्ते तग्गयमाणससुहज्झवसाए थयथुईहिंण तेकालियं चेइए वंदेज्जा तस्सणं एगाए वाराए खवणं पायच्छित्तं उवइसेज्जा बीयाए छेयं तइयाए उवठ्ठावणं, अविहीए चेइयाई वंदे तओ पारंचियं, जओ अविहीए चेइयाई वंदेमाणो अन्नेसिं असद्धं संजणेईइकाऊणं, जो उण हरियाणि वा बीयाणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा पूयठ्ठाए वा महिमछाए वा सोभठ्ठाए वा संघट्टेज वा संघट्टावेज्ज वा छिदिज्ज वा छिंदावेज वा संघट्टिजंताणि वा छिदिज्जताणि वा परेहिं समणुजाणेज वा एएसुं सव्वेसुं उवठ्ठावणं खमणं चउत्थं आयंबिलं एक्कासणगं निव्विगइयं गाढागाढभेदेणं जहासंखेणं णेयं ।६। जेणं चेइए वंदेमाणस्स वा संथुणेमाणस्स वा पंचप्पयारं सज्झायं वा पयरेमाणस्स वा विग्धं करेज वा कारेज वा कीरंतं वा परेहिं समणुजाणेज वा से तस्स एएसुंदुवालस छटुं एक्कासणगं कारणिगस्स, निक्कारणिगे अवंदे संवच्छरं जाव पारंचियं काऊणं उवठ्ठवेज्जा ७। जे णं पडिक्कमणं नो पडिक्कमेज्जा से णं तस्सोवठ्ठावणं निद्देसेज्जा, बइठ्ठपडिक्कमणेणं खमणं, सुन्नासुन्नीए अणोवउत्तपमत्तो वा पडिक्कमणं करेज्जा दुवालसं, पडिक्कमणकालस्स चुक्कइ चउत्थं, अकाले पडिक्कमणं करेजा चउत्थं, कालेणं वा पडिक्कमणं णो करेज्जा चउत्थं, संथारगओ वा संथारगोवविठ्ठो वा पडिक्कमणं करेज्जा दुवालसम, मंडलीए ण पडिक्कमेज्जा उवठ्ठावणं, कुसीलेहिं समं पडिक्कमणं करेज्जा उवठ्ठावणं, परिभठ्ठबंभचेरवएहिं समं पडिक्कमज्जा पारंचियं, सव्वस्स समणसंघस्स तिविहंतिविहेण खमणमरिसामणं अकाऊण पडिक्कमणं करेज्जा उवठ्ठावणं, पयंपएणाविच्चामेलियं पडिक्कमणसुत्तं ण पयट्टेज्जा चउत्थं, पडिक्कमणं ण काऊणं संथारगेइ वा फलहगेइ वा तुयट्टेज्जा खमणं, दिया तुयडेजा दुवालसं, पडिक्वमणं काउं गुरूपामूलं वसहिं संदिसावेत्ताणं ण पच्चुप्पेहेइ चउत्थं, वसहिं पच्चुप्पेहिंऊणं ण संपवेएज्जा छ8, वसहिं असंपवेपत्ताणं रयहरणं पच्चुप्पेहिज्जा पुरिमद्धं, रयहरणं विहीए पच्चुप्पेहित्ताणं गुरूपामूलं मुहणंतगे अपच्चुप्पेहिय उवहिं संदिसावेज्जा पुरिवढें (मड्ढं), असंदेसावियं उवहिंपच्चुप्पेहिज्जा पुरिवर्ल्ड, अणुवउत्तो उवहिं वा वसहिं वा पच्चुप्पेहे दुवालसं, अविहीए वसहिं वा अन्नयरं वा भंडमत्तोवगरणजायं किंचि अणोवउत्तपमत्तो पच्चुप्पेहिज्जा दुवालसं, वसहिं वा उवहिं वा अंडमत्तोवगरणं वा अपडिलेहियं वा दुप्पडिलेहियं वा परिभुजेज्जा दुवालसं, वसहिं बा उवहिं वा भंडमत्तोवगरणं वा ण पच्चुप्पिहिज्जा उवठ्ठावणं, एवं वसहि उवहिं पच्चुप्पेहिताणं जम्ही पएसे संथारयं जम्ही उ पएसे उवहीए पच्चुप्पेहणं कयं तं थामं णिउणं हलुयहलुयं दंडापुंछणगेण वा रयहरणेण वा साहरेत्ताणं तं च कयवरं पच्चुप्पेहित्तु छप्पइयाउण पडिगाहिज्जा दुवालसं, छप्पइयाओ पडिगाहित्ताणं तंच कयवरं परिठ्ठवेऊणं ईरियं ण पडिक्कमेज्जा चउत्थं, अपच्चुप्पेहियं कयवरं परिठ्ठवेज्जा उवठ्ठावणं, जइणं छप्पइयाओ हवेज्जा अहा णं नत्थि तओ दुवालसं, एवं वसहि उवहिं पच्चुप्पेहिऊणं समाहिं खइरोल्लगं च ण परिवेज्जा चउत्थं, अणुग्गए सूरिए समाहिं वा खयरोल्लगं वा परिद्ववेज्जा आयंबिलं, हरियकायसंसत्तेइ व बीयकायसंसत्तेइ वा तसकायबेइंदियाईहिं वा संसते थंडिले समाहिं वा खइरोल्लगं वा परिठ्ठवे अन्नयरं वा उच्चाराइयं वा वोसिरिज्जा पुरिमड्ढं एक्कासणगायंबिलमहक्कमेणं जइ णं णो उद्दवणं संभवेज्जा, अहा णं उद्दवणासंभाविए तओ खमणं, तं च थंडिल्लं पुणरवि पडिजागरिऊणं नीसंक काऊणं पुणरवि आलोएत्ताणं जहाजोगं पायच्छित्तं ण पडिगाहिज्जा तओ उवठ्ठावणं, समाहिं परिठ्ठवेमाणो सागारिएणं संचिक्खीयए संचिक्खीयमाणो वा परिवेज्जाखवणं, अपच्चुप्पेहियथंडिल्ले जंकिंचिवोसिरेज्जा तओ उवट्ठावणं, एवं वसहि उवहिंपच्चुप्पेहेत्ताणं समाहिं खइरोल्लगं च परवेत्ताणं एगग्गमाणसो आउत्तो विहीए सुत्तत्थमणुसरेमाणो ईरियं न पडिक्कमेज्जा एक्कासणगं, मुहणंतगेणं विणा ईरियं पडिक्कमेज्ना वंदणं पडिक्कमणं वा करेजा जंभाएज वा सज्झायं वा करेज्जा वायणादी सव्वत्थ पुरिमड्ढं, एवं चईरियं पडिक्कमित्ताणं सुकुमालपम्हलअचोप्पडअविक्किठेणं अविद्धदंडेणं दंडापुच्छणगेणं वसहिं न पमज्जे एक्कासणगं, बोहारियाए वा वसहिं बोहारिज्जा उवठ्ठावणं, वसहीए दंडापुंछणगं दाऊणं कयरं ण परिठ्ठवेज्जा चउत्थं, अपच्चुप्पेहियं कयवरं परिठ्ठवेज्जा दुवालसं, जइणं छप्पइयाउण हवेज्जा अहवाणं हवेज्जा तओणं उवट्टावणं, वसहीसंठियं कयवरं पच्चुप्पेहमाणेण जाओ छप्पझ्याओ तत्थ अन्नेसिऊणं २ समुच्चिणिय ॐ २ पडिगाहिया ताओ जइणं ण सव्वेसिं भिक्खूणं संविभइऊणं देज्जा तओ एक्कासणगं, जइ सयमेव अत्तणा ताओ छप्पइयाओ पडिग्गाहिज्जा अहणं ण संविभइउं Education International 2010_03 --- ruructricircuricurrich श्री आगमगणमंजषा - १४२१555555555555555555555555555OOK %%%步步步步步步步步步步步步步为%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%$5 20595955555555555555555555555 JOGO$%% RE wwomaineipes Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NORO (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. [६१] दिना ण य अण्णणो पडिगाहेज्जा तओ पारंचियं, एवं वसहि दंडापुंछणगेणं विहीए य पमज्जिऊणं कयवरं पच्चुप्पेहेऊणं छप्पइयाओ संविभातिऊणं च तं कयवरंण परिठ्ठवेज्जा परिट्ठवित्ताणं च सम्मं विहीए अच्चंतोवउत्तएगग्गमणसेण पयंपएणं तु सुत्तत्थोभयं सरमाणे जे णं भिक्खू ण ईरियं पडिक्कमेज्जा तस्स अ आयंबिलं खमणं पच्छित्तं निद्देसेज्जा, एवं तु अइक्कमिज्जा णं गोयमा ! किंचूणगं दिवड्ढं घडिगं पुव्वण्हिगस्स णं पढमजामस्स, एयावसरम्ही उ गोयमा ! जे णं भिक्खू गुरूणं पुरो विहीए सज्झायं संदिसाविऊणं एगग्गचित्ते सुयाउत्ते दढं धीइए घडिगोणपढमपोरिसी जावज्जीवाभिग्गहेणं अणुदियहं अपुव्वणाणगहणं न करेज्जा तस्स दुवालसमं पच्छित्तं निद्देसेज्जा, अपुव्वनाणाहिज्जणस्स असई जमेव पुव्वाहिज्जियं तं सुत्तत्थोभयमणुसरमाणो एगग्गमाणसे न परावत्तेज्जा भत्तित्थीरायतक्करजणवयाइविचित्तिविगहासु अणं अभिरमेज्जा अवंदणिज्जे, जेसिं च णं पुव्वाहीयं सुत्तं णत्थेव अउव्वनाणगहणस्स णं असंभवो वा तेसिमवि घडिगूणपढमपोरिसी पंचमंगलं पुणो २ परावत्तणीयं, अहा णं णो परावत्तिया विगहं कुव्वीया वा निसामिया वा से णं अवंदे, एवं घडिगूणगाए पढमपोरिसीए जे णं भिक्खु एगग्गचित्तो सज्झायं काऊ त पत्तगमत्तगकमढाई भंडोवगरणस्स णं अवक्खित्ताउत्तो विहीए पच्चुप्पहेणं ण करेज्जा तस्स णं चउत्थं पच्छित्तं निद्दिसेज्जा, भिक्खुसद्दो पच्छित्तसद्दो इमे सव्वत्थ पइयं जोजणीए, जइ णं तं भंडोवगरणं ण भुंजीया अहा णं परिभुंजे दुवालसं, एवं अइक्कंता पढमपोरिसी, बीयपोरसीए अत्थगहणं न करेज्जा पुरिमइढं, जइ णं वक्खाणस्स णं अभावो, अहा णं वक्खाणं अत्थेव तं ण सुणेज्जा अवंदे, वक्खाणस्सासंभवे कालवेलं जाव वायणाइसज्झायं न करेज्जा दुवालसं, एवं पत्ताए कालवेलाए जंकिंचि अइयराइयदेवसियाइयारे निदिए गरहिए आलोइए पडिक्कंते जंकिंचि काइगं वा वाइगं वा माणसिगं वा उस्सुत्तायरणेण वा उम्मग्गायरणेण वा अकप्पासेवणेण वा अकरणिज्जसमायरणेण वा दुज्झाइएण वा दुव्विचितिएण वा अणायारसमायरणेण वा अणिच्छियव्वसमायरणेण वा असमणपाउग्गसमायरण वा नाणे दंसणे चरित्ते सुए सामाइए तिण्हं गुत्तियादीणं चउण्हं कसायादीणं पंचण्हं महव्वयादीणं छण्हं जीवनिकायादीणं सत्तण्हं पिंडेसणमाईणं अट्ठण्हं पवयणमाइयाईणं नवहं बंभचेरगुत्ती (ताई) णं दसविहस्स णं समणधम्मस्स एवं तु जाव णं एमाइअणेगालावगमाईणं खंडणे विराहणे वा आगमकुसलेहिं णं गुरूहिं पायच्छित्तमुवइठ्ठ निमित्ते जहासत्तीए अणिगृहियबलवीरियपुरिसयारपरक्कमे असढत्ताए अदीणमाणसे अणसणाइ सबज्झंतरं दुवालसविहं तवोकम्मं गुरूणमंतिए पुणरवि णिदृंकिऊणं सुपरफुडं काऊणं तहत्ति अभिनंदित्ताणं खंडाखंडीविभत्तं वा एगपिंडठ्ठियं वा ण सम्ममणुचेट्टेज्जा से णं अवंदे, से भयवं ! केणं अट्ठेणं खंडाखंडीए काऊणमणुचिठ्ठेज्जा ?, गोयमा ! जेणं भिक्खू संवच्छरद्धं चाउम्मासं मासखमणं वा एक्कोलगं काऊणं न सक्कुणोइ ते णं छट्ठट्ठमदसमदुवालसद्धमासक्खमणेहिं णं तं पायच्छित्तं अणुपवेसेइ, अन्नमवि जंकिंचि पायच्छित्ताणुगयं, एतेणं अठ्ठेणं खंडाखंडीए समणुचिठ्ठे, एवं तु समोगाढं किंचूणं पुरिमड्ढं, एयावसरंमि उ जे णं पडिक्कमंतेइ वा वंदंतेइ वा सज्झायं करेंतेइ वा परिभमंतेइ वा संचरंतेइ वा गएइ वा ठिएइ वा बइट्ठलगेइ वा उठ्ठियलगेइ वा तेउकाएण वा फुसिल्लियल्लगे भवेज्जा से णं आयंचिऊणं ण संवरेज्जा तओ चउत्थं, अन्नेसिं तु जहाजोगं जहेव पायच्छित्ताणि पविसंति, तहा ससत्तीए तवोकम्मं णाणट्ठेइ तओ चउग्गुणं पायच्छित्तं तमेव बीयदियहे उवइसेज्जा, जेसिं चणं वंदंताण वा पडिक्कमंताण वा दीहं वा मज्जारं वा छिंदिऊणं गयं हवेज्जा तेसिं च णं लोयकरणं अन्नत्थ गमणं तंमाणं उग्गतवाभिरमणं, एयाई ण कुव्वंति तओ गच्छबज्झे, जेणं तु तं महोवसग्गसाहगं उप्पायगं दुन्निमित्तममंगलावहं हविया, जे णं पढमपोरिसीए वा बीयपोरिसीए वा चंकमणियाए वा परिसक्कज्जा अगालसन्निहीए वा छड्डी करेइ वा से णं जइ चउव्विहेणं ण संवरेज्जा तओ छठ्ठे, दिया थंडिले पडिलेहिए राओ सन्नं वोसिरेज्जा समाहीए वा एगासणं गिलाणस्स, अन्नेसिं तु छट्ठमेव, जइ णं दिया णं थंडिलं पच्चुप्पेहियं णो णं समाही संजमिया अपच्चुप्पेहिए थंडिले अपेहियाए चेव समाहीए रयणीए सन्नं वा काइयं वा वोसिरिज्जा गाणगं गिलाणस्स, सेसाणं दुवालसं, अहा णं गिलाणस्स मिच्छुक्कडं वा, एवं पढमपोरिसीए बीयपोरिसीए वा सुत्तत्थाहिज्जणं मोत्तूणं जे णं इत्थीकहं वा भत्तकहं वादेसकहं वा रायकहं वा तेणकहं वा गारत्थियकहं वा अन्नं वा असंबद्धं रोद्दट्टज्झाणोदीरणाकहं पत्थावेज्न वा उदीरेज्ज वा कहेज्ज वा कहावेज्ज वा से णं संवच्छरं जाव अवंदे, अहा णं पढमबीयपोरिसीए जइ णं कयाई महया कारणवसेणं (घडिगं वा ) अद्धघडिगं वा सज्झायं न कयं तत्थ मिच्छुक्कडं गिलाणस्स, अन्नेसिं निव्विगइयं, Hoon श्री आगमगुणमंजूषा १४२२ 552 Education I CPU Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRESHMISS555555555 (३१) महानिसीह यमुना म.म. [६] 985805555%ERROR दढनिठुरतेण वा गिलाणेण वा जइणं कहिचि केणइ कारणेणं जाएणं असई गीयत्थगुरूणा अणणुन्नाएणं सहसा कयादी बइठ्ठपडिक्कमणं कयं हवेज्जा तओ मासं जाव अवंदे, चउमासे जाव मूणव्वयं च, जे णं पढमपोरिसीए अणइक्वंताए तइयाए पोरिसीए अइक्वंताए भत्तं वा पाणं वा पडिगाहेज्ज वा परिभुजेज्ज वा तस्स णं पुरिमड्ढं, चेइएहिं अवंदिएहिं उवओगं करेजा पुरिमड्ढे, गुरूणो अंतिए णोवओगं करेज्जा चउत्थं, अकएणं उवओगेणं जंकिंचि पडिगाहेज्जा चउत्थं, अविहीए उवओगं करेज्जा खवणं, भत्तठ्ठाए वा पाणठ्ठाए वा सकज्जेण वा गुरूकज्जेण वा बाहिरभूमीए निग्गच्छंते गुरूणो पाए उत्तिमंगेणं संघट्टेत्ताणं आवस्सियं ण करेज्जा पविसंते घंघसालाईसु णं वसहीदुवारे णिसीहियं ण करेज्जा पुरिमड्ढं, सत्तण्हं कारणजायाणमसई वसहीए बहिं निग्गच्छे गच्छबज्झे, रागा गच्छे छेओवठ्ठावणं, अगीयत्थस्स गीयत्थस्स वा संकणिज्जस्स भत्तं वा पाणं वा भेसज्जं वा वत्थं वा पत्तं वा दंडगं वा अविहीए पडिगाहेज्जा गुरूणं च णालोइज्जा तइयवयस्स छेदं मासं जाव अवंदे मूणव्वयं च, भत्तठ्ठाए वा पाणठ्ठाए वा भेसज्जठ्ठाए वा सकज्जेण वा गुरूकज्जेण वा पविठ्ठो गामे वा नगरे वा रायहाणीए वा तिगचउक्कचच्चरपरिसागिहेइ वा तत्थ कहं वा विकहं वा पत्थावेज्जा उवठ्ठावणं, सोवाहणो परिसक्केज्जा उवठ्ठावणं, उवाहणाउ पडिगाहिज्जा खवणं, तारिसे णं संविहाणगे उवाहणाउ ण परि जेज्जा खवणं, गओ वा ठिओ वा केणइ पुट्ठो निउणं महुरं थोवं कज्जावडियं अगब्वियमतुच्छ निद्दोसं सयलजणमणाणंदकारयं इहपरलोगसुहावहं वयणं ण भासेज्जा अवंदे, जइ णं नाभिग्गहिओ, सोलसदोसविरहियंपी ससावज भासेज्जा उवठ्ठावणं, बहु भासे उवट्ठावणं, पडिनायं भासे उवठ्ठावणं, कसाएहि जि (जु) ज्ने अवंदे, कसाएहिं समुइन्नेहिं भुंजे रयणि वा परिवसेज्जा मासं जाव मूणव्वए अवंदे य उवठ्ठावणं च, परस्स वा कस्सई कसाए समुदीरेज्जा दरकसायस्स वा कसायवुडिढं करेजा मम्मं वा किंचि वाले (आलवे) ज्जा एतेसु गच्छबज्झो, फरूसं भासे दुवालसं, कक्कसं भासे दुवालसं, खरफरूसकक्कसणिठुरमणिट्ठ भासेज्जा उवट्ठावणं, दुब्बोल देइ खमणं, किलिकिलिकिधं (वं) कलहं झंझं डमरं वा करेज्जा गच्छबज्झो, मगारजगारं वा बोल्ले खवणं, बीयवाराए अवंदे, वहतो संघबज्झो, हणंता संघबज्झो, एवं खणंतो भंजतो ल्हसंतो लडितो जलिंतो जालावंतो पयंतो पयावयंतो, एतेसु सव्वेसु पत्तेगं संघबज्झो, गुरूपि पडिसूरज्जा अन्नं वा मयहराइयं कहिचि हीलेज्जा गच्छायारं वा संघायारं वा वंदणपडिक्कमणमाइमंडलीधम्म वा अइक्कमज्जा अविहीए वा पव्वावेज वा उवठ्ठावेज वा अओगस्स वा सुत्तं वा अत्थं वा उभयं वा परूवेज्जा अविहीए सारेज्ज वा वारिज्ज वा वाएज्ज वा विहीए वा सारणवारणचोयणं ण करेज्जा उम्मग्गपट्ठियस्स वा जहाविहीए जाव णं सयलजणसन्निझं परिवाडीएणं भासेज्जा अहियभासं सपक्खऽगुणावहं, एतेसु सव्वेसु पत्तेगं कुलगणसंघबज्झो, कुलगणसंघबज्झीकयस्स णं अच्चंतघोरवीरतवाणट्ठाणाभिरयस्सावि णं गोयमा ! अप्पेही, तम्हा कुलगणसंघबज्झीकयस्स णं खणखणद्धघडिगद्धघडिगं वा ण चिठ्यव्वंति, अपच्चुप्पेहिए थंडिल्ले उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा जल्लं वा परिट्ठावेज्ना निसीयंतो संडासगे ण पमज्जेज्जा निम्विगइयायंबिलमहक्कमेणं, भंडमत्तोवगरणजायं जंकिंचि दंडगाई ठवंतेइ वा निक्खिवंतेइ वा साहरंतेइ वा पडिसाहरंतेइ वा गिण्हतेइ वा पडिगिण्हतेइ वा अविहीए ठवेज्जा वा निक्खिवेज्ज वा साहरेज वा पडिसाहरेज वा गेण्हेज्ज वा पडिगेण्हेज्ज वा, एतेसुं असंसत्तखेत्ते चउरो आयंबिले, संसत्तखित्ते उवठ्ठावणं, दंडगं वा रयहरणं वा पायपुंछणं वा अंतरकप्पगं वा चोलपट्टगं वा वासाकप्पं वा जाव णं मुहणंतगं वा अन्नयरं वा किंचि संजमोवगरणजायं अप्पडिलेहियं वा दुप्पडिलेहियं वा ऊणाइरित्तं गणणाए पमाणेण वा परिभुंजे खवणं सव्वत्थ पत्तेगं, अविहीए नियंसणुत्तरीयं रयहरणं दंडगं वा परिभुजे चउत्थं, सहसा रयहरण खंधे निक्खिवइ उवट्ठावणं, अंगं वा उवंगं वा संवाहावेज्जा खवणं, रयहरणं सुसंघट्टे चउत्थं, पमत्तस्स सहसा मुहणताइ किंचि संजमोवगरणं विप्पणस्से तत्थ णं जाव खमणोवठ्ठावणं, जहाजोगं गवेसणं मिच्छुक्कडं वोसिरणं पडिगाहणं च, आउकायतेउकायस्सणं संघट्टणाई एगंतेणं णिसिद्धे, जो उण जोईए F अंतलिक्खबिंदुवारेहिं वा आउत्तो वा अणाउत्तो वा सहसा फुसेज्जा तस्स णं पकहियं चेवायंबिलं, इत्थीणं अंगावयवं किंचि हत्थेण वा पाएण वा दंडगेण वा मकरधरियकुसग्गेण वा लणखवएण वा संघट्टे पारंचियं, सेसं पुणोवि सत्थाणे पबंधेण भाणिहिइ, एवं तु आगय भिक्खाकालं, एयावसरम्ही उगोयमा ! जे णं भिक्खू पिंडेसणाभिहिएणं विहिणा अदीणमणसो 'वजेतो बीयहरियाई, पाणे य दगमट्टियं । उववायं विसमं खाणुं, रन्नो गिहवईणं च ॥१९|| संकट्ठाणं विवज्जतो mero ####5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४२३ 59555555555555555550% PC蛋乐乐明听听听听听听听听听听听听乐乐明乐乐乐乐明乐乐明乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐。 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOR9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. [६३] 55555555555555552CD) C$$$$$乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐5C पंचसमिइतिगुत्तिजुत्तो गोयरचरियाए पाहुडियं न पडियरिया तस्स णं चउत्थं पायच्छित्तं उवइसेज्जा जइ णं नो अभत्तठ्ठी, ठवणकुलेसु पविसे खवणं, सहसा पडिवुत्थं (वत्थु) पडिगाहितं तक्खणा ण परिठ्ठवे निरोवद्दवे थंडिले खवणं, अकप्पं पडिगाहेज्जा चउत्थाइ जहाजोगं, कप्पं वा पडिसेहेइ उवठ्ठावणं, गोयरपविठ्ठो कहं वा विकहं वा उभयकहं वा पत्थावेज वा उदीरेज्ज वा कहेज्न वा निसामेज्ज वा छटुं, गोयरमागओ य भत्तं वा पाणं वा भेसज्जं वा जं जेण दिन्नयं जहा य पडिग्गहियं तं तहा सव्वं णालोएज्जा पुरिवड्ढं, इरियाए अपडिक्वंताए भत्तपाणाइयं आलोएज्जा पुरिवड्ढे, ससरक्खेहिं पाएहिं अपमज्जिएहिं इरियं पडिक्कमेज्जा पुरिव (म) इढं, इरियं पडिक्कमिउकामो तिन्नि वाराउ चलणगाणं हेट्ठिमं भूमिभागंण पमज्जेज्जा णिव्विइगं, कन्नोट्ठियाए वा मुहणंतगेण वा विणा इरियं पडिक्कमे मिच्छुक्कडं पुरिमड्ढे वा, पाहुडियं आलोइत्ता सज्झायं पठ्ठवेत्तु तिसराइं धम्मोमंगलाई ण कडेढज्जा चउत्थं, धम्मोमंगलगेहिं च णं अपरियट्टिएहिं चेइयसाहहिं च अवंदिएहिं पारावेज्जा पुरिवड्ढं, अपाराविएणं भत्तं वा पाणं वा भेसज्जं वा परिभुजे चउत्थं, गुरूणो अंतियं ण पारावेज्जा नो उवओगे करेज्जा नो णं पाहुडियं आलोएज्जा ण सज्झायं पठ्ठवेज्ना, एतेसुं पत्तेयं उवठ्ठावणं, गुरूवि य जेणं नो उवउत्ते हवेज्जा सेणं पारंचियं, साहम्मियाणं संविभागेणं अविइन्नेणं जंकिंचि भेसज्जाइ परिभुंजे छठे, भुंजंतेइ वा परिवेसंतिए वा पारिसाडियं करेज्जा छठें, तित्तकडुयकसायंबिलमहुरलवणाइं रसाइं आसाइते वा पलिसायंते वा परिभुजे चउत्थं, तेसु चेव रसेसुं रागं गच्छे खमणमट्ठमं वा, अकएण काउस्सग्गेणं विगई परिभुंजे पंचेव आयंबिलाणि, दोण्हं विगईणं उड्ढं परिभुजे पंच निव्वइयगाणि, अकारणिगो विगइपरिभोगं कुज्जा ॥ अट्ठमं, असणं वा पाणं वा भेसज्जं वा गिलाणस्स अइन्नाणुव्वरियं परिभुंजे पारंचियं, गिलाणाणं अपडिजागरिएणं भुंजे उवट्ठावणं, सव्वमवि णियकत्तव्वं परिचिच्चाणं गिलाणकत्तव्वं न करेज्ना अवंदे, गिलाणकत्तव्वमालंबिऊणं निययकत्तव्वं पमाएज्जा अवंदे, गिलाणकप्पंण उत्तारेज्जा अट्ठमं, गिलाणेणं सद्धिं एगसद्देण गंतुंजमाइसे तं न कुज्जा पारंचिए, नवरं जइ णं से गिलाणे सत्थचित्ते, अहा णं सन्निवायादीहिं उब्भामियमाणसे हवेज्जा तओ जमेव गिलाणेणमाइटुंतं न कायव्वं, तस्स जहाजोगं कायव्वं, ण करेज्जा संघबज्झो, आहाकम्मं वा उद्देसियं वा पूईकम्मं वा मीसजायं वा ठवणं वा पाहुडियं वा पाओयरं वा कीयं वा पामिच्वं वा परियट्टियं वा अभिहडं वा उन्भिन्नं वा मालोहडं वा अच्छेज् वा अणिसळू वा अन्झोयरं वा धाईदूइनिमित्तेणं आजीववणीमगतिगिच्छाकोहमाणमायालोभेणं पुब्विंसंथवपच्छासंथवविज्जामंतचुन्नजोगे संकियमक्खियनिक्खित्तपिहियसाहरियदायगुम्मीसे अपरिणयलित्तछडिडययाए बायालाए दोसेहिं अन्नयरदोसेण दूसियं आहारं वा पाणं वा भेसज्जं वा परिभुजेज्जा सव्वत्थ पत्तेगं जहाजोगं कमेण खमणायंबिलादी उवइसेज्जा, छण्हं कारणजायाणमसइं भुजे अट्ठमं, सधूमं सइंगालं भुजे उवठ्ठावणं, संजोइय २ जीहालेहडत्ताए भुंजे आयंबिलखवणं, संते बलवीरियपुरिसयारपरक्कमे अठ्ठमिचउद्दसीनाणपंचमीपज्जोसवणचाउम्मासिए चउत्थट्ठमछटे ण करेज्जा खवणं, कप्पं ई णावियइ चउत्थं, कप्पं परिट्ठवेज्जा दुवालसं, पत्तगमत्तगकमढगं वा अन्नयरं वा भंडोवगरणजायं अतिप्पिऊणं ससिणिद्धं वा असिणिद्धं वा अणुल्लेहियं ठवेज्जा चउत्थं, पत्ताबंधस्स णं गंठीउ ण छोडिज्जा ण सोहेज्जा चउत्थं पच्छित्तं, समुद्देसमंडलीउ संघट्टेज्जा आयाम संघट्ट वा, समुद्देसमंडलिं छिविऊण दंडापुंछणगं न देज्जा निम्विइयं, समुद्देसमंडली छिविऊणं दंडापुंछणगं च दाऊणं इरियं न पडिक्कमेज्जा निम्विइयं, एवं इरियं पडिक्कमित्तु दिवसाक्सेसियं ण संवरेज्जा आयाम, गुरूपुरओ ण संवरिज्जा पुरिमड्ढ, अविहीए संवरेज्जा आयंबिलं, संवरित्ताणं चेइयसाहूणं वंदणं ण करेज्जा पुरिमड्ढे, कुसीलस्स बंदणगं दिज्जा अवंदे, एयावसरम्ही उ बहिरभूमीए पाणियकज्जेणं गंतूणं जावायामे ताव णं समोगाढेज्जा किंचूणा तइयपोरिसी, तमवि जाव णं इरियं पडिक्कमित्ताणं विहीए गमणागमणं च आलोइऊणं पत्तगमत्तगकमढगाइयं भंडोवगरणं निक्खिवइ ताव णं अणूणाहिया तइयपोरिसी हवेज्जा, एवं अइक्वंताए तइयपोरिसीए गोयमा ! जे णं भिक्खू उवहिं थंडिलाणि विहिणा गुरूपुरओ संदिसावित्ताणं पाणगस्स य संवरेऊणं कालवेलं जाव सज्झायं ण करेज्जा तस्स णं छ8 पायच्छित्तं उवइसेज्जा, एवं च आगयाए कालवेलाए गुरूसंतियं उवहिं थंडिल्ले वंदणपडिक्कमणसम्झायमंडलीओ वसहिं च पच्चुप्पेहित्ताणं समाहीए खइरोल्लगे य संजमिऊणं अत्तणगं उवहिं थंडिल्ले पच्चुप्पेहित्तु गोयरयरियं पडिक्कमिऊणं कालो गोयरचरियाघोसणं काऊण तओ देवसियाइयारविसोहिनिमित्तं काउस्सग्गं करेज्जा, एएसुंपत्तेगं उट्ठावणं पुरिमड्ढेगासणगोवठ्ठावणं Keros55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १४२४ 555555555555555555555555555GOR GO乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2O Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. जहासंखेणं णेयं, काऊणं काउस्सग्गं मुहणंतगं पच्चुप्पेहेउं विहीए गुरूणो किइकम्मं काऊणं जंकिंचि कत्थइ सूरूग्गमपभिईए चिट्ठतेण वा गच्छंतेण वा चलंतेण वा भमंतेण वा संभरं (मं) तेण वा पुढवीदग अगणिमारूयवणस्सइहरियतणबीयपुप्फफलकिसलयपवालंकुरदलबितिचउपंचिदियाणं संघट्टणपरियावणकिलावणउद्दवणं वाकयं हवेज्जा तहा तिण्हं गुत्तादीणं चउण्हं कसायाईणं पंचण्हं महव्वयादीणं छण्हं जीवनिकायादीणं सत्तण्डं पाणपिंडेसणाणं अट्ठण्हं पवयणमायादीणं नवहं बंभचेरादीणं दसविहस्स समणधम्मस्स नाणदंसणचारित्ताणं च जं खंडियं जं विराहियं तं निदिऊणं गरहिऊणं आलोइऊणं पायच्छित्तं च पडिवज्नेऊणं एगग्गमाणसे सुत्तत्थोभयं धणियं भावेमाणे पडिक्कमणं ण करेज्जा उवट्ठावणं, एवं तु अदंसणं गओ सूरिओ, चेइएहिं अवंदिएहिं पडिक्कमेज्जा चउत्थं, एत्थं च अवसरं विनेयं, पडिक्कमिऊणं च विहीए रयणीए पढमजामं अणूणगं सज्झायं न करेज्जा दुवालसं, पढमपोरिसीए अणइक्कंताए संथारगं संदिसावेज्जा छट्ठं, असंदिसाविएण्ठ संथारगेणं संथारेज्जा चउत्थं, अपच्चुप्पेहिए थंडिल्ले संथारेइ दुवालसं, अविहीए संथारेज्जा चउत्थं, उत्तरपट्टगेणं विणा संथारेइ चउत्थं, दोउडं संथारेज्जा चउत्थं, सुसिरं सणप्पयादी संथारेज्ना सयं आयंबिलाणं, सव्वस्स समणसंघस्स साहम्मिया ( णमसाहम्मिया) णं च सव्वस्सेव जीवरासिस्स सव्वभावभावंतरेहिं णं तिविहंतिविहेणं खामणमरिसावणं अकाऊणं चेइएहिं तु अवंदिएहिं गुरूपामूलं च उवहिदेहस्सासणादीणंच सागारेणं पच्चक्खाणेणं अकएणं कन्नविवरेसुं च कप्पासरूवेणं तुट्ट (अठ्ठ) इएहिं संथारम्ही ठाएज्जा, एएसुं पत्तेगं उवठ्ठावणं, संथारगम्ही ठाऊणमिमस्स णं धम्मसरीरस्स गुरूपारंपरिएणं समुवलद्धेहिं तु इमेहिं परममंतकुखरेहिं दससुविदिसासुं अहिहरिदुट्ठपंतवाणमंतरपिसायादीण रक्खं ण करेज्जा उवठ्ठावणं, दससुवि दिसासु रक्खं काऊणं दुवालसहिं भावणाहिं अभावियाहिं सोविज्जा पणुवीसं आयंबिलाणि, एक्वं निद्दं मोऊणं पडिबुद्धे ईरियं पडिक्कमेत्ताणं पडिक्कमणकालं जाव सज्झायं न करेज्जा दुवालसं, पसुत्ते दुसुमिणं वा कुसुमिणं वा उग्गहेज्जा सएण ऊसासाणं काउस्सग्गं, रयणीए छीएज्ज वा खासेज्ज वा फलहगपीढगदंडगेण वा खुडुक्कगं पउरिया खमणं, दिया वा राओ वा हासखेड्डकंदप्पणाहवायं करेजा उवठ्ठावणं, एवं जेणं भिक्खू सुत्ताइक्कमेणं कालाइक्कमेणं आवासगं कुव्वीया तस्स णं कारणिगस्स मिच्छउक्कडं गोयमा ! पायच्छित्तं उवइसेज्जा, जे यणं अकारणिगे तेसिं तु णं जहाजोगं चउत्थाइ उवएसे, जे णं भिक्खू सद्दे करेज्जा सद्दे उवइसेज्जा सद्दे गाढागाढसद्दे य सव्वत्थ पइपयं पत्तेयं सव्वपएसुं संबज्झावेयव्वे, एवं जेणं भिक्खू आउकायं वा तेउकायं वा इत्थीसरीरावयवं वा संघट्टेज्ना नो णं परिभुंजेज्जा से णं तस्स पणुवीसं आयंविलाणि उवइसेज्जा, जे उण परिभुंजेज्जा से दुरंतपंतलक्खणे अठ्ठव्वे महापावकम्मे पारंचिए, अहा णं महातवस्सी हवेज्जा सत्तरिं मासखमणाणं सयरिं अद्धमासखमणाणं सयरिं दुवालसाणं सयरिं दसमाणं सरं अमाणं सरिं छठ्ठाणं सयरिं चउत्थाणं सयरिं आयंबिलाणं सयरिं एगठ्ठाणाणं सयरिं सुद्धायामेगासणाणं सयरिं निव्विगइयाणं जाव णं अणुलोमपडिलोमेणं निद्दिसेज्जा, एयं च पायच्छित्तं जे य णं भिक्खू अविस्संतो समणुट्टेज्जा से णं आसण्णपुरक्खडे नेये । ८I से भयवं ! इणमो सयरिं सयरिं अणुलोमपडिलोमेणं केवइयं hi जाव समहि ?, गोयमा ! जाव णं आयारमग्गं वा (ठा) एज्जा, भयवं ! उड्ढं पुच्छा, गोयमा ! उड्ढं केई समणुठ्ठेज्जा केई णो समणुठ्ठेज्जा, जेणं समणुट्ठेज्जा सेणं वंदे से णं पुज्जे से णं दट्ठव्वे से णं सुपसत्थसुमंगले सुगहीयणामधेज्जे तिण्हंपि लोगाणं वंदणिज्जेत्ति, जे णं तु णो समणुट्टे से णं पावे से णं महापावे से णं महापावपावे सेणं दुरंतपंतलक्खणे जाव णं अदट्ठव्वेत्ति | ९| जया णं गोयमा ! इणमो पच्छित्तसुत्तं वोच्छिज्जिहिइ तया णं चंदाइच्चगहरिक्खतारगाणं सत्त अहोरत्ते तेयं णो विफुरेज्जा।१०। इमस्स णं वोच्छेदे गोयमा ! कसिणसंजमस्स अभावो, जओ णं सव्वपावपणिठ्ठवगे चेयं पच्छित्ते, सव्वस्स णं तवसंजमाणुठ्ठाण पहाणमंगे परमविसोहीपए, पवयणस्सावि णं णवणीयसारभूए पन्नत्ते । ११ । इणमो सव्वमवि पायच्छित्ते गोयमा ! जावइयं एगत्थ संपिंडियं हवेज्जा तावइयं चेव एगस्स णं गच्छाहिवइणो मयहरपवत्तणीए य चउगुणं उवइसेज्जा, जओ णं सव्वमवि एएसिं पयंसियं हवेज्जा, अहा णमिमे चेव पमायं संगच्छेज्ना तओ अन्नेसिं संते धीबलवीरय (ए) सुठुतरागमब्भुज्जमं ह (हा) वेज्जा, अहा णं किंचि सुमहंतमवि तओऽणुट्ठाणमब्भुज्जमेज्जा ता णं न तारिसाए धम्मसद्धाए, किं तु मंदुच्छाहे समज्जा, भग्गपरिणामइस य निरत्थगमेव कायकेसे, जम्हा एयं तम्हा उ अचिंताणंतनिरणुबंधिपुन्नपब्भारेणं संभु (जु) ज्जमाणेवि साहुणो न संजुज्नंति, एवं च 5 श्री आगमगुणमंजूषा १४२५ KOKO666666666666 [६४] Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OEIC%%%%%% %% %% (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. ६५] सव्वमवि गच्छाहिवइयादीणं दोसेणेव पवत्तेज्जा, एएणं पवुच्चइ गोयमा ! जहा णं गच्छाहिवइयाईणं इणमो सव्वमवि पच्छित्तं जावइयं एगत्थ संपिडियं हवेज्जा तावइयं चेव चउग्गुणं उवइसेज्जा ।१२। से भयवं ! जे णं गणी अप्पमादी भवेत्ताणं सुयाणुसारेणं जहुत्तविहाणेहिं चेव सययं अहन्निसं गच्छं न सारवेज्जा तस्स किं पायच्छित्तमुवइसिज्जा?, गोयमा! अप्पउत्ती पारंचियं उवइसेज्जा, से भयवं ! जस्स उण गणिणो सव्वपमायालंबणविप्पमुक्कस्साविणं सुयाणुसारेणं जहुत्तविहाणेहिं चेव सययं अहन्निसं गच्छं सारवेमाणस्सं उ केई तहाविहे दुठ्ठसीले न सम्मग्गं समायरेज्जा तस्सवि किं पच्छित्तमुवइसेज्जा ?, गोयमा ! उवइसेज्जा, से भयवं ! केणं 'अठ्ठणं ?, गोयमा ! जओ णं तेणं अपरिक्खियगुणदोसे निक्खमाविए हवेज्जा एएणं, से भयवं! किं तं पायच्छित्तमुवइसेज्जा ?, गोयमा ! जे णं एवंगुणकलिए गणी से णं जया एवंविहं पावसीलं गच्छं तिविहंतिविहेणं वोसिरित्ताणं आयहियं नो समणु?ज्जा तया णं संघबज्झे उवइसेज्जा, से भयवं ! जया णं गणिणा गच्छे तिविहेणं वोसिरिए हवेज्जा तया णं ते गच्छे आदरेज्जा?, जइ संविग्गे भवेत्ताणं जहुत्तं पच्छित्तमणुचरेत्ता अन्नस्स गच्छाहिवइणो उवसंपज्जित्ताणं सम्मग्गमणुसरेज्जा तओ णं आयरेज्जा, अहाणं सच्छंदत्ताए तहेव चिठेतओणं चउव्विहस्सावि समणसंघस्स बज्झं तं गच्छं णो आयरेजा।१३। से भयवं! जया णं से सीसेजहुत्तसंजमकिरियाए वटुंति तहाविहे य केई कुगुरू तेसिं दिक्खं परूवेज्जा तया णं सीसा किं समणुढेज्जा?, गोयमा ! घोरवीरतवसंजमं, से भयवं कहं ?, गोयमा ! अन्नगच्छे पविसेत्ताणं, तस्स संतिएणं सिरिगारेणं अलिहिए समाणे अन्नगच्छेसुं पवेसमेव ण लभेज्जा तया णं किं कुविज्जा ?, गोयमा ! सव्वपयारेहिं णं तं तस्स संतियं सिरियारं फुसावेज्जा, से भयवं ! केण पयारेणं तं तस्स संतियं सिरियारं सव्वपयारेहिं णं फुसियं हवेज्जा ?, गोयमा ! अक्खरेसुं, से भयवं ! किं णामे ते अक्खरे?, गोयमा ! जहाणं अपडिगाहे कालकालंतरेसुंपि अहं इमस्स सीसाणं वा सीसणीगाणं वा, से भयवं ! जया णं एवंविहे अक्खरेण पयादी ?, गोयमा ! जया णं एवविहे अक्खरे ण पयादी तयाणं आसन्नपावयणीणं पकहित्ताणं चउत्थादीहिं समक्कमित्ताणं अक्खरे दावेज्जा, से भयवं! जयाणं एएणं पयारेणं सेणं कुगुरू अक्खरे ण पदेज्जा तया णं किं कुज्जा ?, गोयमा ! जया णं एएणं पयारेणं से णं कुगुरू अक्खरे नो पयच्छे तया णं संघबज्झे उवइसेज्जा, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! सुछ पयट्टे इणमो महामोहपासे गेहपासे तमेव विप्पजहित्ताणं अणेगसारीरिगमणोसमुत्थचउगइसंसारदुक्खभयभीए कहकहवि मोहमिच्छत्तादीणं खओवसमेणं सम्मग्गं समोवलभित्ताणं निव्विन्नकामभोगे निरणुबंधं पुन्नमहिज्जे, तं च तवसंजमाणुठ्ठाणेणं, तस्सेव तवसंजमकिरियाए जावणं गुरू सयमेव विग्धं पयरे अहाणं परेहिं कारवे कीरमाणे वा समणुवेक्खे सपक्खेण वा परपक्खेण वा ताव णं तस्स महाणुभागस्स साहुणो संतियं विज्जमाणमवि धम्मवीरियं पणस्से जाव णं धम्मवीरियं पणस्से ताव णं जे पुन्नभागे आसन्नपुरक्खडे चेव सो पणस्से, जइ णं णो समणलिंग विप्पजहे ताहे जे एवंगुणोववए से णं तं गच्छमुज्झिय अन्नं गच्छं समुप्पयाइ, तत्थवि जाव णं संपवेसं ण लभे ताव णं कयाइ उण अविहीए पाणे पयहेज्ना कयाइ उण मिच्छत्तभावं गच्छिय परपासंडियमासएज्जा कयाइ उण दाराइसंगहं काऊणं अगारवासे पविसेज्जा अहा णं से ताहे महातवस्सी भवेत्ताणं पुणो अतवस्सी होऊणं परकम्मकरे हवेज्जा जाव णं एयाइं न हवंति ताव णं एगंतेणं वुडिढं गच्छे मिच्छत्ततमे जावणं मिच्छत्ततमंधीकए बहुजणनिवहे दुक्खेणं समणुठूज्जा दुग्गइनिवारए सोक्खपरंपरकारए अहिंसालक्खणसमणधम्मे, जावणं एयाइं भवंति ताव णं तित्थस्सेव वोच्छित्ती, ताव णं सुदूरववहिए परमपए, जाव णं सुदूरववहिए परमपए तावणं अच्वंतसुदुक्खिए चेव भव्वसत्तसंघाए पुणो चउगईए संसरेज्जा, एएणं अणं एवं वुच्चइ गोयमा ! जहा णं जे णं एएणेव पयारेणं कुगुरू अक्खरे णो पएज्जा से णं संघबज्झे उवइसेज्जा ।१४। से भयवं ! केवइएणं कालेणं पहे कुगुरू भविहिति?, गोयमा ! इओय अद्धतेरसण्हं वाससयाणं साइरेगाणं समइक्वंताणं परओ भविंसु, से भयवं ! केणं अठ्ठणं?, गोयमा ! तक्कालं इड्ढीरससायगारवसंगए ममीकारअहंकारग्गीए अंतो संपज्जलंतबोंदी अहमहंतिकयमाणसे अमुणियसमयसब्भावे गणी भविंसु, एएणं अणं, से भयवं ! किण्णं सव्वेऽवी एवंविहे तक्कालं जगणी भवींसु ?, गोयमा ! एगंतेणं नो सव्वे, केई पुण दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठव्वे एगाए जणणीए जमगसमगं पसूए निम्मेरे पावसीले दुजायजम्मे सुरोद्दपयंडाभिग्गहियदूरमहामिच्छद्दिट्ठी भविंसु, से भयवं ! कहं ते समुवलक्खेज्जा?, गोयमा ! उस्सुत्तउम्मग्गपवत्तणुद्दिसणअणुमइपच्चएण।१५। से भयवं ! जे CSCs听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5C OCB明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2GB MOTro95955555555555555555; श्री आगमगुणमंजूषा- 165154454555555496KMGNOR Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्र (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. [६६] णंगणी किंचियावस्सगं पमाएज्जा ?, गोयमा ! जे णं गणी अकारणिगे किंची खणमेगमवि पमाए से पां अवंदे उवइसेज्जा, जे णं तु सुमहाकारणिगेवि संते गणी खणमेगमवी ण किंचि णिययावस्सगं पमाए से णं वंदे पूए दट्ठव्वे जाव णं सिद्धे बुद्धे पारगए खीणट्टकम्ममले नीरए उवइसेज्जा, सेसं तु महया पबंधेणं सत्थाणे चेव भाणिहिइ ।१६। ‘एवं पच्छित्तविहिं, सोऊण णाणुचिठ्ठती। अदीणमणो, जुंजइ य जहथामं, जे से आराहगे भणिए ||२०|| जलजलणदुठ्ठसावयचोरनरिंदा हिजोगिणी भए । तह भूयजक्खरक्खसखुद्दपिसायाण मारीणं ॥ २१ ॥ कलिकलहविग्घरोहगकंताराडइसमुद्दमज्झे य। दुच्चितिय अवसउणे संभरियव्वा वट्टइ इमा विज्जा ॥||२२|| प्अस्एइजण्- आम्देण्उज् अन्णज्झाण- इउम्म्एट् इम्तइवइ कमउण् आहइएहुइम्पव्वाण्- आगउइहअण्हरू उचउइहम्- ममहमुउअण्उम्वइदएउ - आण्अम्चउण्हम्इम्- सुखगक्अल् अम्घएहप्इसस् अम्चउ (प्रत्यंतरे प्आएहइंजन अम्इन् उज्म्न्झन्इउमम्- एहइम्त्इव्इक्कम्उन्- आहइए इम्पव्वान् आग्ओइअरपहर उचउदुइम्महसउउ- अणउमथइट्ए- ओअन् अमृतउए- हमइम्वधस्इखकअ- उल्अमथएहवइसम्अमृतउ) एयाए पवरविज्जाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊणं इमेए सत्तक्खरे उत्तमंगोभयखंधकुच्छीचलणतलेसु संणिसेज्जा तंजहा अउम् उत्तमंगे क्उ वामखंधगीवाए वामकुच्छीए क्उ वामचलणयले लए दाहिणचलणयले स्वआ दाहिणकुच्छीए हुआ दाहिणखंधगीवाए | १७ | 'दुसुमिणदुन्निमित्ते गहपीडुवसग्गमारिरिभए । वासासणिविज्जूए वायारिमहाजणविरोहे ॥२३॥ जं चऽत्थि भयं लोगे, तं सव्वं निद्दले इमाए विज्जाए। सत्थपहे (सट्ठ (झ) झण्हे मंगलयरे पावहरे सयलवरऽक्खयसोक्खदाई काउमिमे) पच्छित्ते, जइ णं तु भवे सिझे ॥ २४॥ ता लहिऊण विमाणं (गयं) सुकुलुप्पत्तिं दुयं च पुण बोहिं । सोक्खपरंपरएणं सिज्झे कम्मट्ठबंधरयमलविमुक्के ||२५|| गोयमोत्ति बेमि । से भयवं ! किं प (ए) याणुमेत्तमेव पच्छित्तविहाणं जेणेवमाइस्से ?, गोयमा ! एयं सामन्नेणं दुवालसण्ह कालमासाणं पइदिणमहन्निसाणुसमयं पाणोवरमं जाव सबालवुड्ढसेहमयहररायणियमाईणं, तहा य अपडिवायमहोऽवहिमणपज्जवनाणीउ छउमत्थतित्थयराणं एगंतेणं अब्भुट्ठाणारिहावस्सगसंबंधियं चेव सामन्नेणं पच्छित्तं समाइट्ठ, नो णं एयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं, से भयवं ! किं अपडिवायमहोऽवहीमणपज्जवनाणी छउमत्थवीयरागे सयलावस्सगे समणुट्ठीया ?, गोयमा ! मट्ठीया, न केवलं समणुट्ठीया जमगसमगमेवाणवरयमणुट्ठीया, से भयवं ! कहं ?, गोयमा ! अचिंतबलवीरियबुद्धिनाणाइसयसत्तीसामत्थेणं, से भयवं ! केणं अट्ठे ते समट्ठीया ?, गोयमा ! मा णं उस्सुत्तुम्मग्गपवत्तणं मे भवउत्तिकाऊणं । १८। से भयवं ! किं तं सविसेसं पायच्छित्तं जाव णं वयासी ?, गोयमा ! वासारत्तियं पंथगामियं वसहिपारिभोगियं गच्छायारमइक्कमणं संघायारमइक्कमणं गुत्तीभेयपयरणं सत्तमंडलीधम्माइक्कमणं अगीयत्थगच्छपयाणजायं कुसीलसंभोगजं अविहीए पव्वज्जादाणोवठ्ठावणाजायं अउग्गस्स सुत्तत्थोभयपण्णवणजायं अणाणयणिक्कऽक्खरवियरणाजायं देवसियं राइयं पक्खियं मासियं चउमासियं संवच्छरियं एहि पारलोइयं मूलगुणविराहणं उत्तरगुणविराहणं आभोगाणाभोगयं आउट्टिपमायदप्पकप्पियं वयसमणधम्मसंजमतवनियमकसायदंडगुत्तीयं मयभयगारवइंदियजं वसणाइकरोद्दट्टज्झणरागदोसमोहमिच्छत्तदट्ठकूरज्झवसायसमुत्थं ममत्तमुच्छापरिग्गहारंभजं असमिइत्तपट्ठीमंसामित्तधम्मंतरायसंतावुव्वेवगासमाहाणुप्पइयागं संखाईया आसायणा अन्नयरासायणयं पाणवहसमुत्थं मुसावायसमुत्थं अदत्तादाणगहणसमुत्थं मेहुणसेवणासमुत्थं परिग्गहकरणसमुत्थं राइभोयणसमुत्थं माणसियं वाइयं काइयं असंजमकरणकारवणअणुमइसमुत्थं जाव णं णाणदंसणचारित्ताइयारसमुत्थं, किं बहुणा ?, जावइयाइं तिगालचिइवंदणादओ पायच्छित्तट्ठाणाई पन्नत्ताई तावइयं च पुणो विसेसेण गोयमा ! असंखेयहा पन्नविज्जंति (अ-ओ) एवं संधारेज्जा जहा णं गोयमा ! पायच्छित्तसुत्तस्स णं संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ संखिज्जाई अणुओगदाराई संखेज्ने अक्खरे अनंते पज्जवे जाव णं दंसिज्जति उवदंसिज्नंति आघविज्जति पन्नविज्नति परूविज्जति कालाभिग्गहत्ता दव्वाभिग्गहत्ताए खेत्ताभिग्गहत्ताए भावाभिग्गहत्ताए जाव णं आणुपुव्वीए अणाणुपुव्वीए जहाजोगं गुणठाणेसुंति बेभि । १९ । से भयवं । एरिसे छिबाहु से भय ! एरिसे पच्छित्तसंघट्टे से भयवं ! एरिसे पच्छित्तसंगहणे अत्थि केई जे णं आलोइत्ताणं निदित्ताणं गरहित्ताणं जाव णं अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तमणुचरित्ताणं सामन्नमाराहेज्जा पवयणमाराहिज्जा जाव णं आयहियठ्ठयाए उवसंपज्जित्ताणं सकज्जं तमठ्ठे आराहेज्जा ?, गोयमा ! णं चउव्विहं आलोयणं श्री आगमगुणमंजूषा - १४२७ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. [६७] विंदा, तंजहा=नामालोयणं ठवणालोयणं दव्वालोयणं भावालोयणं, एते चउरोऽवि पए अणेगहावि चउधा जोइज्जति, तत्थ ताव समासेण णामालोयणं नाममेत्तेणं, ठवणालोयणं पोत्थयाइसुमालिहियं, दव्वालोयणं नाम जं आलोएत्ताणं असढभावत्ताए जहोवइट्टं पायच्छित्तं नाणुचिठ्ठे, एते तओऽवि पए एगतेणं गोयमा ! अपसत्थे, जे से चत्यं भावालोयणं नाम ते णं तु गोयमा ! आलोएत्ताणं निदित्ताणं गरहित्ताणं पायच्छित्तमणुचरित्ताणं जाव णं आयहियट्ठाए उवसंपज्नित्ताणं सकज्जुत्तममठ्ठे आराहेज्जा, से भयवं ! कयरे णं से चउत्थे पए १, गोयमा ! भावालोयणं, से भयवं ! किं तं भावालोयणं ?, गोयमा ! जे णं भिक्खू एरिसे संवेगवेरग्गगए सीलतवदाणभावणचउखंधसुसमणधम्ममाराहणेक्कंतरसिए मयभयगावादीहिं अच्च॑तविप्पमुक्के सव्वभावभावंतरेहिं णं नीसल्ले आलोइत्ताणं विसोहिपयं पडिगाहित्ताणं तहत्ति समणुट्ठीया सव्वुत्तमं संजमकिरियं समणुपालिज्जा ।२०। तंजहा- 'कयाइं पावाई ईसाहिं, जे हिअट्ठी ण बज्झए । तेसिं तित्थयरवयणेहिं, सुद्धी अम्हाण कीरओ ॥६॥ परिचिच्चाणं तयं कम्मं, घोरसंसारदुक्खदं । मणोवयकायकिरियाहिं, सीलभारं धरेमिऽहं ||७|| जह जाणइ सव्वन्नू, केवली तित्थंकरे। आयरिए चारित्तड्ढे, उवज्झायसुसाहुणो ॥ ८॥ जह पंच लोयपाले य, सत्ता धम्मे य जाणते । तहाऽऽलोएमिऽहं सव्वं, तिलमित्तंपि न निण्हवं ||९|| तत्थेव जं पायच्छित्तं, गिरिवरगुरूयंपि आव । तच्चरेदेि सुद्धिं, जह पावे झत्ति विलिज्जए ||३०|| मरिऊणं नरयतिरिएसुं, कुंभीपाएसु कत्थई । कत्थइ करवत्तजंतेहिं, कत्थइ भिन्नो उ सूलिए || १ || घसणं घोलणं कहिमि, कत्थइ छेयणभेयणं । बंधणं लंघणं कहिमि, कत्थइ दमणमंकणं ॥२॥ णत्थणं वाहणं कहिमि, कत्थइ वहणतालणं । गुरूभारक्कमणं कर्हिचि, कत्थझ लारविंधणं ||३|| उरपट्ठिअट्ठिकडिभंगं, परवसो तण्हं छुहं । संतावुव्वेगदारिद्दं, वीसहीहामि पुणोविहं ||४|| ता इहहं चेव सव्वंपि, नियदुच्चरियं जहट्ठियं । आलोत्ता निदित्ता गरहित्ता, पायच्छित्तं चरित्तुणं || ५ || निद्दहामि पावयं कम्मं, झत्ति संसारदुक्खयं । अब्भुटिठत्ता तवं घोरं, धीरवीरपरक्कमं ||६|| अच्छंतकडयडं कट्ठे, दुक्करं दुरणुच्चरं । उग्गुग्गयरं जिणाभिहियं, सयलकल्लाणकारणं ||७|| पायच्छित्तनिमित्तेणं, पारसं थारकारयं । आयरेणं तवं चरिमो, जेणुब्भं सोक्खई तणुं ॥ ८॥ कसाए विहलीकट्टु, इंदिए पंच निग्गहं । मणोवईकायदंडाणं, निग्गहं धणियमारभे ||९|| आसवदारे निरूंभेत्ता, चत्तमयच्छरअमरिसो । गयरागदोसमोहोऽहं, संगो निप्परग्गहो ||४०|| निम्ममो निरहंकारो, सरीरअच्छंतनिप्पिहो । महव्वयाई पालेमि, निरइयांराइं निच्छिओ ||१|| हदी धी हा अहन्नोऽहं, पावो पावमती अहं । पाविट्ठो पावकम्मोऽहं पावाहमाहमयरोऽहं ||२|| कुसीलो भट्ठचारित्ती, भिल्लसूणोवमो अहं । चिलातो निक्किवो पावी, कूरकम्मीह निग्घिणो ||३|| इणमो दुल्लभं लभिउं, सामन्नं नाणदंसणं । चारित्तं वा विराहेत्ता, अणालोइयनिदियागरहियअकयपच्छित्तो, वावज्जंतो जई अहं ॥४॥ ता निच्छयं अणुत्तरे, घोरे संसारसागरे । निबुड्डो भवकोडीहिं, समुत्तरंतो ण वा पुणो ॥५॥ ता जा जरा ण पीडेइ, वाही जाव न केई मे । जाविंदिया न हायंति, ताव धम्मे चरेत्तुऽहं ||६|| निद्दहमइरेण पावाई, निदिउं गरहिउं चिरं । पायच्छित्तं चरित्ताणं, निक्कलंको भवामिऽहं ||७|| निक्कलुसनिक्कलंकाणं, सुद्धभावाण गोयमा ! । तन्नो नट्टं जयं गहियं, सुदूरमवि परिवलित्तणं ॥८॥ एवमालोयणं दांउं, पायच्छित्तं चरित्तुण । कलुसकम्ममलमुक्कं, जइ णो सिज्झिज्न तक्खणं ||९|| ता वए देवलोगंमि, निच्चुज्जोए सयंपहे । देवदुदुंहिनिग्घोसे, अच्छरासयसंकुले ॥५०॥ तओ चुया इहागंतुं, सुकुलूप्पत्तिं लभेत्तुणं । निव्विन्नकामभोगा य, तवं काउं मया पुणो || १ || अणुत्तरविमाणेसुं, निवसिऊणेहमागया । हवंति धम्मतित्थयरा, सयलतेलोक्कबंधवा ॥२॥ एस गोयम ! विन्नेये, सुपसत्थे चउत्थे पए । भावालोयणं नाम, अक्खयसिवसोक्खदायगो ॥३॥ त्ति बेमि, से भयवं ! एरिसं पप्प, विसोहिं उत्तमं वरं । जे पमाया पुणो असई, कत्थइ चुक्के खल्लिज्ज वा ॥४॥ तस्स किं भवे सोहिपयं, सुविसुद्धं चेव लक्खिए। उयाहु णो समुल्लिक्खे ?, संसयमेयं वियागरे ॥ ५ ॥ गोयमा ! निंदिउं गरहिउं सुइरं, पायच्छित्तं चरित्तुणं । निक्खारियवत्थमिवाएण खंपणं जो न रक्खए ||६|| सो सुरहिगंधुभिण्णगंधोदयविमलनिम्मलपवित्ते । मज्जिअ खीरसमुद्दे, असुईगड्डाए जइ पडइ ||७|| एता पुण तस्स सामग्गी, (सव्वकम्मक्खयंकरा) । अह होज्ज देवजोग्गा, असुईगंधं खु दुब्द्धरिसं ॥८॥ एवं कयपच्छित्ते, जे णं छज्जीवकायवयनियमं । दंसणनाणचरित्तं, सीलंगे वा भवंगे वा ॥ ९ ॥ कोहेण व माणेण व माय कसायदोसेणं । रागेण पओसेण व, (अन्नाण) मोहमिच्छत्तहासेणं (वावि) ||६०|| (भएणं कंदप्पदप्पेणं) एएहि य अन्नेहि य गारवमालंबणेहिं जो खंडे । सो सव्वट्ठविमाणे, पत्ते अत्ताणगं निरए ||१|| (खिवे) से भयवं ! किं आया संरक्खेयव्वो उयाहु छज्जीवनिकायमाइसंजमे संरक्खेयव्वो ?, गोयमा ! जे णं छक्कायसंजमं रक्खे से HOTO श्री आगमगुणमजूषा १४२८ 5 KO卐卐卐卐卐卐 已 Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GR9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) स.अ. ६८] 55555555555555secog YOKO乐乐乐乐乐听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明ODE २ अणंतदुक्खपयायगाउ दोग्गइगमणाउ अत्ता संरक्खे, तम्हा छक्कायाइसंजममेव रक्खेयव्वं होइ।२१। से भयवं ! केवतिए असंजमठ्ठाणे पन्नत्ते?, गोयमा ! अणेगे असंजमट्ठाणे पन्नत्ते, जाव णं कायासंजमठ्ठाणा, से भयवं ! कयरे णं से कायासंजमठ्ठाणे ?, गोयमा ! कायासंजमट्ठाणे अणेगहा पन्नत्ता, तंजहा'पुढविदगागणिवाऊवणप्फई तह तसाण विविहाणं । हत्येणवि फरिसणया वज्जेजा जावजीवंपि ॥२॥ सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले णेहे । पुढवादीण परोप्पर खयंकरे वज्झसत्थेए ||३|| पहाणुम्मदणसोभणहत्थंगुलिअक्खिसोयकरणेणं । आवीयते अणंते आऊजीवे खयं जंति ॥४|| संधुक्कणजलणुज्जालणेण उज्जोयकरणमादीहिं। वीयणफूमणउब्भावणेहि सिहिजीवसंघायं|५|| जाइ खयं अन्नेऽविय छज्जीवनिकायमइगए जीवे। जलणो सुद्धुइओविहु संभक्खइ दसदिसाणं च॥६।। वीयणगतालियंटयचामरउक्खेवहत्थतालेहिं । धावणडेवणलंघणऊसासाईहिं वाऊणं ||७|| अंकूरकुहरकिसलयपवालपुप्फफलकंदलाईणं । हत्थफरिसेण बहवे जंति खयं वणप्फई जीवे ||८|| गमणागमणनिसीयणसुयणुट्ठाणअणुवउत्तयपमत्तो। वियलिति बितिचउपंचेदियाण गोयम ! खयं नियमा॥९॥ पाणाइवायविरई सिवफलया गिण्हिऊण ता धीमं । मरणावयंमि पत्ते मरेज्ज विरइं न खंडेज्जा ॥७०|| अलियवयणस्स विरइं सावज्जं सच्चमविन भासिज्जा । परदव्वहरणविरई करेज्ज दिन्नेवि मा लोभं ॥१॥ धरणं दुद्धरबंभव्वयस्स काउं परिग्गहच्चायं । राईभोयणविरई पंचिदियनिग्गहं विहिणा ।।२।। अन्ने य कोहमाणा रागहोसे य (आ) लोयणं दाउं। ॐ ममकारअहंकारे पयहियव्वे पयत्तेणं ।।३।। जह तवसंजमसज्झायझाणमाईसु सुद्धभावेहिं । उज्जमियव्वं गोयम ! विजुलयाचंचले जीवे॥४॥ किं बहुणा ? गोयमा! एत्थं, दाऊणं आलोयणं । पुढविकायं विराहेजा, कत्थ गंतुं स सुज्झिही ? |५|| किं बहुणा गोयमा ! एत्थं, दारूणं आलोयणं । बाहिरपाणं तहिं जम्मे, जे पिए कत्थ 3 सुज्झिही ? ॥६॥ किं० । उण्हवइ जालाइं जाओ, फुसिओ वा कत्थ सुज्झिही ? ॥७॥ किं०। वाउकायं उदीरेजा, कत्थ गंतूण सुज्झिही ? ।।८।। किं० । जो हरियतणं पुप्फ वा, फरिसे कत्थ स सुज्झिही ? ॥९॥ किं० । अक्कमई बीयकायं जो, कत्थ गंतुं स सुज्झिही ? ॥८०॥ किं० । वियलेंदी (बितिचउ) पंचिंदिय परियावे, जो कत्थ स सुज्झिहि ? ॥११॥ किं० । छक्काए जो न रक्खेज्जा, सुहुमे कत्थ स सुज्झिही ? ॥२।। किं बहुणा गोयमा ! एत्थं, दाऊणं आलोयणं । तसथावर जो न रक्खे, कत्थ गंतुं स सुज्झिही ? ॥३॥ आलोइयनिदियगरहिओवि कयपायच्छित्तणीसल्लो। उत्तमठाणंमि ठिओ पुढवारंभं परिहरिज्जा ||४|| आलोइ० । उत्तमठाणंमि ठिओ, जोईए मा फुसावेज्जा ॥५॥ आलोइ० संविग्गो । उत्तमठाणंमि ठिओ, मा वियावेज अत्ताणं ||६|| आलोइ० संविग्गो। छिन्नपि तणं हरियं, असई मणगं मा फरिसे ॥७॥ आलोइय० संविग्गो । उत्तमठाणंमि ठिओ, जावज्जीवंपि एतेसिं ||८|| बेदियतेदियचउरोपंचिंदियाण जीवाणं । संघट्टणपरियावणकिलावणोहवण मा कासी ॥९॥ आलोइ० संविग्गो । उत्तमठाणंमि ठिओ, सावजं मा भणिज्जासु ॥९०|| आलोइय० संविग्गो । लोयत्थे णवि भूई गहिया गिहिउक्खिविउ दिन्ना ||१|| आलोइ० नीसल्लो। जे इत्थी संलविजा, गोयम ! कत्थ स सुज्झिही ? ॥२॥ आलोइय० संविग्गो । चोइसधम्मुवगरणे, उड् मा परिगहं कुज्जा ।।३।। तेसिपि निम्ममत्तो अमुच्छिओ अगडिढओ दढं हविया। अह कुज्जा उममत्तं ता सुद्धी गोयमा ! नत्थि ॥४॥ किं बहुणा ? गोयमा ! एत्थं, दाऊणं आलोयणं । रयणीए आविए पाणं, कत्थ गंतुं स सुज्झिही? ॥५॥आलोइयनिदियगरहिओवि कयपायच्छित्तनीसल्लो । छाइक्कमे ण रक्खे जो, कत्थ सुद्धिं लभेज सो ? ॥६।। अपसत्थे य जे भावे, परिणामे य दारूणे । पाणाइवायस्स वेरमणे, एस पढमे अइक्कमे ॥७॥ तिव्वरागा य जा भासा, निठुरखरफरूसकक्कसा । मुसावायस्स वेरमणे, एस बीए अइक्कमे ||८|| उवग्गहं अजाइत्ता, अचियत्तंमि उवग्गहे । अदत्तादाणस्स वेरमणे, एस तइए अइक्कमे ॥९|| सद्दा रूवा रसा गंधा, फासाणं पवियारणे। मेहुणस्स वेरमणे, एस चउत्थे अइक्कमे ॥१०॥ इच्छा मुच्छा य गेही य, कंखा लोभे य दारूणे । परिग्गहस्स वेरमणे, पंचमगेसाइक्कमे ॥१|| अइमत्ताहार होइत्ता, सूरक्खित्तंसि संकिरे। राईभोयणस्स वेरमणे, एस छढे अइक्कमे ॥२॥ आलोइयनिदियगरहिओवि कयपायच्छित्तणीसल्लो। जयणं अयाणमाणो, भवसंसारं भमे जहा सुसढो॥१०३|| भयवं ! को उण सो सुसढो? कयरा वा सा जयणा ? जमजाणमाणस्स णं तस्स आलोइयनिदियगरहिओ (यस्सा) वि कयपायच्छित्तस्सावि संसारं णो विणिठ्ठियंति ?, गोयमा! जयणा णाम अठ्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं सत्तरसविहस्सणं संजमस्स चोद्दसण्हं भूयगामाणं तेरसण्हं किरियाठाणाणं सवज्झब्भंतरस्सणं दुवालसविहस्स JOC历历历步步步步步步步步步步步步步步步虽5555%%%%%%%%%步步步步步步步步步50 GEducation international 2010_03 BossuntuRemonalisROnly How -TIFICATIENTARN5555555555555555 श्री आगमगणमंजूषा - १४२०,555555555555555555FEEKEE Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555555555554 (३५) महानिसीह छेयसुत ( स.अ./ अट्ठम अ. [६९] 5555555555520 reO555555555555555555555555555 5555555555555555OOK तवोऽणुठ्ठाणस्स दुवालसण्हं भिक्खुपडिमाणं दसविहस्स णं समणधम्मस्स णवण्हं चेव बंभगुत्तीणं अट्ठण्हं तु पवयणमाईणं सत्तण्हं चेव पाणपिंडेसणाणं छण्हं तु जीवनिकायाणं पंचण्हं तु महव्वयाणं तिण्हं तु चेव गुत्तीणं जाव णं तिण्हमेव सम्मइंसणनाणचरित्ताणं भिक्खू कंतारदुब्भिक्खायंकाईसु णं सुमहासमुप्पन्नेसु अंतोमुहुत्तावसेसकंठगयपाणेसुंपिणं मणसावि उ खंडणं विराहणं ण करेज्जा ण कारवेज्जा ण समणुजाणेजा जाव णं नारभेज्जा न समारंभेजा जावज्जीवाएत्ति, से णं जयणाए भत्ते से णं जयणाय धुवे से णं जयणाए व दक्खे से णं जयणाए वियाणएत्ति, गोयमा ! सुसढस्स उण महती संकहा परमविम्हयजणणी य|★★★ २२।। चूलिया पढमा एगंतनिज्जरा, चू०१ अ७॥*** से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ ?, तेणं कालेणं तेणं समएणं सुसढनामधेजे अणगारेह भूयवं, तेणं च एगेगस्सणं पक्खस्संतो पभूयाणियाओ आलोयणाओ विदिन्नाओ सुमहंताईच अच्चंतघोरसुदुक्कराइं पायच्छित्ताइं समणुचिन्नाइंतहावि तेणं वरएणं विसोहिपयं न समुवलद्धंति, एतेणं अठ्ठणं एवं वुच्चइ, से भयवं ! केरिसा उणं तस्स सुसढस्स वत्तव्वया ?, गोयमा ! अत्थि इह चेव भारहे वासे अवंती णाम जणवओ, तत्थ य संबुक्के नाम खेडगे, तम्मि य जम्मदरिद्दे निम्मेरे निक्किवे किविणे णिराणुकंपे अइक्ळूरे निक्कलुणे नित्तिंसे रोद्दे चंडरोद्दपयंडदंडे पावे अभिग्गहियमिच्छादिट्ठी अणुच्चरियनामधेज्जे सुज्जसिवे नाम धिज्जाइ अहेसि, तस्सय धूया सुज्जसिरी, साय परितुलियसयतिहुयणनरनारीगणा लावन्नकंतिदित्तिरूवसोहग्गाइसएणं अणोवमा अत्तग्गा, तीए अन्नभवंतरंमि इणमो हियएण दुच्चितियं अहेसि, जहा णं-सोहणं हवेज्जा जइ णं इमस्स बालगस्स माया वावज्जे तओ मज्झ असवक्कं भवे, एसो य बालगो दुज्जीविओ भवइ ताहे मज्झ सुयस्स रायलच्छी परिणमेज्जति, तक्कम्मदोसेणं तु जायमेत्ताए चेव पंचत्तमुवगया जणणी, तओ गोयमा ! तेणं सुज्जसिवेणं महया किलेसेणं छंदमाराहमाणेणं बहूणं अहिणवपसूयजुवतीणं घराघरि थन्नं पाऊणं जीवाविया सा बालिया, अहन्नया जाव णं बालभावमुत्तिन्ना सा सुज्जसिरी ताव णं आगयं अमायापुत्तं महारोखं दुवालससंवच्छरियं दुब्भिक्खंति,जावणं फेट्टाफेट्टीए जाउमारद्धे सयलेविणं जणसमूहे, अहऽन्नया बहुदिवसखुहत्तेणं विसायमुवगएणं तेण चितियं जहा किमेयं वावाइऊणं समुद्दिसामि किं वा णं इमीए पोग्गलं विक्किणिऊणं चेव अन्नं किंचिवि वणिमगाउ पडिगाहित्ताणं पाणवित्तिं करेमि, णो णमन्ने केई जीवसंधारणोवाए संपयं मे हविज्जति, अहवा हद्धी हा हा ण जुत्तमिणंति, किंतु जीवमाणिं चेव विक्किणामित्ति चितिऊणं विक्किया सुज्जसिरी महारिद्धीजुयस्स चोद्दसविज्जाठाणपारगस्स णं माहणगोविंदस्स गेहे, तओ बहुजणेहिं धिद्धीसदोवहओ तं देसं परिचिच्चाणं गओ अन्नदेसंतरं सुज्जसिवो, तत्थावि णं पयट्टो सो गोयमा ! इत्येव विन्नाणे जाव णं अन्नेसिं कन्नगाओ अवहरित्ताणं अवहरित्ताणं अन्नत्य विक्किणिऊण मेलियं सुज्जसिवेण बहुं दविणजायं, एयावसरंमि उ समइक्कते साइरेगे अठ्ठसंवच्छरे दुब्भिक्खस्स जाव णं वियलियमसेसविहवं तस्सावि णं गोविंदमाहणस्स, तं च वियाणिऊण विसायमुवगएणं चितियं गोथमा ! तेणं गोविंदमाहणेणं, जहाणं होही संघारकालं मज्झ कुडुंबस्स, नाहं विसीयमाणे बंधवे खणद्धमवि दळूणं सक्कुणोमि, ता किं कायब्वं संपयं अम्हेहिति चिंतयमाणस्सेव आगया गोउलाहिवइणो भज्जा खझ्यगविक्कणणत्यं तस्स गेहे जाव णं गोविंदस्स भज्जाए तंदुल्लमल्लगेणं पडिगाहियाउ चउरो घणविगईमीसखझ्यगकगोलियाओ, तं च पडिगाहियमेत्तमेव परिभुत्तं डिभेहि, भणियं च महीयरीए-जहा णं मट्टिदारिगे ! पयच्छाहिण तं अम्हाणं तेंदुलमल्लगं चिरं वट्टे जेणज्हे गोउलं वयामो, तओ समाणत्ता गोयमा ! तीए माहणीए सा सुज्जसिरी जहा णं हला! तं जम्हा णरवइणा णिसावयं पाहियं पेहियं तत्थ जं तं तेदुल्लमल्लगं तं मम्माहि लहुँ जेणाहमिमीए पयच्छामि, जाव ढंढवसिऊणं नीहरिया मंदिरं सा सुज्जसिरी नोवलद्धं तं तेंदुलमल्लगे, साहियं च माहणीए, पुणोवि भणियं माहणीए जहा हल्ला ! अमुगं थाममणुया अन्नेसिऊणमाणेह, पुणोवि पयट्टा अलिंदगे जाव णं ण पिच्छे ताहे समट्ठिया सयमेब सा माहणी जाव णं तीएवि ण दिटुं तं पुण, सुविमिहयमापासा णिउणमन्नेसिउं पयत्ता, जाव णं पिच्छे गणिगासहायं पढमसुयं पयरिक्के ओयणं समुद्दिसमाणं, तेणावि पडिदट्ठे जणणी आगच्छमाणीं चितिय अहन्नेणं जहा चलिया अम्हाणं ओयणं अवहरिउकामा पायमेसा, ता जइ इहासन्नमागच्छिही तओऽहमेयं वावाइस्सामित्ति चिंतयंतेणं भणिया दूरासन्ना चेब महासदेणं सा माहणी-जहा णं भट्टिदारिगा! जइ तुम इहयं समागच्छिहिसि तओ मा एवं तं बोल्लिया जहाणं रो परिकहियं, निच्छयं अयं ले बावाएस्सामि, एवं च अणिवयणं सोच्वाणं वज्जासणिया इव 00乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐听听听听听听听F2. Everes5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१४३०5555555555555555555555EGIOUR Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOR9%%%%% %%%%% (३५) महानिसीह व्यसुत्त (श अट्ठम अ. [७०] % %%%%%% % #2 乐乐听听听听玩乐乐乐国乐乐国乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐与乐明明明明明明明明明明 धसत्ति मुच्छिऊणं निवडिया धरणिवढे गोयमा ! माहणित्ति, तओ णं तीए महीयरीए परिवालिऊणं किंचि कालक्खणं वुत्ता सा सुज्जसिरी जहा णं हला ! कन्नगे! म अम्हा णं चिरं वट्टे ता भणसु सिग्घं नियजणणिं जहा णं एह लहुं पयच्छ तुममम्हाणं तंदुलमल्लगं अहा णं तंदुलमल्लगं विप्पणठं तओ णं मुग्गमल्लगमेव पयच्छसु, ताहे पविठ्ठा सा सुज्जसिरी अलिंदगे जाव णं दठ्ठणं तमवत्थंतरगयं माहणीं महया हाहारवेणं धाहाविउं पयत्ता सा सुज्जसिरी, तं चायन्निऊणं सह परिवग्गेणं धाइओ सो माहणो महीयरी अ, तओ पवणजलेण आसासिऊणं पट्ठा सा तेहिं जहा भट्टिदारिगे ! किमेयं किमेयंति?, तीए भणियं-जहा णं मा मा अत्ताणगं दरमएणं दीहेणं खावेह, मा मा विगयजलाए सरियाए उन्भेह, मा मा अरज्जुएहिं पासेहिं नियंतिए मज्झ (ज) मोहेणाऽऽणप्पेह, जहा णं किल एइ पुत्ते एसा धूया एस णत्तुगे एसा सुण्हा एस जामाउगे एसा णं माया एस णं जणगे एसो भत्ता एइ णं इट्टे मिंट्टे पिए कंते सुहीयसयणमित्तबंधुपरिवग्गे इहई पच्चक्खमेवेयं विदिट्ठ अलियमलिया चेव सा' बंधवासा, सकज्जत्थी चेव संभयए लोओ, परमत्थओ न केइ सुही, जाव णं सकजं ताव णं माया तावणं जणगे ताव णं धूया ताव णं जामाउगे ताव णं णत्तुगे ताव णं पुत्ते तावणं सुण्हा तावणं कता तावणं इढे मिट्ठे पिए कंते सुहीसयणजणमित्तबंधुपरिवग्गे, सकजसिद्धीविरहेणं तु ण कस्सई काइ माया न कस्सई केइ जणगेण कस्सई काइ धूया ण कस्सई केइ जामाउगे ण कस्सई केइ पुत्ते ण कस्सई काइ सुण्हा न कस्सई केइ भत्ता ण कस्सई केइ कंता ण कस्सई केइ इट्टे मिटे पिए कते सुहीसयणमित्तबंधुपरिवग्गे, जे णं तु पेच्छ पेच्छ मए अणेगोवाइयसउवलद्धे साइरेगणवमासकुच्छीएवि धारिऊणं च अणेगमिट्टमहुरउसिणतिक्खसुलुसुलियसणिद्धआहारपयाणसिणाणुव्वदृणधूयकरणसंवाहण (धण) धन्नपयाणाईहिंणं एमहंतमणुस्सीकए जहा किल अहं पुत्तरजमि पुन्नपुन्नमणोरहा सुहंसुहेणं पणइयणपूरियासा कालं गमीहामि, ता एरिसं एयं वइयरंति, एयं च णाऊण मा धवाईसुं करेह खणद्धमवि अणुंपि पडिबंधं, जहा णं इमे मज्झ सुए संवुत्ते तहा णं गेहे गेहे जे केइ भूए जे केइ वटृति जे केइ भविंसु एए तहा णं एरिसे, सेऽवि बंधुवग्गे केवलं तु सकज्जलुद्धे चेव घडियामुंहुत्तपरिमाणमेव कंचि कालं भएज्जा वा, ता भो भो जणा ! ण किंचि कजं एतेणं कारिमबंधुसंताणेणं अणंतसंसारघोरदुक्खपदायगेणंति, एगो चेव वाहन्निसाणुसमयं सययं सुविसुद्धासए भयह धम्म, धम्म धणं मिट्ठ पिए कंते परमत्थसुही सयणजणमित्तबंधुपरिवग्गे, धम्मे यणं दिट्टिकरे धम्मे यणं पट्टिकरे धम्मे यणं बलकरे धम्मे यणं उच्छाहकरे धम्मे यणं निम्मलजसकित्तीपसाहगे धम्मे यणं माहप्पजणगे धम्मे यणं सुठुसोक्खपरंपरदायगे सेणं सेव्वे से णं आराहणिज्जे से यणं पोसणिज्जे से य णं पालणिज्जे से यणं करणिज्ने से यणं चरणिज्जे से य णं अणुठ्ठिने से य णं उवइस्सणिज्जे से य णं कहणिज्जे से य णं भणणिज्जे से य पन्नवणिज्जे से य णं कारवणिज्जे से य णं धुवे सासये अक्खए अव्वए सयलसोक्खनिही धम्मे से य णं अलज्जणिज्जे से य णं अउलबलवीरिएसरियसत्तपरक्कमसंजुए पवरे वरे इडे पिए कंते दइए सयलऽसोक्खदारिद्दसंतावुव्वेगअयसऽब्भक्खाणलंभजरामरणाइअसेसभयनिन्नासगे अणण्णसरिसे सहाए तेलोक्के क्कसामिसाले, ता अलं सुहीसयणजणमित्तबंधुगणधणधन्नसुवण्णहिरण्णरयणोहनिहीकोससंचयाइ सक्कचावविजुलयाडोवचंचलाए सुमिणिंदजालसरिसाए खणदिट्ठनट्ठभंगुराए अधुवाए असासयाए संसारवुडिढकारिगाए णिरयावयारहेउभूयाए सोग्गइमग्गविग्यदायगाए अणंतदुक्खपयायगाए रिद्धीए, सुदुल्लहाउ वेलाउ भो धम्मस्स साहणी सम्मदंसणनाणचरित्ताराहणी नीरूत्ताइसामग्गी अणवरयमहन्निसाणुसमएहिणं खंडाखंडेहिं तु परिसडइ अदढघोरनिठुरासब्भचंडाजरासणिसण्णिवायसंचुण्णिए सयजज्जरभंडएइव अकिंचिकरे भवइ उ दियहाणुदियहेणं इमे तणू, किसलयदलग्गपरिसंठियजलबिंदुमिवाकंडे निमिसद्धब्भंतरेणेव लहुं टलइ जीविए, अविढत्तस्स परलोगपत्थयणाणं तु निप्फले चेव मणुयजम्मे, ता भो ण खमे तणुयतरेवि ईसिपि पमाए, जओ णं एत्थं खलु सव्वकालमेव समसत्तुमित्तभावेहिं भवेयव्वं,, अप्पमत्तेहिं च पंचमहव्वए धारेयव्वे, तंजहा-कसिणपाणाइवायविरती अणलियभासित्तं दंतसोहणमित्तस्सवि अदिन्नस्स वनणं मणोक्यकायजोगेहिं तु अखंडियअविराहियणवगुत्तीपरिवेढियस्स णं ॐ परमपवित्तस्स सव्वकालमेव दुद्धस्बंभचेरस्सधारणं वत्थपत्तसंजमोवगरणेसुंपि णिम्ममत्तया असणपाणाईणं तु चउब्विहेणेवराईभोयणच्चाओ उग्गमउप्पायणेसणाईसु २ णं सुविसुद्धपिंडग्गहणं संजोयणाइपंचदोसविरहिएणं परिमिएणं काले तिन्ने पंचसमितिविसोहणं तिगुत्तीगुत्तया ईरियासमिईमाईउभावणाओ अणसणाइतवोवहाराणट्ठाणं Koro ############5555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४३१ | FFFFFFFFF555555555FOTOR O乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听F2C Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Mero (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) अहंम अ. [७१] मासाइभिक्खुपडिमाउ विचित्ते दव्वाई अभिग्गहे अहो (हा ) णं भूमीसयणे के सलोए निप्पडिक म्मसरीरया सव्वक्कालमेव गुरुनिओगकरणं खुहापिवासाइपरीसहाहियासणं दिव्वाइउवसग्गविजओ लद्धावलद्धवित्तिया, किं बहुणा ?, अच्चंतदुव्वहे भो वहियव्वे अवीसामंतेहिं चेव सिरिमहापुरिसवूढे अट्ठारससीलंगसहस्सभारे तरियव्वे अ भो बाहाहिं महासमुद्दे अविसाईहिं च णं भो भक्खियव्वे णिरासाए वालुयाकवलें परिसक्के यव्वं च भो णिसियसुतिक्खदारूणकरवालधाराए पायव्वा य णं भो सुहुयहुयवहजालावली भरियव्वे णं भो सुहुमपवणकोत्थलगे गमियव्वं च णं भो गंगापवाहपडिसोएणं 'तोलेयव्वं भी साहसतुलाए मंदरगिरिं जेयव्वे य णं भो एगागिएहिं चेव धीरत्ताए सुदुज्जए चाउरंगे बले विधेयव्वा णं भो परोप्परविवरीयभमंतअट्ठचक्कोवरिवामच्छिम्मि उंची (उधी) उल्लिया गहेयव्वा णं भो सयलतिहुयणविजया णिम्मलजसकित्ती जयपडागा, ता भो भो जणा एयाओ धम्माणट्ठाणाओ सुदुक्करं णत्थि किंचिमन्नंति, 'वुज्झंति नाम भारा ते च्चिय वुज्झति वीसमंतेहिं । सीलभरो अइगुरूओ जावज्जीवं अविस्सामो ||१|| ता उज्झिऊण पेम्मं घरसारं पुत्तदविणमाईयं । संगा अविसाई पयरह सव्वुत्तमं धम्मं ॥ २॥ णो धम्मस्स भडक्का उक्कचण वंचणा य ववहारो। णिच्छम्मो तो धम्मो मायादीसल्लरहिओ उ || ३ || भूएसु जंगमत्तं तेसुवि पंचेदियत्तमुक्कोसं । तेसुवि अ माणुसत्तं मणुयत्ते आरिओ देसो ॥४॥ देसे कुलं पहाणं कुले पहाणे य जाइमुक्कोसा। तीए रूवसमिद्धी रूवे य बलं पहाणयरं ॥५॥ ts बचिय जीयं जीए य पहाणयं तु विन्नाणं । विन्नाणे सम्मत्तं सम्मत्ते सीलसंपत्ती || ६ || सीले खाइयभावो खाइयभावे य केवलं नाणं । केवलिए पडिपुन्ने पत्ते अयरामरो मोक्खो ||७|| ण य संसारंमि सुहं जाइजरामरणदुक्खगहियस्स । जीवस्स अत्थि जम्हा तम्हा मोक्खो उवाएओ ||८|| आहिंडिऊण सुइरं अनंतहुत्तो हु जोणिलक्खेसुं । तस्साहणसामग्गी पत्ता भो भो बहू इण्हिं ॥९॥ तो एत्थ जन्न पत्तं तदत्थ भो उज्जमं कुणह तुरिययं । विबुहजणणिदियमिणं उज्झह संसारअणुबंधं ॥१०॥ लहिउं भो धम्मसुइं अणेगभवकोडिलक्खसुविदुलहं । जइ णाणुट्ठह सम्मं ता पुणरवि दुल्लहं होही || १ || लब्द्धेल्लियं च बोहिं जो णाणुट्टे अणागयं पत्थे । सो भो अन्नं बोहिं लहिही कयरेण मोल्लेणं ? ||२|| जाव णं पुव्वजाईसरणपच्चएणं सा माहणी एत्तियं वागरेइ ताव णं गोयमा ! पडिबुद्धमसेसंपि बंधुजणे बहुणागरजणो य, एयावसरंमि उ गोयमा ! भणियं सुविदियसोग्गइपहेणं तेणं गोविंदमाहणेणं-जहा णं धिद्धिद्धि वंचिया एयावन्तं कालं, जतो वयं मूढे अहो णं कठ्ठमन्नाणं दुविन्नेयमभागधिज्जेहिं खुद्दसत्तेहिं अदिट्ठघोरूग्गपरलोगपच्चवाएहिं अतत्ताभिणिविट्ठदिट्ठीहिं पक्खवायमोहसंधुकिकयमाणसेहिं रागदोसोवहयबुद्धीहिं परं तत्तधम्मं, सजीवेव परिमुसिए एवइयं कालसमयं, अहो किमेस णं परमप्पा भारियाछलेणासिउ मज्झ गेहे उदाहु णं जो सो णिच्छिओ मीमंसएहिं सव्वन्नू सोच्चिएस सूरिए इव संसयतिमिरावहारित्तेण लोगावभासे मोक्खमग्गसंदरिसणत्थं सयमेव पायडीहूए, अहो महाइसयत्थपसाहगाउ मज्झ दइयाए वायाओ, भो भो जयत्तवियत्त (२९२) जण्णदेवविस्सामित्तसुमिच्चादओ मज्झ अंगया ! अब्भुट्ठाणारिहा ससुरासुरस्सावि णं जगस्त एसा तुम्ह जणणित्ति, भो भो पुरंदरपभितीउ खंडिया ! वियारह णं सोवज्झायभारियाओ (ए) जगत्तयाणंदाओ कसिणकिव्विसणिद्दुहणसीलाओ वायाओ पसन्नोऽज्ज तुम्ह गुरू आराहणेक्कसीलाणं परमप्पबलं जजणजायणज्झयणाइणा छक्कम्माभिसंगेणं तुरियं विणिज्जिणेह पंचेदियाणि परिच्चयह णं कोहाइए पावे वियाणेह णं अमेज्झाइजंबालपंकपडिपुण्णासुतीकलेवरपवि (वे) समोवणतं, इच्चेवं अणेगाहिवेरग्गजणणेहिं सुहासिएहिं वागरंतं चोद्दसविज्जाठाणपारगं भो गोयमा ! गोविंदमाहणं सोऊण अच्वंतं जम्मजरामरणभीरुणो बहवे सप्पुरिसे सव्वुत्तमं धम्मं विमरिसिउं समारदे, तत्थ केइ वयन्ति जहा एस धम्मो पवरो, अन्ने भांति जहा एस धम्मो पवरो, जाव णं सव्वेहिं पमाणीकया गोयमा ! सा जातीसरा माहिणित्ति, ताहे तीय संपवक्खायमहिंसोलक्खियमसंदिद्धं खंताइदसविहं समणधम्मं दिनंत ऊहिं च परमपच्चयं विणीयं तेसि तु, तओ य ते तं माहणिं सव्वन्नूमिति काऊणं सुरइयकरकमलंजलिणो सम्मं पणमिऊणं गोयमा ! तीए माहणीए सद्धिं अदीणमणसे बहवे नरनारिगणे चेच्चाणं सुहि-यजणमित्तबंधुपरिवग्गगिहविहवसोक्खमप्पकालियं निक्खंते सासयसोक्खसुहाहिलासिणो सुनिच्छियमाणसे समणत्तेण सयलगुणोहधारिणो चोद्दसपुव्वधरस्स चरिमसरीरस्स णं गुण-धरथविरस्स सयासेत्ति, एवं च ते गोयमा ! अच्छंतघोरवीरतवसंजमाणुट्ठाणसज्झायझाणाईसु णं (To श्री आगमगुणमंजूषा १४३२ Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) महानिसीह छेयसुतं (२) अट्ठम अ. [७२] 5555555555SSISer असेसकम्मक्खयं काऊणं तीए माहणीए समं विहुयरयमले सिद्धे गोविंदमाहणादओ णरणारिगणे सव्वेऽवी महायसेत्तिबेमि ।१। भयवं ! किं पुण काऊणं एरिसा सुलहबोही जाया सा सुगहियनामधिज्जा माहणी जाए एयावझ्याणं भव्वसत्ताणं अणंतसंसारघोरदुक्खसंतत्ताणं सद्धम्मदेसणाइएहिंतु सासयसुहपयाणपुव्वगमब्भुद्धरणं कयंति ?, गोयमा ! जं पुव्वं सव्वभावभावतरंतरेहिं णं णीसल्ले आजम्मालोयणं दाऊणं सुद्धभावाए जहोवइ8 पायच्छित्तं कयं, पायच्छित्तसमत्तीए य समाहिए य कालं काऊणं सोहम्मे कप्पे सुरिंदग्गमहिसी जाया तमणुभावेणं, से भयवं ! किं से णं माहणीजीवे तब्भवंतरंमि सगणी निग्गंथी अहेसि ?, जे ण णीसल्लमालोइताणं जहोवइ8 पायच्छित्तं कयंति, गोयमा ! जे णं से माहणीजीवे से णं तज्जम्मे बहुलद्धिसिद्धिजुए महिड्ढीपत्ते सयलगुणाहारभूए उत्तमसीलाहिट्ठियतणू महातवस्सी जुगप्पहाणे समणे अणगारे गच्छाहिवई अहेसि, णो णं समणी, से भयवं ! ता कयरेणं कम्मविवागेणं तेणं गच्छाहिवइणा होऊणं पुणो इत्थित्तं समज्जियन्ति ?, गोयमा ! मायापच्चएणं, से भयवं ! कयरेणं से मायापच्चए जेणं पयणी(णू) कयसंसारेवि सयलपावोयएणावि बहुजणणिदिए सुरहिबहुदव्वघयखंडचुण्णसुसंकरियसमभावपमाणपागनिप्फन्नं मोयगमल्लगे इव सव्वस्स भक्खे सयलदुक्खकेसाणमालए सयलसुहासणस्स परमपवित्तुत्तमस्स णं अहिंसालक्खणसमणधम्मस्स विग्घे सग्गग्गलानिरयदारभूये सयलअयसअकित्तीकलंककलिकलहवे-राइपावनिहाणे निम्मलस्स कुलस्स णं दुद्धरिसअकज्जकज्जलकण्हमसीखंपणे तेणं गच्छाहिवइणा इत्थीभावे णिव्वत्तिए त्ति ?, गोयमा ! णो तेणं गच्छाहिवइत्तठिएणं अणुमवि माया कया, से णं तया पुहइवई चक्कहरे भवित्ताणं परलोगभीरुए णिब्विन्नकामभोगे तिणमिव परिचेच्चाणं तं तारिसं चोद्दस रयण नव निहीतो चोसट्ठीसहस्स वरजुवईणं बत्तीसं साहस्सी ओअणा-दिवरनरिंद छन्नउई गामकोडीओ जावणं छक्खंडभरहवासस्स णं देवेंदोवमं महारायलच्छिं तीयं बहुपुन्नचोइए णीसंगे पव्वइए अ, थोककालेणं सयलगुणोहधारी महातवस्सी सुयहरे जाए, जोग्गे णाऊण सुगुरुहिं गच्छाहिवई समणुण्णाए, तहिं च गोयमा ! तेणं सुदिट्ठसुग्गइपहेण जहोवइ8 समणधम्म समणुढेमाणेणं उग्गाभिग्गहविहारित्ताए घोरपरीसहोवसग्गाहियासणेणं रागद्दोसकसायविवज्जणेणं आगमाणुसारेणं तु विहीए गणपरिवालणेणं आजम्मं समणीकप्पपरिभोगवज्जणेणं छक्कायसमारंभविवज्जणेणं ईसिपि दिव्वोरालियमेहणपरिणामविप्पमुक्केणं इहपरलोगासंसाइणियाणमायाइसल्लविप्पमुक्केणं णीसल्लालोयणनिंदणगरहणणं जहोवइट्ठपायच्छित्तकरणेणं सव्वत्थापडिबद्धत्तेणं सव्वपमायालंबणविप्पमुक्केणं अणिदड्डअवसेसीकए अणेगभवसंचिए कम्मरासी, अण्णभवे तेणं माया कया तप्पच्चइएणं गोयमा ! एस विवागो, से भयवं ! कयरा उण अन्नभवे तेणं महाणुभागेणं माया कया जीए णं एरिसो दारुणो विवागो ?, गोयमा ! तस्स णं महाणुभागस्स गच्छाहिवइणो जीवो अणूणाहिए लक्खइमे भवग्गहणे सामन्ननरिंदस्सणं इत्थीत्ताए धूया अहेसि, अन्नया परिणीयाणंतरं मओ भत्ता, तओ नरवइणा भणिया-जहा भद्दा ! एते तुब्भं पंचसए सगामाणं, देसुजहिच्छाए अंधाणं विगलाणं अयंगमाणं अणाहाणं बहुवाहिवेयणापरिगयसरीराणं सव्वलोयपरिभू-याणं दारिद्ददुक्खदोहग्गकलंकियाणं जम्मदारिद्दाणं समणाणं माहणाणं विहलियाणं च संबंधिबंधवाणं जं जस्स इट्ठ भत्तं वा पाणं वा अच्छायणं वा जाव णं धणधन्नसुवन्नहिरण्णं वा कुणसु य सयलसोक्खदायगं संपुण्णं जीवदयंति, जेणं भवंतरेसुंपि ण होसि सयलजणमुहाप्पियगारिया सव्वपरिभूया गंधमल्लतंबोलसमालहणा-इजहिच्छियभोगोवभोगवज्जिया हयासा दुज्जम्मजाया णिदड्डाणामिया रंडा, ताहे गोयमा! सा तहत्ति पडिवज्जिऊण पगलंतलोयणंसुजलणिद्धोयकवोलदेसा ऊसरसुभसुमणुघग्घरसरा भणिउमाढत्ता-जहाणं ण याणिमोऽहं पभूयमालवित्ताणं, णिगच्छावेह लहुँ कटे रएह महई चियं णिबहेमि अत्ताणगं, ण किंचि मए जीवमाणीए पावाए, माऽहं कहिंचि कम्मपरिणइवसेणं महापावित्थीचवलसहावत्ताए एतस्स तुझं असरिसणामस्स णिम्मलजसकित्तीभरियभुवणोयरस्स णं कुलस्स खंपणं काहं, जेण मलिणीभवेज्जा सव्वमवि कुलं अम्हाणंति, तओ गोयमा ! चितियं तेण णरवइणाजहा णं अहो धन्नोऽहं जस्स अपुत्तस्साविय एरिसा धूया अहो विवेगं बालियाए अहो बुद्धी अहो पन्ना अहो वेरग्गं ॥ अहो कलकलंकभीरुयत्तणं अहो खणे खणे वंदणीया एसा जीए एमहन्ते गणेता जावणं मज्झ गेहे परिवसे एसा ताव णं महामहंते मम सेए, अहादिद्वाए संभरियाए १ संलावियाए चेव सुज्झीयए इमीए, ता अपुत्तस्स णं मज्झं एसा चेव पुत्ततुल्लत्ति चिंतिऊणं भणिया गोयमा ! सा तेण नरवइणा-जहाणं न एसो कुलक्कमो अम्हाणं Movrinci x TMENUE LEARN5555 श्री आगमगणमंजूषा- १४३३ 5555555555 O OR 乐乐听听听听听听明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐乐玩乐乐乐$$$$$ in Education Interational DDLEASEEDERALLise Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66666666666666 (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) अट्ठम अ. वच्छे ! जं कट्ठारोहणं कीरइत्ति, ता तुमं सीलचारित्तं परिवालेमाणी दाणं देसु जहिच्छाए कुणसुय पोसहोववासाइं विसेसेणं तु जीवदयं, एयं रज्जं तुज्झति, ताणं गोमा ! जणणं एवं भणिया ठिया सा समप्पिया य कंचुईणं अंतेउररक्खपालाणं, एवं च वच्चंतेणं कालसमएणं तओ णं कालगए से नरिंदे अन्नया संजुज्जिऊणं महामहिं णं मंतीहिं, कओ तीए बालाए रायाभिसेओ, एवं च गोयमा ! दियहे दियहे देइ अत्थाणं, अहन्नया तत्थ णं बहुवंदचट्टभट्ट तडिगकप्पडिगचउरवियक्खणमंतिमहंतगाइपुरिससयसंकुलअत्थाणमंडवमज्झमि सीहासणोवविट्ठाए कम्मपरिणइवसेणं सरागाहिलासाए चक्खुए निज्झाए ती सव्वुत्तमरूवजोव्वण-लावण्णसिरिसंपओववेए भावियजीवाइपयत्थे एगे कुमारवरे, मुणियं च तेण गोयमा ! कुमारेणं-जहा णं हा हा ममं पेच्छिय गया एसा वराई घोरंधयारमणंतदुक्खदायगं पायालं, ता अहन्नोऽहं जस्स णं एरिसे पोग्गलसमुदाए तणू रागजंतं, किं मए जीविएणं ?, दे सिग्धं करेमि अहं इमस्स णं पावसरीरस्स संथारं, अब्भुट्ठेमिणं सुदुक्करं पच्छित्तं, जाव णं काऊण सयलसंगपरिच्चायं समणुट्ठेमि णं सयलपावनिद्दलणं अणगारधम्मं, सिढिलीकरेमि णं अणेगभवंतरविइन्ने सुदुव्विमोक्खे पावबंधणसंघाए, धिद्धिद्धी अव्ववत्थियस्स णं जीवलोगस्स जस्स एरिसे अणप्पवसे इंदियगामे अहो अदिट्ठपरलोगपच्चवायया लोगस्स अहो एक्कजम्माभिणिविट्ठचित्तया अहो अविण्णायकज्जाकज्जया अहो निम्मेरया अहो निप्परिहासया अहो परिच-तलज्जया हा हा हा न जुत्तमम्हाणं खणमवि विलंबिउं एत्थं एरिसे सुदुन्निवारसज्जपावागमे देसे, हा हा हा धट्ठारिए ! अहन्नेणं कम्मट्ठरासी जमुइरियं एइंए रायकुलबालियाए इमेणं कुट्ठपावसरीरूवपरिदंसणेणं णयणेसुं रागाहिलासे, परिचिच्चाणं इमे विसाए तओ गेण्हामि पव्वज्जंति चितिऊणं भणियं गोयमा ! तेणं कुमारवरेणं, जहा णं खंतमरिसियं णीसल्लं तिविहंतिविहेणं तिगरणसुद्धीए सव्वस्स अत्थाणमंडवरायउलपुरजणस्सेति भणिऊणं विणिग्गओ रायउलाओ, पत्तो य निययावासं, तत्थ णं गहियं पत्थयणं, दोखंडीकाऊण वऽसियं फेणावलीतरंगमउयं सुकुमालवत्थं परिहिएणं अद्धफलगे गहिएणं दाहिणहत्थेणं सुयणजणहियए इव सरलवित्तलयखंडे, तओ काऊणं तिहुयणेक्कगुरुणं अरहंताणं भगवंताणं जग-प्पवराणं धम्मतित्थंकराणं जहुत्तविहिणाऽभिसंथवणं वंदणं, से णं चलचलगई पत्ते णं गोयमा! दूरं देसंतरं से कुमारे जाव णं हिरण्णुक्करडी णाम राहाणी, ती राहाणीए धम्माय-रियाण गुणविसिट्ठाणं पउतिं अन्नेसमाणे चितिउं पयत्ते से कुमारे- जहा णं जाव णं ण केई गुणविसिट्टे धम्मायरिए मए समुवलद्धे ताविहइं चेव मएवि चिट्ठियव्वं, तो गयाणि कइव-याणि दियहाणि, भयामि णं एस बहुदेसविक्खायकित्ती णरवरिंदं, एवं च मंतिऊणं जाव णं दिट्ठो राया, कयं च कायव्वं, सम्माणिओ य णरणाहेणं, पडिच्छिया सेवा, अन्नया लद्धा वसरेणं पुट्ठो सो कुमारो गोयमा ! तेणं नरवइणा जहा भो भो महासत्ता ! स नामालंकिए एस तुज्झं हत्थंमि विरायए मुद्दारयणो ?, को वा ते सेविओ एवइयं कालं ?, के वा अ-वमाणए कए तुह सामिणत्ति ?, कुमारेण भणियं-जहा णं जस्स नामालंकि इमे मद्दारयणे से णं मए सेविए एवइयं कालं, जे णं मे सेविए एवइयं कालं तस्स नामालंकिए णं इमे मुद्दारयणे, तओ नरवइणा भणियं जहा णं किं तस्स सद्दकरणंति ?, कुमारेणं भणियं-नाहं अजिमिएणं तस्स चक्खुकुसीलाहम्मस्स णं सद्दकरणं समुच्चारेमि, तओ रण्णा भणियं जहा णं भो भो महासत्त ! केस एसो चक्कुसीलो भण्णे ? किं वा णं अजिमिएहिं तस्सद्दकरणं नो समुच्चारियए ?, कुमारेण भणियं जहा णं चक्खुकुसीलोत्ति सद्धाए, थाणंतरे-हिंतो जइ कहा (दा) इ इह तं दिट्ठपच्चयं होही तो पुण वीसत्थो साहीहामि, जं पुण तस्स अजिमिएहिं सद्दकरणं एतेणं ण समुच्चारयए, जहा णं जइ कहा (दा) इ अजिमिएहिं चेव तस्स वे राया सह कुमारेणं असेसपरियणेण च, (आणावियं) अट्ठारसखंडखज्जयवियप्पं णाणाविहमाहारं, एयावसरंमि भणियं नरवइणा- जहा णं भो भो महासत्त ! भणसु णीसंको तुमं संपयं तस्स णं चक्खुकुसीलस्स णं सद्दकरणं, कुमारेण भणियं जहा णं नरनाह ! भणिहामि भुत्तत्तरकालेणं, णरवइणा भणियं जहा णं भो महासत्त ! दाहिणकरधरिएणं कवलेणं संपयं चेव भणुस जे णं खु जइ एयाए कोडीए संठियाणं केई विग्घे हवेज्जा ताणमम्हावि सुदिट्ठपच्चए संते पुरपुरस्सरे तुज्झाणत्तीए अत्तहिंय समणुचिट्ठामो, तओ णं गोयमा ! भणियं तेण कुमारेणं-जहा णं एवं एवं अमुगं सद्दकरणं तस्स चक्खुकुसीलाहम्मस्स णं दुरंतपंतलक्खणअदट्ठव्वदुज्जायम्मस्सत्ति, ता गोयमा ! जाव णं चेवइयं समुल्लवे से णं कुमारवरे ताव णं अणोहिपवित्तिच एणेव समुद्धासियं तक्खणा परचक्केणं तं रायहाणी, समुद्धाइए णं सन्नद्धबद्धद्धए णिसियकरवालकुंतविप्फुरंतचक्काइपहरणाडोववग्गपाणी हणहणहणरावभीसणा बहुसमरसंघट्टादिण्ण-पिट्ठी जीयंतकरे अउलबलपरक्कमे णं महाबले परबले जोहे, ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १४३४ 52 (७३] 2 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) अट्ठम अ एयावसरम्हि य कुमारस्स चलणेसु निवडिऊणं दिट्ठपच्चए मरणभयाउलत्ताए अगणियकुलक्कमपुरिसयारं विप्पणासे, दिसिमे-क्कमासइत्ताणं सपरिगरे पणट्टे से पां नरवरिदे, एत्थंतरंमि चितियं गोयमा ! तेणं कुमारेणं-जहा णं नो सरिसं कुलक्कमेऽम्हाणं जं पट्ठि दाविज्जइ, णो णं तु पहरियव्वं मए कस्सावि णं अहिंसालक्खणधम्मं वियाणमाणे कयपाणा इवायपच्चक्खाणेणं च, ता किं करेमि णं ?, सागारे भत्तपाणाईणं पच्चक्खाणे अहवा णं करेमि ?, जओ दिठ्ठे णं ताव मए दिठ्ठीमित्तकुसीलस्स णामग्गणेणावि एमहंतसंविहाणगे, ता संपयं सीलस्सावि णं एत्थं परिक्खं करेमित्ति चितिऊणं भणिउमादत्ते णं गोयमा ! से कुमारे-जहा णं जइ अहयं वायामित्तेणावि कुसीलो ताणं माणीहरेज्जाह अक्खयतणू खेमेण एयाए रायहाणीए, अहा णं मणोवइकायतिएणं सव्वपयारेहिं णं सीलकलिओ ता मा वहेज्जा ममोवरिं इमे सुनिसिए दारूणे जीयंतकरे पहरणणिहाए, णमो २ अरहंताणंति भणिऊणं जाव णं पवरतोरणदुवारेण चलचवलगई जाउमारद्धो, जाव णं पडिक्कमे येवं भूमिभागं ताव णं हल्लावियं कप्पडिगवेसेणं गच्छइ एस नरवइत्तिकाऊणं सरहसं हण हण मर मरत्ति भणमाणुक्खित्तकरवालादिपहरणेहिं पवरबलजोहेहिं, जाव णं समुद्धाइए अच्वंतं भीसणे जयंत करे परबलजोहे ताव णं अविसण्ण अणुद्द्याभीयअतत्थ अदीणमाणसेणं गोयमा ! भणियं कुमारेणं-जहा णं भो भो दुट्ठपुरिसा ! ममोवरिं चेह एरिसेणं घोरतामसभावेण अन्तिए, असइंपि सुहज्झवसायसंचियपुण्णपब्भारे एस अहं, से तुम्ह पडिसत्तू अमुगो णरवती, मा पुणो भणियासु जहा णं णिलुक्को अम्हाणं भएणं, ता पहरेज्नासु जइ अत्थि वीरियंति, जावेत्तियं भणे ताव णं तक्खणं चेव थंभिए ते सव्वे गोयमा ! परबलजोहे सीलाहिठ्ठियत्ताए तियसाणंपि अलंघणिज्जाए तस्स भारतीए, जाए य निच्चलदेहे, तओ य णं धसत्ति मुच्छिऊणं णिच्चिट्ठे णिवडिए धरणिवट्ठे से कुमारे, एयावसरम्ही उ गोयमा ! तेण णरिंदाहमेणं गुहियमायाविणा वुत्ते धीरे सव्वत्थावी समत्थे सव्वलोयभमंते धीरे भीरू वियक्खणे मुक्खे सूरे कायरे चउरे चाणक्के बहुपवंचभरिए संधिविग्गहिए निउत्ते छइल्ले पुरिसे जहा णं भो भो (गिह) तुरियं रायहाणीए वज्जिदनीलससिसूरकं तादीए पवरमणिरयणरासीए हेमज्जुणतवणीयजंबूपणय सुवन्नभारलक्खाणं, किं बहुणा ?, विसुद्धबहुजच्चमोत्तियविद्दुमखारिलक्खपडिपुन्नस्स णं कोसस्स चाउरंगस्स (य) बलस्स, विसेसओ णं तस्स सुगहियनामगहणस्स पुरिससीहस्स सीलसुद्धस्स कुमारवरस्सेतिपउत्तिमाणेह जेणाहं णिव्वुओ भवेयं, ताहे नरवइणो पणामं काऊणं गोयमा ! गए ते निउत्तपुरिसे जाव णं तुरियं चलचवलाइणकमपवणवेगेहिं णं आरूहिऊणं जच्चतुरंगमेहिं निउंजगिरिकंदरूद्देसपइरिक्काओ खणेण पत्ते रायहाणि, दिट्ठो य तेहिं वामदाहिणभुयाए पल्लवेहिं वयणसिरोरूहे विलुप्पमाणो कुमारो, तस्सय पुरओ सुक (व) न्नाभरणणेवत्था दसदिसासु उज्जोयमाणी जयजयसद्दमंगलमुहला रयहरणवावडोभयकरकमलविरइयंजली देवया, तं च दण विम्हयभूयमणे लिप्पकम्मणिम्मविए (ठिए), एयावसरम्हि उ गोयमा ! सहरिसरोमंचकंचुपुलइयसरीराए णमो अरहंताणंति समुच्चरिऊण भणिरे गयरठ्ठियाए पवयणदेवयाए से कुमारे- तंजहा 'जो दलइ मुट्ठिपहरेहिं मंदरं धरइ करयले वसुहं । सव्वोदहीणवि जलं आयरिसइ एक्कघोट्टेणं ||१३|| टाले सग्गाउ हरिं कुणइ सिवं तिहुयणस्सवि खणेणं । अक्खंडियसीलाणं कुत्तोऽवि ण सो पहुप्पेज्जा ॥४॥ अहवा सोच्चिय जाओ गणिज्जए तिहुयणस्सवि स वंदो । पुरिसो व महिलिया वा कुलुग्गउ जो न खंडए सीलं ॥५॥ परमपवित्तं सप्पुरिससेवियं सयलपावनिम्महणं । सव्वुत्तमसोक्खनिहिं सत्तरसविहं जयइ सीलं ||६|| ति भाणिऊणं गोयमा ! झत्ति मुक्का कुमारस्सोवरिं कुसुमवहिं पवयणदेवयाए, पुणोऽवि भणिउमादत्ता देवया तंजहा 'देवस्स देति दोसे पवंचिया अत्तणो सकम्मेहिं । ण गुणेसु ठवितऽप्पं सुहाई मुद्धाए जोएंति ||१७||मज्झत्थभाववत्ती समदरिसी सव्वलोयवीसासो। निक्खेवयपरियत्तं दिव्वो न करेइ तं ढोए ॥८॥ ता बुज्झिऊण सव्वुत्तमं जणा सीलगुणमहिड्ढीयं । तामसभावं चिच्चा कुमारपयपंकयं णमह || १९|| त्ति भणिऊणं असणं गया देवया इति, ते छइल्लपुरिसे लहुं व गंतूणं साहियं तेहिं नरवइणो, तओ आगओ बहुविकप्पकल्लोलमालाहिं णं आऊरिज्जमाणहिययसागरो हरिसविसायवसेहिं भीउड्ड (ट्ठ) या तत्थचकियहियओ सणियं गुज्झसुरंगखडक्कियादारेणं कंपंतसव्वगत्तो महया कोउहल्लेणं, कुमारदंसणुक्कंठिओ य तमुद्देस, दिठ्ठो य तेणं सो सुगहियणामधेज्जो महायसो महासत्तो महाणुभावो कुमारमहरिसी, अपडिवाइमहोहीपच्चएणं साहेमाणो संखाइयाइभवाणुहूयं दुक्खसुहं सम्मत्ताइलभं संसारसहावं कम्मबंधठ्ठितीविमोक्खमहिंसालक्खणमणगारे वयरबंधं परादीणं सुहणिसन्नो Mekon श्री आगमनुणमंजूषा -१४३५ HOON फफफफफफ (७४) Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RO9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) अट्ठम अ. 西历历历历55555555 सोहम्माहिवइधरिउवरिपंडुरायवत्तो, ताहे य तमदिठ्ठपुव्वमच्छरेरगं दठुण पडिबुद्धो सपरिग्गहो पव्वइओ य गोयमा ! सो राया परचक्काहिवईवि, एत्यंतरंमि पहयसुस्सरगंभीरगहीरदुंदुभिनिग्घोसपुव्वेणं समुग्घुटुं चउव्विहदेवनिकाएणं, तंजहा- 'कम्मट्ठगंठिमुसुमूरण, जय परमेट्ठिमहायस । जय जय जयाहि चारित्तदंसणणाणसमण्णिय ! ।।२०।। सच्चिय जणणी जगे एक्का, वंदणीया खणे ।२। जीसे मंदरगिरिगरूओ, उयरे वुच्छो तुमं महामुणि ।।२१|| त्ति भणिऊणं है विमुंचमाणे सुरभिकुसुमबुटुिं भत्तिभरनिब्भरे विरइयकरकमलंजलीउत्ति निवडिए ससुरीसरे देवसंघे गोयमा ! कुमारस्सणं चलणारविदे, पणच्चियाओ देवसुंदरीओ, पुणो पुणो भिसं थुणिय णमंसिय चिरं पज्जुवासिऊणं सत्थाणेसु गए देवनिवहे ।२। से भयवं ! कहं पुण एरिसे सुलभबोही जाए महायसे सुगहियणामधेज्जे से णं कुमारमहरिसी?, गोयमा ! तेणं समणभावठ्ठिएणं अन्नजम्मंमि वायादंडे पउत्ते अहेसितंनिमित्तेणं जावज्जीवं मूणव्वए गुरूवएसेणं साधारिए, अन्नंच-तिन्नि महापावठाणे संजयाणं तंजहा-आऊ तेऊ मेहुणे, एते य सव्वोवाएहिं परिवज्जिए, तेणं तु से एरिसे सुलभबोही जाए, अहऽन्नया णं गोयमा! बहुसीसगणपरिगए सेणं कुमारमहरिसी पत्थिए सम्मेयसेलसिहरे देहच्चायनिमित्तेणं, कालक्कमेणं तीए चेव वत्तणीए (गए) जत्थ णं से रायकुलबालियाणरिदे चक्खुकुसीले, जाणावियं च रायउले, आगओ य वंदणवत्तियाए सो इत्थीनरिंदो उज्जाणवरंमि, कुमारमहरिसिणो पणामपुव्वं च उवविठ्ठो सपरिकरो जहोइए भूमिभागे, मुणिणावि पबंधेणं कया देसणा, तं च सोऊणं धम्मकहावसाणे उवठ्ठिओ सपरिवग्गोणीसंगत्ताए, पव्वइओ गोयमा ! सो इत्थीनरिंदो, एवं च अच्चंतघोरवीरूग्गकट्ठदुक्करतवसंजमाणुठ्ठाणकिरियाभिरयाणं सव्वेसिपि अपडिकम्मसरीराणं अपडिबद्धविहारत्ताए अच्वंतणिप्पिहाणं संसारिएसुं चक्कहरसुरिंदाइइडिढसमुदयसरीरसोक्खेसुंगोयमा ! वच्चइ कोई कालो जाव ' णं पत्ते सम्मेयसेलसिहरन्भासं, तओ भणिया गोयमा ! तेण महरिसिणा रायकुलबालियाणरिंदसमणी-जहाणं दुक्करकारिगे! सिग्धं अणुदुयमाणसा सव्वभावभावंतरेहि णं सुविसुद्धं पयच्छाहि णं णीसल्लमालोयणं, आढवेयव्वा य संपयं सव्वेहिं अम्हेहिं देहच्चायकरणेक्कबद्धलक्खेहिं णीसल्लालोइयनिदियगरहियजहुत्तसुद्धासयजहोवइठ्ठकयपच्छित्तुद्धियसल्लेहिं च णं कुसलदिट्ठा संलेहणत्ति, तओ णं जहुत्तविहीए सव्वमालोइयं तीए रायकुलबालियाणरिंदसमणीए जाव णं संभारिया तेणं महामुणिणा जहाणं जह मं तया रायत्थाणमुवविट्ठाए तए गारत्थभावंमि सरागाहिलासाए संचिक्खिओ अहेसि तमालोएहि दुक्करकारिए ! जेणं तुम्हं सव्वुत्तमविसोही हवइ, तओ णं तीए मणसा परितप्पिऊणं अइचवलासयनियडीनिकेयपावित्थीसभावत्ताए मा णं चक्खुकुसीलत्ति अमुगस्स धूया समणीणमंतो परिवसमाणी भनिहामित्ति चितिऊणं गोयमा ! भणिय तीए अभागधिज्जाए-जहा णं भगवं ! ण मे तुम एरिसेणं अद्वेणं सरागाए दिट्ठीए निज्झाइओ जओणं अहयं तं अहिलसेज्जा, किंतु जारिसे णं तुब्भे सव्वुत्तमरूवतारूण्णजोव्वणलावन्नकंतिसोहग्गकला-कलावविण्णाणणाणाइसयाइगुणोहविच्छड्डमंडिए होत्था विसएसुं निरहिलासे सुविरे ता किमेयं तहत्ति किं वा णो णं तहत्तित्ति तुझं पमाणपरितोलणत्थं सरागाहिलासं चक्टुं पउत्ता, णो णं चाभिलसिउकामाए, अहवा इणमेत्थ चेवालोइयं भवउ किमित्थ दोसंति, मज्झमवि गुणावहयं भवेज्जा, किं तित्थं गंतूण मायाकवडेणं ?, सुवण्णसयं केइ पयच्छे, ताहे य णं अच्चंतगरूयसंवेगमावन्नेणं विदिट्ठसंसारचलित्थीसभावस्स णंति चितिऊणं भणियं मुणिवरेणं-जहाणं धिद्धिद्धिरत्थु पावित्थीचलस्सभावस्स जेणं तु पेच्छ २ एद्दहमेत्ताणुकालसमएणं केरिसा नियडी पउत्तत्ति ?, अहो खलित्थीणं चलचवलचडुलचंचलसिट्ठी (न) एगठ्ठमाणसा खणमेगमवि दुज्जम्मजायाणं अहो सयलाकज्जभंडोहलियाणं अहो सयलायसकित्तीवुडिढकराणं अहो पावकम्माभिणिविठ्ठज्झवसायाणं अहो अभीयाणं परलोगगमणंधयारघोरदारूणदुक्खकंडूकडाहसामलिकुंभीपागाइदुरहियासाणं, एवं च बहु मणसा परितप्पिऊण अणुयत्तणाविरहियधम्मिक रसियसुपसंतवयणेणं पसंतमहुरक्खेरेहिं णं धम्मदेसणापुव्वगेणं भणिया कुमारेणं रायकुलबालियानुरिंदसमणी गोयमा ! तेणं मुणिवरेणं-जहा णं दुक्करकारिए ! मा एरिसेणं मायापबंधेणं अच्चंतघोरवीरूग्गकठ्ठसुदुक्करतवसंजमसज्झाययज्झाणाईहिं समज्जिए निरणुबंधि पुण्णपब्भारे णिप्फले कुणसु, ण किंचि एरिसेणं मायाडंभेणं अणंतसंसारदायगेणं पओयणं, नीसंकमालोइत्ताणं णीसल्लमत्ताणं कुरू, अहवा अंधयारणट्टिगाणट्टमिव धन्नि (मि) यसुवण्णमिव एक्काए पूया (फुक्का) ए जहा तहा णिरत्ययं होही तुज्झेयं वालुप्पाडणभिक्खाभूमीसेज्जाबावीसपरीLOO55555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १४३६ 55555555555555Foxx CCSCs听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$6CM SO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听听听听听$2a Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KOR9555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुतं (श अर्दुम अ. [७६] 事事事555555555552808 सहोवसग्गाहियासणाइएकायकिलेसेत्ति, तओ भणियं तीए भग्गलक्खणाए-जहा भगवं ! किं तुम्हेहिं सद्धिं छम्मेणं उल्लविज्जइ?, विसेसेणं आलोयणं दाउमाणेहिं, मणीसंगं पत्तिया, णो णं मए तुमं तक्कालं अभिलसिउकामाए सरागाहिलासाए चक्खूए निज्झाइउत्ति, किंतु तुज्झ परिमाणतोलणत्थं निज्झाइओत्ति भणमाणी चेव निहणं गया, कम्मपरिणइवसेणं समज्जित्ताणं बद्धपट्ठनिकाइयं उक्कोसट्टिइं इत्थीवेयं कम्मं गोयमा ! सा रायकुलबालियानरिंदसमणित्ति, तओय ससीसगणे गोयमा! से णं महच्छेरगभूए णं सयंबुद्धकुमारमहरिसीए विहिए संलिहिऊणं अत्ताणगं मासं पाओवगमणेणं सम्मेयसेलसिहरंमि अंतगओ केवलित्ताए सीसगणसमण्णिए परिनिव्वुडेत्ति ।३। सा उण रायकुलबालियाणरिंदसमणी गोयमा ! तेण मायासल्लभावदोसेणं उववन्ना विज्जुकुमारीणं वाहणत्ताए नउलीरूवेणं किंकरीदेवेसुं, तओ चुया समाणी पुणो २ उववज्जंती वावजंती आहिडिया माणुसतिरिच्छेसु सयलदोहग्गदुक्खदारिद्दपरिगया सव्वलोयपरिभूया सकम्मफलमणुभवमाणी गोयमा ! जाव णं कहकहवि कम्माणं खओवसमेणं बहुभवंतरेसु तं आयरियपयं पाविऊण निरइयारसामन्नपरिवालणेणं सव्वत्थामसुं च सव्वपमायालंबणविप्पमुक्केणं तु उज्जमिऊणं निदड्ढावसेसीकयभवंकुरे तहावि गोयमा ! जा सा सरागा चक्खू णालोइया तया तक्कम्मदोसेणं माहणित्थीत्ताए, परिनिव्वुडे णं से रायकुलबालियाणरिंदसमणीजीवे ।४। से भयवं ! जे णं केई सामण्णमब्भुटेज्जा से णं एक्काइ जाव णं सत्तट्ठभवंतरेसु नियमेण सिज्झिज्जा ता किमेयं अणूणाहियं लक्खभवंतरपरियडणंति ?, गोयमा ! जे णं केई निरइयारे (२९३) सामन्ने निव्वाहेज्जा से णं नियमेणं एक्काइ जाव णं अट्ठभवंतरेसु सिज्झे, से उण सुहुमे बायरे वा केई मायासल्ले वा आउकायपरिभोगे वा तेउकायपरिभोगे वा मेहुणकज्जे वा अन्नयरे वा केई आणाभंगे काऊणं सामण्णमइयरेज्जा से णं जं लक्खेण भवग्गहणेणं सिज्झे तं महइ लाभे, जओ णं सामन्नमइयरित्ता बोहिपि लभेज्जा दुक्खेणं, एसा सा गोयमा ! तेणं माहणीजीवेणं माया कया जीए य एद्दमेत्ताएवि एरिसे पावे दारूणे विवागित्ति ।५ से भयवं ! किं तीए महीयारीए तेहिं से तंदुलमल्लगे पयच्छिए ? किं वा णं सावि य महयरी तत्थेव तेसिं (हिं) समं असेसकम्मक्खयं काऊणं परिनिव्वुडा हवेज्जत्ति ?, गोयमा ! तीए महियारीए तस्स णं तंदुल्लमल्लगस्सऽठाए तीए माहणीए धूयत्ति काऊणं गच्छमाणी अवंतकाले चेव अवहरिया सा सुज्जसिरी, जहा णं मझं गोरसं परिभोत्तूणं कहिं गच्छसि संपयन्ति ?, आह वच्चामो गोउलं, अण्णंच-जइ तुम मज्झं विणीया हवेजा ताहेऽहं तुझं अहिच्छाए तेकालियं बहुगुलघएणं अणुदियहं पायसं पयच्छि हामि, जाव णं एयं भणिया ताव णं गया सा सुज्जसिरी तीए महयरीए सद्धिं, तेहिंपि परलोगाणुट्ठाणेक्कसुहज्झवसायक्खित्तमाणसेहिं न संभरिया ता गोविंदमाहणाईहिं, एवं तु जहा भणियं मयहरीए तहा चेव तस्स घयगुलपायसं पयच्छे, अहऽन्नया कालक्कमेण गोयमा ! वोच्छिन्ने णं दुवालससंवच्छरिए महारोरवे दारूणे दुब्भिक्खे जाए यणं रिद्धिस्थिमियसमिद्धे सव्वेऽवि जणवए, अहऽन्नया पुण वीसं अणग्घेयाणं पवरससिसूरकंताईणं मणिरयणाणं घेत्तूण सदेसगमणनिमित्तेणं दीहद्धाणपरिखिन्नअंगयट्ठी पहपडिवन्ने णं तत्थेव गोउले भवियव्वयानियोगेणं आगए अणुच्चरियनामधेज्ने पावमती सुज्जसिवे, दिट्ठा य तेणं सा कन्नगा जाव णं परितुलियसयलतियणणरणारीरूवकंतिलावण्णा, तं सुज्जसिरिं पासिय चवलत्ताए इंदियाणं रम्मयाए किंपागफलोवमाणं अणंतदुक्खदायगाणं विसयाणं विणिज्जियासेसतियणस्स णं गोयरगए णं मयरकेउणो, भणिया णं गोयमा ! सा सुज्जसिरी तेणं महापावकम्मेणं सुज्जसिवेणं-जहा णं हे हे कन्नगे! जइ णं इमे तुज्झ सन्तिए जणणीजणगे समणुमन्नंति ता णं तु अहयं तं परिणेमि, अन्नंच-करेमि सव्वंपि ते बंधुवग्गमदरिइंति, तुज्झमवि घडावेमि पलसयमणूणगं सुवन्नस्स, तो गच्छ अइरेणेव साहसु मायावित्ताणं, तओ गोयमा ! जाव णं पहठ्ठतुट्ठा सा सुज्जसिरी तीए महयरीए एयवइयरं पकहेइ तावणं तक्खणमागंतूण भणिओ सो महयरीए-जहा भो भो पयंसेहि णं जं ते मज्झ धूयाए सुवन्नपलसए सुंकिए, ताहे गोयमा ! पयंसिए तेण पवरमणी, तओ भणियं महयरीए-जहा तं सुवन्नसयं दाएहिं, किमेएहिं डिभरमणगेहिं पंचिठ्ठगेहिं ?, ताहे भणियं सुज्जसिवेणं-जहा णं एहि वच्चामो णगरं दंसेमि ण अहं तुज्झमिमाणं पंचिठ्ठगाणं माहप्पं, तओ पभाए गंतूण नगरं पयसियं ससिसूरकंतपवरमणीजुवलगं तेणं नरवइणो, णरवइणावि सद्दाविऊणं भणिए पारिक्खीजहा इमाणं परममणीणं करेह मुल्लं, तोल्लंतेहिं तु न सक्किरे तेसिं मुल्लं काऊणं, ताहे भणिया नरवइणा-जहा णं भो भो माणिक्कखंडिया ! णत्थि केइ इत्थ जेणं एएसिं C明明听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐$$$$$$$$$乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐垢F5CM merof $55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४३७555555555555555555555$OOR Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROO555555555555555 (३५) महानिसीह छेयसुत्तं (२) अट्ठम अ. [७७] 555555555555555ONOR O'C5听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 मुल्लं करेज्ज, तो गिण्हसुणं दस कोडीओ दविणजायस्स, सुज्जसिवेणं भणियं-जं महाराओ पसायं करेति, णवरं इणमो आसण्णपव्वयसन्निहिए अम्हाणं गोउलं तत्थ एगं च जोयणं जाव गोणीणं गोयरभूमी तं अकरभरं तं विमुंचसुत्ति, तओ नरवइणा भणियं-जहा एवं भवउत्ति, एवं च गोयमा ! सव्वमदरिद्दमकरभरं गोउलं काऊणं तेणं अणुच्चरियनामधेजेण परिणीया सा निययधूया सुज्जसिरी सुज्जसिवेणं, जाया परोप्परं तेसिं पीई, जाव णं नेहाणुरागरंजियमाणसे गमिति कालं किंचि ताव णं दठ्ठणं गिहागए साहुणो पडिनियत्ते हाहाकंदं करेमाणी पुट्ठा सुज्जसिवेणं सुज्जसिरी-जहा पिए ! एयं अदिठ्ठपुव्वं भिक्खायरजुयलयं दळुणं किमेयावत्थं गया सि ?, तओ तीए भणियं-जहा णणु मज्झ सामिणी एरिसी, महया भक्खन्नपाणेणं पत्तभरणं करियं, तओ य हठ्ठतुठ्ठमाणसा उत्तमंगेणं चलणग्गे पणमयंतीता, मए अज्ज एएसं परिदसणेणं सा संभरियत्ति, ताहे पुणोवि पुट्ठा सा पावा तेणं-जहा णं पिए ! का उ तुझं सामिणी अहेसि ?, तओ गोयमा ! णं दढं ऊसुरूसुवंतीए समणुगग्गरविसंथुलंसुगगिराए साहियं सव्वंपि णिययवुत्तंतं तस्सेति, ताहे विण्णायं तेण महापावकम्मेण-जहा णं निच्छयं एसा सा ममंगया सुज्जसिरी, ण अण्णाय महिलाए एरिसा रूवकंतीदित्तीलावण्णसोहग्गसमुदयसिरीभवेज्जति चितिऊणं भणिउमाढत्तो-तंजहा 'एरिसकम्मरयाणं जं न पडे धडहडितयं वज्ज । (णूण इमे) चिंतेइ सोवि जहित्थीउ चिओ मे कत्थ सुज्झिस्सं?॥२२॥ ति भणिऊणं चितिउं पयत्तो सो महापावयारी जहा णं किं छिंदामि अयं सहत्थेहिं तिलंतिल सगत्तं ? किं वा णं तुंगगिरियडाउ पक्खिविउं दढं संचुन्नेमि इणमो अणंतपावसंघायसमुदयं दुर्छ ? किं वा णं गंतूणं लोहयारसालाए सुतत्तलोहखंडमिव घणखंडाहिँ चुन्नावेमि सुइरमत्ताणगं ? किं वा णं फालावेऊण मज्झोमज्झीए तिक्खकरवत्तेहि अत्ताणगं पुणो संभरावेमि अंतो सुकढियतउयतंबकंसलोहलोणूससज्जियाखारस्स ? किंवा णं सहत्थेणं छिंदामि उत्तमंग ? किं वा णं पविसामि मयरहरं ? किं वा णं उभयरूक्खेसु अहोमुहं विणिबंधाविऊणमत्ताणगं हेठ्ठा पज्जलावेमि जलणं?, किं बहुणा ?,' णिद्दहेमि कठेहिं अत्ताणगंति चितिऊणं जावणं मसाणभूमीए गोयमा! विरइया महती चिई,ताहे सयलजणसन्निज्मंसुइरं निदिऊण अत्ताणगं साहियं च सव्वलोगास्सजहा णं मए एरिसं एरिसं कम्मं समायरियंति भणिऊणं आरूढो चिइयाए, जाव णं भवियव्क्याए निओगेणं तारिसदव्वचुन्नजोगाणुसंसठ्ठ ते सव्वेवि दारूत्तिकाऊणं फूइज्जमाणेवि अणेगपयारेहिं तहावि णं ण पयलिए सिही, तओ य णं धिद्धिकारेणोक्हओ सयललोगवयणेहिं जहा भो भो पिच्छ पिच्छ हुयासणंपि ण पज्जले पावकम्मकारिस्सत्ति भणिऊणं निद्धाडिए ते बेऽवि गोउकालाओ, एयावसरंमि उ अण्णासन्नसन्निवेसाओ आमए णं भत्तपाणं गहाय तेणेव मग्गेणं उज्जाणाभिमुहे मुणीण संघाडगे, तं च दठ्ठणं अणुमग्गेणं गए ते बेऽवि पाविट्टे, पत्ते य उज्जाणं जाकणं पेच्छंति सयलगुणोहधारिं चउनाणसमन्नियं बहुसीसगणपरिकिन्नं देविंदनरिंदवंदिज्जमाणपायारविंद सुगहियनामधिज्नं जगाणंदं नाम अणगारं, तं च दळूण चितिय तेहिं-जहा णं दे मनमामि विसोहिपायं एस महायसेत्ति, चिंतिऊणं ॥ तओ पणामपुव्वगेणं उवविठू ते जहोइए भूमिभागे पुरओ गणहरस्स, भणिओ य सुज्जसिवो तेणा गाणह्मारिणा-जहाणं भो भो देवाणुप्पिया ! णीसल्लमालोएत्ताणं लहुं करेसु सिग्धं असेसपाविठ्ठकम्मनिठ्ठवर्ण पायच्छित्तं, एसा उण आवन्नसत्ता एयाए पायच्छित्तं णस्थिजाकणं णो पसूया, लाहे गोयमा ! सुमहच्वंतपरममहासंवेगगए से णं सुज्जसिवे, आजम्मओ नीसल्लालोयणं पयच्छिऊणं जहोवइट्ठ घोर सुदुक्करं महंतं पायच्छित्तं अणुचरित्ताणं तओ अच्चतविसुद्धपरिणामो सामण्णमब्भुट्ठिऊणं छव्वीसं संवच्छरेतेरस य राइदिए अच्वंतधोरवीरूग्णकट्ठदुक्करतवसंजमं समणुचरिऊणं जावणं एगदुतिचऊपंचछम्मासिएहिं खामणेहिं खदेऊणं निप्पडिकम्मसरीरत्ताए अपमाययाए सव्वत्थामेसु अणवरयमहन्निसाणुसमयं सययं सज्झायज्झाणाईसुणं णिद्दहिऊणं सेसकम्मामलं अउव्वकरणेणं खवगसेढीए अंतगडकेवली जाए सिद्धे य।६। से भयवं ! तं तारिसं महापावकम्मं समायरिऊणं तहावी कहं एरिसे णं से सुज्जसिवे लहुं थेवेणं कालेणं परिनिव्वुडेत्ति ?, गोयमा ! तेणं जारिसभावठ्ठिएणं आलोयणं विइन्नं जारिससंवेगगएणं तं तारिसं घोरदुक्करं महंतं पायच्छित्तं समणुठ्ठियं जारिसं सुविसुद्धसुहज्झवसाएणं तं तारिसं अच्चंतघोरवीरूग्गकट्ठसुदुककरतवसंजमकिरियाए वट्टमाणेणं अखंडियअविराहिये मूलुत्तरगुणे परिवालयंतेणं निरइयारं सामन्न णिव्वाहियं जारिसेणं रोघट्टज्झाणविप्पमुक्केणं णिठ्ठियरागदोसमोहम्छित्तमयभयगारवेणं मज्झत्थभावेणं अदीणमाणसेणं दुवालस वासे संलेहणं काऊणं पाओवगममणसणं पडिवन्नं तारिसेणं AMERIRAMERIKISSSS3555 आगममुणमंजूषा- १५३८5 59555555555555555543 SOTIOK O2O乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听贝听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2 HORO5555555555 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 33%%%%%%%5555 (३५) महानिसीह छेयसुत्त (२) अट्ठम अ. [८] 15555555555555555OTOg iO乐乐乐乐的乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐8888乐乐乐乐乐乐乐乐乐所出乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 एगंतसुहज्झवसाएणं ण केवलं से एगे सिज्झेजा जइ णं कयाई परकयकम्मसंकमं भवेज्जा ता णं सव्वेसिपि भव्वसत्ताणं असेसकम्मक्खयं काऊणं सिज्झिज्जा, णवरं परकयकम्म ण कयादी कस्सई संकमज्जा, जं जेण समज्जियं तं तेणं समणुभवियव्वंति, गोयमा ! जया णं निरूद्धजोगे हवेज्जा तया णं असेसंपि कम्मट्ठरासिं अणुकालविभागेणेव णिवेज्जा, सुसंवुडासेसासवदारे जोगनिरोहेणं तु कम्मक्खए दिढे, ण उण कालसंखाए, जओ णं 'कालेणं तु खवे कम्म, कालेणं तु पबंधए। एगं बंधे खवे एगं, गोयम ! कालमणंतगं ।।२३।। णिरूद्धेहिं तु जोगेहिं, वेए कम्म ण बंधए। पोराणं तु पहीएज्जा, णवगस्साभावमेव उ॥२४|| एवं कम्मक्खयं विदे, 5 ण एत्थं कालमुद्दिसे । अणाइकाले जीवे य, तहवि कम्मंण णिठ्ठए॥५॥ खओवसमेण कम्माणं, जया विरई समुच्छले । कालं खेत्तं भवं भावं, दव्वं संपप्प जाव तया ॥६॥ अप्पमादी खवे कम्मं, जे जीवे तं कोडिं चडे । जो पमादी पुणोऽणंतं, कालकम्मं णिबंधिया ||७|| णिवसेज्जा चउगईए उ, सव्वद्धाऽच्चंतक्खिए । तम्हा कालं खेत्तभवं, भावं संपप्प गोयमा !, मइमं अइरा कम्मं खयं करे॥२८|| से भयवं ! सा सुज्जसिरी कहिं समुववन्ना?, गोयमा ! छट्ठीए णरगपुढवीए, से भयवं ! केणं अठ्ठणं ?, गोयमा ! तीए पडिपुन्नाणं साइरेगाणं णवण्हं मासाणं गयाणं इणमो विचिन्तियं जहा णं पच्चूसे गन्भं पडावेमित्ति, एवमज्झवसमाणी चेव बालयं पसूया, पसूयमेत्ता य तक्खणं निहणं गया, एतेणं अटेणं गोयमा ! सा सुज्जसिरी छट्ठियं गयत्ति, से भयवं ! जंतं बालगं पसविऊणं मया सा सुज्जसिरी तं जीवियं किंवा ण वत्ति ?, गोयमा! जीवियं, से भयवं! कहं ?, गोयमा ! पसूयमेत्तं तं बालगं तारिसेहिं जराजरजलुसजंबालपूइरूहिरखारदुगंधासुईहिं विलित्तमणाहं विलवमाणं दठुणं कुलालचक्कस्सोवरि काऊणं साणेणं समुद्दिसिउमारद्धं, ताव णं दिटुं कुलालेणं, ताहे धाइओ सघरणिओ कुलालो, अविणासियबालतणू णट्ठो साणो, तओ कारूण्णहियएणं अपुत्तस्स णं पुत्तो एस मज्ज होहित्ति वियप्पिऊणं कुलालेणं समप्पिओणं से बालगो गोयमा ! सदइयाए, तीए य सब्भावणेहेणं परिवालिऊणं माणुसीकए से बालगे, कयं च नाम कुलालेण लोगाणुवित्तीए सजणगाहिहाणेणं जहा णं सुसढो, अन्नया कालकमेणं गोयमा ! सुसाहुसंजोगदेसणापुव्वेणं पडिबुद्धे णं सुसढे पव्वइए य, जाव णं परमसद्धासंवेगवेरग्गगए अच्चंतघोरवीरूग्गकट्ठसुदुक्करं महाकायकेसं करेइ संजमजयणं ण याणेइ, अजयणादोसेणं तु सव्वत्थ असंजमपएसु णं अवरज्झे, तओ तस्स गुरूहि भणियं-जहा भो भो महासत्त ! तए अन्नाणदोसओ संजमजयणं अयाणमाणेणं महंते कायकेसे समाढत्ते, णवरं जइ निच्चालोयणं दाऊणं पायच्छित्तं ण काहिसि ता सव्वमेयं निप्फलं होही, ता जाव णं गुरूहिं चोइए तावणं से अणवरयालोयणं पयच्छे, सेऽविणं गुरू तस्स तहा पायच्छित्ते पयाइ जहाणं संजमजयणं भूयगं, तेणेव अहन्निसाणुसमयरोद्दट्टज्झाणाइविप्पमुक्के सुहज्झवसाये निरंतरं पविहरे ज्जा, अहऽन्नया णं गोयमा ! से पावमती जे के इ छट्ठट्ठमदसमदुवालसद्धमासमासजावणंछम्मासखवणाइए अन्नयरे वा सुमहं कायकेसाणुगए पच्छित्ते से णंतहत्ति समणुढे, जे य उण एगंतसंजमकिरियाणं जयणाणुगए मणोवइकायजोगे सयलासवनिराहे सज्झायज्झाणावस्सगाइए असेसपावकम्मरासिनिदहणे पायच्छित्ते से णं पमाए अवमन्ने अवहेले असद्दहे सिढिले जाव णं किल किमित्थ दुक्करंति काऊणं न तहा समणद्वे, अन्नया णं गोयमा ! अहाउयं परिवालेऊणं से सुसढे मरिऊणं सोहम्मे कप्पे इंदसामाणिए महिडढी देवे समुप्पन्ने, तओवि चविऊणं इहई वासुदेवो होऊणं सत्तमपुढवीए समुप्पन्ने, तओ उव्वट्टे समाणे महाकाए हत्थी होऊणं मेहुणासत्तमाणसे मरिऊणं अणंतवणस्सतीए गयत्ति, एस णं गोयमा ! से सुसढे जे णं 'आलोइयनिदियगरहिए णं कयपायच्छित्तेवि भवित्ताणं | जयणं अयाणमाणे भमिही सुइरं तु संसारे ||२९|| से भयवं ! कयरा उण तेणं जयणा ण विन्नाया जओणं तं तारिसं दुक्कर कायकेस काऊणंपितहावि णं भमिहिइ सुइरं तु संसारे?, गोयमा ! जयणा णाम अट्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं संपुन्नाणं अखंडियविराहियाणं जावज्जीवमहन्निसाणुसमयं धारणं कसिणसंजमकिरियं अणुमन्नंति, तंच तेण न विन्नायंति, तेणं तु से अहन्ने भमिहिइ सुइरंतु संसारे, सेभयवं ! केणं अट्ठणं तं च तेण ण विन्नायंति ?, गोयमा ! तेणं जावइए कायकेसे कए तावइयस्स अठ्ठभागेणेव जई से बाहिरपाणगं विवजेन्तो ता सिद्धीएमणुवयंतो, णवरं तु तेण बाहिरपाणगे परिभुत्ते, बाहिरपाणगपरिभोइस्स णं गोयमा ! बहुएवि कायकेसे णिरत्थगे हवेज्जा, जओ णं गोयमा ! आऊ तेऊ महुणे एए तओऽवि महापावठ्ठाणे 9 अबोहिदायगे एगं तेणं विवज्जियव्वे एगंतेणं ण समायरियव्वे सुसंजएहिति, एतेणं अटेणं, तं च तेणं ण विण्णायन्ति, से भयवं ! केणं अटेणं आऊतेऊमेहुणत्ति S9乐听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐 52955 (Gin Education international 2010.03 Roo 5 555555555555श्री आगमगणमंजषा - १२३९ NEEEEEEEcccccccurrenLE1:1-1-1 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOT9555555555555 (35) महानिसीह छेयसुत्तं (2) अट्ठम अ. [79] 555555555555550oY MONIC乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐玩玩乐乐乐明明明明明明明明明5C अबोहिदायगे समक्खाए ?, गोयमा ! सव्वमवि छक्कायसमारंभे महापावठ्ठाणे, किं तु आउतेउकायसमारंभे णं अणंतसत्तोवघाए, मेहुणासेवणेणं तु संखेज्जासंखेज्जसत्तोवघाए घणरागदोसमोहाणुगए एगंतअप्पसत्थज्झवसायत्तमेव, जम्हा एवं तम्हा उगोयमा ! एतेसिं समारंभासेवणपरिभोगादिसु वट्टमाणे पाणी पढममहव्वयमेव ण धारेज्जा, तयभावे अवसेसमहव्वयसंजमाणुट्ठाणस्स अभावमेव, जम्हा एवं तम्हा सव्वहा विराहिए सामण्णे, जओ एवं तओ णं पवित्तियसम्मग्गपणासित्तेणेव गोयमा ! तं किंपि कम्मं निबंधिज्जा जेणं तु नरयतिरियकुमाणुसेसु अणंतखुत्तो पुणो 2 धम्मोत्ति अक्खराइं सिमिणेऽविणं अलभमाणे परिभमेज्जा, एएणं अठ्ठणं आऊतेऊमेहुणे अबोहिदायगे गोयमा ! समक्खायत्ति, से भयवं ! किं छठ्ठट्ठमदसमदुवालसद्धमासमासजावणंछम्मासखवणाईणं अच्चंतघोरवीरूग्गकट्ठसुदुक्करे संजमजयणावियले सुमहंतेऽवि उ कायकेसे कए णिरत्थगे हवेज्जा?, गोयमा ! णं णिरत्थगे हवेज्जा, से भयवं! केणं अतुणं?, गोयमा! जओ णं खरूट्टमहिसगोणादओऽवि संजमजयणावियले अकामनिज्जराए सोहम्मकप्पादिसु वयंति, तओऽवि भोगखएणं चुए समाणे तिरियादिसु संसारमणुसरेज्जा, तहा य दुग्गंधामिज्झविलीणखारपित्तोज्झसिंभपडिहत्थे वसाजलुसपूयदुडिडणिविलिविले रूहिरचिक्खल्ले दुईसणिज्जबीभच्छतिमिसंघयारए गंतुध्वियणिज्जगब्भपवेसजम्मजरामरणाईअरेगसारीरमणोसमुत्थसुघोरदारूणदुक्खाणमेव भायणं भवति, ण उण संजमजयणाए विणा जम्मजरामरणाइएहिं घोरपयंडमहारूद्ददारूणदुक्खाणं णिट्ठवणमेगंतियमच्चंतियं भवेज्जा, एतेणं संजमजयणावियले सुमहंतेऽवी कायकेसे पकए गोयमा ! निरत्थगे भवेज्जा, से भयवं ! किं संजमजयणं समु (मणु) प्पेहमाणे समणुपालेमाणे समणद्वेमाणे अइरेणं जम्मजरामरणादीणं विमुच्चेज्जा?, गोयमा ! अत्थेगे जे णं ण अइरेणं विमुच्चेज्जा अत्थेगे जे णं अइरेणं विमुंचेज्जा, से भयवं !केणं अटेणं एवं वुच्चइ-जहा णं अत्थेगे जेणं अइरेणं विमुच्चेज्जा अत्थेगे जेणं अइरेणं विमुच्चेज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगे जे णं किंचि उ // ईसिमणगं अत्थाणगं अणवलक्खेमाणे सरागससल्ले संजमजयणं समणढे जेणं एवंविहे से णं चिरेणं जम्मजरामरणाइअणेगसंसारियदुक्खाणं विमुच्चेज्जा, अत्थेगे जेणं णिम्मूलुद्धियसव्वसल्ले निरारंभपरिग्गंहे निम्ममे निरहंकार ववगयरागदोसमोहमिच्छत्तकसायमलकलंके सव्वभावभावंतरेहिणं सुविसुद्धासए अदीणमाणसे एगंतेणं निज्जरापेही परमसद्धासंवेगवेरग्गगए विमुक्कासेसभयगारवविचित्ताणेगपमायालंबणे जाव णं निज्जियघोरपरीसहोवसग्गे ववगयरोद्दज्झाणे असे सकम्मक्खंयठ्ठाए जहुत्तसंजमजयणं समणुपे हिज्जा अणुपाले ज्जा समणुपाले ज्जा जाव णं समणुढे ज्जा जे णं एवं विहे से णं अइरेणं जम्मजरामरणाइअणेगसंसारियसुदुविमोक्खदुक्खजालस्स णं विमुच्चेज्जा, एतेणं अटेणं एवं वुच्चइ-जहा णं गोयमा ! अत्थेगे जे णं णो अइरेणं विमुच्चेज्जा अत्थेगे जे य णं अइरेणेव विमुच्चेज्जा, से भयवं ! जम्मजरामरणाइअणेगसंसारियदुक्खजालविमुक्के समाणे जंतू कहिं परिवसेज्जा ?, गोयमा ! जत्थ णं न जरा न मच्चू न वाहिओ णो अयसऽब्भक्खाणसंतावुव्वेगकलिकलहदारिद्ददाहपरिकेसं ण इठ्ठविओगो, किं बहुणा ?, एगंतेणं अक्खयधुवसासयनिरूवमअणंतसोक्खं मोक्खं परिवसेज्जत्ति बेमि / / 7 / / महानिसीहस्स बिइया चूलिया॥अ०८ // समत्तं महानिसीहसुयक्खंधं // ॐ नमो चउपीसाए तित्थंकराणं ॐ नमो तित्थस्स ॐ नमो सुयदेवयाए भगवतीए ॐ नमो सुयकेवलीणं ॐ नमो सव्वसाहूणं ॐ नमो सव्वसिद्धाणं नमो भगवओ अरहओ सिज्झउ मे भगवई महइ महाविज्जा व्इर्ए मङ्अअव्इर्ए स्एणव्इइए वद्ध्अम्अअणव्इइए वइम्अअणव्इइरए जयए व्इजय्ए जय्अन्त्ए अप अज्इए स्व्अअअअ, उपचारो चउत्थभत्तेणं साहिज्जइ एसा विज्जा, सव्वगउ ण्इत्थ्अअरग्अप्आरग्अउ होइ, उवठ्अअवण्अअअ गणस्स वा अण्उन्ण्आए एसा सत्त वारा परिजवेयव्वा, णित्थारगपारगो होइ, जिणकप्पसम (संप) त्तीए विज्जाए अभिमंतिऊण (ए) विग्यविणायगा आराहंति, सूरे संगामे पविसंतो अपराजिओ होइ, जिणकप्पसमत्तीए विज्जा अभिमंतिऊणं खेमवहणी भवइ / 8 / 'चत्तारि सहस्सासं पंच सयाओ तहेव चत्तारि / एवं च सिलोगाविय महानिसीहमि पावए // 30 // G乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听乐与乐明明明明明明明明明2a સૌજન્ય :- પ.પૂ. વિદુષી સાધ્વી શ્રી ચારૂલતાશ્રીજીના પ્રેરણાથી મુલુન્ડ (પશ્ચિમ) અચલગચ્છ ના ભાઈ બહેનો તરફથી). re: 555555555 श्री आगमगुणमंजूषा 14405555555555555555555555SHOK