Book Title: Updesh Pushpamala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 188
________________ लेखिका परिचय नाम -- कमलेश कोचर पिता श्रीभीकमचंदजी कोचर माता - सुन्दरदेवी कोचर जन्म - वि.स. 2016 फाल्गुन कृ. नवमी, दि. 21/2/1960 खडगपुर दीक्षा - वि.स. 2030 बसन्त पंचमी, दि. 28/1/1974 दीक्षा नाम - साध्वी सम्यग्दर्शनाश्री दीक्षा गुरू - आगम ज्योति प्रवर्तिनी श्री सज्जनश्रीजी म. सा. शिक्षा गुरू - संघरत्नाश्रीशशिप्रभाश्रीजी म. सा. बड़ी दीक्षा - वि.सं. 2030 आ.सु. बारस पावापुरी (भ. महावीर निर्वाण स्थली बिहार) बड़ी दीक्षा गुरू - आचार्य श्री जिन कान्तिसागर सूरिश्वरजी म. सा. भ्राता - प.पू. मैत्रीप्रभसागरजी म. सा. (पू. मणिप्रभसागरजी म. सा. के शिष्य) बहन - पू.श्री दिव्यदर्शनाश्रीजीम.सा., पू.श्री तत्वदर्शनाश्रीजी म. सा. भाणजी - पू.श्री आराधनाजी (ज्ञान गच्छ) भत्रीजी ___- पू. श्री सम्यक्प्रभाश्रीजी म. सा. प्रबल वैराग्य - 14 वर्ष की उम्र में वैराग्य से वासित होकर संसार के सुखों को तिलांजलि देकर महाभिनिष्क्रमण पथ पर प्रयाण किया। अध्ययन साहित्य रत्न, जैन दर्शन लेखन - सज्जनशतक, सम्यग्दर्शन से मोक्ष, आओ गुरू वंदन करें, आओ शब्दों से कुछ सीखें, आओ हम बने ज्ञान के स्वामी सम्पादन अनुभव की आंच, भवचक्र निवारण विधि, पंचप्रतिक्रमण सूत्र, आओ देव वन्दन करें, आओ चैत्यालय चले (प्रेस में) अनुवाद पुष्पमाला विहार क्षेत्र बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पदयात्रा लगभग 35,000 कि.मी. विशेषता गुरू समर्पण, शिक्षण शिविर में कुशल, प्रभावक प्रवचन शक्ति, परोपकार परायणता, संघवात्सल्य, सरलता, सहिष्णुता, क्षमा, समता, करूणा, विनय, वैय्यावच्च, विवेक, प्रतिकूलता में प्रसन्नता, संघठन की बेजोड़ शक्ति आदि गुण होते हुये भी गुरू के प्रतिपूर्ण समर्पित है। मुद्रक : आकृति आफसेट, नईपेठ, उज्जैन फोन : 0724-2561720, 98576-1780, 98272-42489 | alse only www.janglibrary.org Jain Education International F

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