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उदयन और वासवदत्ता अगले दिन महामंत्री ने पत्र लिखकर दूत को दे पत्र पढ़कर चण्डप्रद्योत का चेहरा क्रोध से तमतमा दिया। दूत ने वापस उज्जयिनी पहुँचकर चण्डप्रद्योत उठा
मेरी बिल्ली, मुझसे ही को पत्र दिया। आदरणीय, अवन्तीनरेश को सादर प्रणाम,
म्याऊँ। ठीक है, चण्ड आपका आदरपूर्ण आमंत्रण हमारे लिए प्रसन्नता
महासेन भी अपना लक्ष्य का विषय है। किन्तु अभी महाराज महत्त्वपूर्ण
साधना जानता है। राजकार्यों में व्यस्त होने से आपका आदेश स्वीकारने में असमर्थ हैं। क्षमा करें।
उसने तुरन्त अपने रहस्य मंत्री को बुलाकर आदेश दिया
उदयन को छल से, बल से, किसी भी प्रकार अवन्ती लाना है।
महाराज ! आपकी
आज्ञा हो तो हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं। यह तो मामूली कार्य है
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रहस्य मंत्री ने तुरन्त योजना बनाकर चण्डप्रद्योत के समक्ष प्रस्तुत की- वाह ! बहुत सुन्दर उपाय बस महाराज, चतुर शिल्पकारों
है। तुरन्त इसे अविलम्ब को कल से ही इस काम में
क्रियान्वित करो। लगा देता हूँ। चार मास में हमारी योजना पूर्ण हो जायेगी।