Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti

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Page 11
________________ आ. भक्ति योग शास्त्रम् म. जीवन ॥७॥ G-RRER.RRORSHIROMANOHIBITORROR वि० सं० १९६३, अने १९६४ १९६५ नां चातुर्मास पू. गुरुदेवनी साये कलकत्ता अने बनारसमां थयां, आ चातुर्मास दरमियान शाखोभ्यास अने गुरुदेवनी शुश्रुषाथी तेमणे गुरुमहाराजनो अनहद प्रेम संपादन कर्यों. वि० सं० १९६५ ना चातुर्मास बाद गुरुमहाराजनी आज्ञा लइ मुनिश्री भक्तिविजयजी महाराजे गुजरात तरफ विहार कर्यो, वि. सं. १९६६- चातुर्मास पालीमां ( राजस्थान ) कर्यु. चातुर्मास उतर्या बाद गुजरातमां १९६७-१९६८-१९६९-१९७० ना चातुर्मास अनुक्रमे साणंद, समी सादडी अने पालीमा अने १९७११९७२-१९७३-१९७४ नां चातुर्मास अमदावाद, पालीताणा, अने वीरमगाममा करी वि. सं. १९७५ मां कपडवंज पधार्या. कपडवंजमां ते वखते पूज्यपाद् आचार्य श्री विजयवीरसूरीश्वरजी म. बिराजता इता. तेमणे श्री संघने प्रेरणा करी चरित्रनायक मुनिश्री भक्तिविजयजीने गणिपद तथा पन्यासपद लेवानो आग्रह को. श्री संघना आग्रहथी महोत्सवपूर्वक वि० सं० १९७५ ना अपाड सुदि २ ना रोज गणिपद अने अषाड सुदि ५ ना रोज पन्यासपद योगोदवहनपूर्वक पू. आचार्य विजयवीरमरीश्वरजी म.ना वरद हस्ते श्री सकल संघना खुब उत्साहपूर्वक राहवे मनिश्री भक्तिविजयजी पंन्यास भक्तिविजयजी गणि थया. अने वि० सं० १९७५ - चातर्मास कपडवंजमां कयु. चातर्मास उतरू बाद पन्यास भक्तिविजयजी गणिवर पालीताणा पधार्या. आ वखते पालीताणामां 00RRERBRBRBRBRECECE00 ॥७॥

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