Book Title: Tiloy Pannati Part 2 Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur View full book textPage 8
________________ ३८-९० ५ विदेह ३२ विषय-सूची विषय __पृष्ठ | विषय INTRODUCTION 1-13 देहली प्रतिके लेखककी प्रशस्ति ८८७ 1 Tiloyapannatti: Form etc. 1 गाथानुक्रमणिका ८८८ 2 Yativrsabha: The Author 2 | प्रन्यनामोल्लेख ९६५ 3 Yativrsabha: His Date भौगोलिक शब्द-सूची 4 Some Aspects of TP. 10 व्यक्तिनाम ९७४ 5 Concluding Remarks 12 विशेष शब्द ९८० प्रस्तावना | मतभेदोंका उल्लेख ९८७ १ ग्रन्थपरिचय करणसूत्र ९८८ २ ग्रन्थकी कुछ विशेषतायें और तुलना ३ | संज्ञाशब्दोंकी तुलना ९८९-१००५ ३ ग्रन्थकार यतिवृषभ | १ खरभागके १६ भेद ९८९ ४ ग्रन्थका रचनाकाल २ नारक-बिल ४९ ९९० | ३ विद्याधरनगरियां ११० ५ ग्रन्थका विषय-परिचय ९९३ ४ कालमेद ९९७ ६ त्रिलोकप्रज्ञप्तिकी अन्य ग्रन्थोंसे । - तुलना (१) समयसार, पंचास्तिकाय व ६ ग्रह ८८ | ७ इन्द्रक विमान६३ १००३ प्रवचनसार १००६-१०३६ ४२ विविध यंत्र (२) मूलाचार १००६ (३) भगवती-आराधना (४) लाकविभाग ४६२ भवनवासी (५) हरिवंशपुराण ५२ | ३ चौदह कुलकर १००८ (६२ त्रिलोकसार ४ भावन इन्द्र (७) जंबदीवपण्णत्ति ६८ ५ जंबूद्वीपस्थ छह कुलपर्वत १०११ (८) बृहत्क्षेत्रसमास |६, सात क्षेत्र (९) प्रवचनसारोद्धार ७७ | ७ चौबीस तीर्थकर १०१३ (१०) अनुयोगद्वार सूत्र | ८ शलाकापुरुषोंका समय १०२३ (११) विष्णुपुगण ९ द्वादश चक्रवर्ती १०२५ (१२) अभिधर्म-कोश १० नौ नारायण १०२६ ७ हमारा आधुनिक विश्व ९० ११ नौ प्रतिशत्रु १०२८ ८ अन्तिम निवेदन ९५ १२ नौ बलदेव विषयानुक्रमणिका ९७ १३ एकादश रुद्र १०२९ शुद्धि-पत्र १०२ १४ अट्ठाईस नक्षत्र १०३० तिलोयपण्णत्ति महाधिकार५-९५२९-८८२१५ ग्यारह कल्पातीत १०३२ (मूल, हिन्दी अनुवाद व टिप्पण) १६ बारह इन्द्र १०३३ परिशिष्ट ८८३.१०३६ १७ बारह कल्प १०३४ बम्बई प्रतिके लेखककी प्रशस्ति ८८३ १८ बीस प्ररूपणा १०३५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४४१ नारकयंत्र _ Jain Education InternationalPage Navigation
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