Book Title: Upasakdashanga Sutra
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Abhaydevsuri
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उपासक
दशांग सानुवाद
|णीपियस्स समणोवासयस्स बहहिं सीलब्वयगुण जाव भावेमाणस्स चोइस संवच्छराइं वइक्कन्ताई। तहेव जेहूँ | पुत्तं ठवेइ, धम्मपण्णत्ति, वीसं वासाइं परियागं, नाणत्तं अरुणगवे विमाणे उववाओ। महाविदेहे वासे सिजिझ- | हिइ । निक्खेवो॥
॥सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं नवमं अज्झयणं समत्तं ॥
नन्दिनीपिता अध्ययन
॥१७७॥
॥१७॥
जाणतो) विहरे छे. ते पछी ते नन्दिनीपिता श्रमणोपासकने घणा शीलवतो, (गुणवतो वगेरेथी आत्माने भावित करता चौद वरस व्यतीत थया. तेमज ते ज्येष्ठ पुत्रने स्थापन करे छे अने धर्मप्रज्ञप्तिनो स्वीकार करीने विहरे छे. वीश वरस सुधी श्रावकपणानो पर्याय पाळे छे, भेद ए छे के ते अरुणगव विमानमा उत्पन्न थयो, अने पछी ते महाविदेह क्षेत्रमा मोक्षे जशे. अही निक्षेप कहेवो.
उपासकदशाना नवमा अध्ययननो अनुवाद समाप्त.
SO900०

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