Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti
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योग
| आ.भक्ति म. जीवन
शास्त्रम्
॥११॥
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अहिं लींबडीमां श्री शेठ पोपटलाल धारशीभाइ द्वारा आगमोद्धारक आचार्यदेव सागरानंदमूरिजी पु. पन्यासजी महाराजने आचार्यपद ग्रहण करवा जणाव्यु. परंतु पन्यासजी महाराजे जे पदमां हु छुते पर्याप्त छे अने विनंतिपूर्वक जणाव्यु के आपनी कृपा छे. ते बस छे. फरी श्री पापटभाइ पू. आगमोद्धारकश्रीना संदेशो लई आव्या अने तेमनी आज्ञाने वश थइ पन्यासजी म. पालीताणा पधार्या. त्यां प. पू. आगमोद्धारक आचार्यदेवना वरद हस्ते वि. सं. १९९२ वै. सु-४ ना शनिवारना प्रातः समये श्री आगमोद्धारक आचार्यदेवना वरद हस्ते आचार्यपदारुढ करवामां आव्या. आ वखते अनुक्रमे पू. आ. माणिक्यसागरसूरि, आ. कुमुदसूरि, आ. भक्तिसरि अने पू. आ. विजयप्रभसरि थया ।
हवे आपणा चारित्र नायक पू आ. भक्तिमरि महाराज संघनी विन तिथी तलाजा थइ लींबडी पधार्या अने वि. सं. १९९२नु चातुर्मास तेमणे लींबडीमां कहुँ ।
वि. स. १९९३ चातुर्मास पू. पंन्यासजी महाराजे समीमां कर्यु: अहीं पू. मुनि श्री सुमतिविजयजीने भगवतीजीना योगमा प्रवेश कराव्यो. अहि पण तेमणे उपधान विगेरे अनेक शासनप्रभावनाना कार्यों कराव्या. त्यारवाद महाराज विहार करी वीरमगाम पधार्या. अहिं महोत्सवपुर्वक पू. सुमतिविजयजी म, ने वि. सं. १९९४ना महावदी ७ना दिवसे गणिपदाल कृत कर्या अने १९९४नु चातुर्मास पाटण कयु अहि पण उपधान विगेरे शासन प्रभावना करनारा महान् उत्सवो थया.
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॥११॥

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