Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti

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Page 13
________________ - था. भक्ति IC:म.जीवन शास्त्रम् ॥९॥ HR HORS-% थया. माता-पिताना धार्मिक उत्तम संस्कार हता. कंदमूळ अभक्ष्यनो त्याग हतो. क्रियानुष्ठान अने तप प्रत्ये खेचाण हतुं. तेमां महाराजश्रीना उपदेशे तेमने दीक्षार्थी बनाव्या. श्री पन्नालाले प्रथम दीक्षानी भावना दर्शावी. पूज्य महाराजश्री तेमने माता पितानी अनुज्ञा मेळवी तेमने अमदावाद विद्याशाळामां बिराजता प. पू. आगमोद्धारक आ. सागरानं दसूरीश्वरजी पासे मोकल्या अने तेमना वरद हस्ते श्री पन्नालालनी दीक्षा प्रथम अषाड वदी-६ ना रोज सुमुहूर्ते थइ. अहि तेमनु नाम प्रेमविजयजी पाडवामां आव्यु. नृतनमुनि प्रेमविजयजीपू. आचार्य सागरानंदसरीश्वरजी महाराजश्रीनी निश्रामां चातुर्मास कयु. अने पू. पन्यासजी महाराजर्नु सं. १९८७नु चातुर्मास महेसाणामां श्यु. चोमासु उतरे नूतनमुनि तेओ पोताना गुरुमहाराज पासे महेसाणा आव्या. महेसाणामां ते वखते खुब धर्म उत्साह हतो केमके पूज्य पन्यासजी महाराजना हाथे जे संघमां प्रथम वमनस्य हतुं ते दुर थइ संप थयो हतो. तेमज खुब ज प्रभावना पूर्ण उपधान तप चालता हता. उपधान तपना मालारोपण महोत्सव प्रसंगमा वि. सं. १९.८८ना मागसर सुदि ५ ना रोज नतनमनि प्रेमविजयजीनी बडी दीक्षा थइ. आ बडी दीक्षानो प्रसंग मुनि उदयविजयजी अने प्रबोधविजयजीनी साथे प्रण मुनि भगवंतोनो हतो. उपधान तपनी पूर्णाहूति बाद पूज्य महाराजश्री वीरमगाम पधार्या. अहिं श्री पन्नालालना भाइ 393GPBPOTOSBEEGLECRECED A ॥९॥ PPS

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