Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti
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DAAROB
आ-भक्ति म.जीवन
योग
शाखम्
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॥३॥
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चारित्रपात्र मुनिगणने श्री संघने समी पोताना जीवनने कृतकृत्य धन्य करवा साथे जैनशासनने अजवाळयु छे. ७५ जेवा परम पवित्र साध्वीगण जैनशासनने सांपी चतुर्विध संघ पैकीना श्रमणसंघना पायाने मजबुत कयों छे. तेमना जीवननी सुवास क्यां नथी? बंगालमां, कलकत्तामां, यु.पी.मां, बनारसमां, राजस्थानमा सादडी पालीमां, काठीयावाडमां पालीताणा, वीरमगाम, मांगरोळ, वढवाण, जामनगर, भावनगर अने लींबडीमां तथा गुजरातमां पाटण, अमदावाद, राधनपुर, खंभात, मुंबई, कपडवंज, महेसाणा विगेरे ५८ स्थळोए चातुर्मास करी हमेशना धर्मस्थानोना पाया मजबूत कर्या छे. सदा माटे तपत्यागनो प्रवाह बहेतो रहे ते माटे धर्मक्रियानुष्ठान खाताओं तेमणे सभर बनाव्यां छे.
आजे मूरिवर नथी पण तेमणे करेलां कामो तेमनी साक्षि पूरे छे. आजे सूरिवरनी भदिकमुखमुद्रा सत्मनो सरल अने हृदयसांसरो असर करे तेवो धर्मोपदेश आपणा काने अथडातो नथी पण तेमणे जैनशासनने समर्पण करेल केइ उत्तम मुनिगण तेमनां अनेकरुपो करी ठेर ठेर तेमनो उपदेश आपे छे.
प. पू. आचार्यदेवनो जन्म वढीयारमा आवेल समी गाममां थयो हतो. आ समी गामे खरेखर सम सरळ-सीधा नम्र एवा महापुरुपने समी जेनशासनने प्रभावित बनावेल
पितानं नाम वस्ताचंदभाई अने मातानुं नाम हस्तुबाइ. वि. सं. १९३० ना आसो मुदी ८ नो शाश्वत आयंबीलनी ओलीनो दिवस ते तेमनो जन्मदिन. खरेखर महापुरूषना जन्मदिननी नियततामां पण भाविनं
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॥३॥
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