Book Title: Aagam Manjusha 01 Angsuttam Mool 01 Aayaro
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [१] आयारो * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * GVTOR [M.Com., M.Ed., Ph.D.) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * * है। [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया [४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है| Online-आगममंजूषा : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर -मुनि दीपरत्नसागर Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ जस्सावयारसमए सुविणा जिणो तं देवाहिसेयपमुहं जणणंमि जाए। नाणत्तयादि वरिसं वरियापयाणं, दिखावबोहसिवपत्तिसु देवपूया ॥ १ ॥ मोहो तए निहणिओ जिणराय ! उदा, सङ्घण्णया सुरनराहिवईण बंदा । पूयंति तं पकहियाइँ मोहराई, तनाणि जीवपभिईणि नए सिम्थं ॥२॥ लद्धृण ते पयतई गणधारिजीवा, बुद्धा रइंसु जिणसासणठावणत्थं जीवाइतत्तसुहगं तु दुवालसंगं तत्तो नमोऽत्यु जिण ! ते पयपंकयाणं ॥ ३॥ एकारस अंगाई बारघुवंगा पइन्नगा दस य छेया छ चऊ मूला नंदऽणुओगा सिलुकिण्णा ॥ ४ ॥ सोरडे सेलूंजे तवगणसायरमुणिंदवरजन्ता। सगसट्ठीऽहियचउवीससएस गएसु वीराओ ॥५॥ ॐ नमो चउवीसाए तित्थयराणं उस भाइमहावीरपज्जवसाणाणं । नमो गोयमा इमहामणीणं ॥ ॥ऐं नमः। श्रीआचाराङ्गसूत्रम् । सुयं मे आउसं! तेणं (आमुसंतेणं आवसंतेण पाठांतरं) भगवया एवमक्खायं-इइमेगेसिं णो सण्णा भवइ। सूत्रं १ । तंजहा-पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहह्यंसि, दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पश्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अमंसि, उड़ाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अहो (प्रत्यंतरं अथे) दिसाओ वा आगओ अहमंसि, अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंमि, एवमेगेसिं णो णायं भवति । सूत्रं २ । अत्थि मे आया उनवाइए, के अहं आसी ? के वा इओ चुए इह पेचा भविस्सामि ? । सूत्रं ३ से जं पुण जाणेज्जा सहसंमइयाए परवागरणेणं अण्णेसिं अंतिए वा सोचा, जहा पुरन्धिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि जाव (प्र० एवं दक्खिणा० ) अण्णयरीओ दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि, एवमेगेसिं जं णायं भवति अस्थि मे आया उबवाइए, जो इमाओ दिसाओ अणुदिमाओ वा अणुसंचर (अणुसंसरह पा०) समाओ दिखाओ अणुदिसाओ, सोऽहं । सूत्रं ४ । से आयावादी लोयावादी कम्मावादी किरियाबादी । सूत्रं ५। अकरिस्सं चऽहं, कारवेसु चऽहं करओ आदि समणुन्ने भविस्सामि । ६ । एयावंति सम्वति लोगंमि कम्मसमारंभा परिजाणिया भवति । 21 अपरिण्णायकम्मा (म० मे) खलु अयं पुरिसे जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरद्द, साओ दिखाओ साओ अणुदिसाओ साहेति । ८ । अगरूवाओ जोणीओ संधेइ (संधावद्द पा० ) विरूवरूवे फासे पडिसंवेदेइ । ९ । तत्थ खलु भगवता परिण्णा पवेइआ । १० । इमस्स जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए जाईमरणमोयणाए ( भोयणाए पा० ) दुक्खपडिघा - यहेउं । ११ । एयावंति मवावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणिया भवति । १२ । जस्सेते लोगंसि कम्मसमारंभा परिष्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे । १३। तिबेमि ॥ अ. १ प्रथमोदेशकः १ ॥ अहे लोए परिजुष्णे दुस्संदोहे अविजाणए अस्सि लोए पञ्चहिए तत्थ तत्थ पुढो पास आतुरा (अस्सि) परितावेंति । १४ । संति पाणा पुढो सिया लज्जमाणा पुढो पास अणगारा मोति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं पुढविकम्मसमारंभेण पुढविसत्थं समारंभेमाणा अणेगरूवे पाणे विहिंसइ । १५ । तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया, इमस्स चेव जीवियस्स परिवंद्णमाणणपूयणाए जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेउं से सयमेव पुढविसत्थं समारंभइ अण्णेहिं वा पुढविसत्थं समारंभावेइ अण्णे वा पुढविसत्यं समारंभंते समणुजाणइ। १६ । तं से अहिआए तं से अचोहीए से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोच्चा खलु भगवओ अणगाराणं (प्र० वा अंतिए) इहमेगेसिं नातं भवति-एस ग्वलु गंथे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए इत्थं गड्डिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं पुढविकम्मसमारंभेण पुढविसत्यं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ, से बेमि अप्पेगे अंधमन्मे अप्पेगे अंधमच्छे अप्पेगे पायमन्मे अप्पेगे पायमच्छे अप्पेगे गुप्फमच्भे अप्पेगे गुप्फमच्छे अप्पेगे जंघमन्भे २ अप्पेगे उरुमच्भे २ अप्पेगे कडिमत्रमे २ अप्पेगे णाभिमन्भे २ अप्पेगे उदरमच्भे २ अप्पेगे पासमच्भे २ अप्पेगे पिट्टिमध्ये २ अप्पेगे उरमन्भे २ अप्पेगे हिययमन्भे २ अप्पेगे घणमच्भे २ अप्पेगे खंधमत्रभे २ अप्पेगे बाहुमब्भे २ अप्पेगे इत्थमध्ये २ अप्पेगे अंगुलिमन्भे २ अप्पेगे णहमन्भे २ अप्पेगे गीवमन्भे २ अप्पेगे हणुमच्भे २ अप्पेगे होट्टमन्भे २ अप्पेगे दंतमन्भे २ अप्पेगे जिग्भमन्भे २ अप्पेगे तालुमग्भे २ अप्पेगे गलमच्भे २ अप्पेगे गंडमन्भे २ अप्पेगे कण्णमब्भे २ अप्पेगे णासमन्भे २ अप्पेगे अच्छिमन्भे २ अप्पेगे भमुहमन्भे २ अप्पेगे णिडालमन्भे २ अप्पेगे सीसमन्भे २ अप्पेगे संपमारए अप्पेगे उद्दवए, इत्यं सत्यं समारंभमाणस्स इच्चेते आरंभा अपरिष्णाता भवंति । १७ । एत्य सत्यं असमारभमाणस्स इथेते आरंभा परिण्णाता भवति, तं परिण्णाय मेहावी नेव सयं पुढविसत्थं समारंभेज्जा णेवऽण्णेहिं पुढविसत्थं समारंभावेजा वऽण्णे सत्यं समारंभंते समणुजाणेज्जा जस्सेते पुढविकम्मसमारंभा परिण्णाता भवंति से हु मुणी परिण्णातकम्मेत्ति चेमि । १८। अ. १ द्वितीय उद्देशकः ॥ से बेमि से जहावि अणगारे उज्जुकडे नियायपडवणे (निकाय पडिवले पा० ) अमायं कुव्वमाणे वियाहिए । १९ । जाए सद्धाए निक्खतो तमेव अणुपालिज्या वियहित्ता विसोत्तियं (विजहित्ता पुव्वसंजोगं पा० ) । २० । पणया वीरा महावीहिं । २१ । लोगं च आणाए अभिसमेच्चा अकुओभयं।२२। से बेमि णेव सर्य लोग अग्भाइक्खिज्जा व अत्ताणं अब्भाइक्खिज्जा, जे लोयं अब्भाइक्खड़ से अत्ताणं अब्भाइक्खइ जे अत्ताणं अग्भाइक्खइ से लोयं अभाइक्खइ। २३ । लज्जमाणा पुढो पास अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं उदयकम्मसमारंभेणं उदयसत्यं समारंभमाणे (प्र० अण्णे) अणेगरूवे पाणे विहिंसइ । तत्थ खलु भगवता परिण्णा पवेदिता । इमस्स चैव जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए णमो दुक्खपडिघायहेउं से सयमेव उदयसत्थं समारंभति अण्णेहिं वा उदयसत्यं समारंभावेति अण्णे वा उदयसत्यं समारंभंते समणुजाणति, तं से अहियाए तं से अबोहीए, से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुद्वाय सोचा भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसिं णायं भवति एस खलु गंधे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए इचत्यं गड्डिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं उदयकम्मसमारम्भेणं उदयसत्यं समारंभमाणे अण्णे अणेगवे पाणे विहिंसइ । से बेमि संति पाणा उदयनिस्सिया जीवा अणेगे । २४ । इहं च खलु भो ! अणगाराणं उदयं जीवा वियाहिया । २५। सत्यं चेत्यं अणुवीइ पास पुढो सत्यं पवेइयं (पुढो पासं पवेदितं पा० ) । २६ । अदुवा अदिन्नादाणं ॥२७॥ कप्पड़ के कप्पड़ पाउं अदुवा विभूसाए |२८| पुढो सत्येहिं विहन्ति ॥ २९॥ एत्थऽवि तेसिं नो निकरणाए । ३० । एत्य सत्यं समारभमाणस्स इवेए आरंभा अपरिणाया भवंति, एत्यं सत्यं असमारभमाणस्स इथेते आरंभा १ आचारांग असण मुनि दीपरत्नसागर - Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AMATKAR | परिणाया भवंति, तं परिण्णाय मेहावी णेब सयं उदयसत्यं समारम्भेज्जा णेवऽण्णेहिं उदयसत्थं समारंभावेजा उदयसत्यं सभारंभंतेऽवि अण्णे ण समणुजाणेज्जा, जस्सेते उदयसत्थसमारंभा परिणाया भवति से हु मुणी परिणातकम्मेत्तिवमि । ३१ ॥१ अध्ययने तृतीयोदेशकः ॥ से बेमि व सयं लोग अभाइक्खेजा व अत्ताणं अब्भाइक्खेजा जे लोयं अब्भाइक्खइ से अत्ताणं अन्भाइक्वाइ जे अत्ताणं अम्भाइक्वड से लोयं अम्भाइक्खइ। ३२। जे दीहन्लोगमन्थस्स खेयण्णे मे असत्थस्स खेयण्णे जे असत्थस्स खेयण्णे से दीहलोगसत्थस्स खेयण्णे । ३३। वीरेहिं एवं अभिभूय दि8 संजएहिं सया जत्तेहिं सया अप्पमत्तेहिं । ३४। जे पमत्ते गुणहिए से हु दंडेत्ति पञ्चइ । ३५। तं परिणाय मेहावी इयाणिं णो जमहं पुवमकासी पमाएणं ।३६/लज्जमाणा पुढो पास अणगारा मोत्ति एगे पवदमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहि अगणिकम्मसमारम्भेणं अगणिसत्थं समारभमाणे अण्णेवि अणेगरूवे पाणे विहिसति, तत्थ खल भगवता परिण्णा पवेदिता इमस्स चेव जीवियस्स परिखंदणमाणणपूयणाए जाइमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेउं से सयमेव अगणिसत्थं समारभइ अण्णेहि वा अगणिसत्यं समारंभावेइ अण्णे वा अगणिसत्थं समारममाणे ममणुजाणइ नं मे अहियाएनं से अबोहियाए से तं संचुज्झमाणे आयाणीयं समुट्ठाय सोचा भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसिं णायं भवति एस खलु गंथे एम खल मोहे एस खल मारे एस खलु णरए इत्थं गढिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं मत्थेहि अगणिकम्मं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसइ ।३७१ से बेमि-संति पाणा पुढवीनिस्सिया तणणिस्सिया पत्तणिस्सिया कट्टनिस्सिया गोमयणिस्सिया कयवरणिस्मिया. संति संपातिमा पाणा आहच संपयंति, अगणिं च खलु पुट्ठा एगे संघायमायजेति, जे तत्थ संघायमावज्जति ते नत्य परियावज्जति जे तत्थ परियावज्जति ते तत्थ उहायति । ३८। एत्थं मत्थं समारंभमाणस्म इसचेते आरंभा अपरिणाया भवंति, एवं मत्थं अममारंभमाणस्स होने आरंभा परिणाया भवंति, (-तं परिणाय मेहावी णेच सयं अगणिमत्थं समारंभे नेवऽण्णेहिं अगणिसत्थं समारंभावेजा अगणिसत्यं ममारंभमाणे अण्णे न समणुजाणेजा) जस्सेते अगणिकम्मसमारंभा परिणाया भवंति मे हुमणी परिण्णायकम्मेत्तिवेमि । ३९ ।। अ०१ उ०४॥ तं णो करिस्मामि समुहाए. मत्ता मइमं, अभयं विदित्ता, तं जे णो करए. एसोवरए. एत्थोवरए. एस अणगारेत्ति पवुच्चई । ४० । जे गुणे मे आबट्टे जे आवट्टे से गणे।४१। उइदं अवं तिरियं पाईणं पासमाणे रुबाई पासति, मुणमाणे सहाई सुणेति. उइदं अब पाईणं मुच्छमाणे रूबेसु मुच्छति, सहेसु आवि।४२। एस लोए वियाहिए एत्य अगुत्ते अणाणाए।४३॥ पुणों पुणो गुणामाए, बंकममायारे । ४४ा पमनेऽगारमावसे । ४५। लज्जमाणा पुढो पास, अणगारा मोति एगे पवदमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं वणस्मइकम्मसमारंभेणं वणस्मइमत्थं समारभमाणा अण्णे अणेगावे पाणे विहिमंति, तन्थ खलु भगवया परिण्णा पवेदिता, इमस्स चेव जीवियस्स परिचंदणमाणणपूयणाए जाती (प. जरा) मरणमोयणाए दुक्खपडियायहेउं से सयमेव वणस्मइसत्थं ममारंभइ अण्णेहिं वा वणस्माइसन्थं समारंभावेड अण्णे वा वणस्सइसत्यं ममाग्भमाणे ममणुजाणाले से अहियाए तं से अबोहीए, से तं संबुजामाणे आयाणीयं समुहाए सोचा भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेमि णायं भवनि एम बल गंधे एम बल मोहे एम खल मारे एम खलु णरए, इत्थं गढिए लोए, जमिणं विरूवरूवेहि मत्थेहि वणस्मइकम्मसमारंभेणं वणस्सइसत्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगावे पाणे विहिसंति।४६। से बेमि इमंपि जाइधम्मयं एयंपि जाइधम्मयं इमंपि वृढिधम्मयं एयंपि वृढिधम्मयं णं मिलाइएयपि छिपणं मिलाइ इमंपि आहारगं एयपि आहारगं इमंपि अणिच्चयं एयपि अणिचयं इमंपि अमासयं एयपि असामयं (इमंपि अधुवं एयपि अधूर्व चू०) इमपि चयापचयं । एयपि चयापचाइयं इमंपि विपरिणामधम्मयं (प्र० णामियं) एयंपि विपरिणामधम्मयं । ४७। एत्थ सत्थं समारभमाणस्म इबेने आरंभा अपरिष्णाता भवनि. एत्य सन्धं असमाग्भमाणस्स इचेते आरंभा परिणाया भवंनि. नं परिगणाय मेहाची णेव सयं गणस्मइमत्थं समारंभेज्जा णेवऽण्णेहि वणस्सइसत्थं समारंभावेजा वएण्णे वणस्सइसत्य समणुजाणेजा. जस्मेते वणस्सनिमस्थममारंभा परिणाया भनि से हुमणी परिणायकम्मेत्तिवेमि । ४८॥ अ. १ उ०५॥ से बेमि संनिमे तमा पाणा. तंजहा-अंडया पोयया जराउआ रमया संसेयया संमुच्छिमा उम्भिया उबवाइया. एस मंसारेनि पबुच्चई। ४९। मंदम्माबियाणओ।५० । निमाइना पहिलेहिना पनेयं परिनिधाणं सबेसिं| पाणाणं सधेमि भयाणं सोमि जीवाणं मधेसि सत्ताणं अस्मायं अपरिनिशाणं महाभयं दुक्खंति बेमि. तसंति पाणा पदिसो दिसामु य ।५१॥ तत्व तस्य पढो पाम आतुग परितानि. संनि पाणा पुढो सिया।५२। लजमाणा पुढो पास अणगाग मोलि एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्येहिं नसकायसमारंभेणं तमकायमत्थं समारभमाणा अण्णे अ (प. ब) णेगरुवे पाणे विहिंसनि, तन्य स्खल भगवया परिण्णा पवेइया. इमम्म चेव जीवियस्स परिखंदणमाणणप्यणाए जाईमरणमोयणाए दुवपडिघायहेउं मे मयमेव नमकायसत्यं समारभति अण्णेहिं वा तमकायमत्वं समारंभावेइ अण्णे वा नसकायसन्ध समाग्भमाणे ममणुजाणइ. तं से अहियाए तं से अबोहीए. से तं संयुज्ममाणे आयाणीयं ममुट्ठाय सोचा भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसिं णायं भवंति-एम खलु गंथे एस बल मोहे एस खलु मारे एम बल णरए. इचन्थं गढिए लोए जमिणं विरुबरूवेहि सत्यहिं तमकायममारंभेणं तमकायसन्थं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिसंति । ५३ । से बेमि अप्पेगे अचाए हणति, अप्पेगे अजिणाए बहंति, अप्पेगे मंमाए वहंति, अप्पेगे सोणियाए वहंति, एवं हिययाए पिनाए वमाए पिच्छाए पुग्छाए पालाए सिंगाए विमाणाए दंताए दाढाए णहाए हारुणीए अट्ठीए अट्टिमिंजाए अट्ठाए अणट्ठाए, अप्पंगे हिंसमु मेत्ति वा वहंति अप्पेगे हिसति मेति वा बहंनि अपेगे हिंमिम्मति मेनि वा वहति । ५४। एन्थ सत्थं समारभमाणस्स इथेते आरंभा अपरिण्णाया भवनि. एत्य सत्थं असमारभमाणस्स इघेते आरंभा परिण्णाया भवन्ति, तं परिण्णाय मेहावी णेव सयं तसकायसत्यं समारंभेजा णेवऽण्णेहिं नसकायसत्थं समारंभावेजा णेवऽणे तसकायसन्थं समारंभ समणुजाणेज्जा, जस्मेने तसकायसस्थसमारंभा परिण्याया भवंति से हुमणी परिष्णायकम्मेत्तिबेमि । ५५॥ अ.१ उ०६॥ पर एजस्स (य एगम्म पा०) दुगंछणाए ।५६। आयंकदंसी अहियंनि णमा, जे अज्झत्थं जाणा से पहिया जाणह, जे पहिया जाणइ से अज्मस्थं जाणइ, एवं तुलमसि ।५७। इह संतिगया दविया गावकसति जीविडं।५८ लजमाणे पुढो पाम अणगाग मोत्ति एगे पक्यमाणा जमिणं विरुवरुवेहि सत्येहि २ आचारांग- अhaar-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाउकम्मसमारंभेण वाउसत्यं समारंभमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसति । तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया । इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए जाईमरणमोयणाए दुक्खपडिघायहेउं से सयमेव बाउसस्थं समारभति अण्णेहिं वा बाउसत्थं समारंभावेइ अण्णे वाउसत्थं समारंभंते समणुजाणति, तं से अहियाए तं से अबोहीए. से तं संवृज्जमाणे आयाणीयं समुट्ठाए सोचा भगवओ अणगाराणं वा अंतिए इहमेगेसि णायं भवति-एस खल गंथे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णिरए, इचत्थं गढिए लोए जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं वाउकम्मसमारंभेण वाउसत्यं समारंभेमाणे अण्णे अणेगरूवे पाणे विहिंसति ।५९/ से बेमि संति संपाइमा पाणा आहच संपयंति य फरिमं च खल पट्टा एगे संघायमावजंति, जे तत्य संघायमावति ते तत्व परियावज्जति जे तत्थ परियावज्जति ते तत्थ उद्दायंति, एत्थ सत्थं समारभमाणस्स इच्छेते आरंभा अपरिणाया भवंति, एत्य सत्यं असमारभमाणस्स इथेने आरंभा परिणाया भवनि, नं परिण्णाय मेहावी णेच सयं बाउसत्यं समारंभेजा णेवऽष्णेहिं बाउसत्थं समारंभावेज्जा णेवऽपणे वाउसत्यं समारंभंते समणुजाणेज्जा जस्सेते वाउसत्यसमारंभा परिणाया भवंति से हु मुणी परिपणायकम्मेनियेमि । ६०। एत्थंपि जाणे (पण) उवादीयमाणा जे आयारे ण रमंति आरंभमाणा विणयं वयंति छंदोवणीया अज्झोपवण्णा आरंभसत्ता पकरंति संगं ।६श से वसुमं सव्वसमण्णागयपण्णाणेणं अप्पाणेणं अकरणिजं पावं कम्मं णो अण्णेसि, नं परिण्णाय मेहावी व सयं छज्जीवनिकायसत्थं समारंभेजा णेवऽण्णेहिं छज्जीवनिकायसत्थं समारंभावेजा णेवऽण्णे छज्जीवनिकायसत्थं समारंभंते समणुजाणेजा, जस्सेते छज्जीवनिकायसत्थसमारंभा परिप्रणाया भवनि से हु मुणी परिण्णायकम्मेतिबेमि। ६२। अ.१ सप्तमोद्देशकः ॥ इति शस्त्रपरिज्ञाऽध्ययनम् ॥ जे गुणे से मूलढाणे, जे मूलट्ठाणे से गुणे इति, से गुणट्टी महया परियावेण पुणो पुणो बसे पमत्ते, तंजहा-माया मे पिया मे (म० भाया मे भगिणी मे) भजा मे पुत्ना मे धूआ मे पहुसा मे महिसयणसंगंथसंथुआ मे विवित्तुवगरणपरिवट्टणभोयणच्छायणं मे, इचत्थं गढिए लोए बसे पमत्ते अहो य.राओ य परितप्पमाणे कालाकालसमुहाई संजोगट्टी अट्ठालोभी आलंपे सहसाकारे विणिविचिने (विणिविदृचिट्टे पा०)एन्थ सत्थे पुणो पुणो (एत्थ सत्ते पुणो पुणो पा०)अप्पं च खल आउयं इहमेगेसिं माणवाणं तंजहा ।६३। सोयपरिणाणेहिं परिहायमाणेहिं चक्खपरिणाणेहिं परिहायमाणेडिं वाघाणपरिणाणेहि परिहायमाणेहिं रसणापरिणाणेहिं परिहायमाणेहिं फासपरिणाणेहिं परिहायमाणेहिं अभिकंतं च खलु वयं सपेहाए तओ से एगदा मूढभावं जणयंति । ६४। जेहिं वा सद्धिं संवसति तेऽविणं एगदा णियगा पनि परिवयंति सोऽवि ते णियए पच्छा परिवएजा णालं ते तब ताणाए वा सरणाए वा तुमंपि तेसिंणालं ताणाए वा सरणाए वा से ण हासाए ण किड्डाए णरतीए ण विभूसाए।६५। इञ्चेवं समुट्ठिए अहोविहाराए अंतरं च खल इमं सपेहाए धीरे महत्तमवि णो पमायए, वओ अञ्चेति जोब्बणं च ।६६। जीविए इह जे पमत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुपित्ता विलुपित्ता उद्दवित्ता उत्तासइत्ता अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे जेहिं वा सदि संवसइ ते वाणं एगया नियगा तं पवि पोसेंति सो वा ते नियगे पच्छा पोसिज्जा नालं ने तब ताणाए वा सरणाए वा तुमंपि तेसि नालं ताणाए वा सरणाए वा ६७ उवाइयससेण वा संनिहिसंनिचओ किजइ इहमेगेसिं असंजयाण भोयणाए तओ से एगया रोगसमुपाया समुप्पजति जेहिं या सदि संवसइ तं वा णं एगया नियगा तंपुचि परिहरंति सो वा ते नियगे पच्छा परिहरिज्जा नालं ते तव ताणाए वा सरणाए वा तुमंपि तेसिं नालं ताणाए वा सरणाए वा । ६८ा जाणितु दुक्खं पत्तेयं सायं । ६९। अणभिकंतं च खलु वयं सपेहाए। ७०। खणं जाणाहि पंडिए। ७१। जाव सोयपरिण्णाणा अपरिहीणा नेत्तपरिणाणा अपरिहीणा घाणपरिणाणा अपरिहीणा जीहपरिण्णाणा० फरिस: इच्चेएहिं विरूवरूवेहिं पण्णा हिं अपरिहाणेहिं आयर्ल्ड संमं समणवासिजासिनिबेमि।७२॥अ०२ उ०१॥ अरई आउट्टे से मेहावी, खणंसि मुके।७३। अणाणाय पुढावि एगे नियटुंति, मंदा मोहेण पाउडा, अपरिगहा भविस्सामो समहाय लबे कामे अभिगाहइ. अणाणाए मुणिणो पडिलेहंति, इत्थ मोहे पुणो पुणो सन्ना नो हवाए नो पाराए। ७४ । विमुत्ता हु ते जणा जे जणा पारगामिणा, लोभमलोभेण दुगुंछमाणे लढे कामे नाभिगाहइ । ७५। विणाचि (पाविणइत्त) लोभं निक्खम्म एस अकम्मे जाणइ पासह पडिलेहाए नावकंवइ एस अणगारित्ति पवुचाइ, अहोय राओ परितप्पमाणे कालाकालसमुट्ठाई संजोगट्टी अट्ठालोभी आलुपे सहसकारे विणिविट्ठचित्ते इत्थ सत्थे पुणो पुणो से आयबले से नाइवले से सयणवले से मित्तबले से पिञ्चबले से देववले से रायबले से चोरवले से अतिहिवले से किविणबले से समणबले इन्चेएहिं विरूवरूबेहिं कजेहिं दंडसमायाणं सपेहाए भया कजइ पावमुक्म्युनि मनमाणे अदुवा आसंसाए।७६। तं परिणाय मेहावी नेव सयं एएहिं कजेहिं दंडं समारंभिजा नेव अन्नं एएहिं कजेहिं दंडं समारंभाविजा एएहिं कजेहिं दंडं समारंभंतपि अन्नं न समणुजाणिज्जा, एस मग्गे आरिएहिं पवेइए, जहेन्थ कुसले नोवलिंपिज्जासित्तिबेमि।७॥ अ.२ उ०२॥से असई उच्चागोए असई नीआगोए, नो हीणे नो अइरिने (एगमेगे खलु जीवे अईअदाए असइ उच्चागोए असइ नीआगोए, कंडगट्ठयाए नो हीणे नो अइरिने पा०) नोऽपीहए, इय मंग्वाय को गोयावाई? को माणावाई?, कंसि वा एगे गिज्झा?, तम्हा पंडिए नो हरिसे नो कुप्पे, भूएहिं जाण पडिलेह सायं। ७८। समिए एयाणुपस्सी (पुरिसेणं खलु दुक्खुवेअसुहेसए पा०) तंजहा-अन्धनं बहिरनं मूयत्तं काणनं कुंटनं खुजनं वडभत्तं माम सबल सह पमाएणं अणेगरुवाओ जोणीओ संधावह विरूवरूचे फासे परिसंवेयइ।७९॥ से अबुज्झमाणे हओवहए जाईमरणं अणुपरियट्टमाणे, जीवियं पुढो पियं इहमेगेसि माणवाणं वित्तवत्थुममायमाणाणं, आग्नं विरनं मणिकुंडलं सह हिरण्णेण इत्थियाओ परिगिजझ तत्थेव रत्ता, न इत्थ तवो वा दमो वा नियमो वा दिस्सइ, संपुण्णं वाले जीविउकामे लालप्पमाणे मूढे विप्परियाममुवेद । ८० । 'इणमेव नावकखंति, जे जणा धुवचारिणो। जाईमरणं पग्निाय, चरे संकमणे दढे ॥१॥नस्थि कालस्स णागमो, सवे पाणा पियाउया (पियायया पा०) सुहसाया दुक्खपडिकूला अप्पियवहा पियजीविणो जीविउकामा, सव्वेसि जीवियं पियं, तं परिगिझ दुपयं चउप्पयं अभिजुंजिया णं संसिचिया णं तिविहेण जाऽवि से तत्थ मत्ता भवइ अप्पा वा बहुया वा से गड्ढिए चिट्ठद भोअणाए, तओ से एगया विविहं परिसिटुं संभूयं महोचगरणं भवइ, तंपि से एगया दायाया वा विभयन्ति, अदत्तहारो वा से अवहरति, गयाणो वा से विलुपति, नस्सइ वा से विणस्सइ वा से, अगारदाहेण वा से डज्मइ, इय से परस्सऽढाइ कराई कम्माई वाले पकुछमाणे तेण दुक्खेण संमूढे विप्पग्यिासमवेद, मुणिणा हु एवं पवेइयं अणोहंतरा एए, नो य ओहं तरित्तए, ३ आचारांग - अन्सय-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अतीरंगमा एए नो य तीरं गमित्तए, अपारंगमा एए नो य पारं गमित्तए, आयाणिज्जं च आयाय तंमि ठाणे न चिह्न, वितहं पप्पऽखेयने तंमि ठाणंमि चिइ । ८१ । उद्देसो पासगस्स नत्थि, वाले पुण निहे कामममणुन्ने असमिय दुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आब अणुपरियइत्ति बेमि ॥ ८२ ॥ अ० २३०३ ॥ तओ से एगया रोगसमुप्पाया समुप्पज्जति जेहिं वा सद्धिं संवसह ते व णं एगया नियया पुत्रिं परिवयंति सो वा ते नियए पच्छा परिवइज्जा नालं ते तव ताणाए वा सरणाए वा तुमंपि तेसिं नालं ताणाए वा सरणाए बा, जाणिन्तु दुक्खं पत्तेयंसायं, भोगा मे व अणुसोयन्ति इहमेगेसिं माणवाणं । ८३ । तिबिहेण जाऽवि से तत्थ मत्ता भवइ अप्पा वा बहुगा वा से तत्थ गड्ढि चिट्ठइ भोयणाए, तओ से एगया विपरिसिद्धं संभूयं महोवगरणं भवइ तंपि से एगया दायाया विभयंति अदत्तहारो वा से हरइ रायाणो वा से विलुंपति नस्सइ वा से विनस्सइ वा से अगारडाहेण वा से उज्झइ इय से परस्स अट्टाए कृराणि कम्माणि वाले पकुचमाणे तेण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुबेइ । ८४ । आसं च छन्दं च विगिंच धीरे! तुमं चैव तं सलमाहटु, जेण सिया तेण नो सिया इणमेव नावबुज्झति जे जणा मोहपाउडा, थीभि लोए पढहिए, ते भो ! वयंति एयाई आययणाई से दुक्खाए मोहाए माराए नरगाए नरगतिरिक्खाए, सययं मूढे धम्मं नाभिजाणइ, उआहु वीरे अप्पमाओ महामोहे, अलं कुसलस्स पमाएणं, संतिमरणं सपेहाए भेउरधम्मं सपेहाए नालं पास अलं ते एएडिं ॥८५॥ एवं परम मुणी ! महम्भयं नाइवाइज कंचणं, एस वीरे पसंसिए जे न निविज्जइ आयाणाए, न मे देइ न कुप्पिज्जा, थोवं लधुं न खिसए, पडिसेहिओ (पडिलाभिओ पा० ) परिणमिज्जा, एयं मोणं समगुवासिज्जासित्तिमि ॥८६॥ अ० २ उ० ४ ॥ जमिणं विरूहरूवेडिं सत्येहिं लोगस्स कम्मसमारंभा कज्जंति, तंजहा- अप्पणो से पुत्ताणं धूयाणं सुण्हाणं नाईणं धाईणं (राईणं) दासाणं दासीणं कम्मकराणं कम्मकरीणं आएसाए पुढोपणाए सामासाए पायगमाए संनिहिसंनिचओ कज्जइ इहमेगेसिं माणवाणं भोयणाए । ८७। समुट्टिए अणगारे आरिए आरियपन्ने आरियदंसी अयंसंधित्ति अदक्खु से नाइए नाइयावए न समणुजाणइ, सङ्ग्रामगंधं परिब्राय निरामगंधो परिष्वए । ८८ । अदिम्ममाणे कयविकयेसु से ण किणे न किणावए किणतं न समणुजाणइ से भिक्खु कालने बलने मायने खेयने खणयने विजयने ससमयपरसमयन्ने भावने परिग्गहं अममायमाणे कालाणुट्टाई अपडिण्णे । ८९ । दुहओ छेत्ता नियाइ वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं उग्गहणं च कडासणं एएस चैव जाणिज्जा । ९०। लदे आहारे अणगारो मायं जाणि (ए चू.)ज्जा से जहेयं भगवया पवेइयं, लाभुत्ति न मज्जिज्जा, अलाभुत्ति न सोइज्जा, बहुँपि लधुं न निहे, परिगाओ अप्पा अवमक्किज्जा । ९१ अनहा णं पासए परिहरिज्जा, एस मग्गे आयरिएहिं पवेइए, जहित्य कुसले नोवलिंपिज्जासित्ति बेमि । ९२ । कामा दुरतिकमा, जीवियं दुप्पडिवूहगं, कामकामी खलु अयं पुरिसे से सोयह जुग्द निष्पइ परितप्पड़ ।९३। आययचक्खु लोगविपस्मी लोगस्स अहो भागं जाणइ उड्ढं भागं जाणइ तिरियं भागं जाणइ गढिए लोए अणुपरियट्टमाणे संधिं विइत्ता इह मचिएहिं एस बीरे पसंसिए जे बद्धे पडिमोयए, जहा अंतो हा चाहिं जहा चाहिं तहा अंतो, अंतो अंतो पृइदेहंतगणि पासइ पुढोचि सर्वताइ पंडिए पडिलेहाए ॥ ९४ । से मइमं परित्राय मा य हु लाल पञ्चासी, मा तेसु तिरिच्छमप्पाणमावायए, कासंकासे खलु अयं पुरिसे, बहुमाई कडेण मृटे. पुणो तं करेइ लोहं वेरं वड्ढेइ अप्पणो, जमिणं परिकहिज्जइ इमस्स चेव पडिवूहणाए, अमरायइ महासढी, अट्टमेयं तु पेहाए अपरिण्णाए कंदइ। ९५। से तं जा (आजा. चू.) गह जमहं बेमि, तेइच्छं पंडिए पवयमाणे से हंता छित्ता भित्ता पत्ता विपत्ता उदवइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मन्त्रमाणे, जस्मवि य णं करेइ, अलं बालस्स संगेणं, जे वा से कारइ वाले, न एवं अणगारस्स जायइत्ति बेमि । ९६॥ अ०२३०५ ॥ से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुट्टाय तम्हा पाचकम्मं नेव कुजा न कारवेजा । ९७ सिया तत्थ एगयरं विपरामुसइ लमु अन्नयरंभि कप्पर सुहट्टी लालप्यमाणे, सएण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेइ, सएण पुढो वयं पकुब्वइ, जंसिमे पाणा पव्वहिया पडिलेहाए नो निकरणयाए एस परिक्षा पबुच्चइ कम्मोवसंती । ९८ । जे ममाइयमई जहाइ से चयइ ममाइयं, से हु दिट्ठपहे मुणी जस्स नत्थि ममाइयं, तं परित्राय मेहावी विइत्ता लोग वंता लोगसचं से मइमं परिकमिज्जासित्तिवेमि। 'नारई सहई वीरे, वीरे न सहई रतिं जम्हा अविमणे वीरे. तम्हा वीरे न रज्जइ ॥ २ ॥ ९९ ॥ सद्दे फासे अहियासमाणे, निविद नंदि इह जीवियस्स । मुणी मोणं समायाय, धुणे कम्मसरीरगं ॥ ३ ॥ पंतं लूहं सेवंति वीरा संमत्तदंसिणो । एस ओनरे मुणी तिने मुत्ते विरए वियाहिएत्तित्रेमि १००। दुवसुमुणी अणाणाए तुच्छए, गिलाइ वत्तए, एस सुवसु वीरे पसंसिए अचेइ लोयसंजोगं एस नाए पबुम्बइ। १०१। जं दुक्खं पवेइयं इह माणवाणं तस्स दुक्खस्स कुसला परिमुदाहरति इइ कम्मं परिचाय सम्रसो, जे अणन्नदंसी से अणन्नारामे जे अणण्णारामे से अणनदंसी, जहा पुण्णस्स कत्थइ तहा तुच्छस्स कत्थइ जहा तुच्छस्स कत्थइ तहा पुण्णस्स कत्थइ । १०२ । अविय हणे अणाइयमाणे इत्यपि जाण मेयंति नत्थि केयं पुरिसे कं च नए ?. एस बीरे पसंसिए जे बदे पडिमोबए उड़ढं अहं तिरियं दिसासु, से सबओ सङ्घपरिनाचारी न लिप्पइ छणपण, बीरे से मेहावी अणुग्धायणस्स खेयने जे य बन्धयमुक्खमन्नेसी, कुमले पुण नो वदे नो मुके। १०३ से जंच आरभे जं च नारभे अणारदं च न आरमे छणं छणं परिण्णाय लोगसन्नं च सव्वसो । १०४ उद्देसो पासगस्स नत्थि वाले पुण निहे कामसमणुन्ने असमियदुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आव अणुपरियइत्तित्रेमि । १०५ । उ० ६ ॥ लोकविजयाध्ययनं २ ॥ मुत्ता अमुणी, सया (प्र० सयमं) मुणिणो जागरंति । १०६ । लोयंसि जाण अहियाय दुक्खं समयं लोगस्स जाणित्ता इत्थ सत्थोवरए जस्सिमे सहाय रूवाय रायगंधाय फासाय अभिसमन्नागया भवंति । १०७ से आयवं नाणवं (से आयवी नाणवी पा०) बेयवं धमवं पन्नाणेहिं परियाणइ लोयं, मुणीति बुचे धम्मविऊ उज्जू आवट्टसोए संगमभिजाणइ । १०८ । सीउसिणच्चाई से निग्गंथे अरइस्सहे फरुसयं नो वेएइ जागरवेरोबरए वीरे एवं दुक्खा पमुक्खसि, जरामच्चुवसोणीए नरे सययं मूढे धम्मं नाभिजाणइ । १०९ । पासिय आउर (प्र० रिह) पाणे अप्पमत्ता परिवए, मंता य मइमं पास, आरंभजं दुक्खमिति णचा. माई पमाई पुण एई गन्भं. उबेहमाणो सदरूवेसु उज्जू माराभिसंकी मरणा पमुचई अप्पमत्तो कामेहिं उवरओ पावकम्मेहिं बीरे आयगुत्ते खेयन्ने, जे पज्जवजायसत्थस्स खेयण्णे से असत्यस्स खेयण्णे जे असत्थस्स वेण्णे मे पज्जवजायसत्थस्स खेयन्ने, अकम्मस्स वबहारो न बिज्जइ. कम्मु (प०म्म) णा उवाही जायइ, कम्मं च पडिलेहाए। ११० । कम्ममूलं (कम्माहूय पा० ) च जं छणं, पडिलेहिय सवं समायाय दोहिं अंतेहिं अदिस्समाणे तं परिन्नाय मेहाची विइत्ता लोगं वंता लोगसन्नं से मेहावी परिकमिज्जासित्तिवेमि । १११। अ० ३ उ० १ ॥ 'जाई च बुडिंट च इहऽज्ज! पासे, भूएहिं जाणे पडिलेह सायं । तम्हाऽतिविज्जे परमंति णचा, संमत्तदंसी न करेइ पार्व ॥ ४ ॥ (१) ४ आचारांग असयणे-३ मुनि दीपरत्नसागर h Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उम्मच पास इह मचिएहि, आरंभजीबी उभयाणुपस्सी। कामेसु गिद्धा निचर्य करंति, संसिचमाणा पुरिति गम्भं ॥५॥ अवि से हासमासज्ज, हंता नंदीति मबई । अलं बालस्स संगेणं, वरं वढेड अपणो ॥६॥ तम्हाऽतिविजो परमति णचा, आयकर्दमी न करेह पावं । अग्गं च मूलं च विगिंच धीरे, पलिच्छिदिया णं निकम्मदंसी ॥ ७॥ एस मरणा पमुचाइ, से हु दिवभए मुणी लोगसि परमदंसी विवित्तजीवी उपसंते समिए सहिए सया जए कालखी परिवए, पहुं च खलु पार्य कम्म पगडं । ११२। सञ्चमि घिई कुबहा, एत्योवरए मेहावी सर्व पावं कम्मं झोसह।११३। अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे, से केयणं अरिहए पूरित्तए से अण्णबहाए अण्णपरियावाए अण्णपरिग्गहाए जणवयवहाए जणवयपरियावाए जणषयपरिग्गहाए।११४। आसेवित्ता एतं (4) अटुं इथेवेगे समुट्ठिया तम्हानं चिइयं नो सेवे निस्सारं पासिय नाणी, उपवायं चवणं णचा अणण्णं चर माहणे, से न ठणे न छणावए उणतं नाणूजाजड. निर्षिद नंरि अरए पयास अणोमदंसी निसपणे पावहिं कम्मेहिं । ११५। कोहाइमाण हणिया व वीरे, लोभस्स पासे निरयं महंत । तम्हा य (प.हि) वीरे विरए वहाओ. छिदिज सोयं सहभयगामी ॥ ८॥ गंथं परिणाय इहऽज! धीरे, सोयं परिणाय परिज दंते। उम्मज लधु इह माणवेहि, नो पाणिणं पाणे समारभिजा॥९॥ सित्तिबेमि ॥अ०३ उ०२॥ संधि लोयस्स जाणित्ता आयओ बहिया पास तम्हा न हंता न विधायए, जमिणं अन्नमनवितिगिच्छाए पडिलेहाए न करेइ पाचं कम्मं किं तत्थ मुणी कारणं सिया?।११६। समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं विपसायए-अणनपरमं नाणी, नो पमाए कयाइवि। आयगुत्ते सया वीरे, जायामायाइ जावए ॥१०॥ विरागं रुवेडिं (प्रमु) गच्छिज्जा महया सुत्रएहि य (प्र०वा) (विसयंमि पंचगंमीवि, दुविहंमि तियं तियं । भावओ सुलु जाणित्ता से न लिप्पइ दोसुवि॥१॥पा०) आगई गई परिण्णाय दोहिबि अंतेहिं अदिस्ममाणेहिं से न छिजाइन भिजइन डजाइन हमइ कंचणं सबलोए।११७। अवरेण पुचि न सरंति एगे, किमस्स तीयं? किं वाऽऽगमिस्सं? । भासंति एगे इह माणवाओ, जमस्स तीयं तमागमिस्सं ॥११॥ (अवरेण पुत्र किह से अतीतं, किह आगमिस्सं न सरंति एगे। आसंति एगे इह माणवाओ, जह से अईयं तह आगमिस्सं ॥१॥पा०)नाईयमटुं न य आगमिस्स, अटुं नियच्छन्ति तहागया उ। बिहूय कप्पे एयाणुपस्सी, निझोसइत्ता खवगे महेसी ॥१२॥ का अरई के आणंदे?, इत्थंपि अग्गहे चरे, सहासं परिचज, आलीणगुत्तो परिवए। पुरिसा! तुममेव तुम मित्तं, किं पहिया मित्तमिच्छसि ? ११८ा जं जाणिज्जा उच्चालइयं तं जाणिजा दूरालइयं जं जाणिज्जा दूगलइयं ते जाणिज्जा उच्चालाइयं, पुरिसा! अत्ताणमेवं अभिणिगिज्झएवं दुक्खा पमुच्चसि, पुरिसा! सच्चमेव समभिजाणाहि, सच्चस्स आणाए से उबट्टिए मेहाची मारं तरह, सहिओ धम्ममायाय सेयं समणुपस्सइ।११९। दुहओ जीवियस्स परिवंदणमाणणपूयणाए जसि एगे पमायति । १२० । सहिओ दुक्खमत्ताए पुट्ठो नो झंझाए, पासिमं दविए लोकालोकपपंचाओ मुच्चइत्तिवेमि ।१२१॥ अ०३ उ०३॥ से वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च, एयं पामगस्स देसणं उवग्यमत्थस्स पलियंतकरस्स आयाणं सगडभि । १२२ । जे एग जाणइ से सच्चं जाणइ जे सर्व जाणइ से एग जाणइ । १२३। सबओ पमत्तस्स भयं, सबओ अप्पमत्तस्स नस्थि भयं, जे एग नामे से पहूं नामे जे बहुं नामे से एग नामे, दुक्ख लोगस्स जाणित्ता वंता लोगस्स संजोगं जंति धी(प० वी)रा महाजाणं, परेण परं जंति, नावखंति जीवियं। १२४। एग बिगिचमाणे पुढो विगिंचइ. पुढोवि सड्ढी आणाए, मेहावी लोगं च आणाए अभिसमिच्चा अकुओभयं, अन्थि मत्थं परेण परं, नत्थि असत्थं परेण परं । १२५। जे कोहदंसी से माणदंसी जे माणदंसी से मायादंसी जे मायादंसी से लोभदंसी जे लोभदंसी से पिज्जदंसी जे पिजदंसी से दोसदंसी जे दोसदंसी से मोहदंसी जे मोहदंसी से गम्भदंसी जे गम्भदंसी से जम्मदंसी जे जम्मदंसी से मारदंसी जे मारदंसी से नरयदंसी जे नरयदंसी से तिरियदंसी जे तिरियदंसी से दुक्खदंसी।से मेहावी अभिणिवहिजा कोहं च माणं च मायं च लोभं च पिज्जं च दोसं च मोहं च गम्भं च जम्मच मारं च नरयं च तिरियं च दुक्खं च। एयं पासगस्स दंसणं उवरयसत्थस्स पलियंतकरस्स आयाणं निसिद्धा सगडग्भि, किमत्थि ओवाही पासगस्स? न विजइ ? नस्थिनिवेमि।१२६। उ०४ शीतोष्णीयाध्ययनं ३॥ से बेमि जे अईया जे य पडुप्पन्ना जे य आगमिस्सा अरहंता भगवंतो ते सत्वे एवमाइक्खन्ति एवं पण्णविंति एवं परूविति-सवे पाणा सवे भूया सवे जीवा सवे सत्ता न हंतवान अज्जावेयवान परिधिनवान परियावेयवान उडवेयवा, एस धम्मे सुदे निइए सास समिच्चा लोय खेयण्णेहिं पवेहए, तंजहा-उट्टिएम वा अणुद्विएसुपा उपढिएम वा अणुवटिएम वा उवरयदंडेसु वा अणुवरयदंडेसु वा सोबहिएम वा अणोवहिएसु वा संजोगरएस वा असंजोगरएस बा.नचं चेयंतहा चेयं. अस्सि चेयं पञ्चइ । १२७। तं आइत्तु न निहे न निक्खिचे, जाणित्तु धम्मं जहा तहा, दिडेहिं निवेयं गच्छिज्जा, नो लोगस्सेसणं चरे ।१२८। जस्स नत्थि इमा जाई अण्णा तस्स को सिया?, दिवे सुयं मयं विष्णायं जं एवं परिकहिal जइ, समेमाणा पलेमाणा पुणो पुणो जाई पकप्पंति ।१२९। अहो अराओ य जयमाणे धीरे सया आगयपण्णाणे पमते पहिया पास अप्पमत्ते सया परिक्कमिजासित्तिवेमि । १३० । अ०४ उ०१॥ जे आमवा ते परिस्सवा जे परिस्सवा ते आसवा, जे अणासवा ते अपरिस्सवा जे अपरिस्सवा ते अणासवा, एए पए संबुज्झमाणे लोयं च आणाए अभिसमिचा पुढो पवेइयं।१३१।आघाइ नाणी इह माणवाणं संसारपडिवण्णाणं संबुज्झमाणाणं विन्नाणपत्नाणं (आघाइ धम्म खलु से जीवाणं, तंजहा-संसारपडिवन्नाणं माणुसभवत्थाणं आरंभविणईणं दुक्सुअसुहेसगाणं धम्मसवणगवेसयाणं सुस्मसमाणाणं पडिपुच्छमाणाणं विण्णाणपत्ताणं पा०) अहावि सता अदुवा पमत्ता अहा सचमिणतिचेमि, नाणागमो मचुमुहस्स अस्थि, इच्छा पणीया वंका निकेया कालगहिया निचयनिविट्ठा पुढो पुढो जाई पकप्पयंति (एत्य मोहे पुणो पुणो पा०)।१३२। इहमेगेसिं तत्थ तत्थ संथवो भवह, अहोचाइए फासे पडिसंवेयंति, चिट्ठ कम्मेहिं कुरेहिं चिट्ठ परिचिट्टा, अचिट्ठ कूरेहिं कम्मेहिं नो चिट्ठ परिचिट्ठद, एगे वयंति अनुवावि नाणी नाणी वयंति अदुवाबि एगे।१३३। आवंती केयावती लोयंसि समणा य माहणा य पुढो विवायं वयंति, से दिटुं च णे सुयं च णे मयं चणे विण्णायं चणे उड्ढे अहं तिरियं दिसासु सबओ सुपडिलेहियं चणे-सझे पाणा सजे जीवा सो भूया सच्चे सत्ता हन्तवा अज्जावेयचा परियावेयच्या परिघेत्तवा उदवेयवा, इत्यपि जाणह नस्थित्थ दोसो, अणारियवयणमेयं, तत्य जे आरिआते एवं क्यासी से दुदिटुं च मे दुस्सुयं च भे तुम्मयं च मे दुविण्णायं च मे उड्द अहं तिरियं दिसासु सबओ दुप्पडिलेहियं च भेज णं तुम्भे एवं आइक्खह एवं भासह एवं परूवेह एवं पण्णवेह-सवे पाणा ४ ५ आचारांग- Hararur मनि दीपरनसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हंतशा० ५, इत्थत्रि जाणह नत्थित्य दोसो, अणारियवयणमेयं, वयं पुण एवमाइक्खामो एवं भासामो एवं परुवेमी एवं पण्णवेमो-सङ्के पाणा० ४ न हंतवा०५, इत्थवि जाणह नत्थित्थ दोसो. आयरियत्रयणमेयं, पुवं निकाय समयं पत्तेयं पत्तेयं पुच्छिस्सामि, हंभो पावाइया (प्र० पावाउआ ) किं भे सायं दुक्खं (प्र० उयाहु) असायं ?, समियापडिवण्णे यावि एवं दूया-सवेसिं पाणाणं सवेसिं भूयाणं सब्बेसिं जीवाणं सङ्केसिं सत्ताणं असायं अपरिनिशाणं महभयं दुक्खतिबेमि । १३४ । अ० ४३० २ ॥ उवेहि णं वहिया य लोगं से सबलोगंमि जे केइ विष्णू, अणुवीइ पास निक्खित्तदंडा, जे केइ सत्ता पलियं चयंति, नरा मुयचा धम्मविउत्ति अंजू. आरंभजं दुक्खमिणंति णचा. एवमाहु संमतदंसिणो, ते सर्व्वे पात्राइया दुक्खस्स कुसला परिण्णमुदाहरति इय कम्मं परिण्णाय सङ्घसो । १३५ । इह आणाकंखी पंडिए अणिहे, एगमप्पाणं सपेहाए धुणे सरीरं कसेहि अप्पाणं जरेहि अप्पाणं जहा जुनाई कट्टाई हववाहो पमत्थइ, एवं अत्तसमाहिए अणिहे विगिंच कोहं अविकंपमाणे । १३६ । इमं निरुद्धाउयं सपेहाए दुक्खं च जाण अदु आगमेस्सं, पुढो फासाई च फासे, लोयं च पास विफंदमाणं, जे निव्बुडा पावेहिं कम्मेहिं अणियाणा ते वियाहिया, तम्हा अतिविज्जो नो पडिसंजलिज्जासित्तित्रेमि । १३७। अ०४ उ०३ ॥ आवीलए पवीलए निप्पीलए जहित्ता पुवसंजोगं हिचा उवसमं, तम्हा अविमणे वीरे सारए समिए सहिए सया जए. दुरणुचरो मग्गो वीराणं अनियट्टगामीणं, विगिंच मंससोणियं, एस पुरिसे दविए वीरे आयाणिज्जे वियाहिए जे घुणाइ समुस्सयं वसित्ता वंभचेरंसि । १३८ । नित्तेहिं पलिच्छिन्नेहिं० आयाणसोयगढिए वाले अशोच्छिन्नबंधणे अणभिक्कतसंजोए तमसि अवियाणओ आणाए लंभो नत्थित्तित्रेमि । १३९ । जस्स नत्थि पुरा पच्छा मज्झे तस्स कुओ सिया ?, से हु पन्नाणमंते बुद्धे आरंभोवरए संममेयंति पासह जेण बंधं वहं घोरं परियावं च दारुणं, पलिछिंदिय बाहिरगं च सोयं निकंमदंसी इह मच्चिएहिं. कम्माणं सफलं दद्दण तओ निज्वाइ वेयवी । १४०। जे खलु भो! बीरा ते समिया सहिया सयाजया संघडदंसिणो आओवरया अहातहं लोयं उवेहमाणा पाईणं पडिणं दाहिणं उईणं इय सच्चसि परि (०चिए) चिट्टिमु. साहिस्सामो नाणं वीराणं समियाणं सहियाणं सयाजयाणं संघडदंसीणं आओवरयाणं अहातहं लोयं समुवेहमाणाणं, किमन्थि उचाही पासगस्स ? न विज्बइ १, नत्थित्तिषेमि । १४१ ॥ ३०४ सम्यक्त्वाध्ययनं ४ ॥ आवती केयावंती लोयंसि विप्परामुमति अट्टाए अट्टाए, एएस चैव विप्रामुसंति ( जावंति केई लोए छक्कायवहं समारभंति अट्टाए अण्डाए वा पा० ) गुरू से कामा तओ से मारंते, जओ से मारते तओ मे दूरे, नेव से अंतो नेव दूरे। १४२। से पासइ कुमियमिव कुमग्गे पणुनं निवइयं वाएरियं, एवं बालस्स जीवियं मंदस्स अवियाणओ, कूराई कम्माई वाले पकुब्रमाणे, तेण दुक्खेण मृढे विप्परिआसमुवेइ, मोहेण गन्धं मरणाई एइ. एत्य मोहे पुणो पुणो । १४३ । संसयं परिआणओ संसारे परिक्षाए भवइ. संसयं अपरियाणओ संसारे अपरिझाए भवइ । १४४ । जे छेए से सागारियं न सेवइ, कट्टु एवमत्रियाणओ विइया मंदस्स बालया (जे खलु विसए सेवइ, सेवित्ता वा णालोएड. परेण वा पुट्टो निण्हवड, अहवा तं परं मण वा दोसेण पावियरेण वा दोसेण उबलिंपिज्जत्ति पा० ) लदा हुरत्या पडिलेहाए, आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणयत्तिबेमि । १४५। पासह एगे रूवेसु गिद्धे परिणिजमाणे इत्थ फासे पुणो पुणो (एत्थ मोहे पुणो पुणो पा० ) आवती केयावंती लोयंसि आरंभजीबी, एएस चेव आरंभजीवी, इत्यवि वाले परिपच्चमाणे रमई पावेहिं कम्मेहिं असरणे सरणंति मन्नमाणे, इहमेगेसिं एगचरिया भवइ से बहुकोहे बहुमाणे बहुमाए बहुलोभे बहुए बहुनडे बहुसढे बहुसंकप्पे आसवसत्ती पलिउच्छन्ने उट्टियवायं पवयमाणे मा मे केइ अदक्खु, अन्नाणपमायदोसेणं सययं मूढे धम्मं नाभिजाणइ, अट्टा पया माणव ! कंभकोविया, जे अणुवरया अविज्जाए पलिमुक्खमाहु आवट्टमेव अणुपरियहंतित्तित्रेमि । १४६ । अ० ५० १ ॥ आवन्ती केयावन्ती लोए अणारंभजीविणो तेसु एत्योवरए तं झोसमाणे अयं संधीति अदक्खू, जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणेत्ति अन्नेमी, एस मग्गे आरिएहिं पवेइए उट्ठिए नो पमायए. जाणित दुक्खं पत्तेयं सायं पुढोछंदा इह माणवा. पुढो दुक्खं पवेइयं, से अविहिंसमाणे अणवयमाणे पुट्टो फासे विपणुन्नए । १४७। एस समियापरियाए वियाहिए जे असत्ता पावेहिं कम्मेहिं. उदाहु ते आयंका फुर्मति, इति उदाहु धीरे ते फासे पुट्ठो अहियासह, से पुर्विपेयं पच्छापेयं मेउरधम्मं विदंसणधम्ममधुवं अणिइयं असासयं चयावचइयं विप्परिणामधम्मं पासह एवं रूवसंधिं । १४८। समुप्पेहमाणस्स इक्काययणग्यस्म इह विप्पमुकस्स नत्थि मग्गे विरयस्सत्तित्रेमि । १४९। आवनी केयावंती लोगंसि परिग्गहावंती से अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वा एएस चेत्र परिग्गहावंती, एतदेव एगेसिं महत्रभयं भवइ लोगवि (म० चितं च णं उदेहाए एए संगे अवियाणओ । १५० । से सुपडिबद्धं सूवणीयंति नच्चा पुरिसा परमचक्खू विपरिकमा एएस चेव बंभचेरंति बेमि, से सुयं च मे अज्झत्थयं च मे बंधप्यमुक्खो, अज्झत्थेव (प्र० भुज्जऽज्झत्थेव ) इत्थ विग्ए अणगारे दीहरायं तितिक्खए, पमत्ते वहिया पास अप्पमनो परिवए, एवं मोणं सम्म अणुवासिज्जासित्तिवेमि । १५१ ॥ अ० ५ उ० २ ॥ आनंती केयावती लोयंसि अपरिग्गहावंती. एएस चैव अपरिग्गहावंती मुच्चा वई मेहावी पंडियाण निमामिया ममियाए धम्मे आरिएहिं पवेइए जहत्थ मए संधी जोसिए एवमन्नत्थ संधी दुज्जोसए भवइ तम्हा बेमिनो निहणिज्ज वीरियं । १५२ । जे पुण्बुट्टाई नो पच्छानिवाई जे पुण्बुट्टाई पच्छानिवाई जे नो पृच्वृद्वायी नो पच्छानिवाई सेऽवि नारिसए सिया जे परिन्नाय लोगमन्नमयंति | १५३ । एवं नियाय मुणिणा पवेइयं इह आणाकंखी पंडिए, अणिहे पुव्वावरायं जयमाणे सया सीलं सुपेहाए, सुणिया भवे अकामे अझंझे. इमेण चैव जुज्झाहि, किं ते जुज्झेण बज्झओ ? । १५४ । जुदारिहं खलु (च पा०) दुलहं जहित्य कुसलेहिं परिन्नाविवेगे भासिए, चुए हु बाले गभाइएस रजइ (रिज्जइ पा० ). अस्सि चेयं पवृच्चड रूवंसि वा छमि वा. से हु एगे संविदुपट्टे ( संविदभये पा० ) ( प्र० संचिट्टपहे ) मुणी अन्नहा लोगमुहमाणे. इय कम्मं परिण्णाय सब्बसो से न हिंसइ संजमइ नो पग भइ उद्देहमाणो पत्तेयं सायं वण्णाएसी नारभे कंचणं सव्वलोए, एगप्पमुहे विदिमप्पइन्ने निश्चिण्णचारी अरए पयासु । १५५ से वसुमं सव्वममन्नागयपन्नाणेणं अप्पाणेणं अकरणिजं पावकम्मं तं नो अन्नेसी, जं संमंति पासहा तं मोणंति पासहा जं मोणंति पासहा तं संमंति पासहा, न इमं सकं सिडिलेहिं अजिमाणेहिं गुणासाएहिं बँकसमायारेहिं पमनेहिं गाग्मावमंतेहि मुणी मोणं समायाए धुणे सरीग्गं. पंतं लहंसेति वीरा सम्मत्तदंसिणो, एस ओहन्तरे मुणी तिष्णे मुत्ते विरए वियाहिएत्तिवेमि । १५६ ॥ अ० ५ ० ३ ॥ गामाणुगामं दृइजमाणस्स दुज्जायं दुप्परकंतं भवइ अवियत्तम्स भिक्खुणो। १५७। वयसावि एगे बुइया ६ आचारांग असय ५ मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुप्पंति माणवा, उन्नयमाणे य नरे महया मोहेण मुज्झइ, संवाहा बहवे भुज्जो २ दुरइकमा अजाणओ अपासओ, एवं ते मा होउ एवं कुसलस्स दंसणं, तद्द्द्विीए तम्मुत्तीए तःपुरकारे तस्सन्नी तन्निवेसणे जयं विहारी चित्तनिवाई पंथनिज्झाई, पलिबाहिरे पासिय पाणे गच्छिजा । १५८। से अभिकममाणे पडिकममाणे संकुचमाणे पसारेमाणे विणिवट्टमाणे संपलिज्जमाणे एगया गुणसमियस्स रीयओ कायसंकामं ममणुचिन्ना एगतिया पाणा उद्दायंति इहलो| गवेयणविज्जावडियं, जं आउट्टिकयं कंमं तं परिन्नाय विवेगमेइ, एवं से अप्पमाएण विवेगं किइ वेयवी । १५९। से पभूयदंसी पभूयपरिन्नाणे उवसंते समिए सहिए सयाजए दठ्ठे विप्पडिवेएइ अप्पाणं, किमेस जणो करिस्सइ ?, एस से परमारामो जाओ लोगंमि इत्थीओ, मुणिणा हु एयं पवेइयं उच्चा हिज्जमाणे गामधम्मेहिं अवि निच्चलासए अवि ओमोयरियं कुज्जा अवि उड्ढं ठाणं ठाइज्जा अवि गामाणुगामं दृइज्जिज्जा अवि आहारं बुच्छिदिजा, अवि चए इत्थीसु मणं, पुवं दंडा पच्छा फासा पुढं फासा पच्छा दंडा, इचेए कलहा संगयरा भवंति, पडिलेहाए आगमित्ता आणविजा अणासेवणाएत्तिबेमि, से नो काहिए नो पासणिए नो संपसारणिए नो मामए णो कयकिरिए बइगुत्ते अज्झप्पसंवुडे परिवज्जइ सया पावं, एयं मोणं समणुवासिज्जासित्तिवेमि । १६० ॥ अ० ५ उ० ४ ॥ से बेमि तंजहा अवि हरए पडिपुण्णे समंसि भोमे चिट्ठइ उवसंतरए सारक्खमाणे, से चिट्ठइ सोयमज्झगए, से पास सव्वओ गुत्ते, पास लोए | महेसिणो जे य पन्नाणमंता पबुद्धा आरम्भोवरया, सम्ममेयंति पासह, कालस्स कंखाए परिश्वयंतित्तित्रेमि । १६१। वितिगिच्छसमावन्नेणं अप्पाणेणं नो लहइ समाहिं, सिया वेगे अणुगच्छंति असिता वेगे अनुगच्छंति, अणुगच्छमाणेहिं | अणणुगच्छमाणे कहं न निव्विज्जे ? । १६२ । तमेव सचं नीसंकं जं जिणेहिं पवेइयं । १६३ । सढिस्स णं समणुन्नस्स संपव्वयमाणस्स समियंति मन्नमाणस्स एगया समिया होइ१समियंति मन्नमाणस्स एगया असमिया होइ २ असमियंति मन्नमाणस्स एगया समिया होइ ३ असमियंति मन्नमाणस्स एगया असमिया होइ ४ समियंति मन्नमाणस्स समिया वा असमिया वा समिआ होइ उबेहाए ५ असमियंति मनमाणस्स समिया वा असमिया वा असमिया होइ उवेहाए ६, उद्देहमाणो अणुवेहमाणं बूया-उवेहाहि समियाए, इन्वेवं तत्थ संधी झोसिओ भवइ, से उडियस्स ठियस्स गई समणुपासह, इत्थवि बालभावे अप्पाणं नो उवदंसिज्जा । १५४ । तुमंसि नाम सच्चेव जं हंतव्वंति मन्नसि तुमंसि नाम सच्चेव जं अज्जावेयव्वंति मन्नसि तुमंसि नाम सब्बेव जं परियावेयव्वंति मन्नसि, एवं जं परिधित्तव्वंति मन्नसि, जं उद्दवेयवंति मन्नसि, अंजू चेयपडिबुद्धजीवी तम्हा न हंता नवि घायए, अणुसंवेयणमप्पाणेणं जं हंतव्वं नाभिपत्थए । १६५ । जे आया से विन्नाया जे विन्नाया से आया, जेण वियाणइ से आया, तं पडुच्च पडिसंखाए एस आयावाई समियाए परियाए विग्राहिएत्तिबेमि । १६६॥ अ० ५ ३० ५॥ अणाणाए एगे सोबद्वाणा आणाए एगे निरुवट्टाणा एयं ते मा होउ एयं कुसलस्स दंसणं, तद्दिडीए तम्मुत्तीए तप्पुरकारे तस्सन्नी तन्निवेसणे । १६७। अभिभूय अदक्खू, अणभिभूए पशू निरालंबणयाए, जे महं अबहिमणे, पवाएण पवायं जाणिज्जा सहसंमइयाए परवागरणेण अन्नेसिं वा अंतिए सुच्चा । १६८ । निद्देसं नाइवद्वेज्जा, सुपडिलेहिया सइओ सङ्घप्पणा (प्र० सव्वयाए सव्वमेव), सम्मं समभिण्णाय इह आरामं परिण्णाय अहीणगुत्तो आरामो परिव्वए, निडियट्टी बीरे आगमेण सया परकमेज्जासित्तिवेमि । १६९ । उड्ढं सोया अहे सोया, तिरियं सोया वियाहिया। एए सोया विजक्खाया, जेहिं संगति पासह ॥ १३ ॥ आवहं तु पेहाए इत्थ विरमिज्ज वेयवी, विणइत्तु सोयं, निक्खम्म एस महं अम्मा जाणइ पासइ पडिलेहाए, नावकखइ इह आगई गई परिन्नाय । १७० । अचेइ जाईमरणस्स वट्टमग्गं विक्खायरए, सव्वे सरा नियति तक्का जत्थ न विज्जइ, मई तत्थ न गाहिया, ओए अप्पइट्टाणस्स खेयन्ने, से न दीहे न हस्से न वट्टे न तंसे न चउरंसे न परिमंडले न किण्हे न नीले न लोहिए न हालिदे न सुकिले न सुरभिगंधे न दुरभिगंधे न तित्ते न कडुए न कसाए न अंबिलेन महुरे न कक्खडे न मउए न गरुए न लहुए न सीए न उन्हे न सिद्धे न लक्खे न काओ न कहे न संगे न इत्थी न पुरिसे न अनहा, परिन्ने सन्ने उनमा न विज्जए, अरूबी सप्ता, अपयस्स पयं नत्थि । १७१ । से न सद्दे न रूवे न गंधे न रसे न फासे इच्चेवत्तित्रेमि । १७२ ॥ उ० ६ लोकसाराध्ययनं ५ ॥ ओज्झमाणे इह माणवेसु आघाइ से नरे जस्स इमाओ जाइओ सब्बाओ सुपडिलेहियाओ भवंति, आघाइ से नाणमणेलिस से किइ तेसिं समुट्ठियाणं निक्खित्तदण्डाणं समाहियाणं पन्नाणमंताणं इह मुत्तिमग्गं एवं (अवि) एगे महाबीरा विप्परिकमंति, पासह एगे अवसीयमाणे अणत्तपन्ने, मे बेमि से जहावि (सेवि) कुंमे हरए विणिविट्टचित्ते पच्छन्नपलासे उम्मग्गं से नो लहइ भंजगा इव संनिवेस, नो चयंति एवं (अवि) एगे अणेगरूवेहिं कुलेहिं जाया रूवेहिं सत्ता करणं धणंति, नियाणओ ते न लभंति मुक्खं, अह पास तेहिं कुलेहिं आयत्ताए जाया-गंडी अहवा कोढी, रायंसी अबमारियं काणियं झिमियं चेत्र, कुणियं खुज्जियं तहा ॥ १४ ॥ उदरिं च पास मृयं च सृणीयं च गिलासणिं । वेवई पीढसप्पिं च सिलिवयं महुमेहणिं ॥ १५॥ सोलस एए रोगा, अक्खाया अणुपुवसो । अह णं फुसंति आयंका, फासा य असमंजसा ॥ १६ ॥ मरणं तेसिं संपेहाए उबवायं च नचा परियागं च संपेहाए । १७३ । तं सुणेह जहा तहा मंति पाणा अंधा तमसि वियाहिया तामेव सई असई अइअच्च उच्चावयफासे पडिसंवेएइ, बुद्धेहिं एयं पवेइयं संति पाणा वासगा रसगा उदए उद्एचरा आगासगामिणो, पाणा पाणे किलेसंति, पास लोए महम्भयं । १७४ । बहुदुक्खा हु जन्तवो. सत्ता कामेसु माणवा, अबलेण वहं गच्छन्ति सरीरेणं पभंगुरेण, अट्टे से बहुदुक्खे, इह वाले पकुब्बइ, एए रोगा बहू नच्चा आउरा परियावए, नालं पास, अलं तवेएहिं, एयं पास मुणी! महम्भयं नाइवाइज कंचणं ॥ १७५ ॥ आयाण भो, सुस्मृस ! भो. धूयवायं पवेयइस्सामि (धृतोवायं पवेयंति पा०) इह खलु अत्तत्ताए तेहिं तेहिं कुलेहिं अभिसेएण अभिसंभूया अभिसंजाया अभिनिवडा अभिसंबुड्ढा अभिसंबुद्धा अभिनिता अणुपुत्रेण । १७६। महामुनी ! तं परिकमंतं परिदेवमाणा मा चयाहि इय ते वयंति, छंदोवणीया अज्झोववन्ना अकंदकारी जणगा रुयंति, अतारिसे मुणी, (ण य) ओहं तरए जणगा जेण विप्पजढा, सरणं तत्थ नो समेइ, कहं नु नाम से तत्थ रमइ ?, एवं नाणं सया समणुवासिज्जासित्तिबेमि । १७७ ॥ अ० ६ उ० १ ॥ आउरं लोगमायाए चइत्ता पुढसंजोगं हिचा उवसमं वसित्ता संभचेरंसि वसु वा अणुवसु वा जाणित्तु धम्मं अहा तहा, अड़ेंगे तमचाई कुसीला । १७८ । वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंळणं विउस्सिज्जा अणुपुत्रेण अणहियासेमाणा परीसहे दुरहियासए, कामे ममायमाणस्स इयाणिं वा मुहुत्तेण वा अपरिमाणाए भेए, एवं से अंतराएहिं कामेहिं आकेवलिएहि, अवइन्ना चेए। १७९ । अहेगे धम्ममायाय आ७ आचारांग असणे-हु मुनि दीपरत्नसागर - Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याणप्पभिइसु पणिहिए चरे अप्पलीयमाणे दढे सव्वं गिन्धिं परिन्नाय, एस पणए महामुणी अइअञ्च सव्वओ संगं, न महं अस्थिति इय एगो अहं, अस्सि जयमाणे इत्थ विरए अणगारे सव्वओ मुंडे रीयंते, जे अचेले परिसिए संचिक्खइ ओमोयरियाए, से आकुट्टे वा हए वा लँचिए (प्र० लूसिए) या पलियं पकत्थ अदुवा पकत्थ अतहेहिं सहफासेहिं, इय संखाए एगयरे अन्नयरे अभिन्नाय तितिक्खमाणे परिवए, जे य हिरी अहिरीमाणा (प्र० मणा)।१८०। चिच्चा सवं विसुनियं फासे समियदंसणे, एए भो णगिणा वुत्ता जे लोगंसि अणागमणधम्मिणो आणाए मामगं धम्म, एस उत्तरवाए इह माणवाणं वियाहिए, इत्थोवरए तं झोसमाणे आयाणिज परिमाय परियाएण विगिंचइ, इह एगेसि एगचरिया होइ नन्थियराइयरेहिं कुलेहिं सुद्धेसणाए सवेसणाए से मेहावी परिवए सुम्भि अदुवा दुम्भि, अदुवा तत्थ भेरवा पाणा पाणे किलेसंति, ते फासे पुट्ठो धीरे अहियासिज्जासित्तिबेमि । १८१॥ अ० ६ उ०२॥ एवं खु मुणी आयाणं मया सुयक्खायधम्मे बिहूयकप्पे निज्झोसइत्ता जे अचेले परिसिए तस्स णं भिक्खुस्स नो एवं भवइ-परिजुणे मे वत्थे वत्थं जाइस्सामि सुत्तं जाइस्सामि सई जाइस्सामि संधिस्सामि सींविस्सामि उक्कसिस्सामि वृक्तसिस्सामि परिहिस्सामि पाउणिस्मामि, अदुवा तत्थ परि(प० र)कमंतं भुजो अचेलं तणफासा फुसंति सीयफासा फुसति तेउफासा फुसंति दसमसगफासा फुसंति एगयरे अन्नयरे विरूवरूवे फासे अहियासेइ अचेले लाघवं आगममाणे, (एवं खलु से उवगरणलापवियं तवं कम्मक्खयकारणं करेइ पा०) तवे से अभिसमन्नागए भवइ-जहेयं भगवया पवेइयं तमेव अभिसमिचा सबओ सवत्ताए संमत्तमेव समभिजाणिज्जा, एवं तेसिं महावीराणं चिररायं पुवाई वासाणि रीयमाणाणं दवियाणं पास अहियासियं ।१८। आगयपनाणाणं किसा बाहयो भवंति पयणुए य मंससोणि विस्सेणि कटु परिचाय, एस तिण्णे मुत्ते विरए वियाहिएत्तिमि।१८३॥ विश्यं भिक्खु रीयंत चिरराओसियं अरई तत्थ किं विधारए ?, संघेमाणे समुट्टिए, जहा से दीवे असंदीणे एवं से धम्मे आरियपदेसिए, ते अणवकंखमाणा पाण अणइवाएमाणा जइया मेहाविणो पंडिया, एवं तेसिं भगवओ अणुट्टाणे जहा से दियापोए एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुत्रेण वाइयत्तिवेमि । १८४॥अ० ६ उ०३॥ एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुत्रेण वाइया तेहिं महावीरेहि पन्नाणमन्तेहिं. तेसिमंतिए पन्नाणमुबलम्भ हिचा उवसमं (अहेगे पा०) फारुसियं समाइयं (रुहं पा०). ति, वसिना बंभचेरंसि आणं तं नोति मन्नमाणा, आघायं तु सुच्चा निसम्म समणुना जीविस्सामो, एगे निक्खमंते असंभवंता विडज्झमाणा कामेहिं गिद्धा अज्झोववना समाहिमाघायमजोसयंता सत्थारमेव फरुसं वयंति । १८५॥ सीलमंता उपवसंता मंग्याए रीयमाणा, असीला अणुवयमाणस्स विइया मंदस्स बालया।१८६। नियमाणा वेगे आयारगोयरमाइक्खंति, नाणभट्ठा दसणलूसिणो।१८अनममाणा वेमे जीवियं विष्परिणामंति, पुट्ठावेगे जीवियस्सेव कारणा, निक्खंतंपि तेर्सि दुन्निक्वंतं भवइ, बालवयणिज्जा हु ते नरा पुणो पुणो जाई पकप्पिति, अहे संभवंता विदायमाणा अहमंसीति विउकसे उदासीणे फरुसं वयंति, पलियं पक (प० गं) थे अदुवा पकये अतहेहि,तं वा मेहावी जाणिज्जा धम्म।१८८ा अहम्मट्ठी तुमंसि नाम बाले आरंभट्टी अणुवयमाणे हण पाणे घायमाणे हणओ यावि समणुजाणमाणे, घोरे धम्मे, उदीरिए उबेहइणं अणाणाए, एस विसने वियहे वियाहिएत्तिबेमि।१८९। किमणेण भो! जणेण करिस्मामिनि मनमाणे, एवं एगे बइना मायरं पियरं हिचा नायओय परिग्गडं वीरायमाणा समुहाए अविहिंसा सुब्बया दंता (समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसुया अविहिंसगा सुबया दंता परदत्तभोइणो पावं कम्मं न करेस्सामो समुहाए पा०) पस्स दीणे उप्पइए पडिवयमाणे, बसट्टा कायरा जणा लूसगा भवंति, अहमेगेसि सिलोए पावए भवइ, से समणो भवित्ता विभंते २ पासहेगे समन्नागएहिं सह असमनागए नममाणेहिं अनममाणे विरएहिं अविरए दविएहिं अदविए, अभिसमिचा पंडिए मेहावी निट्ठियट्टे वीरे आगमेणं सया परकमिजासित्तिबेमि ।१९०॥अ०६ उ०४॥ से गिहेसु वा गिहतरेसु वा गामेसु वा गामंतरेसु वा नगरेसु वा नगरंतरेसु वा जणवयेसु वा जणवयंतरेसु वा गामनयरंतरे वा गामजणवयंतरे वा नगरजणवयंतरे या संतेगइया जणा सगा भवंति अदुवा फासा फुसति ते फासे पुढे वीरो अहियासए, ओए समियदंसणे, दयं लोगस्स जाणित्ता पाईणं पडीणं दाहिणं उदीणं आइक्खे.विभए कि वेयवी जे खल समणे बहस्सए बज्झागमे आहरणहे उकसले धम्मकहालबिसम्पच्ने खेत्तं कालं परिसं समासज केऽयं परिसे? कंवा नए? से उट्टिएम वा अणुट्टिएमु वा सुस्मसमाणेसु पवेयए संतिविरई उवसमं निवाणं सोयं अजवियं महवियं लापवियं अणइवत्तियं सवेसि पाणाणं सच्चेसि भूयाणं सोसिं सत्ताणं सङ्केसिं जीवाणं अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खिजा।१९१० अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खमाणे नो अत्ताणं आसाइजा नो परं आसाइजा नो अन्नाई पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई आसाइजा, से अणासायए अणासायमाणे वज्झमाणाणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं जहा से दीये असंदीणे एवं से भवइ सरणं महामुणी, एवं से उदिए ठियप्पा अणिहे अचले चले अबहिल्लेसे परिवए. संखाय पेसलं धम्म दिट्टिमं परिनिब्बुडे, तम्हा संगति पासह, गंथेहिं गढिया नरा विसन्ना कामकंता, तम्हा लूहाओ नो परिबित्तसिजा, जस्सिमे आरंभा सबओ सबप्पयाए सुपरिमाया भवंति जेसिमे लूसिणो नो परिवित्तसंति, से बंता कोहं च माणं य मायं च लोभंच एस तुट्टे चियाहिएत्तिबेमि।१९२॥ कायस्स वियाघाए एस संगामसीसे वियाहिए, से हु पारंगमे मुणी अविहम्ममाणे फलगावयट्ठी कालोवणीए कंखिज कालं जाव सरीरभेउत्तिवेमि ।१९३। उ०५ धूताध्ययनं ६॥ से बेमि समणुनस्स वा असमणुनस्स वा असणं वा पार्ण वा खाइमं वा साइमं वा वत्थं वा पडिग्गस् वा कंबलं बा पायपुंउणं वा नो पादेजा नो निमंतेजा नो कुजा वेयावडियं परं आढायमाणेनिवेमि । १९४१ धुवं चेयं जाणिज्जा असणं वा जाब पायपुंछणं वा लभिया नो लभिया भुंजिया नो भुंजिया पंथं विउत्ता विउकम्म विभत्तं धम्म जोसेमाणे समेमाणे चलेमाणे (प्र० पलेमाणे) पाइजा वा निमंतिजा वा कुज्जा वेयावडियं परं अणादायमाणेत्तिबेमि ।१९५॥ इहमेगेसि आयारगोयरे नो सुनिसंते भवति ते इह आरंभट्ठी अणुवयमाणा हण पाणे घायमाणा हणओ यावि समणुजाणमाणा अदुवा अदिनमाययंति अदुवा बायाउ विउज्जंति तंजहा-अस्थि लोए णस्थि लोए धूवे लोए अपवे लोए साइए लोए अणाहए लोए सपजवसिए लोए अपज्जवसिए लोए सुकडेत्ति वादकडेत्ति वा कालाणेति वा पावेनि वासाहत्ति वा असाहत्ति वा सिदित्ति वा असिदित्ति वा निरएत्ति वा अनिरएत्नि वा जमिणं विपडिवन्ना मामगं धम्मं पनवेमाणा इत्थवि जाणह अकस्मात् एवं तेसि नो सुअक्खाए धम्मे नो सुपनत्ते धम्मे भवइ।१९६। से जहेयं भगवया पवेइयं आसुपन्नेण जाणया पासया अदुवा गुत्ती वओगोयरस्सत्तिबेमि, सव्वत्थ संमयं पावं तमेव उवाइकम्म एस महं विवेगे वियाहिए, गामे वा अदुवा रण्णे नेव गामे नेव रण्णे धम्ममायाणह पवेइयं माहणेण मइमया, जामा तिन्नि उदाहिया जेसु इमे आयरिया संमुज्झमाणा समुट्ठिया, (२) मनि दीपरत्नसागर याचाzin Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे णिच्या पाहिं कम्मेहिं अणियाणा ते वियाहिया। १९७। उड्डे अहं तिरियं दिसासु सव्वओ सव्वावंति च णं पाडियकं जीवेहिं कम्मसमारम्भेणं, तं परित्राय मेहावी नेव सयं एएहिं काएहि दंडं समारंभिजा नेवऽने एएहिं काएहि दंडं समारंभाविजा नेवऽने एएहिं काएहिं दंडं समारंभतेऽवि समणुजाणेज्जा, जेऽवऽन्ने एएहिं काएहिं दंडं समारंभंति तेसिपि वयं राजामो, तं परिन्नाय महावी तं वा दंडं अन्नं वा नो दंडभी दंड समारंभिजासित्तिबेमि । १९८ ॥ अ०८ उ०१॥ से भिक्खू परिकमिज वा चिट्ठिज वा निसीइज वा तुयट्टिज वा सुसाणंसि वा सुन्नागारंसि वा गिरिगृहंसि वा रुक्खमूलंसि वा कुंभाराययणंसि वा. हुरत्था वा कहिचि विहरमाणं तं भिक्खं उपसंकमित्तु गाहावई च्या-आउसंतो समणा! अहं खलू तव अट्ठाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पत्थं वा पडिग्गरं वा कंचलं वा पायपुच्छणं वा पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई समारम्भ समुदिस्स कीयं पामिर्च अच्छिजं अणिस? अभिहडं आहहू एमि आवसह वा समुस्सिणोमि से भुंजह पसह आउसंतो समणा..भिक्खू तं गाहावई समणसं सवयस पडियाइक्खे-आउसंतो! गाहावई नो खलु ते वयणं आदामि नो खल ते वयणं परिजाणामि जो तुम मम अट्ठाए असणं वा ४ वत्थं वा ४ पाणाई वा ४ समारम्भ समुहिस्स कीयं पामिचं अच्छिजं अणिसटुं अभिहडं आहट्ट चेसि आवसहं वा समम्मिणासि, से विरो आउसो गाहावई ! एयरस अकरणयाए । १९९। से भिक्खं परिकमिज वा जाव हुरत्था वा कहिचि विहरमाणं तं भिक्खं उपसंकमिन गाहावई आयगयाए पहाए असणं वा ४ वन्यं वा ४ जाव आहट्ट चेएइ आवसहं वा समुस्सिणाइ भिक्खू परिघासेडं. तं च भिक्खू जाणिजा सहसम्मइयाए परवागरणेणं अनसि वा सुचा अयं खलु गाहावई मम अट्टाए असणं वा ४ वन्यं वा ४ जाच आवसहं वा समुस्सिणाइ. नं च भिक्खू पडिलेहाए आगमित्ता आणविजा अणासेवणाएत्तिमि । २००। भिक्खं च खलु पुट्टा वा अपृट्ठा 'वा जे इमे आहच गंथा वा फुसति से हंता हह खणह हिंदह दहह पयह आलूपह विलंपह सहसाकारह विष्परामसह. ते फासे धीरो पुट्टो अहियासए अदुवा आयारगायरमाइक्रो तकिया णमणेलिसं अदुवा वइगुत्तीए गोयरस्म अणपञ्चेण संमं पडिटेहए आयतगुत्ते बुदेहिं एवं पवेइयं । २०१। से समणुने असमणुनस्स असणं वा जाव नो पाइजा ना निमंनिज्जा नो कजा वेयावडियं परं आढायमाणत्तिवमि । २०२। धम्ममायाणह पवेइयं माहणेण मइमया समणुन्ने समणुन्नस्स असणं वा जाव कुज्जा वेयावडियं परं आढायमाणनियमि १२.३॥१०८ उ०२॥ मज्झिमेणं वयसावि एगे संधुज्झमाणा समुट्टिया, सुच्चा मेहाबी वयणं पंडियाणं निसामिया समियाए धम्मे आरिएहिं पवेदए. ने अणवकखमाणा अणइवाएमाणा अपरिग्गहेमाणा नो परिग्गहावंती. सावंति च णं लोगसि निहाय दंड पाणेहि पावं कम्मं अकुश्वमाणे एस महं अगंथे वियाहिए ओए जुइमस्स खेयन्ने उववायं चवणं च नचा ।२०४। आहारोवचया देहा परीसहपभंगुरा पासह एए सर्विदिएहिं परिगिन्यायमाणेहि। २०५। ओए दयं दयइ, जे संनिहाणसत्थस्स खेयने से भिक्खू कालने चलने मायने खणने विणयन्ने समयण्णे परिग्गई अममायमाणे कालेणुहाई अपटिने दुहओ छित्ता नियाइ।२०६। तं भिक्खू सीयफासपरिवेवमाणगायं उपसंकमित्ता गाहावई व्या-आउमंतो समणा : नो खलते गामधम्मा उच्चाहति!.आउसंतो गाहावई ! ना खल में गामधम्मा उच्चाहति.सीयफासं चना खलु अहं संचाएमि अहियासित्तए, ना खलू में कप्पइ अगणिकायं उजालित्तए वा (पजालित्तए पा) कार्य आयावित्तए वा पयावित्तए वा अनेसि वा वयणाओ, सिया स एवं क्यंतस्स परो अगणिकायं उज्जालित्ता पजालित्ता कार्य आयाक्जि वा पयाविज वा तं च भिक्ख पडिलेडाए आगमित्ता आणविनाअणावणाएनिमि।२० अ०८ उ०३॥जे भिक्य तिहिं वत्थेहिं परिवमिए पायचउत्थेहि नस्म णं नो एवं भवइ-चउत्थं वयं जाइम्मामि. से अहेमणिजाई वत्थाई जाइजा अहापरिग्गहियाई वत्थाई धारिजा. नो धोइजा(म० नो रइजा) नो धोयरत्ताई वत्थाई धारिजा अपलिओवमाणे (प. अपलिउंचमाणे) गामंतरेस ओमचेलिए एयं सु वत्थधारिम्स सामग्गियं । २०८। अह पुण एवं जाणिजा-उचाइकने खलु हेमंने गिम्हे पडिवन्ने अहापरिजुन्नाई वन्थाई पग्टुिविना अदुवा संतरुत्तरे अदुवा ओमचेरे अदुवा एगसाडे अदुवा अचेले ।२०५। लापवियं आगममाणे नवे मे अभिसमन्नागए भवइ । २१०। जमेयं भगवया पवेइयं नमेव अभिसमिचा साओ सम्वत्ताए सम्मनमेव समभिजाणिजा।२११। जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ-पुट्टो खल अहमंसि नालमहमंसि सीयफास अहियासिनए से वसुमं मचममन्नागयपन्नाणेणं अप्पाणेणं केइ अकरणयाए आउद्दे तस्मिणो हुतं मयं जमेगे बिहमाइए, नत्यावि तस्स कालपरियाए, सेऽपि तत्थ विअंतिकारए, इचेय विमोहायतणं हियं सुहं खमं निम्सेसं आणुगामियंनिमि।२१२॥१०८०४॥ जे भिक्स दोहिं वत्यहिं परिवसिए पायतइएहि नस्स णं नो एवं भवइ-तइयं वत्थं जाइस्सामि,से अहेसणिज्जाई वत्थाई जाइज्जा जाव एवं खु नम्म भिक्खस्स सामग्गिय, अह पण एन जाणिजा-उवाइकते खलु हेमन्ते गिम्हे पडिवण्णे, अहापरिजुनाई वत्थाई परिदृविजा अहापरिजुलाई वत्थाई परिववित्ता अदुवा संतरुत्तरे अदुवा ओमचेले अदुवा एगसाडे अदुवा अचेले, लाघवियं आगममाणे तवे से अभिसमन्नागए भवइ, जमेयं भगवया पवेइयं तमेव अभिसमिच्चा सबओ सवत्ताए सम्मत्तमेव समभिजाणिया, जस्स णं भिक्खुस्म एवं भवइ-पुढा ९ आचारांगं मला मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अबलो अहमंसि नालमहमंसि गिहतरसंकमणं भिक्खायरियं गमणाए, से एवं वयंतस्स परो अभिहडं असणं वा ४ आहहु दलइज्जा से पुवामेव आलोइज्जा-आउसंतो! गाहावई नो खलु मे कप्पइ अभिहडं असणं ४ भुत्तए वा पायए वा अन्ने वा एयप्पगारे (तं भिक्खू कोई गाहावई उवसंकमित्तु बूया-आउसंतो समणा ! अहन्न तब अट्ठाए असणं वा ४ अभिहडं दलामि, से पञ्चामेव जाणेज्जा आउसंतो गाहावई! जन्नं तुम मम अट्टाए असणं वा ४ अभिहडं चेतेसि णो य खलु मे कप्पड़ एयप्पगारं असणं वा ४ भोत्तए वा पायए वा अन्ने बा तहप्पगारे पा०) १२१३। जस्म णं भिक्खुस्स अयं पगप्पे-अहं च खलु पडिन्नत्तो अपडिन्नत्तेहिं गिलाणो अगिलाणेहिं अभिकख साहम्मिएहिं कीरमाणं वेयावडियं साइज्जिस्सामि, अहं वावि खलु अप्पडिन्नत्नो पडिन्नत्तस्स अगिलाणो गिलाणस्स अभिकख साहम्मियस्म कूजा वेयावडियं करणाए, आहह परिन्न अणु(प० आण)क्खिस्सामि आहडं च साइजिस्सामि १ आहट्ट परिन्न आणक्खिस्सामि आहर्ड चनो साइजिस्मामि २आहट्ट परिन्नं नो आणक्विस्यामि आहडं च साइजिस्मामि ३ आहट्ट परिन्नं नो आणक्खिस्मामि आहडं च नो साइजिस्सामि ४ एवं से अहाकिट्टियमेव धम्मं समभिजाणमाणे संते विरए सुसमाहियलेसे, तत्थावि तस्स कालपरियाए, से तत्थ विअंतिकारए, इच्चेयं विमोहाययणं हियं सुह खमं निस्सेसं आणुगामियंतिबेमि।२१४॥१०८ उ० ५॥ जे भिक्खू एगेण वत्थेण परिसिए पायबिईएण तस्स णं नो एवं भवइ-विइयं वत्थं जाइस्सामि०, से अहेसणिजं वत्थं जाइजा अहापरिग्गहियं वस्थं धारिजा जाव गिम्हे पडियने अहापरिजनं वत्थं परिद्वविजा २त्ता अदुवा एगसाडे अदुवा अचेले लापवियं आगममाणे जाव सम्मत्तमेव समभिजाणीया।२१५। जस्म णं भिक्खस्स एवं भवइ-एगे अहमंसि,न मे अस्थि कोई,न याहमबि कस्सवि, एवं से एगागिणमेव अप्पाणं समभिजाणिज्जा, लापवियं आगममाणे तवे से अभिसमबागए भवइ जाप समभिजाणिया।२१६। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा असणं वा ४ आहारेमाणे नो वामाओ हणुयाओ दाहिणं हणुयं संचारिजा आसाएमाणे, दाहिणाओ० वामं हणुयं नो संचारिजा आसाएमाणे (आढायमाणे पा०) से अणासायमाणे लापवियं आगममाणे तवे से अभिसमन्नागए भवइ, जमेयं भगवया पवेइयं तमेवं अभिसमिच्चा सबओ सबत्ताए सम्मत्तमेव अ(सम)भिजाणिया।२१७१ जस्सणं भिक्खुस्स एवं भवइ-से गिलामि च खलु अहं इममि समए इमं सरीरगं अणुपुत्रेण परिवहितए से अणुपवेणं आहारं संवहिजा, अणुपुषेणं आहारं संवहित्ता कसाए पयणए किचा समाहियचे फलगावयट्ठी उट्ठाय भिक्खू अभिनिवुडचे । २१८। अणुपविसित्ता गामं वा नगरं वा खेडं वा कब्बडं वा मडंब वा पट्टणं वा दोणमुह वा आगरं वा आसमं वा सन्निवेसं वा नेगमं वा रायहाणि वा तणाई जाइज्जा, तणाई जाइत्ता से तमायाए एगंतमवकमिज्जा २त्ता अप्पंडे अप्पपाणे अप्पबीए अप्पहरिए अप्पोसे अप्पोदए अप्पुत्र्तिगपणगदगमट्टियमकडासंताणए पडिलेहिय २ पमजिय २ तणाई संथरिजा तणाई संथरित्ता इत्थवि समए इत्तरियं कुजा, तं सचं सच्चवाई ओए तिन्ने छिन्नकहकहे आईयट्टे अणाईए चिच्चाण भेउरं कायं संबिहृय विरुवरुवे परीसहोवसग्गे अस्सिं विस्संभणयाए भेरखमणुचिन्ने, तत्थावि तस्स कालपरियाए जाव अणुगामियंतिबेमि।२१९॥ अ०८ उ०६॥जे भिक्खू अचेले परिखुसिए तस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-चाएमि अहं तणफासं अहियासित्तए सीयफासं अहियासित्तए तेउफासं अहियासित्तए दंसमसगफासं अहियासित्तए एगयरे अन्नतरे विरूवरूवे फासे अहियासित्तए, हिरिपडिच्छायणं चऽहं नो संचाएमि अहिआसित्तए एवं से कप्पेइ कडिबंधणं धारित्तए।२२०। अदुवा तत्थ परक्कमंतं भुजो अचेलं तणफासा फुसन्ति सीयफासा फुसन्ति तेउ- फासा फुसन्ति दंसमसगफासा फुसन्ति एगयरे अन्नयरे विरूवरूवे फासे अहियासेइ अचेले लाघवियं आगममाणे जाव समभिजाणिया ।२२११ जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च खलु अन्नेसि भिक्खूणं असणं वा ४ आह९ दलइस्सामि आहडं च साइजिस्सामि१जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च खलु अन्नेसिं भिक्खूर्ण असणं या ४ आहृ१ दलइस्सामि | आहई च नो साइजिस्सामि २ जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च खलु० असणं वा ४ आहदुनो दलइस्सामि आहडं च साइजिस्सामि ३ जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च खलु अनेसि भिक्खूणं असणं वा ४ आहद्दु नो दलइस्सामि आहडं च नो साइजिस्सामि ४, अहं च खल तेण अहाइरित्तेण अहेसणिज्जेण अहापरिग्गहिएणं असणेण वा ४ अभिका साहम्मियस्स कुज्जा वेयावडियं करणाए, अहं बावि तेण अहाइरित्तेण अहेसणिज्जेण अहापरिग्गहिएणं असणेण वा पाणेण वा ४ अभिकङ्ग साहम्मिएहिं कीरमाणं बेयावडियं साइजिस्सामि लाघवियं आगममाणे जाव सम्मत्तमेव समभिजाणिया । २२२। जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-से गिलामि खलु अहं इमम्मि समए इमं सरीरगं अणुपवेण परिवाहित्तए से अणुपुषेणं आहारं संवहिज्जा २ कसाए पयणुए किचा समाहियचे फलंगावयट्ठी उट्ठाय भिक्खू अभिनिव्वुडचे अणुपविसित्ता गामं वा नगरं वा जाव रायहाणिं वा तणाई जाइजा, जाव सन्थरिजा इत्थवि समए कार्य च जोगं च ईरियं च पचक्खाइज्जा तं सर्व सचावाई ओए तिन्ने छिन्नकहकहे आययट्टे अणाईए चिचाणं भेउरं कायं संविहणिय विरूबरूवे परीसहोवसम्गे अस्सि | विस्संभणाए भेरवमणुचिन्ने तत्यवि तस्स कालपरियाए, सेवि तत्य विअन्तिकारए, इच्चेयं विमोहाययणं हियं सुहं खमं निस्सेसं आणुगामियंतिवेमि।२२३।। अ०८ उ०७॥ अनुष्ठुप्॥ १० आचारगं - अन्स -C मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुपुत्रेण विमोहाई, जाई धीरा समासज्ज । वसुमन्तो मइमन्तो, सर्च नच्चा अणेलिसं ॥ १७॥ दुविहंपि विइत्ताणं, बुद्धा धम्मस्स पारगा । अणुपुत्रीइ सक्काए, आरम्भाओ(य)तिउट्टई (कम्मुणा उ तिउट्टइ पा०)॥१८॥ कसाए पयणू किच्चा, अप्पाहारे तितिक्खए। अह भिक्खू गिलाइजा, आहारस्सेव अन्तियं ॥१९॥ जीवियं नाभिकविजा, मरणं नोवि पत्थए। दुहओऽविन सजिजा, जीविए मरणे तहा ॥२०॥ मज्झत्यो निजरापेही, समाहिमणुपालए।अन्तो बहिं विउस्सिज्ज, अज्झत्थं सुद्धमेसए ॥२१॥ जं किंचुवकर्म जाणे, आऊ खेमस्समप्पणो। तस्सेव अन्तरदाए, खिप्पं सिक्सिज पण्डिए ॥२२॥ गामे वा अदुवा रपणे, पंडिलं पडिलेहिया। अप्पपाणं तु विनाय, तणाई संथरे मुणी ॥२३॥ अणाहारो तुयहिजा, पुट्ठो तत्वऽहियासए। नाइवेलं उवचरे, माणुस्सेहिं विपुट्ठवं ॥२४॥ संसप्पगा य जे पाणा, जे य उड़महाचरा। भुञ्जन्ति मंससोणियं, न छणेन पमजए॥२५॥ पाणा देहं विहिंसन्ति, ठाणाओ न विउन्भमे। आसवेहिं विवित्तेहिं, तिप्पमाणोऽहियासए ॥२६॥ गन्धेहिं विवित्तेहि, आउकालम्स पारए। पम्गहियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणओ ॥२॥ अयं से अवरे धम्मे, नायपुत्तेण साहिए। आयवजं पडीयारं, विजहिजा तिहा तिहा॥२८॥ हरिएसुन निवजिज्जा, थण्डिलं पुणिया सए। विओसिज अणाहारो, पुट्टो तत्थऽहियासए॥२९॥ इन्दिएहि गिलायन्तो, समियं आहरे मुणी। तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए ॥३०॥ अभिक्कमे पडिक्कमे, सकुचए पसारए। कायसाहरणट्ठाइ, इत्थं बाचि अचेयणो॥३१॥ परिकमे परिकिलन्ते, अदुवा चिट्टे अहायए।ठाणेण परिकिलन्ते, निसीइजाय अंतसो॥३२॥ आसीणेऽणेलिसं मरणं, इन्दियाणि समीरए। कोलावासं समासज्ज, वितहं पाउरेसए॥३३॥जओ वजं समुपज्जे, न तत्थ अवलम्बए । तउ उकसे अप्पाणं, फासे तत्थ(५० सो फासा)ऽहियासए ॥३४॥ अयं चाययतरे सिया, जो एक्मणुपालए। सबगायनिरोहेऽवि, ठाणाओ न विउम्भमे ॥३५॥ अयं से उत्तमे धम्मे, पुषट्ठाणस्स परगहे। अचिरं पडिलेहित्ता, विहरे चिट्ठ माहणे ॥३६॥ अचित्तं तु समासज्ज, ठावए तत्थ अप्पगं । पोसिरे सब्यसो कार्य, न मे देहे परीसहा ॥३७॥ जावज्जीवं परीसहा, उवसग्गा इति सङ्गया। संखुडे देहभेयाए, इय पन्नेहियासए ॥३८॥ भेउरेसु न रजिज्जा, कामेसु बहुतरेसुवि (बहुलेसुचि पा०)। इच्छा लोभं न सेविजा, धुववन्नं | सपेहिया (वण्णे सुहुमेपा०) ॥३९॥ सासएहिं निमन्तिजा, दिव्वमायं न सहहे।तं पडिबुज्न माहणे, सव्वं नूमं विहूणिया ॥४०॥ सव्यडेहिं अमुच्छिए, आउकालस्स पारए। तितिक्वं परमं नचा, विमोहन्नयरं हियं ॥४१॥ तिमि ॥ उ०८ विमोक्षाध्ययनं ८॥ जहासुयं वइस्सामि, जहा से समणे भगवं उद्याए । संखाए तसि हेमंते, अहुणा पाइए रीइत्था ॥४२॥ णो चेविमेण वत्थेण, पिहिस्सामि तंसि हेमंते। से पाराए आवकहाइ, एवं खु अणुधम्मियं तस्स ॥४३॥ चत्तारि साहिए मासे, बहवे पाणजाइया आगम्म । अभिरुज्झ कार्य विहरिंसु, आरुसियाणं तत्थ हिंसिसु॥४४॥ संवच्छर साहियं मासं, जंन रिकासि वत्यगं भगवं। अचेलए तो चाईत वोसिज वत्थमणगारे॥४५॥ अर्पोरिसिं तिरिय मिनि चक्खुमासज अन्तसो झायइ । अह चक्खुभीया संहिया ते हन्ता हत्ता पहले कंदिसु॥४६॥ सयणेहिं वितिमिस्सेहिं इथिओ तत्थ से परिमाय। सागारियं न सेवेह य, से सयं पवेसिया झाइ॥४॥ जे केइमे अगारत्था मीसीभावं पहाय से झाइ। पुट्ठोवि नाभिभासिंसु गच्छद नाइवत्तइ अंजू (पुट्ठो व सो अपुट्ठोव णो अणुचाइ पावगं भगवं पा०)॥४८॥णो सुकरमेयमेगेसिं नाभिभासे य अभिवायमाणे। हयपुरे तत्य दण्डेहिं लूसियपुधे अप्पपुण्णेहिं ॥४९॥ फरुसाइं दुत्तितिक्खाई अइअच मुणी परकममाणे । आघायनद्गीयाई दण्डजुदाई मुट्ठिजुदाई ॥५०॥ गदिए मिहुकहासु समयंमि नायसुए विसोगे अदक्खु । एयाई से उरालाई गच्छइ नायपुत्ते असरणयाए॥५१॥ अवि साहिए दुवे वासे सीओदं अभुचा निक्खन्ते। एगत्तगए पिहियच्चे से अहिन्नायदसणे सन्ते ॥५२॥ पुढर्षि चाउकार्य च तेउकार्यच वाउकार्य च। पणगाई बीयहरियाई तसकायं च सबसो नचा ॥५३॥ एयाई सन्ति पडिलेडे, चित्तमन्ताई से अभिनाय। परिवजिय विहरित्था, इय सहाय से महावीरे॥५४॥ अदु थावरा य तसत्ताए, तसा य थावरत्ताए। अदुवा सबजोणिया सत्ता, कम्मुणा कप्पिया पुढो बाला ॥५५॥ भगवं च एवमसि (म० से) सोवहिए हु लुप्पई पाले। कम्मच सरसो नचा तं पडियाइक्खे पावगं भगवं॥५६॥ दुविहं समिच मेहावी किरियमक्खायणलिसं नाणी। आयाणसोयमइवायसोयं जोगं च सनसो गच्चा ।।५आआपत्तिय प्रणाउहि सयमसिं अकरणयाए। जस्सित्यिो परिमाया सव्वकम्मावहाउ से अदक्सु॥५टाहाकई न से सेवे सचसो कम्म (प० कंगणा) अदक्खू। जं किंचि पावर्ग भगवं तं अकुर्व वियर्ड भुजित्या॥५९॥णो सेवइ य परवत्यं परपाएवी से न भुञ्जित्था। परिवजियाण ओमाणं गच्छा संखडिं असरणयाए ॥६०॥ मायपणे असणपाणस्स नाणुगिदे रसेसु अपडिले । अच्छिंपिनो पमजिजा नोविय कंड्यए मुणी गायं ॥६१॥ अप्पं तिरिय पेहाए अपि पिडओ पेहाए। अप्पं बहएऽपहिभाणी पंथपेहि चरे जयमाणे॥६२॥ सिसिरंसि अदपढिवणे ते बोसिज पत्थमणगारे।पसारितु बाहुं परकमे नो अवलम्बियाण कंधमि॥६३॥ एस विही अणुकन्तो माहणेण मईमया । बहुसो अपडिलेण मगवया एवं रियं ॥६४ा तिमि ॥४०९उ०१॥परियासणाई सिजाजओएमइयाजो जाओ चुइयाओ।आइक्ख ताई सयणासणाई जाई सेवित्था से महावीरे॥६५॥आवेसणसभापवासु ११ आचारांग-असण-5 मुनि दीपरनसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणियसालासु एगया वासो अदुवा पलियठाणेसु पलालपुत्रेसु एगया वासो ॥ ६६ ॥ आगन्तारे आरामागारे तह य नगरे व एगया वासो सुसाणे सुष्णगारे वा रुक्खमूले व एगया वासो ॥६७॥ एएहिं (प्र०सु) मुणी सयणेहिं (प्र० सुं) समणे आसि पतेरस वासे। राई दिवंपि जयमाणे अपमन्ते समाहिए झाइ ॥ ६८ ॥ णिपिनो पगामाए सेबइ भगवं उडाए । अग्गावइ य अप्पाणं इसि साई य (प्र० सहअसि) अपडिने ॥ ६९ ॥ संबुज्झमाणे पुणरवि आसिंसु भगवं उट्ठाए। निक्खम्म एगया राओ बहि चकमिया मुहुत्तागं ॥ ७० ॥ सयणेहिं तत्युवसम्गा नीमा जासी अणेगरूवा य संसप्पगा य जे पाणा अदुवा जे पक्खिणो उवचरन्ति ॥ ७१ ॥ अदु कुचरा उवचरन्ति गामरक्खा य सत्तिहत्था य। अदु गामिया उवसग्गा इत्थी एगइया पुरिसा य ॥ ७२ ॥ इहोइयाई परलोइयाई भीमाई अणेगरूवाई। अवि सुम्भिदुब्भिगन्धाई सदाई अणेगरूवाई ॥ ७३ ॥ अहियासए सया समिए फासाई विरूवरूवाई। अरई रई अभिभूय रीयह माहणे अबहुबाई ॥ ७४ ॥ स जणेहिं तत्थ पुच्छि एगचरावि एगया राओ। अशाहिए कसाइत्या पेहमाणे समाहिं अपडिले ॥ ७५ ॥ अयमंतरंसि को इत्थ? अहमंसित्ति भिक्खु आहछु । अयमुत्तमे से धम्मे तुमिणीए कसाइए झाइ ॥ ७६ ॥ जंसिऽप्पेगे पवेयन्ति सिसिरे मारुए पवायन्ते । तंसिऽप्पेगे अणगारा हिमवाए निवायमेसन्ति ॥ ७७ ॥ संघाडीओ पवेसिस्सामो एहा य समादहमाणा । पिहिया व सक्खामो अइदुक्खे हिमगसंफासा ॥ ७८ ॥ तंसि भगवं अपडिले अहे विगडे अहियासए दविए निक्खम्म एगया राज ठाइए भगवं समियाए ॥ ७९ ॥ एस विही अणुक्कन्तो माहणेण ममया बहुसो अपडिण्णेण भगवया एवं रीयन्ति ॥ ८० ॥ त्तिबेमि ॥ अ० ९३०२ ॥ तणफासे सीयफासे य तेउफासे य दंसमसगे य अहियासए सया समिए फासाई विरूवरूवाई ॥ ८१ ॥ अह दुम्बरलाढमचारी वज्जभूमिं च सुम्भभूमिं च पंतं सिज्यं सेविंसु आसणगाणि चेव पंताणि ॥ ८२ ॥ लादेहिं तस्सुवसग्गा बहवे जाणवया लूसिं अह लहदेसिए भत्ते कुकुरा तत्थ हिंसिसु निवसु ॥ ८३॥ अप्पे जणे निवारेइ लूसणए सुणए दसमाणे। छुच्छुकारिति आहंसु समणे कुकुरा दसंतुत्ति ॥ ८४॥ एलिक्खए जणा (म० जणे) भुजो बहवे वज्जभूमि फरुसासी लहिं गहाय नालियं समणा तत्थ य विहरिं ॥ ८५ ॥ एवंपि तत्थ विहरन्ता पुट्टपुत्रा अहेसि सुणएहिं संलुशमाणा सुणएहिं दुच्चराणि तत्व लादेहिं ॥ ८६ ॥ निहाय दण्डं पाणेहिं तं कार्यं बोसज्जमणगारे अह गामकष्टए भगवन्ते अहिआसए अभिसमिया ॥ ८७ ॥ नागो संगामसीसे वा पारए तत्थ से महावीरे। एवंपि तत्थ (प्र० तया) लाहिं अलद्धपुत्रोषि एगया गामो ॥ ८८ ॥ उवसंकमन्तमपडिनं गामंतियम्मि (प्र० पि) अप्पत्तं पडिनिक्खमित्तु लूसिंस एयाओ परं पलेहिति ॥ ८९ ॥ हयपुवो तत्थ दण्डेण अदुवा मुट्ठिणा अद् कुन्तफलेण । अदु लेगुणा कवालेण हन्ता हन्ता बहवे कन्दिसु ॥९०॥ मंसाणि (प्र० मंसूणि) छिनपुवाणि उडंभिया एगया कार्य परीसहाई लुचिसु अदुवा पंसुणा उवकरिंसु ॥ ९१ ॥ उचालय निहणिस अदुवा आसणाउ खलइंसु बोसट्टकायपणयाऽऽसी दुक्खसहे भगवं अपडिषे ॥ ९२ ॥ सूरो सङ्गामसीसे वा संबुडे तत्थ से महावीरे। पडिसेवमाणे फरसाई अचले भगवं रयित्था ॥ ९३ ॥ एस विही अणुकन्तो० जाव रीयंति ॥ ९४ ॥ त्तिबेमि ॥ अ० ९०३ ॥ ओमोयरियं चाएइ अपुट्ठेऽवि भगवं रोगेहिं पुढे वा अपुढे वा नो से साइज्बई तेइच्छं ॥ ९५ ॥ संसोहणं च वमणं च गायभंगणं च सिणाणं च संवाहणं च न से कप्पे दन्तपक्खाणं च परिनाए (प्र० य) ॥ ९६ ॥ विरए गामधम्मेहिं रीयइ माहणे अबहुवाई सिसिरंमि एगया भगवं छायाए झाइ आसीय ॥ ९७ ॥ आयावद्द य गिम्हाणं अच्छइ उकुड़ए अभितावे। अदु जाव इत्थ गृहेणं ओयणमंथुकुम्मासेणं ॥ ९८ ॥ एयाणि तिनि पडिसेवे अट्ट मासे अ जावयं भगवं । अपिइन्थ एगया भगवं अद्धमा अदुवा मासंपि ॥ ९९ ॥ अवि साहिए दुवे मासे छप्पि मासे अदुवा विहरित्था (प्र० अपिवित्ता)। गओवरायं अपडिले अन्नगिलायमेगया भुजे ॥ १०० ॥ छट्टेण एगया भुजे अदुवा अट्टमेण दसमेणं। दुवालसमेण एगया मुझे पेहमाणे समाहिं अपडिले ॥ १०१ ॥ णच्चा णं से महावीरे नोऽविय पावगं सयमकामी अहिं वाण कारित्था कीरतंपि नाणुजाणित्था ॥ १०२॥ गामं पविसे नगरं वा घासमेसे कडं परट्टाए। सुविसुद्धमेसिया भगवं आयतजोगयाए सेवित्था ॥ १०३॥ अदु वायसा दिगिंछत्ता जे अने रसेसिणो सत्ता । घासेसणाए चिट्ठन्ति सययं निवइए य पेहाए ॥ १०४॥ अदुवा माहणं च समणं वा गामपिण्डोलगं च अतिहिं वा। सोवागमूसियारिं वा कुकुरं वावि चिट्टियं पुरओ ॥ १०५॥ वित्तिच्छेयं वज्जन्तो तेसिमपत्तियं परिहरन्तो । मन्त्रं परकमे भगवं अहिंसमाणो घासमेसित्था ॥ १०६ ॥ अवि सूइयं वा सुकं वा सीयं पिंडं पुराणकृम्मासं । अद् बुकसं पुलागं वा ल पिंडे अद्धे दविए ॥ १०७ ॥ अपि झाइ से महावीरे आसणत्थे अकुकुए झाणं उर्दू अहे तिरियं च पेहमाणे समाहिमपडिने ॥ १०८ ॥ अकसाई विगयगेही य सदरूवेस अमुच्छिए झाई। छउमत्थोऽवि (प्र० विवि) परकममाणो न पमायं सईपि कुवित्था ॥ १०९ ॥ सयमेव अभिसमागम्म आयतजोगमायसोहीए। अभिनिव्वुडे अमाइडे आवकटं भगवं समियासी ॥ ११०॥ एस विही अणु ० रीयइ ॥ १११ ॥ त्तिबेमि ॥ उ० ४ उपधानाध्ययनं ९ ॥ इति प्रथमः श्रुतस्कन्धः ॥ [55] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्टे समाणे से जं पुण जाणिज्जा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पाणेहिं वा पणगेहिं वा बीएहिं वा हरिएहिं वा संसत्तं उम्मिस्सं (प्र० सीओदएण वा संसनं उम्मिस्सं ) सीओदएण वा ओसितं रचसा वा परिघासियं तहप्पगारं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा परहत्यंसि वा परपायंसि वा अफासुयं अणेसणिज्जंति मनमाणे लाभेऽवि संते नो पडिग्गाहिज्जा से य (३) १२ आचारांग असणे- १ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहच पडिग्गहिए सिया से तं आयाय एर्गतमवक्कमिजा एगंतमवक्कमित्ता अहे आरामंसि वा अहे उक्स्सयंसि वा अप्पंडे अप्पपाणे अप्पबीए अप्पहरिए अप्पोसे ( अप्पुदए ) अप्पुत्तिगपणगदगमट्टियमकडासंताणए विगिंचिय २ उम्मीसं विसोहिय २ तओ संजयामेव अँजिज्ज वा पीइज वा, जं चनो संचाइज्जा भुत्तए वा पायए वा से तमायाय एगंतमवक्कमिज्जा, अहे झामथंडिलंसि वा अहिरासिंसि वा किट्टरासिसि वा तुसरासिसि वा गोमयरासिंसि वा अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय पढिलेहिय पमज्जिय पमज्जिय तओ संजयामेव परिदृविजा।२२४ा से भिक्खू वा भिकखणी वा गाहावइ जाव पबिट्टे समाणे से जाओ पुण ओसहीओ जाणिज्जा-कसिआणो सासियाओ अविदलकडाओ अतिरिच्छच्छिन्नाओ अवृच्छिण्णाओ तरुणियं वा छियाडि अणभिकंतऽभजियं पेहाए अफासुर्य अणेसणिज्जति मन्त्रमाणे लाभे संते नो पडिग्गाहिज्जा, से भिक्खू वा. नाव पबिट्टे समाणे से जाओ पण ओसहीओ जाणिज्जा-अकसिणाओ असासियाओ विदलकडाओ तिरिच्छच्छिन्नाओ वुच्छिन्नाओ तरुणियं वा छिवाडि अभिकंतं भजियं पेहाए फासुयं एसणिज्जति मन्त्रमाणे लाभे संते पडिग्गाहिज्जा।२२५। से भिक्खू वा जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा-पिहुयं वा बहुरयं वा भुंजियं वा मधुं वा चाउलं वा चाउलपलंबं वा सई संभज्जियं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा, से भिक्खू वा० जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा-पिहुयं वा जाव चाउलपलंबं वा असई भजियं दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा भजियं फासुयं एसणिज्जं जाव पडिगाहिज्जा । २२६ । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं जाव पविसिउकामे नो अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ वा अप्परिहारिएणं सद्धिं गाहावइकुलं पिंडबायपडियाए पविसिज या नि खमिज वा, से भिक्खू वा बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खममाणे वा पविसमाणे वा नो अन्नउस्थिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ वा अपरिहारिएण सदि बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमिज वा परिसिज वा, से भिक्खू वा गामाणुगामं दूइजमाणे नो अन्नउस्थिएण वा जाव गामाणुगाम दूइजिज्जा ।२२७१ से भिक्खू वा भिखुणी वा जाव पविट्टे समाणे नो अनउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा परिहारिओ वा अपरिहारियस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दिजा वा अणुपइज्जा वा । २२८ । से पाणाइ भूयाइजावाइसत्ताइसमारभ समुहिस्स काय पामिच आच्छन अणिसट्ट अभिडं आहट्ट चएइ तंतहप्पगारं असणं वा ४ परिसंतरकडं वा अपरिसंतरकई वा बहिया नीहडं वा अनीहडं वा अत्तट्टियं वा अणत्तट्टियं वा परिभतं वा अपरिभत्तं वा आसेवियं या अणासेवियं वा अफासुयं जाव नो पडिग्गाहिज्जा, एवं बहवे साहम्मिया एगं साहम्मिणि चहवे साहम्मिणीओ ममुहिस्स चत्तारि आलावगा भाणियवा।२२९। से भिक्खू वा जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा असणं वा ४ वहवे समणा माहणा अतिही किवणवणीमए पगणिय २ समुहिस्स पाणाई वा ४ समारम्भ जाव नो पडिम्माहिना।२३० 1 से भिक्खू वा भिकखुणी वा जाव पबिट्टे समाणे से जं पुण जाणिज्जा असणं वा ४ वहवे समणा माहणा अतिहिकिवणवणीमए समुदिस्स जाव चेएइतं तहप्पगारं असणं वा ४ अपरिसंतरकडं वा अबहियानीहडं अणत्तट्टियं अपरिमुत्तं अणासेवियं अफासुयं अणेसणिज्जं जाव नो पडिग्गाहिजा, अह पुण एवं जाणेना पुरिसंतरकडं बहियानीहई अत्तट्टियं परिभुत्तं आसेवियं फासुयं एसणिज्जं जाव पडि गाहिजा । २३१ । से भिक्खू वा भिक्षुणी वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिउकामे से जाई पुण कुलाई जाणिज्जा-इमेसु खलु कुलेसु निइए पिंडे दिनइ अग्गपिडे दिजह नियए भाए दिनइ नियए अबड़भाए दिज्जइ, तहप्पगाराइं कुलाई निइयाई निइउमाणाई नो भत्ताए वा पाणाए वा पविसिज वा निक्खमिज वा. एयं खलु तस्स भिकस्स भिक्खुजीए वा सामग्गियं जं सब हिं समिए सहिए सया जएत्तिमि ।२३२॥ अ०१ उ०१॥से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिंडबायपडियाए अणुपविट्टे समाणे से जं पुण जाणिजा-असणं वा ४ अट्टमिपोसहिएसु वा अद्धमासिएसु वा मासिएसु वा दोमासिएसु वा (तेमासिएसु बा.) चाउम्मासिएसुबा पंचमासिएसु वा उम्मासिएस वा उऊमु वा उउसंधीस वा उउपरियडेसु वा बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवीमगे एगाओ उकखाओ परिएसिजमाणे पेहाए दोहिं उक्वाहि परिएसिजमाणे पेहाए तिहि कुंभीमुद्दाओबा कलोबाइओ या सनिहिसंनिचयाओ वा परिएमिजमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा ४ अपुरिसंतरकडं जाव अणासेवियं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा परिसंतरकर्ड जाय आसेवियं फासुयं पडिग्गाहिजा।२३२से भिक्खू वा जाव समाणे से जाई पुण कुलाई जाणिजा, तंजहा- उम्गकुलाणि वा भोगकुलाणि वा राइनकुलाणि या खत्तियकुलाणि वा इक्यागकुलाणि वा हरिवंसकुल्लाणि वा एमियकुलाणि वा वेसियकुलाणि वा गंडागकुलाणि वा कोट्टागकुलाणि वा गामरक्स्यकुलाणि या चुकासकुलमणि (प्र० पोकासाईयकुलाणि) वा अन्नयोग वा तहप्पगारेसु कुलेसु अदुगुंछिएम अगरहिएमु असणं वा ४ फासुर्य जाव पडिग्गाहिजा।२३४॥ से भिक्खू वा जाव समाणे से जं पुण जाणिज्जा-असणं वा ४ समवाएमु वा पिडनियरेसु वा खंदमहेसु वा एवं रुदमहेसु वा मुगुंदमहेसु वा भूयमहेसु चा जक्खमहेसुवा नागमहेसु वा थूममहेसु वा चेइयमहेसु वा रुक्खमहेसु वा गिरिमहेसु वा दरिमहेसुवा अगडमहेसु वा त१३आचारांग- राय-१ मुनि दीपरनसागर शिलाARHEMORRIGATINDIARRAGIRIVARIKRABAIKORANGARS40988430MIRN20489334121260MMENDAR Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ASTRAIGIPREMISPHESABPERSPENSARLASPRNARIESANSFOMA8%8858SPIRAEPENSPEABPRANGANISARARIPRASHNA लागमहेसु वा दहमहेसु वा नईमहेसु वा सरमहेसु वा सागरमहेसु वा आगरमहेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विरुवरुवेसु महामहेसु वहमाणेसु पहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगे एगाओ उक्खाओ परिएसिज्जमाणे पेहाए दोहिं जाव संनिहिसंनिचयाओ वा परिएमिजमाणे पेहाए तहप्पगारं असणं वा ४ अपरिसंतरकडं जाव नो पडिग्गाहिज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा-दिन ज तेसि दायचं, अह तत्थ भुजमाणे पेहाए गाहावइभारियं वा गाहावइभगिणिं वा गाहावइपुत्तं वा धूयं वा सुण्डं वा धाई वा दासं वा दासि वा कम्मकरं वा कम्मकरि वा से पूनामेव आलोहजा-आउसित्ति वा भगिणित्ति वा दाहिसि मे इत्तो अन्नयरं भोयणजायं, से सेवं वयंतस्स परो असणं वा ४ आहद्दु दलाइजा तहप्पगारं असणं वा ४ सयं वा पुण जाइजा परो वा मे दिना फासुयं जाव पडिग्गाहिजा । २३५ । से भिक्खू बा० परं अद्धजोयणमेराए संखडि नच्चा संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए. से भिक्खू वा २ पाईणं संखडिं नचा पट्टीणं गच्छे अणाढायमाणे, पडीणं संखडिं नच्चा पाईणं गच्छे अणाढायमाणे, दाहिणं संखडि नचा उदीणं गच्छे अणाढायमाणे, उईणं संखडि नचा दाहिणं गच्छे अणाढायमाणे, जत्थेव सा संखडी सिया. तंजहा-गामंसि वा नगरंसि वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबसि वा पट्टणंसि वा आगरंसि वा दोणमुहंसि बा नेगमंसि वा आसमंसि वा संनिवेसंसि वा जाव रायहाणिसि वा संखटि संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए, केवली व्या-आयाणमेयं (प. आययणमेय) संखडि संखडिपडियाए अभिधारेमाणे आहाकम्मियं वा उद्देसियं वा मीसजायं वा कीयगडं वा पामिच्चं वा अच्छिजं वा अणिसिटुं वा आभिहडं वा आह१ दिजमार्ण भुजिजा, अस्संजए भिक्खुपडियाए सुडियदुवारियाओ महडियदुवारियाओ कुजा, महल्लियदुवारियाओ खुडियदुवारियाओ कुजा, समाओ सिजाओ विसमाओ कुज्जा, विसमाओ सिज्जाओ समाओ कुज्जा, पवायाओ सिज्जाओ निवायाओ कुज्जा. निवायाओ सिजाओ पवायाओ कुजा. अंतो वा बहिं वा उवस्मयस्स हरियाणि छिदिय हिंदिय दालिय दालिय संथारगं संथारिजा, एस विलंगयामो सिज्जाए, तम्हा से संजए नियंठे तहप्पगारं पुरेसंखडिं वा पच्छासंखडिं वा संखडिं संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए, एयं खलु तस्स भिक्खुस्स जाव सया जए। २३६ ॥ अ०१ उ०२॥ से एगइओ अन्नयरं संखडिं आसित्ता पिवित्ता छतिज वा बमिज वा भुने वा से नो सम्मं परिणमिज्जा अन्नयरे वा से दुक्खे रोगायंके समुप्पजिजा, केवटी चूया आयाणमेयं ।२३७। इह खलु भिक्खू गाहावईहिं वा गाहावईणीहि वा परिवायएहि वा परिवाइयाहि वा एगज मदि मुंडं पाउं भो वइमिस्स हुरत्था वा उवस्मयं पडिलेहेमाणो नो लभिज्जा नमेव उवस्मयं संमिस्सीभावमावजिज्जा अन्नमणे वा से मने विपरियासियभूए इथिविग्गहे वा किलीचे वा तं भिक्खु उवसंकमित्तु व्या-आउसंतो समणा ! अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा राओ वा वियाले वा गामधम्मनियंनियं कद्द रहस्सियं मेहुणधम्मपरियारणाए आउद्दामो,तं चेवेगईओ सातिजिज्जा, अकरणिज्नं चेयं संखाए एए आयाणा (आयतणाणि) संति संविजमाणा पचवाया भवंति, तम्हा से संजए नियंठे नहप्पगारं परेसंखटि वा० संखडि संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए। २३८ । से भिक्खू वा अनयरि संखडि सुचा निसम्म संपहावद उस्सुयभएण अप्पाणेणं, धुवा संखडी, नो संचाएइ तस्थ इयरेयरेहिं कुलेहि सामुदाणियं एसियं वेसियं पिंडवायं पडिग्गाहित्ता आहारं आहारित्तए, माइहाणं संफासे, नो एवं करिजा, से तत्व कालेण अणुपविसित्ता तन्धियरेयरेहि कलेहिं सामुदाणियं एसियं वेसियं पिंडवायं पडिगाहित्ता आहारं आहारिजा । २३९ । से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणिज्जा गामं वा जाव रायहाणिं वा इमंसि खलु गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा संखडी सिया तंपि य गार्म वा जाव रायहाणिं वा संखडिं संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए, केवली च्या-आयाणमेयं, आइनाऽवमाणं संखडिं अणुपविस्समाणस्स पाएण वा पाए अकंतपुष्वे भवइ हत्येण वा हत्ये संचालियपुड्वे भवइ पाएण वा पाए आवडियपुग्ने भवइ सीसेण वा सीसे संघट्टियपुवे भवइ काएण वा काए संखोभियपुवे भवइ दंडेण वा अट्टीण वा मुट्ठीण वा लेलुणा वा कवालेणू चा अभिहयपुत्रे भवइ सीओदएण वा उस्सिनपुवे भवइ रयसा वा परिघासियपुत्वे भवइ अणेसणिजे वा परिभुत्तपत्रे भवइ अन्नेसि वा दिजमाणे पडिग्गाहियपुष्वे भवइ तम्हा से संजए नियंठे तहप्पगारं आइनावमाणं संखडि संखडिपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ।२४०। से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं पुण जाणिजा असणं वा ४ एसणिजे सिया अणेमणिज्जे सिया वितिगिंछसमावन्नेण अप्पाणेण असमाहडाए लेसाए तहप्पगारं असणं वा ४ लाभे संते नो पडि| गाहिज्जा।२४१। से भिक्खू० गाहावइकुलं पविसिउकामे सत्रं भंडगमायाए गाहावइकुलं पिंडयायपडियाए पविसिज वा निक्खमिज बा, से भिक्खू वा २ वहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा निक्खममाणे वा पविसमाणे वा सवं भंडगमायाए बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा निक्वमिज वा परिसिज वा, से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जमाणे सव्वं भंडगमायाए गामाणुगाम दूइजिजा।२४२। से भिक्खू० अह पुण एवं जाणिज्जा-तिवदसियं वासं बासेमाणं पहाए तिबदेसियं महियं संनिचयमाणं पेहाए महवाएण वा रयं समुधुयं 8 पेहाए तिरिच्छसंपाइमा वा तसा पाणा संथडा संनिचयमाणा पेहाए, से एवं नया नो सर्व भंडगमायाए गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिज वा निक्समिज वा बहिया बिहारभूमि १४ आचारांग- अन्य। मुनि दीपरत्नसागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा वियारभूमि वा निक्समिज या परिसिज या गामाणुगाम दूइजिज्जा।२४३। से भिक्खू वा २ से जाई पुण कुलाई जाणिज्जा तंजहा-खतियाण या राईण वा कुराईण चा रायपेसियाण वा रायवंसट्ठियाण या अंतो वा बाहिं वा गच्छंताण वा संनिविट्ठाण वा निमंतमाणाण वा अनिमंतेमाणाण वा असणं वा ४ लाभे संते नो पडिगाहिजा ।२४४॥ अ०१ उ०३॥ से भिक्स् वा जाव समाणे से जं पुण जाणेजा मंसाइयं वा मच्छाइयं वा मंसखलं वा मच्छखलं वा आहेणं वा पहेणं वा हिंगोलं वा संमेलं वा हीरमाणं पेहाए अंतरा मे मग्गा बहुपाणा बहुचीया बहुहरिया चहुओसा बहुउदया बहुउत्तिंगपणगदगमट्टीयमकडासंताणया बहवे तत्थ समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा उवागया उवागमिस्संनि (उवागच्छनि) तत्थाइना वित्ती नो पन्नस्म निक्खमणपसाए नो पन्नस्स बायणपुच्छणपरियट्टणाणुप्पेहधम्माणुओगचिंताए, से एवं नया तहष्पगारं पुरेसंखडि वा पच्छासंखडिं वा संसडि संखडिपडिआए नो अभिसंधारिजा गमणाए, से भिक्खू वा० से जं पुण जाणिज्जा मंसाइयं वा मच्छाइयं वा जाव हीरमाणं वा पेहाए अंतरा से मग्गा अप्पा पाणा जाच संताणगा नो जत्थ बहवे समण जाव उवागमिस्संति अप्पाइन्ना वित्ती पन्नस्स निक्खमणपवेसाए पन्नस्स वायणपुच्छणपरियट्टणाणप्पेहधम्माणओगचिंताए, सेवं नचा तहप्पगारं परेसंखडिं वा० अभिसंधारिज णाए।२४५।से भिक्खू वा २ जाव पविसिउकामे से जं पुण जाणिज्जा खीरिणियाओ गावीओ खीरिजमाणीओ पेहाए असणं या ४ उपसंखडिजमाणं पेहाए पुरा अप्पहिए सेवं नचा नो गाहाबइकलं पिंडवायपडियाए निक्समिज वा परिसिज वा, से तमादाय एगंतमवकमिज्जा अणावायमसंलोए चिहिज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा-खीरिणियाभोगावीओसीरियाओ पहाए असणं वा ४ उपक्वडियं पेहाए पुराए जूहिए सेवं नचा तओ संजयामेव गाहा निक्खमिज वा०॥२४६॥ भिक्खागा नामेगे एषमाहंसु-समाणा या वसमाणा वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे खुट्टाए खलु अयं गामे संनिम्ताए नो महालए से हंता भयंतारो बाहिरगाणि गामाणि भिक्खायरियाए वयह, संति तत्थेगइयस्स भिक्खुस्स पुरेसंथुया वा पच्छासंधुया वा परिवसंति, तंजहा-गाहावई वा गाहावइणीओ वा गाहापाइपत्ता वा गाहावयधूयाओ वा गाहावईसण्हाओ वा घाईओवा दासा वा दासीओ वा कम्मकरा वा कम्मकरीओ वा. तापगाराइं कुलाई पुरेसंथुयाणि वा पच्छासंथुयाणि वा पुत्रामेव भिक्खायरियाए अणुपपिसिस्सामि, अविय इत्थ लभिस्सामि पिडं वा लोयं वा खीरं वा दहि वा नवीयं वा घयं वा गुई वा तिहुं वा महुँ वा मजं वा मंसं वा सकुलिं वा फाणियं वा पूर्व वा सिहिरिणि वा, तं पुवामेव भुवा पिचा पडिग्गहं च संलिहिय संमज्जिय तओ पच्छा मिरहिं सदिगाहा० परिसिस्सामि वा निक्समिस्सामि वा माइहाणं संफासे, तं नो एवं करिज्जा, से तत्थ भिक्खूहिं सद्धि कालेणं अणुपविसित्ता तस्थियरेयरेहिं कुलेहिं सामुदाणिय एसियं चेसियं पिंडवायं पडिगाहित्ता आहारं आहारिज्जा, एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा० सामग्गिय।२४७॥अ०१3०४॥से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणिज्जा-अम्गपिडं उक्विपमाणं पेहाए अग्गपिंड निक्खिपमाणं पेहाए अग्गपिडं हीरमाणं पेहाए अग्गपिंड परिभाइजमाणं पेहाए अग्गपिंडं परि जमाणं पेहाए अम्गपिडं परिदृविजमाणं पेहाए पुरा असिणाइ वा अबहाराइ वा पुरा जत्थऽपणे समण वणीमगा खदं२ उपसंकमंति से हंता अहमवि खर्च २ उपसंकमामि, माइट्ठाणं संफासे, नो एवं करेजा।२४८ासे भिक्खू वा जाव समाणे अंतरा से वप्पाणि वा फलिहाणि वा पागाराणि वा तोरणाणि वा अग्गलाणि वा अग्गलपासगाणि वा सति परकमे संजयामेव परिकमिजा, नो उजुयं गच्छिज्जा, केवली ध्या-आयाणमेयं, से तत्थ परकममाणे पयलिज या पक्षलेज वा पयडिज्ज वा से तत्थ पयलमाणे वा पक्षलेजमाणे या पवडमाणे वा नस्य से काए उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण या सिंघाणेण वा वंतेण वा पित्तण वा पूएण वा सुकेण वा सोणिएण वा उबलिने सिया, तहप्पगारं कायं नो अणंतरहियाए पुढवीए नो ससिणिद्वाए पुढवीए नो ससरक्खाए पुढवीए नो चित्तमंताए सिलाए नो चित्तम. ताए टेलूए कोलाबासंसि वा दारुए जीवपइट्टिए सअंडे सपाणे जाव ससंताणए नो आमजिज वा पमजिज वा संलिहिज वा निलिहिज वा उचलेज या उपडिज या आयायिज वा पयाविज्ज वा, से पुवामेव अप्पससरक्खं तणं वा पत्तं वा कटुं वा सकरं वा जाइज्जा, जाइत्ता से तमायाय एगंतमयकमिज्जा २ अहे झामथंडिलंसि वा जाव अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि3 पडिलेहिय पडिलेहिय पमज्जिय पमज्जिय तओ संजयामेव आमज्जिज्ज वा जाव पयाविज्ज बा।२४९। से भिक्खू वा० से जं पुण जाणिज्जा गोणं पियाल पडिपहे पेहाए महिसं बियालं पडिपहे पेहाए, एवं मणुस्सं आसं हन्थि सीह बग्धं विगं दीवियं अच्छं तरच्छं परिसरं सियालं विरालं सुणयं कोलसुणयं कोकंतियं चित्ताचितडयं वियालं पडिपहे पेहाए सइ परकमे संजयामेव परकमेज्जा, नो उज्जुयं गच्छिज्जा, से भिक्खू वा० समाणे अंतरा से उवाओ वा खाणुए वा कंटए वा घसी वा भिलुगा वा विसमे या विज्जले वा परियावज्जिज्जा, सइ परकमे संजयामेव, नो उज्जुयं गच्छिज्जा।२५०। से भिक्खू वा० गाहावइकुलस्स दुवारवाहं कंटगदियाए परिपिहियं पेहाए तेसिं पुवामेव उग्गहं अणणुनविय अपडिलेहिय अप्पमज्जिय नो अवंगुणिज्ज वा पविसिव वा निक्खमिज वा तेसिं पुवामेव उग्गहं अणुन्नविय पडिलेहिय पडिलेहिय पमज्जिय पमज्जिय तओ संजयामेव अवंगुणिज्ज वा पविसेज १५ आचारांग- raut- मुनि दीपरबसागर SPELASPUNERROPICASTEMAPSARPEARNAMEPRABPRENESSPAI87858PICHARPENSPERMBAIGARSHIS Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SHRSSPACLEPENSTREASYSHOCARPICASHEMISP25372605813552VASYSERINEERNESSPIRISH वा निकखमेज्ज वा। २५१ । से भिकखू या २ से जं पुण जाणिज्जा समणं वा माहणं या गामपिंडोलगं वा अतिहिं वा पुत्रपविट्ठ पेहाए नो तेमि संलोए सपडिद्वारे चिहिज्जा (प्र० केवली ब्या- आयाणमेयं पुरा पेहाए तस्सट्टाए परो असणं वा ४ आहह दलइज्जा, अह भिक्खूर्ण पुचोवइट्ट एस पइन्ना एस उवएसो जं नो तेमिं संलोए सपडिदुवारे चिडिजा) से तमायाय एगनमवकमिजा २ अणावायमसंलोए चिट्ठिजा. से से परो अणावायमसंलोए चिट्ठमाणस्स असणं वा ४ आहढु दलइज्जा, से य एवं वइजा-आउसंतो समणा ! इमे मे असणे वा ४ रिभाएहवा ण, तंगइओ पांडगाहिना तुसिणीओ उवहिज्जा.वियाई एयं मममेव सिया.माइहाणं सफासे. नो एवं कारज्जा.से तमायाए तत्थ | गच्छिज्जारसे पुधामेव आलोइज्जा-आउसंतो समणा ! इमे मे असणे वा ४ सञ्चजणाए निसिडेतं भुजह वाणं जाव परिभाएह वा णं, सेणमेवं वयंतं परो वइजा-आउसंतो समणा! तुम व णं परिभाएहि.से तत्थ परिभाएमाणे नो अप्पणो खदं २ डाय २ ऊसदं २ रसिय २ मणुनं २ निई २ लक्खं २, से तत्थ अमुच्छिए अगिद्धे अग(ना)ढिए अणज्झोवचन्ने बहुसममेव परिभाइजा, से णं परिभाएमाणं परो वइज्जा-आउसतो समणा ! मा णं तुमं परिभाएहि सच्चे वेगइआ ठिया उ भुक्खामो वा पाहामो वा. से तत्थ मुंजमाणे नो अप्पणा खडं खलं जाव लक्वं, से नत्थ अमच्छिए ४ बहुसममेव जिज्जा वा पीइज्जा वा ।२५। से भिक्खू वा२ से जं पुण जाणिज्जा समणं वा माहणं वा गामपिंडोलगं वा अतिहि वा पुत्रपबिटुं पेहाए नो ते उवाइऋम्म पविमिज्ज वा ओभासिज्ज वा, से नमायाय एगतमबक्कमिज्जा २ अणावायमसलोए चिडिजा, अह पणे जाणिज्जा-पडिसेहिए वा दिने वा. नओ तमि नियत्तिए संजयामेव परिसिज्ज वा ओभामिम्ज वा एय: सामग्गिय । २५३॥अ०१उ०५॥से भिक्खू वा० से जं पुण जाणिज्जा-रसेसिणो बहवे पाणा घासेसणाए संथड़े संनिवइए पेहाए तंजहाकुकडजाइयं वा सूयरजाइयं वा अग्गपिंडमि वा वायसा संथडा मंनिवइया पेहाए सइ परकमे संजयामेव परकमेम्जा, नो उज्जुयं गच्छिज्जा।२५४॥ से भिक्खू बा २ जाव नो गाहावइकुलस्स वा दुवारसाह अवविय २चिट्टिग्जा नो गादगच्छहणमनए चिहिज्जा.नोगा चंदणिउयए चिट्टिज्जा. नो गा सिणाणस्स वा बच्चस्स वा संलोए सपडिदुबारे चिहिज्जा. नो आलोयं वा थिग्गलं वा संधि वा दगभवणं चा बाहाओ पगिझिय २ अंगुलियाए वा उदिसिय २ उण्णमिय२ अवनमिय २ निज्झाइज्जा, नो गाहावई अंगुलियाए उहिमिय२ नो गाअंगलिए चालिय२जाइज्जा. नो गा० अंतज्जिय२जाइज्जा. नो गा० अं० उक्खुलपिया उक्खन्लोदय २जाइजा, नो गाहावई वोदय २जाइज्जा,नो वयणं । फरसं वइज्जा ।२५५। अह नन्थ कंचि भुंजमाणं पेहाए गाहावई वा जाव कम्मकार वा से पूछामेव आलोइम्जा-आउसोनि वा भइणित्ति वा दाहिसि मे इनो अन्नयर भोयणजायं?. से सेवं वयंतस्स परो हत्थं वा मत्तं वा दकिं वा भायणं वा सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलिज्ज वा पहोइज्ज वा, से पुवामेव आलोइज्जा-आउसोत्ति वा भइणिति वा: माएयतुम हत्थ वा०४माआदगावयडण वा २उच्छालाह वा २, भिकखाम मदाउएवमेव दलयाहिसे सेब वयतस्स पर हत्थ वा४साआंउसिक आहट्टदलइग्जा, तहप्पगारेणं पुरेकम्मकएणं हत्येणं वा ४ असणं वा४ अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा, अह पूण एवं जाणिज्जा नो परेकम्मकएणं०, उदउडेणं तहप्पगारेणं वा उदउद्देण वा हत्येण वा ४ असणं वा ४ अफासुयं जाव नो पडिगाहिजा, अह पुणेवं जाणिज्जा-नो उदबडेण. ससिणिद्वेण सेसं तं चेव, एवं-ससरक्वे उदउडे, ससिणिद्धे मट्टिया ऊसे । हरियाले हिंगलुए, मणोसिन्दा अंजणे लोणे ॥१॥ गेरुय वन्निय सेडिय सोरहिय पिट्ठ कुकुस उक्कुट्ठसंसट्टेण। अह पुणेवं जाणिज्जा नो असंसट्टे संसट्टे नहप्पगारेण संसटेण हत्धेण वा ४ असणं वा ४ फासुयं जाब पडिगाहिजा । २५६ । से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणिज्जा पिहुयं वा बहुस्य वा जाव चाउलपलंचं वा असंजए भिक्खुपडियाए चित्तमंताए सिलाए जाव संताणाए कुट्टिसु वा कुट्टिति वा कुहिस्संति वा उप्फर्णिम वा ३ नहप्पगारं पिहुयं वा० अण्फासुयं नो पडिगाहिजा ।२५।से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं. बिलं वा लोणं उभियं वा लोणं अस्संजए जाच संताणाए भिदिमु ३ रुचिमु वा ३ बिलं वा लोणं उब्भियं वा लोणं अफासुयं नो पडिगाहिज्जा ।२५८ा से भिक्यू वा २ से जं. असणं वा ४ अगणिनिक्खिनं तहप्पगारं अमणं वा ४ अफासुयं नो, केवटी व्या-आयाणमेयं, अस्संजए भिक्षुपडियाए उस्सिंचमाणे वा आमज्जमाणे वा पमज्जमाणे वा ओयारेमाणे वा उब्वनेमाणे वा अगणिजीये हिंसिज्जा, अह भिक्खूणं पुबोबडा एस पइन्ना एस हेऊ एस कारणे एसुवएसे जं तहप्पगारं असणं वा ४ अगणिनिक्वित्तं अफामुयं नो पडिक, एवं सामग्गिय । २५९॥ अ१उ०६॥से भिक्खू वा २ से जं. असणं वा ४ खंधसि वा थंभंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा पासायंसि वा हम्मियतलंसि वा अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि उवनिक्विनं सिया तहप्पगारं मालोहर्ड वा ४ अफासुयं नो०, केवली व्या-आयाणमेयं, अस्संजए भिक्सुपडियाए पीढं वा फलगं वा निस्सेणि वा उदूहलं वा आहथै उस्सविय दुरूहिज्जा. से तत्व दुरूहमाणे पयलिज्ज वा पवडिज्ज या, से नस्थ पयरमाणे वा २ हत्थं वा पायं वा वाहुं वा ऊरूं वा उदरं वा सीसं वा अन्नयरं वा कायंसि इंदियजालं लूसिज वा पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा वित्तामिज वान्लेमिज्ज वा संघसिज्ज वा संघहिज्ज वा परियाविज्ज वा किलामिज्ज वा ठाणाओ ठाणं संकामिज्ज वा, तं तहप्पगारं मालोहडं असणं वा ४ लाभे संते नो (४) १६ आचारांग-ॐन्सपा-१ PCS/CTNSAASPIRKETSMASTERNEARSHSSPASHIMACHASKASPIRACYRAASYCHEYAMPCARRIPRAISPENSPES मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SHAREY245390AMONDIATRNEYGR3194600-4818065390983-889382% 80%80-8182486029 पडिगाहिज्जा, से भिक्खू वा २ जाव समाणे से जं. असणं वा ४ कोट्ठियाओ वा कोलेज्जाओ वा अस्संजए भिक्खुपडियाए उकुज्जिय अवउज्जिय ओहरियं आह१ दलइज्जा, तहप्पगारं असणं वा ४ लाभे मंते नो पडिगाहिज्जा ।२६० । से भिक्खू वा० से जं. असणं वा ४ महियाउलित्तं तहप्पगारं असणं वा ४ लामे सं०, केवली. अस्संजए भि० महिओलित्तं असणं वा० उभिदमाणं पुढविकायं समारंभिज्जा तह तेउवाउवणस्सइतसकायं समारंभिज्जा, पुणरवि उल्लिंपमाणे पच्छाकम्मं करिजा, अह भिक्खूणं पुत्रो जं तहप्पगारं मट्टिओलितं असणं वा लामे।से भिक्खू से जं० असणं वा ४ पुढविकायपइडियं तहप्पगारं असणं वा० अफासुर्य०, से भिकबू० जं. अमणं वा ४ आउकायपइडियं चेव, एवं अगणिकायपइट्ठियं लाभे०, केवली०, अस्संज० मि० अगणिं उस्सकिय निस्सकिय ओहरिय आहहु दलइजा, अह भिक्खूणं जाव नो पडि०।२६१। से भिक्खू वा २ मे जं. असणं वा ४ अबुसिणं अस्संजए भि. सुप्पेण वा विहुयणेण वा तालियंटेण वा पत्तेण वा साहाए वा साहाभंगेण वा पिहुणेण वा पिहुणहत्येण वा चेलेण वा चेलकण्णेण वा हत्थेण वा मुहेण वा फुमिज वा वीइज वा, से पुवामेव आलोइज्जा-आउमोत्ति वा भइणिनि वा ! मा एतं तुमं असणं वा ४ अचुसिणं सुप्पेण वा जाव फुमाहि वा वीयाहि बा, अभिकखसि मे दाउं एमेव दलयाहि, से सेवं वयंतस्स परो मुष्पेण वा जाव वीइत्ता आह९ दलइजा तहप्पगारं असणं वा ४ अफामुयं वा नो पडिक ।२६२। से भिक्खू वा २ से जं. असणं वा ४ वणस्सइकायपइट्ठियं तहप्पगारं असणं या ४ वण लामे संते नो पडि । एवं तसकाएवि।२६३॥ से भिक्खू वा २ से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा, तंजहा- उस्मेइमं वा १ संसेइमं वा २ चाउलोदगं वा ३ अन्नयरं या तहप्पगार पाणगजाय अहुणाधाय अणबिल अब्बुकत अपारंणय अविदत्यं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा, अह पण एवं जाणिजा चिराधोयं अंबिलं बकंतं परिणयं विद्वत्वं फामयं पडिगाहिज्जा। मे भिक्खु वा० से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा, तंजहा-तिलोदगं वा ४ तुसोदगं वा ५जवोदगं वा ६ आयामं वा ७ सोवीरं वा ८ सुद्धवियडं व आयाम वा ७ सावार वा ८ सुद्धवियडं वा ९ अन्नयरं वा तहप्पगारं वा पाणगजायं पुधामेव आलोइज्जा-आउसोति वा भइणित्ति वा ! दाहिसि मे इत्तो अनयरं पाणगजायं ?, से सेवं वयंतस्स परो वइज्जा-आउसंतो समणा ! तुमं चेवेयं पाणगजायं पडिग्गहेण वा उस्सिंचियाणं उयत्तियाणं गिण्हाहि, तहप्पगारं पाणगजायं सयं वा गिव्हिज्जा परो वा से दिजा. फासुयं लाभे संते पडिगाहिजा ।२६४ा से भिक्खू वा० से जं पुण पाणगं जाणिज्जा-अणंतरहियाए पुढवीए जाव संताणए उद१२ निक्रिखत्ते सिया, असंजए भिकसुपडियाए उदउड़ेण वा ससिणिद्वेण वा सकसाएण वा मतेण वा सीआदगण वा संभोइत्ता आइट्टु दलाइज्जा, तहप्पगारं पाणगजायं अफासुयं०, एयं खलु० सामग्गियं । २६५॥ अ०१3०७॥ से भिक्खू वा २से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा, तंजहा-अंबपाणगं वा १० अंबाडगपाणगं वा ११ कविलृपाण १२ माउलिंगपा० १३ मुहियापा०१४ दालिमपा १५खज्जूरपा०१६ नालियेरपा०१७ करीरपा०१८ कोलपा०१९ आमलपा०२० चिंचापा०२१ अन्नयरं वा तहप्पगारं पाणगजात सअट्टियं सकणुयं सबीयगं अस्मंजए भिक्खुपडियाए छब्बेण वा दूसेण वा वालगेण वा आवीलियाण परिवीलियाण परिसावियाण आह१ दलदज्जा तहप्पगारं पाणगजायं अफा० लाभे संतेनो पढिगाहिज्जा।२६६। से भिकम्य वा०२ आगंतारेसु वा आगमागारेमुवा गाहावइगिहेसु वा परियावसहेसु वा अन्नगंधाणि वा पाणगंधाणि वा सुरभिगंधाणि या आघाय २से तत्थ आसायपडियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने अहो गंधो २ नो गंधमाघाइज्जा।२६७से भिस्व वा २ से जंसालयं वा बिगलियं वा सासवनालियं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं आमगं असस्थपरिणयं अफासु०। से भिक्खू वा० से जं पुण• पिप्पलिं वा पिप्पलिचुण्णं वा मिरियं वा मिरियचुण्णं वा सिंगवेरं वा सिंगबेरचुषणं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं आमग वा अमत्थप० । मे भिक्स् वा० से जं पुण पलंबजायं जाणिज्जा, तंजहा-अंबपलंब वा अंबाडगपलंवं वा तालप० झिज्झिरिप० सुरहि सल्लरप० अन्नयरं तहप्पगारं पलंबजायं आमगं असत्यपा से भिक्खू २ से जं पुण पवालजाय जाणिज्जा.नजहा-आसाट्ठपवालवा निग्गाहपापलुखुप० निपूरप० (प्र०नायूरप०)साइप०अन्नयर वा तहप्पगार पवालजाय आमग असत्यपरिणयास मि०२से जं पुण० सरहुयजायं जाणिज्जा, तंजहा-सरड़यं (प. अंबसरइयं वा अंबाडगसरड्यं) कविठुमर दाडिमसर बिल्डस० अन्नयरं वा तहप्पगारं सरडुजायं आमं असत्थपरिणयं० से मिक्खुवासेज प० तंजहा-उंबरमंथं वा नग्गोहमंपिलंखमं आसोत्थमं० अन्नयरं वा तहप्पगारं मंथजाय आमयं दुरुकं साणुचीयं अफामुयं ।२६८। से भिक्खू वा० से जं पुण आमडागं वा पृइपिन्नार्ग वा महुं वा मज्ज वा सप्पिं वा खोलं वा पुराणगं वा इत्थ पाणा अणुप्पमयाई जायाई संवुड्ढाई अब्बुकंताई अपरिणया इत्य पाणा अविदत्था नो पडिगाहिज्जा।२६९। से भिक्खू वा० से. उच्छुमेरगं वा अंककरेलगं वा कसेकगं वा सिंघाडगं या पूइआलुगं वा अन्नयरं वा से भिक्खू वा २ से जं० उप्पलं वा उप्पलनालं वा भिसं वा भिसमुणालं वा पुक्खलं वा पुक्वलविभंग वा अन्नयरं वा तहप्पगारं०।२७०।से भिक्खू वा २ से जं पु० अग्गीयाणि वा मूलबीयाणि वा खंबीयाणि वा पोरची अग्गजायाणि वा मूलजा० खंधजा पोरजा नन्नन्थ तकलिमथएण वा तकलिसीसेण वा नालियग्मधएण वा खजूरिमत्वएण वा तालम: अन्नयरं वा तह । से भिक्खू वा २ से जं. उच्छु वा काणगं वा अंगारियं वा संमिस्सं विगदूमियं वित(न)गगं वा कंदलीऊसुगं अन्नयरं या तहप्पगा। (-से भिक्खू वा० से जंकलमुणं वा लमुणपत्नं वाला नावं वाल० कंदं वा ल० चोयगं वा अन्नयरं वा०1) से भिक्खू वा० से जं अच्छियं वा कुंभिपकं तिदुर्ग वा बेलगं वा कासवनालियं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं आमं असत्थप० । से भिकाव वा० से जंकणं वा कणकडगं वा कणपूलियं वा चाउलं वा चाउलपिढे वा तिलं वा तिलपटुं वा तिलपप्पडगं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं आमं असस्थप लाभे संते नो प०, एवं खलु तस्स मिकयुस्स० सामग्गियं ।२७१०१ उ०८॥ इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया सड्ढा भवंति गाहावई वा जाव कम्मकरी वा, तेसि च एवं वृत्तपुवं भवइ-जे इमे भवंति समणा भगवंतो सीलबंतो क्यवंतो गणवंतो संजया संयुडा बंभयारी उवरया मेहुणाओ धम्माओ, नोखलु एएआहाकम्मिए असणे वा ४ भुत्तए वा पायए वा, से जे पुण इमं अम्हं अप्पणो अट्ठाए निट्ठियं तं असणं ४ सबमेयं समणाणं निसिरामो, अवियाइं वयं पच्छा अप्पणो अट्ठाए असणं वा' गामाणुगाम वा दूइज्जमाण से ज० गाम बा जाव रायहाण वा० इमंसि खलु गामंसि वा रायहाणिसि वा संतेगइयस्स भिकखुस्स पुरेसंधुया वा १७ आचारांग- अ wer-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KBIPICHRSPIRNSPIRABPASSPSNSPIRAISPAISYEARSPENSPIRARIPTEASPEE पच्छासंथुया वा परिवसंति, तंजहा-गाहावई वा जाव कम्म० तहप्पगाराई कुलाई नो पुवामेव भत्ताए वा पाणाए वा पविसेज वा निक्खमिज वा, केवली च्या-आयाणमेयं, पुरा पेहाए तस्स परो अट्ठाए असणं वा ४ उपकरिब ना उपक्सडिज वा, अह भिक्खूर्ण पुधोवइवा ४ जं नो तहप्पगाराई कुलाई पुवामेव भत्ताए वा पाणाए वा पविसिज वा निक्समिज वा, से तमायाय एर्गतमवकमिजा२ अणाचायमसंलोए चिट्ठिजा, से तत्थ कालेणं अणुपविसिजा २तत्थियरेयरेहिं कुलेहिं सामुदाणियं एसियं बेसियं पिंडवायं एसित्ता आहारं आहारिजा, सिया से परो कालेण अणुपविहस्स आहाकम्मियं असणं वा उवकरिज वा उपक्सडिज या तं गइओ तुमिणीओ उचेहेजा, आहहमेव पचाइक्खिस्सामि, माइहाणं संफासे, नो एवं करिजा, से पुषामेव आलोइजा-आउसोत्ति वा भइणित्ति वा ! नो खलु मे कप्पद आहाकम्मियं असणं वा ४ भुत्तए वा पायए वा, मा उपकरेहि मा उपक्रसटेहि. से मेवं जयंतस्स परो आहाकम्मियं असणं वा ४ उपक्खडावित्ता (प०डित्ता) आहटु दलज्जा तहप्पगारं असणं वा अफासुयं०।२७३। से मिक्स वा२ से जं मंसं वा मच्छं वा भजिजमाणं पेहाए तितपूयं पा आएसाए उपकसटिजमाणं पेहाए नो खद २ उपसंकमित्तु ओभासिज्जा, नमत्थ गिलाणणीसाए ।२७४० से भिक्ख वा० अन्नयरं भोयणजायं पडिगाहित्ता सुभि सुभि भुच्चा भि२ परिटुबइ,माइवाणं संफासे, नो एवं करिजा. सुभि वा दुभि वा सर्व भुजिजा,नो किंचिति परिदृविजा (म० सव्वं भुजे न ठाए)।२७५/ से भिक्खू वा० अन्नयरं पाणगजायं पडिगाहित्ता पुण्फ २ आविइत्ता कसायं२ परिवेइ, माइट्टाणं संफासे, नो एवं करिजा, पुष्फ पुप्फेद वा कसायं कसाइ वा सबमेयं भुंजिजा, नो किंचिचि परिहवेइ ।२७६। से भिक्खू वा० बहुपरियावन्नं भोयणजायं पढिगाहित्ता बहवे साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया समणुन्ना अपरिहारिया अदूरगया, तेसि अणालोइय अणामते (तिय) परिद्ववेद, माइट्टाणं संफासे, नो एवं करेजा, से तमायाए तत्थ गच्छिजा२से पुच्चामेव आलोइजा-आउसंतो समणा! इमे मे असणे वा पाणे वा ४ वटुपरियावन्ने तं भुंजह णं, से सेवं वयंतं परो वइजा-आउसंतो समणा! आहरमेयं असणं वा ४ जावइयं २ सरइ तावइयं २ भुक्खामो वा पाहामो पा सध्यमेयं परिसडइ सबमेयं भुक्खामो वा पाहामो वा।२७७१ से भिक्खू वा २ से ज० असणं वा ४ परं समुदिस्स बहिया नीहा जं परेहिं असमणुमायं अणिसिह अफा जाब नो पटिगाहिज्जा, जं परेहि समणण्णायं सम्म णिसिटुं फासुयं जाव पडिगाहिज्जा, एवं खल तस्स मिक्सुस्स मिक्सुणीए या साममिायं।२७८|अ०१उ०९॥ से एगइओ साहारणं वा पिंडवायं पडिगाहिता ते साहम्मिए अणापुच्छिना जस्स जस्स इच्छइ तस्स तस्स खदं खलु दलद, माइहाणं संफासे, नो एवं करिजा। से तमायाय तत्य गच्छिज्जा २एवं पइज्जा-आउसंतो समणा ! संति मम पुरेसंधुया पच्छा० तंजहा-आयरिए वा १ उवज्झाए वा २ पवित्ती वा ३ थेरे वा ४गणी वा ५ गणहरे वा ६ गणापच्छेयए वा ७ अवियाई एएसिं खद खद दाहामि, सेणेवं वयंत परो बइजा-कामं खलु आउसो ! अहापज्जत्तं निसिराहि, जावइयं २ परो पदइ तावइयं २ निसिरिजा, सत्रमेवं परो वयइ मवमेयं निसिरिजा ।२७९। से एगइओ मणुनं भोयणजायं पडिगाहित्ता पंतेण भोयणेण पलिच्छाएइ मा मेयं दाइयं संतं दठूर्ण सयमाइए आयरिए वा जाव गणावच्छेयए वा, नो खलु मे कस्सइ किचिदाय सिया, माइट्ठाणं संफासे, नो एवं करिना। से तमायाए तत्थ गच्छिज्जा २ पुषामेव उत्ताणए हत्थे पडिग्गहं कटु इमं खलु इमं खलुत्ति आलोइज्जा, नो किंचिवि णिगृहिजा। से एगइओ अन्नयर भोयणजायं पडिगाहित्ता भयं २ भुचा विवर्ष विरसमाहरद, माइ०, नो एवं १२८०1 से भिक्खू वा० से जं० अंतरच्छ्यं वा उच्छुगंडियं वा उच्छुचोयगं वा उच्छुमेरगं वा उच्छुसालगं वा उच्छुडालगं वा सिंचलिं वा सिंचलिथालगंवा अस्सि खलु पडिग्गहियंसि अप्पे भोयणजाए बहुउज्झियधम्मिए नहप्पगारं अंतरुच्छुयं वा० अफा०॥ से भिक्खू बा२ से जं. बहुअट्टियं वा मंसं या मच्छ वा बहुकंटयं अस्सि खलु तहप्पगारं बहुअट्टियं वा मंसं० लाभे संते जाव नो पडिगाडेजा। से भिक्खू वा सिया णं परो बहुअट्टिएण मंसेण वा मच्छेण का वा उवनिमंतिजा-आउसंतो समणा! अभिकखसि बहुअडियं मंसं पडिगाहित्तए.एयप्पगारं निग्घासं सुचा निसम्म स पुवामेव आलाइज्जा-आउसात्तिवा२नोखलमे कम्पइ बहु०पांडगा०,भिकखास मदाउ जावइयं तावइयं पुग्गलं दलयाहि, मा य अट्टियाई, से सेवं पयंतस्स परो अभिहटु अंतो पडिग्गहगंसि बहुअडिअंमंसं परिभाइत्ता निहटु दलाइजा, तहप्पगारं पडिम्गहं परहत्थंसिवा परपायसि वा अफा० नो से आहच पडिगाहिए सिया तं नो हित्ति वइजा नो अणिहित्ति वइजा, से तमायाय एगंतमपकमिज्जा २ अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अप्पंडे जाव संताणए मंसगं मच्छगं भुचा अट्ठियाई कंटए गहाय से तमायाय एगंतमवकमिज्जा २ अहे झामथंडिलंसि वा जाव पमज्जिय पमज्जिय परिदृविज्जा ।२८१श से भिक्खू० सिया से परो अभिहटु अंतो पडिग्गहे बिलं वा लोणं उभियं वा लोणं परिभाइत्ता निहटु दलइजा, तहःपगारं पडिग्गहं परहत्वंसि वा२ अफासुयं नो पटि०, से आहच पडिगाहिए सियातं च नाइदूरगए जाणिज्जा, से तमायाए तत्थ गच्छिज्जा२पुवामेव आलोइज्जा-आउसोत्ति वा २ इमं किं तं जाणया दिन्नं उयाहु अजाणया ?, से य भणिज्जा-नो खलु मे जाणया दिन्नं, अजाणया दिन्नं, कामं खलु आउसो! इयाणि निसिरामि, तं भुंजह वा णं परिभाएह या णं, तं परेहि समणुन्नायं समणुसहूं तओ संजयामेव मुंजिज्ज वा पीइज्ज वा, जं च नो संचाएइ भोत्तए वा पायए वा साहम्मिया तत्थ वसंति संभोइया समणुन्ना अपरिहारिया अदूरगा तेसिं अणुप्पयायच्वं सिया, नो जत्थ साहम्मिया जहेव बहुपरियावन्न कीरइ तहेब कायव्वं सिया, एवं खलु०२८२॥ ज०१ उ०१०॥ भिक्खागा नामेगे एवमासु समाणे वा यसमाणे वा गामाणुगामं वा दूइज्जमाणे मणुन्नं भोयगजायं लभित्ता से भिक्खू गिलाइ, से हंदहणं तस्साहरह, से य भिक्खू नो भुजिज्जा तुम चेव णं अँजिजासि, से एगइओ भोक्खामित्तिकटु पलिउंचिय२ आलोइजा, तंजहा-इमे पिंडे इमे लोए इमे तित्ते इमे कडयए इमे कसाए इमे अंबिले इमे महुरे, नोखलु इत्तो किंचि गिलाणस्स सयइत्ति माइहाणं संफासे, नो एवं करिजा, तहाठियं आलोइज्जा जहाठियं गिलाणस्स सयइत्ति, तं तित्तयं तित्तएत्ति वा कटुयं कहुयं कसायं कसायं अंबिलं अंबिलं महुरं महुरं १२८३भिक्खागा नामेगे एवमाईसु-समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं दूइजमाणे वा मणुन्नं भोयणजायं लभित्ता से य भिक्खू गिलाइ से हंदह णं तस्स आहरह, से य भिक्खू नो अँजिजा आहरिजा, से णं नो खलु मे अंतराए आहरिस्सामि, इचेयाई आयतणाई उवाइकम्म ।२८४/ अह भिक्खू जाणिज्जा सत्त पिंडेसणाओ सत्त पाणेसणाओ, तत्थ खलु इमा पढमा पिंडेसणा-असंसट्टे हत्थे असंसट्टे मत्ते तहप्पगारे असंसट्टेण हत्येण वा मत्तेण वा असणं वा १८ आचारांग- trarul-१ मुनि दीपरत्नसागर SSPICGASPASSMSPICHRIPASHASHEMISPHEBAISHTINATIONSPIRANSPIRINKIPENIOTISHAMARPOSPICHROPHISAROPRABPCONG Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ “४ सयं वा णं जाइज्जा परो वा से दिजा फासूयं पडिगाहिज्जा पढमा पिंडेसणा १ ॥ अहावरा दुच्चा पिंडेसणा-संसट्टे हत्थे संसट्टे मत्ते, तहेव दुच्चा पिंडेसणा २॥ अहावरा तथा पिंडेसणा-इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया सड्डा भवति गाहावई वा जावकम्मकरी वा तेसि च णं अनयरेसु विरूवरूवेसु भायण जाएस उपनिक्खित्तपुढे सिया, तंजहा थालंसि वा पिढरंसि वा सरगंसि वा परगंसि वा वरगंसि वा, अह पुणेवं जाणिज्जा असंसट्टे हत्थे संसट्टे मत्ते, संसट्टे वा हत्थे असंसट्टे मत्ते, से य पडिग्गहधारी सिया पाणिपडिग्गहिए वा, से पुवामेव० आउसोत्ति वा ! एएण तुमं असंसट्टेण हत्येण संसद्वेण मत्तेण संसद्वेण वा हत्थेण असंसट्टेण मत्तेण अस्सि पडिग्गहगंसि वा पाणिसि वा निहद्दु उचित्तु दलयाहि, तहप्पगारं भोयणजायं सयं वाणं जाइज्जा २ फासूयं पडिगाद्दिजा, तईया पिंडेसणा ३॥ अहावरा चउत्था पिंडेसणा-से भिक्खू वा से जं० पिहूयं वा जाव चाउलपलं वा अस्सि खलु पडिग्गाहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे अप्पे पज्जबजाए, तहप्पगारं पिहूयं वा जाब चाउलपलंबं वा सयं वा णं जाव पडि, चउत्था पिंडेसणा ४॥ अहावरा पंचमा पिंडेसणा-से भिक्खू वा २ उग्गहियमेव भोयणजायं जाणिज्जा, तंजहा- सरावंसि वा डिंडिमंसि वा कोसगंसि वा, अह पुणेवं जाणिज्जा बहुपरियावन्ने पाणीसु दगलेवे, तहप्पगारं असणं वा ४ सयं० जाव पडिगाहि०, पंचमा पिंडेसणा ५॥ अहावरा छट्टा पिंडेसणा-से भिक्खू वा २ पग्गहियमेव भोयणजायं जाणेज्जा, जं च सबट्टाए पग्गहियं, जं च परद्वाए परगहियं तं पायपरियावनं तं पाणिपरियावनं फासूयं पडि छट्टा पिंडेसणा ६॥ अहावरा सत्तमा पिंडेसणा-से भिक्खू वा बहुउज्झियधम्मियं भोयणजायं जाणिज्जा, जं चन्ने बहवे दुपयचउप्पयसमणमाहण अतिहिकिवणवणीमगा नावकंवंति तहप्पगारं उज्झियधम्मियं भोयणजायं सयं वा णं जाइज्जा परो वा से दिज्जा जाब पडि, सत्तमा पिंडेसणा ॥ इचेयाओ सत्त पिंडेसणाओं, अहावराओ सत्त पाणेसणाओ, तत्थ खलु इमा पढमा पाणेसणा-असंसट्टे हत्थे असंसट्टे मत्ते, तं चैव भाणियव्वं, नवरं चउत्थाए नाणत्तं से भिक्खू वा से जं पुण पाणगजायं जाणिजा, तंजहा-तिलोदगं वा ६, अस्सि खलु पडिग्गाहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे तहेव पडिग्गाहिज्जा । २८५ । इचेयासि सत्तण्डं पिंडेसणाणं सत्तण्डं पाणेसणाणं अन्नयरं पडिमं पडिवजमाणे नो एवं वइज्जा-मिच्छापडिया खलु एए भयंतारो अहमेगे सम्मं पडिवण्णे, जे एए भयंतारो एयाओ पडिमाओ पडिवजित्ताणं विहति जो य अहमंसि एवं पडिमं पडिवजित्ताणं विहरामि सवेऽचि ते उ जिणाणाए उवडिया अनुनसमाहीए एवं च णं विहति, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा सामग्गियं । २८६ ॥ उ० ११ पिण्डेपणाध्ययनम् १ ॥ से भिक्खू वा० अभिकंखिजा उवस्मयं एसित्तए अणुपविसित्ता गामं वा जाव रायहाणि वा, से जं पुण उवस्मयं जाणिजा सअंडं जाव ससंताणयं तहप्पगारे उवस्सए नो ठाणं वा सिजं वा निसीहियं वा चेइज्जा ॥ से भिक्खू वा से जं पुण उवस्सयं जाणिजा अप्पंडं जाव अप्पसंताणयं तहष्पगारे उपस्सए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता तओ संजयामेव ठाणं वा ३ चेइज्जा ॥ से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा अस्सिपडियाए एवं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई ४ समारम्भ समुदिस्स कीयं पामिचं अच्छिनं अणिस अभिहडं आहहु चेइए, तहप्पगारे उवस्सए पुरिसंतरकडे वा जात्र अणासेविए वा नो ठाणं वा ३ बेइज्जा एवं बहवे साहम्मिया एवं साहम्मिणि बहवे साहम्मिणीओ ॥ से भिक्खू वा० से जंपुण उ० बहवे समण० वणीमए पगणिय २ समुद्दिस्स तं चैव भाणियां ॥ से भिक्खूं वा० से जं० बहवे समण० समुद्दिस्स पाणाई ४ जाव चेतिए, तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरकडे जाव अणासेविए नो ठाणं वा ३ चेइज्जा, अह पुणेवं जाणिज्जा पुरिसंतरकडे जाब सेविए पडिलेहिना २ तओ संजयामेव चेइज्जा ॥ से भिक्खू वा० से पुण० अस्संजए भिक्खुपडियाए कडिए वा उक्कंचिए वा छले वा लिने वा घट्टे वा मट्टे वा संमट्टे वा संपधूमिए वा तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरकडे जाव अणासेविए नो ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेइज्जा, अह पुण एवं जापिज्जा पुरिसंतरकडे जाव आसेविए पडिलेहित्ता २ तओ चेइज्जा । २८७७ से भिक्खू वा० से जं पुण उवस्सयं जा० अस्संजए भिक्खुपडियाए खुडियाओ दुबारियाओ महलियाओ कुज्जा, जहा पिंडेसणाए जाब संथारगं संधारिजा बहिया वा निन्न तहप्पगारे उपस्सए अपृ० नो ठाणं ३, अह पुणेवं० पुरिसंतरकडे आसेविए पडिलेहित्ता २ तओ संजयामेव जाव चेइज्जा ॥ से भिक्खू वा से जं० अस्संजए भिक्खुपडियाए उदगप्पसूयाणि कंदाणि वा मूलाणि वा पत्ताणि वा पुष्पाणि वा फलाणि वा वीयाणि वा हरियाणि वा ठाणाओं ठाणं साहरइ बहिया वा निष्णकुखु त अपु० नो ठाणं वा ३ बेइज्जा, अह पुणः पुरिसंतरकडे बेइज्जा ॥ से भिक्खू वा २ से जं० अस्संज० भि० पीढं वा फलगं वा निस्सेणि वा उदूखलं वा ठाणाओ ठाणं साहरइ चहिया वा निष्णकृखु तहप्पगारे उ० अपु० नो ठाणं० वा चेइज्जा, अह पुण० पुरिसं० चेइज्जा । २८८ा से भिक्खू वा से जं० तंजहा खंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा पासा ० हम्मिः अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि, नन्नत्थ आगाढा ( णा ) गाढेहिं कारणेहिं ठाणं वा० नो बेइज्जा ॥ से आहञ्च चेइए सिया नो तत्थ सीओदगवियडेण वा हत्थाणि वा पायाणि वा अच्छीणि वा दंताणि वा मुहं वा उच्च्छोलिज्ज वा पहोइज्ज वा नो तत्थ ऊसटं पकरेज्जा, तंजहा उच्चारं वा पा० खे० सिं० तं वा पित्तं वा पूर्व वा सोणियं वा अन्नयरं वा सरीरावयवं वा, केवली वूया आयाणमेयं, से तत्थ ऊसढं पगरेमाणे पयलिज्ज वा २, से तत्थ पयलमाणे वा पकडमाणे वा हत्थं वा जाव सीसं वा अन्नयरं वा कार्यसि इंदियजालं लूसिज्ज वा पाणि ४ अभिहणिज्ज वा जाब ववरोचिज्ज वा, अह भिक्खूणं पुत्रोवडा ४ जं तहपगारे उवस्सए अंतलिक्खजाए नो ठाणं वा ३ चेइज्जा । २८९ । से भिक्खू वा० मे जं० सइत्थियं सखु सपसुभत्तपाणं तहप्पगारे सागारिए उबस्सए नो ठाणं वा ३ चेइज्जा, आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावइकुलेण सद्धिं संवसमाणस्स अलसगे वा बिसहुआ या छडी वा उच्चाहिज्जा अन्नयरे वा से दुकखे रोगायके समुप्पजिजा, अस्संजए कलणपडियाए तं भिक्खुस्स गायं तिलेण वा घरण वा नवणीएण वा बसाए वा अभंगिज्ज वा मक्खिज्ज वा सिणाणेण वा ककेण वा देण वा वण्णेण वा चुण्णेण वा पउमेण वा आसिन वा पसिन वा उबलिन वा उच्चट्टिज्ज वा सीओदगवियडेण वा २ उच्छोलिज्ज वा (प्र० पहोएज्ज वा) पक्खालिज्ज वा सिणाविज्ञ वा सिचिंज्ज वा दारुणा या दारुपरिणामं कट्टु अगणिकार्य उज्जालिज्ज वा पज्जालिज्ज वा उज्जालित्ता २ कार्य आयाविज्जा वा प०, अह भिक्खूणं पुत्रोवइट्टा जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए नो ठाणं वा ३ चेइज्जा । २९० आयाणमेयं भिक्खुस्स सागारिए उवस्सए संवसमाणस्स इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरी वा अनमनं अकोसंति वा (बंधन्ति वा) (प्र० पचति वा वहन्ति वा ) संभंति वा उदविंति वा, अह भिक्खूणं उच्चावयं मणं नियंछिज्जा-एए खलु अन्नमन्नं अकोसंतु वा मा वा अकोसंतु जात्र मा वा उदविंतु, अह भिक्खुणं १९ आचारांग अन्दाजे २ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुत्रो जं तहप्पगारे सा० नो ठाणं वा ३ वेइज्जा । २९१। आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावईहिं सद्धिं संवसमाणस्स, इह खलु गाहावई अप्पणो सट्टाए अगणिकार्य उज्जालिज्जा वा पज्जालिज्जा वा विज्झविज्ज वा अह भिक्खू उच्चावयं मण नियंडिज्जा एए खलु अगणिकार्य उ० वा मा वा उ० पज्जालितु वा मा वा प० विज्झबिंतु वा मा वा वि०, अह भिक्खुणं पु० जं तहपगारे उ० नो ठाणं वा ३ चेइज्जा । २९२ । आयाणमेयं भिक्म्स्स गाहावईहिं सद्धि संवसमाणस्स. इह खलु गाहावइस्स कुंडले वा गुणे वा मणी वा मुत्तिए वा हिरण्णेसु वा सुवण्णेसु वा कडगाणि वा तुडियाणि वा तिसराणि वा पालंवाणि वा हारे वा अद्धहारे वा एंगावली वा कणगावली वा मुत्तावली वा रयणावली वा तरुणीयं वा कुमारिं अलंकियविभूसियं पेहाए, अह भिक्खू उच्चाव एरिसिया वा सा नो वा एरिसिया इय वा णं श्रूया इय वा णं मणं साइज्जा, अह भिक्खूणं पु० ४ जं तदप्पगारे उवस्सए नो ठा० । २९३ । आयाणमेयं भिक्खुस् गाहावईहिंसदि संवसमाणस्स, इह खलु गाहाबइणीओ वा गाहावइधूयाओ वा गा०सुण्हाओ वा गा०धाईओ वा गा०दासीओ वा गा० कम्मकरीओ वा तासिं च णं एवं वृत्तपुत्रं भवइ जे इमे भवंति समणा भगवंतो जाव उवरया मेहुणाओ धम्माओ, नो खलु एएसि कप्पइ मेहुणधम्मं परियारणाए आउट्टित्तए, जा य खलु एएहिं सद्धिं मेहुणधम्मं परियारणाए आउट्टाविज्जा पुत्तं खलु सा लभिजा उयस्सि तेयस्सि वचस्सि जसस्सि संपराइयं आलोयणदरसणिज्जं एयप्पगारं निग्घोसं सुच्चा निसम्म तासिं च णं अन्नयरी सड्डी तं तवस्सि भिक्खु मेहुणधम्मपडियारणाए आउट्टाविज्जा, अह भिक्खुणं पु० जं तहप्पगारे सा० उ० नो ठा० ३ बेइज्जा, एवं खलु तस्सः । २९४ ॥ अ० २४० १ ॥ गाहावई नामेगे सुइसमायारा भवंति से भिक्खू य असिणाणए मायसमायारे से तगंधे दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे यावि भवइ, जं पुढं कम्मं तं पच्छा कम्मं जं पच्छा कम्मं तं पुरे कम्मं तं भिक्खुपडियाए वट्टमाणा करिज्जा वा नो करिना वा. अह भिक्खूणं पु० जं तहप्पगारे उ० नो ठाणं० । २९५ । आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावईहिं सद्धिं सं० इह खलु गाहावइस्स अप्पणो सयद्वाए विरूवरूले भोयणजाए उबक्खडिए सिया अह पच्छा भिक्खुपडियाए असणं वा ४ उबक्सडिज वा उवकरिज्ज वा तं च भिक्खू अभिकंखिजा भुत्तए वा पायए वा वियट्टित्तए वा. अह भि० जं नो तह० । २९६ । आयाणमेयं भिक्स्स्स गाहावइणा सद्धिं संवः इह खलु गाहावइम्स अप्पणो सट्टाए विवाई दारुयाई भिन्नपुवाई भवंति अह पच्छा भिक्खुपडियाए विरूवरूबाई दारुयाई मिंदिज वा किणिज्ज वा पामिचेज वा दारुणा वा दारुपरिणामं कट्टु अगणिकार्य उ० प० तत्थ भिक्खु अभिकंखिजा आयावित्तए वा पयावित्तए वा वियट्टित्तएवा, अह भिक्खू जं नो तहप्पगारे० १२९७ से भिक्खू वा उच्चारपासवणेण उच्चाहिजमाणे राओ या बियाले वा गाहावइकुलस्स दुबारबाहं अवंगुणिज्जा, तेणे य तस्संधिचारी अणुपविसिज्जा तस्स भिक्खुस्स नो कप्पड़ एवं इत्तए अयं तेणो पविसइ णो वा पविसइ उवलियइ वा नो वा० आवयद वा नो वा० वयइ वा नो वा० तेण हडं अन्नेण हवं तस्स हढं अन्नस्स हटं अयं तेणे अयं उवचरए अयं हंता अयं इत्थमकासी, तं तबस्स भिक्खु अतेणं तेति मंकइ, अह भिक्खूर्ण पु० जाव नो ठा० । २९८ । से भिक्खु वा से जं० तणपुंजेसु वा पलालपुंजेसु वा सअंडे जाव ससंताणए तहप्पगारे उ० नो ठाणं वा ३ से भिक्खू वा से जं० तणपुं० [पलाल अपडे जान बेइज्जा । २९९ । मे आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा अभिक्खणं साहम्मिएहिं उपयमाणेहिं नो उवइज्जा । ३०० से आगंतारेसु वा ४ जे भयंतारो उडुवद्धियं वा वासावासिय वा कप्पं उवाइणित्ता तत्येव भुजो मंवसंति, अयमाउसो ! कालाइकंतकिरियावि भवति । ३०१। से आगंतारेसु वा ४ जे भयंतारो उद्द० वासा० कप्पं उबाइणावित्ता तं दुगुणा दु (ति) गुणेण वा अपरिहरित्ता तत्थेव भुज्जो, अयमाउसो! उबट्टाणकि० । ३०२ । इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया सड्ढा भवति, तंजहा गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा तेसिं च णं आयारगोयरे नो सुनिसंते भवइ, तं सदहमाणेहिं पत्तियमाणेहिं रोयमाणेहिं बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए समुद्दिस्स तत्थ २ अगारीहि अगाराई बेइयाई भवति, तंजहा आएसणाणि वा आयतणाणि वा देवकुलाणि वा सहाओ वा पवाणि वा पणियगिहाणि वा पणियसालाओ वा जाणगिहाणि वा जाणसालाओ वा सुहाकम्मंताणि वा दम्भकम्मताणि वा के वकयक (प्र० गुलकं० ) इंगालकम्मं० कट्टक० (प्र० वणक०) सुसाणक० सुष्णागारगिरिकंदरसंतिसेोवद्वाणकम्मंताणि वा भवणगिहाणि वा, जे भयंतारो तहष्पगाराई आएसणाणि वा जाव गिहाणि वा तेहि उवयमाणेहिं उपयंति अयमाउसो ! अभिकंतकिरिया यात्रि भवइ । ३०३। इह खलु पाईणं वा जाव रोयमाणेहिं बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणिमए समुद्दिस्स तत्थ तत्थ अगारिहिं आगाराई बेइयाई भवति, तंत्र आएसणाणि जाव भवणगिहाणि वा, जे भयंतारो तह० आएसणाणि जाव गिहाणि वा तेहिं अणोवयमाणेहिं उपयंति अयमाउसो ! अणभितकिरिया यावि भवइ । ३०४ । इह खलु पाई वा ४ जाव कम्मकरीओ या, तेसिं च णं एवं पुत्रं भवइ-जे इमे भवति समणा भगवंतो जाव उवरया मेहुणाओ धम्माओ, नो खलु एएसि भयंताराणं कप्पइ आहाकम्मिए उवस्सए बत्थए, से जाणिमाणि अम्हं अप्पणो सट्टाए चेइयाई भवति, तं० आएसणाणि वा जाव गिहाणि वा, सवाणि नाणि समाणं निसिरामो, अवियाई वयं पच्छा अप्पणो सट्टाए बेइस्सामो तं० आएसणाणि वा जाव०, एयप्पमारं निग्धोस सुब्बा निसम्म जे भयंतारो तहप्प आएसणाणि वा जाव मिहाणि वा उपागच्छति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं ति अथमाउसो वजकिरिया यावि भव । ३०५ । इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइआ सड्ढा भवति, तेसिं च णं आयारगोयरे जाव तं रोयमाणेहिं बहवे समणमाहण जाव वणीमगे पगणिय २ समुद्दिस्स तत्थ २ अगारीहि अगाराई चेयाई भवति तं आएसणाणि वा जाव गिहाणि वा. जे भयंतारी तहप्पगाराई आएसणाणि वा जाव गिहाणि वा उवागच्छति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं अयमाउसो महावज्जकिरिया यावि भवइ । ३०६ इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया जाच तं सदहमाणेहिं तं पत्तियमाणेहिं तं रोयमाणेहिं बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगे पगणिय २ समुद्दिस्त तत्थ २ अगाराई वेइयाई भवति तं० आएसणाणि वा जाय भवणगिहाणि वा. जे भयंतारी तहप्पगाराणि आसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा उवागच्छति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं०, अयमाउसो! सावजकिरिया यावि भवइ । ३०७ । इह खलु पाईणं या ४ जाब तं रोयमाणेहिं एवं समणजायं समुहिस्स तत्थ २ अगारीहिं अगाराई चेइयाई भवन्ति तंत्र आएसणाणि जाव गिहाणि वा महया पुढविकायसमारंभेणं जाव महया तसकायसमारंभेणं महया विरूवरूवेहिं पावकम्मकिचेहिं, तंजहा छायणओ लेवणओ संधारदुवारपिहणओ सीओए वा परबियपुत्रे भवइ अगणिकाए वा उज्जालियपुत्रं भवइ जे भयंतारी तह आएसणाणि वा उवागच्छंति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं दुक्ख ते कम्मं सेवंति, अयमाउसो ! महासावज्जकिरिया यावि भवइ । ३०८। इह खलु पाईणं वा० रोयमाणेहिं (५) २० आचारांग असणं-२ ० मुनि दीपरत्नसागर M Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | अपणो सट्टाए तत्थ २ अगारीहि जाव उज्जालियपुत्रे भवइ, जे भयंतारो तहप्प० आएसणाणि वा उपागच्छति इयराइयरेहिं पाहुडेहिं एगपक्खं ते कम्मं सेवंति, अयमाउसो अप्पसावजकिरिया यावि भवइ ॥ एवं खल तरस० | ३०९ ॥ अ० २३० २ ॥ से य नो सुलभे फासुए उंछे अहेसणिज्जे नो य खलु सुदे इमेहिं पाहुडेहिं, तंजहा छायणाओ ठेवणओ संधारदुवारपिहणओ पिंडवाएसणाओ से य भिक्खु चरियारए ठाणरए निसीहियारए सिज्जासंचारपिंडवाएसणारए, संति भिक्खुणी एवमखाइणो उज्जुया नियागपडिवना अमायं कुवमाणा वियाहिया, संतेगइया पाहुडिया उक्त्तिपुडा भवइ, एवं निक्खित्तपुडा भवइ, परिभाइयपुचा भवइ, परिभुत्तपुडा भवइ, परिद्वबियपुत्रा भवइ, एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरेइ ?, हंता भवइ । ३१०। से भिक्खू वा० से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा खुट्टियाओ खुडदुवारियाओ निययाओ संनिरुद्धाओ भवन्ति, तहप्पगा० उबस्सए राओ वा वियाले वा निक्खममाणे वापः पुरा हत्थेण वा पच्छा पाएण वा तओ संजयामेव निक्खमिज्ज वा २, केवली वूया आयाणमेयं, जे तत्थ समणाण वा माहणाण वा छत्तए वा मत्तए वा दंडए वा लड़िया वा भिसिया वा नालिया वा चेलं वा चिलिमिली वा चम्मए वाचम्मकोस वा चम्मच्छेयणए वा दुब्बद्धे दुनिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले भिक्खु य राओ वा वियाले वा निक्खममाणे वा २ पयलिन वा २, से तत्थ पयलमाणे वा० हत्थं वा० • लूसिज्ज वा पाणाणि वा ४ जाव वचरीविज वा अह भिक्खूर्ण पुत्रोबइ जं तह उवस्सए पुरा हत्थेण निक्ख० वा पच्छा पाएणं तओ संजयामेव नि० पविसिज वा ३११ से आगंतारेसु वा० अणुवीय उवस्सयं जाइजा, जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समहिद्वाए ते उबस्सयं अणुविजा- कामं खलु आउसो ! अहालंदं अहापरिज्ञायं वसिस्सामो जाब आउसंतो! जाव आउसंतस्स उवस्सए जाव साहम्मियाई ततो उवस्सयं गिव्हिस्सामो तेण परं विहरिस्सामो । ३१२ से भिक्खू वा० जस्सुवस्सए संवसिज्जा • तस्स पुवामेव नामगुत्तं जाणिजा, तओ पच्छा तस्स गिहे निमंतेमाणस्स वा अनिमंतेमाणस्स वा असणं वा ४ अफासुर्य जाव नो पडिगाहेज्जा । ३१३ । से भिक्खू वा० से जं० ससागारियं सागणियं सउदयं नो पनस्स निकलमणपबेसाए जाव णुचिंताए तहप्पगारे उवस्सए नो ठा० । ३१४। से भिक्खू वा० से जं० गाहावइकुलस्स मज्झमज्झेणं गंतुं पंथए पडिवद्धं वा नो पन्नस्स जाब चिंताए तह० उ० नो ठा० । ३१५ से भिक्खू वा० से जं० इह खलु गाहावई वा० कम्मकरीओ वा अक्षमन्नं अकोसंति वा जाव उद्दवंति वा नो पन्नस्स०, सेवं नच्चा तहप्पगारे उ० नो ठा० । ३१६। से भिक्खू वा० से जं पुण० इह खलु गाहावई वा कम्मकरीओ वा अन्नमन्नस्स गायं तिलेण वा नव० घ० बसाए वा अभंगति या मक्खति वा नो पण्णस्स जाव तहप्प उव० नो ठा० १३१७७ से भिक्खू वा० से जं पुण० इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ अन्नमन्नस्स गायं सिणाणेण वा क० ० ० प० आघसंति वा पसंति वा उच्चयंति वा उबट्टिति वा नो पन्नस्स० । ३१८। से भिक्खू० से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा इह खलु गादावती वा जाव कम्मकरी वा अण्णमण्णस्स गायं सीओदग० उसिणो० उच्छो पहोयंति सिंचंति सिणावेंति वा नो पन्नस्स जाव नो ठाणं ० । ३१९ । से भिक्खू वा० से जं० इह खलु गोहावई वा जाव कम्मकरीओ वा निमिणा ठिया निगिणा उड़ीणा मेहुणधम्मं विन्नविंति रहस्सियं वा मंतं मंतंति नो पन्नस्स जाव नो ठाणं वा ३ चेइजा । ३२० । सेभिक्खू वा से जं पुण उ० आइनसंलिक्खनो पन्नस्स० । ३२१ । से भिक्खु वा० अभिकलिजा संधारगं एसित्तए से जं० संथारगं जाणिज्जा सअंडं जाव ससंताणयं तहप्पारं संचारं लाभे संते नो पडि० १ ॥ से भिक्खू वा से जं० अप्पट जाव संताणगं गरुपं तहपगारं नो प० २ ॥ से भिक्खू वा० अप्पंडं लडुयं अपाडिहारियं तह० नो प० ३ ॥ से भिक्खु वा अप्पंडं जाव अप्पसंताणगं लहुअं पाडिहारियं नो अहाबद्धं तहप्पगारं लाभे संते नो पडिगाहिज्जा ४॥ से भिक्खू बा २ से जंपुर्ण संधारगं जाणिजा अप्पंडं जाव संताणगं लहुअं पाडिहारिअं अहाचदं तपगारं संधारगं लाभे संते पडिगाहिज्जा ५।३२२ इवेयाई आयतणाई उबाइकम्म अह भिक्खु जाणिज्जा इमाई चउहिं पडिमाहिं संथार एसित, तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा से भिक्खू वा २ उदिसिय २ संघारगं जाइजा, तंजहा इकडं वा कठिणं वा जंतुयं वा परगं वा मोरगं वा तणगं वा सोरगं वा कुर्सी वा कुचगं वा पिप्पलगं वा पलालगं वा, से पुवामेव आलोइजा -आउसोति वा भ० दाहिसि मे इतो अनयरं संचारगे ?, तह० संधारगं सयं वा णं जाइज्जा परो वा देज्जा फासुयं एसणिज्जं जाव पडि०, पढमा पडिमा । ३२३। अहावरा दुब्बा एडिमा से भिक्खू वा० पेहाए संधारगं जाइज्जा, तंजहा -गाहावई वा कम्मकरिं वा से पुत्रामेव आलोइज्जा आउ० भइ० दाहिसि मे०? जाव पडिगाहिज्जा, दुसा पडिमा २॥ अहावरा तथा पडिमा से भिक्खू वा० जस्सुवस्सए संबसिज्जा जे तत्थ अहासमनागए, तंजहा इकडे वा जाब पलाइ वा तस्स लाभे संबसिज्जा तस्सालाभे उक्डए वा नेसज्जिए वा विहरिजा, तथा पडिमा २।३२४५ अहावरा चउत्था पडिमा से भिक्खु वा अहासंघढमेव संथारगं जाइज्जा, तंजहा पुढविसिलं वा कट्टुसिलं वा अहासंथडमेव, तस्स लाभे संते संघसेला तस्स अलाभे उकडुए वा० बिहरिया, चउत्था पडिमा ४ | ३२५ इमेयाणं चउन्हं पडिमाणं अन्नयरं पडिमं पडिपजमाणे तं चैव जाव अन्नोऽन्नसमाहीए एवं चणं विहरति । ६२६ से भिक्खू वा० अभिकंखिज्जा संथारगं पचपिणित्तए, से जं पुण संधारगं जाणिज्जा सअंडं जाव ससंताणयं वहप्प० संधारगं नो पचप्पिणिया । ३२७ से भिक्खू० अभिकंखिज्जा सं० से जं० अप्पडं० तहप्पगारं० संधारगं पडिलेहिय २१०२ आयाविय २ वि णिय २ तओ संजयामेव पच्चपिपिज्जा । ३२८ से भिक्खू पा० समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगामं दूइजमाणे वा पुत्रामेव पन्नस्स उचारपासवण भूमिं पडिलेहिजा केवली वूया आयाणमेयं अपडिलेहियाए उच्चारपासवणभूमीए. सेभिक्खू वा० राओ वा वियाले वा उच्चारपासवणं परिमाणे पयलिन वा २ से तत्थ पयलमाणे वा २ हत्थं वा पायं वा जाव लूसेज वा पाणाणि वा ४ वयरोविजा, अह भिक्खुणं पु० जं पुत्रामेव पन्नस्स उ० भूमिं पडिलेहिज्जा | ३२९| से भिक्खू वा २ अभिकंखिज्जा सिज्जासंथारगभूमि पडिलेहित्तए नन्नत्य आयरिएण वा उ० जाव गणावच्छेयएण वा वालेण वा बुड्ढेण वा सेहेण वा गिलाणेण वा आएसेण वा अंतेण वा मज्झेण वा समेण वा विसमेण वा पाणया निवारण या तो संजयामेव पडिटेडिय २ पमज्जिय २ तओ संजयामेव बहुफासूर्य सिज्जासंथारगं संयरिज्जा । ३३०1 से भिक्खू वा बहु० संपरित्ता अभिकंखिज्जा बहुफासुए सिज्जासंधारए दुरुहित्तए । से भिक्खू बहुः दुरुद्धमाणे पुवामेव सुसीसोवरियं कार्य पाए य पमज्जिय २ तओ संजयामेव बहु० दुरूहिज्जा, तओ संजयामेव बहु० सइज्जा । ३३१ से भिक्खु वा बहु० सयमाणे नो अन्नमन्नस्स हत्थेण हत्थं पाएण पायं कारण कार्य २१ आचारांग असणे - २ मुनि दीपरत्नसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आसाइज्ज्ञा, से अणासायमाणे तओ संजयामेत्र बहु० सइज्जा ॥ से भिक्खू वा उस्सासमाणे वा नीसासमाणे या कासमाणे या छीयमाणे वा जंभायमाणे वा उहोए वा वायनिसम्मगं या करेमाणे पुवामेव आसयं वा पोसयं वा पाणिणा परिपेहित्ता तओ संजयामेव ऊससिज्जा वा जाव वायनसम्गं वा करेज्जा । ३३२ से भिक्खू वा समा वेगया सिज्जा भविज्जा विसमा वेगया मिः पवाया वे निवाया वे ससरखा वे० अप्पससरखा वे सदंसमलगा वेगया अप्प| समसगाः सपरिसाडा वे अपरिसाडा सउवसग्गा वे निरुवसग्गा वे तहष्पगाराहिं सिज्जाहिं संविज्जमाणाहिं पम्महियतरागं विहारं विहरिज्जा, नो किंचिवि गिलाइज्जा एवं खलु जं सबहिं सहिए सया जनित्रेमि । ३३३॥ उ० ३ शय्यैषणाध्ययनं २ ॥ अब्भुवगए खलु वासावा से अभिपबुट्टे बहवे पाणा अभिसंभूया बहवे बीया अहुणोभिन्ना अंतरा से मग्गा बहुपाणा बहुबीया जाय ससंताणगा अणभिकता पंथा नो विज्ञाया मग्गा सेवं नचा नो गामाणुगामं इज्जिज्जा, तओ संजयामेव वासावास उबडिइज्जा । ३३४ से भिक्खु वा से जं गामं वा जाव रायहाणि वा इमंसि खलु गामंसि वा जाब गय० नो महई विहारभूमी नो महई वियारभूमी नो सुलभे पीढफलगमिज्जासंथारगे नो सुलभे फाउंछे अणिज्जे जत्थ बहचे समण वणीमगा उद्यागया उवागमिस्संतिय अच्चाइन्ना वित्ती नो पन्नस्स निक्खमण जाव चिंताए. सेवं नचा तहष्पगारं गामं वा नगरं वा जाव रायहाणि वा नो वासावासं उबहिइज्जा ॥ से भि० से जं० गामं वा जाव राय इमंसि खलु गामंसि वा जाब महई विहारभूमी महई वियार सुलभे जस्थ पीढ ४ सुलभे फा० नो जन्थ बहवे समण उवागमिस्संति वा अप्पाइन्ना वित्ती जाब रायहाणि वा तओ संजयामेव वासावासं उबहिइज्जा । ३३५॥ अह पुणेवं जाणिज्जा- चत्तारि मासा वासावासाणं वीइकंता हेमंताण य पंचदसरायकप्पे परिवृसिए अंतरा से मग्गे बहुपाणा जाव संसंताणगा नो जत्थ बहवे जाव उवागमिस्संति, सेवं नचा नो गामागामं इज्जिज्जा. अह पुणेवं जाणिज्जा चत्तारि मासाः कप्पे परिवृसिए अंतरा से मगे अप्पंडा जाव ससंताणगा बहवे जत्थ समणः उवागमिस्संति, सेवं नच्चा तओ संजयामेव इजिना । ३३६ । से भिक्खू वा गामाणुगामं इमाणे पुरओ जुगमायाए (प्रः जुगमायं) पेहमाणे दट्टूण तसे पाणे उडड्डु पादं रीइज्जा साहद्दु पायं रीइज्जा वितिरिच्छं वा कट्टु पायं रीइज्जा, सइ परकमे मंजयामेव परिकमिज्जा, नो उज्जयं गच्छिज्जा तत्र संजयामेव गामाणुगामं इज्जिज्जा ।। से भिक्खू वा गामा दुइज्जमाणे अंतरा से पाणाणि वा बी हरि० उदए वा मट्टिआ वा अविदत्थे सइ परकमे जाव नो उज्जुयं गच्छिज्जा, तओ संजया० गामा० दूइज्जिज्जा । ३३७ से भिक्खु वा गामा दृइज्जमाणे अंतरा से विरूवरूपाणि पञ्चतिगाणि दस्सुगाययणाणि मिलक्लूणि अणायरियाणि दुस्सन्नप्पाणि दुप्पन्न वणिज्जाणि अकालपडिबोहीणि अकालपरिभोईणि सइ टाढे विहाराए संघरमाणेहिं जणवएहिं नो बिहारखडियाएं (प्र०वत्तियाए) पवज्जिज्जा गमणाए, केवली वूया आयाणमेयं, ते णं बाला अयं तेणे अयं उवचरए अयं ततो आगएनिकट्टु तं भिक्खु अकोसिज्ज वा जाव उदविज्ज वा वत्थं प० के० पायः अच्छिदिज्ज वा भिंदिन वा अवहरिज्ज वा परिहविज्ज वा. अह भिक्खुणं पु० जं तहप्पगाराई विरुः पचतियाणि दस्सुगा जाब बिहारबत्तियाए नो पवज्जिज्ज वा गमणाए, तओ संजया० गा० दू० ३३८ा से भिक्खू० दूइज्जमाणे अंतरा से अरायाणि वा गणरायाणि वा ज्वरायाणि वा दोरज्जाणि या बेरज्जाणि वा विरुद्धरज्जाणिवा सइ लाटे विहाराए संथ जणः नो विहारखडियाए० केवली च्या आयाणमेयं, ते णं बाला तं चैव जाव गमणाए तओ सं० गा० दू० । ३३९ । से भिक्खू वा गा० दुइज्जमाणे अंतरा से विहंसिया से जं पुण विहं जाणिज्जा एगाहेण वा दुआहेण निआहेण वा चउआहेण वा पंचाहेण वा पाउणिवा नो पाउणिज्ज वा तहृप्पगारं विहं अणेगाहगमणिज्जं सइ लाढे जाव गमणाए, केवली वूया आयाणमेयं, अंतरा से वासे सिया पाणेसु वा पणएस वा बीएस वा हरि० उदः मट्टियाए वा अविद्धस्थाए, अह भिक्खु जं तह अणेगाह० जाव नो पत्रः, तत्र सं०गा० दू० । ३४० । से भि० गामा दुइज्जिज्जा अंतरा से नावासंतारिमे उदए सिया, से जं पूर्ण नावं जाणिज्जा असंजए अ भिक्खुपडियाए किणिज्ज वा पामिचेज वा नावाए वा नावं परिणामं कट्टु थलाओ वा नावं जलंसि ओगाहिज्जा जलाओ वा नावं थलंसि उकसिज्जा पुष्णं वा नावं उस्सिचिव सन्नं वा नावं उप्पीलाविज्जा तहप्पगारं नावं उढगामिणि वा अहेगा० तिरियगामिः परं जोयणमेराए अबजोयणमेराए अप्पतरे वा भुज्जतरे वा नो दूरुहिजा गमणाए । से भिक्खू वा० पुवामेव तिरिच्छपाइमं नावं जाणिज्जा, जाणित्ता से तमायाए एतमवक मिज्जा २ भण्डगं पडिलेहिज्जा २ एगओ भोयणभंडगं करिज्जा २ ससीसोवरियं कार्य पाए पमज्जिज्जा सागारं भत्तं पञ्चक्वाइला एगं पायं जले किया एवं पायें चले किया तओ सं० नावं दुरूहिज्जा । ३४१ । से भिक्खू बा= नावं दुरूहमाणे नो नावाओ पुरओ दुरूहिजा नो नावाओ मग्गओ दुरूहिजा नो नावाओ मज्झओ दुरूहिज्जा नो बाहाओ पगिज्झिय २ अंगुलियाए उद्दिसिय २ ओणमिय २ उन्नमिय २ निज्झाइज्जा, से णं परो नावागओ नात्रागयं वइज्जा आउसंतो! समणा एवं ता तुमं नावं उक्कसाहि वा वृकसाहि या खिवाहि वा रज्ज्याए वा गहाय आकसाहि नो से तं परिन्नं परिजाणिज्जा, तुसिणीओ उवेहिज्जा से णं परो नावागओ नावाग० वइ० आउसं० ! नो संचाएसि तुमं नाव उक्कसित्तए वा ३ रज्जूयाए वा गहाय आकसित्तए वा. आहर एवं नावाए रज्जूयं सयं चैव णं वयं नावं उक्कसिस्सामो वा जाय रज्जूए वा गहाय आकसिस्सामो, नो से तं प० तुसि० । से णं पत्र आउस० एवं ना तुमं नाव आलितेण वा पीढएण वा वंसेण वा वलएण वा अवमुएण वा वाहेहि, नो से तंप० तुसि० । से णं परो० एवं ता तुमं नावाए उदयं हत्थेण वा पाएण वा मत्तेण वा पडिग्गहेण वा नावा उस्सित्रणेण वा उस्सिचाहि, नो सेतं, से णं परो० समणा! एवं तुमं नावाए उत्तिगं हत्थेण वा पाएण वा बाहुणा या ऊरुणा या उदरेण वा सीसेण वा कारण वा उस्सिंचणेण वा चेलेण वा महियाए वा कुमपत्तएण वा कुविंदएण वा पिहेहि नो से तं०. से भिक्खू वा २ नावाए उत्तिगेण उदयं आसवमाणं पेहाए उवरुवरिं नावं कज्जलाचेमाणि पेहाए नो परं उपसंकमित्तु एवं बूया आउसंतो! गाहावई एयं ते नावाए उदयं उत्तिगेण आसवइ उवरुवरिं नावा वा कज्जलावेइ. एयप्पगारं मणं वा वाय या नो पुरओ कट्टु विहरिजा, अप्पुस्तुए अबहिडेसे एगंतगएण अप्पाणं विउसेज्जा समाहीए, तओ सं० नावासंतारिमे य उदए आहारियं रीइज्जा, एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सबङ्केहिं सहितेहि एवं खलु सया जइज्जासित्तित्रेमि । ३४२ ॥ अ०३ उ० १ ॥ से णं परी णावा० आउसंतो! सभणा एवं ता तुमं छत्तगं वा जाव चम्मछेयणगं वा गिण्हाहि, एयाणि तुमं विरूवरूवाणि सत्थजायाणि धारेहि एवं ता तुमं दारगं वा पज्जेहि, २२ आचारांग अरायण- ३ मुनि दीपरत्नसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MARRARVARDADARSHRAMMART94294872248399043594BHARASIN2043393342073KARANS-450% नो से तं०1३४३। से णं परो नावागए नावागयं वइज्जा-आउसंतो! एस णं समणे नावाए भंडभारिए भवइ, से णं बाहाए गहाय नावाओ उदगंसि पक्खिविज्जा, एयप्पगारं निग्धोसं सुचा निसम्म से य चीवरधारी सिया खिप्पामेव चीवराणि उज्वेदिज्ज वा निवेढिज्ज वा उप्फेसं वा करिज्जा, अह० अभिकतकूरकम्म्मा खलु बाला बाहाहिं गहाय ना० पक्खिबिज्जा से पुवामेव वइज्जा-आउसंतो! गाहावई मा मेत्तो बाहाए गहाय नावाओ उदगंसि पक्खिवह, सयं चेव णं अहं नाबाओ उदगंसि ओगाहिस्सामि, सेणेवं वयंत परो सहसा बलसा बाहाहिं ग० पक्खिविज्जा तं नो सुमणे सिया नो दुम्मणे सिया नो उचावयं मणं नियंछिज्जा नो तेसिं बालाणं घायाए वहाए समुट्टिज्जा अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ सं० उदगंसि पविजा।३४४ा से भिक्खू वा उदगंसि पबमाणे नो हत्येण हत्थं पाएण पायं काएण कार्य आसाइज्जा, से अणासायणाए अणासायमाणे तओ सं० उदगंसि पविजा ॥ से भिक्खू वा उदगंसि पत्रमाणे नो उम्मुग्गनिमुग्गियं करिज्जा, मामेयं उदगं कनेसु वा अच्छीसु वा नकंसि वा मुहंसि वा परियावजिज्जा, तओ संजयामेव उदगंसि पबिज्जा ॥ से भिक्खू वा उदगंसि पवमाणे दुचलियं पाउणिज्जा खिप्पामेव उबहिं विगिचिज वा विसोहिज वा, नो चेव णं साइजिजा, अह पु० पारए सिया उदगाओ तीरं पाउणित्तए, तओ संजयामेव उदउडेण वा ससिणिद्वेण वा काएण उदगतीरे चिट्ठिज्जा ॥ से भिक्खू वा० उदउलं बा २ कायं नो आमजिज्जा वा णो पमग्जिजा वा संलिहिज्जा वा निहिहिजा या उबलिज्जा वा उच्चट्टिज्जा वा आयाविज्ज वा पया०, अह पु० विगओदओ मे काए छिन्चसिणेहे काए तहप्पगारं कायं आमज्जिज वा पयाविज या तओ सं० गामा० दुइज्जिजा।३४५॥ से भिक्ख वा गामाणुगाम दूइज्जमाणे नो परहि सद्धि परिजविय २गामा दुइ०, तओ० सं० गामा० दूद।३४६ास भिक्खू वा गामा दु० अंतरा में जंघासंतारिमे उदगे सिया, सं पुवामव ससीसावरियं कायं पाए य पमजिज्जा २ एगं पायं जले किचा एगं पायं थले किचा तओ सं० उदगंसि आहारियं रीएज्जा ॥ से भि० आहारियं रीयमाणे नो हत्येण इत्वं जाव अणासायमाणे तओ संजयामेव जंघासंतारिम उदए अहारियं रीज्जा ॥से भिक्खू बा. जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीयमाणे नो सायावडियाए नो परिदाहवडियाए महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसिज्जा, तओ संजयामेव जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीएजा, अह पुण एवं जाणिज्जा पारए सिया उदगाओ तीरं पाउणित्तए, तओ संजयामेव उदउण वा २काएण दगतीरए चिट्ठिज्जा। समि० उदउहं वा कार्य ससी कायं नो आमजिज बाना अह पु० विगओ पयाविज वा तओ सं० गामा दुइ०३४७१ से भिक्खू बागामा० दूइज्जमाणे नो मट्टियागएहिं पाएहिं हरियाणि छिदिय २ विकुन्जिय २ विफालिय २ उम्मग्गेण हरियवहाए गच्छिज्जा, जमेयं पाएहिं मट्टियं खिप्पामेव हरियाणि अवहरंतु, माइहाणं संफासे, नो एवं करिजा, से पुषामेव अप्पहरियं मग्गं पडिले हिज्जा तओ० सं० गामा०॥ से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से वप्पाणि वा फ० पा० तो० अ० अम्गलपासमाणि वा गडाओ बा दरीओ वा सइ परकम संजयामेव परिकमिज्जा, नो उजु०, केवली०, से तत्थ परकममाणे पयलिन वा २, से तत्थ पयलमाणे वा २ रुक्खाणि वा गुच्छाणि वा गुम्माणि वा लयाओ वा बढीओ या तणाणि वा गहणाणि वा हरियाणि वा अवलंबिय २ उत्तरिज्जा, जे तत्थ पाडिपहिया उवागच्छंति ते पाणी जाइज्जा२ तओ सं० अवलंबिय २ उत्तरिज्जा, तओ सं० गामा० दू०॥ से भिक्खू वा० गा० इज्जमाणे अंतरा से जवसाणि वा सगडाणि वा रहाणि वा सचकाणि वा परचक्काणि वा सेणं वा विरूवरूवं संनिरुद्धं पेहाए सइ परक्कमे सं० नो उ०, से णं परो सेणागओ वइज्जा-आउसंतो! एस णं समणे सेणाए अभिनिवारियं करेइ, से गं बाहाए गहाय आगसह, से णं परो बाहाहिं गहाय | आगसिज्जा, तं नो सुमणे सिया जाच समाहीए, तओ सं० गामा० दू०।३४८ा से भिक्खू वा० गामा० दुइज्जमाणे अंतरा से पाडिवहिया उवागच्छिज्जा, ते णं पाडिवहिया एवं वइज्जा-आउ० समणा! केवइए एस गामे वा जाव रायहाणी वा केवइया इत्य आसा हत्थी गामपिंडोलगा मणुस्सा परिवसंति ? से बहुभत्ते बहुउदए चहुजणे बहुजबसे से अप्पभत्ते अप्पुदए अप्पजणे अप्पजवसे?, एयप्पगाराणि पसिणाणि (नो.) पुच्छिज्जा. एयप्पा पुट्टो वा अपुट्टो वा नो वागरिजा, एवं खलु जं सबहिं ।३४९॥अ०३ उ०२॥ से भिक्खू वा गामा० दूइज्जमाणे अंतरा से वष्पाणि वा जाव दरीओ वा जाव कूडागाराणि वा पासायाणि या नूमगिहाणि वा रुकूखगिहाणि वा पञ्चयगिक रुक्खं वा चेइयकडं थूभं वा चइयकर्ट आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा नो वाहाओ पगिज्झिय २ अंगुलिआए उद्दिसिय २ आणमिय २ उन्नमिय २ निझाइज्जा, तओ सं० गामा०॥से भिक्खू वा० गामा० दू०माणे अंतरा से कच्छाणि वा दवियाणि वा नूमाणि वा वलयाणि या गहणाणि या गहणविदुम्माणि वा वणाणि वा वणवि० पञ्चयाणि वा पञ्चयवि० अगडाणि वा तलागाणि या दहाणि वा नईओवा याचीओवा पक्वरिणीओ वा दीहियाओ वा गंजा| लियाओ वा सराणि वा सरपंतियाओ वा सरसरपंतियाओवा नो बाहाओ पगिज्झिय २ जाच निज्झाइजा, केवली, जे तत्थ मिगा वा पसू या पंखी वा सरीसिवा वा सीहा वा जलचरा वा थलचरा वा खहचरा या सत्ता ते उत्तसिज्ज वा वित्तसिज वा वार्ड वा सरणं वा कखिज्जा चारित्ति मे अयं समणे, अह भिक्खूणं पु० जनो चाहाओ पगिज्झिय २ निज्झाइज्जा, तओ संजयामेव आयरियउवज्झाएहिं सद्धिं गामाणुगामं दूइजिज्जा ।३५० । से भिक्खू वा २ आयरिउक्ज्झा गामा० नो आयरियउवज्झायस्स हत्थेण वा हत्यं जाब अणासायमाणे तओ संजयामेव आयरिउ० सदि जाव दूइजिज्जा॥ से भिक्खू वा आय० सदि दूइज्जमाणे अंतरा से पाडिवहिया उवागच्छिज्जा, ते णं पा० एवं वइज्जा-आउसंतो! समणा' के नुम्भे? कओवा एह ? कहिं वा गच्छिहिह ?, जे तस्थ आयरिए वा उवज्झाए वा से भासिज्ज वा चियागरिज वा, आयरिउबज्झायस्स भासमाणस्स वा वियागरेमाणस्स बानो अंतरा भासं करिज्जा, तओ० सं० आहाराइणिए वा दूइज्जिण्जा ॥ से भिक्खू वा आहाराइणियं गामा० दूनो राइणियस्स हत्येण हत्यं जाव अणासायमाणे तओ सं० आहाराइणियं गामा दु०॥ से भिक्खू वा २ आहाराइणिअंगामाणुगाम दुइज्जमाणे अंतरा से पाडिबहिया उवागच्छिज्जा, ते णं पाडिवहिया एवं वइज्जा-आउसंतो समणा ! के तुम्भे?, जे तत्थ सवराइणिए से भासिज्ज वा वागरिज वा, राइणियस्स भासमाणस्म वा नो अंतरा भासं भासिज्जा, तओ संजयामेव आहाराइणियाए गामाणुगामं दुइजिजा। ३५१। से भिक्खू वा दूइज्जमाणे अंतरा से पाढिबहिया उवागच्छिज्जा, ते णं पा० एवं वइज्जा-आउ० स०! अवियाई इत्तो पडिवहे पासह, तं०-मणुस्सं वा गोणं वा महिसं वा पखं २३ आचारांग-अन्arapur-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | वा पक्खि वा सरीसिवा जलयर वा से आइक्खह दंसेह, तं नो आइक्खिजा नो दंसिज्जा, नो तस्स तं परिन्नं परिजाणिजा, तुसिणीए उवेहिजा, जाणं वा नोजाणंति बइज्जा, तओ सं० गामा दृ० ॥ से भिक्खु वा गा० दू० अंतरा से पाडि० उबा०. ते णं पा० एवं बइज्जा आउसं०! अवियाई इत्तो पडिवहे पासह उदगपस्याणि कंदाणि वा मूलाणि वा तथा पत्ता पुष्फा फला बीया हरिया उदगं वा संनिहियं अगणि वा संनिक्खित्तं से आइकखह जाय दुईजिजा ॥ से भिक्खु वा गामा इजमाणे अंतरा से पाडि उदा० ते णं पाडि० एवं आउ० स० अवियाई इत्ती पडिवहे पासह जवसाणिवा जाब सेणं वा विरुवरुयं संनिविहं से आइक्खह जाव इजिज्जा ॥ से भिक्खू वा गामा० दृइज्जमाणे अंतरा पा० जाव आउ० स० केवइए इत्तो गामे वा जाब रायहाणी वा से आइक्स जाव इज्जिज्जा से भिक्खू या २ गामाणुगामं दुइजेज्जा. अंतरा से पाडिपहिया आउसंतो समणा! केवइए इत्तो गामस्स वा नगरस्स यो जाव राहाणीए वा मग्गे से आइकखह तहेब जाव दृइजिज्जा । ३५२ से भिक्खू० गा० दृ० अंतरा से गोणं वियालं पडिवह पेहाए जाव चिनचिडं वियालं प० पेहाए नो नेमि भीओ उम्मयोगं गच्छा नो मग्गाओ उम्म संकमिज्जा नौ ग्रहणं वा वर्ण वा दुग्गं वा अणुपविसिद्धा नो रुकुखंसि दुरुहिज्जा नो महइमहाय्यंसि उदयंसि कार्य विटसिजा नो वार्ड वा सरणं वा सेणं वा सत्यं वा कंखिजा अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ संजयामेत्र गामाणुगाम दृइजिज्ञा। से भिक्खु गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से विहं सिया, से जं पुण विहं जाणिजा इमंसि खलु विहंसि बहवे आमासगा उवगरणपडियाए संपिंडिया गच्छिज्जा, नो तेसि भीओ उम्मग्गेण गच्छिजा जाब समाहीए नओ संजयामेव गामाशुगामं दृइवेज्जा । ३५३ से भिक्खू बा० गा० दू० अंतरा से आमोसगा संपिंडिया गच्छिज्जा. ते णं आ० एवं वइज्ना आउ० स० आहर एवं वत्थं वा ४ देहि निक्खिवाहि तं नो दिज्जा निक्विबिज्जा, नो बंदिय २ जाइज्जा, नो अंजलि कट्टु जाइज्जा, नो कटुणपडियाए जाइज्जा. धम्मियाए जायणाए जाइज्जा, तुसिणीयभावेण वा०. ते णं आमोसगा सयं करणिज्जंतिकट्टु अक्कोसंति वा जाब उदयिति वा वत्थं वा ४ अच्छिदिज्ज वा जाव परिविज या तं नो गामसंसारियं कुज्जा, नो रायसंसारियं कुज्जा, नो परं उवसंकमित्त बूया आउसंतो ! गाहावई एए खलु आमोसमा उवगरणपडियाए सयं करणिज्जंतिकट्टु अक्कोसंति वा जाव परिवति वा एयपगारं मणं वा वा वा नो पुरओ कट्ट् विहरिना. अप्पुस्सुए जाव समाहीए तओ संजयामेव गामा दुइ० ॥ एवं खलु सया जइ० । ३५४ | उ० ३ ईयाध्ययनं ३ ॥ से भिक्खु वा २ इमाई व्यायाराई सुच्चा निसम्म इमाई अणायाराई अणायरियपुवाई जाणिज्जा जे काहा वा वायं विउंजति जे माणा वा० जे मायाए वा० जे लोभा वा वायं विउंजति जाणओ वा फरुसं वयंति अजाणओ वा फ० स चेयं सावज्जं वज्जिज्जा विवेगमायाए. धुवं चेयं जाणिवा अधुवं चेयं जाणिज्जा असणं वा ४ लभिय नो लभिय भुंजिय नो भुंजिय अदुवा आगओ अदुवा नो आगओ अदुवा एइ अदुवा नो एइ अदुवा एहिइ अदुवा नो एहिइ इत्यवि आगए इत्थवि नो आगए इत्थवि एइ इत्थवि नो एति इत्यवि एहिति इत्थविनो एहिति. अणुबीइ निट्टाभासी समियाए संजए भासं भासिज्जा, तंजहा एगवयणं १ दुवयणं २ बहुवः ३ इत्थि० ४ पुरि० ५ नपुंसगवयणं ६ अज्झत्थव० ७ उवणीयवयणं ८ अवणीयत्रयणं ९ उवणीय अवणी १० अवणीयडवणीयव० ११ तीयवः १२ पड़प्पन्नवः १३ अणागयव० १४ पञ्चकखवयणं १५ परुकखव० १६, से एगवयणं वइस्सामीति एगवयणं वइजा जाव परुक्खवयणं वइस्सामीति परुक्खवयणं वइज्जा, इत्थी बेस पुरिसो बेस नपुंसगं वेस एयं वा चेयं अन्नं वा चेयं अणुवीइ निद्वाभासी समियाए संजए भासं भासिज्जा. इथेयाई आययणाई उपातिकम्म। अह भिक्खू जाणिजा चत्तारि भासज्जायाई, तंजहा सबमेगं पढमं भासज्जायं १ बीयं मोसं २ तईयं सच्चामोस ३ जं नैव सच्च नेव मोसं नेव सचामोसं असचामोसं नाम तं चउत्थं भासजायं ४ ॥ से बेमि जे अईया जे य पड़प्पन्ना जे अणागया अरहंता भगवंतो सवे ते एयाणि चैव चत्तारि भासजायाई भासिंसु वा भासंति वा भामिस्संति वा पक्षविसु वा ३, सङ्घाई चणं एयाई अचित्ताणि वण्णमंवाणि गंधमंताणि रसमंताणि फासमंताणि चओवचइयाई विष्परिणामधम्माई भवतीति अक्खायाई । ३५५ । से भिक्खू बा से जं पुण जाणिवा पुत्रं भासा अभामा भासिजमाणी भासा भासा भासासमयवीइकंता च णं भासिया भासा अभासा ॥ से भिक्खु वा से जं पुण जाणिज्जा जा य भासा सच्चा १ जा य भासा मोसा २ जा य भासा सामोसा ३ जा य भासा असच्चामोसा ४. तहप्पगारं भासं सावज्जं सकिरियं कक्कसं कडुयं निट्टरं फस्सं अण्यकरिं छेयणकरिं भेयणकरिं परियात्रणकरिं उद्दवणकरं भूओवघाइयं अभिकख नो भासिज्जा ॥ से भिक्खु वा भिक्खुणी वा से जं पुण जाणिज्जा, जा य भासा सच्चा सुद्दमा जाय भासा असच्चामोसा तदप्यगारं भासं असायचं जाव अभूओवघाइयं अभिकंख भासं भासिज्जा । ३५६ । से भिक्खू वा पुमं आमंतेमाणे आमंतिए वा अपडिसुणेमाणे नो एवं बइजा होलित्ति वा गोलित्ति वा वसुलेति वा कुपक्खेत्ति वा घडदासित्ति वा सात्ति वा तेणित्ति वा चारिएत्ति वा माइति वा मुसावाइति वा, एयाइं तुमं ते जणगा था, एअप्पगारं भासं सावज्जं सकिरियं जाव भूओवघाइयं अभिकख नो भासिञ्जा ॥ से भिक्खू वा० पृमं आमंतेमाणे आमंतिए वा अप्पडिसुणेमाणे एवं वइज्जा- अमुगेइ वा आउसोत्ति वा आउसंतारोत्ति वा सावगेत्ति वा उवासगेत्ति वा धम्मिएत्ति वा धम्मपिएत्ति वा एयपगार भासं असावलं जाव अभिकख भासिज्जा ॥ से भिक्खु वा २ इत्थि आमंतेमाणे आमंतिए य अप्पडिसुणेमाणे नो एवं वइज्जा-होलीइ वा गोठीति वा इत्थीगमेण नेयां ॥ से भिक्खू वा २ इत्थि आमंतेमाणे आमंतिए य अप्पडिसुणेमाणिं एवं वइज्जा आउसोन्ति वा भइणित्ति वा भोइति वा भगवईनि वा साविगेति वा उवासिएत्ति वा धम्मिएत्ति वा धम्मप्पिएत्ति वा एयप्यगारं भासं असावलं जाव अभिकंस भासिजा । ३५७ । से भि० नो एवं वइज्जा नभोदेवित्ति वा गज्जदेवित्ति वा विज्जुदेवित्ति वा पदे० निदेवित्त वा पडवा वासं मा वा पडउ निप्फज्जउ वा सस्तं मा वा नि० विभाउ वा रयणी मा वा विभाउ उदेउ वा सूरिए मा वा उदेउ सो वा राया जयउ वा मा जयउ, नो एयप्पगारं भासं भासिज्जा पन्नवं ॥ से भिक्खू वा २ अंतलिक्खेत्ति वा गुज्झाणुचरिएत्ति वा समुच्छिए वा निवइए या पओ बइज्जा वुढबलाहगेत्ति वा एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामम्मियं जं सबहिं समिए सहिए सया जइज्जासित्तियेमि । ३५८ ॥ अ० ४३०१ ॥ से भिक्खू या जहा वेगइयाई रुवाई पासिज्जा तहावि ताई नो एवं वइज्जा, तंजहा गंडीं गंडीति वा कुट्टी कुट्टीति वा जाब मधुमेहुणीति वा इत्यच्छिन्नं हत्यच्छित्ति वा एवं पायच्छिन्नेति वा नकडिष्णे वा कष्णलिने वा उछिन्नेति बा, जे यावन्ने तहष्पगारा एयप्पगाराद्दि भासाहिं बुइया २ कुप्पंति माणवा ते यावि तहृप्पगाराहिं भासाहिं अभिकंख नो भासिज्जा से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रुवाई पासिज्जा तहावि ताई एवं बइज्जा-तंजड़ा-ओयंसी (६) २४ आचारांग अन्सयर्ग-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओयंसित्ति वा तेयंसी तेयंसीति वा जसंसी जसंसीइ वा बच्च॑सी वचसीइ वा अभिरूयंसी २ पडिरूवंसी २ पासाइयं २ दरिसणिज्जं दरिसणीयन्ति वा, जे यावने तहप्पगारा तहप्पगाराहिं भासाहिं बुइया २ नो कुप्पति माणवा ते यावि तहप्पगाराहिं भासाहिं अभिकख भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रुवाई पासिज्जा, तंजहा वप्पाणि वा जाव गिहाणि या तहावि ताई नो एवं वइज्जा, तंजा-सुकडेइ वा सुडुकडेइ वा साहुकडेइ वा कलाणेइ वा करणिज्जेइ वा एयप्पगारं भासं सावज्लं जाव नो भामिज्जा ॥ से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रुबाई पासिज्जा, तंजहा- वप्पाणि वा जाव गिहाणि वा तदावि ताई एवं वइज्जा, तंजहा आरंभकडेइ वा सावज्जकडेइ वा पयत्तकडेइ वा पासाइयं पामाइए वा दरिमणीयं दरिसणीयनि वा अभिरुवं अभिवंति वा पडिरुवं पडिरूवंति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिजा । ३५९। से भिक्खु वा २ असणं वा० उबक्खडियं तहाविहं नो एवं बज्जा, नं०-सुकडेति सुटुकडेइ वा साहुकडेइ वा कलाणेइ वा करणिज्जेइ वा एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खु वा २ असणं वा ४ उवक्खडियं पेहाए एवं वडज्जा. नं०- आरंभकडेनि वा सावज्जकडेति वा पयत्तकडे वा भयं भदेति वा ऊसदं ऊसदेइ वा रसियं २ मणुनं २ एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिज्जा । ३६० । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा मणुस्सं वा गोणं वा महिसं वा मिगं वा पहुं वा पक्खि वा सरीसिवं वा जलचरं वा सेत्तं परिवृढकार्यं पेहाए नो एवं वइज्जा-धूलेइ वा पमेइलेइ वा वट्टेइ वा बज्झेइ वा पाइमेइ वा, एयप्पारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा मणुस्सं वा जाब जलयरं वा सेत्तं परिवृढकार्य पेहाए एवं वइज्जा परिवृढकाएत्ति वा उवचियकाएत्ति वा थिरसंघयणेत्ति वा चियमंससोणिएनि वा बहुपडिनइदिएत्ति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिज्जा ॥ से भिक्खु वा २ विरूवरूवाओ गाओ पेहाए नो एवं बइज्जा, तंजहा गाओ दुज्झाओत्ति वा दम्मेति वा गोरहति वा वाहिमत्ति वा रहजोग्गन्ति वा एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा ॥ से भि० विरूवरूवाओ गाओ पेहाए एवं वइज्जा, तंजहा- जुवंगवित्ति वा घेणुत्ति वा रसवइति वा हस् वा महलेइ वा महवएइ वा संवहणित्ति वा एअप्पगारं भासं असावज्जं जाव अभिकख भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा० तहेव गंतुमज्जाणाई पवयाई वणाणि वा रुक्खा मह पेहाए नो एवं वइज्जा, तं०-पासायजोग्गाति वा तोरणजोगाइ वा गिजोग्गाइ वा फलिहजो ० अग्गलजो० नावाजो० उदग० दोणजो० पीढचंगबेरनंगलकुलियजंतलडीनाभिगंडी आसणजो० सयणजाणवस्मयजोगाई वा एयप्पगारं० नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा तहेव गंतु० एवं वइज्जा, तंजहा- जाइमंताइ वा दीहवट्टाइ वा महालयाइ वा पयायमालाइ वा विडिमसालाइ वा पासाइयाइ वा जाव पडिरूवाति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिया ॥ से भि० बहुसंभृया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइज्जा, तंजहा पकाइ वा पायखज्जाइ वा वेलोइयाइ वा टालाइ वा वेहियाइ वा एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू० बहुसंभ्या वणफला अंबा पेहाए एवं वइज्जा, तं० असंथडाइ वा बहुनिवट्टिमफलाइ वा बहुसंभूयाइ वा भूयरुचित्ति वा एयप्पगारं भा० असा० ॥ से० बहुसंभूया ओसही पेहाए तहावि ताओ न एवं वइज्जा तं० पक्काइ वा नीलियाइ वा छवीइयाइ वा लाइमाइ वा भज्जिमाइ वा बहुखज्वाइ वा एयप्पगा॰ नो भासिज्जा ॥ से० बहु० पेहाए तहावि एवं वइज्जा, तं० रूढाइ वा बहुसंभृयाइ वा थिराइ वा ऊसढाइ वा गब्भियाइ वा पसूयाइ वा ससाराइ वा एयप्पा भासं असावं जाव भासि० । ३६१ । से भिक्खू वा० तहप्पगाराई सहाई सुणिज्जा तहावि एयाई नो एवं वइज्जा, तंजहा- सुसदेति वा दुसदेत्ति वा एयप्पगारं भासं सावज्जं नो भासिना ।। से भि० तहावि ताई एवं वइज्जा, तंजहा सुसहं सुसदित्ति वा दुसरं दुसदित्ति वा एयप्पगारं असावज्जं जाव भासिज्जा, एवं रुवाई किण्टेत्ति वा ५ गंधाई सुरभिगंधित्ति वा २ रसाई तित्ताणि वा ५ फासाई कक्खडाणि वा ८।३६२ से भिक्खू वा० वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च अणुवीइ निट्टाभासी निसम्मभासी अतुरियभासी विवेगभासी समियाए संजए भासं भासिज्जा ॥ एवं खलु० सया जइ० त्तित्रेमि । ३६३॥ उ० २ भाषाध्ययनं ४ ॥ से भि० अभिकंखिज्जा वत्थं एसित्तए से जं पुण वत्थं जाणिज्जा. तंजहा जंगियं वा भंगियं वा साणियं वा पोत वा खोमियं वा तूलकडं वा, तहप्पगारं वत्यं वा जे निग्गंथे तरुणे जुगवं बलवं अप्पायंके थिरसंघयणे से एगं वत्थं धारिज्जा, नो बीयं. जा निम्गंधी सा चत्तारि संघाडीओ घारिज्जा, एगं दुहत्थवित्थारं दो तिहत्थवित्थाराओ एवं चउहत्यवित्थारं, तहप्पगारेहिं वत्थेहिं असंधिजमाणेहिं, अह पच्छा एगमेगं संसिविज्जा । ३६४ । से भि० परं अद्धजोयणमेराए वत्थपडिया० नो अभिसंधारिज गमणाए । ३६५। से भि० से जं० अस्सिपडियाए एवं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई जहा पिंडेसणाए भाणियां ॥ एवं बहवे साहम्मिया एगं साहम्मिणि बहवे साहम्मिणीओ बहवे समणमाहण० तहेब पुरिसंतरकडा जहा पिंडेसणाए । ३६६। से भि० से जं० असंजए भिक्खुपडियाए कीयं वा धोयं वा रक्तं वा घट्ट वा महं वा संमई वा सं पधूमियं वा तहप्पारं वत्थं अपुरिसंतरकडं जाव नो०, अह पु० पुरिसं० जाव पडिगाहिजा । ३६७। से भिक्खु वा २ से जाई पुण बत्थाई जाणिज्जा विरूवरूवाई महदणमुहाई नं०आइणगाणि वा सहिणाणि वा सहिणकाडाणाणि वा आयाणि वा कायाणि वा खोमियाणि वा दुगुडाणि वा पट्टाणि वा मलयाणि वा पशुनाणि वा अंसुयाणि वा चीर्णसुयाणि वा देसरा२५ आचारांग अन्याय - मुनि दीपरत्नसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाणि वा अमियाणि वा गजफराणि वा फालियाणि या कोयवाणि वा कंबलगाणि वा पावराणि वा, अन्नयराणि वा तह वत्थाई महदणमुहाई लाभे संते नो पडिगाहिजा॥से भिक आइण्णपाउरणाणि वस्थाणि जाणिजा, तं०- उदाणि वा पेसाणि या पेसलाणि वा किण्हभिगाइणगाणि वा नीलभिगाइणगाणि या गोरमि० कणगाणि वा कणगकंताणि वा कणगपट्टाणि वा कणगवइयाणि या कणगफुसियाणि वा यग्याणि वा विवग्याणि वा[चिगाणि] आभरणाणि वा आभरणविचित्ताणि या, अन्नयराणि तह आइणपाउरणाणि वस्थाणि लाभे संते नो. 1३६८। इचेइयाई आयतणाई उबाइकम्म अह भिक्खू जाणिज्जा चउहि पडिमाहिं वत्थं एसित्तए, तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा, से भि०२ उद्देसिय बत्थं जाइजा, नं:-जंगियं वा जाव तृलकडं वा, तह वत्थं सयं वा णं जाइजा, परो फासुयं० पडि०, पढमा पडिमा १। अहावरा दुचा पडिमा-से भि० पहाए पत्थं जाइजा गाहापाई या कम्मकरी वा. से पचामेव आलोडजा-आउसोत्ति वा २ दाहिसि मे इत्तो अन्नयरं वत्थं?, तहप्प बत्थं सयं वा परो फासुयं एस-लाभे० पडि०, दुचा पडिमा२। अहाक्रा तथा पडिमा-से भिक्खू वा० से जं पुण नं०-अंतरिजं वा उत्तरिज वा तहप्पगारं वत्थं सयं० पडि०, तचा पडिमा ३।अहावरा चउत्था पडिमा-से० उज्झियधम्मियं वत्थं जाइजाजं चऽन्ने बहवे समणवणीमगा नावकंखंति तहप्प उज्झियबत्थं सयं० परो० फासुयं जाव प०, चउत्था पडिमा ४॥ इचेयाणं चउण्हं पडिमाणं जहा पिंडेसणाए। सिया णं एताए एसणाए एसमाणं परो वइजा-आउसंतो ममणा ! इजाहि तुमं मासेण वा दसराएण वा पंचराएण वा सुते सुततरे वा तो ते वयं अन्नयरं वत्थं दाहामो, एयप्पगारं निग्योसं सुचा नि० से पुछामेव आलोइजा-आउमोत्ति वा!२नो खलु मे कप्पड एयप्पगारं संगारं पडिसुणित्तए, अभिकखसि में दाउं इयाणिमेव दलयाहि, सेणेवं वयंतं परो वइजा-आउ० स०! अणुगच्छाहि तो ते वयं अन्न वत्थं दाहामो. से पुवामेव आलोइज्जा-आउसोति! वा२नो खलु मे कप्पइ संगारवयणे पडिसुणित्तए०,से सेवं वयंत परो णेया वइज्जा-आउसोत्ति वा भइणिनि वा! आहरेयं वत्यं समणस्स दाहामो, अवियाई वयं पच्छावि अप्पणो सयट्ठाए पाणाई ४ समारंभ समुहिस्स जाच चेइस्सामो, एयप्पगारं निग्धोसं सुच्चा निसम्म तहप्पगारं वत्यं अफासुअंजाब नो पडिगाहिजा ॥ मिआ णं पगे नेता बइजा-आउसोति! वा २ आहर एयं वत्थं सिणाणेण वा ४ आघंसित्ता वा प० समणस्स णं दाहामो, एयप्पगारं निग्घोसं सुच्चा नि:से पुकामेव आउ० भ० मा एयं तुम वत्थं सिणाणेण वा जाब पघंसाहिवा, अभि० एमेव दलयाहि, से सेवं वयंतस्स परो सिणाणेण वा पघंसित्ता दलहजा तहप्प० वत्थं अफा० नो प० ॥ से णं परो नेता वइज्जा.भ.! आहर एवं वत्थं सीओदगवियडेण वा २ उच्छोलेता वा पहोलेत्ता वा समणस्स णं दाहामो०, एयं निग्धोसं० तहेव नवरं मा एयं तुमं वत्थं सीओदग० उसि० उच्छोलेहि वा पहोलेहि वा, अभिकखसि सेसं तहेव जाव नो पडिगाहिजा॥ से णं परो ने० आ० भ०! आहरेयं बत्थं कंदाणि वा जाव हरियाणि वा विसोहित्ता समणस्स णं दाहामो, एवं निग्घोसं तहेव, नवरं | मा एयाणि तुमं कंदाणि वा जाब विसोहेहि, नो खल मे कप्पइ एयप्पगारे बत्थे पडिग्गाहित्तए, से सेवं वयंतस्स परो जाय विसोहित्ता दलइज्जा तहप्प० वत्थं अफासु नोप०॥ सिया से परो नेता वत्थं निसिरिज्जा, से पुवा० आ० भ०! तुम चेव णं संतियं वत्थं अंतोअंतेणं पडिलेहिजिस्सामि, केवली वृया-आ०, वत्यंतेण बढे सिया कुंडले वा गुणे वा हिरण्णे वा सुवणे वा मणी वा जाव रयणावली वा पाणे वा बीए वा हरिए वा, अह भिक्खूणं पु० जं पुवामेव वत्थं अंतोअंतेण पडिलेहिजा॥३६९॥ से भि० से जं सर्ड० ससंताणं तहप्प० वत्थं अफा नो प०॥से भि० से जं अप्पंडं जाव संताणगं अनलं अधिरं अधुर्व अधारणिज्जं रोइज्जतं न रुच्चइ तह. अफानो प०॥ से भि से जं० अप्पंडं जाव संताणगं अलं थिरं धुर्व धारणिज रोइज्जतं रुचइ तह० वत्थं फासु० पडि० ॥ से भि० नो नवए मे वत्थेत्तिकद्दु नो बहुदेसिएण सिणाणेण वा जाव पसिज्जा ॥ से भि० नो नवए मे वत्थेत्तिक१ नो बहुदे०. सीओदगवियडेण वा २ जाव पहोइज्जा॥से भिक्खू वा २ दुग्भिगंधे मे वत्यित्तिकद्दु नो बहु० सिणाणेण तहेव बहुसीओ० उस्सि० आलावओ।३७०।से भिक्खू वा० अभिकंखिज्ज वत्थं आयावित्तए वा प०,तहप्पगारं वत्थं नो अणंतरहियाए जाव पुढवीए संताणए आयाविज्ज बा प०॥से मि० अभिवत्वं आ०प० त०वत्थं थूर्णसि वा गिहेलुगंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा अन्नयरे तहप्पगारे अंतलिक्वजाए दुब्बडे दुनिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले नो आoनो प०॥ से भिक्खू वा० अभि• आयावित्तए वा० तह वत्थं कुकियंसि वा मित्तंसि वा सिलंसि वा लेलुसि वा अन्नयरे वा तह अंतलि. जाव नो आयाविज्ज वा प० ॥ से भि० वत्थं आया०प० तह वत्थं खंधसि वा मं०मा० पासाह० अन्नयरे वा तह अंतलिक नो आयाविज वा प० ॥ से तमायाए एगतमवक्कमिजा २ अहे झामथंडिल्डंसि वा जाव अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय २ पमज्जिय २ तओ सं० वत्थं आयाविज्ज वा पया०, एयं खलु० सया जइज्जासित्तिवेमि । ३७१॥ अ०५ उ०१॥ से भिक्खू वा० अहेसणिज्जाइं वत्थाई जाइज्जा अहापरिग्गहियाई वत्थाई धारिज्जा नो धोइज्जा नो रएजा नो धोयरत्ताई वत्थाई पारिजा अपलिउंचमाणो गामंतरेसु० ओमचेलिए, एयं खलु वत्थधारिस्स सामग्गिय । से भि० गाहावइकुलं पविसिउकामे सर्व चीवरमायाए २६ आचारांगं- अन्सा मुनि दीपरत्नसागर 23-458984RYAKASHARABARIMARY2-20NBARRAND98234RRORRBARANA263980 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उन गाहावइकुलं निक्खमिज्ज वा पविसिज्ज या, एवं बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमिं वा० गामाणुगामं वा दूइज्जिज्जा, अह पु० तिवदेसियं वा वासं वासमाणं पेहाए जहा पिंडेसणाए नवरं सर्व्वं चीवरमायाए । ३७२ । से एगइओ महत्तगं २ पाडिहारियं वत्थं जाइजा जाव एगाहेण वा दु० ति० चउ० पंचाहेण वा विप्पवसिय २ उवागच्छिज्जा, नो तह वत्थं अपणो गिव्हिज्जा नो अन्नमन्नस्स दिज्जा, नो पामिचं कुज्जा, नो वत्थेण वत्थपरिमाणं करिज्जा, नो परं उवसंकमित्ता एवं बइज्जा आउ० समणा! अभिकंखसि वत्थं धारितए वा परिहरित्तए वा ?, थिरं वा संतं नो पलिच्छिदिय २ परिहविज्जा, तहप्पगारं वत्थं ससंधियं वत्थं तस्स चैव निसिरिज्जा नो णं साइज्जिज्जा ॥ से एगइओ एयप्पगारं निग्घोसं सुच्चा निः जे भयंतारो तहप्पगाराणि वत्थाणि ससंधियाणि महत्तगं २ जाव एगाहेण वा ५ विप्पवसिय २ उवागच्छंति तह वा वत्थाणि नो अप्पणा गिव्हंति नो अन्नमन्नस्स दलयंति तं चैव जाव नो साइज्जति, बहुवयणेण भाणियां, से हंता अहमवि मुहुत्तगं पाडिहारियं वत्थं जाइत्ता जाव एगाहेण वा ५ विष्पवसिय २ उवागच्छिस्सामि, अवियाई एवं ममेव सिया, माइट्टा संफासे, नो एवं करिज्जा ।३७३ । से भि० नो वण्णमंताई वत्थाई विवण्णाई करिज्जा विवण्णाई न वण्णमंताई करिज्जा, अन्नं वा वत्थं लभिस्सामित्तिकट्टु नो अन्नमन्नस्स दिजा. नो पामिचं कुज्जा, नो बत्थेण वत्थपरिणामं कुज्जा, नो परं उवसंकमित्तु एवं वदेज्जा आउसो ० ! समभिकखसि मे वत्थं धारितए वा परिहरित्तए वा ?, थिरं वा संतं नो पलिच्छिदिय २ परिहविज्जा, जहा मेयं वत्थं पावगं परो मन्नइ, परं च णं अदत्तहारी पडिपडे पेहाए तस्स वत्थस्स नियाणाय नो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छिजा, जाव अप्पस्सुए०, तओ संजयामेव गामाणुगामं दृइज्जिज्जा ॥ से भिक्खू वा० गामाणुगामं दृइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया, से जं पुण विहं जाणिज्जा इमंसि खलु विहंसि बहवे आमोसगा वत्थपडियाए संपिंडिया गच्छेज्जा, णो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा जाव गामा० दृइज्जेज्जा ॥ से भि० दृइज्जमाणे अंतरा से आमोसगा पडियागच्छेज्जा, ते णं आमोसगा एवं वदेज्जा आउसं० ! आहरेयं वत्थं देहि णिक्खिवाहि जहा रियाए णाणत्तं वत्थपडियाए, एयं खलु० सया जइज्जासित्तिषेमि । ३७४ । उ० २ वस्त्रेपणाध्ययनं ५ ॥ से भिक्खू वा अभिकंखिज्जा पायं एसित्तए, से जं पुण पादं जाणिज्जा, तंजहा अलाउयपायं वा दारुपायं वा मट्टियापायं वा, तहप्पगारं पायं जे निग्गंथे तरुणे जाव थिरसंघयणे से एगं पायं धारिया नो विइयं ॥ से भि० परं अदजोय मेराए पायपडियाए नो अभिसंधारिज्जा गमणाए । से भि० से जं० अस्सि पडियाए एवं साहम्मियं समुद्दिस्म पाणाई ४ जहा पिंडेसणाए चत्तारि आलावगा, पंचमे बहवे समणः पणिय २ तहेव ॥ से भिक्खू वा अस्संजए भिक्खुपडियाए बहवे समणमाहण० वत्थेसणाऽऽलावओ ॥ से भिक्खू वा से जाई पुण पायाइं जाणिज्जा विरूवरूवाई महद्धमुहाई तं० अयपायाणि वा तउपाया० तंत्रपाया० सीसगपा हिरण्णपा० सुवण्णपा० रीरिअपाया० हारपुडपा० मणिकायकंसपाया० संखसिंगपा० दंतपा० चेलपा. सेलपा० चम्मपा० अमराई वा तह विरूवरूवाई महदणमुहाई पायाइं अफासुयाई नो० ॥ से भि० से जाई पुण पाया० विरूव० महदणबंधणाई, तं० अयबंधणाणि वा जाव चम्मबंधणाणि वा, अन्नयराई तहप्पः महदणबंधणाई अफा० नो प० ॥ इवेयाई आयतणाई उवाइकम्म अह भिक्खू जाणिज्जा चउहिं पडिमाहिं पायं एसित्तए तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा से भिक्खू० उदिसिय २ पायं जाइज्जा, तंजहा- अलाउयपायं वा ३ तह० पायं सयं वा णं जाइजा जाव पंडि०, पढमा पडिमा १ अहावरा ० से० पेहाए पायं जाइज्जा, तं०-गाहाबई वा कम्मकरी वा से पुवामेव आलोइज्जा आउ० भ० ! दाहिसि मे इत्तो अन्नयरं पादं, तं० लाउयपायं वा ३, तह० पायं सयं वा जाव पडि०, दुच्चा पडिमा २। अहा से भि० से जं पुण पायं जाणिज्जा संगइयं वा वेजइयंतियं वा तहप्प० पायं सयं वा जाव पडि०, तच्चा पडिमा ३। अहावरा चउत्था पडिमा से भि० उज्झियधम्मियं जाएजा जं चने बहवे समणा जाव नावकखति तह ० जाएजा जाव पडि०, चउत्था पडिमा ४ । इबेइयाणं चउण्डं पडिमाणं अन्नयरं पडिमं जहा पिंडेसणाए ॥ से णं एयाए एसणाए एसमाणं पासित्ता परो वइज्जा आउ० स० एज्जासि तुम मासेण वा जहा वत्थेसणाए, से णं परो नेता ब०आ० भ० ! आहर एवं पायं तिलेण वा घ० नव० बसाए वा अभंगित्ता वा तहेव सिणाणादी तहेब सीओदगाई कंदाई तहेब ॥ से परो ने० आउ० स० ! मुहत्तगं २ जाव अच्छाहि ताव अम्हे असणं वा उबकरेंसु वा उवक्खंडेंसु वा, तो ते वयं आउसो ०! सपाणं सभोयणं पडिम्ाहं दाहामो, तुच्छए पडिग्गहे दिने समणस्स नो खुद्द साहु भवइ, से पुवामेव आलोइज्जा आउ० भइ० ! नो खलु मे कप्पइ आहाकम्मिए असणे वा ४ भुत्तए वा० मा उनकरेहि मा उवक्खडेहि, अभिकंखसि मे दाउँ एमेव दलयाहि, से सेवं वयंतस्स परो असणं वा ४ उवकरिता उवक्खडित्ता सपाणं सभोयणं पडिग्गहगं दलइज्जा तह० पडिग्गहगं अफासूर्य जाव नो पडिगाहिज्जा । सिया से परो उबणित्ता डिग्गहगं निसिरिजा से पुत्रामे० आउ० भ० ! तुमं चेव णं संतियं पडिग्गहगं अंतोअंतेणं पडिलेहिस्सामि केवली० आयाण०, अंतो पडिग्गहगंसि पाणाणि वा बीया० हरि०, अह भिक्खूणं पृ० जं पुषामेव पडिमाहगं अंतोअंतेणं पडि० सअंडाई सबे आलावगा भाणियचा जहा वत्थेसणाए, नाणत्तं विद्वेण वा घय० नव० बसाए वा सिणाणादी जाव अन्नयरंसि वा २७ आचारांग असणं- 5 मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 89334389224398445313145884422036034552845078858920-30GARR8491440294ROKARANSKENCE तहप्पगा० धंडिलंमि पडिहिय २ पम०२ तओ संज. आमजिज्जा, एवं खलु० सया जएज्जानियेमि।३७५॥ अ०६ उ०१॥से भिक्खू वा २ गाहावइकुलं पिंड० पविढे समाणे पुवामेव पेहाए पडिगहगं अबहडू पाणे पमज्जिय स्यं तओ सं० गाहावई० पिंड निकख० प०. केवली.. आउ०! अंता पडिग्गहर्गसि पाणे वा वीए वा हरि० परियावजिजा. अह भिवणं पुजं पजामेव पेहाए पडिमाहं अवहट्टु पाणे पमजिय रयं तओ सं० गाहावइ निक्खमिज वा२।३७६। से भि० जाच समाणे मिया से परो आहट्ट अंता पडिग्गहगंमि सीआदगं परिभाइत्ता नीहट्ट दलबजा. तहप्प० पडिमाहगं परहत्थंसि वा परपायंसि वा अफासुयं जाय नो प०, से य आहच पडिग्गहिए सिया बिप्पामेव उदगंमि मारिजा, से पडिगहमायाए पाणं परिविज्जा समिणिवाए या भूमीए नियमिजा।। से० उदउई वा ससिणिद्धं वा पडिग्गहं नो आमजिज वा २ अह पुत्र विगओदए में परिगहए छिनमिणेहे तह पडिग्गहं० तओ० सं० आमजिज या जाच पयाविज वा। से मि० गाहा पविसिउकामे पडिग्गहमायाए गाहा पिंड- पविमिज्ज या नि०, एवं बहिया वियारभूमी विहारभूमी वा गामा० दृइजिजा. निश्चदेसीयाए जहा चिढ्याए बत्थेसणाए नवरं इत्थ पडिग्गहे, एयं खलु तम्स०जं सब हिं सहिए मया जएजासितिमि।३७७॥ उ०२पावैपणाध्ययनं ६॥समणे भविम्मामि अणगारे अकिंचणे अपुने अपर परदनभोई पावं कम्मं नो करिस्सामित्ति समुट्ठाए सवं भंते! अदिन्नादाणं पञ्चक्खामि, से अणुपविसित्ता गामं या जाब रायहाणि वा नेव सयं अदिनं गिहिजा नेवऽनेहिं अदिनं गिहाविजा अदिनं गिणहंतेचि अन्ने न समणुजाणिज्जा, जेहिंवि सद्धि संपवइए तसिपि जाई उत्तगं या जाच चम्मयणगं बा तेसि पुधामेव उग्गहं अणणुचविय अपडिरहियर अपजियनो उम्मिण्डिज वा परिगिहिज वा, तेसिं पुत्वामेव उम्गहं जाना अणनविय पडिलेडिय पमजियनओ सं० उग्गिहिज वा पा३७८से भिः आर्गनारेमु वा ४ अणुवीइ उम्गई जाइजा. जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समहिट्ठए ने उग्गहं अणुनविजा-कामं चलु आउसो० अहालंदं अहापरिन्नायं यमामो जाव आउसो: जाब आउर्मतस्म उग्गहंजाब साहम्मिया एइ तावं उम्महे उग्गिहिस्सामो, तेण परं विहरिस्सामो॥ से किं पुण?. तन्धोग्गहंसि एचोग्राहियंसि जे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुन्ना उवागच्छिज्जा जे नेण सयममित्तए असणे या ४ नेण ने साहम्मिया ३ उपनिमंतिजा, नो चेच णं परवाडियाए ओगिज्झिय २ उपनि।३७५ से आगंतारेसु वा ४ जाय से कि पुण?.नन्थोग्गहंसि एवोग्राहियंसि जे तत्य साहम्मिा अन्नसंभोइआ समणुन्ना उबागच्छिज्जा जे तेण सयमसिनए पीढ वा फलए या सिज्जा या संथारए वा नेण ने साहम्मिए अन्नसंभोइए समणुन्ने उवनिमंतिजा, नो चेव णं परवडियाए ओगिज्झिय उवनिमंतिजा॥ से आगंतारेसु वा ४ जाव से किं पुण ? नन्थुग्गहंसि एवोग्गहियमि जे तस्थ गाहावईण या गाहा पुनाण वा सई वा पिप्पराए वा कण्णमोहणए वा नहच्छ्यणए वा तं अप्पणा एगस्स अट्टाए पाडिहारियं जाइना नो अन्नमन्नस्स दिज वा अणपहज वा वा. मयंकगणिजतिकट्ट से तमायाए तन्य ग- 13 च्छिज्जा३ पुत्रामेव उत्ताणए हत्थे कट्ठ भूमीए वा ठविना इमं खलु २त्ति आलोइजा, नो चेवणं सयं पाणिणा परपाणिसि पचप्पिणिजा।३८० से भिक से जं उग्गरं जाणिज्जा अणंतगहयाए पुढवाए जाव संताणए तह उग्गहना गाण्हज्जा वा२॥स भिब्स जं पूण उम्गहं थणास वा ४ तह अंतलिस्वजाए दबदे जाव नो उग्गिहिजा वा २॥ से भि में जंकलियंसि वा ४ जाव नो उग्गिव्हिज वा२॥ से भि० खंधसि वा ४ अन्नयरे वा नह० जाय नो उम्गहं उम्गिहिज नो पन्नम्स नियमणपवेम जाव धम्माणुओगचिंताए, सेवं नचा तह उबस्सए ससागारिएनो उवग्गहं उगिहिज्जा वा२॥ से भि० से जं० गाहावइकुलम्म मामझेणं गर्नु पथे पडिबदं वा नो पन्नस्म जाव सेवं न० ॥ में भि० से जइह खलु गाहाबई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नमन्नं अक्कोमंनि वा तहेव तिड़ादि मिणाणादि सीओदगवियडादि निगिणाइ वा जहा सिजाए आलावगा, नवरं उम्गहवत्तवया ॥ से भि० से जं. आइन्नसंलिक्खे नो पन्नस्स उम्मिण्डिज वा २.एयं खलु ॥३८१॥ अ०७उ०१॥ से आगंतारेसु वा ४ अणुचीइ उग्गहं जाइजा, जे तत्थ ईसरे ने उम्गहं अणुन्नविज्जा कामं खलु आउसो! अहालंद अहापरिन्नायं वमामो जाच आउसो ! जाब आउसंतस्म उग्गहे जाप साहम्मिआए ताय उम्गहं उम्गिहिम्सामो, नेण परं वि०, से किं पुण?, तत्थ उग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ समणाण वा माह छत्तए वा जाव चम्मछेदणए वा तं नो अंनोहितो चाहिं नीणिज्जा पहियाओ वा नो अंतो पविमिजा, सुनं या नो पडियोहिज्जा, नो तेमिं किंचिवि अप्पत्तियं परिणीय करिजा। ३८२। से भि० अभिकंखिज्जा अंबवणं उवागछिलए जे तत्थ ईसरे २ने उग्गह अणुजाणाविजा काम खल जाव विहरिस्मामो, से कि पुण एवोग्गहियंसि० अह भिक्खू इच्छिज्जा अंबं भुत्तए वा से जं पुण अंचं जाणिज्जा सोंडं ससंताणं तह अंचं अफानो पः। से भि से जं. अपंड अप्पसंताणगं अतिरिच्छच्छिन्नं अवोच्छिन्नं अफासुयं जाव नो पडिगाहिजा ॥ से भि से जं. अप्पड वा जाच संताणगं तिरिच्छच्छिन्नं वृच्छिन्नं फा० पडिल॥ से भि अवभित्तगं या अंबपेमियं वा अंबचोयगं वा अंबसालगं वा अंबडालगं वा भुत्तए वा पायए या, से जं० अंबभिनगं वा ५सअंडं अफानो पडि०॥ से भिक्खू वा २ से जं. अंबं वा अंचभित्तगंवा अपंड अतिरिच्छच्छिन्नं २ अफानो प०॥से ज० अंबडालगं वा अप्पड ५तिरिच्छच्छिन्नं वृच्छिन्नं फासुयं पहि०॥ से भि० अभिकंखिजा उच्छवणं उवागच्छित्तए.(७) २८ आचारांग-60-9 मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० 1 जे तत्थ ईसरे जाव उग्गहंसि० ॥ अह भिक्खू इच्छिला उच्छ्रं भुत्तए वा पा०, से जं० उच्छं जाणिज्जा सअंडं जाव नो प०, अतिरिच्छच्छिन्नं तहेव, तिरिच्छच्छिलेऽवि तहे ॥ से भिन् अभिकंखि० अंतरुच्छ्रयं वा उच्छुगंडियं वा उच्छुच्चोयगं वा उच्छुसा० उच्छुडा० भुत्तए वा पाय०, से जं पु० अंतरुच्छ्रयं वा जाव डालगं वा सअंडं० नो प० ॥ से भि० से जं० अंतरुच्छ्रयं वा० अप्पंडं वा० जाव पडि०, अतिरिच्छच्छिनं तहेव ॥ से भि० ल्हसणवणं उवागच्छित्तए, तहेब तिनिवि जलावगा, नवरं हसणं ॥ से भि० सहसुणं वा ल्हमुणकंदं वा ल्ह चोय वा रहसुणनालग वा भुत्तए वा २ से जं० लसुणं वा जाव लसुणचीयं वा सअंडं जाब नो प०, एवं अतिरिच्छच्छिन्नेऽचि तिरिच्छच्छिने जाव प०। ३८३ । से भि० आर्गतारेसु वा ४ जावोग्गहियंसि, जे तत्य गाहावईणं वा गाहा पुत्ताण वा इचेयाई आयतणाई उचाइकम्म अह भिक्खू जाणिज्जा, इमाहिं सत्तहिं पडिमाहिं उम्महं उग्गिण्डित्तए तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा से आगंवारेसु वा ४ अणुवीइ उग्गहं जाइज्जा जाव विहरिस्सामो, पढमा पडिमा १ अहावरा० जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च स अन्नेसिं भिक्खूर्ण अट्टाए उग्गह उग्गहस्सामि, असं भिक्खूणं उग्गहे उम्गहिए उवहिस्सामि, दुच्चा पडिमा २। अहावरा० जस्स णं भि० अहं च० उग्मिहिस्सामि अन्नेसिं च उम्महे उम्गहिए नो उबह्निस्सामि, तथा पडिमा ३। अहावरा ० जस्स णं भि० अहं च० नो उम्महं उग्मिहिस्सामि, अन्नेसिं च उग्गद्दे उग्गहिए उबहिस्सामि चउत्था पडिमा ३ अहावरा० जस्स गं० अहं च खलु अप्पणी अट्ठाए उग्गहं च उ०, नो दुहं नो तिन्हं नो चउन्हं नो पंचव्हं, पंचमा पडिमा ५। अहावरा से भि० जस्स एवं उग्गहे उबलिइज्जा जे तत्थ अहासमन्नागए इकडे वा जाव पलाले तस्स लाभे संवसिज्या, तस्स अलाभे उकुदुओ वा नेसज्जिओ वा विहरिज्जा, छट्टा पडिमा ६ । अहावरा स० जे भि० अहासंथडमेव उमाहं जाइजा, तंजहा- पुढविसिलं वा कट्टसिलं वा अहासंथडमेव तस्स लाभे संते०, तस्स अलाभे उ० ने० विहरिजा, सत्तमा पडिमा ७। इचेयासिं सत्तण्डं पडिमाणं अन्नयरं जहा पिंडेसणा । ३८४ । सुयं मे आउसंतेर्ण भगवया एवमक्यायं इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं पंचविहे उग्गहे पन्नत्ते, तं० देविंदउग्गहे १ रायउग्गहे २ गाहावइउग्गहे ३ सागारियउग्गहे ४ साइम्मियउग्गहे ५, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं । ३८५ ॥ उ० २ अवग्रहाध्ययनं ७ चूलिका १ से भिक्खु वा० अभिकंजा ठाणं ठाइत्तए से अणुपविसिज्जा गामं वा जाव रायहाणि वा, से जं पुण ठाणं जाणिज्जासअंडं जाव मकडासंताणयं तं तह० ठाणं अफासूर्य अणेस लाभे संते नो प०, एवं सिजागमेण नेयचं जाव उदयपस्याइति ॥ इथेयाई आयतणाई उवाइकम्म २ अह भिक्खू इच्छि उहिं पडिमाहिं ठाणं ठाइत्तए, तत्यिमा पढमा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जिज्जा अवलंबिज्जा कारण विप्परिकम्माइ (म्मिज्जा) सवियारं ठाणं ठाइस्सामि, पढमा पडिमा । अहावरा दुच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेज्जा अवलंबिज्ञा कारण विप्परिकम्माइ नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामि, दुखा पडिमा । जावरा तच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेज्जा अवलंबिजा नो कारण विपरिकम्माई नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामित्ति, तथा पडिमा अहावरा चउत्था पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेज्जा नो अवलंचिज्जा काएण नो परकम्माई नो सवियारं ठाणं ठाइस्वामित्ति बोसकाए बोसकेसमंमुलोमनहे संनिरुद्धं वा ठाणं ठाइस्सामित्ति, चउत्था पडिमा इथेयासिं चउन्हं पडिमाणं जाव पग्महियतरायं विहरिज्जा, नो किंचिवि वजा एवं खलु तस्स० जाव जइज्जासित्तित्रेमि । ३८६ । स्थानसप्तसप्तकं १ (८) ॥ से भिक्खू वा २ अभिकं निसीहियं फासूयं गमणाए, से पुण निसीहियं जाणिवा सअंडं० तह० अफा० नो इस्सामि ॥ से भिक्खू० अभिकंखेजा निसीहियं गमणाए, से पुण नि० अप्पपाणं अप्पवीर्य जाव संताणयं तह निसीहियं फामुयं चेइस्सामि, एवं सिज्जागमेणं नेयवं जाव उदयप्पस्याई ॥ जे तत्थ दुबग्गा तिवग्गा चउवग्गा पंचवग्गा वा अभिसंधारिति निसीहियं गमणाए ते नो अन्नमन्नस्स कार्य आलिंगिज्ज वा विलिंगिज वा चुंचिज वा दंतेहिं वा नहिं या अच्छिंदिन वा बुच्छि०, एयं खलु० जं सङ्घद्वेहिं सहिए समिए सया जज्जा, सेयमिण मनिज्जासित्तित्रेमि । ३८७ ॥ नैषेधिकीसप्तसप्तकं २ (९) ॥ से भि० उच्चारपासवण किरियाए उच्चाहिज्जमाणे सस्स पायपुंछणस्स असईए तओ पच्छा साहम्मियं जाइज्जा ॥ से भि० से जं पु० थंडिलं जाणिज्जा सअंडं० तह० थंडिलंसि नो उच्चारपासवर्ण वोसिरिज्जा ॥ से भि० जं पुण थं० अप्पपाणं जाव संताणयं तह० थं० उच्चा० वोसिरिज्जा ॥ से भि० से जं० अस्सिपडियाए एवं साहम्मियं समुद्दिस्स वा अस्सि० बहवे साहम्मिया स० अस्सि प० एवं साहम्मिणि स० [अस्सिप बहवे साहम्मिणीओ स० अस्सि बहवे समण पगणिय २ समु० पाणाई ४ जाव उद्देसियं चेएइ, तह. थंडिल पुरिसंतरकडं जाव बहिया नीहढं वा अनी० अन्नयरंसि वा तहष्पगारंसि थं० उच्चारं नो वोसि० ॥ से भि० से जं० बहवे समणमा० समुद्दिस्स पाणाई भ्याई जीवाई सत्ताई जाव उद्देसियं चेएइ, तह० थंडिलं पुरिसंतरगडं जाव बहिया अनीहडं अन्नयरंसि वा तह० थंडिसि नो उच्चारपासवण०, अह पुण एवं जाणिज्जा- अपुरिसंतरगडं जाव बहिया नीहडं अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थं० उच्चार० वोसि० ॥ से० जं० अस्सिपडियाए कयं वा कारियं वा पामिचियं वा छन्नं वा घट्ट वा महं वा लित्तं वा संम वा संपधूवियं वा अन्नयरंसि वा तह० थंडि० नो उ० ॥ से भि० से जं पुण थं० जाणेज्जा, इह खलु २९ आचारांग असणे- १० मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPCLASPSNASEEMBPRMSPIRARIPASPRINCPRAISIPOMISHRSRIYCLOPENSENSPIRAISPESABPOONAMOHTOSH गाहावई वा गाहावइपुत्ता वा कंदाणि वा जाब हरियाणि वा अंतराओ वा बाहिं नीहरंति पहियाओ वा अंतो साहरंति अन्नयरंसि वा तह० ० नो उच्चा०॥से भि० से जं पुण जाणेज्जा-संधसि वा पीढ़सि वा मंचंसि वा मासि वा (प० हम्मियतलंसि चा अट्टालसि वा) अट्टसि वा पासायंसि वा अन्नयरंसि वा० ५० नो उ० ॥ से भि० से जं पुण अणंतरहियाए पुढबीए ससिणिहाए पु० ससरक्खाए पु० मट्टियाए मक्कडाए (प० मट्टियाकम्मकडाए) चित्तमंताए सिलाए चित्तमंताए लेलुयाए कोलावासंसि वा दारुयंसि वा जीवपइडियंसि वा जाय मकडासंताणयंसि अन्न तह ५० नो उ०।३८८। से भि० से जं० जाणे-इह खलु गाहावई वा गाहावइपुत्ता वा कंदाणि वा जाव चीयाणि वा परिसाडिति वा परिसाडिस्संति वा अन्न तह नो उ०॥ से भि० से जं. इह खलु गाहावई बा गा० पुत्ता वा सालीणि वा वीहीणि वा मुग्गाणि वा मासाणि वा तिलाणि या कुलत्थाणि वा जवाणि या जवजवाणि वा परिसुवा परिति वा पइरिस्संति वा अन्नयरंसि वा तह थंडिल नो उ०॥ से भि०२ जं. आमोयाणि वा घासाणि या मिलुयाणि पा विजुलयाणि वा खाणुयाणि वा कडयाणि वा पगडाणि वा दरीणि वा पदुग्गाणि वा समाणि वा २ अन्नयरंसि तह नो उ०॥से भिक्खू० से जं० पुण थंडिई जाणिजा माणुसरंधणाणि वा महिसकरणाणि वा वसहक अस्सक गायक कबिजलकरणाणि वा अजयरंसि वा तह नो उ०॥ से ज० जाणे बेहाणसट्ठाणेसु वा गिदपट्टठा वातरुपढणट्टाणेसु वा मेरुपडणठा विसभक्खणयठा० अगणिपडणट्टा० अजयरसि वा तह० नो उ०॥से भिसे जं० आरामाणि वा उजाणाणि वा वणाणि वा वणसंडाणि वा देवकलाणि माणि या पवाणि वा अन्न तह ना उ० ॥ स भिक्खूरसे जं पुण जा० अट्टालयाणि वाचरियाणि वा दाराणि वा गोपुराणि वा अन्नयरंसि वा तह०० नो 30॥से भि० से जं. जाणे तिगाणि वा चउकाणि वा चचराणि या चउम्महाणि वा अन्नयरंसि वा तह नो उ०॥ से भि० से जंजाणे० इंगालदाहेस वा खा. मडयचेइएसु वा अन्नयरंसि वा तह०५० नो उ०॥ से जं जाणे० नइयायतणेसु वा पंकाययणेसु वा ओघाययणेसु वा सेयणवहंसि या अन्नयरंसि वा तह ५० नो उ०॥ से भिसे जं जाणे-नवियासु वा मट्टियखाणिआसु नवियासु गोप्पहेलियासु वा गवाणीसु वा खाणीसु वा अन्नयरंसि वा तह. थं० नो उ० ॥ से जं जा डागवचंसि वा सागव० मूलग हत्थंकरखचंसि वा अन्नयरंसि वा तह नो उ०॥ से भि० से ज० असणवणंसि वा सणव० धायइव० केयइवणंसि वा अंबव० असोगव नागव० पुन्नागव० चुड़गव० अन्नयरेसु नह पत्तोबेएसु वा पुष्फोवेएसु वा फलोवेएसु वा पीओवेएसु वा हरिओएसु वा नो उ०।३८५। से भि० सयपाययं वा परपाययं वा गहाय सेतमायाए एगतमवकमे अणावायंसि असंलोयंसि अप्पपाणमि जाय मकडासंताणयसि अहारामंसि या उपस्सयंसि तओ संजयामेव उच्चारपासवणं बोसिरिजा, से तमायाए एगंतमवक्कमे अणावाहंसि जाव संताणयंसि अहारामंसि वा झा-' मथंडिलंसि वा अन्नयरंसि वा तहडिइंसि अचित्तसितओ संजयामेच उच्चारपासवणं योसिरिज्जा, एयं खलु तस्स० सया जइजासित्तिमि।३९०। उच्चारप्रश्रवणसप्तसमकं ३(१०)॥ से भि० मुइंगसहाणि वा नंदीस० झाडरीस० अन्नयराणि वा तह विरुवरूवाई सदाई वितताई कन्नसोयणपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ॥ से भि० अहावेगइयाई सद्दाई सुणेइ, तं०-वीणासहाणि वा विपंचीसपिप्पी(बद्धी)सगस-तृणयसहा०वण(वीणि)यस० तुंचवीणियसहाणि वा ढंकुणसहाई अन्नयराई तह विरूवरुवाई सदाई वितताई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए॥ से भि० अहावेगहयाई सहाई सणेड. ते तालसहाणि वा कंसतालसदाणि वा लत्तियसदा० गाधियस किरिकिरियास० अन्नयरातह कण्ण० गमणाए। से भि० अहावेग तं०- संखसहाणि वा वेणु० बंसस० खरमुहिस० परिपिरियास० अन्नय तह विरूव० सहाई झुसिराई कन्न। ३९१। से भि० अहावेगळतं.वप्पाणि वा फलिहाणि वा जाव सराणि वा सागराणि वा सरसरपंतियाणि वा अन्न तह विरुव० सद्दाई कण्ण ॥ से भि० अहावे. तं०-कच्छाणि वा णूमाणि वा गहणाणि वा वणाणि वा वणदुग्गाणि वा पञ्चयाणि वा पत्नयदुग्गाणि वा अन्न ॥अहात गामाणि वा नगराणि वा निगमाणि वा रायहाणाणि वा आसमपट्टणसंनिवेसाणि वा अन्न तह नो अभि० ॥ से मि. अहावे० आरामाणि वा उजाणाणि वा वणाणि वा वणसंडाणि वा देवकुलाणि वा सभाणि वा पवाणि या अनय तहा० सद्दाइं नो अभि०॥ से भि० अहावे० अट्टाणि वा अट्टालयाणि वा चरियाणि वा दाराणि वा गोपुराणि वा अन्न तह सदाई नो अभि० ॥ से मि० अहावे. तंजहा-तियाणि वा चउक्काणि वा चचराणि वा चउम्मुहाणि वा अन० तह सहाईनो अभि०॥से मि० अहावे जहा-महिसकरणट्ठाणाणि वा वसभक० अस्सक० हस्थिक० जाव कर्विजलकरणट्ठा० अन्न तह० नो अमि०॥ से मि० अहावेतंजहा महिसजुदाणि वा जाव कविंजलजु० अन्न तह नो अभि०॥ से मि० अहावे तं०-जूहियठाणाणि वा हयजू० गयजू० अन्न तह नो अभि०।३९२। से भि० जाव सुणेइ, जहाअक्खाइयठाणाणि वा माणुम्माणियहाणाणि वा महताऽऽहयनहगीयवाइयतंतीतलतास्तुडियपडुप्पवाइयट्ठाणाणि वा अन्न तह सहाई नो अभिसं० ॥ से भि० जाव सुणेइ, तं०३० आचारांग-अवसाय-११ मुनि दीपरत्नसागर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || कलहाणि वा डिंबाणि वा डमराणि वा दोरजाणि वा वेर विरुद्धर० अन्न तह सहाई नो० ॥ से भि० जाव सुणेइ खुड़ियं दारियं परिभुत्तमंडियं अलंकियं निवुज्झमाणि पेहाए एगं वा पुरिसं यहाए नीणिजमार्ण पेहाए अन्नयराणि वा तह नो अभिः ॥ से भि: अन्नयराई विरूवक महासबाई एवं जाणेजा, तंजहा-बदुसगडाणि वा बहुरहाणि वा बहुमिलक्सूणि वा वहपर्वताणि वा अन्न तहविरूव० महासबाई कन्नसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ॥ से भि० अन्नयगई विरुवामहस्सवाइएवं जाणिजा, तंजहा-इत्याणि वा पुरिसाणि वा थेराणि वा डहराणि वा मज्झिमाणि वा आभरणविभूसियाणि वा गायंताणि वा वायंताणि वा नच्चंताणि वा हसंताणि वा रमंताणि वा मोहंताणि वा विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं परिभुजंताणि वा परिभायंताणि वा विच्छडियमाणाणि वा विगोयमाणाणि वा अन्नय तह विरूव महु कन्नसोय ॥ से भि० नो इहलोइएहिं सदेहि नो परलोइएहिं स० नो सुएहिं स० नो असुएहिं स० नो दिडेहिं सद्देहिं नो अदिट्टेहि सानो कंतेहिं सद्देहिं सजिजा नो गिज्झिज्जा नो मुज्झिज्जा नो अझोपवजिजा, एयं खलु जाव जएजासित्तिवेमि । ३९३ ॥ शब्दसप्तसप्तकं ४ (११)॥से भि० अहावेगइयाई रुवाई पासइ, तं०-गंथिमाणि क वेढिमाणि वा पूरिमाणि या संघाइमाणि वा कट्टकम्माणि वा पोत्वकम्माणि वा चित्तक मणिकम्माणि दंतक पत्तच्छिज्जकम्माणि वा विविहाणि वा वेढिमाई अन्नयराई विरु० चक्खुदसणपडियाए नो अभिसंधारिण्ज गमणाए, एवं नेय जहा सहपडिमा सवा बाइत्तवज्जा रूवपडिमावि ।३९४॥रूपसप्तसप्तकं ५ (१२)॥ परकिरियं अज्झस्थियं संसेसियं नो तं सायए नो तं नियमे, सिया से परो पाए आमजिज वा प० नो तं सायए नो तं नियमे । से सिया परो पायाई संचाहिज वा पलिमहिज वा नो तं सायए नो तं नियमे । से सिया परो पायाई कुसिज वा रइज्ज वा नो तं सायए नो ने नियमे । से सिया परो पायाई तिडेण वा घ० वसाए वा मक्खिज वा अभंगिज बानो तंश से सिया परो पायाईलद्धेण वा ककेण वा चुन्नेण वा वण्णेण वा उडोटिज वा उबलिज वा नो तं। 19 से सिया परो पायाई सीओदगवियडेण वा २ उच्छोलिज वा पहोलिज वा नो तंसे सिया परो पायाई अन्नयरेण विलेवणजायण आलिपिज वा विलि पायाई अन्नयरेण धूवणजाएण धूविज वा पधूनोतं २ । से सिया परो पायाओ आणुयं वा कंटयं वा नीहरिज वा विसोहिजपा नो तं० । से सिया परो पायाओ पूर्व वा सोणियं वा नीहरिज वा विसोनो तं । से सिया परो कार्य आमजेज या पमजिज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे । से सिया परो कार्य लोट्टेण वा संवाहिज वा पलिमहिज वा नो संक।से सिया परो कायं तिडेण वा घ० ० मक्विज या अभंगिज वा नो तं०२। से सिया परो कार्य लुदेण वा ४ उडोदिज वा उडिज वा नो तं। से सिया परो कार्य सीओ उसिणो० उच्छोलिज या प० नो ता से सिया परो कार्य अन्नयरेण विटेवणजाएण आलिंपिज बा२नो तं०। से० कार्य अजयरेण धूषणजाएण धूविज या पनो तं०।से०कायास वणं आमजिज चा २ नो तं २। से० वणं संवाहिज वा पलि० नो तं । से० वणं विल्डेण वा घ० मक्खिज या अभं नो तं०। से० वणं लुढेण या ४ अडोदिज वा उनलेज वा नो तं०। से सिया परो कार्यसि वर्ण सीओ० उ० उच्छोलिज वा प० नो तंबासे सिवणं वा गंडं या अरई या पुलयं वा भगंदलं वा अन्नयरेणं सत्थजाएणं अच्छिदिज या विञ्छिदिज्ज वा नो तं०।से सिया परो अन्न जाएण अञ्छिदित्ता वा विच्छिदित्ता वा पूर्व वा सोणियं या नीहरिज्ज वा वि० नो तं। से० कायंसि गंडं वा अरई वा पुलयं वा भगंदलं वा आमजिज्ज बा२नो तं२। से गंडं वा ४ संवाहिज या पलिनो तं० । से० कार्यसि गंड पा ४ तिहेण पा ३ मक्खिजवा२ना तं० । से० गंड या देण वा ४ उाडोदिज वा उ० नो तं०। से० गंडं वा ४ सीआदगर उच्छोलिज वा प० नो तं० । से० गंडं वा अन्नयरेणं सस्थजाएणं अछिदिज वा वि० अन्न सस्थ० अच्छिदित्ता वा २ पूर्व वा सोणियं या नीहरू विसो० नो तं सायए २। से सिया परो कार्यसि सेयं वा जाई वा नीहरिज वा वि० नो तं० । से सिया परो अच्छिमलं या कण्णमलं वा दंतमलं वा नहम नीहरिज या २ नो तं०२ से सिया परो दीहाई वालाई दीहाई बा रोमाई दीहाई भमुहाई दीहाई कक्खरोमाई दीहाई बस्थिरोमाई कपिज्ज वा संतविज वा नो तं०२। से सिया परो सीसाओ लिक्खं वा जूयं वा नीहरिज वा वि० नो तं०२। से सिया परो अंकसि या पलियंकसि वा तुयसावित्ता पायाई आमजिज पा पम०, एवं हिडिमो गमो पायाइ(ण)भाणियो । से सिया परो अंकसि वा २ तुयहावित्ता हारं वा अददारं या उरस्थं या गेवेयं वा मउ वा पालंचं वा सुबन्नसुत्तं वा आविहिज या पिणहिज वा नो तै०२।से० परो आरामंसि वा उजाणंसि वा नीहरित्ता वा पविसित्ता वा पायाई आमजिज वा प० नो तं सायए०॥ एवं नेयवा अन्नमन्नकिरियावि।३९५॥ से सिया परो सुदेणं असुदेणं वा वइबलेण या तेइच्छं आउट्टे से० असुदेणं वइयलेण तेइच्छे आउद्दे।से सिया परो गिलाणस्स सचित्ताणि वा कंदाणि वा मूलाणि वा तयाणि या हरियाणि वा खणित्तु कट्टित्तु बा कट्टावित्तु वा तेइच्छं आउट्टाविज नो तं सा०२। कडुवेंयणा पाणभूयजीवसत्ता वेयणं वेइंति, एयं खलु समिए. सया जए सेयमिण मनिज्जासित्तिमि ।३९६॥ परक्रियासप्तसमकं ६ (१३)॥से भिक्खू वा २ अन्नमचकिरियं अज्झस्थिय संसइयंनो ते सायए २॥ से अन्नमन्नं पाए आम३१ आचारांग- rai-१४ मुनि दीपरत्नसागर PAGAASPIRANSP8844PICNEPSMEPRATAPRIMINSPIRACYRHASPASSPEASPOSHIARPCHISHESARPRABPICAENT HSSSSFURSAASPICMASPICES/RANASPEEMBRANSPIRMISHRAASPANAGPICKASPRINSPIRIMASPIRLSVRASYEARPRABHA Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिज वा० नो तं०, सेसं तं चेव, एवं खलु० जइब्रासित्तिमि । ३९७ ॥ अन्योऽन्यक्रियासप्तसप्तकं ७ (१४) चूलिका २॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहप्रत्युत्तरे यावि हुत्या, तंजहा-हत्युत्तराहिं चुए चइत्ता गम्भं वकते, इत्युत्तराहिं गम्भाओ गम्भं साहरिए, इत्युत्तराहिं जाए, इत्युत्तराहि (प्र० समओ सबनाए) मुंडे भवित्ता अगाराओ 2 अणगारियं पचइए, हत्युत्तराहिं कसिणे पडिपुग्ने अवाघाए निरावरणे अणते अणुत्तरे केवलबरनाणदंसणे समुप्पचे, साइणा भगवं परिनियुए।३९८ासमणे भगवं महावीरे इमाइ ओसप्राप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए पीदताए सुसमाए समाए वीइकताए सुसमदुस्समाए समाए बीइकताए दूसमसुसमाए समाए बहकिताए पन्नहत्तरीए पासेहिं मासेहि य अद्ध नवमेहि सेसेहि जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अहमे पक्खे आसाढसदे तस्स णं आसाढसदस्स छट्टीपक्खेणं हत्युत्तराहि नक्खत्तेणं जोममवागएणं महाविजयसिद्धत्वपफुत्तरवरपंडरीयदिसासोपस्थियक्दमाणाओ महाविमाणाओ बीस सागरोवमाई आउयं पालइत्ता आउक्सएणं ठिइक्सएणं भवक्खएणं चुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवेणं दीये भारहे वासे दाहिणभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसमि उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए माईणीए जालंधरसगुत्ताए सीहुभवभूएणं अप्पाणेण कुच्छिसि गम्भं वकंते, समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोचगए यावि हुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ, चुएमित्ति जाणइ, चयमाणे न याणेइ, सुहमे णं से काले पनत्ते, तओ णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपएणं (प्र. अणुकंपएणं) | देवेणं जीयमेयनिकह जे सेवामाणं तचे मासे पंचमे पक्खे आसोयवहले तस्स णं आसोयवहलस्स तेसाइमस्स राइंदियस्म पग्यिाए वहमाणे दाहिणमाहणकुंटपुरसंनिवेसाओ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवसंसि नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्यस्स खत्तियस्म कासवगुत्तस्म तिमलाए खत्तियाणीए बासिहसगुत्ताए असुभाण पुग्गलाणं अवहारं करिता सुभाणं पुग्गलाणं पक्वेवं करित्ता कुच्छिसि गम्भं साहरइ, जेवि य से तिसलाए खत्तियाणीए कृषिसि गम्भे तंपि य दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेससि उस० को देवा जालंधरायणगुत्ताए कुपिछसि गर्भ साहरइ,समणे भगवं महावीरे तिचाणोवगए याचि होत्या- साहरिजिस्सामित्ति जाणइ साहरिजमाणे न याणइ । साहरिएमित्ति जाणइ समणाउसो!। तेणं कालेणं तेणं समएणं तिसलाए खत्तियाणीए अहऽनया कयाई नवण्ह मासाणं बहुपडिपुत्राणं अट्ठमाण राइंदियाणं वीइकंताणं जे से गिम्हाणं पढ़मे मासे दुचे पक्खे चित्तसुदे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसीपक्खेणं हत्थु० जोग समणं भगवं महावीरं अरोग्गा अरोग्ग पसया । जपणं राई तिसला ख० समर्ण महावीरं अरोया अरोयं पसूया तणं राई भवणवाइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहिं देवीहि य उवयंतेहिं उप्पयंतेहि य (प: संपयंतेहि य) एगे महं दिजे देखुजोए देवसन्निवाए देवकहकहए उप्पिजलगभूए याचि हुस्था। जपणं स्यणि तिसला ख० समणं पसूया तण्णं रयणिं बहवे देवा य देवीओ य एग महं अमयवासं च १ गंधवासं १२चुन्नवासं च ३ पुष्फवा० ४ हिरन्नवास च५रयणवासे १६वासिसु.जण्ण रयाण तिसल्ला ख० समर्णपसूया तण्णं रयाणभवणवइबाणमंतरजाइसियविमाणवासिणो देवा य देवीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स मुहकम्माई तित्थयराभिसेयं च करिसु, जओ णं पभिइ भगवं महावीरे तिसलाए ख० कुच्छिसि गम्भ आगए (प्र० आहुए) तओ णं पभिइ तं कुल विपुलेणं हिरन्नेणं सुपन्नेणं धणेणं धन्नेणं माणिकेणं मुत्तिएणं संखमिलप्पयारेण अईप २ परिवइ, तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्म अम्मापियरो एयम? जाणित्ता नियत्तदसाहसि पुर्फतंसि मुद्दभूयंसि विपुलं असणपाणखाइमसाइमं उपक्खडापिनि २ ना मित्तनाइसयणसंबंधिवम्गं उवनिमंतंति मिन० उबनिमंतिना वह समणमाहणकिवणवणीमगाहिं भिण्ठंडगपंडरगाईण विच्छांति विग्मोचिंति विस्माणिति दायारेसु दाणं पजभाइति विच्छत्तिा विग्गो विस्साणित्ता दाया० पजभाइत्ता मित्तनाइ भुंजाविति मित्त मुंजावित्ता मित्त वग्गेण इममेयारूवं नामधिजं कारविंति-जओ णं पभिइ इमे कुमारे वि० ख० कुञ्छिसि गम्भे आहुए तओ णं पमिद इमं कुलं विपुलेणं हिरन्ने]० संखसिलप्पवालेणं अतीव २ परिवडा ता होउ णं कुमारे बदमाणे. तओ णं समणे भगवं महावीरे पंचधाइपरिडे, तं०-खीरधाईए १ मजणधाईए २मंडणधाईए ३ खेलावणधाईए४ अंकया०५ अंकाओ अंक साहरिजमाणे रम्मे मणिकुहिमतले गिरिकंदरसमुत्तीणेविष पयपायये अहाणपत्रीए संवइ, नओ गं समणे भगवं विनायपरिणय (मिने) विणियत्तवालमाचे अप्पुस्सुयाई उरालाई माणुस्सगाई पंचलक्खणाई कामभोगाई सहफरिसरसरुवगंधाई परियारेमाणे एवं चणं विहरदा३९९४ ममणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते तस्स णं इमे तिनि नामधिजा एवमाहिजति, तंजहा-अम्मापिउसंति पदमाणे १ सहसंमुइए ममणे २ भीम भयमेवं उराले अबे(य)न्टयं परीसहसहतिक देवेहिं से नामं कयं समणे भगवं महावीरे ३,समणस्सणं भगवजो महाचीरस्स पिया कासवगुत्तेणं तस्स णं तिनि नाम तं-सिदत्येइ वा सिजसेइ वा जसंसेइ वा, समणस्स f० अम्मा बासिट्ठसगृत्ता तीसे णं तिमि ना०,०-निसलाइ वा विदेहदिनाइ वा पियकारिणीइ वा, ममणस्स णं भ-पिनिअए मुपासे कासवगुत्तेणं, ममण जिट्टे भाया नंदिवरणे कामपगुनेणं, समणस्स जेट्टा भइणी सुदंसणा कासव(पविगुत्तेणं, समणस्स णं भग० मज्जा जसोया कोडिन्ना गुत्तेणं, समणस्म णं धूया कापस(प्र० विगोतेणं नीसे णं दो नामधिना एवमा०-अणुजाइ वा पियदसणाइ वा, समणस्स गं भ० नत्तूई कोसिया गुत्तेणं तीसे गं दो नाम० ०-सेसवदंड (८) | ३२ आचारांग- म -१५. मुनि दीपरत्नसागर PPTESUSPINGPORPIONSHIRSACHISABP8628784SPEASPORMESPECHOPRAEPSRPSARIPELEPRABPOPICARSH Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा जसव वा । ४००। समणस्स नं० ३ अम्मापियरो पासावचिज्जा समणोवासगा यावि हुत्था, ते णं बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पालइत्ता उन्हें जीवनिकायाणं सारक्खणनिमित्तं आलोइत्ता निंदित्ता गरिहिता पडिकमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छित्ताई पडिवजित्ता कुससंथारगं दुरूहित्ता भत्तं पञ्चकखायंति २ अपच्छिमाए मारणंतियाए संलेहणाए झुसियसरीरा कालमाने कालं किया तं सरीरं विष्पजहित्ता अनुए कप्पे देवत्ताए उववन्ना, तओ णं आउक्खएणं भव० ठिइ० चुए चइत्ता महाविदेहे वासे चरमेण उसासेणं मिज्झिम्मंति बुज्झिस्संति मुचिस्वंति परिनिच्वाइस्संति सङ्घदुक्खाणमंतं करिस्सति । ४०१ । तेणं कालेणं २ समणे भ० नाए नायपुते नायकुलनिवत्ते विदेहे विदेहदिने विदेहजचे विदेहसुमाले तीमं वासाई विदेहंसिनि (प्र० हेत्ति) कट्टु अगारमज्झे वसित्ता अम्मापिऊहिं कालगएहिं देवलोगमणुपत्तेहिं समत्तपइने चिया हिरन्नं चिया सुवनं चिचा बलं चिया वाहणं चिचा धणकणगरयणसंतसारसावइजं विच्छङ्गित्ता विग्गोवित्ता विस्साणित्ता दायारेसु दाणं दाइत्ता परिभाइत्ता संवच्छरं दलइत्ता जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मग्गसिरबहुले तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपम्येणं हत्थूत्तरा० जोग० अभिनिक्खमणाभिप्पाए यात्रि हुत्था। संवच्छरण होहिइ अभिनिक्समणं तु जिणवरिंदस्स तो अत्थसंपयाणं पवत्तई पुत्रस्राओ ।। ११२ ।। ' एगा हिरन्नकोडी अद्वेव अणूणगा सयसहस्सा सरोदयमाईयं दिजइ जा पायरासुति ॥ ११३ ॥ तिन्नेव य कोडिसया अट्ठासी च इंति कोडीओ असिदं च सयसहस्सा एवं संवछरे दिनं ॥ ११४ ॥ बेसमणकुंडधारी देवा लोगंतिया महिडीया बोहिति य तित्थयरं पन्नरससु कम्मभूमीसु ॥ ११५ ॥ वंभंमि य कप्पंमी बोदवा कण्हराइणो मज्झे। लोगंतिया विमाणा अट्टमु त्था असंखिजा ॥ ११६ ॥ एए देवनिकाया भगवं बोहिंति जिणवरं वीरं सङ्घजगज्जीवहियं अरिहं! तित्थं पवतेहि ॥ ११७॥ तओ णं समणस्स भ० म० अभिनिक्खमणाभिप्पायं जाणित्ता भवणववा० जो० त्रिमाणवासिणो देवा य देवीओ य सएहिं २ रुवेहिं सएहिं २ नेवत्थेहिं सएहिं २ चिंधेहिं सविडीए सबजुईए सङ्घबलसमुदपणं सयाई २ जाणविमाणाई दुरूति सया० • दुरुहिता अहाचायराई पोग्गलाई परिसाति २ अहासुदुमाई पुग्गलाई परियाईति २ उट्टं उपयंति उट्टं उप्पइत्ता ताए उकिट्टाए सिग्धाए चलाए तुरियाए दिवाए देवगईए अहेणं ओवयमाणा २ तिरिएणं असंखिजाई दीवसमुदाई वीडकममाणा २ जेणेव जंबुद्दीवे दीवे तेणेव उवागच्छति २ जेणेव उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवेसे तेणेव उपागच्छति, उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवसस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए तेणेव झत्ति वेगेण ओवइया, तओ णं सके देविंदे देवराया सणियं २ जाणविमाणं पट्टवेति (प्र० पञ्चो० ठवेइ) सणियं २ जाण विमाणाओ पचीयर सणियं २ एगंतमवकमइ एगंतमवकमित्ता महया वेउविएणं समुग्धाएणं समोहणइ २ एवं महं नाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तं सुभं चारुकंतरूवं देवच्छंदयं विउइ. तस्स णं देवच्चछंदयस्स बहुमज्झदेसभाए एवं महं सपायपीटं नाणामणिकणयरयणभत्तिचित्तं सुभं चारुकंतरूवं सीहासणं बिउवइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उपागच्छ २ समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आग्राहिणं पयाहिणं करेइ २ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ २ समणं भगवं महावीरं महाय जेणेव देवच्छंदए तेणेव उवागच्छइ सणियं २ पुरस्थाभिमुहं सीहामणे निसीयावेइ सणियं २ निसीयाचित्ता सयपागसहस्सपागेहिं तिहिं अभंगेइ गंधकासाईएहिं उडोले २ सुद्धोदएण मज्जावेइ २ जस्स णं मुखं सयसहस्सं णं तिपडोलतिनिएणं साहिएणं मीतेण गोसीसरतचंदणेणं अणुलिंपइ २ ईसि निस्सासवायवोज्झं वरनयरपट्टणुमायं कुसलनरपसंसियं अस्सलालापेलवं छेयारियकणगखइयंतकम्मं हंसलक्खणं पट्टजुयलं नियंमावेइ २ हारं अहारं उरत्थं नेवत्थं एगावलिं पावसुतं पट्टमउडरयणमालाउ आविंधावे आविधावित्ता गंधिमवेढिमपूरिमसंघाइमेणं मणं कप्परुक्खमिव समलंकरेइ २ ना दुबंपि महया बेडत्रियसमुग्याएणं समोहणइ २ एगं महं चंदप्यहं सित्रियं सहस्सवाहणियं विडवति, तंजहा- ईहामिगउसभतुरगनरमकरविहगवानरकुंजररूरुसरभ चमरस दूलसीह वणलयभनिचित्तस्यविज्जाहरमिहुणजुयलजंतजोगजुत्तं अच्चीसहस्समालिणीयं सुनिरुत्रियं मिसिमितिरूवगसहस्सकलियं ईसि भिसमाणं भिम्भिसमाणं चक्खुडोयणले मुत्ताहलम्ताजातरोधियं तवणीयपचरलंबूसपलंवंतमुत्तदामं हारबहारभूसणसमोणयं अहियपिच्छणिजं पउमलयभत्तिचित्तं असोगलयभत्तिचित्तं कुंदलयभत्तिचित्तं नाणालयभत्तिः विरइयं सुभं चारुकंतरुवं नाणामणिपंचवचघंटापडायपडिमंडियग्गसिहरं पासाईयं दरिसणिज्जं सुरूपं, सीया उवणीया जिणवरस्स जरमरणविष्पमुकस्स ओसत्तमहदामा जलथलयदिन कुसुमेहिं ॥ ११८ ॥ सित्रियाइ मज्झयारे दिवं वररयणरुवचिचइयं सीहासणं महरिहं सपायपीटं जिणवरस्स ॥ ११९॥ आलइयमालमउडो भासुरसुंदी वराभरणधारी । खोमियवत्थनियत्थो जस्स य मुखं सयमहस्सं ॥ १२० ॥ उद्वेग उ भत्तेणं अज्झवसाणेण सुंदरेण जिणो लेसाहिं विमुज्झतो आरुटई उत्तमं सीयं ॥ १२१ ॥ सीहासणे निविट्टो सकीसाणा य दोहि पासेहिं । वीर्यति चामराहिं मणिरयणविचित्तदंडाहिं ॥ १२२ ॥ पुत्र उक्खित्ता माणुसेहिं साहद्दु रोमकूवेहि पच्छा वहति देवा सुरअसुरा गरुलनागिंदा ॥ १२३ ॥ पुरओ सुरा बहती असुरा पुण दाहिणमि पासंमि । अवरे बहंति गरुला नागा पुणे उत्तरे पासे ॥ १२४॥ वणमंडं व कुसुमियं पउमसरो वा जहा सरयकाले सोहइ कुसुमभरेणं इय गगणयलं सुरगणेहिं ॥ १२५॥ सिद्ध33 आचारांग अझयणे - १५ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EFEES-GOPERANARASOPIEOMAHESHRSPIRARBP6567898PRBIRMIRPSSAGIPRAISPOSHANCHARPENSPIARPER-6 वत्थवणं व जहा कणयारवणं व चंपयवर्ण वा। सोहइ कुसुमभरणं इय गयणयलं सुरगणेहिं ॥१२६।। वरपडहभेरिझाल्डरिसंखसयसहस्सिएहिं तुरेहिं । गयणयले धरणियले तरनिनाओ परमरम्मो ॥१२७॥ ततविततं घणझुसिरं आउजं चउचिहं बहुविहीयं । वाइंति तत्व देवा बहूहिं आनहगसएहिं ॥१२८॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं जे से हेमंताणं पढमे मासे पढ़मे पक्खे मग्गसिरबहुले तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्सेणं सुबएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं हत्थुत्तरानक्खत्तेणं जोगोषगएणं पाईणगामिणीए छायाए चिइयाए (प० वियत्ताए) पोरिसीए छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं एगसाडगमायाए चंदप्पभाए सिबियाए सहस्सवाहिणियाए सदेवमणुयासुराए परिसाए समणिजमाणे उत्तरखनियकुंडपुरसंनियसम्म मझम झणं निगद २ जेणेव नायसंडे उज्जाणे तेणेव उवागच्छद २ इंसिं रयणिप्पमाणं अच्छोप्पेणं भूमिभाएण सणियं २ चंदप्पभं सिवियं सहस्सवाहिणि ठवेइ२ मणियं २ चंदप्पभाओ सीयाओं सहस्सवाहिणीओ पञ्चोयरह २ सणियं २ पुरत्याभिमुहे सीहासणे निसीयह आभरणालंकारं ओमुअइ, तओ णं वेसमणे देवे जन्नु(प० भत्तु०)वायपडिओ भगवओ महावीरस्म हंसलक्षणेणं पडेणं आभरणालंकारं पडिच्छा, तओणं समणे भगवं महावीरे दाहिणेणं दाहिणं वामेणं वामं पंचमुट्टियं लोयं करेइ, तओणं सके देविंद देवराया समणस्स भगवओ महावीरस्स जन्नुबायपडिए वाइरामएणं थालेणं केसाई पडिच्छइ २ अणुजाणेसि भंतेत्तिकट्टु खीरोयसागरं साहरइ, तओणं समणे जाव लोयं करित्ता सिद्धाणं नमुकारं करेइ २ सच्चं ने अकरणिजं पावकम्मंतिकट्ठ सामाइयं चरित्तं पडिवजह २ देवपरिसं च मणुयपरिसं च आलिक्वचित्तभूयमिव ठवेइ-दिवो मणुस्सघोसो तुरियनिनाओ य सकवयणेणं । खिप्पामेव निलुको जाहे पडिवजइ चरित्तं ॥१२९॥ पडिवजित्तु चरितं अहोनिसं सञ्चपाणभूयहियं । साहट्ट लोमपुलया सवे (प० पयया) देवा निसामिति ॥१३०॥ तओणे समणस्स भगवओ महावीरम्म सामाइयं खओवसमियं चरित्तं पडियन्नस्स मणपज्जवनाणे नामं नाणे समुपन्ने अडाइजेहिं दीवेहिं दोहि य समुद्देहिं सन्नीणं पंचिदियाणं पज्जत्ताणं वियत्तमणसाणं मणोगगाई भाचाई जाणेइ । तओ णं समणे भगवं महावीरे पवइए समाणे मित्तणाइसयणसंबंधिवगं पडिविसजेइ, २ इमं एथारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-चारस वासाई वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा समुप्पजिस्संति, तंजहा-दिवा या माणुस्सा वा तेरिच्छिया वा, ते सवे उवसग्गे समुप्पने समाणे सम्मं सहिस्सामि खमिस्मामि अहिआसइस्सामि, तओ णं स० भ० महावीरे इमं एयारूवं अभिम्गह अभिगिमिहत्ता बोसिट्ठचत्तदेहे दिवसे मुहुत्तसेसे कु(प० क)म्मा(प० मा)रगाम समणुपत्ते, तओणं स० भ०म० योसिट्टचत्तदेहे अणुत्तरेणं आलएणं अणुत्तरेणं बिहारेणं एवं संजमेणं परगहेणं संवरेणं तवेणं बंभचेरवासेणं खंतीए मुत्तीए समिईए गुत्तीए तुट्टीए ठाणेणं कमेणं सुचरियफलनिवाणमत्तिमग्गेण अप्पाणं भावमाणे विहरइ. एवं वा विहरमाणस्स जे केइ उवसग्गा समुप्पज्जति त०-दिवा वा माणुस्सा वा तिरिच्छिया वा, ते सत्वे उवसम्गे समुष्पन्ने समाणे अणाउले अवहिए अहीणमाणसे तिविहमणवयणकायगुत्ते सम्म सहइ खमइ तितिक्वइ अहियासेइ, तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स बारस बासा बीइकता तेरसमस्स य वासस्स परियाए वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुचे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे तस्स णं साहसुद्धस्स दसमीपक्षेणं सुधएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं हत्युत्तराहिं नक्खनेणं जोगोषगएणं पाईणगामिणीए छायाए वियत्ताए पोरिसीए जंभियगामस्स नगरस्स बहिया नईए उज्जुवालियाए उत्तरकूले सामागस्स गाहावइस्स कट्टकरणंसि उडूंजाणूअहोसिरस्स झाणकोट्ठोवगयस्स येयापत्तस्स चेइयस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे सालरुक्खस्स अदूरसामंते उकुडुयस्स गोदोहियाए आयावणाए आयावेमाणस्स छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं सुकज्झाणंतरियाएवढमाणस्स निवाणे कसिणे पडिपुग्ने अवाहुए निरावरणे अणंते अणुत्तरे केवलबरनाणदंसणे समुप्पने, से भगवं अरहं जिणे (प० जाणए) केवली सञ्बनू सवभावदरिसी सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पज्जाए जाणइ, तं०-आगई गई ठिई चयणं उक्वायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं आविकम्मं रहोकम्मं लवियं कहियं मणोमाणसियं सञ्चलोए सबजीवाणं सबभावाइं जाणमाणे पासमाणे एवं च णं विहरइ, जण्णं दिवस समणस्स भगवओ महावीरस्स निवाणे कसिणे (प्र० निच्चप्पणो, णिचणेए) जाव समुप्पन्ने तण्णं दिवसं भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहि य देवीहि य उवयंतेहिं जाच उप्पिजलग भए यावि हुत्या, तओ णं समणे भगवं महावीरे उप्पन्नवरनाणदंसणधरे अप्पाणं च लोगं च अभिसमिक्ख पुर्व देवाणं धम्ममाइक्खइ, ततो पच्छा मणुस्साणं, तआ णं समणे भगवं महावीरे उप्पन्ननाणदसणधरे गोयमाईणं समणाणं पंच महत्वयाई सभावणाई छज्जीवनिकाया आतिक्वति भासइ० परूवेइ, तं-पुढविकाए जाव तसकाए, पढर्म भंते : महवयं पञ्चक्खामि सर्व पाणाइयायं से सुहुमं वा वायरं वा तसं वा थावरं वा नेव सर्व पाणाइवायं करिज्जा ३ जावज्जीवाए तिविहंतिविहेण मणसा वयसा कायसा तस्स भंते ! पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं बोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-ईरियासमिए से निग्गंथे नो अणईरियासमिएत्ति, केवली व्या अणईरियासमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाइं सत्ताई अभिहणिज्ज वा वत्तिज वा परियाविज्ज वा लेसिज्ज वा उद्दविज वा, ईरियासमिए से निमांथे नो ईरियाअसमिइत्ति पढमा भावणा १। ३४ आचारांग - अन्य -१५ मुनि दीपरत्नसागर Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2CYCHACHEMISPTEMBP8428PICMASPASABPMASHTRAISPOSAASHIRSHASPIRAHISHASSASPICABPMAASPIRNSPIRAICHRONIESPE अहावरा दुबा भावणा-मणं परियाणइ से निगंथे, जे यमणे पावए साक्जे सकिरिए अष्ट्यकरे छेयको भेयकरे अहिगरणिए पाउसिए पारियाविए पाणाइवाइए भूओवघाइए, तहप्पगारं मणं नो पारिजा गमणाए, मणं परिजाणइ से नियंथे, जे य मणे अपावएत्ति दुचा भावणारा अहावरा तचा भावणा-वई परिजाणइ से निम्नथे, जा य वई पापिया सायजा सकि| रिया जाय भूओवघाइया तहप्पगारं वई नो उच्चारिजा, जे वई परिजाणइ से निग्गंथे, जा व वई अपावियत्ति तचा भावणा ३। अहावरा चउत्था भावणा-आयाणभंडमननिक्वेवणासमिए से निगथे, नो अणायाणभंडमत्तनिक्वेवणासमिए, केवली व्या-आयाणमंडमत्तनिस्खेवणाअसमिए से निमाथे पाणाई भ्याई जीवाई सत्ताई अभिहणिजा वा जाव उदविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो आयाणभंडनिक्खेवणाअसमिएत्ति चउत्था भावणा ४ाअहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे, नो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली बूया-अणालोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा जाच उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोईति पंचमा भावणा ५।एयावता पढमे महत्वए सम्म काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्टिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महत्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ अहावरं दुचं महवयं-पथ खामि सत्रं मुसाबायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिजा नेवन्नेणं मुसं भासायिज्जा अन्नपि मुसं भासंतं न समणमन्निजा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते! पडिकमामि जाय बोसिरामि, तस्सिमाओपंच भावणाओ भवंति-तस्थिमा पढमा भावणा-अणुवीइभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासी, केवली घूया-अणणुवीइभासी से निम्गंथे समायजिज्ज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निम्गंधे नो अणणुवीइभासिनि पढमा भावणा १। अहावरा दुवा भावणा-कोह परियाणइ से निग्गंधे नो कोहणे सिया, केवलीबूया-कोहप्पत्ते कोही समावइज्जा मोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंधे न य कोहणे सियत्ति दुचा भावणा २। अहावरा तचा भावणालोभ परियाणइ से निग्गंधे नो अलोभणए सिया, केपली धूया-लोभपत्ते लोभी समावइ(म० जि)जा मोसं क्यणाए, लोभं परियाणा से निम्नये नोय लोभणए सियत्ति तचा भावणा ३॥ अहापरा चउत्था भावणा-भयं परिजाणइ से निग्गंधे नो भयभीरुए सिया, केवली बूया-भयपत्ते भीरू समावइजा मोसं वयणाए, भयं परिजाणह से निग्गंथे नो भयभीरुए सिया चउत्था भावणा ४। अहावरा पंचमा भावणा-हासं परियाणइ से निग्गंथे नो य हासणए सिया, केव० हासपत्ते हासी समावइजा मोसं वयणाए, दासं परियाणइसे निगधे नो हासणए सियत्ति, पंचमा भावणा ५। एतापता दोचे महबए सम्म काएण फासिए जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, दुचे भंते ! महथए ॥ अहावरं तवं भंते ! महवयं पञ्चक्खामि सवं अदिनादाण, से गाम वा नगरे पा रजे या अप या बहुं वा अणुं वा धूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं (प्र० मंतमचित्त) वा नेव सयं अदि गिणितजा नेवन्नेहि अदिन्न गिण्हापिजा अदिन्नं अन्नपि गिण्हतं न समणुजाणिजा जावजीचाए जाच योसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-अणुवीइ मिउम्गहं जाइसे निगंथे नो अणणबीड मिउग्गह जाद से निगंथे. केवली च्या-अणणुवीह मिउग्गहं जाइ निग्गंधे अदिन्नं गिण्हेज्जा, अणुवीइ मिउम्गहं जाइ से निरगंथे नो अणणुचीह मिउम्गहं जाइत्ति पढमा भावणा १। अहावरा दुबा भावणा-अणुचवियपाणभोयणभाई से निर्माचे नो अणणुनविअपाणभोयणभोई, केवली व्या-अणणुनवियपाणभोयणभोई से निर्माचे अदि अजिजा, तमहा अणनवियपाणभोयणभोर से निगंथे नो अणणनवियपाणभोयणभोईति दया भावणा२।अहाबरा तच्चा भावणा-निग्गंधणं उम्गहंसि उम्गहियसि एतावताचउम्गदणसीलए सिया, उग्याहंसि अमहियंसि एतावताअणुपाहणसीले अदि ओगिहिजा, निग्गंथे णं उम्गहं उम्गहियंसि एतावतावउग्गहणसीलए(म० सिय)त्ति तथा भावणा । अहावरा चउत्था भावणानिरगंधे णं उम्गहंसि उम्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली व्या-निग्गंधे णं उम्गहंसि अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदि गिहिजा, निरगंधे उग्गहसि उम्गहियंसि अभिक्खणं२ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा ४ा अहावरा पंचमा भावणा-अणुवीइमिउग्गहजाई से निम्मांथे साहम्मिएम, नो अणणुवीइमिउग्गहजाई, केवली बूया-अणणुबीइमिउम्गहजाई से निम्गंधे साहम्मिएसु अदिनं उम्गिहिजा, अणुबीइमिडग्गहजाई से निग्गंथेसाहम्मिएमु नो अणणुवीइमिउम्गहजाती, इइ पंचमा भावणा५, एतावया तचे महत्वए सम्म जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तचं भंते! महवयं०॥ अहावरं चउत्थं महत्वयं पचक्खामि सर्व मेहुणं, से दिवं वा माणुस्सं वा तिरिक्खजोणियं वा नेय सयं मेहुणं गच्छेजा तंचेवं अदिनादाणवत्तचया भाणिया जाय बोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-नो निगंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं फहं कहित्तए सिया, केवली व्या -निमगंधे णं अभिरवणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपञ्चत्ताओ धम्माओ भंसिजा, नो निगंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सियत्ति पढमा भावणा १॥ अहावरा दुबा भावणा- नो निगधे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइत्तए सिया, केवली व्या-निग्गथे णं इत्थीर्ण मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे ३५ आचारांग-न्झा -१५ मुनि दीपरनसागर PORANSPOR48700AASPICARSPERMSPIRATBPEARSPIRINRBPARENTINEPOS-SPOONISPEASYCEPSMEPISABPRAEYCHISA Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निज्झाएमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाप धम्माओ भंसिजा, नो निगथे इत्यीण मणोहराई 2 इंदियाई आलोइत्तए निजमाइत्तए सियत्ति दुचा भावणारा अहावरा तचा भावणा-नो निगंथे इवीणं पुवरयाई पुत्रकीलियाई सुमरित्तएसिया, केवली व्या-निगंथेणं इत्थीणं पुवरयाई पुष्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीणं पुत्ररयाई पक्कीलियाई सरिनए सियत्ति तच्चा भावणा३। अहावरा चउत्था भावणा-नाइमत्तपाणभोयणभोई से निम्गंथेन पणीयरसभोयणभोई से निम्गंधे, केवली व्या-अइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे पायरसभोयणभाई संति तिचउत्थाभावणा 4aa अहावरा पंचमाभावणा-नो निग्गंधे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सिया, केवली घूया-निग्गंथेणं इत्थीपसुपंगसंमत्ताई मयणासणाई सेवेमाणे संतिभेया जाव भंसिजा, नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सियत्ति पंचमा भावणा 5, एतावया चउत्थे महच्यए सम्म काएण फामिए जात्र आराहिए याविभवइ,चउत्थं भंते! महब्बयं०॥ अहावरं पंचमं मंते! महब्वयं सव्वं परिग्गहं पचक्वामि से अप्पं वा बहुं वा अणु वा थलं वा चित्तमंतमचित्तं वा नेव सयं परिम्गहं गिहिजा नेवअहि पारग्गह गिहाविज्जा अन्नापपरिगह गिण्हतनसमणुजाणिज्जा जाववासिरामि,तास्समाओ पंचभावणाओभवति, तत्थिमा पढमा भावणा-सायआणं जीवे मणनामणनाइसहाई सुणेइमणुन्नामणुन्नेहिं सदेहिं नो सजिजानो रजिज्जा नो गिज्झेज्जा नो मुज्झि(च्छे)ज्जा नो अज्झाबजिज्वानो विणिघायमावज्जेजा,केवली घूया-निगांधणं मान्नामणन्नेहिं सदेहिंस जमाणे रज्जमाणे जाब विणिघायमावज्जमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपन्नत्ताओधम्माओ भंसिज्जा, न सका न सोउ सद्दा, सोतविसयमागया। रागदोसा उजेनत्थ,ते भिमपविज्जए॥१३१॥ सोयओ जीवे मणुनामणुनाई सदाई सुइ०पढमा भावणा शअहावरा दुचा भावणा-यक्खूओ जीयो मणुनामणुनाई रुबाई पासइमणुन्नामणुन्नहि रूवहिं सज्जमाण जाब विणिघायमावज्जमाणे संतिभया जाव भंसिज्जा,नसका रूवमद्दट्ट, चक्सविसयमामयं रागदोसा उजेतत्थ, ते भिक्खूपरिवजए॥१३शचक्ख दुचा भावणा। अहावरा तचा भावणा-घाणओ जीवे मणुचारइं गंधाई अग्घायइ मणुनामणुन्नेहिं गंधेहिं नो सजिजानो रजिजा जाव नो विणिघायमावजिज्जा, केवली व्या-मणुचामणनेहि गंधेहि सजमाणे जाब विणिघायमावजमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, न सका गंधमग्घाउं,नासाविसयमागयं। रागदोसा उजे तस्थ,ते भिक्खू परिवजए॥१३३॥ घाणओ जीवो मणुन्नारई गंधाइं अग्घायइ०नि तचा भावणा 3 / अहावरा चउत्था भावणा-जिब्भाओ जीवो मणुन्नारई रसाई अस्साएइ,मणुन्नामणन्नेहिं रसेहिं नो सजिज्जा जाव नो विणिघायमावजिजा.कवली बुया-निग्गंधे णं मणुनामणुनेहि रमेहिं सजमाणे जाव विणिधायमावजमाणे मंतिभेया जाव भंसिजा,-नसका रसमणासाउं, जीहाविसयमागयं। रागदोसा उजे नत्थ.ते भिक्खू पग्विजए // 134|| जीहाओ जीवो मणुना२ई रसाई अस्साएइति चउत्था भावणा या अहावरा पंचमा भावणा-फासओजीयो मणनारई फासाई पडिसेवेद मणुचामणनेहिं फासेहि नो सजिजा जाव ना विणिघायमावजिजा, केवली व्या-निग्गंधे णं मणन्नामणजेहिं फासेहिं सज्जमाणे जाव विणिघायमावजमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपन्नत्ताओ धम्मा फासमवेएउं. फासविस्यमागयं। रागदोसा०॥१३५॥ फासओजीबोमणुना२६ फासाई पडिसंवेएति पंचमा भावणाराएतावता पंचमे महत्वतेसम्म० अबदिए आणाए आराहिए याविभवइ.पंचमं भंते! महत्वयाइएहि पंचमहत्वएहिं पणवीसाहि य भावणाहिं संपन्ने अणगारे अहासुयं अहाकप्पं अद्दामगं सम्मकाएण फासित्ता पालित्ता तीरित्ता किहित्ता (प० अपट्टिना) आणाए आराहित्ता यावि भवइ।४०२॥ भावनाध्ययनं 1(15) चूलिका 3 // अणिचमावासमुचिंति जंतुणो,पलोयए सुच्चमिणं अणुत्तरं। विउस्सिरे चिन्नु अगारबंधणं,अभीरु आरंभपरिग्गह चए॥१३६॥ तहागयं भिक्खुमणंतसंजयं, अणेलिसं विन्नु चरंतमेसणं। तुदंति वायाहिं अभिदवं नरा, सरेहिं संगामगयं व कुंजरं॥१३॥ तहप्पगारेहिं जणेदि हीलिए. ससहफासा फरुसा उईरिया। तितिक्खए नाणि अदुट्टचेयसा, गिरिव वाएणन संपवेयए॥१२८॥ उवेहमाणे कुसलेहिं संवसे, अकंतदुक्खी तसथावरा दुही। अलूसए सबसहे महामुणी, तहा हि से सुस्समणे समाहिए॥१२॥ विऊनए धम्मपयं अणुत्तरं, विणीयतण्हस्स मुणिस्स झायओ।समाहियस्सऽग्गिसिहावतेयसा, तवो यपना य जसोय बड़ड॥१४॥दिसोदिसंपुर्णतजिणेण ताइणा, महजया खेमपया पवेदया। महागुरू निस्सयरा उईरिया,तमेव तेउत्तिदिसंपगासगा॥१४१॥ सिएहिं भिक्खू असिए परिवए,असजमित्थीसुचाइज प्यण। अणिस्सिओ लोगमिणं तहा परं न मिजई कामगुणेहिं पंडिए॥१४२शातहा विमुकस्स परिनचारिणो, घिईमओ दुक्खखमस्स भिक्खुणो। विसुजाई जंसि मलं पुरेकर्ड,समीरियं रुप्पमलं व जोइणा // 143 // से ? पग्निासमयंमि बट्टई. निराससे उबरयमेदुणे चरे। भुयंगमे जुन्नतयं जहा चए, विमुच्चई से दुहसिज माहणे॥१४४॥ जमाहु ओहं सलिलं अपारयं, महासमुह व भुयाहि दुत्तरं / अहे य(प०अजेवणं परिजाणाहि पंडिए, से हू मुणी अंतकडेत्ति बुचई॥१४५|| जहा हि बद्धं इद माणवेहिं, जहा यतेसिंतुविमुक्ख आहिए। अहा तहा बन्धविमुक्ख जे विऊ, से हू मुणी अंतकडेत्ति बुचई॥१४६॥ इममिलाए परए य दोसुवि, न विजई बंधण जस्स किंचिवि। से हू निरालंबणमप्पइहिए, कलंकलीभावपहं विमुचइ // 147 // तिमि / विमुच्यध्ययनं 16 (25) चूलिका 2467 श्रा... 36 आचारांग - असम 26 मुनि दीपरनसागर