Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan

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Page 174
________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसाहवयम् पिता पितामहः पाता, पवित्र: पावनो गतिः / त्राता भिषक्वरो वर्यो, वरदः परमः पुमान् // 43 // कविः पुराणपुरुषो, वर्षीयान् वृषभः परः / प्रतिष्ठाप्रसवो हेतुर्भुवनैकपितामहः // 44 // श्रीवृक्षलक्षण: लक्ष्णो, लक्षण्य: शुभलक्षणः। निरक्षः पुण्डरीकाक्षः, पुष्कलः पुष्कलेक्षणः // 45 // सिद्धिदः सिद्धिसङ्कल्पः, सिद्धात्मा सिद्धसाधनः। बुद्धबोध्यो महाबोधिर्वर्धमानो महर्द्धिकः // 46 // वेदाङ्गो वेदविद् वेद्यो, जागरूको विदांवरः / वेदवेद्यः स्वसंवेद्यौ वेद्यो वदतांवरः // 47 // अनादिनिधनोऽव्यक्तो, व्यक्तवाग् व्यक्तशासनः / युगादिकृत्युगाधारो, युगादिर्जगदादिजः // 48 // अतीन्द्रोऽतीन्द्रियो धीन्द्रो, महेन्द्रोऽतीन्द्रियार्यदृक् / अनिन्द्रियोऽहमिन्द्रार्यो, महेन्द्रमहितो महान् // 49 // उद्भव: कारणं कर्ता, पारगो भवतारकः / अगाह्यो गहनगुह्यं परायः परमेश्वरः // 50 // अनन्तर्द्धिरमेयर्द्धिरचिन्त्वर्द्धिः समग्रधीः / प्राज्ञः प्राज्ञहरोऽभ्यग्रहः प्रत्यग्रोउयोऽग्रिमोऽग्रजः // 51 // महातपा महातेजा महोदर्को महोदयः / महायशा महाधीमान्, महासत्त्वो महाद्युतिः // 52 // महामतिर्महानीतिर्महाक्षान्तिर्महाकृतिः।। महाप्रज्ञो महाभागो, महानन्दो महाकविः // 53 // 166

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