Book Title: Upasakdashanga Sutra
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Abhaydevsuri

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Page 144
________________ उपासकदशांग सानुवाद ७ सद्दालपुत्र अध्ययन ॥१४४॥ | ॥१४४॥ लंकियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोलासपुरं नगरं मज्झम्मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहस्सम्बवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता चेडियाचक्कवालपरिबुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो जाव वन्दइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नचासन्ने नाइदूरे जाव पञ्जलिउडा ठिइया चेव पज्जुवासइ । ११. तए ण समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाव धम्म कहेइ । तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हहतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमपहेरी, अल्प अने महामूल्यवाळा अलंकार वडे शरीर शणगारी, चेटिका-दासीओना समूह वडे वींटायेली धार्मिक श्रेष्ठ वाहन उपर चढे छे, चढीने पोलासपुर नगरना मध्य भागमां थइने नीकळे छे. नीकळीने ज्यां सहस्राम्रवन नामे उद्यान छे त्यां आवीने धार्मिक यानथी नीचे उतरे छे. नीचे उतरीने दासीओना समुदाय वडे वींटायेली (अग्निमित्रा) ज्यां श्रमण भगवान् महावीर छे त्यां आवे छे. आवीने त्रण वार यावत् वन्दन नमस्कार करें छे, वन्दन नमस्कार करीने अत्यन्त पासे नहि, तेम अत्यन्त दूर नहि एम यावत् | हाथ जोडी उभी रहीने पर्युपासना करे छे. ११. त्यार बाद श्रमण भगवान् महावीर अग्निमित्राने अने ते मोटी परिषदने यावत् धर्मोपदेश करे छे, त्यार पछी ते अग्निमित्रा भार्या श्रमण भगवंत महावीरनी पासे धर्म सांभळी अवधारी हृष्ट-प्रसन्न अने संतुष्ट थयेली श्रमण भगवंत महावीरने वंदन

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