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उदयन और वासवदत्ता रानी मृगावती की विनम्रता भरी बातें सुनकर चण्डप्रद्योत शर्म से पानी-पानी हो गया। वह खड़ा हुआ और भगवान को वन्दन कर निवेदन किया
प्रभु ! मेरा अपराध तो अक्षम्य है। रानी
मृगावती की बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता से (अनर्थ होते-होते बच गया। मैं आपकी साक्षी
से इसे दीक्षा की आज्ञा देता हूँ।
राजा चण्डप्रद्योत की आज्ञा प्राप्त होने पर एकान्त में जाकर आर्या परिवेश (साध्वी का वेष) धारण किया। वे सब महासती आर्या चन्दनबाला की शिष्याएँ बनीं।
अगले दिन चण्डप्रद्योत ने कुमार उदयन का राजतिलक कर दिया।
२० आज से कौशाम्बी पूर्ण सुरक्षित
है। महामंत्री यौगंधरायण राजा उदयन की आज्ञा से राज्य का।
संचालन करेंगे।
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फिर सेना के साथ चण्डप्रद्योत वापस उज्जयिनी लौट आया। # मृगावती के साथ ही राजा चण्डप्रद्योत की अंगारवती आदि अनेक रानियों ने भी दीक्षा ग्रहण की।