Book Title: Udayan Vasavdatta
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 34
________________ उदयन और वासवदत्ता सब के समझाने से चण्डप्रद्योत शान्त हो गया। उसने राजपुरोहित को आदेश दिया (ठीक है ! आप सबका विचार उचित ही है। यदि मैं अपने हाथ से कन्यादान करता तो ज्यादा खुशी होती। अब कन्या और जंवाईराजा के लिए उपहार लेकर आप कौशाम्बी जाने की तैयारी कीजिए। दो दिन बाद महामंत्री यौगंधरायण कौशाम्बी में उदयन-वासवदत्ता के विवाह उत्सव की तैयारियाँ होने लगी। तभी उपहार | भी कौशाम्बी आ गया। आदि लेकर उज्जयिनी के कुलपुरोहित भी आ पहुंचे। आइये महामंत्री मी OOD मैं आपका इन्तजार कर रहा था। महाराज की महाराज उदयन जय हो! की जय हो! CEYOXOXO aroo

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