Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan

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Page 173
________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसाहवयम् कृती कृतार्थः सत्कृत्यः कृतकृत्यः कृतक्रतुः। . नित्यो मृत्युञ्जयोऽमृत्युरमृतात्माऽमृतोद्भवः // 32 // ब्रह्मा निष्ठ; परंब्रह्म, ब्रह्मात्मा ब्रह्मसम्भवः / महाब्रह्मपतिब्रोड् महाब्रह्मपदेश्वरः // 33 // सुप्रसनः प्रसन्नात्मा ज्ञानधर्मदमप्रभुः। प्रशमात्मा प्रशान्तात्मा पुराण: पुरुषोत्तमः // 34 // महाऽशोकध्वजोऽशोकः कुम्रष्टा पद्मविष्टरः। पद्मशः पद्मसम्भूति:, पद्मनाभिरनुत्तरः // 35 // पद्मयोनिर्जगद्योनिरिभ्यस्तुत्यस्तुतीश्वरः। . स्तवनार्हो हृषीकेशो, जितजेयः कृतक्रियः // 36 / / गणाधिपो गणज्येष्ठो, गण्यः पुण्यो गणाग्रणीः / गुणाकरो गुणाम्भोधिर्गुणज्ञो गुणनायकः // 37 // अगण्य: पुण्यधीगुण्यः, पुण्यकृत् पुण्यशासनः / धर्मारामो गुणग्रामः पुण्यापुण्यनिरोधकः // 38 // पापापेतो विपापात्मा, पापात्मा वीतकल्मषः। . निर्बन्धो निर्मदः शान्तो, निर्मोहो निरुपद्रवः // 39 // निर्निमेषो निराहारो, नि:क्रियो निरुपप्लवः / नि:कलको निरास्तेनो, निर्दूतागा निराश्रवः // 40 // विशालो विपुलज्योतिरतुलोऽचिन्त्यवैभवः / सुवृतः सुगुप्तात्मा, सुभुक् सुनयतत्ववित् // 41 // एकविद्यो महाविद्यो, मुनिः परिवृढः पतिः / धीशो विद्यानिधिः साक्षी, विनेताविहतान्तकः // 42 // 165

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