Book Title: Updesh Siddhant Ratanmala Author(s): Nemichand Bhandari, Bhagchand Chhajed Publisher: Swadhyaya Premi Sabha Dariyaganj View full book textPage 5
________________ इस ग्रन्थ देव-गुरु-धर्म के श्रद्धान का पोषक उपदेश भली प्रकार किया है सो यह मोक्षमार्ग का प्रथम कारण है क्योंकि सच्चे देव- गुरु-धर्म की प्रतीति होने से जीवादिक पदार्थों के यथार्थ श्रद्धान-ज्ञान- आचरण रूप मोक्षमार्ग की प्राप्ति होती है और तब जीव का कल्याण होता है इसलिए अपना कल्याणकारी जान इस शास्त्र का अभ्यास करना योग्य है पं० श्री भागचंद जी की वचनिका से साभार कई अधम मिथ्यादृष्टि इस प्रामाणिक शास्त्र की भी आचरण में निंदा करते हैं सो हाय ! हाय !! निंदा करने से जो नरकादि के दुःख होते हैं उनको वे नहीं गिनते हैं। कैसे हैं वे अत्यन्त मान और मोह रूपी राजा के द्वारा ठगाये गये हैं अर्थात् जो यथार्थ आचरण तो कर नहीं सकते और अपने को महंत मनवाना चाहते हैं उनको यह यथार्थ उपदेश रुचता नहीं। (गाथा ९७ ) - श्री नेमिचंद भंडारी के इसी ग्रन्थ से उद्धृत 榮榮 5Page Navigation
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