Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 4
________________ || अनुक्रमणिका ।। हमारी बात vi | * अवधिज्ञान के भेद और स्वामी आदिनाथ सेवा संस्थान का संक्षिप्त परिचय vii_ * मन:पर्यव ज्ञान के भेद और उनका अन्तर 20 आशीर्वचनम् * ऋजुमति-विपुलमति मन:पर्यवज्ञान में अन्तर 21 सुकृत अनुमोदना * अवधिज्ञान-मन:पर्यायज्ञान में अन्तर 21 वन्दे वीरम् * पांच ज्ञानों का विषय अनुमोदन के हस्ताक्षर * एक जीव को एक साथ कितने ज्ञान सम्भव पूर्वकथन * मिथ्याज्ञान के भेद प्रस्तावना | * नयों के भेद प्रथम अध्याय 2 जावक असाधारण माप 2-3 ज्ञान प्रथम अध्याय के विषय वस्तु * मोक्ष के साधन-रत्नत्रय * सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र का स्वरूप * सम्यग् दर्शन की उत्पत्ति के प्रकार * तत्त्वों के नाम * निक्षेप * तत्त्वों को जानने के उपाय * प्रमाण और नय का अन्तर * प्रमाण (सम्यग्ज्ञान) के भेद * मतिज्ञान के अन्य पर्यायवाची नाम * मतिज्ञान के भेद * मतिज्ञान के 336 भेद * श्रुतज्ञान का स्वरूप व भेद द्वितीय अध्याय जीव विचारणा द्वितीय अध्याय के विषय वस्तु * जीव के असाधारण भाव * औपशमिक भाव के भेद * क्षायिक भाव के भेद * क्षायोपशमिक भाव के भेद * औदयिक भाव के भेद | * पारिणामिक भाव के भेद * जीव का लक्षण * उपयोग के भेद * जीव के भेद * संसारी जीवों के भेद * इन्द्रियाँ की संख्या * इन्द्रियों के भेद व विषय * संज्ञी और असंज्ञी की विचारणा * * an Education International Privata

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