Book Title: Updesh Pushpamala Author(s): Hemchandracharya, Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 6
________________ 4/ साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री एक अनोमदनीय कार्य खरतरगच्छ महासंघ खरतरगच्छीय विद्वान साधु सोमगणि के द्वारा व्याख्यायित एवं मलधारी हेमचन्द्र सूरि द्वारा रचित पुष्पमाला के हिन्दी अनुवाद का प्रकाशन करने जा रहा है, जिसका अनुवाद विदुषी साध्वी श्री सम्यग्दर्शनाश्री जी ने किया है, जो प्रशंसनीय व अनुमोदनीय है। खरतरगच्छ के सभी साधु-साध्वियों को मिलकर यही कार्य करना चाहिये, जिससे कि खरतरगच्छ का सारा साहित्य पुनः प्रकाश में आ जाए तथा जिनका हिन्दी अनुवाद नहीं हुआ हो तो उनका हिन्दी अनुवाद करके सर्व जन के लिए उपयोगी बनाये। साध्वी जी को मेरा अन्तःकरण से आशीर्वाद है कि वे जैन साहित्य, शासन और संघ की सेवा में निरंतर आगे बढ़ती रहें। महत्तरा विनीताश्री उज्जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 188