________________
उदयन और वासवदत्ता अनिलगिरि आकर फिर घड़े के पास रुक गया और बड़ी मुश्किल से महावत ने फिर उसे आगे सूंड उठाकर चिंघाड़ने लगा।
दौड़ाया। २५ योजन भूमि पास करते-करते फिर उदयन के नजदीक आया तो उसने तीसरा घड़ा भूमि पर गिरा दिया।
चिंघाड़
और अन्त में चौथा घड़ा भी गिरा दिया।
संध्या होते-होते वेगवती हथिनी कौशाम्बी की सीमा में प्रवेश कर गई। चण्डप्रद्योत के सैनिक पीछे रहे गये।
ओह ! वे तो कौशाम्बी की सीमा में प्रवेश कर गये। लौटकर महाराज को खबर
देनी चाहिए।
तेज दौड़ती-दौड़ती हथिनी इतनी थक गई कि कौशाम्बी में घुसते ही भूमि पर बैठ गई और वहीं मूर्छित होकर गिर पड़ी।
"ओह ! बेचारी अपनी कुर्बानी देकर हमें सुरक्षित सरकार
यहाँ ले आई।