Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj View full book textPage 7
________________ 90 प्रिय पाठकों! ___ अत्यन्त विनयपूर्वक चौकी या श्रुतपीठ पर विराजमान करके शरीर के नाभि स्थान से उपर ही रखकर इस ग्रन्थ की स्वाध्याय करना। किसी भी प्रकार से इसकी विराधना न करना। हाथ धोकर इसे छूना। मन और वचन को चुप करके एवं काया को संयमित करके अत्यन्त जागृत अवस्था में बैठकर इसे पढना, लेटकर या कछ खाते-खाते अथवा किसी से कोई सांसारिक चर्चा या वार्तालाप करते हुए नहीं। नीचे जमीन पर, बिस्तर पर अथवा तकिये पर इसे नहीं रखना और इसके पृष्ठ भी न फाड़ना। घर में स्वाध्याय करने के बाद अपने स्वाध्याय भवन या आलमारी में अत्यन्त सुरक्षापूर्वक इसे विराजमान करना। इन सच्चे जैन ग्रन्थों के अविनय से बहुत भारी पाप का बंध होता है। RPage Navigation
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