Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti

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Page 6
________________ योग प्रा .यक्ति म.जीवन शास्त्रम् ॥२॥ ORSRAEBARBARSHABIRBIRRORBA मृत्यु पछी वर्षों मुधी तेमनां जीवननी ज्योतना-प्रकाशना सहारे पोतानो जीवनपथ नकी करे छे. स्व. प. पू. आचार्यदेव विजयभक्तिसूरीश्वरजी महाराज एवा महापुरुषो पैकीमांना एक हता. जेमन बाळपण निर्दोष हतुं. जेमनी युवानी पवित्र हती, जेमनी वृद्धावस्था मार्गदर्शक हती. तेओश्री जीवनना प्रारंभथी धर्ममार्गमां ओतप्रोत अने सेंकडोने धर्ममार्गे जोडनारा, धर्मक्रियानुष्ठानमा तत्पर, सदा परोपकारी, अति सरळ अने भद्रिक परिणामी हता. स्व. प. पू. आचार्यदेव विजयभक्तिसूरीश्वरजी महाराजे आबाल ब्रह्मचारीपणे २७ वर्षनी भरयुवानीमां परम पावन भागवती दीक्षा स्वीकारी हती. दीक्षा स्वीकारतां पहेलां पण सामायिक,-प्रतिक्रमण, पौषध, रास विगेरेमा सेंकडो माणसोने धर्मक्रियानुष्ठानमा जोडी धर्मक्रियामां पाते ओतप्रोत रहेनार हता. ५८ वर्षनो तेमनो अतिनिर्मल दीक्षापर्याय हतो. आ ५८ वर्षना गाळामां तेमणे ठेरठेर गुजरात, कच्छ, काठीआवाड, बंगाल, राजस्थान विगेरे दूर सुदूर प्रदेशोमां बिहार को छे. गामेगामना कुसंपोने तेमना निर्मळ चारित्र अने भद्रिकपणाथी उकेल्या छे. ठेर ठेर मुक्तिमार्गना परवसमां वर्धमान तपना खाताओ खोलाबो अनेकने तपमार्गे जोड्या छे, शासननी प्रभावना करता १९ थी २० छरी पाळता संघो कढावी जैन शासननी प्रभावना करी छे. परम परमात्मा देवाधिदेव तीर्थकर भगवंतोना १२ जेवा प्रतिष्ठा प्रसंगो योजी सेंकडो, हजारो मानवोना हृदयमा धर्मने प्रतिष्ठित को छे. ७२-७३ शिष्य प्रशिष्यरुप विद्वान तपस्वी अने KADURERSARDARBAREXPECTED ॥२॥

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