Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan
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________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसहायम् शुद्धो बुद्धः प्रबुद्धात्मा, सिद्धार्थः सिद्धशासनः। . सिद्धान्तविदुरध्येयो सिद्धसाध्यो जगद्धितः // 10 // सहिष्णुरच्युतोऽनन्तप्रभो विष्णुर्भवोद्भवः / प्रभूष्णुरजरोऽजय्यो, भ्राजिष्णुर्थीश्वरोऽव्ययः // 11 // विभावसुरसम्भूष्णु:, स्वयंभूष्णुः पुरातनः / परमात्मा परंज्योतिस्त्रिजगत्परमेश्वरः // 12 // दिव्यभाषापतिर्दिव्यः, पूतवाक् पूतशासनः / पूतात्मा परमज्योतिधर्माध्यक्षो दमीश्वरः // 13 // श्रीपतिर्भगवानहनरुजो विरजाः शुचिः। तीर्थकृत् केवलीशानः, पूजाईः सातकोऽमलः // 14 // अनन्तदीप्तिर्ज्ञानात्मा, स्वयंबुद्धः प्रजापतिः / मुक्तः शक्तो निराबाधो, नि:कलो भुवनेश्वरः // 15 // निरञ्जनो जगज्ज्योतिर्निरुक्तोक्तिर्निरामयः / अचलस्थितिरक्षोभ्यः, कूटस्थ: स्थाणुरक्षयः / / 16 / / अग्रणीामणीर्नेता, प्रणेता न्यायशास्त्रकृत् / शास्ता धर्मपतिर्धर्यो, धर्मात्मा धर्मतीर्थकृत् / / 17 / / वृषध्वजो वृषाधीशो, वृषकेतुर्वृषायुषः / वृषो वृषपतिर्भर्ता, वृषभाको वृषोद्भवः // 18 // हिरण्यनाभिर्भूतात्मा, भूतभृद् भूतभावनः / प्रभवो विभवो भास्वान्, भवो भव्यो भवान्तकः // 19 // हिरण्यगर्भः श्रीगर्भः, प्रभूतविभवो भवः। स्वयंप्रभुः प्रभूतात्मा, भूतनाथो जगत्प्रभुः // 20 // 163
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