Book Title: Udayan Vasavdatta
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 27
________________ वसन्तक ने महामंत्री को बताया मन्त्रीवर ! राजकुमा उदयन से प्यार करने लगी है। वह भी कु चलेगी। उदयन और वासवदत्ता वाह ! नहले पर दहला । चण्ड ने हमारे राजा का अपहरण किया, किन्तु हम दिन दहाड़े डंके की चोट पर उसकी राजकुमारी को ले जायेंगे। PSO अगले ही दिन से यौगंधरायण एक पागल का स्वांग बनाकर उज्जयिनी के बाजारों में घूमने लगा। खुले बिखरे बाल, फटे कपड़े, चिल्लाता है, कभी रोता है और जोर-जोर से पुकारता हैभाई ! इसको तो भूत लग गया है। मैं कौशाम्बी का अमात्य यौगंधरायण हूँ। चण्डप्रद्योत ने हमारे राजा का अपहरण किया है। मैं उसकी राजकुमारी को उठाकर ले जा रहा हूँ। अरे, यह तो कोई पागल है। 体 बकवास कर रहा है। हटो चलो, अपना काम करो। एक दिन चण्डप्रद्योत हाथी पर बैठा नगर बाजार में से गुजर रहा था । यौगंधरायण उसके सामने आकर खड़ा हो गया और जोर-जोर से हँसता चीखता बोला सुनो सुनो, मैं महामंत्री यौगंधरायण हूँ। इस चण्डप्रद्योत ने हमारे राजा का अपहरण किया है। मैं उसे छुड़ाकर राजकुमारी वासवदत्ता के साथ लेकर। जाऊँगा। ही ही हीं कोई पागल है। भूताविष्ट जैसा लगता है। दो चाबुक मारकर छोड़ दो। पागल ही ही करता थूकता, हँसता हुआ आगे निकल गया। 23

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