Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 5
________________ * विग्रहगति सम्बन्धी विचारणा * जन्म के प्रकार * योनियों के प्रकार * गर्भज जन्म * उपपात जन्म वाले जीव * सम्मूर्च्छन जन्म * शरीर के प्रकार * शरीर की विशेषताएँ तृतीय अध्याय अधोलोक और मध्यलोक तृतीय अध्याय के विषय वस्तु * लोक का स्वरूप * नरकों के नाम * नरकों का विशेष वर्णन 44 * तिर्यक् (मध्य) लोक का वर्णन 46 damEducation 47 48 48 51 * एक साथ एक जीव के कितने शरीर सम्भव 52 * कार्मण शरीर की निरूपभोगिता 53 * वैक्रिय शरीर की विशेषता * आहारक शरीर की विशेषता * वेद के प्रकार * आयु के प्रकार और उनके स्वामी 48 49 54 54 55 56 59 62 64 * नारकियों की संख्या * नारकियों की लेश्या 65 * नारकियों की दुख, परिणाम, विक्रिय आदि 66 * नारकी जीवों की स्थिति, गति, आगति 68 * द्वीप व समुद्रों के नाम, आकार व विस्तार * जम्बूद्वीप के 7 क्षेत्र * जम्बूद्वीप के 6 पर्वत * जम्बूद्वीप के 5 द्रह * जम्बूद्वीप के 14 नदियाँ * मेरू पर्वत तथा ज्योतिष देवों का वर्णन iv * अढाई द्वीप (मनुष्य क्षेत्र) * मनुष्यों के भेद * ढाईद्वीप में कर्मभूमियाँ व अकर्मभूमियाँ * मनुष्य एवं तिर्यंचों की आयु चौथा अध्याय देवलोक चतुर्थ अध्ययन के विषय वस्तु * देवों के प्रकार * ज्योतिष देवों की लेश्या * चार प्रकार के देवों के भेद * देवों के भेद, संख्या और श्रेणियाँ * इन्द्रों की संख्या * भवनपति और व्यंतर देवों की लेश्या * देवों के कामसुख * चतुर्निकाय के देवों के भेद * ज्योतिषी देव * वैमानिक देवों का वर्णन 70 70 71 71 71 71 71 75 76 77 77 81 81 82 83 85 86 86 88 90

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