Book Title: Vijayanandji ke Vangmay ka Vihangavalokan
Author(s): Kiranyashashreeji
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 160
________________ Jain Education international For Private & Personal Use Only श्री विजयानंदजी के हस्ताक्षर ॥अदनमः। एकसाहिबगरेनने विलायतको सदोषकरणमंत्रीदरिनइसरिजीने लिखा किनो परियदक्षारीश्रणाचारीपासवेत्रादिकपासनोको लिखाथाकि एककरावेदसहितासनाष्पकापुस्तयोगतथाqधानादिकिया गुरुवृधिसेवदेसि खलनेननाचादिये सोपुस्तकतोलमें पसेरका क साकनमनिश्रात्मारामजीको सरकारने नेटदा कोसाकयानिफल उलटा वोदयोगोपक्षानादि कीकियाकरलेवाला पायश्चित्तकेयोपभ्रथा देसोसरकारने गवरनरजनरलकीरोजस्सा उसकेपायचितलेनावाहियै गाया। वंदगनमस दिवकीमारफत मुझकों जोधपुरमेंमिलादैयक्ष्वात सत्य है गाईजोगवसणाइतपुरोविक्षियं गुरुवुद्धिावि हलं सबंपबित्तनुगंवाए। मैनेतोघैसेयोकेश्रा २ नवीनसाकयोंकोमडीदीलादीनाद सोकिसशा गेयोगवरनेवालोंकीकियासफलमानीथायद५, स्वानुसारे गुजरातमेतोभगवतीनायोगवराहोवे सुनताद श्रावायरपामायशासविर३७वन्नि सोदीक्षादेवेदै तिला ४गलिए पांचोपुरुषनिसगलमेनहोवे सोगवो उत्तर मैंपामरजीवनगवतकीसधाज्ञाभार रपल्लीसमानदै सम्मक्तरूपरलकाहरनेवालासा धनहासक्ता दिक्षातोमैनेसमाचारीकीरातीस गछदैौरलयजीवाकोसंसारत्रमणका दीना पसनगवतीकायोगतोमनेनहीवत्यादै धैसेगछमें सविस्तिसाफको एकमऊर्तमानी यदमेरेमेन्यूनताौरविना योगवट्यामैनग सनानवाहियोकरसामान्पसाकहावेपर क्तीपमुखशास्त्रधारयानमेवावता शिष्योंकों दोक्तपादोगुपिनननदोवेतो गरिखमेरदनाअछा वावनादेताहंयसरीन्यूनताद और योग है।गाथा जनचश्मेवि नगिसोजपल्लि तोवापरंशास्वनहीपदादेशतावकसिकोमै सारिलो समत्तरयदरणे नवाबनवज्ञमए। गणिमानतारहालंयदतीसरीन्यूनतादे३ और सीलोएसनमुऊत्तमित वसियवसविह किसिलीगलकीसमाचार मैनेनदादेस्मादेकि एहिंसातदिनसामारपालिलोनलिणे गणिगणिकोषगणिपददेवे पत्राचार्यगलि. तनदरंगेहाए६॥ नगाथाथानुसारमनदीव देवत्रैसलिखसर्वभवाचार्योकीसमाचारीयोमे है लसतातंत्रौरतपगछादिगछोकेसाकयोको परंमैताक्तिरीतीवालेकोंगलिमानतारदाय चोरपल्लीसमानगछौरसाकयोको चोरासमा न्यूनता है। ननदीमानतातं यद६न्यूनता है www.jainelibrary.org

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