Book Title: Udayan Vasavdatta
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 35
________________ उदयन और वासवदत्ता उज्जयिनीपति ने अपनी पुत्री के लिए यह उपहार भेजे हैं। कृपया स्वीकारें। CCC KURV OXOO00 वासवदत्ता ने राजपुरोहित के चरण-स्पर्श किये। उज्जयिनीपति महाराज चण्डप्रद्योत की ओर से आप दोनों के सुखसौभाग्यमय जीवन की कामना करता हूँ। ETOYOOOOOOOOOOOOU) पुरणे उसी समय उद्यानपाल ने सूचना दी (श्रमण भगवान महावीर विहार करते-करते कौशाम्बी के उद्यान में पधार रहे हैं। गणप 31

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