Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसङ्ग्रहत्रयम् ग्रहाधिपो ग्रहपुषो ग्रहाधिभूर्ग्रहप्रभुः // 2 // ग्रहराजो ग्रहाधीशो, ग्रहेन्द्रो दिनबान्धवः / रोचि:पतिः शुचिस्वामी, शोचिरीशोऽर्चिरीश्वरः / / 3 / / उसस्वामी रुचिस्वामी, रुचिभर्ता रुचीश्वरः। रुचिनेता रुचिप्रेयान् रुचिराजो रुचिप्रभुः // 4 // रुचिकान्तो रुचामीशो, रुचांनाथो रुचांविभुः। रुचांभर्ता रुचांनेता, रुचामिन्द्रो रुचामिनः / / 5 / / रुचांस्वामी रुचांप्रेयान्, रुचांकान्तो रुचांप्रभुः / रुचीशिता रुनाराजो, रुप्रेयान् रुचिवल्लभः / 6 / / रुचीशो रुचिरमणो, रुग्भर्ता रुचिनायकः / उप्रेशः शौचिषांनाथः, शुचीशो रोचिषांपतिः // 7 // गोस्वामी गो:पति: कान्तिप्रणयी ज्योतिषांपतिः। ज्योतिरीशो गवामीशो, गवांस्वामी गवांपतिः // 8 // अंशुस्वामी करस्वामी, कराधीशः करप्रभुः। अर्चिनायोऽर्चिषांनाथः, शुचिनाथः शुचिप्रियः / / 9 / / धामेशो महंसामीशो, दीप्तीशो दीप्तिवल्लभः / घृणिप्रेयान् घृणिस्वामी, घृष्णिनाथो घृणिप्रियः // 10 // घृणीशो घृणिरमणस्ििवषीश: प्रग्रहप्रभुः। द्युतीश: प्रग्रहस्वामी, प्रभेश: प्रग्रहाधिपः // 11 // विभेन्द्रः प्रग्रहाधीशो, गवीशः प्रग्रहेश्वरः / गभस्तीशस्त्विषामीशो मरीचीशस्त्विषांपतिः / / 12 / / कलिन्दपुत्री सविता पवमानपथध्वजः / अब्जिनीजीविताधीशः, सरसीरुहबान्धवः / / 13 / / 155

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194