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________________ 2CYCHACHEMISPTEMBP8428PICMASPASABPMASHTRAISPOSAASHIRSHASPIRAHISHASSASPICABPMAASPIRNSPIRAICHRONIESPE अहावरा दुबा भावणा-मणं परियाणइ से निगंथे, जे यमणे पावए साक्जे सकिरिए अष्ट्यकरे छेयको भेयकरे अहिगरणिए पाउसिए पारियाविए पाणाइवाइए भूओवघाइए, तहप्पगारं मणं नो पारिजा गमणाए, मणं परिजाणइ से नियंथे, जे य मणे अपावएत्ति दुचा भावणारा अहावरा तचा भावणा-वई परिजाणइ से निम्नथे, जा य वई पापिया सायजा सकि| रिया जाय भूओवघाइया तहप्पगारं वई नो उच्चारिजा, जे वई परिजाणइ से निग्गंथे, जा व वई अपावियत्ति तचा भावणा ३। अहावरा चउत्था भावणा-आयाणभंडमननिक्वेवणासमिए से निगथे, नो अणायाणभंडमत्तनिक्वेवणासमिए, केवली व्या-आयाणमंडमत्तनिस्खेवणाअसमिए से निमाथे पाणाई भ्याई जीवाई सत्ताई अभिहणिजा वा जाव उदविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो आयाणभंडनिक्खेवणाअसमिएत्ति चउत्था भावणा ४ाअहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे, नो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली बूया-अणालोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा जाच उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोईति पंचमा भावणा ५।एयावता पढमे महत्वए सम्म काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्टिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महत्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ अहावरं दुचं महवयं-पथ खामि सत्रं मुसाबायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिजा नेवन्नेणं मुसं भासायिज्जा अन्नपि मुसं भासंतं न समणमन्निजा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते! पडिकमामि जाय बोसिरामि, तस्सिमाओपंच भावणाओ भवंति-तस्थिमा पढमा भावणा-अणुवीइभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासी, केवली घूया-अणणुवीइभासी से निम्गंथे समायजिज्ज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निम्गंधे नो अणणुवीइभासिनि पढमा भावणा १। अहावरा दुवा भावणा-कोह परियाणइ से निग्गंधे नो कोहणे सिया, केवलीबूया-कोहप्पत्ते कोही समावइज्जा मोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंधे न य कोहणे सियत्ति दुचा भावणा २। अहावरा तचा भावणालोभ परियाणइ से निग्गंधे नो अलोभणए सिया, केपली धूया-लोभपत्ते लोभी समावइ(म० जि)जा मोसं क्यणाए, लोभं परियाणा से निम्नये नोय लोभणए सियत्ति तचा भावणा ३॥ अहापरा चउत्था भावणा-भयं परिजाणइ से निग्गंधे नो भयभीरुए सिया, केवली बूया-भयपत्ते भीरू समावइजा मोसं वयणाए, भयं परिजाणह से निग्गंथे नो भयभीरुए सिया चउत्था भावणा ४। अहावरा पंचमा भावणा-हासं परियाणइ से निग्गंथे नो य हासणए सिया, केव० हासपत्ते हासी समावइजा मोसं वयणाए, दासं परियाणइसे निगधे नो हासणए सियत्ति, पंचमा भावणा ५। एतापता दोचे महबए सम्म काएण फासिए जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, दुचे भंते ! महथए ॥ अहावरं तवं भंते ! महवयं पञ्चक्खामि सवं अदिनादाण, से गाम वा नगरे पा रजे या अप या बहुं वा अणुं वा धूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं (प्र० मंतमचित्त) वा नेव सयं अदि गिणितजा नेवन्नेहि अदिन्न गिण्हापिजा अदिन्नं अन्नपि गिण्हतं न समणुजाणिजा जावजीचाए जाच योसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-अणुवीइ मिउम्गहं जाइसे निगंथे नो अणणबीड मिउग्गह जाद से निगंथे. केवली च्या-अणणुवीह मिउग्गहं जाइ निग्गंधे अदिन्नं गिण्हेज्जा, अणुवीइ मिउम्गहं जाइ से निरगंथे नो अणणुचीह मिउम्गहं जाइत्ति पढमा भावणा १। अहावरा दुबा भावणा-अणुचवियपाणभोयणभाई से निर्माचे नो अणणुनविअपाणभोयणभोई, केवली व्या-अणणुनवियपाणभोयणभोई से निर्माचे अदि अजिजा, तमहा अणनवियपाणभोयणभोर से निगंथे नो अणणनवियपाणभोयणभोईति दया भावणा२।अहाबरा तच्चा भावणा-निग्गंधणं उम्गहंसि उम्गहियसि एतावताचउम्गदणसीलए सिया, उग्याहंसि अमहियंसि एतावताअणुपाहणसीले अदि ओगिहिजा, निग्गंथे णं उम्गहं उम्गहियंसि एतावतावउग्गहणसीलए(म० सिय)त्ति तथा भावणा । अहावरा चउत्था भावणानिरगंधे णं उम्गहंसि उम्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली व्या-निग्गंधे णं उम्गहंसि अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदि गिहिजा, निरगंधे उग्गहसि उम्गहियंसि अभिक्खणं२ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा ४ा अहावरा पंचमा भावणा-अणुवीइमिउग्गहजाई से निम्मांथे साहम्मिएम, नो अणणुवीइमिउग्गहजाई, केवली बूया-अणणुबीइमिउम्गहजाई से निम्गंधे साहम्मिएसु अदिनं उम्गिहिजा, अणुबीइमिडग्गहजाई से निग्गंथेसाहम्मिएमु नो अणणुवीइमिउम्गहजाती, इइ पंचमा भावणा५, एतावया तचे महत्वए सम्म जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तचं भंते! महवयं०॥ अहावरं चउत्थं महत्वयं पचक्खामि सर्व मेहुणं, से दिवं वा माणुस्सं वा तिरिक्खजोणियं वा नेय सयं मेहुणं गच्छेजा तंचेवं अदिनादाणवत्तचया भाणिया जाय बोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-नो निगंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं फहं कहित्तए सिया, केवली व्या -निमगंधे णं अभिरवणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपञ्चत्ताओ धम्माओ भंसिजा, नो निगंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सियत्ति पढमा भावणा १॥ अहावरा दुबा भावणा- नो निगधे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइत्तए सिया, केवली व्या-निग्गथे णं इत्थीर्ण मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे ३५ आचारांग-न्झा -१५ मुनि दीपरनसागर PORANSPOR48700AASPICARSPERMSPIRATBPEARSPIRINRBPARENTINEPOS-SPOONISPEASYCEPSMEPISABPRAEYCHISA
SR No.003901
Book TitleAagam Manjusha 01 Angsuttam Mool 01 Aayaro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size30 MB
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