Book Title: Udayan Vasavdatta
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 29
________________ उदयन और वासवदत्ता चण्डप्रद्योत ने उदयन से कहा- वत्स ! इतने दिन सुना उदयन वासवदत्ता के पास आया| ही था, आज तुम्हारी दिव्य वीणा का और पूरी बात बताकर बोलाचमत्कार देखकर मैं तो गद्गद् हो । सन्दरी ! अवसर चूको गया। अब अपनी वीणा के अमृत | मत महाराज संगीत स्वरों से उज्जयिनी की प्रजा को भी | उत्सव की तैयारी में लगे हैं। आनन्द विभोर कर दो। | और हम कौशाम्बी प्रस्थान की तैयारी करें। महाराज की जैसी आज्ञा आर्य ! बिलकुल उचित समय है। UUU (OGG वासवदत्ता ने अपनी सखी कंचनमाला से कहा KOAAAAA माला ! तैयारी करो, कल सूर्योदय से FOPorore पहले ही हमें प्रस्थान कर देना है। संध्या के समय महल के पीछे उदयन वसन्तक से मिला और कहा वसन्तक! वेगवती हथिनी को namme तैयार रखो। कल ब्रह्म मुहुर्त में हम प्रस्थान कर देंगे। स दूसरे दिन उषाकाल में वसन्तक वेगवती हथिनी लेकर महलों के पीछे पहुंच गया। उदयन भी अपनी वीणा लेकर आ गया। वासवदत्ता भी कंचनमाला के साथ Koli LDLA 25

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