Book Title: Yugpradhan Jinchandrasuri
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Paydhuni Mahavirswami Jain Derasar

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Page 402
________________ યુગપ્રધાન જિનચંદ્રસૂરિ २८3 शत्रुंजयस्थादिजिनबिंब प्रशस्तिः । रंगद्वैराग्यवासनातिशयसमादृतकठोरतर सुंदरसाधुक्रियासमाचार, कृतकुवादिवृंद तिरस्कार, प्रधानजनवदनश्रुतविश्रुतनिरुपमसद्गुरुगुणगणसमुल्लसित चित्तदवीयोदेशसमाहूतागतश्रीगुरुराज तया समुपदिष्टविशिष्टाभयदानादिधर्मवासनावासितांतःकरणेन, तद्गुरूपदेशादेव यावज्जीवषाण्मासिकजीवामारिप्रवर्त्तकेन, विशेषसकलगोमहिषजातिपालकेन, समस्तजैनसम्मतश्रीशत्रुंजयादिमहातीर्थकरमोचकेन, सकलस्वदेशपरदेशमुक्तशुल्कजीजीयादिकर संतापेन, निर्मलप्रबलबलनिस्तुलभुजबल साधितसकलभूमंडलेन दिल्लीपतिसुरत्राणेन, श्रीमदकबरसा हिपुंगवेन प्रदत्तश्रीयुगप्रधान बिरुदाधार, सततं प्रहृष्टसाहिवितीर्णाषाढीयाष्टाहिकास दमारि, स्तंभतीर्थीयसमुद्रजलचरजीवसंघातघातनिवारणाजातयशः संभार, वितथसाहिसमक्षं दूरीकृतकुमतिकृतोत्सूत्रासभ्यशंसनमय'प्रवचन परीक्षा' दिशास्त्र व्याख्यानविचार, विशिष्टस्खेष्टमंत्रादिप्रभावप्रसाधितपंचनदप तिसोमराजादियक्षपरिवार, श्रीशासनाधीश्वरवर्द्धमान स्वामिप्रभाकरपंच मगण (घर) श्री सुधर्मस्वामि प्रमुखयुगप्रधानाचार्या विच्छिन्न परंपरायात कोटि कगणमंडनवज्रशाखा शृंगारश्रीचंद्र कुलाभरणश्रीनेमिचंद्र सूरिश्री उद्योतनपट्टप्रदीपसर्वातिशायिज्ञानगुणातिशयप्रबोधितमंत्री श्वर विमलका रितार्बुदाचल शिरः शेखरीभूतविमलवसतिनामक श्री आदिनाथचैत्यप्रतिष्ठापकश्री वर्धमानसूरिपट्टावतंस श्रीमदणहिल ( पुर ) पत्तनाधिपदुर्लभराजमुखोपलब्धश्रीखरतर विरुदश्रीजिनेश्वरसूरि श्रीजिनचंद्रसूरि नवांगीविवरणाविर्भाव की स्तंभनक पार्श्वनाथप्रकाशक श्रीअभयदेवसूरिश्रीजिनवल्लभसूरि श्रीजिनदत्तसुरिपट्टानुक्रमसमागतसुगृहीतनामधेय श्रीजिनमाणिक्यसूरि पट्टप्रभाकर श्रीऋषभेशदेवकृतानेकवारचरणसन्निवेश श्रीपुंडरीकाचलोपरिप्रदेशसमुल्लसितपरमरमासंसर्गात दुर्गातः प रितः परविहारप्रतिषेधदुलिलतकोपविकारदुराचारप्रतिपंथिम थनोद्भूतनव्यभव्यचैत्य निष्पादनप्रभूत परमोत्साहसुखसागरावगाहसंतुष्टपुष्टसत्कर्मावारितश्रीखरतर संघकारित श्रीयुगादिविहारमुक्ता

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