Book Title: Udayan Vasavdatta
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 25
________________ उदयन और वासवदत्ता एक दिन उदयन वासवदत्ता को दिव्यराग का शिक्षण दे रहा था। राजकुमारी ! वीणा का पंचम तार) ढीला है। स्वर ठीक लय में नहीं आ रहे। प (वासवदत्ता ने तार कस दिया, किन्तु फिर भी वह बार-बार राग गाने में चूक रही थी। झुंझलाकर उदयन ने कहा ए काणी, क्या वीणा के काणी का सम्बोधन सुनकर वासवदत्ता गुस्से से भर उठी- - तार ठीक से दिखाई। मेरी झील-सी आँखों का नहीं दे रहे हैं। अभ्यास सौन्दर्य तुझ कोढ़ी को सुहाया में जरा मन लगाओ। नहीं? जो काणी कहकर तिरस्कार कर रहा है? (कोढ़ी? कौन है? COM उदयन को लगा कि इसमें भी चण्डमहासेन का कोई प्रपंच है उसने झट से पर्दा खींच दिया। सामने वासवदत्ता को बैठी देख उदयन उसके दिव्य सौन्दर्य को निहारने लगा। हैं ! यह साक्षात् (इस अद्वितीय का कामदेव का अवतार सुन्दरी को कोढ़ी कहाँ है? काणी क्यों बताया ? OVOV 21

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